सहीफ़ा सज्जादिया की पाँचवीं दुआ

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साहिफ़ा सज्जादिया की पांचवीं दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयअपने, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए सीधे रास्ते पर स्थिर रहने और नेमतो, मार्गदर्शन, ईश्वर से निकटता और सुरक्षा की दुआ
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


साहिफ़ा सज्जादिया की पांचवीं दुआ (अरबीः الدعاء الخامس من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओं में से एक है, जिसे उन्होने अपने, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए सीधे रास्ते पर स्थिर रहने और नेमतो, मार्गदर्शन, ईश्वर से निकटता और सुरक्षा की दुआ की। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) ने सृष्टि के अंतहीन आश्चर्यों, ईश्वर की दया से प्यार करने के प्रभाव, ईश्वर के आशीर्वाद पर ध्यान देने और ईश्वर की संप्रभुता की अनंतता का भी उल्लेख किया है।

पाँचवीं दुआ की विभिन्न शरहे दुनिया की कई भाषाओ मे लिखी गई है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान और अरबी भाषा मे रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की पाँचवीं प्रार्थना का मुख्य विषय अपने लिए, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए सीधे रास्ते पर स्थिर रहने और ईश्वर की सेवा करने के लिए दुआ करना, साथ ही आशीर्वाद, मार्गदर्शन और सुरक्षा माँगना है। इस दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • सृष्टि के अनंत आश्चर्य ईश्वर की महानता के संकेत हैं।
  • ईश्वर की संप्रभुता की अनंतता
  • इस संसार के अपमान और परलोक की यातना से मुक्ति के लिए दुआ
  • उस ईश्वर से दया माँगना जिसकी दया अमर है।
  • ईश्वर से निकटता के लिए अनुरोध
  • ईश्वर से मानवीय गरिमा की दुआ
  • उस ईश्वर से क्षमा मांगना जो मनुष्यों के सभी रहस्यों और अंतरतम को जानता है।
  • ईश्वर की दया से जुड़े रहने का प्रभाव: (किसी और चीज़ की आवश्यकता न होना और दूसरों से अलग होने का डर न होना)
  • शत्रुओं के आक्रमण से ईश्वर की योजना का आश्रय लेना और समय की घटनाओं से सुरक्षित रहना
  • शैतान के जाल की दुष्टता से मुक्ति माँगना
  • ईश्वर से सुरक्षा और मार्गदर्शन का आशीर्वाद माँगना
  • दिल के स्वास्थ्य और शरीर के आराम की कामना करना और सच्चाई की स्मृति और आशीर्वाद के लिए कृतज्ञता के साथ बोलना
  • हर अपमानजनक और गुमराह करने वाली शक्ति की बुराई से ईश्वर की सहायता और मार्गदर्शन की शरण लेना
  • सम्मान और दिव्य उपहार के लिए अनुरोध
  • भगवान की महानता और आशीर्वाद पर ध्यान दें
  • दिव्य पुकारने वालों की स्थिति की महानता (भगवान को पुकारना, स्वयं को नहीं)[१]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी पाँचवीं दुआ के विभिन्न भागो का भी वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है।[२] इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त,[३] मुहम्मद तक़ी ख़ल्जी की किताब असरार ख़ामोशान[४] और कुछ दूसरी किताबो मे इस दुआ की फ़ारसी भाषा मे व्याख्या की गई है।

इस दुआ के अलावा मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[५] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[६] और कुछ दूसरी किताबो जैसे सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[७] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह और सय्यद अली ख़ान मदनी कि किताब रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ातुस साजेदीन[८] मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया मे विस्तार से वर्णन किया गया है।[९]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की पाँचवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
वकाना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो लेनफ़्सेहि व लेअहले विलायतेहि इमाम सज्जाद (अ) की दुआ स्वंय, अपने रिश्तेदारो और अपने दोस्तों के लिए है وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ لِنَفْسِهِ وَ لِأَهْلِ وَلَايَتِهِ
या मन ला तनक़ज़ि अजाएबो अज़मतेहि, सल्ले अला मुहम्मदिव वआलेहि, वहजुब्ना अन अल-इल्हादे फ़ी अज़मतेका हे, वह जिसकी महानता के चमत्कार ख़त्म नहीं होते! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और हमें अपनी महानता के खिलाफ लड़ने से रोक। يَا مَنْ لَا تَنْقَضِي عَجَائِبُ عَظَمَتِهِ، صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ احْجُبْنَا عَنِ الْإِلْحَادِ فِي عَظَمَتِكَ
वया मन ला तन्तहि मुद्दतो मुल्केहि, सल्ले अला मुहम्मदिनव वा आलेहि, वआतिक़ रेक़ाबना मिन नक़ेमतेका और जिसका राज ख़त्म नहीं होता! मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार पर दुरूद भेज और हमें अपनी सजा से मुक्त कर। وَ يَا مَنْ لَا تَنْتَهِي مُدَّةُ مُلْكِهِ، صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَعْتِقْ رِقَابَنَا مِنْ نَقِمَتِكَ.
वया मन ला तफ़ना ख़ज़ाएनो रहमतेहि, सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि वज्अल लना नसीबन फ़ी रहमतेका और जिसकी रहमत के ख़ज़ाने ख़त्म नहीं होते! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और हमें अपनी दया का एक हिस्सा प्रदान कर। وَ يَا مَنْ لَا تَفْنَى خَزَائِنُ رَحْمَتِهِ، صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ وَ اجْعَلْ لَنَا نَصِيباً فِي رَحْمَتِكَ.
वया मन तनंकतेओ दूना रूयतेहिल अब्सारो सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि व अदनेना ऐला क़ुरबेका और जो देखने वालो की आखो से दिखाई नही देता! मुहम्मद और उनके परिवार पर दूरूद भेज और हमें अपने करीब ला। وَ يَا مَنْ تَنْقَطِعُ دُونَ رُؤْيَتِهِ الْأَبْصَارُ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَدْنِنَا إِلَي قُرْبِكَ
वया मन तसग़ोरो इन्दा खतरतिल अख्तारो, सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व कर्रम्ना अलैका और हे वह जिसकी तुलना में सभी पद छोटे हैं! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और अपनी उपस्थिति में हमारा सम्मान कर। وَ يَا مَنْ تَصْغُرُ عِنْدَ خَطَرِهِ الْأَخْطَارُ، صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ كَرِّمْنَا عَلَيْكَ.
वया मन तज़्हरो इन्दहू बवातेनुल अख्बार, सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, वला तफ़ज़्हना लदैयका और हे जिस पर भीतर की बात प्रकट की गई है, मुहम्मद और उसके परिवार पर रहमत नाजलि कर और अपने सामने हमें अपमानित न कर। وَ يَا مَنْ تَظْهَرُ عِنْدَهُ بَوَاطِنُ الْأَخْبَارِ، صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ لَا تَفْضَحْنَا لَدَيْكَ.
अल्लाहुम्मा अग़नेना अन हेबतिल वह्हाबीना बेहैबतेका, वक्फ़ेना वहशतल क़ातेईना बेसेलतेका हत्ता ला नरग़बा ऐला अहदिन मआ बेज़ालेका, वला नसतूहेशा मिन अहदिन मआ मज़लेका ईश्वर! अपने उपहारों और दयालुता से हमें दूसरों के उपहारों और उपकार से मुक्त कर, और अपने उपकार और प्रतिफल से हमें दूसरों के उपकार से कट जाने के दुःख का अनुभव करा, ताकि हम तेरे उपकार और क्षमा की इच्छा न करें किसी की कृपा और क्षमा की तलाश करना, और अनुग्रह के साथ और हम तेरी दयालुता से नहीं डरते। اللَّهُمَّ أَغْنِنَا عَنْ هِبَةِ الْوَهَّابِينَ بِهِبَتِكَ، وَ اكْفِنَا وَحْشَةَ الْقَاطِعِينَ بِصِلَتِكَ حَتَّى لَا نَرْغَبَ إِلَى أَحَدٍ مَعَ بَذْلِكَ، وَ لَا نَسْتَوْحِشَ مِنْ أَحَدٍ مَعَ فَضْلِكَ.
अल्लाहुम्ममा फ़सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, व किद लना वला तकिद अलैना, वमकुर लना वला तमकुर बेना, व अदिल लना वला तोदिल मिन्ना ईश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और हमारे लाभ के लिए समाधान बना और हमारे नुकसान का समाधान कर और हमारे लाभ के लिए योजना बना और हमारे नुकसान के लिए योजना बना और हमें दूसरों पर विजयी बना और दूसरों को हमारे ऊपर विजयी न बना। اللَّهُمَّ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ كِدْ لَنَا وَ لَا تَكِدْ عَلَيْنَا، وَ امْكُرْ لَنَا وَ لَا تَمْكُرْ بِنَا، وَ أَدِلْ لَنَا وَ لَا تُدِلْ مِنَّا.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वआलेहि, वक़ेना मिनका, वहफ़ज़्ज़ना बेका, वहदेना इलैका, वला तोबाइदना अन्का इन मन तक़ेहि यसलम व मन तहदेहि याअलम, व मन तोक़र्रब इलैका यग़नम ईश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और हमें अपने क्रोध से बचा और अपनी देखभाल से हमारी रक्षा कर और हमारा अपनी ओर मार्गदर्शन कर और हमें अपनी उपस्थिति से दूर न रख। सचमुच, जिस किसी की तू रक्षा करेगा वह स्वस्थ रहेगा, जिसे तू मार्ग दिखाएगा वह बुद्धिमान हो जाएगा, और जिसे तू अपने निकट लाएगा वह लाभ उठाएगा। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ قِنَا مِنْكَ، وَ احْفَظْنَا بِكَ، وَ اهْدِنَا إِلَيْكَ، وَ لَا تُبَاعِدْنَا عَنْكَ إِنَّ مَنْ تَقِهِ يَسْلَمْ وَ مَنْ تَهْدِهِ يَعْلَمْ، وَ مَنْ تُقَرِّبْهُ اِلَيْكَ يَغْنَمْ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, वकफ़ेना हद्दन नवाएबिज़ ज़माने, व शर्रे मसाएदिश शैताने, व मरारतन सौलेहिस सुलताने ईश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और हमें समय की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की गंभीरता और शैतान के जाल और सुल्तान के क्रोध की बुराई से बचा। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اكْفِنَا حَدَّ نَوَائِبِ الزَّمَانِ، وَ شَرَّ مَصَايِدِ الشَّيْطَانِ، وَ مَرَارَةَ صَوْلَةِ السُّلْطَانِ.
अल्लाहुम्मा इन्नमा यकतफ़ेइल मुकतफ़ूना बेफ़ज़्ले क़ुव्वतेका, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, वकफ़ेना, व इन्नमा योअतेइल मोअतफ़ूना मिन फ़ज़्ले हेदतेका, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व आअतेना, व इन्नमा यहतदिल मोहतदूना बेनूरे वज्हेका, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वहदेना ईश्वर! ऐसा नहीं है कि जो संतुष्ट हैं वे तेरी शक्ति की कृपा से संतुष्ट हैं; तो मुहम्मद और उनके परिवार पर दया कर और हमें अपनी शक्ति की कृपा से पर्याप्त बना, और यह तेरे अलावा क्षमा करने वाले तेरी कृपा की कृपा से क्षमा कर दें। तो मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और हमें अपनी कृपा से क्षमा कर, और यह केवल इतना है कि जो लोग रास्ते पर हैं, वे तेरे चेहरे की रोशनी से रास्ते पर हैं; इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार रहमत नाजिल कर और हमें अपने चेहरे की रोशनी की ओर मार्गदर्शन कर। اللَّهُمَّ إِنَّمَا يَكْتَفِي الْمُكْتَفُونَ بِفَضْلِ قُوَّتِكَ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اكْفِنَا، وَ إِنَّمَا يُعْطِي الْمُعْطُونَ مِنْ فَضْلِ جِدَتِكَ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَعْطِنَا، وَ إِنَّمَا يَهْتَدِي الْمُهْتَدُونَ بِنُورِ وَجْهِكَ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اهْدِنَا.
अल्लाहुम्मा इन्नका मन वालैयता लम यज़रुरहो जिज़लानुल खाज़ेलीना, व मन आअतैयता लम यनक़ुस्हो मन्उल मानेईना, व मन हदयता लम युगवेहि इज़लालुल मुज़िल्लीना ईश्वर! जिसकी तू सहायता करोगा, उसे अपमानित करने वालों के काम से कुछ हानि न होगी; और जिसे तू मार्ग दिखाएगा, उसे गुमराह करने वाले कार्य न करने दें। اللَّهُمَّ إِنَّكَ مَنْ وَالَيْتَ لَمْ يَضْرُرْهُ خِذْلَانُ الْخَاذِلِينَ، وَ مَنْ أَعْطَيْتَ لَمْ يَنْقُصْهُ مَنْعُ الْمَانِعِينَ، وَ مَنْ هَدَيْتَ لَمْ يُغْوِهِ إِضْلَالُ الْمُضِلِّينَ
फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, वमनअना बेइज्जेतका मिन एबादेका, व अग़नेना अन ग़ैयरेका बेइरफ़ादेका, वस्लक बेना सबीलल हक़्क़े बेइरशादेका इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार रहमत नाजिल कर, और अपने सम्मान से हमें अपने सेवकों की बुराई से रोक, और अपने उपहारों से हमें अपने अलावा किसी और से स्वतंत्र कर, और अपने मार्गदर्शन से हमें सही रास्ते पर ले आ। فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ امْنَعْنَا بِعِزِّكَ مِنْ عِبَادِكَ، وَ أَغْنِنَا عَنْ غَيْرِكَ بِإِرْفَادِكَ، وَ اسْلُكْ بِنَا سَبِيلَ الْحَقِّ بِاِرْشَادِكَ.
अल्लहुम्ममा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, वजअल सलामता क़ोलूबेना फ़ी ज़िक्रे अज़मतेका, व फ़राग़ा अब्दानेना फ़ी शुक़्रे नेअमतेका, व इनतेलाकल सेनातेना फ़ी वसफ़े मिन्नतेका ईश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर, और हमारे दिलों के स्वास्थ्य को अपनी महानता, अपनी नेमत के प्रति कृतज्ञता में हमारे शरीर के आराम और अपने उपहारों के विवरण में हमारी जीभ के खुलने को ध्यान में रख। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْعَلْ سَلَامَةَ قُلُوبِنَا فِي ذِكْرِ عَظَمَتِكَ، وَ فَرَاغَ أَبْدَانِنَا فِي شُكْرِ نِعْمَتِكَ، وَ انْطِلَاقَ أَلْسِنَتِنَا فِي وَصْفِ مِنَّتِكَ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वज्अलना मिन दुआएकद दाईना इलैका, व होदातेकद दालीना अलैका, व मिन ख़ास्सतेकल खास्सीना लदैयका, या अरहमर्राहीना ईश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और हमें उन निमंत्रणकर्ताओं में से बना जो तुझे बुलाते हैं और उन मार्गदर्शकों में से हैं जो नौकरों के रूप में तेरे पक्ष में खड़े हैं और तेरे सेवकों के विशेष लोगों में से हैं जो तेरी प्रमुखता से पहले तेरे लिए समर्पित हैं; हे परम दयालु! اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْعَلْنَا مِنْ دُعَاتِكَ الدَّاعِينَ إِلَيْكَ، وَ هُدَاتِكَ الدَّالِّينَ عَلَيْكَ، وَ مِنْ خَاصَّتِكَ الْخَاصِّينَ لَدَيْكَ، يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ.

फ़ुटनोट

  1. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 3, पेज 347-565; खल़्जी, असरार खामोशान, 1385 शम्सी, पेज 299-536
  2. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 3, पेज 347-565
  3. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 337-356
  4. खल़्जी, असरार खामोशान, 1383 शम्सी, भाग 2, पेज 299-536
  5. मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 , पेज 107-118
  6. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 97-103
  7. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 115-131
  8. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 2, पेज 135-173
  9. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 29-30


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1374 शम्सी
  • ख़ल्जी, मुहम्मद तक़ी, असरार ख़ामोशान, क़ुम, परतो ख़ुरशीद, 1383 शम्सी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल रूह, बैरूत, दार अल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तअलीक़ात अलल सहीफ़ा अल सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बोहूस वल तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली खान, रियाज उस सालेकीन, फ़ी शरह अल सहीफ़ातुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़नीया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़ेलाल अल सहीफ़ा अल सज्जादिया, क़ुम, दार अल कुतुब अल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शहूद व शनाख्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्दमा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1385 शम्सी