सहीफ़ा सज्जादिया की बारहवीं दुआ
विषय | अपने पापों को स्वीकार करना और पश्चाताप की याचना करना • ईश्वर के प्रिय सेवकों की विशेषताएँ |
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प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतावक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
सहीफ़ा सज्जादिया की बारहवीं दुआ (अरबीः الدعاء الثاني عشر من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की पाप स्वीकारोक्ति और ईश्वर से पश्चाताप की मासूरा दुआओ में से एक है। इस दुआ में, हज़रत सज्जाद (अ) ने उन कारकों की भी जांच की है जो दुआ की सफलता, ईश्वर के प्रिय सेवकों की विशेषताओं, पश्चाताप के मार्ग के खुलेपन और पश्चाताप करने वाले व्यक्ति की स्थितियों को नकारते हैं।
बारहवीं दुआ की विभिन्न शरहे दुनिया की कई भाषाओ मे लिखी गई है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान और हसन ममदूही किरमानशाही की शनाख्त व शुहूद और अरबी भाषा मे रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित है।
शिक्षाएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की 12वीं दुआ का मुख्य विषय पाप की स्वीकारोक्ति, ईश्वर की ओर लौटने का अनुरोध, दुआ की तौफ़ीक़ समाप्त होने वाले कारक, तौबा करने वालो और ईश्वर के सर्वोत्तम बंदो की विशेषताएं है।[१] इस दुआ के 16 छंद[२] जो इमाम सज्जाद से बयान हुए है इस प्रकार हैं:
- दुआ की तौफ़ीक़ समाप्त करने वाले कारक: ईश्वरीय आदेशों को पूरा करने में आलस्य और दायित्वों की उपेक्षा, ईश्वर ने जो मना किया है उसकी ओर जल्दी करना, और नेमतो के लिए शुक्र की कमी (कुफ़राने नेमत)।
- ईश्वर का अनुग्रह ही सेवकों के ईश्वर में अच्छे विश्वास और उससे अनुरोधों का कारण है
- ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद सभी उसकी कृपा पर आधारित हैं।
- प्राणियों को ईश्वर की आवश्यकता
- पाप से मुक्ति में परमेश्वर से सफलता माँगना
- पाप और विद्रोह के परिणामों की चिंता करना
- पापियों के लिए पश्चाताप के मार्ग का खुला होना
- पश्चाताप करने के अवसर का लाभ उठाना
- पश्चाताप का द्वार खुला होने और ईश्वर की दया से निराश होने का निषेध
- तौबा करने वीले बंदे की हालत: नम्रता से झुकना, कदमों का कांपना, आँखों से आँसू बहना आदि।
- ईश्वर की क्षमा की आशा (परमेश्वर की दया बंदो के पश्चाताप के साथ उसके क्रोध पर हावी हो जाती है)
- परमात्मा की दया और क्षमा पाने की कोशिश करना
- ईश्वर की उपस्थिति में अपनी कमी स्वीकार करना
- सर्वोत्तम एवं सर्वाधिक लोकप्रिय बंदो के लक्षण: अहंकार का त्याग करना, पाप पर जोर देने से बचना तथा अपने लिए इस्तिग़फ़ार अनिवार्य समझना।
- ईश्वर पर भरोसा रखना और अभिमान तथा पापों पर जोर देने से क्षमा मांगना
- पापों के बुरे प्रभावों से बचने के लिए ईश्वर की शरण लेना और उसके द्वार पर आशा रखना
- ईश्वर पर भरोसा करना और उसकी शरण लेना और सत्य के सामने विनम्रता व्यक्त करना
- ईश्वर से आज्ञाकारिता के लिए प्रार्थना करना
- केवल उसी ईश्वर से डरें जो क्षमा के योग्य है।
- ईश्वर की शरण लेना ही सफलता का एकमात्र रास्ता है।
- दुआओ का उत्तर देने की ईश्वरीय गारंटी
- पापी सेवकों द्वारा भी ईश्वरीय आशीर्वाद का शोषण
- बंदे पाप करके अपने ऊपर अत्याचार करते हैं
- परमात्मा अपने सेवकों के छोटे-छोटे कार्यों और उनके प्रतिफल की प्रचुरता से प्रसन्न होता हैं। पाप स्वीकार करने और पश्चाताप करने के संबंध में हज़रत की दुआ[३]
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की बारहवीं दुआ का वर्णन फ़ारसी भाषा में हुसैन अंसारियन द्वारा दयारे आशेक़ान,[४] मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही द्वारा शनाख़त व शुहूद[५] और सैय्यद अहमद फहरी द्वारा तरजुमा व शरह सहीफा सज्जादियॉ जैसी पुस्तकों में किया गया है।[६]
बारहवीं दुआ अरबी व्याख्याओं में भी है, जिसमें सय्यद अली खान मदनी द्वारा रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुगनिया द्वारा फ़ी ज़िलाले सहीफा सज्जादिया[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद द्वारा रियाज़ अल-अरेफिन शामिल हैं। दाराबी[९] और सैय्यद महम्मद हुसैन फ़ज़्लुल्लाह[१०] द्वारा आफ़ाक़ अल-रुह मे अरबी में वर्णन किया गया है। इस दुआ के शब्दों को फ़ैज़ काशानी द्वारा तालीक़ात अलस सहीफा सज्जादिया के शाब्दिक विवरण में भी समझाया गया है।[११]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | अनुवाद | दुआ का अरबी उच्चारण |
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वकाना मिन दुआएही अलैहिस सलामो फ़िल ऐतराफ़े व तलबित तौबते ऐलल्लाहे तआला | पाप स्वीकार करने और पश्चाताप करने के संबंध में हज़रत की दुआ | وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي الاِعْتِرَافِ وَ طَلَبِ التَّوْبَةِ إِلَي اللهِ تَعَالَي |
अल्लाहुम्मा इन्नहू यहजोबोनि अन मस्अलतेका ख़ेलालुन सलासन, व तहदूनी अलैहा ख़ल्लतुन वाहेदतुन | हे अल्लाह! तीन चीज़ें मुझे तुझ से सवाल करने से रोकती हैं और एक चीज़ मुझे ऐसा करने के लिए प्रेरित करती है। जो बाते रोकती हैं | اللَّهُمَّ إِنَّهُ يَحْجُبُنِي عَنْ مَسْأَلَتِكَ خِلَالٌ ثَلَاثٌ ، وَ تَحْدُونِي عَلَيْهَا خَلَّةٌ وَاحِدَةٌ |
यहजोबोनि अमरुन अमरता बेहि फ़ब्तातो अन्हो, व नहयुन नहयतनि अन्हो फ़स्रअतो इलैहे, व नेअमतुन अन्अमता बेहा अलय्या, फ़क़स्सरतो फ़ी शुकरहा | उनमें से एक यह है कि मैं तेरी आज्ञा का पालन करने में देर कर रहा था। दूसरा यह कि जिस चीज़ से तूने मना किया था, मै उस ओर तेज़ी से आगे बढ़ा। तीसरा, तूने मुझे जो आशीर्वाद दिया उसके लिए मैं तेरा धन्यवाद करने में असफल रहा; | يَحْجُبُنِي أَمْرٌ أَمَرْتَ بِهِ فَأَبْطَأْتُ عَنْهُ ، وَ نَهْيٌ نَهَيْتَنِي عَنْهُ فَأَسْرَعْتُ إِلَيْهِ ، وَ نِعْمَةٌ أَنْعَمْتَ بِهَا عَلَيَّ فَقَصَّرْتُ فِي شُكْرِهَا . |
व यहदूनी अला मस्अलतेका तफ़ज़्ज़लक अला मन अक़बला बेवजहेहि इलैका, व वफ़दा बेहुस्ने ज़न्नेहि इलैका, इज़ जमीओ एहसानेका तफ़ज़्ज़ला, व इज़ कुल्ला नेअमेका इब्तेदाओ | और जो चीज मुझे सवाल करने का साहस देती है वह तेरी कृपा और दयालुता है जो हमेशा उन लोगों की स्थिति रही है जो तेरी ओर रुख करते हैं और जो अच्छे विश्वास के साथ आते हैं, क्योंकि तेरे सभी उपकार केवल तेरी कृपा के कारण हैं और तेरा हर आशीर्वाद बिना किसी पूर्व विशेषाधिकार के है। | وَ يَحْدُونِي عَلَى مَسْأَلَتِكَ تَفَضُّلُكَ عَلَى مَنْ أَقْبَلَ بِوَجْهِهِ إِلَيْكَ ، وَ وَفَدَ بِحُسْنِ ظَنِّهِ إِلَيْكَ ، إِذْ جَمِيعُ إِحْسَانِكَ تَفَضُّلٌ ، وَ إِذْ كُلُّ نِعَمِكَ ابْتِدَاءٌ |
फ़हा अना ज़ा, या इलाही, वाक़ेफ़ुन बेबाबे इज़्ज़के वुक़ूफ़ल मुस्तस्लेमिज ज़लीले, व साएलेका अलल हयाए मिन्नी सुआलल बाऐसिल मोईले | तो ठीक है, मेरे परमेश्वर! मैं तेरे ऐश्वर्य और महिमा के द्वार पर एक विनम्र और अपमानित बंदे की तरह खड़ा हूं और शर्म के साथ एक गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति की तरह मांगता हूं। | فَهَا أَنَا ذَا ، يَا إِلَهِي ، وَاقِفٌ بِبَابِ عِزِّكَ وُقُوفَ الْمُسْتَسْلِمِ الذَّلِيلِ ، وَ سَائِلُكَ عَلَى الْحَيَاءِ مِنِّي سُؤَالَ الْبَائِسِ الْمُعيِلِ |
मोक़िर्रो लका बेअन्नी लम असतस्लिम वक़त एहसानेका इल्ला बिलइक़लाआ अन इस्यानेका, वलम अखलो फ़ी अल हालाते कुल्लेहा मिन इनतेनानेका | इस बात को स्वीकार करते हुए कि तेरी कृपाओं के समय पाप से विमुख होने के सिवा कोई आज्ञा (जैसे स्तुति और धन्यवाद) नहीं कर सकता। और मैं किसी भी स्थिति में तेरे इनाम और दया से वंचित नहीं हूं। | مُقِرٌّ لَكَ بِأَنِّي لَمْ أَسْتَسْلِمْ وَقْتَ إِحْسَانِكَ إِلَّا بِالْإِقْلَاعِ عَنْ عِصْيَانِكَ ، وَ لَمْ أَخْلُ فِي الْحَالَاتِ كُلِّهَا مِنِ امْتِنَانِكَ . |
फ़हल यनफ़ओनि, या इलाही, इक़रारी इन्दका बेसूए मक तसबतो व हल युनहीनी मिन्का ऐतेराफ़ी लका बेकबीहे मर तकबतो अम ओजब्ता ली फ़ी मकामी हाज़ा सुखतका अम लज़मनी फ़ी वक़्ते दोआया मक़्तोका | तो क्या हे भगवान! बुरे कर्मों की यह स्वीकारोक्ति तेरी उपस्थिति में मेरे लिए लाभदायक हो सकती है और मेरे द्वारा किए गए बुरे कामों की स्वीकारोक्ति तेरे दंड से मुक्ति का साधन मानी जा सकती है। या कि तूने इस समय मुझ पर क्रोधित होने का निश्चय कर लिया है और दुआ के समय अपना क्रोध मुझ पर रोक रखा है?! | فَهَلْ يَنْفَعُنِي ، يَا إِلَهِي ، إِقْرَارِي عِنْدَكَ بِسُوءِ مَا اكْتَسَبْتُ وَ هَلْ يُنْجِينِي مِنْكَ اعْتِرَافِي لَكَ بِقَبِيحِ مَا ارْتَكَبْتُ أَمْ أَوْجَبْتَ لِي فِي مَقَامِي هَذَا سُخْطَكَ أَمْ لَزِمَنِي فِي وَقْتِ دُعَايَ مَقْتُكَ. |
सुब्हानका, ला अयासो मिन्का व कद फ़तहता ली बाबत तौबता इलैका, बल अक़ूलो मकालल अब्दिज़ ज़लीलिज़ ज़ालेमे लेनफ़्सेहिल मुस्तख़िफ़्फ़े बेहुरमते रब्बेहि | तो यह शुद्ध है। मैं तेरी दया से निराश नहीं हूं, क्योंकि तूने अपने दरबार में मेरे लिए पश्चाताप का द्वार खोल दिया है। इसके विपरीत, मैं उस अपमानित सेवक के बारे में बात कर रहा हूं जिसने अपनी आत्मा के साथ अन्याय किया और अपने प्रभु की पवित्रता पर विचार नहीं किया; | سُبْحَانَكَ ، لَا أَيْأَسُ مِنْكَ وَ قَدْ فَتَحْتَ لِي بَابَ التَّوْبَةِ إِلَيْكَ ، بَلْ أَقُولُ مَقَالَ الْعَبْدِ الذَّلِيلِ الظَّالِمِ لِنَفْسِهِ الْمُسْتَخِفِّ بِحُرْمَةِ رَبِّهِ . |
अल लज़ी अज़मतो ज़ुनूबोहो फ़जल्लत, व अदबरत अय्यामोह फ़वल्लत हत्ता इज़ा राआ मुद्दतल हमले क़दिन क़ज़त व ग़ायतल ओमोरे क़दिन तहत, व अयक़न अन्नहू ला महीसा लहू मिन्का, वला महरबा लहू अन्का, तलक़्क़ाका बिलइनाबते, व अख़लसा लकत तौबता, फ़क़ामा इलैका बेक़लबिन ताहेरिन नक़ी, सुम्मा दआका बेसौतिन हाऐलिन ख़फ़ी | जिसके पाप दिन प्रतिदिन बढ़ते जाते हैं, जिसके जीवन के दिन बीत गए और बीतते जा रहे हैं, यहां तक कि वह देख लेता है कि कर्म की अवधि समाप्त हो गई है और आयु अपनी अंतिम सीमा पर पहुंच गई है, और यह माना जाता है कि अब वह तेरे पास आया है तेरे पास भागने का कोई विकल्प और कोई रास्ता नहीं था, वह पूरे दिल से तेरी ओर मुड़ गया और सदक़ बैत के साथ तेरे सामने पश्चाताप किया। अब वह पूर्णतः पवित्र हृदय से तेरे सामने खड़ा था। फिर उसने कांपती आवाज में और दबे स्वर में तुझे बुलाया! | الَّذِي عَظُمَتْ ذُنُوبُهُ فَجَلَّتْ ، وَ أَدْبَرَتْ أَيَّامُهُ فَوَلَّتْ حَتَّى إِذَا رَأَى مُدَّةَ الْعَمَلِ قَدِ انْقَضَتْ وَ غَايَةَ الْعُمُرِ قَدِ انْتَهَتْ ، وَ أَيْقَنَ أَنَّهُ لَا مَحِيصَ لَهُ مِنْكَ ، وَ لَا مَهْرَبَ لَهُ عَنْكَ ، تَلَقَّاكَ بِالْإِنَابَةِ ، وَ أَخْلَصَ لَكَ التَّوْبَةَ ، فَقَامَ إِلَيْكَ بِقَلْبٍ طَاهِرٍ نَقِيٍّ ، ثُمَّ دَعَاكَ بِصَوْتٍ حَائِلٍ خَفِيٍّ . |
क़द तताता लका फ़न्हना, व नक्कस रासहू फ़न्सना, क़द अरअशत ख़शयतहू रिजलैयहे, व ग़र्रक़त दोमूओहू खद्दैयहे, यदऊका बेया अरहमर राहेमीना, व या अरहमा मन अन्ताबहुल मुस्तरहेमूना, व या आतफ़ा मन अताफ़ा बेहिल मुस्तग़फ़ेरूना, वया मन अफ़वोहू अकसरो मन नक़ेमतेहि, व या मन रज़ाहो ओफ़रो मिन सखतेहि | इस हालत में वह तेरे सामने नम्रता से झुक गया और सिर झुकाकर तेरे सामने झुक गया। उसके दोनों पैर डर के मारे काँप रहे हैं और उसके गालों पर आँसू बह रहे हैं। और तुझे इस तरह बुला रहा है। हे परम क़दयालु! हे परम दयालु, जिससे दया के चाहने वाले बार-बार दया की याचना करते हैं। हे परम दयालु, क्षमा मांगने वालों से घिरे हुए। हे वह जिसकी क्षमा उसके प्रतिशोध से अधिक महान है। | قَدْ تَطَأْطَأَ لَكَ فَانْحَنَى ، وَ نَكَّسَ رَأْسَهُ فَانْثَنَى ، قَدْ أَرْعَشَتْ خَشْيَتُهُ رِجْلَيْهِ ، وَ غَرَّقَتْ دُمُوعُهُ خَدَّيْهِ ، يَدْعُوكَ بِيَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ ، وَ يَا أَرْحَمَ مَنِ انْتَابَهُ الْمُسْتَرْحِمُونَ ، وَ يَا أَعْطَفَ مَنْ أَطَافَ بِهِ الْمُسْتَغْفِرُونَ ، وَ يَا مَنْ عَفْوُهُ أَكْثَرُ مِنْ نَقِمَتِهِ ، وَ يَا مَنْ رِضَاهُ أَوْفَرُ مِنْ سَخَطِهِ . |
व या मन तहम्मदा इला खलक़ेहि बेहुस्नित तजावोज़े, व या मन अव्वद ऐबादहू क़बूलल इनाबते, व या मनिस तसलहा फ़सेदहुम बित तौबते व या मन रज़ेया मिन फ़ेअलेहिम बिल यसीरे, व या मन काफ़ा क़लीलहुम बिलकसीरे, व या मन ज़मेना लहुम इजाबतत दुआए, व या मन वअदहुम अला नफ़ेसेहि बेतफ़ज़्ज़लेहि हुस्नल जज़ाए | हे वह जिसकी प्रसन्नता उसकी अप्रसन्नता से अधिक है। हे वह जो अपनी उत्कृष्ट क्षमा और दया के लिए प्राणियों की प्रशंसा का पात्र है। ऐ वह जिसने अपने बंदों की तौबा क़ुबूल कर ली! और पश्चात्ताप करके अपने बिगड़े कामों को सुधारना चाहिए। हे वह जो उनके छोटे-छोटे कामों से प्रसन्न होता है और छोटे-छोटे कामों के लिए बहुत अधिक पुरस्कार देता है। हे वह जिसने उनकी दुआ स्वीकार कर ली है! हे वह जिसने दयालुता और उपकार से सर्वोत्तम पुरस्कार का वादा किया है। | وَ يَا مَنْ تَحَمَّدَ إِلَى خَلْقِهِ بِحُسْنِ التَّجَاوُزِ ، وَ يَا مَنْ عَوَّدَ عِبَادَهُ قَبُولَ الْإِنَابَةِ ، وَ يَا مَنِ اسْتَصْلَحَ فَاسِدَهُمْ بِالتَّوْبَةِ وَ يَا مَنْ رَضِيَ مِنْ فِعْلِهِمْ بِالْيَسِيرِ ، وَ يَا مَنْ كَافَى قَلِيلَهُمْ بِالْكَثِيرِ ، وَ يَا مَنْ ضَمِنَ لَهُمْ إِجَابَةَ الدُّعَاءِ ، وَ يَا مَنْ وَعَدَهُمْ عَلَى نَفْسِهِ بِتَفَضُّلِهِ حُسْنَ الْجَزَاءِ . |
मा अना बेआसा मन असाका फ़ग़फ़रत लहू, व मा अना बिललौमे मन ऐतज़र इलैका फ़कब्बलता मिन्हो, व मा अना बिज़्ज़लमे मन ताबा इलैका फ़उदता अलैहे | मैं उन लोगों से अधिक पापी नहीं हूं जिन्होंने तेरे विरुद्ध पाप किया और तूने उन्हें क्षमा कर दिया, और मैं उन लोगों से अधिक दंड के योग्य नहीं हूं जिन्होंने तुझसे क्षमा मांगी और तूने उनकी क्षमा स्वीकार कर ली, और जिन्होंने तेरी उपस्थिति में पश्चाताप किया और तूने (पश्चाताप स्वीकार करके) उनका उपकार किया, मैं उनसे अधिक क्रूर नहीं। | مَا أَنَا بِأَعْصَى مَنْ عَصَاكَ فَغَفَرْتَ لَهُ ، وَ مَا أَنَا بِأَلْوَمِ مَنِ اعْتَذَرَ إِلَيْكَ فَقَبِلْتَ مِنْهُ ، وَ مَا أَنَا بِأَظْلَمِ مَنْ تَابَ إِلَيْكَ فَعُدْتَ عَلَيْهِ . |
अतूबो इलैका फ़ी मक़ामी हाज़ा तोबता नादेमे अला मा फ़रता मिन्हो मुशफ़ेक़े मिम्मा इज़्तमआ अलैहे, ख़ालेसिल हयाए मिम्मा वक़आ फ़ीहे | अत: मैं अपनी इस स्थिति पर विचार करके तेरे समक्ष पश्चाताप करता हूँ। एक ऐसे व्यक्ति का पश्चाताप जो अपने पिछले पापों पर पछतावा करता है और बहुत सारे पापों से डरता है और जो बुराइयाँ वह कर रहा है उन पर वास्तव में शर्मिंदा है। | أَتُوبُ إِلَيْكَ فِي مَقَامِي هَذَا تَوْبَةَ نَادِمٍ عَلَى مَا فَرَطَ مِنْهُ ، مُشْفِقٍ مِمَّا اجْتَمَعَ عَلَيْهِ ، خَالِصِ الْحَيَاءِ مِمَّا وَقَعَ فيِهِ |
आलेमे इलैका, बेअन्नल अफ़वा अनिज़ ज़म्बिल अज़ीमे ला यतआज़मोका, व अन्नत तजावोज़ा अनिल इस्मिल जलीले ला यसतसऐबोका, व अन्ना एहतेमालल जिनायातिल फ़ाहेशते ला यताकदोका, व अन्ना अहब्बा ऐबादेका इलैका मन तरकल इस्तिकबारा अलैका, व जानबल इसरारा, व लज़मल इस्तिग़फ़ारा | और आप जानते हैं कि तेरे लिए सबसे बड़े पाप को माफ करना कोई बड़ी बात नहीं है, और तेरे लिए सबसे बड़ी गलती को माफ करना मुश्किल नहीं है, और सबसे गंभीर अपराध को नजरअंदाज करने को तेरी बिल्कुल भी परवाह नहीं है तुझे वह अधिक प्रिय है जो तेरी अवज्ञा नहीं करता। पापों पर ज़ोर न दें और पश्चाताप और क्षमा का पालन करें। | عَالِمٍ لَيْكَ، بِأَنَّ الْعَفْوَ عَنِ الذَّنْبِ الْعَظِيمِ لَا يَتَعَاظَمُكَ ، وَ أَنَّ التَّجَاوُزَ عَنِ الْإِثْمِ الْجَلِيلِ لَا يَسْتَصْعِبُكَ ، وَ أَنَّ احْتِمالَ الْجِنَايَاتِ الْفَاحِشَةِ لَا يَتَكَأَّدُكَ ، وَ أَنَّ أَحَبَّ عِبَادِكَ إِلَيْكَ مَنْ تَرَكَ الاِسْتِكْبَارَ عَلَيْكَ ، وَ جَانَبَ الْاِصْرَارَ ، وَ لَزِمَ الاِسْتِغْفَارَ . |
व अना अबरओ इलैका मिन अन अस्तकबरो, व अऊज़ो बेका मिन अन असिर्रा, वसतग़फ़ेरोका लेमा कस्सरतो फ़ीहे, वस्तईनो बेका अला मा अजज़तो अन्हो | और मैं तेरी उपस्थिति में घमंड और अहंकार छोड़ रहा हूं और पापों पर जोर देने से तेरे चरणों की शरण लेता हूं और जो कुछ मैंने गलत किया है और जो काम करने में मैं असमर्थ हूं, उसके लिए मैं तुझसे मदद मांगता हूं। | وَ أَنَا أَبْرَأُ إِلَيْكَ مِنْ أَنْ أَسْتَكْبِرَ ، وَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ أَنْ أُصِرَّ ، وَ أَسْتَغْفِرُكَ لِمَا قَصَّرْتُ فِيهِ ، وَ أَسْتَعِينُ بِكَ عَلَى مَا عَجَزْتُ عَنْهُ . |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि व हब ली मा यहिब्बो अलय्या लका, व आफ़ेनि मिम्मा असतोजेबहू मिन्का, व अजिज़नी मिम्मा यख़ाफ़हू अहलुल इसाअते, फ़इन्नका मलेअन बिलअफ़वे, मरजुव्व लिलमग़फ़ेरते, मअरूफ़ुन बिततेजावोज़े, लैसा लिहाजती मत्तलबुन सिवाका, वला लज़ुम्बी ग़ाफ़ेरुन ग़ैरका, हाशाका | हे अल्लाह, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कल, और मुझे जो अधिकार मिलते हैं उन्हें माफ कर दे, और जो मैं जिसका हकदार हूं उससे मुझे माफ कर दे, और मुझे उस सजा से बचा ले जिससे पापियों को पीड़ा होती है जिसे तू माफ करने में सक्षम हैं। और केवल तुझसे ही क्षमा करने की आशा की जा सकती है, और तू क्षमा और दया के इस गुण के लिए जाना जाता हैं, और तेरे अलावा मेरी जरूरतों को पूरा करने के लिए कोई जगह नहीं है, और तेरे अलावा कोई भी मेरे पापों को माफ नहीं कर सकता है कोई दूसरा क्षमा करने वाला नहीं है | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ هَبْ لِي مَا يَجِبُ عَلَيَّ لَكَ ، وَ عَافِنِي مِمَّا أَسْتَوْجِبُهُ مِنْكَ ، وَ أَجِرْنِي مِمَّا يَخَافُهُ أَهْلُ الْإِسَاءَةِ ، فَإِنَّكَ مَلِيءٌ بِالْعَفْوِ ، مَرْجُوٌّ لِلْمَغْفِرَةِ ، مَعْرُوفٌ بِالتَّجَاوُزِ ، لَيْسَ لِحَاجَتِي مَطْلَبٌ سِوَاكَ ، وَ لَا لِذَنْبِي غَافِرٌ غَيْرُكَ ، حَاشَاكَ |
वला अख़ाफ़ो अला नफ़्सी इल्ला इय्याका, इन्नका अहलुत तक़वा व अहलुल मग़फ़ेरते, सल्ले अला मुहम्मदिन व आले मुहम्मद, व़क़ज़े हाजति, वअन्हेह तलबती वगफ़िर ज़म्बी व आमिन खौफ़ा नफ़्सी, इन्नका अला कुल्ले शैइन कदीर, व ज़ालेका अलैका यसीर, आमीन रब्बल आलामीन | और मुझे अपने लिए डर है, तो केवल तेरा। क्योंकि केवल तू ही है जो तुझ से डरने के योग्य है, और तू ही क्षमा करने के योग्य है। इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मेरी ज़रूरत पूरी कर और मेरी इच्छा पूरी कर। मेरे पापों को क्षमा कर दे और मेरे हृदय को भय से भर दो। क्योंकि उसके पास हर चीज़ पर अधिकार है और यह काम तेरे लिए आसान है। हे समस्त लोकों के स्वामी, मेरी दुआ स्वीकार कर! | وَ لَا أَخَافُ عَلَى نَفْسِي إِلَّا إِيَّاكَ ، إِنَّكَ أَهْلُ التَّقْوَى وَ أَهْلُ الْمَغْفِرَةِ ، صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ ، وَ اقْضِ حَاجَتِي ، وَ أَنْجِحْ طَلِبَتِي ، وَ اغْفِرْ ذَنْبِي ، وَ آمِنْ خَوْفَ نَفْسِي ، إِنَّكَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ ، وَ ذَلِكَ عَلَيْكَ يَسِيرٌ ، آمِينَ رَبَّ الْعَالَمِينَ . |
फ़ुटनोट
- ↑ ममदूही, किताब शहूद व शनाख्त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 505
- ↑ तरजुमा व शरह दुआ ए दवाज़दहुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1372 शम्सी, भाग 5, पेज 129-157; ममदूही, किताब शहूद व शनाख्त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 505-557
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1372 शम्सी, भाग 5, पेज 12-157
- ↑ ममदूही, किताब शहूद व शनाख्त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 505-557
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 15-62
- ↑ मदनी शिराजी, रियाज उस-सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 2, पेज 465-523
- ↑ मुग़निया, फ़ी ज़िलाले अल-सहीफ़ा, 1428 हिजरी, पेज 171-181
- ↑ दाराबी, रियाज उल-आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 145-158
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल-रुह, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 299-316
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स्रोत
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