सहीफ़ा सज्जादिया की दसवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की दसवीं दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयईश्वर की कृपा और दया का आश्रय लेना
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की 10वीं दुआ (अरबीः الدعاء العاشر من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओ में से एक है। इस दुआ में ईश्वर से अनुरोध किया गया है कि वह अपने सेवकों के साथ न्याय से नहीं, बल्कि अपनी कृपा से व्यवहार करे; क्योंकि कृपा के साथ व्यवहार करने की आवश्यकता क्षमा है, और न्याय के साथ व्यवहार करने की आवश्यकता दण्ड है, और सेवक ईश्वरीय दण्ड को सहन नहीं कर सकते। इस दुआ में मनुष्य की ईश्वर की आवश्यकता और मनुष्य की अवज्ञा में शैतान की प्रसन्नता का भी उल्लेख है। ईश्वर द्वारा मानवीय प्रार्थनाओं को स्वीकार करना अनिवार्य करना इस प्रार्थना के अन्य विषयों में से एक है।

यह दसवीं दुआ जिसकी विभिन्न व्याख्याएँ विभिन्न भाषाओ मे लिखी गई है जैसे कि फ़ारसी भाषा में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान और इसी तरह रियाज़ अल सालेकीन सय्यद अली खान मदनी की अरबी भाषा मे मौजूद है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की 10वीं दुआ का मुख्य विषय ईश्वर की कृपा और दया में शरण लेना और ईश्वर से मदद माँगना है। इस दुआ की शिक्षाएँ जो 6 मक़ाम पर[१] इमाम सज्जाद (अ) से जारी हुई है, इस प्रार्थना की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • ईश्वर से अपने सेवकों के साथ अपनी कृपा से व्यवहार करने का अनुरोध किया गया है न कि अपने न्याय से।
  • न्याय के साथ व्यवहार करने का लाज़मा सेवकों (बंदो) को दंडित करना है, और कृपा के साथ व्यवहार करने का लाज़मा उन्हें क्षमा करना है।
  • सेवकों को बचाने का एकमात्र तरीका भगवान की क्षमा है।
  • नौकर ईश्वरीय दंड सहन नहीं कर सकते।
  • ईश्वर की पूर्ण अनावश्यकता और मनुष्य को ईश्वर की आवश्यकता।
  • जो ईश्वर की दया से वंचित है उसकी क्रूरता।
  • गरीबी, संकट और गिरफ्तारी की स्वीकारोक्ति[२]
  • ईश्वर की ओर से प्रार्थनाओं का उत्तर देने और सेवकों की समस्याओं को हल करने का वादा।
  • शैतान और लोगों को धोखा देने के उसके उपकरणों को जानना
  • मनुष्य के पाप से शैतान को प्रसन्नता होती है
  • ईश्वर की अवज्ञा करने पर शैतान द्वारा मनुष्यों को फटकार लगाना[३]

व्याख्या

सहीफ़ा सज्जादिया की जो शरहे लिखी गई है उनमे इस नवीं दुआ की भी शरह की गई है। इस दुआ की शरह फ़ारसी भाषा में हुसैन अंसारियान द्वारा लिखित दयारे आशेक़ान,[४] मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही द्वारा लिखित किताब शहूद और शनाख़्त[५] और सय्यद अहमद फहरी द्वारा लिखित किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] में किया गया है।

इसी प्रकार यह दुआ दूसरी कुछ किताबो मे जैसे, सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ अल-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़नीया द्वारा लिखित फ़ी ज़ेलाल अल-साहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी द्वारा लिखित रियाज़ अल-आरेफ़ीन[९] और सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुलुलाह द्वारा लिखित किताब आफ़ाक अल-रूह[१०] मे इसका वर्णन अरबी भाषा में किया गया है। इसके अलावा इस दुआ को फ़ैज़ काशानी द्वारा लिखित किताब तअलीक़त अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया मे शाब्दिक विवरण में भी समझाया गया है।[११]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की दसवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो फ़िल लेजाए एलल्लाहे तआला सर्वशक्तिमान ईश्वर की शरण मांगने की दुआ وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي اللَّجَإِ إِلَي اللَّهِ تَعَالَي
अल्लाहुम्मा इन तशाओ तअफ़ो अन्ना फ़बेफ़ज़्लेका, व इन तशाओ तोअज़्ज़िबना फ़बेअदलेका हे ईश्वर! यदि तू हमें क्षमा करना चाहे, तो यह तेरी कृपा और दयालुता से है, और यदि तू हमें दंड देना चाहे, तो यह तेरा न्याय से है। اللَّهُمَّ إِنْ تَشَأْ تَعْفُ عَنَّا فَبِفَضْلِكَ، وَ إِنْ تَشَأْ تُعَذِّبْنَا فَبِعَدْلِكَ
फ़सह्हिल लना अफ़वका बेमन्नेका, व अजिरना मिन अज़ाबेका बेतजावोज़ेका, फ़इन्नहू ला ताक़ता लना बेअदलेका, व ला नजातन लेअहदिन मिन्ना दूना अफ़्वेका तू अपनी कृपा को ध्यान रखते हुए हमे पूर्ण रूप से क्षमा कर दे और हमारे पापो की अंदेखी करके अपनी दंड से बचा ले। इसलिए कि तेरे दंड को सहन करने की शक्ति नही है। और तेरी क्षमा के बिना हम मे से किसी एक की भी मुक्ति नहीं है। فَسَهِّلْ لَنَا عَفْوَكَ بِمَنِّكَ، وَ أَجِرْنَا مِنْ عَذَابِكَ بِتَجَاوُزِكَ، فَإِنَّهُ لَا طَاقَةَ لَنَا بِعَدْلِكَ، وَ لَا نَجَاةَ لِأَحَدٍ مِنَّا دُونَ عَفْوِكَ
या ग़नीय्यल अग़नियाए, हा, नहनो एबादोका बैना यदेयका, व अना अफ़क़रुल फ़ुक़राए इलैका, फ़ज्बुर फ़ाक़तना बेवुस्ऐका, व ला तक़्तअ रजाना बेमन्ऐका, फ़तकूना क़द अशक़य्ता मनिस तस्अदा बेका, व हरमता मनिस तरक़दा फ़ज़्लका हे बेनियाज़ो के बे नियाज़! हां तो हम सब तेरे सेवक हैं जो तेरे सामने खड़े है और मैं सब मोहताजो से बढ़ कर तेरा मोहताज हूं। अतः अपने ख़ज़ाने से हमारी दरिद्रता और एहतीयाज को भर दे, और अपने द्वार से पलटा कर हमारी आशाओ को मत तोड़। अन्यथा जो तुझ से सुख की कामना करता है वह तेरे यहा से दुखी होगा और जो तेरी कृपा और दया का तलबगार था वह तेरे यहां से वंचित होगा। يَا غَنِيَّ الْأَغْنِيَاءِ، هَا، نَحْنُ عِبَادُكَ بَيْنَ يَدَيْكَ، وَ أَنَا أَفْقَرُ الْفُقَرَاءِ إِلَيْكَ، فَاجْبُرْ فَاقَتَنَا بِوُسْعِكَ، وَ لَا تَقْطَعْ رَجَاءَنَا بِمَنْعِكَ، فَتَكُونَ قَدْ أَشْقَيْتَ مَنِ اسْتَسْعَدَ بِكَ، وَ حَرَمْتَ مَنِ اسْتَرْفَدَ فَضْلَكَ
फ़एला मन हीनाएज़िन मुंक़लबोना अनका, व एला ऐना मज़हबोना अन बाबेका, सुब्हानका नहनुल मुज़्तर्रूनल लज़ीना ओजब्ता इजाबतोहुम, व अहलुस सूइल लज़ीना वअदतल कश्फ़ा अन्हुम तो अब हम तुझे छोड़कर किस के पास जाएं और तेरा द्वार छोड़ कर जिसके द्वार पर जाए? तू इस से स्वच्छ और पवित्र है (कि तू हमे ठुकरा दे) हम ही वह ग़मगीन और बेबस है जिनकी प्रार्थनाएँ स्वीकार करना तूने अपने ऊपर अनिवार्य किया है और वह दर्दमंद है जिनके दुख दर्द और मुसीबतें दूर करने का वादा किया है। فَإِلَى مَنْ حِينَئِذٍ مُنْقَلَبُنَا عَنْكَ، وَ إِلَى أَيْنَ مَذْهَبُنَا عَنْ بَابِكَ، سُبْحَانَكَ نَحْنُ الْمُضْطَرُّونَ الَّذِينَ أَوْجَبْتَ إِجَابَتَهُمْ، وَ أَهْلُ السُّوءِ الَّذِينَ وَعَدْتَ الْكَشْفَ عَنْهُمْ
व अशबहूल अश्याए बेमशीयतेका, व औलल उमूरे बेका फ़ी अज़्मतेका रहमतुम मिनस तरहमका, व गौसो मनिस तग़ासा बेका, फ़रहम तज़र्रअना इलैका, व अग़नेना इज़ तरहना अंफोसना बैना यदेयका और सभी चीज़ो मे तेरी इच्छाओं के लिए सबसे समान चीजें और तेरी महिमा के लिए सबसे योग्य चीजें, यानी, तेरी महानता और भव्यता के क्षेत्र में, उस पर दया करना है जिसने तुझ से दया मांगी है और जो गिड़गिड़ाया है उस पर दया करना है तुझे; तो हमारी पुकार को अपनी दया तक ले आओ और हमारी पुकार तक पहुँच। क्योंकि हमने अपने आप को तेरे सामने ज़लील कर दिया है। وَ أَشْبَهُ الْأَشْيَاءِ بِمَشِيَّتِكَ، وَ أَوْلَى الْأُمُورِ بِكَ فِي عَظَمَتِكَ رَحْمَةُ مَنِ اسْتَرْحَمَكَ، وَ غَوْثُ مَنِ اسْتَغَاثَ بِكَ، فَارْحَمْ تَضَرُّعَنَا إِلَيْكَ، وَ أَغْنِنَا إِذْ طَرَحْنَا أَنْفُسَنَا بَيْنَ يَدَيْكَ
अल्लाहुम्मा इन्नश शैताना क़द शमेता बेना इज़ शायअनाहो अला मअसीयतेका, फ़सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, व ला तशमित्हो बेना बअदा तरकेना इय्याहो लका, व रग़बतेना अन्हो इलैका हे परमात्मा! जब हमने तेरी मुसीबत मे शैतान का अनुसरण किया तो उसने (हमरी इस कमज़ोरी पर) प्रसन्नता व्यक्त की। तू मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज। और जब हमने तेरी खातिर उसे छोड़ दिया और उससे अपना चेहरा मोड़ कर तेरी ओर ध्यान लगा चुके है तो फिर से उसके द्वारा पकड़े जाने पर उन्हें मीठा मत बना। اللَّهُمَّ إِنَّ الشَّيْطَانَ قَدْ شَمِتَ بِنَا إِذْ شَايَعْنَاهُ عَلَى مَعْصِيَتِكَ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ لَا تُشْمِتْهُ بِنَا بَعْدَ تَرْكِنَا إِيَّاهُ لَكَ، وَ رَغْبَتِنَا عَنْهُ إِلَيْكَ

फ़ुटनोट

  1. तरजुमा व शरह दुआ ए दहुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
  2. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1372 शम्सी, भाग 5, पेज 75-92; ममदूही, शहूद व शनाख़्त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 465-482
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1372 शम्सी, भाग 5, पेज 75-96; ममदूही, शहूद व शनाख़्त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 465-482
  4. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1372 शम्सी, भाग 5, पेज 75-96
  5. ममदूही, शहूद व शनाख़्त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 465-482
  6. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 519-525
  7. मदनी शिराज़ी, रियाज़ अल सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 2, पेज 425-441
  8. मुग़निया, फ़ी ज़ेलाले अल सहीफ़ा, पेज 159-165
  9. दाराबी, रियाज अल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 137-140
  10. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 275-284
  11. फ़ैज़ काशानी, तअलीक़ात अलस सहीफ़ा अल सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 34-35


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेक़ान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा अल सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल रूह, बैरुत, दार अल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तअलीक़ात अलस सहीफ़ा अल सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बोहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराजी, सय्यद अली ख़ान, रियाज़ अल सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यद अल साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी जेलालिस सहीफ़ा अल सज्जादिया, क़ुम, दार अल किताब अल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्दमा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी