सहीफ़ा सज्जादिया की बयालीसवीं दुआ
शाबान 1102 में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित साहिफ़ा सज्जादिया की पांडुलिपि | |
अन्य नाम | भलाई का आग्रह करने की दुआ |
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विषय | क़ुरआन मुकम्ल होने की दुआ, क़ुरआन पर अमल करने के प्रभाव, पैग़म्बर (स) की विशेषताएं |
प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतवक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
सहीफ़ा सज्जादिया की बयालीसवीं दुआ (अरबीःالدعاء الثاني والأربعون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओं में से एक है, जिसे आप क़ुरआन मुकम्मल करने के बाद पढ़ते थे। यह दुआ क़ुरआन की विशेषताओं और उस पर अमल करने के प्रभावों का वर्णन करती है। इस दुआ में इमाम सज्जाद (अ) इस्लाम के पैग़म्बर (स) की कुछ विशेषताओं तथा इस्लाम धर्म के प्रचार में उनकी कठिनाइयों को भी याद करते हैं, तथा ईश्वर से दुआ करते हैं कि वह उन्हें क़यामत के दिन उच्च पद प्रदान करें। इसके अलावा, इस दुआ में आइम्मा ए मासूमीन (अ) को क़ुरआन के कोषाध्यक्ष और व्याख्याकार के रूप में पेश किया गया है।
हज़रत ज़ैन उल आबेदीन (अ) ईश्वर से दुआ करते हैं कि वह क़ुरआन के माध्यम से मनुष्य के पापो को क्षमा कर दे, उसे मृत्यु की कठिनाइयों से बचाए, साथ ही प्रलय के दिन के दुःख और भय से बचाए, और क़ुरआन को उनके लिए सिफ़ारिशकर्ता बनाए।
बयालीसवीं दुआ को का फ़ारसी में सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्ययो मे वर्णन किया गया है, जैसे कि हुसैन अंसारियान द्वारा रचित दयारे आशेक़ान और हसन ममदूही किरमानशाही द्वारा रचित शुहूद व शनाख़्त, और अरबी में सय्यद अली ख़ान मदनी द्वारा रचित पुस्तक रियाज़ उल-सालेकीन मे वर्णन किया गया है।
शिक्षाएँ
बयालीसवीं दुआ सहीफ़ा सज्जादिया की दुआओं में से एक है, जो क़ुरआन के समाप्त होने पर पढ़ी जाती है। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) क़ुरआन की विशेषताओं का वर्णन करते हैं और इस दुनिया और उसके बाद मानव अस्तित्व के स्तरों पर विशेष रूप से ईश्वर के करीब आने में इसके प्रभावों पर चर्चा करते हैं।[१] इस दुआ की शिक्षाएं इस प्रकार हैं:
- क़ुरआन प्रकाश के रूप में नाज़िल होने वाली किताब है।
- मनुष्य को दुविधाओं से बचाने और संदेह दूर करने में क़ुरआन की भूमिका
- क़ुरआन सभी आसमानी किताबों का गवाह और संरक्षक है और प्रत्येक कलाम से श्रेष्ठ है।
- क़ुरआन सत्य और असत्य के बीच विभाजक है।
- क़ुरआन न्याय का तराजू है।
- क़ुरआन ज्ञानवर्धक पुस्तक और प्रकार की त्रुटि से सुरक्षित है।
- क़ुरआन, मुहम्मद (स) पर अल्लाह की वही है।
- क़ुरआन की रोशनी के मार्गदर्शन से गुमराही से बचना
- क़ुरआन से लाभांवित होने की शर्तें (कुरान के प्रमाणों पर ध्यान देना और उस पर चिंतन करना, पढ़ते समय चुपचाप आयतों को सुनना, सीधा रास्ता खोजने के इरादे से क़ुरआन को सुनना)
- क़ुरआन का हक़ अदा करने के लिए दुआ
- विरोधाभासों को स्वीकार करना और क़ुरआन की दृढ़ता के प्रति समर्पित होना
- क़ुरआन की शब्दों और अर्थों मे बलाग़त
- क़ुरआन को समझना हज़रत मुहम्मद (अ) की व्याख्या पर निर्भर करता है।
- अहले बैत (अ), क़ुरआन के ख़ज़ांची
- क़ुरआन को समझने में लोगों की अलग-अलग क्षमताएँ
- क़ुरआन की मजबूत रस्सी को थामे रहो
- साक्ष्य के माध्यम से समानताओं को समझना
- क़ुरआन और इतरत की अविभाज्यता
- क़ुरआन की सिफ़ारिश से लाभ पाने के लिए दुआ
- क़ुरआन के माध्यम से पापों की क्षमा
- क़ुरआन पर अमल करने के प्रभाव: रात के अंधेरे से रोशनी, गुनाह से रोकना, शैतान के प्रलोभनों से सुरक्षा, झूठ बोलने से ज़बान को बंद करना और इंसान से असावधानी दूर करना, समृद्धि और गरीबी का उन्मूलन, ईशनिंदात्मक शिक्षाओं से मुक्ति।
- क़ुरआन क़यामत के दिन सुरक्षा और संरक्षा का वस्त्र है।
- क़ुरआन सर्वोच्च स्तर की गरिमा तक पहुंचने का साधन है और न्याय के दिन मुक्ति का कारण है।
- क़ुरआन के माध्यम से अवांछनीय गुणों और नैतिक पतन से बचाव
- क़ुरआन के कारण मृत्यु की कठिनाइयां आसान हो जाती हैं।
- कब्र में उतरने और वहाँ लम्बे समय तक रहने के आशीर्वाद के लिए दुआ करना
- इस दुनिया से जाने के बाद कब्र का सबसे अच्छा घर बनने की दुआ करना
- ईश्वर की दया से कब्र और उसकी संकीर्णता को खोलने का अनुरोध
- क़यामत के दिन उपस्थित लोगों के सामने अपमानित न होने की दुआ करना
- मृत्यु के बाद की कठिनाइयों को हल करने के लिए दुआ करना
- क़यामत के दिन के दुःख और उसके भय से मुक्ति क़ुरआन के द्वारा
- क़यामत के दिन ज़ालिमों के चेहरों पर कालिख
- क़यामत के दिन, पश्चाताप और पछतावे के दिन पर सफ़ेद वस्त्र की माँग करना
- जीवन को कठिन न बनाने का अनुरोध करना
- परमेश्वर की सेवा करना मानव पूर्णता का आधार है।
- क़ुरआन के करीब होना उस पर अमल करने से ही संभव है, और उस पर अमल किए बिना यह पर्याप्त नहीं है।
- ईश्वरीय आदेश देने के लिए पैग़म्बर (स) पर दुरूद भेजना
- पैगम्बर मुहम्मद (स) ईश्वर के सबसे निकट पैगम्बर हैं।
- नबूवत के सभी चरणों में पैग़म्बर (स) का मासूम होना
- इस्लाम के प्रचार-प्रसार में आने वाली कठिनाइयों के सामने पैगम्बर की उदारता
- क़यामत के दिन पैगम्बर (स) को उच्च पद पर आसीन किये जाने की दुआ करना
- पैगंबर (स) की सुन्नत के अनुसार जीने, उनके धर्म पर मरने और उनके साथ पुनर्जीवित होने की दुआ करना।
- पैग़म्बर (स) के आशीर्वाद के लिए दुआ करना
- पैग़म्बर (स) के पास भेजे गए फ़रिश्तों और पैगम्बरों से भी अधिक इनाम की मांग करना।[२]
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी बयालीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारीयान की दयारे आशेक़ान[३], मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[४] सय्यद अहमद फ़हरी की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[५] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है। क़ुरआन की विशेषताओं और नामों की जांच करने के लिए, सहीफ़ा सज्जादिया की बयालीसवीं दुआ का हवाला देते हुए फ़ारसी में भी कुछ लेख संकलित किए गए हैं।[६]
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की बयालीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[९] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१०] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[११] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१२]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | अनुवाद | दुआ का अरबी उच्चारण |
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व काना मिन दुआऐही अलैहिस सलामो इन्दा ख़त्मिल क़रआने | क़ुरान मुकम्मल करते समय हज़रत की दुआ | كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ عِنْدَ خَتْمِ الْقُرْآنِ |
अल्लाहुम्मा इन्नका आअंतनी अला ख़त्मे किताबेकल लज़ी अंज़लतहू नूरान, व जअलतहू मुहेमेनन अला कुल्ले किताबिन अनंजतलहू, व फ़ज़्ज़लतहू अला कुल्ले हदीसिन ख़सस्तहू | हे पालन हार! तूने अपनी किताब तमाम करने में मेरी मदद की। वह किताब जिसे तूने प्रकाश बनाकर उतारा है और उसे सभी आसमानी किताबों पर साक्षी बनाया है और उसे हर उस शब्द पर प्राथमिकता दी है जो तूने नाज़िल किया है और उसे (सत्य और असत्य के बीच) कसौटी बनाया है। जिसके माध्यम से हलाल और हराम को अलग किया गया। क़ुरआन जिसके माध्यम से शरिया के आदेशों को स्पष्ट किया गया। | اللَّهُمَّ إِنَّكَ أَعَنْتَنِي عَلَى خَتْمِ كِتَابِكَ الَّذِي أَنْزَلْتَهُ نُوراً، وَ جَعَلْتَهُ مُهَيْمِناً عَلَى كُلِّ كِتَابٍ أَنْزَلْتَهُ، وَ فَضَّلْتَهُ عَلَى كُلِّ حَدِيثٍ قَصَصْتَهُ |
व फ़रक़ानन फ़रक़्ता बेहि बैना हलालेका व हरामेका, व क़ुरआनन आअरबता बेहि अन शराए अहमामेका व किताबन फ़स्सलतहू ले इबादेका तफ़ीला, व वहयन अंज़लतहू अला नबीय्येका मुहम्मदिन- सलावातोका अलैहे व आलेहि- तनज़ीला | और तूने उसे एक विभाजक बना दिया, जिसके द्वारा तूने हलाल और हराम के बीच भेद कर दिया। और यह परस्पर जुड़ी हुई आयतों की एक श्रृंखला है, जिसके आशीर्वाद से तूने अपने आदेशों के मार्ग को स्पष्ट कर दिया है। और वह एक ऐसी किताब है जिसमें तूने अपने बन्दों के लिए हर चीज़ खोलकर रख दी है, वह एक व्यापक और स्पष्ट प्रकाश है। और यह एक वह्य है जो तूने अपने पैग़म्बर मुहम्मद (स) पर नाज़िल की है; | وَ فُرْقَاناً فَرَقْتَ بِهِ بَيْنَ حَلَالِكَ وَ حَرَامِكَ، وَ قُرْآناً أَعْرَبْتَ بِهِ عَنْ شَرَائِعِ أَحْكَامِكَ وَ كِتَاباً فَصَّلْتَهُ لِعِبَادِكَ تَفْصِيلًا، وَ وَحْياً أَنْزَلْتَهُ عَلَى نَبِيِّكَ مُحَمَّدٍ- صَلَوَاتُكَ عَلَيْهِ وَ آلِهِ- تَنْزِيلًا |
व जअलतहू नूरान नहतदी मिन ज़ुलमिज़ ज़लालते वल जहालते बित्तेबाऐही, व शेफ़ाअन लेमन अनसता बेफ़हेमत तसदीक़े ऐलस तेमाऐहे, व मीज़ाना क़िस्तिन ला यहीफ़ो अनिल हक़्क़े लेसानोहू, व नूरा हुदन ला यत्फ़ओ अनिश शाहेदीनी बुरहानोहू, व अलमा नज़ातिन ला यज़िल्लो मन अम्मा क़सदा सुन्नतेही, वला तनालो एयदिल हलकाते मन तअल्लक़ा बेउरवते इस्मतेही | और तूने उसे प्रकाश बनाया, जिसके अनुसरण से हम पथभ्रष्टता और अज्ञानता के अंधकार से निकलकर मार्गदर्शन के स्तर पर पहुंच सकते हैं। और इसका इलाज उस व्यक्ति के लिए है जो इसकी आयतों को शांति से सुनता है, ताकि वह इसकी अवधारणाओं और अर्थों को समझ सके, और अपने हृदय और आत्मा से इसकी वास्तविकताओं को सत्य और सही जान सके। और न्याय का तराजू जिसका पलड़ा सत्य से विचलित नहीं होता और मार्गदर्शन का प्रकाश जिसका प्रमाण देखने वालों के सामने कभी नही बुझता; और मोक्ष का झंडा कि जो कोई भी अपने स्थापित धर्म की ओर लक्ष्य करेगा, वह गुमराह नहीं होगा; और जो कोई उसकी सुरक्षा और सहारे की मूठ को थामे रहेगा, विनाश के हाथ उस तक नहीं पहुंच सकेंगे। | وَ جَعَلْتَهُ نُوراً نَهْتَدِي مِنْ ظُلَمِ الضَّلَالَةِ وَ الْجَهَالَةِ بِاتِّبَاعِهِ، وَ شِفَاءً لِمَنْ أَنْصَتَ بِفَهَمِ التَّصْدِيقِ إِلَى اسْتِمَاعِهِ، وَ مِيزَانَ قِسْطٍ لَا يَحِيفُ عَنِ الْحَقِّ لِسَانُهُ، وَ نُورَ هُدًى لَا يَطْفَأُ عَنِ الشَّاهِدِينَ بُرْهَانُهُ، وَ عَلَمَ نَجَاةٍ لَا يَضِلُّ مَنْ أَمَّ قَصْدَ سُنَّتِهِ، وَ لا تَنَالُ أَيْدِي الْهَلَكَاتِ مَنْ تَعَلَّقَ بِعُرْوَةِ عِصْمَتِهِ |
अल्लाहुम्मा फ़इज़ अफ़दतल मऊनता अला तेलावतेहि, व सह्हलता जवासेया अलसेनतेना बेहुस्ने इबारतेही, फ़ज्अलना मिम्मन यरआहो हक़्क़ा रेआयतेही, व यदीनो लका बेएतेकादित तस्लीमे लेमोहकमे आयातेही, व यफ़ज़ओ ऐला अल इक़रारे बेमुताशाबेही, व मूज़हाते बय्येनातेही | हे परमेश्वर! अब जबकि तूने हमें क़ुरआन की तिलावत करने में सहायता की है और इसके शब्दों की सुन्दरता के द्वारा हमारी ज़बानों की कठिनाईयों को आसान कर दिया है, तो हमें उन लोगों में शामिल कर जो इस किताब के हक़ की रक्षा करते हैं, तथा इसकी दृढ़ आयतों के प्रति आज्ञाकारी रहते हैं। इसकी समानताओं और इसके स्पष्ट कारणों को स्वीकार करने की शरण में जाना चाहिए। | اللَّهُمَّ فَإِذْ أَفَدْتَنَا الْمَعُونَةَ عَلَى تِلَاوَتِهِ، وَ سَهَّلْتَ جَوَاسِيَ أَلْسِنَتِنَا بِحُسْنِ عِبَارَتِهِ، فَاجْعَلْنَا مِمَّنْ يَرْعَاهُ حَقَّ رِعَايَتِهِ، وَ يَدِينُ لَكَ بِاعْتِقَادِ التَّسْلِيمِ لِمُحْكَمِ آيَاتِهِ، وَ يَفْزَعُ إِلَى الْإِقْرَارِ بِمُتَشَابِهِهِ، وَ مُوضَحَاتِ بَيِّنَاتِهِ |
अल्लाहुम्मा इन्नका अनज़लतहू अला नबीय्येका मुहम्मदिन-सल्लल्लाहो अलैहे व आलेहि-मुजमलन, व अलहमतहू इल्म अजाएबेही मुकम्मलन, व वर्रतना इलमहू मुफ़स्सेरन, व फ़ज़्जलतना अला मन जहेला इलमहू, व क़व्वैतना अलैहे लेतरफ़अना फ़ौक़ा मन लम योतिक़ हमलहू | हे पालनहार! तूने अपने पैग़म्बर मुहम्मद (स) पर संक्षिप्त रूप से क़ुरआन नाज़िल किया और उन्हें इसकी अद्भुत बातों का पूर्ण ज्ञान प्रदान किया और हमें इसका ज्ञान व्याख्या के रूप में प्रदान किया और हमें इसका ज्ञान प्रदान किया। क़ुरआन के ज्ञान से अनभिज्ञ लोगों पर श्रेष्ठता प्रदान की है। तूने अज्ञानियों को श्रेष्ठता प्रदान की है और हमें इसकी सच्चाइयों को जानने की शक्ति प्रदान की है, ताकि हमें उन लोगों पर श्रेष्ठता और प्राथमिकता प्रदान कर जो इसकी शक्ति नहीं रखते। इसकी अवधारणाओं को समझना और इसके संकेतों पर खरा उतरना। | اللَّهُمَّ إِنَّكَ أَنْزَلْتَهُ عَلَى نَبِيِّكَ مُحَمَّدٍ- صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ آلِهِ- مُجْمَلًا، وَ أَلْهَمْتَهُ عِلْمَ عَجَائِبِهِ مُكَمَّلًا، وَ وَرَّثْتَنَا عِلْمَهُ مُفَسَّراً، وَ فَضَّلْتَنَا عَلَى مَنْ جَهِلَ عِلْمَهُ، وَ قَوَّيْتَنَا عَلَيْهِ لِتَرْفَعَنَا فَوْقَ مَنْ لَمْ يُطِقْ حَمْلَهُ |
अल्लाहुम्मा फ़कमा जअलता क़ोलूबना लहू हमलतन, व अर्रफ़तना बेरहमतेका शरफ़हू व फ़ज़्लहू, फ़सल्ले अला मुहम्मदिल खतीबे बेहि, व अला आलेहिल ख़ुज़्ज़ाने लहू, वज्अलना मिम्मन यअतरेफ़ो बेअन्नहू मिन इन्देका हत्ता ला योआरेज़श शक्को फ़ी तस्दीकेही, वला यखतलेजनज़ ज़एग़ो अन कस्दे तरीक़ेहि | हे परमात्मा! जिस प्रकार तूने हमारे हृदयों को इसकी वास्तविकताओं का वाहक बनाया और हमें इसके सम्मान और गुणों का बोध कराया, उसी प्रकार तू क़ुरआन के वक्ता मुहम्मद तथा क़ुरआन के ख़ाज़िनो, उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर। और हमें भी उन लोगों में शामिल कर जो इस बात पर इक़रार रखते हैं कि क़ुरआन तेरी ओर से है, ताकि इसकी पुष्टि के विषय में हमारे दिलों में कोई संदेह न आए। और कोई भी विचलन हमें सही रास्ते से नहीं रोक सके। | اللَّهُمَّ فَكَمَا جَعَلْتَ قُلُوبَنَا لَهُ حَمَلَةً، وَ عَرَّفْتَنَا بِرَحْمَتِكَ شَرَفَهُ وَ فَضْلَهُ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ الْخَطِيبِ بِهِ، وَ عَلَى آلِهِ الْخُزَّانِ لَهُ، وَ اجْعَلْنَا مِمَّنْ يَعْتَرِفُ بِأَنَّهُ مِنْ عِنْدِكَ حَتَّى لَا يُعَارِضَنَا الشَّكُّ فِي تَصْدِيقِهِ، وَ لَا يَخْتَلِجَنَا الزَّيْغُ عَنْ قَصْدِ طَرِيقِهِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, वज्अलना मिम्मन यअतसेमो बेहबलेहि, व यावी मिनल मुताशाबेहाते ऐला हिरज़े मअक़ेलेहि, व यसकोनो फ़ी ज़िल्ले जनाहेही, व यहतदी बेज़ोए सबाहेही, व यक़तदी बे तबलोजे असफ़ारेही, व यसतसबेहो बेमिस्बाहेही, वला यलतमेसुल हुदा फ़ी ग़ैरेही | हे परम परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर, और हमें उन लोगों में शामिल कर जो क़ुरआन की मजबूत रस्सी को मजबूती से थामे रहते हैं, और उन विरोधाभासों से इसकी मजबूत आयतों में शरण लेते हैं जो दिमाग को फिसलने का कारण बनते हैं, और इसके पंखों की छाया में शांति पाते हैं। और दया के पंख लेकर उसके प्रातःकाल के प्रकाश में चलते हैं और उसके उदय होने की चमक का अनुसरण करते हैं, जो सत्य को प्रकट करती है और वे उसके प्रकाश से एक दीपक जलाते हैं और वे किसी अन्य चीज़ से मार्गदर्शन की आशा नहीं करते। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْعَلْنَا مِمَّنْ يَعْتَصِمُ بِحَبْلِهِ، وَ يَأْوِي مِنَ الْمُتَشَابِهَاتِ إِلَى حِرْزِ مَعْقِلِهِ، وَ يَسْكُنُ فِي ظِلِّ جَنَاحِهِ، وَ يَهْتَدِي بِضَوْءِ صَبَاحِهِ، وَ يَقْتَدِي بِتَبَلُّجِ أَسْفَارِهِ، وَ يَسْتَصْبِحُ بِمِصْبَاحِهِ، وَ لَا يَلْتَمِسُ الْهُدَى فِي غَيْرِهِ |
अल्लाहुम्मा व कमा नसबता बेहि मुहम्मदिन अलमन लिद्दलालते अलैका, व अन्हजता बेआलेहि सोबोलर रेजा इलैका, फ़सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, वज्अलिल क़ुरआना वसीलतन लना ऐला अशरफ़े मनाज़ेलिल करामते, व सुल्लमन नअरोजो फ़ीहे इलस सलामते, व सबअन नुजज़ा बेहिन नजाता फ़ी अर्सतिल क़यामते, व ज़रीअतन नक़दमो बेहा अला नईमे दारिल मुकामते | हे परमात्मा! जिस प्रकार तूने क़ुरआन के माध्यम से मुहम्मद को अपने मार्गदर्शन के लिए एक निशानी नियुक्त किया; और उनके निमित्त तूने अपनी इच्छा के मार्ग प्रगट किये; अतः मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज, और क़ुरआन को हमारे लिए सम्मान के सर्वोच्च स्थानों तक पहुंचने का साधन बना, एक सीढ़ी जिसके द्वारा हम सुरक्षा के स्थान पर चढ़ें, एक ऐसा कारण जिसके द्वारा हमें उस दिन मुक्ति का पुरस्कार मिले। न्याय का एक मध्यस्थ और मध्यस्थ है जिसकी कृपा से हम लाभान्वित होंगे। हमें परमधाम की कृपा प्रदान कर। | اللَّهُمَّ وَ كَمَا نَصَبْتَ بِهِ مُحَمَّداً عَلَماً لِلدَّلَالَةِ عَلَيْكَ، وَ أَنْهَجْتَ بِآلِهِ سُبُلَ الرِّضَا إِلَيْكَ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْعَلِ الْقُرْآنَ وَسِيلَةً لَنَا إِلَى أَشْرَفِ مَنَازِلِ الْكَرَامَةِ، وَ سُلَّماً نَعْرُجُ فِيهِ إِلَى مَحَلِّ السَّلَامَةِ، وَ سَبَباً نُجْزَى بِهِ النَّجَاةَ فِي عَرْصَةِ الْقِيَامَةِ، وَ ذَرِيعَةً نَقْدَمُ بِهَا عَلَى نَعِيمِ دَارِ الْمُقَامَةِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, वहतुत बिलक़ुरआने अन्ना सिक़्लल औज़ारे, व हब लना हुसना शमाएलिल अबरारे, वक़्फ़ो बेना आसारल लज़ीना क़ामू लका बेहि अनाअल लैले व अतराफ़न नहारे हत्ता तोताहेरना मिन कुल्ले दनसिन बेतत्हीरेही, व तक़फ़ोवा बेना आसारल लज़ीनस तज़ऊ बेनूरेही, व लम युलहेहेमुल अमलो अनिल अमले फ़यक़्तआहुम बेख़ुदए ग़ोरूरेही | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और क़ुरआन के माध्यम से हमारे कंधों से पापों का बोझ हटा दें। और हमें धर्मियों के आचरण की सुन्दरता प्रदान कर; और हमें उन लोगों के पदचिन्हों पर चला जो क़ुरआन के द्वारा रात और दिन में इबादत के लिए खड़े रहे, यहाँ तक कि तू हमें उसकी पवित्रता के द्वारा हर अशुद्धता से शुद्ध कर। और उन लोगों के कार्यों का अनुसरण करा जिन्होंने क़ुरआन की रोशनी के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया। और बेबुनियाद चाहत ने उन्हें आख़िरत के लिए अपने काम में लापरवाही करने पर मजबूर नहीं किया, ताकि वह अपनी धोखेबाज़ी और चालाकी से उन्हें नष्ट कर दे और उन्हें आख़िरत तक पहुँचने से रोक दे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ احْطُطْ بِالْقُرْآنِ عَنَّا ثِقْلَ الْأَوْزَارِ، وَ هَبْ لَنَا حُسْنَ شَمَائِلِ الْأَبْرَارِ، وَ اقْفُ بِنَا آثَارَ الَّذِينَ قَامُوا لَكَ بِهِ آنَاءَ اللَّيْلِ وَ أَطْرَافَ النَّهَارِ حَتَّى تُطَهِّرَنَا مِنْ كُلِّ دَنَسٍ بِتَطْهِيرِهِ، وَ تَقْفُوَ بِنَا آثَارَ الَّذِينَ اسْتَضَاءُوا بِنُورِهِ، وَ لَمْ يُلْهِهِمُ الْأَمَلُ عَنِ الْعَمَلِ فَيَقْطَعَهُمْ بِخُدَعِ غُرُورِهِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेही, वज अलिल क़ुरआना लना फ़ी ज़ुलमिल लयाली मूनेसन, व मिन नज़ाग़ातिश शैताने व खतरातिल वसावेसे हारेसन, व लेअक़दामेना अन नक़लेहा ऐलल मआसी हासेबन, व लेअलसेनतेना अनिल ख़ौज़े फ़िल बातेले मिन ग़ैरे मा आफ़तिन मुखरेसन, व लेजवारेहेना अनिक़ तेराफ़िल आसामे ज़ाजेरन, व लेमा तवतिल ग़फ़लतो अन्ना मिन तसफ़्फ़ोहिल ऐतेबारे नाशेरन, हत्ता तूसेला ऐला क़ोलूबेना फ़हमा अजाएबेही, व जवाजेरा अमसालेही अल लती ज़ओफ़तिल जेबालुर रवासी अला सलाबतेहा अनिह तेमालेहि | हे परम परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर, और हमारे लिए इन लाभों का आधार क़ुरआन को बना। रातों के अंधेरे में, मूनिस; और शैतान की ओर से पाप करने के उकसावे और प्रलोभनों के खतरों से रक्षक; और हमारे कदमों को पापों की ओर बढ़ने से रोकता है; और हमारी ज़बान को झूठी बातों में डूबने से बचाया जाए - बीमारी के कारण नहीं - मूक; और यह हमारे शरीर को पाप करने से रोकता है; और शिक्षा के उन पन्नों के लिए जिन्हें लापरवाही के हाथों ने उलझा दिया है, विस्तारक; हमारे हृदय में इसके चमत्कारों और संयमी युक्तियों की समझ लाना, जिन्हें दृढ़ पर्वत, अपनी शक्ति के बावजूद, सहन करने में असमर्थ हैं। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْعَلِ الْقُرْآنَ لَنَا فِي ظُلَمِ اللَّيَالِي مُونِساً، وَ مِنْ نَزَغَاتِ الشَّيْطَانِ وَ خَطَرَاتِ الْوَسَاوِسِ حَارِساً، وَ لِأَقْدَامِنَا عَنْ نَقْلِهَا إِلَى الْمَعَاصِي حَابِساً، وَ لِأَلْسِنَتِنَا عَنِ الْخَوْضِ فِي الْبَاطِلِ مِنْ غَيْرِ مَا آفَةٍ مُخْرِساً، وَ لِجَوَارِحِنَا عَنِ اقْتِرَافِ الْآثَامِ زَاجِراً، وَ لِمَا طَوَتِ الْغَفْلَةُ عَنَّا مِنْ تَصَفُّحِ الِاعْتِبَارِ نَاشِراً، حَتَّى تُوصِلَ إِلَى قُلُوبِنَا فَهْمَ عَجَائِبِهِ، وَ زَوَاجِرَ أَمْثَالِهِ الَّتِي ضَعُفَتِ الْجِبَالُ الرَّوَاسِي عَلَى صَلَابَتِهَا عَنِ احْتِمَالِهِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन वा आलेहि, व आदिम बिल क़ुरआने सलाहा ज़ाहेरेना, वहजुब बेहि खतारातिल वसावेसे अन सेह्हते ज़माऐरेना, वग़्सिल बेहि दरना क़ोलूबेना व अलाएक़ा ओज़ारेना, वज्मअ बेहि मुन्तशरा ओमूरेना, व अरवे बेहि फ़ी मौक़ेफ़िल अर्ज़े अलैका जमअन हवाजेरेना, वकसोना बेहि होललल अमाने यौमल फ़ज़इल अकबरे फ़ी नूशूरेना | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज और क़ुरआन के माध्यम से हमारी सुंदरता को बनाए रख और प्रलोभनों के खतरों को हमारे आंतरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने से रोक और क़ुरआन के माध्यम से हमारे दिलों की गंदगी और हमारे पापों की आसक्ति को धो डाल हमारे अस्तित्व को और हमारे टूटे हुए मामलों को क़ुरआन के साथ जोड़ दे। इसे व्यवस्थित कर और, उस स्थान पर जहाँ कर्म तेरे सामने प्रस्तुत किए जाते हैं, क़ुरआन के लिए हमारी प्यास बुझा दे, जो वहाँ की गर्मी से पैदा होती है। और जब हम महान आतंक के दिन पुनर्जीवित किये जायेंगे तो वह हमें क़ुरआन के माध्यम से सुरक्षा का वस्त्र पहनाएगा। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَدِمْ بِالْقُرْآنِ صَلَاحَ ظَاهِرِنَا، وَ احْجُبْ بِهِ خَطَرَاتِ الْوَسَاوِسِ عَنْ صِحَّةِ ضَمَائِرِنَا، وَ اغْسِلْ بِهِ دَرَنَ قُلُوبِنَا وَ عَلَائِقَ أَوْزَارِنَا، وَ اجْمَعْ بِهِ مُنْتَشَرَ أُمُورِنَا، وَ أَرْوِ بِهِ فِي مَوْقِفِ الْعَرْضِ عَلَيْكَ ظَمَأَ هَوَاجِرِنَا، وَ اكْسُنَا بِهِ حُلَلَ الْأَمَانِ يَوْمَ الْفَزَعِ الْأَكْبَرِ فِي نُشُورِنَا |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेही, वज्बुर बिल क़ुरआने ख़ल्लतना मिन अदमिल इमलाक़े, व सुक़ इलैना बेहि रग़दल ऐशे व खिस्बा सआतिल अरज़ाके, व जन्नबना बेहिज़ जराएबल मज़मूमता व मदानेयल अख़लाके, वअसिमना बेहि मिन हुव्वतिल कुफ़्रे व दवाइन्नेफ़ाक़े हत्ता यकूना लना फ़िल क़यामते ऐला रिवज़ानेका व जनानेका क़ाएदन, वलना फ़िद दुनिया अन सुखतेका व तअद्दी होदूदेका ज़ाएदा, वलेमा इन्दका बेतहलीले हलालेही व तहरीमे हरामेहि शाहेदा | हे ईश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर, और क़ुरआन के माध्यम से हमारी गरीबी और अभाव के शून्य और अंतराल को भर। और क़ुरआन की कसम, हमें एक विस्तृत जीवन और प्रचुर जीविका प्रदान कर। और, क़ुरआन की छाया में, हमें अवांछनीय गुणों और नैतिक नीचता से दूर रख। और क़ुरआन के माध्यम से हमें कुफ़्र के गर्त और पाखंड की मंशा से बचा। क़ुरआन हमारा मार्गदर्शक हो और क़यामत के दिन तेरी प्रसन्नता और जन्नत की ओर हमारा मार्गदर्शन कर, और इस दुनिया में हमें तेरे क्रोध और तेरी सीमाओं के उल्लंघन से रोक। और वह तेरे सामने हमारे लिए गवाह बने कि जो कुछ हलाल है वह हलाल है और जो हलाल है वह हलाल है। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْبُرْ بِالْقُرْآنِ خَلَّتَنَا مِنْ عَدَمِ الْإِمْلَاقِ، وَ سُقْ إِلَيْنَا بِهِ رَغَدَ الْعَيْشِ وَ خِصْبَ سَعَةِ الْأَرْزَاقِ، وَ جَنِّبْنَا بِهِ الضَّرَائِبَ الْمَذْمُومَةَ وَ مَدَانِيَ الْأَخْلَاقِ، وَ اعْصِمْنَا بِهِ مِنْ هُوَّةِ الْكُفْرِ وَ دَوَاعِي النِّفَاقِ حَتَّى يَكُونَ لَنَا فِي الْقِيَامَةِ إِلَى رِضْوَانِكَ وَ جِنَانِكَ قَائِداً، وَ لَنَا فِي الدُّنْيَا عَنْ سُخْطِكَ وَ تَعَدِّي حُدُودِكَ ذَائِداً، وَ لِمَا عِنْدَكَ بِتَحْلِيلِ حَلَالِهِ وَ تَحْرِيمِ حَرَامِهِ شَاهِداً |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मिन व आलेही, व हव्विन बिल क़ुरआने इन्दल मौते अला अनफ़ोसेना करबस सेयाक़े, व जहदल अनीने, व तरादोफ़ल हशारेजे इज़ा बलग़तिन नुफ़ूसुत तराक़ेया व क़ीला मन राक़िन व तजल्ला मलकुल मौते लेकब़ज़ेहा मिन होजोबिल ग़ोयूबे, व रमाहा अन क़ौसिल मनाया बेअसहोमे वहशतिल फ़ेराक़े, व दाफ़ा लहा मिन ज़ोआफ़िल मौते कासन मसमूमतल मज़ाक़े, व दना मिन्ना एलल आख़ेरते रहीलुन वनतेलाक़ुन, व सारदिल आअमाले क़लाऐदा फ़िल आअनाक़े, व कानतिल क़ोबूरो हेयल मावा ऐला मीक़ाते यौमित तलाके | हे पालनहार! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज, और मृत्यु के समय, क़ुरआन के लिए, मरने की कठिनाई, कराहने की कठिनाई, और आत्माओं की संख्या, जब आत्माएं गले तक पहुंचती हैं और यह कहा जाता है: उपचारक कौन है?! इसे हमारे लिए आसान बना। हाँ; इसे आसान बना, खासकर तब जब मृत्यु का दूत आत्मा लेने के लिए अदृश्य के पर्दों से प्रकट होता है, और आत्मा की ओर मृत्यु के धनुष से अलगाव के भयानक बाण चलाता है, और घातक जहर से आत्मा के लिए एक जहरीला सिरप तैयार करता है। और इस दुनिया से परलोक की ओर हमारा प्रवास और गति निकट हो, और हमारे कर्म और कर्म हमारे गले का हार बन जाएं; और क़ब्रें मिलन के दिन तक क़ब्रें ही रहेंगी। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ هَوِّنْ بِالْقُرْآنِ عِنْدَ الْمَوْتِ عَلَى أَنْفُسِنَا كَرْبَ السِّيَاقِ، وَ جَهْدَ الْأَنِينِ، وَ تَرَادُفَ الْحَشَارِجِ إِذَا بَلَغَتِ النُّفُوسُ التَّراقِيَ، «وَ قِيلَ مَنْ راقٍ» وَ تَجَلَّى مَلَكُ الْمَوْتِ لِقَبْضِهَا مِنْ حُجُبِ الْغُيُوبِ، وَ رَمَاهَا عَنْ قَوْسِ الْمَنَايَا بِأَسْهُمِ وَحْشَةِ الْفِرَاقِ، وَ دَافَ لَهَا مِنْ ذُعَافِ الْمَوْتِ كَأْساً مَسْمُومَةَ الْمَذَاقِ، وَ دَنَا مِنَّا إِلَى الْآخِرَةِ رَحِيلٌ وَ انْطِلَاقٌ، وَ صَارَتِ الْأَعْمَالُ قَلَائِدَ فِي الْأَعْنَاقِ، وَ كَانَتِ الْقُبُورُ هِيَ الْمَأْوَى إِلَى مِيقَاتِ يَوْمِ التَّلَاقِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, व बारिक लना फ़ी होलूले दारिल बेला, व तूलिल मुकामते बैना अतबाक़िस सरा, वज्अलिल क़ोबूरा बादा फ़ेराक़िद दुनिया ख़ैरा मनाज़ेलेना, वफ़सह लना बेरहमतेका फ़ी ज़ैक़े मलाहेदेना, वला तफ़ज़हना फ़ी हाज़ेरिल क़यामते बेमूबेक़ाते आसामेना | हे पालन हार! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर, तथा बुढ़ापे और क्षय के घर में हमारे प्रवेश और धूल की परतों के बीच हमारे लंबे समय तक रहने को आशीर्वाद दें। और इस दुनिया से चले जाने के बाद कब्रों को अपना सर्वोत्तम घर बना। और अपनी दया से हमारे लिये संकरे मार्ग को चौड़ा कर। और हमें क़यामत के दिन उपस्थित लोगों के सामने उन विनाशकारी पापों के कारण अपमानित न कर जो हम पर हैं। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ بَارِكْ لَنَا فِي حُلُولِ دَارِ الْبِلَى، وَ طُولِ الْمُقَامَةِ بَيْنَ أَطْبَاقِ الثَّرَى، وَ اجْعَلِ الْقُبُورَ بَعْدَ فِرَاقِ الدُّنْيَا خَيْرَ مَنَازِلِنَا، وَ افْسَحْ لَنَا بِرَحْمَتِكَ فِي ضِيقِ مَلَاحِدِنَا، وَ لَا تَفْضَحْنَا فِي حَاضِرِي الْقِيَامَةِ بِمُوبِقَاتِ آثَامِنَا |
वर हम बिल क़ुरआने फी मौक़ेफ़िल अर्ज़े अलैका ज़ुल्लुन मकामेना, व सब्बित बेहि इन्दज तेराबे जिसरे जहन्नमा यौमल मजाज़े अलैहा ज़लला अक़दामेना, व नव्विर बेहि क़ब्लल बअसे सोदफ़ा क़ोबूरेना, व नज्जेना बेहि मिन कुल्ले करबिन यौमल क़यामते व शदाएदे अहवाले यौमित ताम्मते | और क़ुरआन के लिए, हमारे कर्मों को तेरे सामने प्रस्तुत करने के स्थान पर, हमारी अपमान और दीनता पर दया कर; और जब जहन्नम का पुल काँपने लगे तो क़ुरआन के द्वारा उसे पार करते समय अपने कदमों को दृढ़ कर। और क़यामत के दिन से पहले हमारी क़ब्रों के अँधेरे को क़ुरआन से रोशन कर दे। और हमें क़ुरआन की छाया में क़यामत के दिन के हर दुख से और बड़ी और अद्वितीय आपदा के दिन की कठिनाई और भय से बचा। | وَ ارْحَمْ بِالْقُرْآنِ فِي مَوْقِفِ الْعَرْضِ عَلَيْكَ ذُلَّ مَقَامِنَا، وَ ثَبِّتْ بِهِ عِنْدَ اضْطِرَابِ جِسْرِ جَهَنَّمَ يَوْمَ الْمَجَازِ عَلَيْهَا زَلَلَ أَقْدَامِنَا، وَ نَوِّرْ بِهِ قَبْلَ الْبَعْثِ سُدَفَ قُبُورِنَا، وَ نَجِّنَا بِهِ مِنْ كُلِّ كَرْبٍ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَ شَدَائِدِ أَهْوَالِ يَوْمِ الطَّامَّةِ |
व बय्यिज़ वोजूहना यौमा तसवद्दो वोजूहुज़ ज़लमते फ़ी यौमिल हसरते वन निदामते, वजअल लना फ़ी सोदूरिल मोमेनीना वुद्दा, वला तज्अलिल हयाता अलैना नकदा | और जिस दिन ज़ालिमों के चेहरे काले हो जाएँ - पछतावे और पश्चाताप के दिन - हमारे चेहरे सफ़ेद कर दे; और ईमानवाले लोगों के दिलों में हमारे लिए प्यार और दोस्ती पैदा कर; और हमारा जीवन कठिन मत बना। | وَ بَيِّضْ وُجُوهَنَا يَوْمَ تَسْوَدُّ وُجُوهُ الظَّلَمَةِ فِي يَوْمِ الْحَسْرَةِ وَ النَّدَامَةِ، وَ اجْعَلْ لَنَا فِي صُدُورِ الْمُؤْمِنِينَ وُدّاً، وَ لَا تَجْعَلِ الْحَيَاةَ عَلَيْنَا نَكَداً |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन अब्देका व रसूलेका कमा बल्लग़ा रेसालतेका, व सदअ बेअमरेका व नसहा लेऐबादेका | हे परमात्मा! अपने बन्दे और रसूल मुहम्मद पर दुरूद भेज, क्योंकि उन्होंने तेरे धर्म का सन्देश लोगों तक पहुँचाया, तेरे आदेश को स्पष्ट किया और अपने बन्दों पर दया की। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ عَبْدِكَ وَ رَسُولِكَ كَمَا بَلَّغَ رِسَالَتَكَ، وَ صَدَعَ بِأَمْرِكَ، وَ نَصَحَ لِعِبَادِكَ |
अल्लाहुम्मज्अल नबीय्येना-सलावातोका अलैहे व अला आलेही- यौमल क़यामते अक़रबन नबीयीना मिन्का मजलेसन, व अमकनहुम मिन्का शफाअतन, व अजल्लहुम इन्दका कदरन व औजहहुम इन्दका जाहन | हे परमेश्वर! हमारे पैग़म्बर (स), उन पर तेरा आशीर्वाद और उनके परिवार पर हो, न्याय के दिन सबसे करीबी पैगम्बरों में से होंगे। और तेरे निकट सिफ़ारिश करने में वह उनमें से सबसे शक्तिशाली है; और स्थिति और पद के संदर्भ में, वह उनमें से सबसे ऊंचे हैं; और पद और सम्मान की दृष्टि से उनमें सबसे अधिक सम्माननीय है। | اللَّهُمَّ اجْعَلْ نَبِيَّنَا- صَلَوَاتُكَ عَلَيْهِ وَ عَلَى آلِهِ- يَوْمَ الْقِيَامَةِ أَقْرَبَ الْنَّبِيِّينَ مِنْكَ مَجْلِساً، وَ أَمْكَنَهُمْ مِنْكَ شَفَاعَةً، وَ أَجَلَّهُمْ عِنْدَكَ قَدْراً، وَ أَوْجَهَهُمْ عِنْدَكَ جَاهاً |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्दिन व आलेहि, व शर्ऱिफ़ बुनयानहू, व अज़्ज़िम बुरहानहू, व सक़्क़िल मीजानहू, व तक़ब्बल शफाअतहू, व क़र्रिब वसीलतहू, व बय्यिज़ वज्हहू व अतिम्मा नूरहू वरफ़अ दरजतहू | हे पालन हार! मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज, उनकी नींव को ऊंचा उठा, उनके प्रमाणों और तर्कों को बड़ा कर, उनके तराजू को भारी बना, उनकी सिफ़ारिश स्वीकार कर, उनके साधनों को निकट ला, उनके चेहरे को चमका, उनके प्रकाश को पूर्ण करो, और उनके पद को ऊंचा करो। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ، وَ شَرِّفْ بُنْيَانَهُ، وَ عَظِّمْ بُرْهَانَهُ، وَ ثَقِّلْ مِيزَانَهُ، وَ تَقَبَّلْ شَفَاعَتَهُ، وَ قَرِّبْ وَسِيلَتَهُ، وَ بَيِّضْ وَجْهَهُ، وَ أَتِمَّ نُورَهُ، وَ ارْفَعْ دَرَجَتَهُ |
व अहयेना अला सुन्नतेहि, व तवफ़्फ़ना अला मिल्लतेहि व ख़ुज़ बेना मिनहाजहू, वस्लुक बेना सबीलहू, वज्अलना मिन अहले ताआतेहि, वहशुरना फ़ी ज़ुमरतेहि, व औरिदना हौज़हू वस्क़ेना बेकासेहि | और हमें अपने मार्ग में जीवित रख और अपने धर्म में हमें मरवा और अपने मार्ग पर रख और अपने मार्ग में हमारा मार्गदर्शन कर और हमें अपने आज्ञाकारियों में शामिल कर और हमें अपने समूह में इकट्ठा कर और अपने कुण्ड में प्रवेश करा। | وَ أَحْيِنَا عَلَى سُنَّتِهِ، وَ تَوَفَّنَا عَلَى مِلَّتِهِ وَ خُذْ بِنَا مِنْهَاجَهُ، وَ اسْلُكْ بِنَا سَبِيلَهُ، وَ اجْعَلْنَا مِنْ أَهْلِ طَاعَتِهِ، وَ احْشُرْنَا فِي زُمْرَتِهِ، وَ أَوْرِدْنَا حَوْضَهُ، وَ اسْقِنَا بِكَأْسِهِ |
व सल्ले अल्लाहुम्मा अला मुहम्मदिन व आलेही, सलातन तोबल्लेग़ोहू बेहा अफ़ज़ला मा यामोलो मिन ख़ैरेका व फ़ज़्लेका व करामतेका इन्नका ज़ू रहमतिन वासेअतिन, व फ़ज़्लिन करीमिन | और मुहम्मद और उनके परिवार पर दुरूद भेज। एक ऐसा सलाम जिसके ज़रिए आप उसे उस तक पहुँचाते हैं जिसकी वह आपकी भलाई, कृपा और गरिमा से उम्मीद करता है। निस्संदेह तू बड़ी दया और महान अनुग्रह के स्वामी हैं। | وَ صَلِّ اللَّهُمَّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، صَلَاةً تُبَلِّغُهُ بِهَا أَفْضَلَ مَا يَأْمُلُ مِنْ خَيْرِكَ وَ فَضْلِكَ وَ كَرَامَتِكَ، إِنَّكَ ذُو رَحْمَةٍ وَاسِعَةٍ، وَ فَضْلٍ كَرِيمٍ |
अल्लाहुम्मा इज़्जेही बेमा बल्लग़ा मिन रेसालतेका, व अद्दा मिन आयातेका, न नसहा लेएबादेका, व जाहदा फ़ी सबीलेका, अफ़ज़ला मा जज़यता अहदन मिन मलाएकतेकल मुक़र्रेबीना व अम्बियाएकल मुरसलीनल मुसतफ़ैने, वस सलामो अलैहे व अला आलेहित तय्येबीनत ताहेरीना व रहमतुल्लाहे व बरकातोह | हे पालनहार! क्योंकि उसने तेरे चिह्न लोगों तक पहुँचाए, तेरे चिह्न लोगों तक पहुँचाए, तेरे दासों के साथ भलाई की, और तेरे मार्ग पर लड़ा। उसे वह बदला प्रदान कर जो तूने अपने करीबी फ़रिश्तों और अपने चुने हुए नबियों में से किसी को दिया है। उन पर और उनके पवित्र एवं पवित्र परिवार पर शांति हो तथा ईश्वर की दया एवं आशीर्वाद उन पर बना रहे। | اللَّهُمَّ اجْزِهِ بِمَا بَلَّغَ مِنْ رِسَالاتِكَ، وَ أَدَّى مِنْ آيَاتِكَ، وَ نَصَحَ لِعِبَادِكَ، وَ جَاهَدَ فِي سَبِيلِكَ، أَفْضَلَ مَا جَزَيْتَ أَحَداً مِنْ مَلَائِكَتِكَ الْمُقَرَّبِينَ، وَ أَنْبِيَائِكَ الْمُرْسَلِينَ الْمُصْطَفَيْنَ، وَ السَّلَامُ عَلَيْهِ وَ عَلَى آلِهِ الطَّيِّبِينَ الطَّاهِرِينَ وَ رَحْمَةُ اللهِ وَ بَرَكَاتُهُ |
फ़ुटनोट
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 315
- ↑ अंसारीयान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 331-380; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 315-370; शरह फ़राज़हाए दुआ चहलो दोव्वुम अज़ साइट इरफ़ान
- ↑ अंसारीयान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 323-380
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 309-370
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 173-201
- ↑ ग़ाई, असामी व औसाफ़ क़ुरआन दर नियायिश ख़त्म क़ुरआन सहीफ़ा सज्जादिया पूया, फ़राज़मंदी क़ुरआन दर दुआ ए ख़त्म क़ुरआन इमाम सज्जाद (अ)
- ↑ मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 5, पेज 383-498
- ↑ मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 467-491
- ↑ दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 475-513
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 313-348
- ↑ फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 77-80
- ↑ जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 204-212
स्रोत
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- जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
- दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
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- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
- ग़ाई, अहमद रज़ा, असामी व औसाफ़ क़ुरआन दर नियायिश ख़त्म क़ुरआन सहीफ़ा सज्जादिया, दर नशरिया सफ़ीना, क्रमांक 9, 1384 शमसी क़ुरान ख़त्म करते समय हज़रत की दुआ
- मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
- मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
- ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी