सहीफ़ा सज्जादिया की उनतालीसवीं दुआ
अन्य नाम | भलाई का आग्रह करने की दुआ |
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विषय | ईश्वर से क्षमा और दया माँगना, पाप से बचना, अपने अधिकार में दूसरों की बुराइयों को क्षमा करना |
प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतवक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
सहीफ़ा सज्जादिया की उनतालीसवीं दुआ (अरबीःالدعاء التاسع والثلاثون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओ में से एक है। जिसमे क्षमा और ईश्वरीय दया की माँग का उल्लेख है। इस दुआ में ईश्वर से किसी व्यक्ति के अस्तित्व में पाप की जड़ों को समाप्त करने का अनुरोध किया गया है और उन लोगों की क्षमा के लिए दुआ की गई है जिन्होंने लोगों के साथ अन्याय किया है। साथ ही अल्लाह से यह भी दुआ की जाती है कि यदि उसने किसी के अधिकार का हनन किया है जिसे वह वापस नहीं ले पा रहा है तो वह उसे इंसान से संतुष्ट कर दे और उसका अधिकार पूरा कर दे। इस दुआ में मनुष्य की रचना को ईश्वर की शक्ति के संकेत के रूप में देखा जाता है।
उनतालीसवी दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, हुसैन अंसारीयान की दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशाही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।
शिक्षाएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की उनतीसवीं दुआ में इमाम सज्जाद (अ) ईश्वर की दया पाने की कोशिश कर रहे हैं। इस दुआ में, चौथे इमाम अपने अधिकार में दूसरों की बुराइयों को क्षमा करने को ईश्वरीय दया प्राप्त करने का एक कारण बनाते है और ईश्वर से न्याय के बजाय फ़ज़ल से उसके साथ व्यवहार करने और उसे माफ करने का अनुरोध करते है।[१] इस दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:
- पाप मे पड़ने से बचने का अनुरोध
- पाप की जड़ो को समाप्त करने का अनुरोध
- ईमानवालों और मुसलमानों के उत्पीड़न से बचने का अनुरोध
- उन लोगों की क्षमा के लिए दुआ जिन्होंने लोगों के साथ अन्याय किया है
- दूसरों की क्षमा के कारण ईश्वर से क्षमा और दया की माँग करना
- दूसरों को क्षमा करना ईश्वरीय निकटता का माध्यम है
- क्षमा और दया मानव आध्यात्मिक उत्कृष्टता की भूमिका
- बुरे कर्मों का दण्ड सहना कठिन है
- अनुरोध करें कि प्रलय के दिन ईश्वर का न्याय मनुष्यों पर लागू नहीं किया जाएगा
- ईश्वरीय कृपा से वंचित होने पर मानव विनाश
- ईश्वर के पक्ष के आलोक में उसके न्याय के क्रियान्वयन से मुक्ति की माँग करना
- ईश्वर के लिए क्षमा करना कठिन नहीं है
- मनुष्य की रचना ईश्वर की शक्ति का प्रतीक है
- मनुष्य के कन्धों पर पापों का बोझ
- पाप करके मनुष्य का स्वयं पर अत्याचार
- सौभाग्य के लिए एक आदर्श बनने की मांग
- पाप करने पर सज़ा के पात्र होने की स्वीकृति
- भय और आशा में संयम बरतने और ईश्वर की दया और गौरव से निराशा से बचने की आवश्यकता
- पापों की अधिकता और पुण्यों के कम होने पर आत्म-निराशा
- पापियों की ईश्वरीय क्षमा की आशा
- धर्मात्माओं को अहंकारी होने और अपराधियों को निराश होने पर रोक
- अल्लाह ऐसे नामो से पवित्र है जिन नामो से प्राणीयो को पुकारा जाता है।अंसारीयान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 299-303 ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 263-277 शरह दुआ ए सीओ नोहुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी उनतालीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन असारियान की दयारे आशेक़ान,[२] मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[३] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[४] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की उनतीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[५] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[६] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[७] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[८] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[९] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१०]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | शीर्षक का टेक्स्ट | दुआ का अरबी उच्चारण |
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वकाना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो फ़ी तलबिल अफ़्वे वर रहमते | क्षमा और दया की दुआ | وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي طَلَبِ الْعَفْوِ وَ الرَّحْمَةِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, वकसुर शहवती अन कुल्ले महरमिन, वजवे हिरसी अन कुल्ले मासमिन, वमनअनी अन अज़ा क़ुल्ले मोमेनिन व मोमेनतिन, व मुस्लेमिन व मुस्लेमतिन | हे पालनहार! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और हर निषिद्ध मामले से मेरी इच्छा (बल) को तोड़ दे और मेरे लालच को हर पाप से दूर कर दे और मुझे हर ईमान वाली मुस्लिम और मुस्लिम महिला पर अत्याचार करने से रोक दे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اكْسِرْ شَهْوَتِي عَنْ كُلِّ مَحْرَمٍ، وَ ازْوِ حِرْصِي عَنْ كُلِّ مَأْثَمٍ، وَ امْنَعْنِي عَنْ أَذَى كُلِّ مُؤْمِنٍ وَ مُؤْمِنَةٍ، وَ مُسْلِمٍ وَ مُسْلِمَةٍ |
अल्लाहुम्मा व अय्योमा अब्दिन नाला मिन्नी मा हज़रत अलैहे, वन्तहका मिन्नी मा हजरता अलैहे, फ़मज़ा बेज़ुलामति मय्येतन, ओ हसलत ली क़ेबलहू हय्यन फ़ग्फ़िर लहू मा अलल्मा बेहि मिन्नी, वअफ़ो लहू अम्मा अदबरा बेहि अन्नी, वला तक़िफ़्हो अला मा अन्हुम फ़िय्या, व ला तकशिफ़हो अम्मक तसबा बी, वज्अल मा समहतो बेहि मेनल अफ़्विर तकब, व तबर्रअतो बेहि मिनस सदक़ते अलैहिम अज़का सदक़ातिल मुतसद़्देक़ीना, व आला सेलातिल मुतक़र्रेबीना | हे मेरे परमात्मा! जो कोई मेरे विषय में कोई ऐसा काम करता है, जिस से तू ने उसे मना किया है, और मेरी इज्जत पर हमला करता है, जिसे करने से तू ने उसे मना किया है, वह मेरे दंड से या जीवित अवस्था में इस संसार से उठ गया है, यदि उसका उत्तरदायित्व शेष रह जाए, तो उसे क्षमा कर दे, जिसने मेरे साथ अन्याय किया है उसे माफ कर दे जिसने मेरा हक छीन लिया है और उसने मेरे खिलाफ जो कुछ किया है उसके लिए उसे दन्ड ना दे और मुझे नाराज करने के लिए उसे अपमानित ना कर और माफ़ कर और माफ़ कर मैंने उनके लिए बलिदान दिया है और घोषणा करता हूं कि जो अनुग्रह और क्षमा मैंने उनके लिए आरक्षित की है, वह दान देने वालों के दान से अधिक शुद्ध है और निकटता चाहने वालों के उपहार से बेहतर है। | اللَّهُمَّ وَ أَيُّمَا عَبْدٍ نَالَ مِنِّي مَا حَظَرْتَ عَلَيْهِ، وَ انْتَهَكَ مِنِّي مَا حَجَزْتَ عَلَيْهِ، فَمَضَى بِظُلَامَتِي مَيِّتاً، أَوْ حَصَلَتْ لِي قِبَلَهُ حَيّاً فَاغْفِرْ لَهُ مَا أَلَمَّ بِهِ مِنِّي، وَ اعْفُ لَهُ عَمَّا أَدْبَرَ بِهِ عَنِّي، وَ لَا تَقِفْهُ عَلَى مَا عَنْهُمْ فِيَّ، وَ لَا تَكْشِفْهُ عَمَّا اكْتَسَبَ بِي، وَ اجْعَلْ مَا سَمَحْتُ بِهِ مِنَ الْعَفْوِ ارْتَكَبَ، وَ تَبَرَّعْتُ بِهِ مِنَ الصَّدَقَةِ عَلَيْهِمْ أَزْكَي صَدَقَاتِ الْمُتَصَدِّقِينَ، وَ أَعْلَي صِلَاتِ الْمُتَقَرِّبِينَ |
व अव्विज़नी मिन अफ़वी अन्हुम अफ़वका, वमिन दुआई लहुम रहमतका हत्ता यस्अदा कुल्लो वाहेदिन मिन्ना बेफ़ज़्लेका, व यनजोवा कुल्लुन मिन्ना बेमिन्नेका | और इस क्षमा और दया के बदले में, मुझे क्षमा कर और उनके लिए दुआ करने के पुरस्कार के रूप में अपनी दया से मुझे ऊंचा कर, ताकि हम में से प्रत्येक तेरी कृपा और दया के कारण खुश नसीब हो सके और तेरी खुशी और एहसान के कारण निजात पाए | وَ عَوِّضْنِي مِنْ عَفْوِي عَنْهُمْ عَفْوَكَ، وَ مِنْ دُعَائِي لَهُمْ رَحْمَتَكَ حَتَّى يَسْعَدَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنَّا بِفَضْلِكَ، وَ يَنْجُوَ كُلٌّ مِنَّا بِمَنِّكَ |
अल्लाहुम्मा व अय्योमा अब्दिन मिन अबीदेका अदरकहू मिन्नी दरकुन ओ मस्सेहू मिन नाहीयती अज़, ओ लहेक़हू बी ओ बेसबाबी ज़ुल्मुन फ़फ़ुत्तहू बेहक्केही, ओ सबक़तहू बेमज़लेमतेही, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व अरज़ेही अन्नी मिन वजदेका, व ओफ़ेही हक्क़ेहू मिन इंदेका | हे परमात्मा! तेरे बंदो में से जिस किसी को मुझसे कोई हानि पहुँची हो या मुझसे कोई कष्ट हुआ हो या मेरे द्वारा या मेरे कारण उसके साथ कोई अन्याय हुआ हो या मैंने उसका कोई अधिकार खो दिया हो या अपने किसी पीड़ित से अनुग्रह न माँगे। अतः मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और उसे अपने धन और उदारता के माध्यम से मुझसे सहमत कर और उसे अपने पास से उसका अधिकार मुक्त रूप से चुका। | اللَّهُمَّ وَ أَيُّمَا عَبْدٍ مِنْ عَبِيدِكَ أَدْرَكَهُ مِنِّي دَرَكٌ، أَوْ مَسَّهُ مِنْ نَاحِيَتِي أَذًى، أَوْ لَحِقَهُ بِي أَوْ بِسَبَبِي ظُلْمٌ فَفُتُّهُ بِحَقِّهِ، أَوْ سَبَقْتُهُ بِمَظْلِمَتِهِ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَرْضِهِ عَنِّي مِنْ وُجْدِكَ، وَ أَوْفِهِ حَقَّهُ مِنْ عِنْدِكَ |
सुम्मा केनी मा यूजेबो लहू हुक्मोका व ख़ल्लिसनी मिम्मा यहकोमो बेहि अदलोका, फ़इन्ना क़ुव्वती ला तसतक़ेलो बेनक़मतेका, व इन्ना ताकती ला तन्हज़ो बेसुखतेका, फ़इन्ना इन तोकाफ़ेनी बिल हक्के तोहलिकनी, व इल्ला तग़म्मदनी बेरहमतेका तूबिकनी | फिर जो कुछ मैं तेरे आदेश के अनुसार योग्य हूं उस से मुझे बचा, और जो कुछ तेरा न्याय चाहता है उस से मुझे छुड़ा। क्योंकि मुझमें तेरी सज़ा सहने का धैर्य नहीं है और तेरी नाराजगी झेलने का साहस नहीं है। तो यदि तू मुझे न्याय का बदला देगा। इसलिये वह मुझे मार डालेगा, और यदि उस ने मुझ पर दया न की, तो वह मुझे नष्ट कर देगा। | ثُمَّ قِنِي مَا يُوجِبُ لَهُ حُكْمُكَ، وَ خَلِّصْنِي مِمَّا يَحْكُمُ بِهِ عَدْلُكَ، فَإِنَّ قُوَّتِي لَا تَسْتَقِلُّ بِنَقِمَتِكَ، وَ إِنَّ طَاقَتِي لَا تَنْهَضُ بِسُخْطِكَ، فَإِنَّكَ إِنْ تُكَافِنِي بِالْحَقِّ تُهْلِكْنِي، وَ إِلَّا تَغَمَّدْنِي بِرَحْمَتِكَ تُوبِقْنِي. |
अल्लाहुम्मा इन्नी असतोहेबोका या इलाही मा ला युनक़ेसोका बज़लोहू, व अस्तहमेलोका, मा ला यब्हजोका हमलोहू | हे परमेश्वर! हे मेरे पालनहार! मैं तुझसे वह मांगता हूं जिसे देने में तेरे पास कोई कमी नहीं है, और मैं तुझ पर ऐसा बोझ डालना चाहता हूं जो तुझे गिरानबार नही बनाता। | اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَوْهِبُكَ يَا إِلَهِي مَا لَا يُنْقِصُكَ بَذْلُهُ، وَ أَسْتَحْمِلُكَ، مَا لَا يَبْهَظُكَ حَمْلُهُ |
असतोहेबोका या इलाही नफ़सी अल लती लम तखलुकहा लेतमतनेआ बेहा मिन सूइन ओ लेततर्रक़ा बेहा इला नफ़इन व लाकिन अनसातहा इस्बातन लेक़ुदरतेका अला मिस्लेहा व एहतेजाजन बेहा अला शकलेका | और मैं तुझसे इस आत्मा के लिए विनती करता हूं, जिसे तूने इसे नुकसान से बचाने या लाभ का रास्ता खोजने के लिए नहीं बनाया है, बल्कि इस मामले का सबूत देने और इसके बारे में एक तर्क लाने के लिए बनाया है कि तू ऐसे जीव बनाने में सक्षम हैं; | أَسْتَوْهِبُكَ يَا إِلَهِي نَفْسِيَ الَّتِي لَمْ تَخْلُقْهَا لَِتمْتَنِعَ بِهَا مِنْ سُوءٍ، أَوْ لِتَطَرَّقَ بِهَا إِلَى نَفْعٍ، وَ لَكِنْ أَنْشَأْتَهَا إِثْبَاتاً لِقُدْرَتِكَ عَلَى مِثْلِهَا، وَ احْتِجَاجاً بِهَا عَلَي شَكْلِهَا |
व असतहमेलोका मिन ज़ुनूबी मा क़द बहज़नी हमलोहू व असतईनो बेका अला मा क़द फ़दहनी सिक़्लोहू | और मैं तुझसे उन पापों से छुटकारा पाने के लिए दुआ करता हूं जो मुझ पर बोझ हैं, और मैं तुझसे उन पापों से सहायता मांगता हूं जिन्होंने मुझे असमर्थ किया है। | وَ أَسْتَحْمِلُكَ مِنْ ذُنُوبِي مَا قَدْ بَهَظَنِي حَمْلُهُ، وَ أَسْتَعِينُ بِكَ عَلَى مَا قَدْ فَدَحَنِي ثِقْلُهُ. |
फ़सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेही व हब लेनफ़सी अला ज़ुलमेहा नफ़सी व कुल्ले रहमतेका बेएहतेमाले इसरी, फ़कम क़द लहेकत रहमतोका बिल मुसीईना, व कम क़द शमेला अफ़वोकज़ ज़ालेमीना | बस मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मेरी आत्मा को इस तथ्य के बावजूद माफ कर दे कि उसने खुद पर अत्याचार किया है और मेरे पापों का बोझ उठाने के लिए अपनी दया कर, क्योंकि तेरी दया पापियों पर कितनी बार क्षमा और दया कर चुकी है | فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ هَبْ لِنَفْسِي عَلَى ظُلْمِهَا نَفْسِي، وَ وَكِّلْ رَحْمَتَكَ بِاحْتَِمالِ إِصْرِي، فَكَمْ قَدْ لَحِقَتْ رَحْمَتُكَ بِالْمُسِيئِينَ، وَ كَمْ قَدْ شَمِلَ عَفْوُكَ الظَّالِمِينَ. |
फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि वजअलनी उसवता मन क़द अन्हज़तहू बेतजावेज़ेका अन मसारेइल ख़ातेईना, व ख़ल्लसतहू बेतौफ़ीक़ेक़ा मिन वरतातिल मजरेमीना, फ़असबहा तलीका अफ़वेका मिन एसारे सुखतेका, व अत़ीक़ा सुन्ऐका मिन वसाक़े अदलेका | इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मुझे उन लोगों के लिए एक उदाहरण बना जिन्हें तूने अपनी क्षमा द्वारा ज़ालिमों के स्थानों से ऊपर उठाया है और जिन्हें तूने अपनी कृपा से पापियों की मृत्यु से बचाया है। अतः वे तेरी क्षमा से तेरी नाराजगी के बंधन से मुक्त हो गये और तेरी कृपा से न्याय के बंधन से मुक्त हो गये। | فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْعَلْنِي أُسْوَةَ مَنْ قَدْ أَنْهَضْتَهُ بِتَجَاوُزِكَ عَنْ مَصَارِعِ الْخَاطِئِينَ، وَ خَلَّصْتَهُ بِتَوْفِيقِكَ مِنْ وَرَطَاتِ الُْمجْرِمِينَ، فَأَصْبَحَ طَلِيقَ عَفْوِكَ مِنْ إِسَارِ سُخْطِكَ، وَ عَتِيقَ صُنْعِكَ مِنْ وَثَاقِ عَدْلِكَ. |
न्नका इन तफ़अल ज़ालेका या इलाही तफ़अलहो बेमन ला यजहदुस तेहक़ाक़ा उक़ूबतेका, वला योबर्रेओ नफ़सहू मिनस तीजाबिन नेक़ेमतेका | हे मेरे पालनहार! यदि तू मुझे क्षमा कर दें तो तेरा यह व्यवहार उसके साथ होगा जो दण्ड पाने से इन्कार नहीं करता और अपने को दण्ड पाने का दोषी नहीं मानता। | إِنَّكَ إِنْ تَفْعَلْ ذَلِكَ يَا إِلَهِي تَفْعَلْهُ بِمَنْ لَا يَجْحَدُ اسْتِحْقَاقَ عُقُوبَتِكَ، وَ لَا يُبَرِّئُ نَفْسَهُ مِنِ اسْتِيجَابِ نَقِمَتِكَ |
तफ़अल ज़ालेका या इलाही बेमन ख़ौफ़ोहू मिन्का अकसरो मिन तमेएही फ़ीका, व बेमन यासोहू मिनन नेजाते ओकदो मिन रजाऐही लिलखलासे, ला अन यक़ूना यासोहू क़ोनूतन, ओ अन यकूना तमओहुग तेरारन, बल लेक़िल्लते हसनातेही बैना सय्येअतेहि, व ज़अफ़े होजजेही फ़ी जमीए तबेआतेहि | हे मेरे परमात्मा! जिसका भय क्षमा की आशा से अधिक है, और जिसकी मुक्ति की निराशा मुक्ति की आशा से अधिक प्रबल है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि उसकी निराशा दया की निराशा है, या क्योंकि उसकी आशा भ्रम का परिणाम है, बल्कि इसलिए कि उसके गुणों की तुलना में उसके अवगुण कम हैं, और सभी मामलों में उसके बहाने कमजोर हैं। | تَفْعَلْ ذَلِكَ يَا إِلَهِي بِمَنْ خَوْفُهُ مِنْكَ أَكْثَرُ مِنْ طَمَعِهِ فِيكَ، وَ بِمَنْ يَأْسُهُ مِنَ النَّجَاةِ أَوْكَدُ مِنْ رَجَائِهِ لِلْخَلَاصِ، لَا أَنْ يَكُونَ يَأْسُهُ قُنُوطاً، أَوْ أَنْ يَكُونَ طَمَعُهُ اغْتِرَاراً، بَلْ لِقِلَّةِ حَسَنَاتِهِ بَيْنَ سَيِّئَاتِهِ، وَ ضَعْفِ حُجَجِهِ فِي جَمِيعِ تَبِعَاتِهِ |
फ़अम्मा अन्ता या इलाही फ़अहल अन ला यग़तर्रा बेकस सिद्दीक़ूना व ला ययअसा मिन्कल मुजरेमूना, लेअन्नाकल रब्बुल अज़ीमुल लज़ी ला यमनओ अहदुन फ़ज़्लहू, वला यसतक़सी मिन अहदिन हक़्क़हू | परन्तु हे मेरे परमेश्वर, यह दण्डनीय है कि धर्मी लोग तेरी दया पर गर्व करके धोखा न खाएँ, और पापी तुझ से निराश न हों, क्योंकि तू महान प्रभु है, जो किसी से अनुग्रह नहीं चाहता अपना अधिकार पूर्ण रूप से प्राप्त करता है। | فَأَمَّا أَنْتَ يَا إِلَهِي فَأَهْلٌ أَنْ لَا يَغْتَرَّ بِكَ الصِّدِّيقُونَ، وَ لَا يَيْأَسَ مِنْكَ الُْمجْرِمُونَ، لِأَنَّكَ الرَّبُّ الْعَظِيمُ الَّذِي لَا يَمْنَعُ أَحَداً فَضْلَهُ، وَ لَا يَسْتَقْصِي مِنْ أَحَدٍ حَقَّهُ |
तआला ज़िकरोका आनिल मुज़कोरीना, व तक़द्दसत असमाओका अनिल मनसूबीना व फ़शत नेअमतोका फ़ी जमीइल मख़लूक़ीना, फ़लकल हम्दो अला ज़ालेका या रब्बल आलामीना | तेरा ज़िक्र सब नामों से ऊंचा है और तेरे नाम उन सब नामों से अच्छे हैं जो इनसे जुड़े हैं। तेरा आशीर्वाद पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है, इसलिए इस संबंध में, सभी प्रशंसा और स्तुति तेरे लिए है, हे सभी दुनिया के पालनहार! | تَعَالَى ذِكْرُكَ عَنِ الْمَذْكُورِينَ، وَ تَقَدَّسَتْ أَسْمَاؤُكَ عَنِ الْمَنْسُوبِينَ، وَ فَشَتْ نِعْمَتُكَ فِي جَمِيعِ الَْمخْلُوقِينَ، فَلَكَ الْحَمْدُ عَلَى ذَلِكَ يَا رَبَّ الْعَالَمِينَ. |
फ़ुटनोट
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 263
- ↑ अंसारीयान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 299-303
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 259-277
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 133-139
- ↑ मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 5, पेज 292-338
- ↑ मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 449-459
- ↑ दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 479-488
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 237-290
- ↑ फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 75-76
- ↑ जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 195-199
स्रोत
- अंसारीयान, हुसैन, दयारे आशेक़ान, तफ़सीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
- जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
- दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
- फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
- फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
- मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
- मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
- ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी