सहीफ़ा सज्जादिया की अठ्ठारहवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की अठ्ठारहवीं दुआ
शाबान 1102 हिजरी में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित, साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
शाबान 1102 हिजरी में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित, साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयविपत्ति दूर होने और मनोकामना पूरी होने पर ईश्वर का शुक्रिया करना
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की 18वीं दुआ (अरबीःالدعاء الثامن عشر من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओं में से एक है, जो दुर्भाग्य दूर होने या इच्छाएं पूरी होने पर पढ़ते हैं। इस दुआ में, हज़रत ज़ैन अल-आबेदीन (अ) मनुष्यों पर विपत्ति के ज्ञान के बारे में बात करते हैं और अच्छे भाग्य और विपत्तियों को दूर करने के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।

अठ्ठारहवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की 18वीं दुआ वह दुआ है जिसे इमाम सज्जाद (अ) दुशवारीयो के दूर हो जाने या उनकी इच्छाएँ पूरी हो जाने पर पढ़ते थे। ममदूही किरमानशाही वह इस दुआ को इमाम सज्जाद (अ) किसी भी स्थिति में ईश्वर और आख़िरत पर ध्यान देने का संकेत मानते हैं।[१] अठ्ठारहवी दुआ की शिक्षाओ को इमाम सज्जाद (अ) ने तीन पदो[२] मे इस प्रकार बयान किया हैं:

  • अच्छा भाग्य होने पर शुक्र
  • कल्याण और स्वास्थ्य से परे ईश्वर की दया माँगना
  • सांसारिक जीवन वास्तविक (परलोक) जीवन का पूर्ववर्ती है।
  • हर विपत्ति दूर होने के बाद ईश्वर का शुक्र करना।
  • ईश्वर और संसार को जानना प्रसन्नता का मार्ग है
  • मनुष्य पर विपत्ति का ज्ञान
  • जिसका अंत नहीं है वह महत्वपूर्ण और ध्यान के योग्य है (सांसारिक आशीर्वाद)
  • अनंत काल में जो समाप्त होता है वह बहुमूल्य और उल्लेखनीय है। (परलोक का आशीर्वाद)
  • परलोक का कल्याण इस संसार के कल्याण से बेहतर है।[३]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी अठ्ठारहवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[४] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[५] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की अठ्ठारहवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[९] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१०] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[११] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१२]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की अठ्ठारहवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो इज़ा दोफ़ेआ अन्हो मा यहज़रो, औ उज्जेला लहू मत्तलेबोहू आवश्यकताओं के निर्वहन या स्वीकृति के दौरान हज़रत की दुआ وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ إِذَا دُفِعَ عَنْهُ مَا يَحْذَرُ، أَوْ عُجِّلَ لَهُ مَطْلَبُهُ
अल्लाहुम्मा लकल हम्दो अला हुस्ने क़ज़ाएका, व बेमा सरफ़्ता अन्नी मिन बलाएका, फ़ला तज्अल हज़ी मिन रहमतेका मा अज्जलता लेया मिन आफ़ियतेका फ़अकूना क़द शफ़ीतो बेमा अहबबतो व सऐदा ग़ैरी बेमा करहतो हे परमेश्वर! तेरे उत्कृष्ट निर्णय और मेरी ओर से कॉल को दूर करने के लिए तेरी प्रशंसा है। तू अपनी रहमत के मेरे हिस्से को सिर्फ इस दुनियावी भलाई पर निर्भर मत कर, कि मैं इस चीज़ की वजह से (परलोक की) नेमतों से महरूम रह जाऊँ और जो चीज़ मुझे पसंद है उसकी वजह से किसी और को खुशी और प्रसन्नता मिले। उसके जैसा नहीं। اللَّهُمَّ لَكَ الْحَمْدُ عَلَى حُسْنِ قَضَائِكَ، وَ بِمَا صَرَفْتَ عَنِّي مِنْ بَلَائِكَ، فَلَا تَجْعَلْ حَظِّي مِنْ رَحْمَتِكَ مَا عَجَّلْتَ لِي مِنْ عَافِيَتِكَ فَأَكُونَ قَدْ شَقِيتُ بِمَا أَحْبَبْتُ وَ سَعِدَ غَيْرِي بِمَا كَرِهْتُ
व इन यकुन मा ज़लिलतो फ़ीहे ओ बत्ता फ़ीहे मिन हाज़ेहिल आफ़ीयते बैना यदय बलाइन ला यनक़तेओ व विजर ला यरतफ़ेओ फ़कद्दम ली मा अख़्ख़रता, व आख़िर अन्नी मा कद्दमता और यदि वह स्वास्थ्य जिसमें व्यक्ति दिन या रात बिताता है, एक शाश्वत परेशानी का अग्रदूत और स्थायी आपदा का प्रस्ताव बन जाता है, तो उसे प्राथमिकता दें जिसे तूने (मेहनत और दुःख) स्थगित कर दिया है और जो (स्वास्थ्य) (और स्वास्थ्य) इसे स्थगित कर दिया। وَ إِنْ يَكُنْ مَا ظَلِلْتُ فِيهِ أَوْ بِتُّ فِيهِ مِنْ هَذِهِ الْعَافِيَةِ بَيْنَ يَدَيْ بَلَاءٍ لَا يَنْقَطِعُ وَ وِزْرٍ لاَ يَرْتَفِعُ فَقَدِّمْ لِي مَا أَخَّرْتَ، وَ أَخِّرْ عَنّي مَا قَدَّمْتَ
फ़ग़यरो कसीरिन मा आक़ेबतोहतुल फ़नाओ, व ग़ैयरो क़लीलिन मा आक़ेबतोहुल बक़ाओ, व सल्ले आला मुहम्मदिव व आलेहि क्योंकि जिस चीज का परिणाम विनाश हो वह अधिक नहीं और जिस चीज का परिणाम जीवन हो वह कम नहीं। हे अल्लाह, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर। فَغَيْرُ كَثِيرٍ مَا عَاقِبَتُهُ الْفَنَاءُ، وَ غَيْرُ قَلِيلٍ مَا عَاقِبَتُهُ الْبَقَاءُ، وَ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 166
  2. तरजुमा व शरह दुआ ए चहारदहुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 103-104 ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 166-174
  4. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 103-104
  5. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 166-174
  6. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 187-191
  7. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 3, पेज 219-228
  8. मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 239-240
  9. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 225-226
  10. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 413-415
  11. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 45
  12. जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 107


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी