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सहीफ़ा सज्जादिया की चौवनवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की चौवनवीं दुआ
शाबान 1102 में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित साहिफ़ा सज्जादिया की पांडुलिपि
शाबान 1102 में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित साहिफ़ा सज्जादिया की पांडुलिपि
विषयआवश्यकताओ के पूरा होने पर ज़ोर, अल्लाह की सिफ़ात
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतवक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जदिया की चौवनवीं दुआ (अरबीःالدعاء الرابع والخمسون من الصحيفة السجادية), इमाम सज्जाद (अ) द्वारा दुःख और पीड़ा से मुक्ति के लिए पढ़ी जाने वाली दुआओं में से एक है। इस दुआ में ईश्वर को दुःखों का सर्वोत्तम निवारणकर्ता बताया गया है और ईश्वर से उत्तम भाग्य की कामना की गई है।

सहीफ़ा सज्जादिया की चौवनवीं दुआ की विभिन्न व्याख्याएँ है, इस दुआ की व्याख्याओ मे शुहूद व शनाखत फ़ारसी भाषा मे व्याख्या है जो हसन ममदूही किरमानशाही द्वारा लिखित है और अरबी भाषा मे किताब रियाज़ उस सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यद उस साजेदीन है जो सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित है।

शिक्षाएँ

चौवनवीं दुआ सहीफ़ा सज्जादिया की दुआओं में से एक है, जिसमें इमाम सज्जाद (अ) ईश्वर से अपने दुःख, पीड़ा और बेचैनी को दूर करने की दुआ करते हैं। हसन ममदूही किरमानशाही के ने इस दुआ की अपनी व्याख्या में कहा है कि सांसारिक और पारलौकिक मामलों के साथ-साथ भौतिक और आध्यात्मिक दुःख भी मानव जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है, और ऐसी स्थिति में, एक मोमिन केवल ईश्वर की ओर ही मुड़ता है।[]

इस दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • अल्लाह ही एकमात्र ऐसा हैं जो लालसाओं और दुखों को दूर करता है
  • जीवन में वुस्अत के लिए अल्लाह की सिफ़ात का सहारा लें
  • अल्लाह से सर्वोत्तम भाग्य और नियति (क़ज़ा व क़द्र) की दुआ करे
  • परमेश्वर से ऐसी व्यकित के लिए दुआ करना जिसकी ज़रूरतें बहुत ज़्यादा और शक्ति कम हो गई हो
  • सत्य, कर्म और नैतिकता पर आधारित मौत की दुआ करना
  • संसार से मुक्ति और अल्लाह की रज़ा की दुआ करें
  • बुरे अंजाम से बचने की दुआ करे
  • सत्य और निश्चितता की स्थिति प्राप्त करने की दुआ करें
  • अल्लाह के लिए वैसी ही लालसा की दुआ करें जैसी उससे प्रेम करने वालों की होती है
  • औलिया ए इलाही के तक़वे से डरने की दुआ करें
  • सभी मामलों में केवल अल्लाह पर भरोसा और आशा रखें
  • उपासकों का भय और मुत्तक़ीन की इबादत, मोमेनीन का निश्चय और विश्वासियों का विश्वास
  • कर्मों का सर्वोत्तम रिकॉर्ड मांगें
  • भय और आशा की स्थिति के रूप में वर्णित करने की आवश्यकता
  • अल्लाह की नेमते अल्लाह के सर्वोत्तम उपहारों में से हैं
  • शारीरिक कल्याण और स्वास्थ्य के लिए दुआ करे
  • भ्रामकता और प्रलोभन से मुक्ति की दुआ करें
  • दूसरों से डरे बिना, दीन के अहकाम का पालन करने में दृढ़ रहने की दुआ
  • खुदा का दुरूद व सलाम उसके चुने हुए लोगो और उनके परिवार पर बना रहे।[]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की चौवनवीं दुआ की भी व्याख्या दूसरी दुआओ की तरह की गई है। यह दुआ हुसैन अंसारियान की दयारे आशेक़ान[] हसन ममदूही किरमानशाही की शुहुद व शनाख्त,[] और सय्यद अहमद फ़हरी की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[] मे फ़ारसी भाषा मे व्याख्या की गई है।

सहीफ़ा सज्जादिया की चौवनवीं दुआ सय्यद अली खान मदनी की किताब रियाज़ उस सालेकीन[] मुहम्मद जवाद मुग़्निया की फी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया,[] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की रियाज़ उल आरेफ़ीन[] और सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह की आफ़ाक़ अल रूह[] मे इसका वर्णन अरबी में किया गया है। इस दुआ के शब्दों को फ़ैज़ काशानी द्वारा तालीक़ा अला अल-सहीफ़ा सज्जादियाह[१०] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी द्वारा शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया जैसी शाब्दिक टिप्पणियों में भी उल्लेक किया गया है।[११]

चौवनवीं दुआ का पाठ और अनुवाद

पाठ
पाठ और अनुवाद
अनुवाद

وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي اسْتِكْشَافِ الْهُمُومِ

व काना मिन दुआ एहि अलैहिस सलामो फ़िस तिकशाफ़िल हुमूमे

يَا فَارِجَ الْهَمِّ، وَ كَاشِفَ الْغَمِّ، يَا رَحْمَانَ الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ وَ رَحِيمَهُمَا، صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ، وَ افْرُجْ هَمِّي، وَ اكْشِفْ غَمِّي.

या फ़ारेजल हम्मे, व काशेफ़ल ग़म्मे, या रहमानद दुनिया वल आखेरते व रहीमहुमा, सल्ले अला मुहम्मदिन व आले मुहम्मद, वफ़रुज हम्मी, वकशिफ़ ग़म्मी

يَا وَاحِدُ يَا أَحَدُ يَا صَمَدُ يَا مَنْ‏ «لَمْ يَلِدْ وَ لَمْ يُولَدْ وَ لَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُواً أَحَدٌ»،اعْصِمْنِي وَ طَهِّرْنِي، وَ اذْهَبْ بِبَلِيَّتِي. وَ اقْرَأْ آيَةَ الْكُرْسِيِّ وَ الْمُعَوِّذَتَيْنِ وَ قُلْ هُوَاللهُ أَحَدٌ، وَ قُلْ:

या वाहेदा या अहदो या समदो या मन (लम यलिद वलम यूलद व लम यकुन लहू कुफ़ुवन एअसिमनी व तह्हिरनी व[१२], अहदुन इज़्हब बेबलीयती, व इक़्रा आयतल कुर्सी वल मोअव्वज़तैने व क़ुल होवल्लाहो अहद व क़ुलः

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ سُؤَالَ مَنِ اشْتَدَّتْ فَاقَتُهُ، وَ ضَعُفَتْ قُوَّتُهُ، وَ كَثُرَتْ ذُنُوبُهُ، سُؤَالَ مَنْ لَا يَجِدُ لِفَاقَتِهِ مُغِيثاً، وَ لَا لِضَعْفِهِ مُقَوِّياً، وَ لَا لِذَنْبِهِ غَافِراً غَيْرَكَ، يَا ذَا الْجَلَالِ وَ الْإِكْرَامِ أَسْأَلُكَ عَمَلًا تُحِبُّ بِهِ مَنْ عَمِلَ بِهِ، وَ يَقِيناً تَنْفَعُ بِهِ مَنِ اسْتَيْقَنَ بِهِ حَقَّ الْيَقِينَ فِي نَفَاذِ أَمْرِكَ.

अल्लाहुम्मा इन्नी अस्अलोका सोआला मनिश तद्दत फ़ाक़तहू, व ज़ओफ़त क़ुव्वतोहू, व कसोरत ज़ोनूबोहू, सोआला मन ला यजदो लेफ़ाक़तेही मोग़ीसन, वला लेज़अफ़ेहि मोक़व्वेयन, वला लेज़मबेही ग़ाफ़ेरन ग़ैरका, या ज़ल जलाले वल इकरामे अस्अलोका अमलन तोहिब्बो बेहि मन अमेला बेहि, व यक़ीनन तन्फ़ओ बेहि मनिसतक़ना बेहि हक़्क़ल यक़ीना फ़ी नफ़ाज़े अमरेका

اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ، وَ اقْبِضْ عَلَى الصِّدْقِ نَفْسِي، وَ اقْطَعْ مِنَ الدُّنْيَا حَاجَتِي، وَ اجْعَلْ فِيمَا عِنْدَكَ رَغْبَتِي شَوْقاً إِلَى لِقَائِكَ، وَ هَبْ لِي صِدْقَ التَّوَكُّلِ عَلَيْكَ.

अल्लाहुम्मा सल्ले ला मुहम्मदिन व आले मुहम्मद, वक़बिज़ अलस सिद्क़े नफ़सी, वक़्तअ मिनद दुनिया हाजती, वज्अल फ़ीमा इंदका रग़बति शौक़न एला लेक़ाएका, व हब ली सिदक़त तवक्कुलो अलैका

أَسْأَلُكَ مِنْ خَيْرِ كِتَابٍ قَدْ خَلَا، وَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ كِتَابٍ قَدْ خَلَا، أَسْأَلُكَ خَوْفَ الْعَابِدِينَ لَكَ، وَ عِبَادَةَ الْخَاشِعِينَ لَكَ، وَ يَقِينَ الْمُتَوَكِّلِينَ عَلَيْكَ، وَ تَوَكُّلَ الْمُؤْمِنِينَ عَلَيْكَ.

अस्अलोका मिन ख़ैरे किताबिन क़द ख़ला, व अऊज़ो बेका मिन शर्रे किताबिन क़द ख़ला, अस्अलोका ख़ौफ़ल आबेदीना लका, व एबादतल ख़ाशेईना लका, व यक़ीनल मुतवक्केलीना अलैका, व तवक्कोलल मोमेनीना अलैका

اللَّهُمَّ اجْعَلْ رَغْبَتِي فِي مَسْأَلَتِي مِثْلَ رَغْبَةِ أَوْلِيَائِكَ فِي مَسَائِلِهِمْ، وَ رَهْبَتِي مِثْلَ رَهْبَةِ أَوْلِيَائِكَ، وَ اسْتَعْمِلْنِي فِي مَرْضَاتِكَ عَمَلًا لَا أَتْرُكُ مَعَهُ شَيْئاً مِنْ دِينِكَ مَخَافَةَ أَحَدٍ مِنْ خَلْقِكَ.

अल्लाहुम मज्अल रग़बति फ़ी मस्अलती मिस्ला रग़बते औलेयाएका फ़ी मसाएलेहिम, व रहबती मिस्ला रहबते औलियाएका, वस्तअमिलनी फ़ी मरज़ातेका अमलन लतरोका मअहू शैअन मिन दीनेका मख़ाफ़ता अहदिन मिन ख़लक़ेका

اللَّهُمَّ هَذِهِ حَاجَتِي فَأَعْظِمْ فِيهَا رَغْبَتِي، وَ أَظْهِرْ فِيهَا عُذْرِي، وَ لَقِّنِّي فِيهَا حُجَّتِي، وَ عَافِ فِيهَا جَسَدِي.

अल्लाहुम्मा हाज़ेही हाजती फ़अज़िम फ़ीहा रग़बती, व अज़हिर फ़ीहा उज़री, व लक़्क़ेनी फ़ीहा हुज्जती, व आफ़े फ़ीहा जसदी

اللَّهُمَّ مَنْ أَصْبَحَ لَهُ ثِقَةٌ أَوْ رَجَاءٌ غَيْرُكَ، فَقَدْ أَصْبَحْتُ وَ أَنْتَ ثِقَتِي وَ رَجَائِي فِي الْأُمُورِ كُلِّهَا، فَاقْضِ لِي بِخَيْرِهَا عَاقِبَةً، وَ نَجِّنِي مِنْ مَضَلَّاتِ الْفِتَنِ بِرَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ.

अल्लाहुम्मा मन असबहा लहू सेक़तुन औ रजाउन ग़ैरोका, फ़क़द अस्बहतो व अंतो सेक़ती व रजाई फ़िल ओमूरे कुल्लेहा, वक़्ज़े ली बेख़ैरेहा आक़ेबतुन, व नज्जेनी मिन मज़ल्लातिल फ़ेताने बेरहमतेका या अरहमर राहेमीना

وَ صَلَّى اللهُ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ رَسُولِ اللهِ الْمُصْطَفَى وَ عَلَى آلِهِ الطَّاهِرِينَ.

व सल्लल्लाहो अला सय्यदेना मुहम्मदिन रसूलिल्लाहिल मुस्तफ़ा व अला आलेहित ताहेरीना

وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي اسْتِكْشَافِ الْهُمُومِ
दुःख और पीड़ा दूर करने के लिए दुआ
يَا فَارِجَ الْهَمِّ، وَ كَاشِفَ الْغَمِّ، يَا رَحْمَانَ الدُّنْيَا وَ الْآخِرَةِ وَ رَحِيمَهُمَا، صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ، وَ افْرُجْ هَمِّي، وَ اكْشِفْ غَمِّي.
हे दुःख और पीड़ा को दूर करने वाले, हे दुःख और शोक को दूर करने वाले, हे इस दुनिया और आख़िरत में दयालु और दोनों दुनियाओं में दया करने वाले, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मेरी चिंता और मेरे दुःख को दूर कर।
يَا وَاحِدُ يَا أَحَدُ يَا صَمَدُ يَا مَنْ‏ «لَمْ يَلِدْ وَ لَمْ يُولَدْ وَ لَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُواً أَحَدٌ»، اعْصِمْنِي وَ طَهِّرْنِي، وَ اذْهَبْ بِبَلِيَّتِي. وَ اقْرَأْ آيَةَ الْكُرْسِيِّ وَ الْمُعَوِّذَتَيْنِ وَ قُلْ هُوَاللهُ أَحَدٌ، وَ قُلْ:
हे अकेले, हे अद्वितीय! हे आत्मनिर्भर! हे वह जिसकी कोई संतान नहीं है, न वह किसी की संतान है, न उसका कोई साझीदार है, मेरी रक्षा कर और मुझे (पापों से) शुद्ध कर और मेरे दुःख और दर्द को दूर कर (इस मक़ाम पर आयतल कुर्सी, कुल आ ऊज़ो बेरब्बिन नास, कुल आ ऊज़ो बेरब्बिल फ़लक़ और कुल हुवल्लाहो अहद पढ़ें, और कहें:
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ سُؤَالَ مَنِ اشْتَدَّتْ فَاقَتُهُ، وَ ضَعُفَتْ قُوَّتُهُ، وَ كَثُرَتْ ذُنُوبُهُ، سُؤَالَ مَنْ لَا يَجِدُ لِفَاقَتِهِ مُغِيثاً، وَ لَا لِضَعْفِهِ مُقَوِّياً، وَ لَا لِذَنْبِهِ غَافِراً غَيْرَكَ، يَا ذَا الْجَلَالِ وَ الْإِكْرَامِ أَسْأَلُكَ عَمَلًا تُحِبُّ بِهِ مَنْ عَمِلَ بِهِ، وَ يَقِيناً تَنْفَعُ بِهِ مَنِ اسْتَيْقَنَ بِهِ حَقَّ الْيَقِينَ فِي نَفَاذِ أَمْرِكَ.
ऐ अल्लाह! मैं तुझसे एक ऐसे व्यक्ति के लिए दुआ करता हूँ जिसकी ज़रूरतें बहुत ज़्यादा हैं, जिसकी ताकत कमज़ोर है, और जिसके पाप बहुत ज़्यादा हैं, जैसे कि जिसकी ज़रूरत में कोई नहीं है, उसकी कमज़ोरी में कोई उसका साथ नहीं देता, और जिसे तेरे अलावा... ऐ ताक़त और शान वाले! गुनाहों को माफ़ करने वाला कोई नहीं। ऐ अल्लाह! मैं तुझसे एक ऐसा काम माँगता हूँ जिसके करने वाले से तू प्यार करेगा, और ऐसा यक़ीन कि जो कोई भी इसके ज़रिए पूरी तरह नेक होगा, तू उसे इसके ज़रिए फ़ायदा पहुँचाएगा।
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ، وَ اقْبِضْ عَلَى الصِّدْقِ نَفْسِي، وَ اقْطَعْ مِنَ الدُّنْيَا حَاجَتِي، وَ اجْعَلْ فِيمَا عِنْدَكَ رَغْبَتِي شَوْقاً إِلَى لِقَائِكَ، وَ هَبْ لِي صِدْقَ التَّوَكُّلِ عَلَيْكَ.
हे अल्लाह, मुहम्मद और आले मुहम्मद पर रहमत नाज़िल कर, और मुझे सच्चाई और धार्मिकता में मरने का अवसर दे, और इस दुनिया से मेरी ज़रूरत और चाहत को समाप्त कर दे, और जो चीज़ें तेरे पास हैं, उनके लिए मेरी इच्छा और लालसा को तुझसे मिलने की लालसा बना दे, और मुझे तुझ पर भरोसा करने की क्षमता प्रदान कर।
أَسْأَلُكَ مِنْ خَيْرِ كِتَابٍ قَدْ خَلَا، وَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ كِتَابٍ قَدْ خَلَا، أَسْأَلُكَ خَوْفَ الْعَابِدِينَ لَكَ، وَ عِبَادَةَ الْخَاشِعِينَ لَكَ، وَ يَقِينَ الْمُتَوَكِّلِينَ عَلَيْكَ، وَ تَوَكُّلَ الْمُؤْمِنِينَ عَلَيْكَ.
मैं तुझसे पूर्व-निर्धारित नियति की भलाई चाहता हूँ और पूर्व-निर्धारित नियति की बुराई से तेरी शरण चाहता हूँ। मैं तुझसे अपने उपासकों का भय, दीनता रखने वालों की उपासना, भरोसा रखने वालों का निश्चय और ईमान वालों का विश्वास चाहता हूँ।
اللَّهُمَّ اجْعَلْ رَغْبَتِي فِي مَسْأَلَتِي مِثْلَ رَغْبَةِ أَوْلِيَائِكَ فِي مَسَائِلِهِمْ، وَ رَهْبَتِي مِثْلَ رَهْبَةِ أَوْلِيَائِكَ، وَ اسْتَعْمِلْنِي فِي مَرْضَاتِكَ عَمَلًا لَا أَتْرُكُ مَعَهُ شَيْئاً مِنْ دِينِكَ مَخَافَةَ أَحَدٍ مِنْ خَلْقِكَ.
ऐ अल्लाह! मेरी चाहत और मांगने की उत्सुकता को अपने दोस्तों की चाहत और मांगने की उत्सुकता के समान बना दे, और मेरे डर को अपने दोस्तों के डर के समान बना दे, और मुझे अपनी प्रसन्नता और शुभ इच्छा के अनुसार कार्य करने दे, इस प्रकार कि मैं तेरे किसी प्राणी के डर से तेरे धर्म के किसी भी मामले को न छोड़ूं।
اللَّهُمَّ هَذِهِ حَاجَتِي فَأَعْظِمْ فِيهَا رَغْبَتِي، وَ أَظْهِرْ فِيهَا عُذْرِي، وَ لَقِّنِّي فِيهَا حُجَّتِي، وَ عَافِ فِيهَا جَسَدِي.
हे अल्लाह, यह मेरी आवश्यकता है, अतः इसके प्रति मेरा ध्यान और इच्छा बढ़ा दे, मेरा बहाना ज़ाहिर कर दे और मुझे इसके प्रमाण सिखा दे, और मेरे शरीर को इसमें स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान कर।
اللَّهُمَّ مَنْ أَصْبَحَ لَهُ ثِقَةٌ أَوْ رَجَاءٌ غَيْرُكَ، فَقَدْ أَصْبَحْتُ وَ أَنْتَ ثِقَتِي وَ رَجَائِي فِي الْأُمُورِ كُلِّهَا، فَاقْضِ لِي بِخَيْرِهَا عَاقِبَةً، وَ نَجِّنِي مِنْ مَضَلَّاتِ الْفِتَنِ بِرَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ.
ऐ अल्लाह! जो कोई भी तेरे सिवा किसी और से उम्मीद रखता है, मैं सुबह उठते ही यह जान लेता हूँ कि तू ही हर मामले में भरोसे और उम्मीद का केंद्र है। इसलिए मुझे मेरे कामों में बेहतरीन नतीजा दे और अपनी रहमत से मुझे उन मोह-माया से बचा जो मुझे गुमराह करती हैं। ऐ सर्वाधिक रहम करने वाले!
وَ صَلَّى اللهُ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ رَسُولِ اللهِ الْمُصْطَفَى وَ عَلَى آلِهِ الطَّاهِرِينَ.
और अल्लाह हमारे मालिक और प्रमुख, अल्लाह के रसूल, मुहम्मद मुस्तफा और उनके पवित्र परिवार रहमत नाज़िल कर।

दुःख और पीड़ा दूर करने के लिए दुआ

हे दुःख और पीड़ा को दूर करने वाले, हे दुःख और शोक को दूर करने वाले, हे इस दुनिया और आख़िरत में दयालु और दोनों दुनियाओं में दया करने वाले, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मेरी चिंता और मेरे दुःख को दूर कर।

हे अकेले, हे अद्वितीय! हे आत्मनिर्भर! हे वह जिसकी कोई संतान नहीं है, न वह किसी की संतान है, न उसका कोई साझीदार है, मेरी रक्षा कर और मुझे (पापों से) शुद्ध कर और मेरे दुःख और दर्द को दूर कर (इस मक़ाम पर आयतल कुर्सी, कुल आ ऊज़ो बेरब्बिन नास, कुल आ ऊज़ो बेरब्बिल फ़लक़ और कुल हुवल्लाहो अहद पढ़ें, और कहें:

ऐ अल्लाह! मैं तुझसे एक ऐसे व्यक्ति के लिए दुआ करता हूँ जिसकी ज़रूरतें बहुत ज़्यादा हैं, जिसकी ताकत कमज़ोर है, और जिसके पाप बहुत ज़्यादा हैं, जैसे कि जिसकी ज़रूरत में कोई नहीं है, उसकी कमज़ोरी में कोई उसका साथ नहीं देता, और जिसे तेरे अलावा... ऐ ताक़त और शान वाले! गुनाहों को माफ़ करने वाला कोई नहीं। ऐ अल्लाह! मैं तुझसे एक ऐसा काम माँगता हूँ जिसके करने वाले से तू प्यार करेगा, और ऐसा यक़ीन कि जो कोई भी इसके ज़रिए पूरी तरह नेक होगा, तू उसे इसके ज़रिए फ़ायदा पहुँचाएगा।

हे अल्लाह, मुहम्मद और आले मुहम्मद पर रहमत नाज़िल कर, और मुझे सच्चाई और धार्मिकता में मरने का अवसर दे, और इस दुनिया से मेरी ज़रूरत और चाहत को समाप्त कर दे, और जो चीज़ें तेरे पास हैं, उनके लिए मेरी इच्छा और लालसा को तुझसे मिलने की लालसा बना दे, और मुझे तुझ पर भरोसा करने की क्षमता प्रदान कर।

मैं तुझसे पूर्व-निर्धारित नियति की भलाई चाहता हूँ और पूर्व-निर्धारित नियति की बुराई से तेरी शरण चाहता हूँ। मैं तुझसे अपने उपासकों का भय, दीनता रखने वालों की उपासना, भरोसा रखने वालों का निश्चय और ईमान वालों का विश्वास चाहता हूँ।

ऐ अल्लाह! मेरी चाहत और मांगने की उत्सुकता को अपने दोस्तों की चाहत और मांगने की उत्सुकता के समान बना दे, और मेरे डर को अपने दोस्तों के डर के समान बना दे, और मुझे अपनी प्रसन्नता और शुभ इच्छा के अनुसार कार्य करने दे, इस प्रकार कि मैं तेरे किसी प्राणी के डर से तेरे धर्म के किसी भी मामले को न छोड़ूं।

हे अल्लाह, यह मेरी आवश्यकता है, अतः इसके प्रति मेरा ध्यान और इच्छा बढ़ा दे, मेरा बहाना ज़ाहिर कर दे और मुझे इसके प्रमाण सिखा दे, और मेरे शरीर को इसमें स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान कर।

ऐ अल्लाह! जो कोई भी तेरे सिवा किसी और से उम्मीद रखता है, मैं सुबह उठते ही यह जान लेता हूँ कि तू ही हर मामले में भरोसे और उम्मीद का केंद्र है। इसलिए मुझे मेरे कामों में बेहतरीन नतीजा दे और अपनी रहमत से मुझे उन मोह-माया से बचा जो मुझे गुमराह करती हैं। ऐ सर्वाधिक रहम करने वाले!

और अल्लाह हमारे मालिक और प्रमुख, अल्लाह के रसूल, मुहम्मद मुस्तफा और उनके पवित्र परिवार रहमत नाज़िल कर।

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फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 4, पेज 380
  2. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 4, पेज 380-394 शरह फ़राज़हाए दुआ पंजाहो चहारुम सहीफ़ा अज़ साइट इरफ़ान
  3. अंसारीयान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 631-640
  4. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 4, पेज 377-394
  5. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 577-583
  6. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 7, पेज 413-446
  7. मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 661-667
  8. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 731-738
  9. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 636-646
  10. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 103-105
  11. जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 299-301
  12. तौहीदः3

स्रोत

  • अंसारीयान, हुसैन, दयारे आशेक़ान, तफ़सीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम ए आज़ादी, 1372 शम्सी
  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी