सहीफ़ा सज्जादिया की तीसवीं दुआ
विषय | क़र्ज़ चुकाने तथा गरीबी और अमीरी का मानव जीवन पर प्रभाव |
---|---|
प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतावक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
सहीफ़ा सज्जादिया की तीसवीं दुआ (अरबीः الدعاء الثلاثون من الصحيفة السجادية ) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओ में से है, जिसमें ईश्वर से क़र्ज़ चुकाने और अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए मदद मांगी जाती है। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) ने मानव जीवन पर गरीबी और धन के प्रभावों का उल्लेख किया और फ़ज़ूलखर्ची से ईश्वर की शरण मांगी। क्षमा और संयम की भावना रखना, गरीबो से रफ़ाक़त पैदा करना और घमंडी और अहंकारी न होना सहीफ़ा सज्जादियी की तीसवीं दुआ में इमाम (अ) के अन्य अनुरोध हैं।
तीसवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ का वर्णन विभिन्न भाषाओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।
शिक्षाएँ
तीसवीं दुआ का मुख्य विषय ईश्वर से क़र्ज़ का भुगतान करने में मदद मांगना है। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) मानव जीवन पर गरीबी और धन के प्रभावों, अल्लाह के मार्ग मे भिक्षा देने और ऐसी पर्याप्त जीविका का आग्रह करना है जो अल्लाह के तक़र्रुब का सबब बने।[१] इस दुआ की शिक्षाएं इस प्रकार हैं:
- मान-सम्मान और क़र्ज़ से मुक्ति के लिए ईश्वर की शरण लेना
- मानव मस्तिष्क पर क़र्ज़ के हानिकारक प्रभाव और परिणाम
- सांसारिक जीवन में क़र्ज़ के अपमान और मृत्यु के बाद की परेशानियों से ईश्वर की शरण लेना
- क़र्ज़ लेने की कठिनाई से छुटकारा पाने और पर्याप्त धन और जीविका प्राप्त करने की दुआ
- फ़ज़ूलखर्ची और अपव्यय से ईश्वर की शरण लेना
- सख़ावत और मामलों में क्षमा तथा संयम की भावना रखने के लिए दुआ
- हलाल जीविका प्राप्त करने की सफलता के लिए दुआ
- धन के नशे मे घमंड और स्वार्थ से ईश्वर की शरण लेना
- गरीबो का साथ देना पसंद करने और उनके साथ अच्छा व्यवहार का अनुरोध
- दुनिया में भौतिक कठिनाइयों के लिए आख़िरत में सवाब पाने की दुआ
- ईश्वर की कृपा, क्षमा और उदारता की स्वीकृति
- धन-दौलत को अल्लाह के तक़र्रुब का वसीला क़रार देना[२]
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी तीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[३] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[४] सय्यद अहमद फ़हरी की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[५] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की तीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[६] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[७] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[८] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[९] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१०] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[११]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | अनुवाद | दुआ का अरबी उच्चारण |
---|---|---|
व काना मिन दुआएही अलैहिस सलामो फ़िल मऊनते अला क़जाइद दैने | क़र्ज़ का भुगतान करने के लिए हजरत की दुआ | وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي الْمَعُونَةِ عَلَي قَضَاءِ الدَّيْنِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेही, व हब लेयल आफ़ीयता मिन दैनिन तुख़्लेक़ो बेहि वजही, व यहारो फ़ीहे ज़ेहनी, व यतशअअबो लहू फ़िकरी, व यतूलो बेमुमारसतेही शुग़्ली | हे परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मुझे ऐसे ऋण से मुक्त कर, जिससे तू मेरी प्रतिष्ठा पर हर्फ आने दे और मेरा मन चिंताओं से परेशान और बिखरा रहने और हर समय इसी सोच-विचार में लगे रहे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ هَبْ لِيَ الْعَافِيَةَ مِنْ دَيْنٍ تُخْلِقُ بِهِ وَجْهِي، وَ يَحَارُ فِيهِ ذِهْنِي، وَ يَتَشَعَّبُ لَهُ فِكْرِي، وَ يَطُولُ بِمُمَارَسَتِهِ شُغْلِي |
व आउज़ोबेका, या रब्बे, मिन हम्मिद दैने व फ़िकरेही, व शुग्लिद दैने व सहरेही, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व आइज़नी मिन्हो, व असतजीरो बेका, या रब्बे, मिन ज़िल्लतेही फ़िल हयाते, व मिन तबेअतेही बादल वफ़ाते, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, व अजिरनी मिन्हो बेवुस्इन फ़ाज़ेलिन ओ कफ़ाफ़िन वासेलिन | हे मेरे पालन हार! मैं क़र्ज़ की चिंता और डर से, उसके बोझ से और उसकी वजह से नींद न आने से तेरी शरण चाहता हूं, इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर। और मुझे इससे बचा ले। परमेस्वर! मैं जीवन में उसके अपमान और मृत्यु के बाद उसकी विपत्ति से तेरी शरण चाहता हूँ। इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और प्रचुर धन और प्रचुर जीविका के माध्यम से मुझे उनसे मुक्त कर दे। | وَ أَعُوذُ بِكَ، يَا رَبِّ، مِنْ هَمِّ الدَّيْنِ وَ فِكْرِهِ، وَ شُغْلِ الدَّيْنِ وَ سَهَرِهِ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَعِذْنِي مِنْهُ، وَ أَسْتَجِيرُ بِكَ، يَا رَبِّ، مِنْ ذِلَّتِهِ فِي الْحَيَاةِ، وَ مِنْ تَبِعَتِهِ بَعْدَ الْوَفَاةِ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَجِرْني مِنْهُ بِوُسْعٍ فَاضِلٍ أَوْ كَفَافٍ وَاصِلٍ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वहजुब्नी अनिस सरफ़े वल इज़दियारे, व क़व्विमनी बिल बज़ले वल इक़्तेसादे, व अल्लिमनी हुस्नत तक़दीरे, वक़बिज़नी बेलुत्फ़ेका अनित तबज़ीरे, व अज्रे मिन असबाबिल हलाले अरजाक़ी, व वज्जेह फ़ी अबवाबिल बिर्रे इंफ़ाक़ी, वज़वे अन्नी मिनल माले मा योहदेसो ली मख़ीलतन ओ तअद्दीयन इला बग़इन ओ मा अतअक़्क़बो मिन्हो तुग़याना | हे परमात्मा, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मुझे फजूलखर्ची से रोक, और मुझे दान और मियानारवी के साथ संयम की स्थिति में रख, और मुझे वैध तरीकों से जीविका प्रदान कर, और मेरे धन को अच्छे कार्यों में खर्च करने की घोषणा कर, और उस धन को मुझसे दूर रख जो मेरे अंदर घमंड और महत्वाकांक्षा पैदा करे या मुझे ज़ुल्म की राह पर ले जाए या जिसका नतीजा विद्रोह और बगावत हो, उसे अपने पास रख। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ احْجُبْنِي عَنِ السَّرَفِ وَ الِازْدِيَادِ، وَ قَوِّمْنِي بِالْبَذْلِ وَ الِاقْتِصَادِ، وَ عَلِّمْنِي حُسْنَ التَّقْدِيرِ، وَ اقْبِضْنِي بِلُطْفِكَ عَنِ التَّبْذِيرِ، وَ أَجْرِ مِنْ أَسْبَابِ الْحَلَالِ أَرْزَاقِي، وَ وَجِّهْ فِي أَبْوَابِ الْبِرِّ إِنْفَاقِي، وَ ازْوِ عَنِّي مِنَ الْمَالِ مَا يُحْدِثُ لِي مَخِيلَةً أَوْ تَاَدِّياً اِلَي بَغْيٍ أَوْ مَا أتَعَقَّبُ مِنْهُ طُغْيَاناً. |
अल्लाहुम्मा हब्बिब इला सोहबतल फ़ोक़राए, व आइन्नी अला सोहबतेहिम बेहुस्निस सबरे | हे परमेश्वर! दरवेशों की संगति को मेरे लिए प्रिय बना और संतोषजनक धैर्य के साथ उनके साथ जुड़ने में मेरी सहायता कर। | اللَّهُمَّ حَبِّبْ إِلَيَّ صُحْبَةَ الْفُقَرَاءِ، وَ أَعِنِّي عَلَى صُحْبَتِهِمْ بِحُسْنِ الصَّبْرِ |
व मा ज़वयता अन्नी मिन मताइद दुनियल फ़ानीयते फ़ज़खरहो ली ख़जाएनेकल बाक़ीयते | उस सांसारिक धन का जो तूने मुझसे रोक लिया है। इसे अपने बचे हुए खज़ानों में मेरे लिए जमा कर दे। | وَ مَا زَوَيْتَ عَنِّي مِنْ مَتَاعِ الدُّنْيَا الْفَانِيَةِ فَاذْخَرْهُ لِي فِي خَزَائِنِكَ الْبَاقِيَةِ |
वज्अल मा ख़व्वलतनी मिन होतामेहा, व अज्जलता ली मिन मताऐहा बुलग़्तन इला जवारेका व वुस्लतन इला क़ुरबेका व ज़रीअतन इला जन्नतेका, इन्नका ज़ुल फ़ज़्लिल अज़ीमे, व अन्तल जवादुल करीमो | और इसके प्रावधानों के बारे में, जो तूने दिया है और इसकी सेवाओं के बारे में, इसे तेरी दया प्राप्त करने का एक साधन, निकटता प्राप्त करने का एक साधन और स्वर्ग तक पहुंचने का एक साधन घोषित कर, तू महान इनाम का मालिक और उदार है। | وَ اجْعَلْ مَا خَوَّلْتَنِي مِنْ حُطَامِهَا، وَ عَجَّلْتَ لِي مِنْ مَتَاعِهَا بُلْغَةً إِلَى جِوَارِكَ وَ وُصْلَةً إِلَى قُرْبِكَ وَ ذَرِيعَةً إِلَى جَنَّتِكَ، إِنَّكَ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ، وَ أَنْتَ الْجَوَادُ الْكَرِيمُ |
फ़ुटनोट
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 545
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 93-113; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 545-560
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 93-113
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 545-560
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 499-523
- ↑ मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 339-368
- ↑ मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 377-382
- ↑ दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 387-392
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 99-122
- ↑ फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 66-67
- ↑ जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 160-161
स्रोत
- अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
- जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
- दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
- फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
- फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
- मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
- मुग़निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
- ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी