सहीफ़ा सज्जादिया की उनतीसवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की उनतीसवीं दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयगरीबी और जीविका की तलाश के समय में दुआ
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतवक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की उनतीसवीं दुआ (अरबीः الدعاء التاسع والعشرون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओ में से एक है, जिसे गरीबी और जीविका की तलाश के समय पढ़ा जाता हैं। इस दुआ में, इमाम ज़ैनुल-आबेदीन (अ) ने आजीविका की कठिनाई के माध्यम से ईश्वर द्वारा मनुष्यों की परीक्षा का उल्लेख किया और इसे आजीविका के बारे में कुछ संदेह का कारण माना। साथ ही, इस दुआ में वह जीविका के लिए अनावश्यक प्रयास को दोषी मानते हैं और जीविका प्रदान करने के ईश्वर के वादे की निश्चितता से संकट को दूर करना संभव मानते हैं।

उनतीसवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ का वर्णन विभिन्न भाषाओ मे किया गया है, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की उनतीसवीं दुआ का मुख्य विषय तंगदस्ती है। ममदूही किरमानशाही के अनुसार, इस दुआ मे, इमाम सज्जाद (अ) ने जीविका प्रदान करने के एकेश्वरवादी दृष्टिकोण का उल्लेख किया है[१] पाँच पैराग्राफों में इस दुआ की शिक्षाएँ[२] इस प्रकार हैं:

  • लंबे सपने और आजीविका की कठिनाइयों वाले लोगों की परीक्षा
  • शंका एवं दीर्घ कामनाओं का मूल तथा उनके परिणाम
  • उन लोगों से प्रेम करना जिनकी आयु लंबी है, ईश्वर की कृपा पर संदेह करने का परिणाम है
  • जीविका माँगने में कठिनाई निश्चितता की कमी के कारण होती है
  • जीवन तक पहुँचने की पीड़ा से मुक्त होने के लिए ईश्वर से अनुरोध और निश्चितता और विश्वास
  • भरण-पोषण के लिए गलत प्रयास
  • आपकी आजीविका और जो वादा किया गया है वह आसमान में है
  • जीविका की निश्चितता के साथ संकट और जीविका की व्यस्तता को दूर करना
  • बंदो को जीविका प्रदान करने की ईश्वर की शपथ[३]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी उनतीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[४] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[५] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की उनतीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[६] मुहम्मद जवाद मुग़्निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[७] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[८] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[९] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१०] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[११]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की उनतीसवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआऐहि अलैहिस सलामो इज़ा क़ुत्तेरा अलैहिर रिज़्क़ो गरीबी और जीविका की तलाश में हज़रत की दुआ وَ کانَ مِنْ دُعَائِهِ علیه‌السلام إِذَا قُتِّرَ عَلَیهِ الرِّزْقُ
अल्लाहुम्मा इन्नकब तलैयतना फ़ी अरज़ाक़ेना बेसूइज़ ज़न्ने, व फ़ी आजालेना बेतूलिल अमले हत्तल तमसना अरज़ाक़का मिन इंदिल मरज़ूक़ीना, व तमेअना बेआमालेना फ़ी आअमारिल मोअम्मरीना हे परमात्मा ! तूने जीविका के बारे मे बे यक़ीनी और जीवन के बारे मे लम्बे अमल से हमारी परिक्षा की है। यहा तक कि हम उनसे जीविका मांगने लगे तू तुझ से जीविका पाने वाले है और बूढ़े लोगो की आयु देख कर हम भी दीर्घ आयु की तमन्ना करने लगे। اللَّهُمَّ إِنَّک ابْتَلَیتَنَا فِی أَرْزَاقِنَا بِسُوءِ الظَّنِّ، وَ فِی آجَالِنَا بِطُولِ الْأَمَلِ حَتَّی الْتَمَسْنَا أَرْزَاقَک مِنْ عِنْدِ الْمَرْزُوقِینَ، وَ طَمِعْنَا بِآمَالِنَا فِی أَعْمَارِ الْمُعَمَّرِینَ
फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व हब लना यक़ीनन सादेक़न तकफ़ीना बेहि मिन मउनतित तलबे, व अलहिमना सेक़तन खालेसतन तोअफ़ीना बेहा मिन शिद्दतिन नसबे हे परमात्मा ! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और हमे ऐसा पक्का यक़ीन प्रदान कर जिसके माध्यम से तू हमे ढूंड़ने और मांगने की कठिनाई से बचा ले और खालिस निश्चय की स्थिति हमारे ह्दयो मे पैदा कर दे जो हमे गम और दुख से छुड़ा ले। فَصَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ هَبْ لَنَا یقِیناً صَادِقاً تَکفِینَا بِهِ مِنْ مَئُونَةِ الطَّلَبِ، وَ أَلْهِمْنَا ثِقَةً خَالِصَةً تُعْفِینَا بِهَا مِنْ شِدَّةِ النَّصَبِ
वजअल मा सर्रहता बेहि मिन ऐदतेका फ़ी वहयेका, व अतबअतू मिन क़समेका फ़ी किताबेका, क़ातेअन लेअहतेमामेना बिर रिज़क़िल लज़ी तकफ़्फ़लता बेहि, व हसमन लिल इशतेगाले बेमा ज़मिनतल किफ़ायता लहू और वही के माध्यम से जो स्पष्ट वादे तूने किए है और अपनी किताब मे उसके साथ क़सम खाई है। उसे उस जीविका के प्रबंध से जिसका तू गारंटर है। सबुकदोषी का कारक बना दे और जिस जीविका का जिम्मा तूने लिया है उसकी वयस्तता से अलग होने का वसीला बना दे। وَ اجْعَلْ مَا صَرَّحْتَ بِهِ مِنْ عِدَتِک فِی وَحْیک، وَ أَتْبَعْتَهُ مِنْ قَسَمِک فِی کتَابِک، قَاطِعاً لِاهْتِمَامِنَا بِالرِّزْقِ الَّذِی تَکفَّلْتَ بِهِ، وَ حَسْماً لِلِاشْتِغَالِ بِمَا ضَمِنْتَ الْکفَایةَ لَهُ
फ़क़ुल्ता व क़ौलोकल हक़्क़ुल असदको, व अक़समता व क़समोकल अबर्रुल औफ़ा, व फ़ीस समाए रिज़्कोकुम वमा तूअदूना जैसाकि तूने कहा है और तेरे कथन हक़ और बहुत सच्चे है और तूने क़सम खाई है और तेरी क़सम सच्ची और पूरी होने वाली है कि तुम्हारी अजीविका और वह कि जिसका तुम से वचन किया जाता है आसमान मे है। فَقُلْتَ وَ قَوْلُک الْحَقُّ الْأَصْدَقُ، وَ أَقْسَمْتَ وَ قَسَمُک الْأَبَرُّ الْأَوْفَی: «وَ فِی السَّماءِ رِزْقُکمْ وَ ما تُوعَدُونَ».
सुम्मा क़ुल्ता फ़व रब्बिस समाए वल अर्ज़े इन्नहू लहक्क़ुन मिस्ला मा अन्नकुम तंतकूना फ़िर तेरा कहना हैः ज़मीन और आसमान के मालिक की कस़म ! यह अम्र यक़ीनी और निश्चित है जैसे यह कि तुम बोल रहे है। ثُمَّ قُلْتَ «فَوَ رَبِّ السَّماءِ وَ الْأَرْضِ إِنَّهُ لَحَقٌّ مِثْلَ ما أَنَّکمْ تَنْطِقُونَ

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 529
  2. तरजुमा व शरह दुआ ए बीस्तो नहुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
  3. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 529-542
  4. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 529-542
  5. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 487-494
  6. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 311-338
  7. मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 373-376
  8. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 381-387
  9. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 89-98
  10. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 65-66
  11. जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 158-159


स्रोत

  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी