सहीफ़ा सज्जादिया
सहीफ़ा सज्जादिया (फ़ारसी: صحیفه سجادیه), एक किताब है जो प्रार्थनाओं (दुआ) का संग्रह हैं जिसे इमाम सज्जाद (अ.स.) ने इमाम बाक़िर (अ.स.) और ज़ैद बिन अली (अ) द्वारा लिखवाया है। इस किताब को क़ुरआन और नहज अल-बलाग़ा के बाद सबसे महत्वपूर्ण शिया लिखित विरासत माना जाता है और इसे "क़ुरआन की बहन" और "इंजिले अहले-बैत" जैसे नामों से जाना जाता है।
सबसे पहले, सहीफ़ा सज्जादिया को 75 प्रार्थनाओं के रूप में उल्लेख किया गया था; लेकिन बाद के समय में इसकी कुछ प्रार्थनाएँ (दुआएँ) नष्ट हो गईं और केवल 54 प्रार्थनाएँ ही बाक़ी रह गईं।
इस धर्मग्रंथ ने सुन्नी विद्वानों का भी ध्यान भी आकर्षित किया है और उन्होंने इसकी कुछ प्रार्थनाएँ उद्धृत की हैं। कुछ ओरियन्टलिस्ट का मानना है कि साहिफ़ा सज्जादिया इंसानों को इस्लाम का एक नया चेहरा दिखा सकती हैं। इस पुस्तक में, इमाम सज्जाद ने प्रार्थनाओं और मुनाजात के रूप में नैतिक सिद्धांतों और जीवन के सामाजिक-राजनीतिक तरीक़े को व्यक्त किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, चूंकि इमाम सज्जाद (अ) अपने जीवन के दौरान तक़य्या में रहे, इसलिए उन्होंने इन शिक्षाओं को प्रार्थनाओं के रूप में बयान किया है।
इमामत का मुद्दा किताब में उठाए गए महत्वपूर्ण राजनीतिक और धार्मिक मुद्दों में से एक है। ख़िलाफ़त हड़प करने वालों के खिलाफ़ पर्दाफाश करना, इमामों के शासन आदर्श को बढ़ावा देना, धर्म की पवित्रता की रक्षा पर ज़ोर देना, उत्पीड़ितों का समर्थन और ज़ालिमों का मुकाबला करना इस पुस्तक में उठाए गए कुछ अन्य मुद्दे हैं।
यह किताब शिया विद्वानों द्वारा प्रसिद्ध और स्वीकृत है तथा हदीस के कुछ विद्वानों ने इसे विश्वसनीय (मुतवातिर) माना है। निःसंदेह, कुछ न्यायविद मुतवक्किल बिन हारुन की विश्वसनीयता जैसी समस्याओं के कारण, धर्मग्रंथ के सभी हिस्सों के उद्धरण को वैध नहीं मानते हैं।
सहीफ़ा सज्जादिया का फ़ारसी, अंग्रेजी, फ्रेंच, इंडोनेशियाई, तुर्की, उर्दू, स्पेनिश, बोसनियाई, अल्बानियाई और तमिल जैसी विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इस किताब पर दर्जनों टिप्पणियाँ लिखी गई हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध सय्यद अली ख़ान कबीर द्वारा लिखित रियाज़ अल-सालेकीन है। कुछ शोधकर्ताओं ने इमाम सज्जाद की अन्य प्रार्थनाएँ, जो अन्य स्रोतों में उल्लेख हुईं हैं, पुस्तकों में एकत्रित की हैं।
शिया संस्कृति में सहीफ़ा सज्जादिया का महत्व
सहीफ़ा सज्जादिया, नहज अल-बलाग़ा के बाद सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख शिया किताब है। [१] इस पुस्तक में इमाम सज्जाद (अ) द्वारा सुनाई गई प्रार्थनाएं शामिल हैं। [२] इब्ने शहर आशोब (मृत्यु 588 हिजरी) के अनुसार, सहीफ़ा सज्जादिया इस्लाम के बाद लिखी गई पहली किताबों में से एक है। [३] शिया इस्लामी विद्वान मुर्तुज़ा मोताहरी ने सहीफा सज्जादिया को क़ुरआन के बाद सबसे पुरानी शिया किताब इस रूप में पेश किया है और उनका मानना है कि सहीफा सज्जादिया की प्रार्थनाएं दस्तावेज़ (सनद) और सामग्री दोनों के संदर्भ में बहुत विश्वसनीय हैं। [४] उन्होंने इस पुस्तक को एकमात्र ऐसी पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है जो पहली चंद्र शताब्दी के अंत और दूसरी चंद्र शताब्दी की शुरुआत से ही लोगों के पास उपलब्ध रही है। [५]
शिया प्रतिलिपिकार आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी ने लिखा है कि सहीफ़ा सज्जादिया किताब को उख़तुल-क़ुरआन (क़ुरआन की बहन), इंजिले अहले-बैत, ज़बूरे आले-मुहम्मद और सहीफ़ा कामेला जैसे उपनाम दिये गये है। [६] इज़ुद्दीन जज़ायेरी के अनुसार, यह पुस्तक भारतीय मदरसों में पढ़ाई जाती रही है। [७]
दूसरा नाम; सहीफ़ा कामेला
पुस्तक के टिप्पणीकारों में से एक सय्यद अली खान कबीर के अनुसार, इसे "सहीफ़ा कामेला" का नाम दिया गया है क्योंकि इस पुस्तक की प्रार्थनाएँ इस दुनिया और आख़ेरत की ज़रूरतों (हाजतों) के लिए पर्याप्त हैं, या इस लिये इसे यह नाम दिया है कि इस पुस्तक में एक संपूर्ण प्रार्थना की सभी विशेषताएं पाई जाती हैं। [८] यह भी संभव है कि यह नाम सहीफ़ा कामेला इमामिया संस्करण को ज़ैदिया संस्करण से अलग करने के लिए दिया गया हो; क्योंकि ज़ैदिया के पास भी इस किताब की एक प्रति है जो इमामिया द्वारा उल्लेख की गई प्रति की लगभग आधी है। [९]
सहीफ़ा सज्जादिया के बारे में इमाम ख़ुमैनी के नोट का एक हिस्सा, सहीफ़ा सज्जादिया की एक प्रति के हाशिये पर है जो उन्होंने अपने पोते सैयद अली खुमैनी को उपहार में दी थी: सहीफ़ा कामिला सज्जादिया क़ुरआन ए साइद का एक संपूर्ण उदाहरण है और यह ईश्वर के साथ एकांत करने की सबसे बड़ी रहस्यमय (इरफ़ानी) प्रार्थनाओं में से एक है, जिसका आशीर्वाद प्राप्त करने से हम वंचित हैं। यह एक दिव्य पुस्तक है जो ईश्वर के प्रकाश के स्रोत से उत्पन्न हुई है और दिव्य एकांतवास के साथियों को महान संतों और महान अभिभावकों के आचरण का तरीक़ा सिखाती है। यह पवित्र पुस्तक, पवित्र क़ुरआन की तरह, दिव्य दस्तरख़ान (मेज़) है जिसमें सभी प्रकार के आशीर्वाद मौजूद हैं और हर कोई अपनी आध्यात्मिक भूख के अनुसार इसका उपयोग करता है। (इमाम खुमैनी, सहीफ़ा इमाम, 2009, खंड 21, पृष्ठ 209)
सहीफ़ा सज्जादिया की दुआओं की संख्या
सहीफा सज्जादिया मूल रूप से 75 प्रार्थनाओं और मुनाजात का एक संग्रह था जिसे इमाम सज्जाद (अ.स.) ने अपने दो बेटों, अर्थात् इमाम बाक़िर (अ.स.) और ज़ैद बिन अली को निर्देशित (इमला) किया था, और इसलिए इसका प्रारंभिक संस्करण दो संस्करणों में लिखा गया था। [१०] यहया बिन ज़ैद ने अपने पिता ज़ैद द्वारा लिखित संस्करण मुतवक्किल बिन हारून बल्ख़ी (साहिफ़ा सज्जादिया के पहले कथावाचक) को दिया। [११] मुतवक्किल उस प्रति को इमाम सादिक़ (अ.स.) के पास ले गए, उन्होंने उसकी तुलना उस प्रति से की जो इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) द्वारा लिखा गई थी और उन्होने उनके बीच कोई अंतर नहीं पाया। [१२] इमाम सादिक़ ने वह किताब मुतवक्किल बिन हारुन को लिखवाई और मुतवक्क्किल ने उन्हें लिखा। लेकिन उनके पास से 11 प्रार्थनाएँ गुम हो गईं और केवल 64 प्रार्थनाएँ ही रह गईं। [१३] उन 64 प्रार्थनाओं में से भी कुछ बाद के समय में स्थानांतरित नहीं हो सकीं। इस कारण से, सफ़ीहा सज्जादिया के संस्करणों में केवल 54 प्रार्थनाएँ हैं। [१४]
मुतवक्किल के बेटे एकमात्र ऐसा व्यक्ति हैं जिन्होने इसे अपने पिता से उल्लेख किया है और अन्य कथावाचकों जैसे (1. अहमद बिन मुस्लिम मुताहरी, 2. अली बिन नोमान आलम, 3. मुहम्मद बिन सालेह, 4. हुसैन बिन अश्किब मरुज़ी, 5. ओबैदुल्लाह बिन फ़ज़्ल नबहानी, और 6. अली बिन हम्माद बिन अला) ने इसे उनसे उल्लेख किया है। [१५] सहीफ़ा सज्जादिया के लिये कई हदीसों का उल्लेख हैं, बहा अल-शरफ़ का कथन उनमें से सबसे प्रसिद्ध है। [१६]
कफ़अमी की लिपि में मौजूद सहीफा सज्जादिया भी सहीफ़ा के पुराने संस्करणों में से एक है, जिसमें अन्य सहीफ़ों की 54 प्रार्थनाओं के अलावा और चार प्रार्थनाएं भी हैं। [१७]
सहीफ़ा सज्जादिया की लोकप्रियता
हदीस विद्वानों के अनुसार, यह पुस्तक पहले मजलिसी, यानी मुहम्मद तक़ी मजलिसी के युग के दौरान प्रसिद्ध हुई। [१८] उन्होंने इस पुस्तक की एक प्रति एक सपने या रहस्योद्घाटन और इमाम ज़माना (अ) से मुलाकात के माध्यम से प्राप्त की, और उन्होंने इसे बढ़ावा देने की इतनी अधिक कोशिश की कि लोगों के घरों में क़ुरआन के अलावा, एक सहीफ़ा सज्जादिया भी मौजूद था। [१९] मुहम्मद तक़ी मजलिसी के अनुसार, इस्फ़हान के आधे लोग सज्जादिया सहीफ़ा के साथ लगाव (उन्स) के आशीर्वाद द्वारा मुसतजाबुद दावा (जिनकी प्रार्थना स्वीकार होती थी) बन गये थे। [२०]
सुन्नियों और इस्लाम के शोधकर्ताओ का दृष्टिकोण
मरअशी नजफ़ी को लिखे गये तंतावी जौहरी के पत्र का अंश: यह हमारा दुर्भाग्य है कि अब तक हम इस अनमोल अमर किताब, जो पैग़म्बरी की विरासत है, से वंचित रहे। जब भी मैं इसके बारे में सोचता हूं तो मुझे यह प्राणी की वाणी से श्रेष्ठ और रचयिता की वाणी से नीचे लगती है। [२१]
मिस्र के लेखक और शोधकर्ता मुहम्मद ज़की मुबारक (1310-1371 हिजरी) ने अपनी पुस्तक अल-तसव्वुफ़ अल-इस्लामी वा अल-अदब वा अल-अखलाक़ में सहीफ़ा सज्जादिया को हज़रत ईसा (अ) पर नाज़िल होने वाले धर्मग्रंथ इंजील (ईसाइयों के हाथ में इस समय मौजूद बाइबिल नहीं) के समान माना है और लिखा है कि यह धर्मग्रंथ ईश्वर की कृपा है जो इमाम सज्जाद (अ) की ज़बान पर जारी हुआ है। [२२] तज़किरा अल-ख़वास के लेखक इब्न जौज़ी (मृत्यु: 654 हिजरी) का मानना है कि इमाम सज्जाद को मुसलमानों को शिक्षा देने का अधिकार है कि परमेश्वर के सामने कैसे बोलना और कैसे निवेदन करना है, इस लिये कि उन्होंने लोगों को सिखाया कि क्षमा मांगते (इस्तिग़फ़ार) समय भगवान से कैसे बात करनी चाहिए, बारिश के लिए दया मांगते समय भगवान से किस भाषा में प्रार्थना करनी चाहिए, और दुश्मन से डरते समय भगवान की शरण कैसे लेनी चाहिए। [२३]
सुन्नी विद्वानों में से एक, सुलेमान बिन इब्राहिम क़ंदूज़ी (मृत्यु: 1294 हिजरी), ने यनाबी अल-मवद्दत पुस्तक में सहीफ़ा के नाम का उल्लेख किया है और इसकी प्रार्थनाओं के कुछ हिस्सों को उद्धृत किया है। [२४] तंतावी जौहरी, अल-जवाहिर फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन अल करीम के लेखक ने 1358 हिजरी में आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी द्वारा सहीफ़ा सज्जादिया पुस्तक की एक प्रति प्राप्त करने के बाद इसकी प्रशंसा इन शब्दो "यह प्राणी की वाणी से श्रेष्ठ और निकृष्ट सृष्टिकर्ता की वाणी से नीचे है", में की है। [२५]
एक अमेरिकी इस्लाम शोधकर्ता विलियम चिटिक के अनुसार, पश्चिम में अधिकांश लोग इस्लाम को स्थिर, सतही और कानून का पालन करने वाले के रूप में जानते हैं; लेकिन सहीफा सज्जादिया दर्शकों को एक बिल्कुल नया दृष्टिकोण दिखा सकती हैं और उन मानवीय अंतर्दृष्टि को व्यक्त कर सकती हैं जो इस्लामी आदर्शों की प्राप्ति के लिए एक शर्त हैं। [२६]
किताब की वैधता
हदीस विद्वानों के अनुसार, सहिफ़ा सज्जादिया हमेशा शिया विद्वानों द्वारा लोकप्रिय और स्वीकृत रही है, और शेख़ तूसी, क़ुतुबुद्दीन रावंदी, प्रथम शहीद और कफ़अमी जैसे विद्वानों ने अपनी पुस्तकों में इससे प्रार्थनाएँ उद्धृत की हैं। [२७] बेहार अल अनवार के लेखक मुहम्मद बाक़िर मजलिसी [२८] और इसी तरह से, आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी सहीफ़ा सज्जादिया को दस्तावेज़ों के संदर्भ में मुतवातिर मानते हैं।; क्योंकि इसके कथावाचकों को सभी वर्गों और सभी कालखंडों में इसका पाठ करने की अनुमति दी गई है। [२९]
मोहम्मद तक़ी मजलिसी ने लिखा है कि सहीफ़ा सज्जादिया की दस लाख से अधिक सनदें हैं। [३०] मोहम्मद बाक़िर मजलिसी ने इस पुस्तक को ज़ैदिया के यहां भी मुतवातिर माना है। [३१] उनकी राय में, यह देखते हुए कि पुस्तक का पाठ वाक्पटुता व फ़साहत की उच्च श्रेणी में है और दिव्य विज्ञान पर इस पुस्तक के कवरेज पर विचार करते हुए, इसमें कोई संदेह नहीं बचता है कि यह पुस्तक इमाम सज्जाद (अ) द्वारा जारी की गई थी। [३२] कुछ विद्वानों ने मजलिसी के शब्दों का हवाला देते हुए किताब को मुस्तफ़ीज़ या मुतवातिर माना है। [३३]
हालाँकि, कुछ शोधकर्ता इस पुस्तक के तवातुर के दावे को (पुस्तक के मुख्य कथाकार के कई न होने के कारण) सही नही मानते हैं। [३४] सय्यद अबुल क़ासिम ख़ूई ने भी मुतवक्किल बिन हारून (पुस्तक के मुख्य कथावाचक) की विश्वसनीयता को अज्ञात माना है। [३५] इमाम ख़ुमैनी के अनुसार, यद्यपि पुस्तक की उच्च वाक्पटुता (बलाग़त) और ऊंचे अर्थों से यह स्पष्ट है कि इस पुस्तक का मूल इमाम सज्जाद (अ) द्वारा जारी किया गया है, इसके बावजूद, इसके सभी वाक्य का श्रेय इमाम सज्जाद को देना और उन सब को प्रमाणित नही माना जा सकता है। [३६] न्यायविदों और टिप्पणीकारों ने अपनी पुस्तकों और तर्कों में सहीफा सज्जादिया पुस्तक से कुछ पैराग्राफ़ प्रमाण के तौर पर उद्धृत किए हैं। [३७] अबुल मआली कलबासी (मृत्यु 1315 हिजरी) ने सहीफा सज्जादिया के दस्तावेज़ की जांच पर एक स्वतंत्र ग्रंथ लिखा है। [३८] यह ग्रंथ अल-रसायल अल-रेजलिया पुस्तक में प्रकाशित हुआ है। [३९]
प्रतिलिपियाँ और मुद्रण
सहीफा सज्जादिया उन किताबों में से एक है जिसकी बहुत सी पांडुलिपियां हैं। [४०] अकेले ईरान में इस पुस्तक के लिए तीन हज़ार से अधिक पांडुलिपियां पंजीकृत की गई हैं। [४१] सहीफा की सबसे पुरानी प्रतियों में से एक (लिखित तिथि: 695 हिजरी) को आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी की लाइब्रेरी में रखा गया है। [४२] 1348 शम्सी में इमाम रज़ा (अ) के रौज़े के नवीनीकरण में, इस किताब की एक पुरानी प्रति मिली थी, जिसके लिखने की तारीख़ 416 हिजरी है [४३] और इसके सभी वर्णनकर्ता सुन्नी हैं। [४४] आस्ताने क़ुद्स रज़वी ने इस संस्करण को, जो प्रसिद्ध संस्करणों से भिन्न और अधिक अधूरा है, मुद्रित किया है। [४५]
सय्यद मुर्तज़ा नुजूमी से वर्णित है कि उनके एक रिश्तेदार ने वेटिकन पुस्तकालय में ज़ैद बिन अली (अ) द्वारा लिखित सहीफ़ा सज्जादिया की मूल प्रति देखी थी। [४६] यह संभव है कि किताब की दूसरी मूल प्रति, जो इमाम बाक़िर (अ.स.) द्वारा लिखी गई थी, और जो इमामत की अमानतों में से एक है, इमाम ज़माना (अ) के पास हो। [४७]
सहीफा सज्जादिया पहली बार भारत के कलकत्ता शहर में 1248 हिजरी में प्रकाशित हुआ था। [४८] बाद के दशकों में, इस पुस्तक का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद और साथ ही इसकी टिप्पणियाँ इसी शहर में प्रकाशित हुईं। [४९] इसके अलावा, ईरान ने 1262 हिजरी में, मिस्र ने 1322 हिजरी में, दमिश्क़ ने 1330 हिजरी में, और इराक़ ने 1352 हिजरी में पहली बार इस पुस्तक को प्रकाशित किया। [५०]
सामग्री
इमाम सज्जाद (अ): हे ईश्वर! हज़रत मुहम्मद (स) के अहले बैत (अ) के पवित्र लोगों के लिये अपनी शुभकामनाएँ भेज। जिनको तूने शासन के लिये चुना, और अपने ज्ञान के खज़ानों का मालिक बनाया, और अपने धर्म के रखवाला, और धरती पर अपना ख़लीफ़ा बनाया और अपने बंदों पर अपनी हुज्जत बनाया, उन्हें तूने अपनी इच्छा से हर गन्दगी और प्रदूषण से पाक व मुक्त कर दिया, और जिन्हे तुने अपने पास और अपने अनंत काल स्वर्ग तक पहुचने के लिये ज़रिया बनाया है। (सहीफ़ा सज्जादिया, प्रार्थना 47 पैराग्राफ़ 56)
कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, सहीफ़ा सज्जादिया की प्रार्थनाओं की सामग्री ज़्यादातर एकेश्वरवादी (तौहीदी) है और उनका मुख्य विषय ईश्वर से प्रार्थना है। [५१] इस पुस्तक में, इमाम सज्जाद ने नैतिक सिद्धांतों और जीवन के सामाजिक-राजनीतिक तरीक़े को प्रार्थनाओं और मुनाजात के रूप में व्यक्त किया है [५२] इस प्रकार से कि लोग इन प्रार्थनाओं को पढ़कर इमाम के राजनीतिक दृष्टिकोण से परिचित हो सकते हैं। [५३] इमाम सज्जाद (अ) ने इन शिक्षाओं को प्रार्थना के रूप में क्यों व्यक्त किया, इसका कारण उनके जीवन की विशेष परिस्थितियाँ मानी जाती हैं (विशेषकर अब्दुल-मलिक बिन मरवान के शासन के दौरान [५४] जिसमें वह तक़य्या में रहते थे। [५५] इस धर्मग्रंथ में कम ही प्रार्थनाएँ होंगी जिनमें सलवात का उपयोग नहीं किया गया होगा। [५६] रसूल जाफ़रियान के अनुसार, सलवात भेजना और पैग़म्बर (स) और उनके परिवार (अहले बैत) के बीच संबंध शिया मान्यताओं को व्यक्त करने में इसका बहुत महत्व है। [५७]
इमामत का मुद्दा किताब में उठाए गए महत्वपूर्ण राजनीतिक और धार्मिक मुद्दों में से एक है, [५८] और इमाम सज्जाद (अ.स.) ने खिलाफ़त के मसले में शिया इमामों की वैधता के अलावा, इमामों द्वारा पैगम्बरों के विज्ञान के उपयोग और उनकी अचूकता (इस्मत) का भी उल्लेख किया है। [५९] ख़िलाफ़त हड़प करने वालों का पर्दाफाश करना, इमामों के शासन के आदर्श को बढ़ावा देना, धर्म की पवित्रता की रक्षा करने पर ज़ोर देना और असत्य का मुकाबला करना, उत्पीड़ितों का समर्थन करना और उत्पीड़क का मुकाबला करना अन्य राजनीतिक मुद्दे हैं जो सहीफ़ा में उठाए गए हैं। [६०] जाफ़र सुबहानी ने लिखा है कि सहाफ़ा सज्जादिया में कुछ वैज्ञानिक चमत्कारों का उल्लेख किया गया है, जिनसे वे उस समय अनजान थे। [६१] जैसे इस प्रार्थना में पानी के माध्यम से हैजा का संचरण होता है: «اللَّهُمَّ وَ امْزُجْ مِیاهَهُمْ بِالْوَبَاءِ "अल्लाहुम्मा वमज़ुज मियाहुम बिल वबा: हे भगवान, दुश्मनों के पानी को हैजा के साथ मिला दो।" [६२]
सहीफ़ा सज्जादिया की दुआओं की सूची
सहीफ़ा में कुछ प्रार्थनाएँ विशिष्ट दिनों के लिए समर्पित हैं (जैसे अरफ़ा की प्रार्थना, रमज़ान के महीने की विदाई प्रार्थना और चंद्र को देखने की प्रार्थना) और कुछ प्रार्थनाएँ किसी विशिष्ट दिन पर पढ़ी जाने के लिए विशिष्ट नहीं हैं। [६३] सहिफ़ा सज्जादिया में 54 प्रार्थनाएँ हैं, जिनके शीर्षकों की सूची इस प्रकार है:
- भगवान की स्तुति
- पैगंबर पर दुरुद
- मुक़र्रब स्वर्गदूत
- पैगम्बरों के अनुयायी
- आप स्वयं और मित्र
- सुबह और शाम
- परेशानी और कठिनाई
- ना पसंद आचरण
- माफ़ी मांगना
- ईश्वर की शरण लेना
- अच्छा अंत
- स्वीकारोक्ति और पश्चाताप
- हाजत माँगना
- ज़ुल्म से पनाह मांगना
- बीमार होने पर
- क्षमा मांगना
- शैतान से बचने के लिये
- बला दूर करने के लिये
- बारिश माँगना
- मकारिम अल-अख़लाक़
- ग़म व दुःख के समय
- कठिन समय में
- स्वास्थ्य माँगना
- माता-पिता
- बच्चे
- पड़ोसी और दोस्त
- सीमा रक्षक
- ईश्वर की शरण लेना
- रोज़ी माँगना
- ऋण का भुगतान
- तौबा
- रात की नमाज़ में दुआ
- नेकी का अनुरोध करना
- पाप में फँसा हुआ
- ईश्वरीय के आदेश पर राज़ी रहना
- बिजली और तूफ़ान के समय
- शुक्र करने में कमी करना
- कमी के लिए क्षमा माँगना
- क्षमा और दया माँगना
- मौत को याद रखना
- पाप को छिपाना
- क़ुरआन ख़त्म करना
- चंद्र देखना
- रमज़ान में प्रवेश करना
- रमज़ान को अलविदा
- ईद-उल-फित्र और शुक्रवार
- अरफ़ा की दुआ
- ईद अल-अज़हा और शुक्रवार
- शत्रुओं की चाल से छुटकारा पाना
- ईश्वर का भय
- भगवान के सामने विनम्रता
- प्रार्थना में दृढ़ता
- भगवान के सामने विनम्रता
- दुःख दूर करना
अनुवाद
मुख्य लेख: सहीफ़ा सज्जादिया के अनुवादों की सूची
सहीफ़ा सज्जादिया को फ़ारसी, अंग्रेजी, फ्रेंच, इंडोनेशियाई, तुर्की, उर्दू, स्पेनिश, बोस्नियाई, अल्बानियाई, तमिल [६४], रूसी, बर्मी, करमानजी कुर्दिश और रुवांडियाई [६५] जैसी विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित किया गया है। इनमें से कुछ अनुवाद यह हैं:
- अबुल हसन शीरानी द्वारा फ़ारसी अनुवाद; [६६]
- अब्दुल मोहम्मद आयती द्वारा फ़ारसी अनुवाद; [६७]
- मेहदी इलाही क़ुमशेई द्वारा लिखित फ़ारसी अनुवाद; [६८]
- मोहम्मद मेहदी फ़ूलादवंद द्वारा लिखित फ़ारसी अनुवाद, जिसका शीर्षक है "पेशवा ए चेहरे बर ख़ाक सायंदगान" [६९]
- फ़रीदा महदवी दामग़ानी द्वारा फ्रेंच अनुवाद जिसका शीर्षक है "Les Psaumes De L'islam" [७०]
- प्रसिद्ध मुल्ला इसतरोशनी के प्रयास से ताजिकी अनुवाद; [७१]
- रसूल इस्माईल ज़ादेह द्वारा आज़री तुर्की अनुवाद; [७२]
- जलालुद्दीन रहमत द्वारा मलय अनुवाद जिसका शीर्षक है "Shahifah Sajjadiyyah؛ Gita Suci Keluarga Nabi"। [७३]
विवरण, सारांश और पूरक
मुख्य लेख: सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओं की सूची
आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी ने अपनी पुस्तक अल-ज़रीया में सहीफ़ा सज्जादिया पर लगभग सत्तर टिप्पणियों का उल्लेख किया है। [७४] सहीफ़ा पर सबसे प्रसिद्ध टिप्पणी रियाज़ अल-सालेकीन है जो सैय्यद अली ख़ान कबीर द्वारा लिखी गई है, और वे कहते हैं कि यह सबसे पुरानी उपलब्ध टिप्पणी है। अल-फ़वायद अल-शरीफा फ़ी शरह अल-सहीफ़ा कफ़अमी द्वारा लिखित है। [७५] अन्य स्पष्टीकरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सय्यद अली नक़ी फैज़ुल इस्लाम द्वारा "सहीफ़ा कामिला सज्जादिया का अनुवाद और टिप्पणी" [७६]
- हुसैन अंसारियान द्वारा "सज्जादिया धर्मग्रंथ की टिप्पणी और व्याख्या"; [७७]
- हसन ममदोही किरमान शाही द्वारा "शुहूद व शेनाख़्त"; [७८]
- मुहम्मद बिन मुहम्मद दराबी द्वारा "रियाज़ अल-आरेफ़ीन फ़ी शरह-ए सहीफ़ा सैय्यद अल-साजेदीन"; [७९]
- सय्यद मोहम्मद हुसैन हुसैनी जलाली द्वारा "शर्फ़ अल-सहिफ़ा ए अल-सज्जादिया" [८०]
इमाम सज्जाद (अ) से प्राप्त दुआओं की कुल संख्या सहीफ़ा सज्जादिया में पाई गई दुआओं से कई गुना अधिक है। [८१] कुछ विद्वानों ने इमाम की अन्य दुआओं को अन्य स्रोतों से इकट्ठा करने और उन्हें एक स्वतंत्र पुस्तक में प्रकाशित करने का प्रयास किया है। [८२] यह किताबें (शेख़ हुर्र आमिली द्वारा लिखित), "अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया अल सानिया" (अब्दुल्लाह बिन ईसा अफ़ेंदी द्वारा लिखित), "अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया अल-सालेसा" (मुहद्दीस नूरी द्वारा लिखित), "अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया अल-राबेया" (सैयद मोहसिन अमीन द्वारा लिखित) "अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया अल-ख़ामेसा" (मोहम्मद सालेह हायरी माज़ांदरानी द्वारा लिखित) "अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया अल-सादेसा " इन नामों से पहचानी जाती हैं। [८३] सैय्यद मोहम्मद बाक़िर मोहम्मद अबतही ने "सहीफ़ा सज्जादिया कामेला" नामक किताब में इमाम सज्जाद की 272 प्रार्थनाएँ एकत्रित की हैं। [८४] मोहम्मद बाक़िर मजलेसी ने सहीफ़ा सज्जादिया के अंत में इमाम सज्जाद (अ) की कुछ और प्रार्थनाएँ जोड़ीं है, जिन्हें मुलहक़ात सहीफ़ा के नाम से जाना जाने लगा है। [८५] अधिकांश पांडुलिपियों में, ये मुलहक़ात दर्ज हो चुके हैं। [८६]
संबंधित काम
सहीफ़ा सज्जादिया की ग्रंथ सूची के बारे में किताबें लिखी गई हैं, जिनमें से हम मजीद ग़ुलामी जलीसह द्वारा लिखित पिजोहिश नामा सहीफ़ा सज्जादिया और किताब शेनासी इमाम सज्जाद, सहीफा सज्जादिया व रेसाला हुक़ूक़, लिखित सलमान हबीबी और मुख्तार शम्स अल दीनी का उल्लेख कर सकते हैं। [८७] इसके अलावा, सहीफ़ा सज्जादिया के विषयों को सूचीबद्ध करने के क्षेत्र में कुछ पुस्तकें भी लिखी गई हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- मोहम्मद हुसैन मुज़फ्फर द्वारा लिखित अल-दलील-इला-मौज़ूआत अल-सहीफ़ा-अल-सज्जादिया: इस काम में, सहीफा अल-सज्जादिया में उल्लिखित सभी विषयों पर उन्नीस सामान्य अध्यायों में चर्चा की गई है और छोटे और माध्यमिक विषय की उनके तहत चर्चा की गई हैं। [८८] यह पुस्तक क़ुम दफ़तरे इंतेशाराते इस्लामी द्वारा 1403 हिजरी में प्रकाशित की गई थी। [८९]
- सैय्यद अहमद सज्जादी और अन्य द्वारा लिखित फ़रहंगे मौज़ूई सहीफा सज्जादीया: यह पुस्तक, जिसके विषयों को वर्णमाला क्रम में व्यवस्थित किया गया है, 1385 शम्सी में क़ुम के मोअस्सेसा फ़ंरहंगी मुतालेआती अल-ज़हरा द्वारा तीन खंडों में प्रकाशित किया गया था। [९०]
- मुस्तफा देरायती और अन्य द्वारा सहीफा सज्जादिया का विषय सूचकांक: यह काम 1377 शम्सी में तेहरान में मरकज़े इत्तेलाआत व मदारिके इल्मी ईरान के प्रयासों से और दो खंडों में प्रकाशित हुआ था। [९१]
- हदीसे बंदगी, सैय्यद काज़िम राफ़ेअ द्वारा: इस काम में, लेखक सज्जादिया में उठाए गए विषयों को वर्णमाला क्रम में समझाते हैं। [९२] यह काम 1388 शम्सी में तेहरान में इंतेशाराते फैज़ काशानी द्वारा प्रकाशित किया गया था। [९३]
- सैय्यद अली अकबर क़ुरैशी की पूरी किताब के शब्दों के लिए अल-मोअजम अल-मुफ़हरिस ले अलफ़ाज़ सहीफ़ा सज्जादिया: इस किताब का प्रकाशन 1343 शम्सी में इंतेशाराते दार तब्लीग इस्लामी क़ुम द्वारा किया गया था। [९४]
- फ़ातेमा अहमदी द्वारा अल-मोजम अल-मुफ़हरिस ले अलफ़ाज़ सहीफ़ा सज्जादिया: यह पुस्तक 1394 शम्सी में उस्वा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई थी। [९५]
फ़ुटनोट
- ↑ पेशवाई, सीरए पेशवायान, 2017, पृष्ठ 281।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-ज़रियह, 1403 हिजरी, खंड 15, पृष्ठ 18-19।
- ↑ इब्न शहर आशोब, मआलिम अल उलमा, 1380 एएच, पृष्ठ 2।
- ↑ मोतह्हरी, फ़लसफ़ए अख़लाक़, 1390, पृष्ठ 36।
- ↑ मोतह्हरी, फ़लसफ़ए अख़लाक़, 1390, पृष्ठ 36।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-ज़रियह 1403 एएच, खंड 15, पृष्ठ 18-19।
- ↑ जज़ायेरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 एएच, पृष्ठ 19।
- ↑ मदनी, रियाज़़ अल-सालेकीन, 1409 एएच, खंड 1, पृष्ठ 100।
- ↑ हकीम, आलाम अल हिदाया, 1425 एएच, खंड 6, पृष्ठ 211।
- ↑ तबताबाई, तारीख़े हदीसे शिया, 1388, खंड 1, पृष्ठ 134।
- ↑ सहीफा सज्जादियह, परिचय।
- ↑ सहीफा सज्जादियह, परिचय।
- ↑ सहीफा सज्जादियह, परिचय।
- ↑ तबताबाई, तारीख़े हदीसे शिया, 1388, खंड 1, पृष्ठ 134।
- ↑ इमादी हायरी, "साहिफा सज्जादियह", पेज 394-395।
- ↑ सदराई ख़ूई, फहरिस्तगाने नुसख़ाहाय ख़त्ती हदीस, 2002, खंड 9, पृष्ठ 456।
- ↑ इकना समाचार एजेंसी, "सहीफ़ा सज्जादिया कफ़अमी दर मशहद रूनुमाई शुद"।
- ↑ तबताबाई, तारीख़े हदीसे शिया, 1388, खंड 1, पृष्ठ 136।
- ↑ मजलिसी, अल-मुत्ताक़ीन, 1406 एएच, खंड 14, पृष्ठ 421।
- ↑ मजलेसी, रौज़ा अल-मुताक़ीन, 1406 एएच, खंड 14, पेज 421-422।
- ↑ बलाग़ी, सहीफा सज्जादिया का अनुवाद, 1369 एएच, पृष्ठ 249-252, द्वारा उद्धृत: हुसैनी तेहरानी, इमामोलॉजी, 1425 एएच, खंड 15, पृष्ठ 41।
- ↑ ज़की मुबारक, इस्लामिक सूफीवाद और साहित्य और नैतिकता, 2004, खंड 2, पृष्ठ 65।
- ↑ उद्धृत: मरअशी की पुस्तक का परिचय, पृष्ठ 43-45।
- ↑ देखें: कंदूज़ी, यनाबिअ अल-मवद्दत, 1422 एएच, खंड 3, पीपी 411-430।
- ↑ बलाग़ी, सहीफा सज्जादिया का अनुवाद, 1369 एएच, पृष्ठ 249-252, द्वारा उद्धृत: हुसैनी तेहरानी, इमाम शेनासी, 1425 एएच, खंड 15, पृष्ठ 41।
- ↑ चितीक, "सज्जादिया पुस्तक का परिचय", पेज 85-86।
- ↑ तबताबाई, तारीख़े हदीसे शिया, 1388, खंड 1, पृष्ठ 134।
- ↑ मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 एएच, खंड 107, पृष्ठ 59।
- ↑ आग़ा बुज़ूर्ग तेहरानी, अल-ज़रियह, 1403 एएच, खंड 15, पृष्ठ 18-19।
- ↑ मजलेसी, बिहार अल-अनवार, 1403 एएच, खंड 107, पृष्ठ 50
- ↑ मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 एएच, खंड 107, पृष्ठ 59।
- ↑ मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 एएच, खंड 107, पृष्ठ 59
- ↑ तबताबाई, तारीख़े हदीसे शिया, 1388, खंड 1, पृष्ठ 137।
- ↑ तबताबाई, तारीख़े हदीसे शिया, 1388, खंड 1, पृष्ठ 137।
- ↑ ख़ूई, मोजम रिजाल अल-हदीस, अल-ख़ूई इस्लामिक फाउंडेशन, खंड 15, पृष्ठ 185।
- ↑ खुमैनी, अल-मकासिब अल-मुहर्रमा, 1415 एएच, खंड 1, पृष्ठ 481।
- ↑ उदाहरण के लिए: शहीद सानी, अल-रौज़ा अल-बहियह, 1410 एएच, खंड 2, पृष्ठ 273; बहरानी, हदायक़ अल-नाज़ेरा, 1405 एएच, खंड 16, पृष्ठ 390; नजफ़ी, जवाहिर अल-कलाम, दार इहया अल-तुरास अल-अरबी, खंड 11, पृष्ठ 158; अंसारी, किताब अल-मकासिब, 1415 एएच, खंड 1, पृष्ठ 338; मशहदी, कन्ज़ अल-दक़़ायक तफ़सीर, 1368, खंड 2, पृष्ठ 237; तबताबाई, अल-मीज़ान, 1417 एएच, खंड 1, पृष्ठ 409।
- ↑ कलबासी, अल रसायल अल-रेजालिया, 1422 एएच, पेज 624-559।
- ↑ कलबासी, अल रसायल अल-रेजालिया, 1422 एएच, पेज 624-559।
- ↑ तबताबाई, शिया हदीस का इतिहास, 1388, खंड 1, पृष्ठ 136।
- ↑ तबताबाई, शिया हदीस का इतिहास, 1388, खंड 1, पृष्ठ 136।
- ↑ तबताबाई, शिया हदीस का इतिहास, 1388, खंड 1, पृष्ठ 136।
- ↑ तबताबाई, शिया हदीस का इतिहास, 1388, खंड 1, पृष्ठ 136।
- ↑ हुसैनी तेहरानी, इमाम शेनासी, 1425 एएच, खंड 15, पृष्ठ 110।
- ↑ तबताबाई, शिया हदीस का इतिहास, 1388, खंड 1, पृष्ठ 137।
- ↑ फ़हरी ज़ंजानी, सहीफ़ा सज्जादिया का विवरण और अनुवाद, 1388, खंड 1, पृष्ठ 20।
- ↑ फ़हरी ज़ंजानी, सहीफ़ा सज्जादिया का विवरण और अनुवाद, 1388, खंड 1, पृष्ठ 20।
- ↑ जलीसेह, "क़ज़ार और पहलवी काल में सज्जादियाह के संस्करणों पर एक संक्षिप्त नज़र", पृष्ठ 307।
- ↑ जलीसेह, "क़ज़ार और पहलवी काल में सज्जादियाह के संस्करणों पर एक संक्षिप्त नज़र", पृष्ठ 307।
- ↑ जलीसेह, "क़ज़ार और पहलवी काल में सज्जादियाह के संस्करणों पर एक संक्षिप्त नज़र", पृष्ठ 307।
- ↑ इमादी हायरी, "सहिफा सज्जादियह", पृष्ठ 392।
- ↑ सुबहानी, फंरहंग अक़ायद व मज़ाहिबे शिया, 1395, खंड 6, पृष्ठ 406।
- ↑ जाफ़रियान, हयाते फ़िकरी व सियासी इमामाने शिया, 2007, पृष्ठ 274।
- ↑ अंसारी, अहल अल-बैत (अ), 1428 एएच, पृष्ठ 279।
- ↑ खिलजी, असरार ख़ामोशान, 2003, खंड 1, पृष्ठ 127।
- ↑ जाफ़रियान, हयाते फ़िकरी व सियासी इमामाने शिया, 2007, पृष्ठ 274।
- ↑ जाफ़रियान, हयाते फ़िकरी व सियासी इमामाने शिया, 2007, पृष्ठ 274।
- ↑ जाफ़रियान, हयाते फ़िकरी व सियासी इमामाने शिया, 2007, पृष्ठ 275।
- ↑ उदाहरण के लिए, देखें: सहीफा सज्जादिया, प्रार्थना 47, अनुच्छेद 56; प्रार्थना 48, अनुच्छेद 9-10; और प्रार्थना 34.
- ↑ तुराबी, इमाम सज्जाद (अ.स.) जमाल नियाशगरान, 1373, पेज 286-287।
- ↑ तुराबी, इमाम सज्जाद (अ.स.) जमाल नियाशगरान, 1373, पेज 286-287।
- ↑ सुबहानी, इस्लामिक विश्वासों और धर्मों की संस्कृति, 1395, खंड 6, पृष्ठ 407।
- ↑ सहीफा सज्जादिया, सत्ताईसवीं प्रार्थना।
- ↑ हबीबी और शम्स अल-दीन, इमाम सज्जाद, सहिफ़ा सज्जादिया और रिसाला अल-हुूक़क़ की ग्रंथ सूची, 1394, पेज 273-293।
- ↑ किरमानी और रोज़बेह, आईना ए आसार: अहल अल-बेत की विश्व सभा का अनुवाद रिकॉर्ड, 1401, पृष्ठ 17।
- ↑ शीरानी, सहीफ़ा सज्जादिया, 1393।
- ↑ आयती, सहीफा सज्जादिया, 1375।
- ↑ इलाही क़ुमशई, साहिफ़ा सज्जादीया, 1389।
- ↑ फ़ूलादवंद, पेशवाय चेहरे बर खाक सायंदगान, 1379।
- ↑ महदवी दामग़ानी, लेस पसौम्स डी ल'इस्लाम, अल-हुदा।
- ↑ हबीबी और शम्स अल-दीनी, किताब शेनासी इमाम सज्जाद, सहीफ़ा सज्जादिया व रिसालह अल हुक़ूक़, 1394, पृष्ठ 289।
- ↑ हबीबी और शम्स अल-दीनी, किताब शेनासी इमाम सज्जाद, सहीफ़ा सज्जादिया व रिसालह अल हुक़ूक़, 1394, पृष्ठ 289।
- ↑ हबीबी और शम्स अल-दीनी, किताब शेनासी इमाम सज्जाद, सहीफ़ा सज्जादिया व रिसालह अल हुक़ूक़, 1394, पृष्ठ 289।
- ↑ आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-ज़रियह, 1403 एएच, खंड 3, पेज 345-359।
- ↑ तबताबाई, तारीख़े हदीसे शिया, 1388, खंड 1, पृष्ठ 138।
- ↑ फ़ैज़ अल-इस्लाम, सफ़ीहा कामिला सज्जादिया का अनुवाद और विवरण, 1376।
- ↑ अंसारियान, तफ़सीर और शरह सफ़ीहा सज्जादिया, 2013।
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- ↑ मोहम्मद अबतही, सहीफ़ा अल-सज्जादिया अल-कामेला, 1413 एएच।
- ↑ सदराई ख़ूई, फ़हरिस्तगाने नुसख़ाहाय ख़त्ती हदीस, 2002, खंड 9, पृष्ठ 456।
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- ↑ देखें: ग़ुलामी जलीसेह, सहीफ़ा सज्जादीया शोध पत्र, 2013; हबीबी और शम्सुलदीनी, इमाम सज्जाद, सहीफा सज्जादिया और रिसालह अल-हुक़ूक़ की ग्रंथ सूची, 1394।
- ↑ देखें: मुजफ्फर, अल-दलील इला मौज़ूआत अल-सहीफा अल-सज्जादिया, 1403 एएच।
- ↑ मुजफ्फर, अल-दलिल इला मौज़ूआत अल-साहिफा अल-सज्जादिया, 1403 एएच।
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- ↑ देरायती और अन्य, सहीफा सज्जादिया का विषयगत सूचकांक, 1377।
- ↑ अरफ़ा, हदीसे बंदगी, 2008
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- ↑ क़ुरैशी, अल-मोजम अल-मुफ़हरिस ले अलफ़ाज़ अल सहीफ़ा अल-कामेला, 1343 शम्सी।
- ↑ अहमदी, अल-मोजम अल-मुफ़हरिस ले अलफ़ाज़ सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1394 शम्सी।
स्रोत
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- खुमैनी, सैय्यद रूहुल्लाह, अल-मकासिब अल-मुहर्रमा, इमाम खुमैनी के कार्यों के संपादन और प्रकाशन के लिए संस्थान, 1415 एएच।
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- मजलेसी, मोहम्मद तक़ी, रौज़ा अल-मुत्तक़ीन, क़ुम, कुशनपुर इस्लामिक सांस्कृतिक संस्थान, 1406 एएच।
- मदनी, अली खान बिन अहमद, रियाज़ अल-सालेकीन फ़ी शरहे सहीफ़ा सैय्यद अल-साजेदीन, अल-नश्र अल-इस्लामी फाउंडेशन, मोहसिन होसैनी अमिनी द्वारा शोध। 1409 एएच
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