सहीफ़ा सज्जादिया की छठी दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की छठी दुआ
शाबान 1102 हिजरी मे अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
शाबान 1102 हिजरी मे अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयसुबह और शाम की दुआ, रात और दिन के निर्माण और मानव जीवन पर इसके प्रभावों
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की छठी दुआ (अरबीःالدعاء السادس من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओ में से एक है, जो हर सुबह और शाम पढ़ी जाती है रात और दिन के निर्माण और मानव जीवन पर इसके प्रभावों के साथ-साथ विश्वासियों के कर्तव्यों को संदर्भित करती है। इस दुआ में इमाम सज्जाद (अ) ने रात और दिन के माध्यम से मोमिनो का परिक्षण किया है, दैवीय शक्ति के तहत प्राणियों की आवाजाही, अच्छे काम करने के लिए दुआ और कृतज्ञता की सफलता, पैग़म्बर मुहम्मद (स) की नबूवत की गवाही दी है। और भगवान से क्षमा मांगी हैं।

छठी दुआकी विभिन्न शरहे दुनिया की कई भाषाओ मे लिखी गई है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान और अरबी भाषा मे रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीनय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की छठी दुआ का विषय, जो हर सुबह और शाम पढ़ी जाती है, ईश्वर की नेमतो की गणना है, जिसमें रात और दिन का निर्माण और दोनों का सटीक क्रम और मानव जीवन के लिए इसके लाभ शामिल है आस्तिक के कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ दिन-रात, ईश्वर से सफलता और कृतज्ञता माँगते हुए और पैग़म्बर मुहम्मद (स) और उनके परिवार पर दुरूद हो।[१] इस दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • दैवीय शक्ति से रात और दिन की रचना और उनके क्रम की ओर संकेत करना
  • दिन और रात बंदेगान को पालने और उनकी उन्नति का साधन है।
  • रात शांति और आराम का स्रोत है और जीवन शक्ति और मानव शक्ति को नवीनीकृत करने और आनंद प्राप्त करने का कारण है।
  • यह बंदेगान के लिए अनुग्रह और दयालुता, जीविका और इसके बाद स्थायी लाभ प्राप्त करने का एक दूरदर्शी दिन है।
  • दिन-रात सेवकों का परीक्षण करना
  • रात और दिन के अस्तित्व के लिए ईश्वर की हम्द करना
  • ईश्वरीय शक्ति एवं योजना के अधीन सभी प्राणियों की गति
  • भगवान ने जो दिया है उसके अलावा कुछ भी अच्छा नहीं है।
  • मानवीय कार्यों पर दिन की गवाही, अच्छे दिन के लिए दुआ और उसके सभी घंटों के अच्छे उपयोग के लिए दुआ
  • पैग़म्बर (स) मानवीय कार्यों के रचयिता हैं
  • मार्गदर्शन और दिव्य प्रेम की माँग करना
  • ईश्वर की अवज्ञा से स्वयं को बचाने के लिए दुआ करना
  • अच्छे कर्मों की सफलता के लिए दुआ, बुराई से दूर रहना, अम्र बिल मारूफ और नही अज़ मुनकर करना, इस्लाम की रक्षा करना, गुमराहों को मार्गदर्शन देना, कमजोरों की मदद करना और दुखी और परेशान लोगों को आश्रय देना।
  • ईश्वरीय निर्णय से संतुष्टि और ईश्वर की एकता और न्याय की गवाही
  • पैग़म्बर मुहम्मद (स) की नबूवत और उनकी उम्मत के प्रति उनकी उदारता की गवाही और पैगंबर (स) के लिए सबसे बड़े इनाम का अनुरोध
  • ईश्वर से क्षमा मांगना[२]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी छठी दुआ के विभिन्न भागो का भी वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है।[३] इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त,[४] और सय्यद अहमद फ़हरि की शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[५] फ़ारसी भाषा मे की गई है।

सहीफ़ा सज्जादिया की छठी दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी कि किताब रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ातुस साजेदीन[६] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया[७] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[८] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह की किताब आफ़ाक़ अल-रूह[९] अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१०]] मे विस्तार से वर्णन किया गया है।

पाठ और अनुवाद

साहिफ़ा सज्जादिया की छठी दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
वकाना मिन दुआऐहि अलैहिस सलामो इन्दस सबाहे वल मसाए सुबह और शाम की दुआ وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ عِنْدَ الصَّبَاحِ وَ الْمَسَاءِ
अल्हमदो लिल्लाहिल लज़ी ख़लक़ल लैला वन्हारा बेक़ुव्वतेहि सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए जिसने अपनी शक्ति से दिन और रात की रचना की। الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي خَلَقَ اللَّيْلَ وَ النَّهَارَ بِقُوَّتِهِ
वमय्यज़ा बैयनहोमा बेक़ुदरतेहि और अपनी शक्ति से इन दोनो मे अंतर किया। َ مَيَّزَ بَيْنَهُمَا بِقُدْرَتِهِ
व जअला लेकुल्ले वाहेदिन मिन्होमा हद्दन महदूदा, व अमदन ममदूदा और उनमे से प्रत्येक को निर्धारित सीमा व समय का पाबंद बनाया। وَ جَعَلَ لِكُلِّ وَاحِدٍ مِنْهُمَا حَدّاً مَحْدُوداً، وَ أَمَداً مَمْدُوداً
यूलेजो कुल्ला वाहेदिन मिन्होमा फी साहेबेहि, व यूलेजो साहेबहू फ़ीहे बेतक़दीरे मिन्हो लिल्ऐबादे फ़ीहा यग़ज़ोवहुम बेहि, व युनशेआहुम अलैहि और उनके कम और ज्यादा होने का जो अनुमान निर्धारित किया उसके अनुसार रात्रि के स्थान पर दिन और दिन के स्थान पर रात्रि का लाता है ताकि इस माध्म से बंदो की जीविका और उनके पालन पोषण का सामान करे। يُولِجُ كُلَّ وَاحِدٍ مِنْهُمَا فِي صَاحِبِهِ، وَ يُولِجُ صَاحِبَهُ فِيهِ بِتَقْدِيرٍ مِنْهُ لِلْعِبَادِ فِيما يَغْذُوهُمْ بِهِ، وَ يُنْشِئُهُمْ عَلَيْهِ
फ़ख़ल्क़ा लहोमुल लैला लेयसकोनू फ़ीहे मिन हरकातित तअबे व नहाज़ातिन नसबे, व जअलहू लेबासन लेयलबसू मिन राहतेहि व मनामेहि, फ़यकूना ज़ालेका लहुम जमअन व क़ुव्वतन, व लेयनालौ बेहि लज़्ज़तन व शहवतन अतः उसने उसके लिए रात बनाई ताकि वह उसमे थका देने वाले कामो और थका देने वाली कुलफ़तो के बाद आराम करे और उसे पर्दा बनाया ताकि सकून की चादर तान कर विश्राम से सोए और यह उनके लिए राहत और सकून तथा प्राकृतिक शक्तियो के बहाल होने और लज़्ज़त का माध्यम हो। فَخَلَقَ لَهُمُ اللَّيْلَ لِيَسْكُنُوا فِيهِ مِنْ حَرَكَاتِ التَّعَبِ وَ نَهَضَاتِ النَّصَبِ، وَ جَعَلَهُ لِبَاساً لِيَلْبَسُوا مِنْ رَاحَتِهِ وَ مَنَامِهِ، فَيَكُونَ ذَلِكَ لَهُمْ جَمَاماً وَ قُوَّةً، وَ لِيَنَالُوا بِهِ لَذَّةً وَ شَهْوَةً
व ख़लक़ा लहोमुन नहारे मुबसेरन लेयबतगू ऐला रिज़्केहि, व यसरजू फ़ी अर्जेहि, तलबन लेमा फ़ीहे नैलुल आजेले मिन दुनयाहुम, व दरकुल अजेला फ़ी आख़राहुम और दिन को उनके लिए रौशन और चमकता हुआ पैदा किया ताकि उसमे (जीविका प्रापत करे) उसके फ़ज़्ल की तलाश करे और जीविका का माध्यम तलाश करे तथा सांसारिक लाभो और परलोकिक फायदो के कारक तलाश करने के लिए उसकी पृथ्वी पर चले फ़िरे। وَ خَلَقَ لَهُمُ النَّهَارَ مُبْصِراً لِيَبْتَغُوا فِيهِ مِنْ فَضْلِهِ، وَ لِيَتَسَبَّبُوا إِلَى رِزْقِهِ، وَ يَسْرَحُوا فِي أَرْضِهِ، طَلَباً لِمَا فِيهِ نَيْلُ الْعَاجِلِ مِنْ دُنْيَاهُمْ، وَ دَرَكُ الآْجِلِ فِي أُخْرَاهُمْ
बेकुल्ले ज़ालेका युस्लेहो शानहुम व यबलौ अख़बारहुम, व यंज़रो कैफ़ा हुम फ़ी औक़ाते ताआतेहि व मनाज़ेले फ़ोरूज़ेहि व मवाक़ेऐ अहकामेहि (लेयज्ज़ेयल लज़ीना असाऊ बेमा अमेलू व यजज़ेयल लज़ीना अहसनू बिहुस्ना) इन सभी कार्यों के द्वारा वह उनकी स्थितियों को समायोजित करता है और उनके कार्यों की जांच करता है और देखता है कि वे आज्ञाकारिता, कर्तव्यों के चरणों और आज्ञाओं का पालन करने के अवसरों में खुद को कैसे साबित करते हैं ताकि दुष्टों को उनके कुकर्मों के लिए दंडित किया जा सके और अच्छे लोगों को अच्छा इनाम दिया जा सके। लोग। بِكُلِّ ذَلِكَ يُصْلِحُ شَأْنَهُمْ، وَ يَبْلُو أَخْبَارَهُمْ، وَ يَنْظُرُ كَيْفَ هُمْ فِي أَوْقَاتِ طَاعَتِهِ، وَ مَنَازِلِ فُرُوضِهِ، وَ مَوَاقِعِ أَحْكَامِهِ، «لِيَجْزِيَ الَّذِينَ أَسَاؤُوا بِمَا عَمِلُوا، وَ يَجْزِيَ الَّذِينَ أَحْسَنُوا بِالْحُسْنَى».
अल्लाहुम्मा फ़लकल हम्दो अला मा फलक़ता लना मिनल इस्बाहे व मत्तअतना बेहि मिन ज़ौइन्नहारे व बस्सरतना मिन मतालेबे इल्लल अक़वाते व वक़्कैयतना फ़ीहे मिन तवारेक़िल आफ़ाते हे परमात्मा! सारी प्रशंसा और स्तुति तेरे लिए है कि तूने हमारे लिए सुबह की सुबह की और इस तरह हमें दिन की रोशनी से लाभान्वित किया और हमें जीविका के अवसर दिखाए और हमें विपत्तियों और आपदाओं से बचाया। اللَّهُمَّ فَلَكَ الْحَمْدُ عَلَى مَا فَلَقْتَ لَنَا مِنَ الْإِصْبَاحِ، وَ مَتَّعْتَنَا بِهِ مِنْ ضَوْءِ النَّهَارِ، وَ بَصَّرْتَنَا مِنْ مَطَالِبِ الْأَقْوَاتِ، وَ وَقَيْتَنَا فِيهِ مِنْ طَوَارِقِ الآْفَاتِ.
अस्बहना व अस्बहतिल अश्याओ क़ुल्लेहा बेजुमलतेहा लका समाओहा व अर्जोहा वमा बस्सता फ़ी कुल्ले वाहेदिन मिन्होमा, साकेनहू व मुतहर्रेकाहो व मोक़ीमोहू व शाखेसहू वमा अला फ़िल हवाए व मा कुन्ना तहतस सरा हम और हमारे सिवा जो कुछ भी तू ने उनके बीच फैलाया है, चाहे वे स्थिर हों, या चलते फिरते हों, निवास करते हों या भटकते हों, आकाश में ऊपर हों या धरती की गहराइयों में छिपे हों। أَصْبَحْنَا وَ أَصْبَحَتِ الْأَشْيَاءُ كُلُّهَا بِجُمْلَتِهَا لَكَ سَمَاؤُهَا وَ أَرْضُهَا، وَ مَا بَثَثْتَ فِي كُلِّ وَاحِدٍ مِنْهُمَا، سَاكِنُهُ وَ مُتَحَرِّكُهُ، وَ مُقِيمُهُ وَ شَاخِصُهُ وَ مَا عَلَا فِي الْهَوَاءِ، وَ مَا كَنَّ تَحْتَ الثَّري
अस्बहना फ़ी कब़्ज़तेका यहवीना मुल्कोका व सुल्तानोका व तज़म्मोआ मशीय्यतेका व नतशर्रफ़ो अन अम्रेका व नतक़ल्लबो फ़ी तदबीरेका हम तेरे कब्ज़े में हैं। और तेरी शक्ति और तेरा राज्य हम पर हावी है, और तेरी इच्छा की परिधि हमें घेरे हुए है। तेरे आदेश से हम निस्तारण करते हैं और तेरी योजना के तहत हम एक स्थिति से दूसरी स्थिति की ओर पलटते हैं। أَصْبَحْنَا فِي قَبْضَتِكَ يَحْوِينَا مُلْكُكَ وَ سُلْطَانُكَ، وَ تَضُمُّنَا مَشِيَّتُكَ، وَ نَتَصَرَّفُ عَنْ أَمْرِكَ، وَ نَتَقَلَّبُ فِي تَدْبيِرِكَ.
लैसा लना मिनल अम्रे इल्ला मा क़ज़यता, वला मिनल ख़ैरे इल्ला मा आअतय्ता तूने हमारे लिए जो आदेश दिया है और जो अच्छाई तूने हमें प्रदान की है, उसके अलावा हमारे नियंत्रण में कुछ भी नहीं है। لَيْسَ لَنَا مِنَ الْأَمْرِ إِلَّا مَا قَضَيْتَ، وَ لَا مِنَ الْخَيْرِ إِلَّا مَا أَعْطَيْتَ.
व हाज़ा यौमुन हादेसुन जदीदुन, व होवा अलैना शाहेदुन अबीदुन, इन आहसन्ना वद्दअना बेहम्दिन, व इन असासना फ़रकना बेज़म्मिन और यह दिन नया और ताज़ा है, जो हमारे लिए एक गवाह है जो हमेशा मौजूद रहता है। यदि हमने अच्छे कर्म किये तो वह हमारी प्रशंसा करेगा और हमें छोड़ देगा और यदि हम बुरे कर्म करेंगे तो वह हमें बुरा करके छोड़ देगा! وَ هَذَا يَوْمٌ حَادِثٌ جَدِيدٌ، وَ هُوَ عَلَيْنَا شَاهِدٌ عَتِيدٌ، إِنْ أَحْسَنَّا وَدَّعَنَا بِحَمْدٍ، وَ إِنْ أَسَأْنَا فَارَقَنَا بِذَمٍّ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्दिन व आलेहि, वरज़ुक़्ना हुसना मुसाहेबतेहि, वाअसिम्ना मिन सूए मुफ़ारक़तेहि बेअरकाबे जरीरतिन औ इक़तेराफ़िन सग़ीरतिन ओ कबीरतिन हे परमेश्वर! इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और हमें इस दिन की अच्छी संगति प्रदान कर और हमें गलती करने या छोटे या बड़े पाप से पीड़ित होने के कारण टूटे हुए दिल के साथ जाने से बचाएं। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ ارْزُقْنَا حُسْنَ مُصَاحَبَتِهِ، وَ اعْصِمْنَا مِنْ سُوءِ مُفَارَقَتِهِ بِارْتِكَابِ جَرِيرَةٍ، أَوِ اقْتِرَافِ صَغِيرَةٍ أَوْ كَبِيرَةٍ
व अजज़ल लना फ़ीहे मिनल हसनाते, व अख़लना फीहे मिनस सय्याआते, वमलआ लना मा बैना तरफ़ेतिहि हम्दन व शुक्रन व अजज़न व ज़ुखरन व फ़ज़्लन व एहसाना और इस दिन अपने अच्छे कर्मों का हिस्सा बढ़ाएं। और हमें बुराई से मुक्त रख। और हमारे लिए इसकी शुरुआत और अंत को प्रशंसा और धन्यवाद, इसके बाद इनाम, धन, क्षमा और दयालुता से भर। وَ أَجْزِلْ لَنَا فِيهِ مِنَ الْحَسَنَاتِ، وَ أَخْلِنَا فِيهِ مِنَ السَّيِّئَاتِ، وَ امْلَأْ لَنَا مَا بَيْنَ طَرَفَيْهِ حَمْداً وَ شُكْراً وَ أَجْراً وَ ذُخْراً وَ فَضْلًا وَ إِحْسَاناً.
अल्लाहुम्मा यस्सिर अलल करामिल कातेबीना मऊनतना, वमलआ लना मिन हसनातेना सहाऐफ़ना, वला तुख़जना इन्दहुम बेसूऐ आमालेना हे पालनहार! अल्लाह शास्त्रियों पर (हमारे पापों को लिखने का) बोझ कम कर दे और हमारे अभिलेखों को अच्छे कर्मों से भर दे और हमारे बुरे कर्मों के कारण उनके सामने हमें अपमानित न कर। اللَّهُمَّ يَسِّرْ عَلَى الْكِرَامِ الكاتبِينَ مَؤُونَتَنَا، وَ امْلَأْ لَنَا مِنْ حَسَنَاتِنَا صَحَائِفَنَا، وَ لَا تُخْزِنَا عِنْدَهُمْ بِسُوءِ أَعْمَالِنَا.
अल्लाहुम्मा इज्अल लना फ़ी कुल्ले साअतिन मिन साआबेहि हज़्ज़न मिन ऐबादेका, व नसीबन मिन शुक्रेका व शाहेदा सिद्क़े मिन मलाएकतेका भगवान भला करे! इसलिए, इस दिन के हर क्षण में, हमारे लिए अपने विशेष सेवकों के भाग्य और नियति और अपने धन्यवाद का एक हिस्सा और स्वर्गदूतों के बीच से एक सच्चे गवाह की घोषणा कर। اللَّهُمَّ اجْعَلْ لَنَا فِي كُلِّ سَاعَةٍ مِنْ سَاعَاتِهِ حَظّاً مِنْ عِبَادِكَ، وَ نَصِيباً مِنْ شُكْرِكَ وَ شَاهِدَ صِدْقٍ مِنْ مَلَائِكَتِكَ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्ममदिव वा आलेहि, वहफज़्ज़ना मिन बैना ऐयदीना व मिन खलफ़ेना व अन ऐमानेना व अन शमाऐलना व मिन जमीए नवाहीना, व हिफ़्ज़न आसेमना मिन मअस्यतेका हादीयन ऐला ताअतेका, मुस्तअमेलन लेमहब्बेतेका हे पालनहार! अतः मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजलि कर और हमें आगे, पीछे, दाएँ, बाएँ और हर तरफ से सुरक्षित कर। ऐसी सुरक्षा जो हमारे लिए पाप और अधर्म से बचने का मार्ग हो, हमें तेरी आज्ञा मानने के लिए मार्गदर्शन करती हो और केवल तेरे प्रेम में है اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ احْفَظْنَا مِنْ بَيْنِ أَيْدِينَا وَ مِنْ خَلْفِنَا وَ عَنْ أَيْمَانِنَا وَ عَنْ شَمَائِلِنَا وَ مِنْ جَمِيعِ نَوَاحِينَا، حِفْظاً عَاصِماً مِنْ مَعْصِيَتِكَ، هَادِياً إِلَى طَاعَتِكَ، مُسْتَعْمِلاً لِمَحَبَّتِكَ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि, व वफ़क़ना फ़ी यौमेना हाज़ा व लैलतेना हाज़ेहि व फ़ी जमीए अय्यामेना लेइस्तेअमालिल ख़ैरे, व हिजरानिन नश्रे, व शुक्रिन नेअमे, व इत्तेबाइस सुनने, व मुजानबतिल बदए, वल अम्रे बिल मारूफ़े वन नही अनिल मुनकरे, व हेयाततिल इस्लामे, वनतेक़ासिल बातेले व इज़लालेहि व नुसरतिल हक़्क़े व ऐज़ाजेहि व इरशादिज़ जाल्ले, व मुआवनतिज़ जेअफ़े, व इराकिल लहीफे हे परमेश्वर! इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर। और हमें आज की रात और जीवन के सभी दिनों में तौफीक प्रदान कर कि हम अच्छे कर्म करें, बुरे कर्म छोड़ें, आशीर्वाद के लिए आभारी रहें और सुन्नतों का पालन करें, नवाचारों से दूर रहें और अम्र बिल मारूफ करें और नही अनिल मुनकर करें। इस्लाम का समर्थन करे, झूठ को कुचले और उसे अपमानित करे। सत्य का साथ दे और उसे ऊपर उठाए। खोए हुए को राह दिखा, कमज़ोरों की मदद कर और बीमारों को खाना खिला। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ وَفِّقْنَا فِي يَوْمِنَا هَذَا وَ لَيْلَتِنَا هَذِهِ وَ فِي جَمِيعِ أَيَّامِنَا لِاسْتِعْمَالِ الْخَيْرِ، وَ هِجْرَانِ الشَّرِّ، وَ شُكْرِ النِّعَمِ، وَ اتِّبَاعِ السُّنَنِ، وَ مُجَانَبَةِ الْبِدَعِ، وَ الْأَمْرِ بِالْمَعْرُوفِ، وَ النَّهْيِ عَنِ الْمُنْكَرِ، وَ حِيَاطَةِ الْإِسْلَامِ، وَ انْتِقَاصِ الْبَاطِلِ وَ إِذْلَالِهِ، وَ نُصْرَةِ الْحَقِّ وَ إِعْزَازِهِ، وَ إِرْشَادِ الضَّالِّ، وَ مُعَاوَنَةِ الضَّعيِفِ، وَ اِدْرَاكِ اللّهيِفِ
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वाआलेहि, वजअलहो ऐमना यौमा आहदनाहो व अफ़ज़ला साहेबे सहिबनाहो, ख़ैरा वक़तिन ज़लिलना फ़ीहे भगवान भला करे! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और इस दिन को हमारे द्वारा बिताए गए सभी दिनों और हमारे सभी साथियों की तुलना में अधिक धन्य बना। उसे सबसे अच्छा दोस्त और हर समय का सबसे अच्छा समय कह जिसके साये में हम रहे हैं। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْعَلْهُ أَيْمَنَ يَوْمٍ عَهِدْنَاهُ، وَ أَفْضَلَ صَاحِبٍ صَحِبْنَاهُ، وَ خَيْرَ وَقْتٍ ظَلِلْنَا فِيهِ
वज्अलना मिन अर्ज़ा मन मर्रा अलैहिल लैलो वन नहारो मिन जुमलाते ख़ल्लकेक़ा, अशकरहुम लेमा औलैयता मिन नेअमेका, व अक़वमहुम बेमा शरअता मिन शराएका, व ओक़फ़ाहुम अम्मा हज़रता मिन नहीका और हमें उन सभी प्राणियों में सबसे अधिक संतुष्ट और प्रसन्न बना जिन पर दिन और रात का चक्र चल रहा है, और तेरे द्वारा दी गई नेमतो के लिए सबसे अधिक आभारी, और तेरे द्वारा जारी किए गए आदेशों के लिए सबसे अधिक आज्ञाकारी, और सबसे अधिक उन्हें घोषित कर जो उन चीज़ों से दूर रहते हैं जिन्हें तुने डर पैदा करके मना किया है। وَ اجْعَلْنَا مِنْ أَرْضَى مَنْ مَرَّ عَلَيْهِ اللَّيْلُ وَ النَّهَارُ مِنْ جُمْلَةِ خَلْقِكَ، أَشْكَرَهُمْ لِمَا أَوْلَيْتَ مِنْ نِعَمِكَ، وَ أَقْوَمَهُمْ بِمَا شَرَعْتَ مِنْ شرَائِعِكَ، وَ أَوْقَفَهُمْ عَمَّا حَذَّرْتَ مِنْ نَهْيِكَ.
अल्लाहुम्मा इन्नी अशहदोका व कफ़ा बेका शहीदन, व अशहदो समाएका व अरज़का व मन असकंतहोमा मिन मलाएकतेका व साएरे ख़लक़ेका फ़ी यौमी हाज़ेहि व मुस्तक़र्री हाज़ा, अन्नी अशहदो अन्नका अंतल्लाहुल लज़ी ला इलाहा इल्ला अन्ता, क़ाऐमुन बिल क़िस्ते अदलन फ़िल हुक्मे रऊफ़ुन बिल ऐबादे मालेका रहुमन बिल हक़्क़े हे ईश्वर! मैं तेरी गवाही देता हूं, और तू गवाही देने के लिये काफी है, और मैं तेरे आकाश और तेरी पृय्वी, और उन में स्वर्गदूतों, और उन सब प्राणियों की गवाही देता हूं जिन्हें तू ने इस दिन, और इस घड़ी, और इस रात में रखा है। और इस स्थान पर मैं स्वीकार करता हूं कि तू अकेले पालनहार हैं, जिसके अलावा कोई परमेश्वर नहीं है, जो न्याय स्थापित करता है, जो आदेश में न्याय का पालन करता है, अपने बंदो के प्रति दयालु, शक्ति का स्वामी और दयालु है। اللَّهُمَّ إِنِّي أُشْهِدُكَ وَ كَفَى بِكَ شَهِيداً، وَ أُشْهِدُ سَمَاءَكَ وَ أَرْضَكَ وَ مَنْ أَسْكَنْتَهُمَا مِنْ مَلائِكَتِكَ وَ سَائِرِ خَلْقِكَ فِي يَوْمِي هَذَا وَ سَاعَتِي هَذِهِ وَ لَيْلَتِي هَذِهِ وَ مُسْتَقَرِّي هَذَا، أَنِّي أَشْهَدُ أَنَّكَ أَنْتَ اللَّهُ الَّذِي لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ، قَائِمٌ بِالْقِسْطِ، عَدْلٌ فِي الْحُكْمِ، رَؤُوفٌ بِالْعِبَادِ، مَالِكُ الْمُلْكِ، رَحيِمٌ بِالْخَلْقِ.
व अन्ना मुहम्मदन अब्दोका व रसूलका व ख़ेयरतेका मिन ख़ल्क़ेका, हम्मलतहू रेसालातेका फ़अद्दाहा, व अमरतहू बिननुस्हे लेअम्मतेहि फनसहा लहा और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद (स) तेरे विशेष बंदो, रसूल और ब्रह्मांड के चुने हुए व्यक्ति हैं, उन्होंने सलाह दी। وَ أَنَّ مُحَمَّداً عَبْدُكَ وَ رَسُولُكَ و خِيَرَتُكَ مِنْ خَلْقِكَ، حَمَّلْتَهُ رِسَالَتَكَ فَأَدَّاهَا، وَ أَمَرْتَهُ بِالنُّصْحِ لِأُمَّتِهِ فَنَصَحَ لَهَا
अल्लाहुम्मा फ़सल्ले अला मोहम्मदिव वालेहि अकसरा मा सल्लयता अला अहदिन मिन ख़लक़ेका, व आतेहि अन्ना अफ़ज़ला मा आतयता अहदन मिन ऐबादेका, व अजिजहे अन्ना अफ़ज़ला व अकरमा मा जज़यता अहदन मिन अम्बियाएका अन उम्मतेहि उन्हें हमारी ओर से वह सर्वोत्तम उपहार प्रदान कर जो तेरे द्वारा अपने बंदो को दिए गए प्रत्येक पुरस्कार से अधिक हो। और उन्हें हमारी ओर से ऐसा इनाम दे जो इन सब इनामों से बेहतर और श्रेष्ठ हो। जो तूने उसकी उम्मत में से एक औलाद को अता किया है। اللَّهُمَّ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، أَكْثَرَ مَا صَلَّيْتَ عَلَى أَحَدٍ مِنْ خَلْقِكَ، وَ آتِهِ عَنَّا أَفْضَلَ مَا آتَيْتَ أَحَداً مِنْ عِبَادِكَ، وَ اجْزِهِ عَنَّا أَفْضَلَ وَ أَكْرَمَ مَا جَزَيْتَ أَحَداً مِنْ أَنْبِيَائِكَ عَنْ أُمَّتِهِ
इन्का अन्तल मन्नानो बिल जिस्मे, अल-ग़ाफ़ेरो लिल अज़् व अन्ता अरहमो मिन कुल्ले रहीम, फ़सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहित तय्येबीनत ताहेरीनल अख़बारिल अंजबीना वास्तव में, वह महान आशीर्वादों का दाता, बड़े पापों को क्षमा करने वाला और सभी दयावानों से भी अधिक दयालु है। इसलिए, मुहम्मद और उनके शुद्ध और महान वंशजों पर रहमत नाजिल कर। إِنَّكَ أَنْتَ الْمَنَّانُ بِالْجَسِيمِ، الْغَافِرُ لِلْعَظِيمِ، وَ أَنْتَ أَرْحَمُ مِنْ كُلِّ رَحِيمٍ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ الطَّيِّبِينَ الطَّاهِرِينَ الْاَخْيَارِ الْاَنْجَبيِنَ.

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 357
  2. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1371 शम्सी, भाग 4, पेज 15-101
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 4, पेज 15-101
  4. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 357-420
  5. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादि., 1388 शम्सी, भगा 1, पेज 319-320
  6. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 2, पेज 175-300
  7. मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 , पेज 119-134
  8. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 103-118
  9. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 133-184
  10. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 30-33


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1371 शम्सी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल रूह, बैरूत, दार अल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तअलीक़ात अलल सहीफ़ा अल सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बोहूस वल तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज़ उस सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल नश्र अल इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़नीया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़ेलाल अल सहीफ़ा अल सज्जादिया, क़ुम, दार अल कुतुब अल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शहूद व शनाख्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्दमा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी