सहीफ़ा सज्जादिया की बाईस्वीं दुआ
विषय | कठिनाई और विपत्ति, ईश्वर पर भरोसा, अच्छे कर्मो के प्रति जुनून और बुरे कर्मो से घृणा |
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प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतावक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
सहीफ़ा सज्जादिया की बाईस्वीं दुआ (अरबीःالدعاء الثاني والعشرون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की मशहूर दुआओं में से एक है, जो कठिनाई और विपत्ति के समय में पढ़ी जाता है। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) आत्मा की शुद्धि (तहज़ीब नफ़्स) की कठिनाइयों की ओर इशारा करते हुए ईश्वर से दया और प्रचुर जीविका की माँग करते हैं। इस दुआ में ईश्वर के अलावा किसी और पर भरोसा करने के परिणाम और ईर्ष्यालु (हासिद) व्यक्ति की खुसूसीयात भी बयान की गई हैं। इस दुआ मे वाजेबात को अंजाम देने मे ईश्वर की रज़ा और तौफ़ीक़ की मांग, खुशी और गम़ के साथ-साथ दोस्ती और दुश्मनी में संयम पर जोर दिया गया है।
बाईस्वीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशाही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।
शिक्षाएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की बाईस्वीं दुआ को कठिनाईयो और जटिलता के समय पढ़ने पर जोर दिया गया है। किताब शुहूद व शनाख़्त मे ममदूही किरमानशाही के अनुसार इस दुआ के छंदो से पता चलता है कि इमाम सज्जाद (अ) हर स्थिति मे (कठिनाईयो, मुसीबतो, विपत्तियो आदि) मे पूरी तरह से ईश्वर के प्रति समर्पित थे समय के हालात और घटनाओ ने आप मे किसी प्रकार का कोई बदलाव नही हुआ।।[१] बाइस्वीं दुआ की महत्वपूण शिक्षाऐं निम्नलिखित है:
- आत्मा को शुद्ध करने (तहज़ीब नफ़्स) में कठिनाई
- मानव की उन्नति के लिए इलाही तौफ़ीक़ की आवश्यकता
- ईश्वर को प्रसन्न करने वाले कार्यों की तौफ़ीक़ के लिए दुआ करना
- चयन की शक्ति और जिम्मेदारी की स्वीकृति मानव के विशेष विशेषाधिकारों में से एक है
- ईश्वर की प्रसन्नता, मार्गदर्शन का कारक है
- कठिनाइयों के सामने कमजोरी और अधीरता को स्वीकार करना
- कष्ट और दरिद्रता की कठिनाई तथा बड़े भरण-पोषण की याचना
- इलाही रहमत के लिए अनुरोध करना
- लोगों को न सौंपे जाने का अनुरोध करना
- ईश्वर के अलावा दूसरो पर भरोसे का परिणाम (परित्याग, अभाव, अभिशाप और दोष)
- बेनयाज़ी की हालत मे भी माफ़ी और क्षमा मांगना
- अपने ऊपर छोड़ दिए जाने की सूरत मे कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थता
- जीवन के सभी मामलों में ईश्वर से विशेष देखभाल की माँग करना
- ईश्वर की कृपा और महानता के लिए आशा की छाया में रहने की कोई आवश्यकता नहीं है
- ईर्ष्या से मुक्ति और पापों के निवारण की दुआ करना
- उपेक्षित कार्यों के लिए ईस्वर से क्षमा मांगना
- मक़ामे रेज़ा और बेहतरीन नेमत का अनुरोध और इज़्ज़त व आबरू और स्वास्थ के संरक्षण का अनुरोध
- वाजेबात को अंजाम देने मे तौफ़ीक का अनुरोध
- ईमानदारी से कर्म करने का अनुरोध करना
- अच्छे कार्यों के प्रति जुनून और बुरे कार्यों के प्रति घृणा
- संसार में वैराग्य की प्रार्थना |
- लोगों के बीच रहने और अंधेरे और संदेह से छुटकारा पाने के लिए प्रकाश का लाभ उठाने का अनुरोध किया जा रहा है
- सज़ा के डर और इनाम की उत्सुकता के आलोक में सेवा और दुआ करने की खुशी महसूस करना
- सज़ा का डर और सवाब की लालसा (मानव विकास में आनंद की इच्छा और कड़वाहट से बचने की भूमिका)
- दुनिया और आख़िरत के काम दुरुस्त करने की दुआ
- अल्लाह की नेमतो के लिए आभार
- ईर्ष्या का ख़तरा और ईर्ष्या के लक्षण: (ईश्वरीय व्यवस्था से दूर जाना, दूसरों की भलाई से पीड़ित होना)
- ख़ुशी और गुस्से में भी संयम, दोस्ती और दुश्मनी में भी संयम
- समृद्धि और आराम और कभी-कभी कठिनाई और आपातकाल के दौरान ईमानदारी से प्रार्थना करना
- शुद्ध (ख़ालिस) और निष्कलंक (बे नक़स) प्रार्थना[२]
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी बाइस्वीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[३] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[४] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[५] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की बाइस्वीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[६] मुहम्मद जवाद मुग़्निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[७] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[८] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[९] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१०] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[११]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | अनुवाद | दुआ का अरबी उच्चारण |
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वकाना मिन दुआऐही अलैहिस सलामो इंदश शिद्दते वलजहदे व तअस्सोरिल ओमूरे | कठिनाई और विपत्ति के समय इमाम सज्जाद (अ) की दुआ | وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ عِنْدَ الشِّدَّةِ وَ الْجَهْدِ وَ تَعَسُّرِ الْأُمُورِ |
अल्लाहुम्मा इन्नका कल्लफ़तनि मिन नफ़्सी मा अंता अमलको बेहि मिन्नी, व क़ुदरतोका अलैहे व अलय्या अग़लबो मिन क़ुदरती, फ़आतेनी मिन नफ़सी मा युरज़ीका अन्नी, व ख़ुज़ लेनफ़्सेका रेज़ाहा मिन नफ़्सी फ़ी आफ़ेयतिन | हे मेरे परमेश्वर! तूने (आत्म-सुधार और आत्म-साधना के संबंध में) जो तकलीफ़ मेरे जिम्मे की है, उस पर तू मुझसे अधिक शक्ति रखता है, और इस मामले में और मुझ पर तेरी शक्ति और क्षमता मेरी शक्ति और क्षमता से अधिक है। अत: मुझे वे कार्य करने में समर्थ कर जो तेरी प्रसन्नता का कारण बने। और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की स्थिति में मेरे साथ तेरी सहमति के कर्तव्यों का पालन करें। | اللَّهُمَّ إِنَّكَ كَلَّفْتَنِي مِنْ نَفْسِي مَا أَنْتَ أَمْلَكُ بِهِ مِنِّي ، وَ قُدْرَتُكَ عَلَيْهِ وَ عَلَيَّ أَغْلَبُ مِنْ قُدْرَتِي ، فَأَعْطِنِي مِنْ نَفْسِي مَا يُرْضِيكَ عَنِّي ، وَ خُذْ لِنَفْسِكَ رِضَاهَا مِنْ نَفْسِي فِي عَافِيَةٍ |
अल्लाहुम्मा ला ताक़ता ली बिल जहदे, वला सब्रा ली अलल बलाए, वला क़ुव्वता ली अलल फ़क़्रे, फ़ला तहज़ुर अलय्या रिज़क़ी, वला तकिलनी ऐला ख़ल्क़ेका, बल तफ़र्रद बेहाजती, व तवल्ला केफ़ायती | हे पालनहार! मुझमें कठिनाई का सामना करने का साहस, कठिनाई का सामना करने का धैर्य और गरीबी तथा आवश्यकता का सामना करने की शक्ति नहीं है। अतः मेरा भोजन न रोक और मुझे अपने प्राणियों के वश में न कर। बल्कि सीधे मेरी जरूरतें पूरी कर और खुद ही मेरी देखभाल करने वाला बन | اللَّهُمَّ لَا طَاقَةَ لِي بِالْجَهْدِ ، وَ لَا صَبْرَ لِي عَلَى الْبَلَاءِ ، وَ لَا قُوَّةَ لِي عَلَى الْفَقْرِ ، فَلَا تَحْظُرْ عَلَيَّ رِزْقِي ، وَ لَا تَكِلْنِي إِلَى خَلْقِكَ ، بَلْ تَفَرَّدْ بِحَاجَتِي ، وَ تَوَلَّ كِفَايَتِي |
वनज़ुर इलय्या वनज़ुर ली फ़ी जमीऐ उमूरी, फ़इन्नका इन वकलतनी ऐला नफ़सी अजज़तो अन्हा वलम ओक़िम मा फ़ीहे मसलहतोहा, व इन वकलतनी इला ख़लक़ेका तजह्हमूनी, व इन अलजातनी इला क़राबती हरमूनी, व इन आतौ आतौ क़लीलन नकेदन, व मन्नू अलय्या तवीलन, व ज़म्मू कसीरन | और मुझ पर दया कर, और मेरे सब कामों में मुझ पर दृष्टि रख। क्योंकि यदि तू मुझे मेरे हाल पर छोड़ देगा तो मैं अपना काम नहीं कर पाऊंगा। और मैं उन कार्यों को नहीं कर पाऊंगा जिनमें मैं अच्छा हूं। और यदि तू मुझे लोगों के हाथ में सौंप देगा, तो वे मुझे सिद्धांतों की दृष्टि से देखेंगे। और अगर अपनों की ओर धकेला गया तो वे मुझे निराश ही रखेंगे। और यदि वे कुछ देंगे तो वह थोड़ा और अप्रिय होगा, और उसकी तुलना में उनमें दया भी अधिक होगी और बुराई भी अधिक करेंगे। | وَ انْظُرْ إِلَيَّ وَ انْظُرْ لِي فِي جَمِيعِ أُمُورِي ، فَإِنَّكَ إِنْ وَكَلْتَنِي إِلَى نَفْسِي عَجَزْتُ عَنْهَا وَ لَمْ أُقِمْ مَا فِيهِ مَصْلَحَتُهَا ، وَ إِنْ وَكَلْتَنِي إِلَى خَلْقِكَ تَجَهَّمُونِي ، وَ إِنْ أَلْجَأْتَنِي إِلَى قَرَابَتِي حَرَمُونِي ، وَ إِنْ أَعْطَوْا أَعْطَوْا قَلِيلًا نَكِداً ، وَ مَنُّوا عَلَيَّ طَويِلاً ، وَ ذَمُّوا كَثيِراً |
फ़बफ़ज़लेका, अल्लाहुम्मा, फ़अग़्नेनी, व बेअज़मतेका फ़नअशनी, व बेसआतेका, फ़बसुत यदी, व बेमा इंदा फ़कफ़ेनी | अतः हे परमात्मा! इसलिए मुझे अपनी कृपा और अनुग्रह से मुक्त कर, और अपनी महिमा और वैभव से मेरी आवश्यकता को दूर कर, और अपनी शक्ति और विशालता से मेरा हाथ कुशादा कर दे, और अपने आशीर्वाद से मुझे दूसरों स) बेनियाज़ कर दे | فَبِفَضْلِكَ ، اللَّهُمَّ ، فَأَغْنِنِي ، وَ بِعَظَمَتِكَ فَانْعَشْنِي ، وَ بِسَعَتِكَ ، فَابْسُطْ يَدِي ، وَ بِمَا عِنْدَكَ فَاكْفِنِي |
अल्लहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व ख़ल्लिसनी मिनल हसदे, वहसुरनी आनिज़ ज़ोनूबे, व वर्रअनी अनिल महारिमे, व ला तोजर्रेअनी अलल मआसी, वज्अल हवाया इंदका, व रेज़ाय फ़ीमा यरेदो अलय्या मिन्का, व बारिक ली फ़ीमा रज़कतनी व फ़ीमा ख़व्वलतनी व फ़ीमा अन्अमता बेहि अलय्या, वज्अलनी फ़ी कुल्ले हालाती महफ़ूज़न मकलूअन मसतूरन ममनूअन मुआज़न मुजारन | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मुझे ईर्ष्या से बचा, और मुझे पाप करने से रोक। और मुझे निषिद्ध कार्यों से बचने का अवसर प्रदान कर, और मुझे पाप करने का साहस न करने दे, और मेरी इच्छाओं को अपने पास रख, और उन चीज़ों पर अपनी सहमति व्यक्त कर जो तेरी ओर से मुझ पर आती हैं, और जीविका, क्षमा, और इनाम। क्या मैं मेरे लिए कई गुना बढ़ सकता हूं और मुझे सभी परिस्थितियों में अपनी सुरक्षा, हिजाब, पर्यवेक्षण और आश्रय में रख | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ خَلِّصْنِي مِنَ الْحَسَدِ ، وَ احْصُرْنِي عَنِ الذُّنُوبِ ، وَ وَرِّعْنِي عَنِ الَْمحَارِمِ ، وَ لَا تُجَرِّئْنِي عَلَى الْمَعَاصِي ، وَ اجْعَلْ هَوَايَ عِنْدَكَ ، وَ رِضَايَ فِيما يَرِدُ عَلَيَّ مِنْكَ ، وَ بَارِكْ لِي فِيما رَزَقْتَنِي وَ فِيما خَوَّلْتَنِي وَ فِيما أَنْعَمْتَ بِهِ عَلَيَّ ، وَ اجْعَلْنِي فِي كُلِّ حَالَاتِي مَحْفُوظاً مَكْلُوءاً مَسْتُوراً مَمْنُوعاً مُعَاذاً مُجَاراً |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वक़्ज़े अन्नी कुल्ला मा अलजमतेनिहे व फ़रजतहू अलय्या लका फ़ी वजहिन मिन वुजूहे ताअतेका औ लेख़ल्किन मिन ख़ल्क़ेका व इन ज़ओफा अन ज़ालेका बदनी, व वहनत अन्हो क़ुव्वति, व लम तनलहू मक़दूरती, व लम यसअहो मालि व ला ज़ातो यदी, ज़करतोहू ओ नसयतेहू | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मुझे हर प्रकार की आज्ञाकारिता को पूरा करने की क्षमता प्रदान कर जो आपने अपने लिए या किसी भी प्राणी के लिए मुझ पर अनिवार्य कर दी है। भले ही मेरे शरीर में इसे करने की शक्ति न हो और मेरी शक्ति उसकी तुलना में कमजोर हो और यह मेरी क्षमता से परे हो और मेरी संपत्ति में इसकी क्षमता न हो। मुझे वो याद हो या मैं भूल गया हूँ | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ اقْضِ عَنِّي كُلَّ مَا أَلْزَمْتَنِيهِ وَ فَرَضْتَهُ عَلَيَّ لَكَ فِي وَجْهٍ مِنْ وُجُوهِ طَاعَتِكَ أَوْ لِخَلْقٍ مِنْ خَلْقِكَ وَ إِنْ ضَعُفَ عَنْ ذَلِكَ بَدَنِي ، وَ وَهَنَتْ عَنْهُ قُوَّتِي ، وَ لَمْ تَنَلْهُ مَقْدُرَتِي ، وَ لَمْ يَسَعْهُ مَالِي وَ لَا ذَاتُ يَدِي ، ذَكَرْتُهُ أَوْ نَسِيتُهُ |
होवा या रब्बे, मिम्मा क़द अहसयतहू अलय्या व अग़फ़लतोहू अना मिन नफ़सी, फ़आदेहि अन्नी मिन जज़ीले आतय्यतेका व कसीरे मा इंदका, फ़इन्नका वासेउन करीम, हत्ता ला यबक़ा अलय्या शैउन मिन्हो तोरीदो अन तोक़ास्सनी बेहि मिन हसनाती, ओ तोज़ाएफ़ा बेहि मिन सय्यआती यौमा अलक़ाका या रब्बे | हे परमात्मा! यह उन चीजों में से एक है जिसके लिए तूने मुझे जिम्मेदार ठहराया है और मैंने अपनी लापरवाही के कारण इसे पूरा नहीं किया। अत: अपनी अपार क्षमा और प्रचुर दया को दृष्टि में रखते हुए इस कमी (कमी) को पूरा कर। क्योंकि तू दयालु और उदार हैं. तो हे प्रभु! जिस दिन मैं तुझ से मिलूं, उस दिन मेरे लिए कुछ भी न बचे जिससे तू मेरे अच्छे कर्मों को कम करना या मेरे बुरे कर्मों को बढ़ाना चाहें। | هُوَ ، يَا رَبِّ ، مِمَّا قَدْ أَحْصَيْتَهُ عَلَيَّ وَ أَغْفَلْتُهُ أَنَا مِنْ نَفْسِي ، فَأَدِّهِ عَنِّي مِنْ جَزِيلِ عَطِيَّتِكَ وَ كَثِيرِ مَا عِنْدَكَ ، فَإِنَّكَ وَاسِعٌ كَرِيمٌ ، حَتَّى لَا يَبْقَى عَلَيَّ شَيْءٌ مِنْهُ تُرِيدُ أَنْ تُقَاصَّنِي بِهِ مِنْ حَسَنَاتِي ، أَوْ تُضَاعِفَ بِهِ مِنْ سَيِّئَاتِي يَوْمَ أَلْقَاكَ يَا رَبِّ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वरज़ुक़निर रग़बता फ़िल अमले लका लेआख़ेरती हत्ता आरेफ़ा सिदक़ा ज़ालेका मिन क़ल्बी, व हत्ता यकूनल ग़ालेबो अलय्यज़ ज़ोहदा फ़ी दुनयाया, व हत्ता आमलल हसनाते शौकन, व आमना मिनस सय्याते फ़रक़न व ख़ौफ़न, व हज ली नूरन अमशी बेहि फ़िन नासे, व अहतदी बेहि फ़िज़ ज़ोलोमाते, व असतज़ेओ बेहि मिनश शक़्क़े वश शुबहाते | हे परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और आख़िरत के मद्देनज़र मुझे केवल अपने लिए कार्य करने की इच्छा प्रदान कर जब तक कि मैं तेरे दिल में इसका स्वास्थ्य महसूस न करूँ और दुनिया के प्रति तपस्या और वैराग्य की भावना मुझ पर हावी न हो जाए और जुनून के साथ अच्छे काम न करूँ और भय के कारण होने वाले बुरे कामों से बचा रहू। और मुझे ऐसा प्रकाश (ज्ञान) प्रदान कर कि मैं लोगों के बीच (बिना ठोकर खाए) चल सकूं और इसके माध्यम से मुझे अंधेरे में मार्गदर्शन मिल सके और संदेह के धुंध में रोशनी मिल सके। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ ارْزُقْنِي الرَّغْبَةَ فِي الْعَمَلِ لَكَ لآِخِرَتِي حَتَّى أَعْرِفَ صِدْقَ ذَلِكَ مِنْ قَلْبِي ، وَ حَتَّى يَكُونَ الْغَالِبُ عَلَيَّ الزُّهْدَ فِي دُنْيَايَ ، وَ حَتَّى أَعْمَلَ الْحَسَنَاتِ شَوْقاً ، وَ آمَنَ مِنَ السَّيِّئَاتِ فَرَقاً وَ خَوْفاً ، وَ هَبْ لِي نُوراً أَمْشِي بِهِ فِي النَّاسِ ، وَ أَهْتَدِي بِهِ فِي الظُّلُمَاتِ ، وَ أَسْتَضِيءُ بِهِ مِنَ الشَّكِّ وَ الشُّبُهَاتِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वरज़ुक्नी ख़ौफ़ा ग़म्मिल वईदे, व शौक़ा सवाबिल मौऊदे हत्ता अजेदा लज़्जता मा अदऊका लहू, व काबेता मा असतजीरो बेका मिन्हो | हे मेरे पालनहार, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मुझे दुख की सजा से डरा और आख़िरत के सवाब का शोक मेरे अंदर पदा कर ताकि जिस चीज़ का तुझ से तालिब हू उस का आनंद और जिस से पनाह मानगता हूं उस की तलख़ी महसूस कर सकूं | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ ارْزُقْنِي خَوْفَ غَمِّ الْوَعِيدِ ، وَ شَوْقَ ثَوَابِ الْمَوْعُودِ حَتَّى أَجِدَ لَذَّةَ مَا أَدْعُوكَ لَهُ ، وَ كَأْبَةَ مَا أَسْتَجيِرُ بِكَ مِنْهُ |
अल्लाहुम्मा क़द तअलमो मा युसलेहोनी मिन अमरे दुनयाया व आख़ेरति फ़कुन बेहावएजी हफ़ीय्या | पालन हार! जिन चीज़ों से मेरे धार्मिक और सांसारिक मामलों का कल्याण जुड़ा हुआ है तू उन्हे खूब जानता है। अतः मेरी जरूरतों पर विशेष ध्यान दे। | اللَّهُمَّ قَدْ تَعْلَمُ مَا يُصْلِحُنِي مِنْ أَمْرِ دُنْيَايَ وَ آخِرَتِي فَكُنْ بِحَوَائِجِي حَفِيّاً |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आले मुहम्मद, वरज़ुक़्निल हक़्क़ा इन्दा तक़सीरी फ़िश शुक्रे लका बेमा अनअमता अलय्या अतअर्रेफ़ा मिन नफ़सी रौहल रेजाए व तोमानीयतन नफ़से मिन्नी बेमा यजेबो लका फ़ीमा यहदोसो फ़ी हालिल खौफ़े वल अमने वर्रज़ा वस सुख़्ते वज़ ज़र्रे वन नफ़्ऐ | हे परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और समृद्धि और गरीबी और स्वास्थ्य और बीमारी में तूने उन्हें जो आशीर्वाद दिया है, उसके लिए मुझे अपने दिल की खुशी और अपने अधिकारों को पूरा करने में आत्मसंतुष्टि महसूस करने दे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ ، وَ ارْزُقْنِي الْحَقَّ عِنْدَ تَقْصِيرِي فِي الشُّكْرِ لَكَ بِمَا أَنْعَمْتَ عَلَيَّ فِي الْيُسْرِ وَ الْعُسْرِ وَ الصِّحَّةِ وَ السَّقَمِ ، حَتَّى أَتَعَرَّفَ مِنْ نَفْسِي رَوْحَ الرِّضَا وَ طُمَأْنِينَةَ النَّفْسِ مِنِّي بِمَا يَجِبُ لَكَ فِيما يَحْدُثُ فِي حَالِ الْخَوْفِ وَ الْاَمْنِ وَ الرِّضَا وَ السُّخْطِ وَ الضَّرِّ وَ النَّفْعِ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वर ज़ुक़्नी सलामतस सद्रे मिनल हसदे हत्ता ला अहसोदा अहदन मिन ख़ल्क़ेका अला शैइन मिन फ़जलेका, व हत्ता ला अरा नेअमतन मिन नेआमेका अला अहदिन मिन ख़लक़ेका फ़ी दीनिन ओ दुनया ओ आफ़ेयतिन ओ तक़वा ओ सअतिन ओ रख़ाइन इल्ला रजोतो लेनफ़सी अफ़ज़ला ज़ालेका बेका व मिनका वहदका ला शरीका लका | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मेरी छाती को ईर्ष्या से शुद्ध कर ताकि जो कुछ तूने अपनी कृपा से उसे दिया है, उसके कारण मैं किसी भी प्राणी से ईर्ष्या न करूं, जब तक कि मैं तेरा कोई आशीर्वाद नहीं देख लेता, चाहे वह संबंधित हो धर्म हो या संसार, चाहे वह स्वास्थ्य या पवित्रता से संबंधित हो, चाहे वह जीविका या आराम की प्रचुरता से संबंधित हो, तेरे अलावा किसी भी प्राणी के लिए। हे परमात्मा मै तुझसे अपने लिए इससे भी बेहतर कुछ चाहता हूं। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ ارْزُقْنِي سَلَامَةَ الصَّدْرِ مِنَ الْحَسَدِ حَتَّى لَا أَحْسُدَ أَحَداً مِنْ خَلْقِكَ عَلَى شَيْءٍ مِنْ فَضْلِكَ ، وَ حَتَّى لَا أَرَى نِعْمَةً مِنْ نِعَمِكَ عَلَى أَحَدٍ مِنْ خَلْقِكَ فِي دِينٍ أَوْ دُنْيَا أَوْ عَافِيَةٍ أَوْ تَقْوَى أَوْ سَعَةٍ أَوْ رَخَاءٍ إِلَّا رَجَوْتُ لِنَفْسِي أَفْضَلَ ذَلِكَ بِكَ وَ مِنْكَ وَحْدَكَ لَا شَريِكَ لَكَ |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, वरज़ुक़्नित तहफ़्फ़ोजा मिनल खताया, वल एहतेरासा मिनज जललिन फ़िद दुनिया वल आख़ेरते फ़ि हालिर रेज़ा वल ग़ज़बिन, हत्ता अकूना बेमा यरेदो अलय्या मिन्होमा बेमंज़ेलतिन सवाइन, आमेलन बेताआतेका, मअस्सेरन लेरेज़ाका अला मा सेवाहोमा फ़िल ओलेयाए वल आदाए, हत्ता यामना अदुव्वी मिन ज़ुल्मी व जौरी, व यायसा वलिय्ये मिन मयली वन हेताते हवाया | हे पालनहार ! मुहम्मद और उनके परिवार पर और इस दुनिया और उसके बाद के मामलों रहमत नाज़िल कर, चाहे खुशी या गुस्से की स्थिति में हो, मुझे गलतियों से सुरक्षा प्रदान कर और फिसलन से बचा, क्रोध और खुशी की स्थिति एक हो और तेरी आज्ञाकारिता का पालन करूं। और मैं मित्रों और शत्रुओं के प्रति तेरी खुशी और आज्ञाकारिता को अन्य चीजों से अधिक प्राथमिकता दूंगा जब तक कि शत्रु को मेरी क्रूरता और उत्पीड़न का कोई डर न हो और मेरा मित्र भी जिम्मेदारी और मित्रता के प्रवाह में बहकर निराश न हो जाए। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ ارْزُقْنِي التَّحَفُّظَ مِنَ الْخَطَايَا ، وَ الِاحْتِرَاسَ مِنَ الزَّلَلِ فِي الدُّنْيَا وَ الآْخِرَةِ فِي حَالِ الرِّضَا وَ الْغَضَبِ ، حَتَّى أَكُونَ بِمَا يَرِدُ عَلَيَّ مِنْهُمَا بِمَنْزِلَةٍ سَوَاءٍ ، عَامِلًا بِطَاعَتِكَ ، مُؤْثِراً لِرِضَاكَ عَلَى مَا سِوَاهُمَا فِي الْأَوْلِيَاءِ وَ الْأَعْدَاءِ ، حَتَّى يَأْمَنَ عَدُوِّي مِنْ ظُلْمِي وَ جَوْرِي ، وَ يَاْيَسَ وَلِيِّي مِنْ مَيْلِي وَ انْحِطَاطِ هَوَايَ |
वजअलनी मिम्मन यदऊका मुखलेसन फ़िर रख़ाए दुआअल मुखलेसीनल मुज़तर्रीना लका फ़िद दुआए, इन्नका हमीदुन मजीद | और मुझे उन लोगों में से एक बना जो आराम और आसाइश के समय में उन ईमानदार लोगों की तरह पूरी ईमानदारी से दुआ करते हैं जो संकट और गरीबी के समय मे दुआ करते हैं। सचमुच, वह प्रशंसनीय और महान है। | وَ اجْعَلْنِي مِمَّنْ يَدْعُوكَ مُخْلِصاً فِي الرَّخَاءِ دُعَاءَ الُْمخْلِصِينَ الْمُضْطَرِّينَ لَكَ فِي الدُّعَاءِ ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ |
फ़ुटनोट
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 329
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 391-447; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 329-368
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 385-447
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 329-368
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 361-378
- ↑ मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 3, पेज 490-535
- ↑ मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 295-308
- ↑ दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 283-300
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 598-567
- ↑ फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 52-53
- ↑ जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 127-131
स्रोत
- अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
- जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
- दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
- फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
- फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
- मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
- मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
- ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी