सहिफ़ा सज्जादिया की चौदहवीं दुआ
विषय | उत्पीड़कों के विरुद्ध ईश्वर की सहायता मांगना • उत्पीड़न से सुरक्षित रहना |
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प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतावक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
साहिफ़ा सज्जादिया की चौदहवीं दुआ (अरबीःالدعاء الرابع عشر من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओं में से एक है, जो उत्पीड़कों के उत्पीड़न से छुटकारा पाने के लिए ईश्वर से मदद मांगती है। इस दुआ में, हज़रत सज्जाद (अ) उत्पीड़ितों के इतिहास के बारे में ईश्वर के ज्ञान का उल्लेख करते हैं और दुश्मन से घृणा और क्रोध पर काबू पाने के लिए ईश्वर से मदद मांगते हैं।
चौदहवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।
शिक्षाएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की 14वीं दुआ का मुख्य विषय मज़लूमो के लिए दुआ करना और अत्याचारीयो के खिलाफ भगवान से मदद मांगना है। इस दुआ में, ईश्वर से लोगों को अन्याय से बचाने और उनके क्रोध और घृणा पर काबू पाने और नैतिक बुराइयों से खुद को शुद्ध करने को महत्व देने के लिए भी कहा गया है।[१] इमाम सज्जाद (अ) द्वारा 16 पद्धो[२] मे जारी की गई चौदहवीं दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार है:
- उत्पीड़ितों के पिछले इतिहास के बारे में दिव्य ज्ञान की व्यापकता
- ईश्वर समस्त अस्तित्व में सर्वश्रेष्ठ गवाह है
- ईश्वर उत्पीड़ितों का मित्र और अत्याचारीयो का शत्रु है
- अत्याचार के विरोध की प्रशंसा और अत्याचार सहने की निंदा
- उत्पीड़कों की कमजोरी और मूर्खता
- जुल्म और अत्याचार के बारे में ईश्वर से शिकायत करना
- प्रत्येक स्थिति मे उबूदीयत का लिहाज
- दूसरों पर अत्याचार करने से बचाने का अनुरोध
- दूसरो पर अत्याचार करने से सुरक्षित रहने की दुआ करना
- दुशमन के क्रोध और उसकी जलन व कीने से सुरक्षित रहने की दुआ
- अत्याचार के सहन के मुक़ाबले मे ईश्वरी कृपा के प्राप्ती की दुआ
- केवल परमेश्वर ही बंदो का मुशकिल कुशा है
- अत्याचारीयो की चेतावनी और मजलूमो के लिए अत्याचार से निजात की दुआ
- लालच, प्रलोभन और इलाही गज़्ब से सुरक्षित रहने की दुआ
- अल्लाह से अज्र का आग्रह
- दुआ की स्वीकृति का अनुरोध
- ईमान बनाये रखने का अनुरोध
- मज़लूम को उस ज़ुल्म को सहन करता है उसमे परमेश्वर की परीक्षा है
- रज़ा और तसलीम के मकाम की प्राप्ति की दुआ (अगर इसमे खैर है कि हम अपने अधिकारो से वंछित हो तो हमारे अधिकारो को क़यामत तक हमे न मिलें, और इस संबंध मे हम खुदा धैर्य और साहस के खास्तगार है)[३]
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी चौदहवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[४] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[५] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की चौदहवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[९] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१०] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[११] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१२]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | अनुवाद | दुआ का अरबी उच्चारण |
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वकाना मिन दुआएहिस सलामो इज़ा ऐअतोदेआ अलैहे ओ राये मिनज ज़ालेमीना वला योहिब्बा | किसी दुष्ट या अत्याचारी से कुछ अप्रिय करने के अनुरोध के संबंध में हज़रत की दुआ | وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ إِذَا اعْْتُدِيَ عَلَيْهِ أَوْ رَأَي مِنَ الظَّالِمِينَ مَا لَا يُحِبُّ |
या मन ला यख़्फ़ा अलैहे अब्नाउल मुतज़ल्लेमीना | हे वह जिस से रोने वालों की चीख छिपी नहीं रहती! | يَا مَنْ لَا يَخْفَى عَلَيْهِ أَنْبَاءُ الْمُتَظَلِّمِينَ |
व या मन ला यहताजो फ़ी क़ससेहिम ऐला शहादातिश शाहेदीना | हे वह जिसे अपनी कहानियों की श्रृंखला में गवाहों की गवाही की आवश्यकता नहीं है! | وَ يَا مَنْ لَا يَحْتَاجُ فِي قَصَصِهِمْ إِلَى شَهَادَاتِ الشَّاهِدِينَ |
व या मन क़रोबत नुसरतोहू मिनल मजलूमीना | हे वह जिसकी सहायता उत्पीड़ितों की रकाब है; | وَ يَا مَنْ قَرُبَتْ نُصْرَتُهُ مِنَ الْمَظْلُومِينَ |
व या मन यओदा औनोहू अनिज़ ज़ालेमीना | और जिसकी सहायता ज़ालिमों से कोसो दूर है! | وَ يَا مَنْ بَعُدَ عَوْنُهُ عَنِ الظَّالِمِينَ |
क़द अलिम्ता, या इलाही, मा नालैयनी मिन फ़ुलैनिबने फ़लाने मिम्मा हज़रता वनतहकहू मिन्नी मिम्मा हजज़्ता अलैहे, बतरन फ़ी नेअमतेका इन्दहू, वग़तेरारन बेतकबीरेके अलैहे | हे मेरे पालनहार! तू जानता हैं कि तेरी नेमत की निंदा करने और तेरी समझ की उपेक्षा करने के कारण अमुक ने मुझे कितना नुकसान पहुँचाया है। जिस से तू ने उसे मना किया था, और वह मेरी बदनामी का दोषी था, जिस से तू ने उसे रोका था | قَدْ عَلِمْتَ ، يَا إِلَهِي ، مَا نَالَنِي مِنْ فُلَانِ بْنِ فُلَانٍ مِمَّا حَظَرْتَ وَ انْتَهَكَهُ مِنِّي مِمَّا حَجَزْتَ عَلَيْهِ ، بَطَراً فِي نِعْمَتِكَ عِنْدَهُ ، وَ اغْتِرَاراً بِنَكِيرِكَ عَلَيْهِ |
अल्लाहुम्मा फ़स्ल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, वख़ुज जालेमी वउदुव्वी अन ज़ल्लमी बेक़ुव्वतेका, वज्अल लहू शुग़लन फ़ीमा यलैयहे, व अज़्ज़न अम्मा योनावीहे | हे अल्लाह, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर, और अपनी शक्ति से उस व्यक्ति को रोक जो मुझ पर अत्याचार करता है और मुझसे शत्रुता करता है, और अपनी शक्ति से उसकी रणनीति को कुंद कर दे और उसे अपने कार्यों से रोक दे और उसे भ्रमित कर दे जिसके साथ वह स्वेच्छा से शत्रुता कर रहा है उसके प्रति असहाय है। | اللَّهُمَّ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ خُذْ ظَالِمِي وَ عَدُوِّي عَنْ ظُلْمِي بِقُوَّتِكَ ، وَ افْلُلْ حَدَّهُ عَنِّي بِقُدْرَتِكَ ، وَ اجْعَلْ لَهُ شُغْلًا فِيما يَلِيهِ ، وَ عَجْزاً عَمَّا يُنَاوِيهِ |
अल्लाहुम्मा फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेही, वख़ुज ज़ालेमी व अदुव्वी अन जलमी बेक़ुव्वतेका, वफलल हद्दहू अन्नी बेक़ुदरतेका, वज्अल लहू शुग़लन फ़ीमा यलैयले, व अजज़न अम्मा योनावीहे | हे पालनहार! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और उन्हें मुझ पर अत्याचार करने की खुली छूट न दे और उनके विरुद्ध अच्छे आचरण से मेरी सहायता कर और उनके बुरे कर्मों से मेरी रक्षा कर और ऐसी स्थिति में न आओण | اللَّهُمَّ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ خُذْ ظَالِمِي وَ عَدُوِّي عَنْ ظُلْمِي بِقُوَّتِكَ ، وَ افْلُلْ حَدَّهُ عَنِّي بِقُدْرَتِكَ ، وَ اجْعَلْ لَهُ شُغْلًا فِيما يَلِيهِ ، وَ عَجْزاً عَمَّا يُنَاوِيهِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वआलेहि वआदीनी अलैहे अदवय हाज़ेरतुन तकूनो मिन ग़ैयज़ी बेहि शिफ़ाअन व मिन हनक़ी अलैहे वफ़ाअन | हे अल्लाह, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और समय पर उसकी मदद कर जिससे मेरा गुस्सा शांत हो जाएगा और मेरे गुस्से का बदला मिल जाएगा। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ وَ أَعْدِنِي عَلَيْهِ عَدْوَى حَاضِرَةً ، تَكُونُ مِنْ غَيْظِي بِهِ شِفَاءً ، وَ مِنْ حَنَقِي عَلَيْهِ وَفَاءً |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि व अव्वज़िनी मिन ज़ल्लमेरि ली अफ़वका, व अब्दिलनी बेसूए सनीऐही बी रहमतेका, फ़कुल्लो मकरूहिन जलालुन दूना सख्तेका व कुल्लो मरज़ेअते सवाउन मअ मोहेदतेका | हे अल्लाह, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और उनके गलत कामों को माफ कर दे और उनके दुर्व्यवहार को माफ कर दे, क्योंकि हर अप्रिय चीज तेरी नाराजगी के खिलाफ एक कुल्हाड़ी है, और यदि आपकी नाराजगी के लिए नहीं, तो हर (छोटी और बड़ी) परेशानी आसान है। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ عَوِّضْنِي مِنْ ظُلْمِهِ لِي عَفْوَكَ ، وَ أَبْدِلْنِي بِسُوءِ صَنِيعِهِ بِي رَحْمَتَكَ ، فَكُلُّ مَكْرُوهٍ جَلَلٌ دُونَ سَخَطِكَ ، وَ كُلُّ مَرْزِئَةٍ سَوَاءٌ مَعَ مَوْجِدَتِكَ |
अल्लाहुम्मा फ़कमा कर्रहत ऐला अन अज़लमा फ़केनि मिन अन अज़लेमा | बारे इलाहा! जैसे तुम्हें मेरी नजर में जुल्म सहना नापसंद है, वैसे ही जुल्म करने से मुझे भी बचा ले। | اللَّهُمَّ فَكَمَا كَرَّهْتَ إِلَيَّ أَنْ أُظْلَمَ فَقِنِي مِنْ أَنْ أَظْلِمَ |
अल्लाहुम्मा ला अशकू इला अहदिन सवाका, वला अस्तईनो बेहाकेमिन गैरेका, हाशाक फसल्ले अला मुहम्मदिव वआलेहि, वसिल दुआई बिल इजाबते, वक़रिन शिकायती बित्तग़ीरे | हे परमात्मा! मैं तेरे सिवा किसी से शिकायत नहीं करता और तेरे सिवा किसी हाकिम से मदद नहीं चाहता। यदि मैं चाहूं तो मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और मेरी दुआ को स्वीकार कर और मेरी शिकायत को परिस्थितियों में बदलाव के साथ स्वीकार कर। | اللَّهُمَّ لَا أَشْكُو إِلَى أَحَدٍ سِوَاكَ ، وَ لَا أَسْتَعِينُ بِحَاكِمٍ غَيْرِكَ ، حَاشَاكَ ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ صِلْ دُعَائِي بِالْإِجَابَةِ ، وَ اقْرِنْ شِكَايَتِي بِالتَّغْيِيرِ |
अल्लाहुम्मा ला तफ़तिन्नि बिलकुनूते मिन इंसाफ़ेका, वला तफ़बनहो बिलअमने मिन इनकारेका, फ़यसिर्रो अला जल्लमी, वयोज़िरनी बेहक़्क़ेनि, व अर्रफ़हू अम्मा क़लीलिन मा औअदत ज़ज़ालेमीन, व अर्ऱिफनी मा वअदता मिन इजाबतिल मुज़तर्रीना | और मुझे इस तरह न आज़मा कि मैं तेरे इन्साफ़ और न्याय से निराश हो जाऊं, और न मेरे दुश्मन को इस तरह आज़मा कि वह तेरी सज़ा से न डरे और बराबर मुझ पर ज़ुल्म करता रहे और मेरे हक़ पर पानी फेर दे जो सज़ा तू ने उत्पीड़ितों को धमकाई है, और मुझे उस प्रार्थना की स्वीकृति का प्रभाव दिखा, जिसका तू ने असहायों से वादा किया है। | اللَّهُمَّ لَا تَفْتِنِّي بِالْقُنُوطِ مِنْ إِنْصَافِكَ ، وَ لَا تَفْتِنْهُ بِالْأَمْنِ مِنْ إِنْكَارِكَ ، فَيُصِرَّ عَلَى ظُلْمِي ، وَ يُحَاضِرَنِي بِحَقِّي ، وَ عَرِّفْهُ عَمَّا قَلِيلٍ مَا أَوْعَدْتَ الظَّالِمِينَ ، وَ عَرِّفْنِي مَا وَعَدْتَ مِنْ إِجَابَةِ الْمُضْطَرِّينَ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन वाआलेहि व वफ़्फ़िक़नि लेक़बूले मा क़ज़यता ली व अल्ला व रज्जेनी बेमा अख़ज़्ता ली व मिन्नी, वहदेनि लिल लती हेया अक़वमो, वस तअमिलनि बेमा होवा असलमो | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और जो कुछ भी तुने मेरे लिए तय किया है उसे स्वीकार करने का अवसर दे और जो कुछ तुने दिया है और जो कुछ तुने लिया है उससे मुझे संतुष्ट कर और मुझे सीधे रास्ते पर रख ऐसे कार्य में लगा जो विपत्ति और हानि से मुक्त हो। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ وَفِّقْنِي لِقَبُولِ مَا قَضَيْتَ لِي وَ عَلَيَّ وَ رَضِّنِي بِمَا أَخَذْتَ لِي وَ مِنِّي ، وَ اهْدِنِي لِلَّتِي هِيَ أَقْوَمُ ، وَ اسْتَعْمِلْنِي بِمَا هُوَ أَسْلَمُ |
अल्लाहुम्मा व इन कानतिल ख़ेयरतो ली इंदका फ़ी ताखीरिल अख़ज़े ली व तरकिल इंतेक़ामा मिम्मन ज़लमनि ऐला यौमिल फ़सले व मजमअ अल ख़स्मे फ़सल्ले अला मोहम्मदिन व आलेहि व अय्यदनी मिनका बय्येनतन सादेकतन व सब्रे दाएमन | हे पालनहार! यदि तेरे लिए यह बेहतर है कि मैं तेरी सजा को विलंबित कर दूं और उस व्यक्ति से बदला लेने को स्थगित कर दूं जिसने मेरे साथ अन्याय किया है, न्याय के दिन और दावेदारों के इकट्ठा होने तक, तू मुहम्मद और उनके परिवार पर दया कर और इरादे की सच्चाई से मेरी मदद कर और तेरी ओर से धैर्य ही धैर्य | اللَّهُمَّ وَ إِنْ كَانَتِ الْخِيَرَةُ لِي عِنْدَكَ فِي تَأْخِيرِ الْأَخْذِ لِي وَ تَرْكِ الِانْتِقَامِ مِمَّنْ ظَلَمَنِي إِلَى يَوْمِ الْفَصْلِ وَ مَجْمَعِ الْخَصْمِ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ أَيِّدْنِي مِنْكَ بِنِيَّةٍ صَادِقَةٍ وَ صَبْرٍ دَائِمٍ |
व आइदनि मिन सूइर रग़बते व हलअ अहलिल हिर्ज़े, व सव्विर फ़ी क़ल्बी मिसाला मद दखरता ली मिन सवाबेका, व आददता लेखसमेहि मिन जज़ाएका व ऐकाबेका वज्अल ज़ालेका सबबन लेकनाअति बेमा कज़्यता, व सेकॉति बेमा तखय्यरता | और मुझे लालची की अधीरता और बुरी इच्छा से बचा और जो इनाम तूने मेरे लिए रखा है और जो सजा तूने मेरे दुश्मन के लिए दी है, उसे मेरे दिल में स्थापित करें और इसे अपने निर्णय से सहमत कर जीने का और अपनी पसंदीदा चीजों में संतुष्टि और विश्वास का कारण। | وَ أَعِذْنِي مِنْ سُوءِ الرَّغْبَةِ وَ هَلَعِ أَهْلِ الْحِرْصِ ، وَ صَوِّرْ فِي قَلْبِي مِثَالَ مَا ادَّخَرْتَ لِي مِنْ ثَوَابِكَ ، وَ أَعْدَدْتَ لِخَصْمِي مِنْ جَزَائِكَ وَ عِقَابِكَ ، وَ اجْعَلْ ذَلِكَ سَبَباً لِقَنَاعَتِي بِمَا قَضَيْتَ ، وَ ثِقَتِي بِمَا تَخَيَّرْتَ |
आमीन रब्बल आलमीना, इन्नका ज़ुल फ़ज़्लिल अज़ीमे, व अन्ता अला कुल्ले शैइन कदीर | हे सारी दुनिया के पालनहार, मेरी प्रार्थना स्वीकार कर। वास्तव में, तू महान उदारता का भगवान हैं और कुछ भी आपकी शक्ति से परे नहीं है। | آمِينَ رَبَّ الْعَالَمِينَ ، إِنَّكَ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ ، وَ أَنْتَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ |
फ़ुटनोट
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 34
- ↑ तरजुमा व शरह दुआ ए चहारदहुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1372 शम्सी, भाग 5, पेज 223-290 ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 34-53
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1371 शम्सी, भाग 5, पेज 223-290
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 31-53
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 97-104
- ↑ मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 3, पेज 43-73
- ↑ मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 , पेज 191-201
- ↑ दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 171-182
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 333-350
- ↑ फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 38-39
- ↑ जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 90-93
स्रोत
- अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
- जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
- दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
- फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
- फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
- मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
- मुग़निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
- ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी