सहीफ़ा सज्जादिया की इकत्तीसवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की इकत्तीसवीं दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयपश्चाताप का आग्रह करना, सच्चे पश्चाताप की शर्तें, पश्चाताप करने वाले की स्थिति और पापों से छुटकारा पाने के तरीके
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की इकत्तीसवीं दुआ (अरबीःالدعاء الواحد والثلاثون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओं में से एक है जिसमें ईश्वर से सच्ची पश्चाताप का अनुरोध किया गया है। इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) सच्ची पश्चाताप की शर्तो, सच्ची पश्चाताप करने वाले की स्थितियों और पापों से छुटकारा पाने के तरीकों को व्यक्त किया हैं। इस दुआ के विषयों के अनुसार, व्यक्ति का आंतरिक परिवर्तन सच्ची पश्चाताप की एक शर्त है, और अल्लाह की मुहब्बत पापो से छुटकारा पाने का एक मज़बूत किला है।

हज़रत ज़ैनुल आबेदीन (अ) के अनुसार इस दुनिया और आख़िरत में गुनाह इंसान के लिए बोझ है। साथ ही, नरक पापों का स्वाभाविक प्रतिबिंब होगा; इस कारण व्यक्ति को सदैव अल्लाह से पश्चाताप की दुआ करनी चाहिए। मुहम्मद (स) और उनके परिवार की मध्यस्थता से अज्ञानता, गुमराही से मुक्ति मांगना इस दुआ की अन्य शिक्षाओं में से एक है।

सय्यद मुहम्मद ज़ियाबादी की पुस्तक "इत्रे मारफ़त: गुले वाज़ेग़ानी अज़ गुलिस्ताने मारफ़ते तौबा" इकत्तीसवीं दुआ के विवरण में फारसी में लिखी गई है। साथ ही, इस दुआ का वर्णन फ़ारसी और अरबी भाषा में सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो में किया गया है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की इकत्तीसवीं दुआ का मुख्य विषय ईश्वर से पश्चाताप की दुआ करना है। पश्चाताप की दुआ को सहीफ़ा सज्जादिया की बेहतरीन दुआओ में शुमार किया गया है।[१] इस दुआ में, इमाम सज्जाद (अ) ने पापों के प्रकार, पश्चाताप की स्थिति और सच्ची पश्चाताप की शर्तों को बताया है[२] इस दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • अल्लाह प्रशंसा करने वालो की प्रशंसा से भी श्रेष्ठ है। (प्रशंसा करने वालो की असमर्थता)
  • नरक पापों का स्वाभाविक प्रतिबिंब है।
  • ईश्वर आशा करने वालों की अंतिम आशा है।
  • परमेश्वर नेकी करने वालो के सवाब को व्यर्थ नहीं करता।
  • परमेश्वर के सामने सेवकों का भय।
  • ईश्वर उपासकों के लिए परम भय और पवित्र लोगों के लिए परम भय है।
  • मानव अस्तित्व ईश्वर के हाथों में है।
  • ईश्वर के सामने अपनी गलती और पाप की स्वीकारोक्ति।
  • मनुष्य का आंतरिक परिवर्तन ही सच्चे पश्चाताप की स्थिति है।
  • पाप दुनिया और आख़िरत मे इंसान की गर्दन का तौक है।
  • दिल का अंधापन पश्चाताप की प्रस्तावना है। (पाप का आनंद पश्चाताप को रोकता है)
  • ईश्वर की क्षमा की आशा ही पश्चाताप का कारण बनता है।
  • ईश्वर की शक्ति की अज्ञानता और उसकी कृपा और उपकार से इनकार मनुष्य पर शैतान के नियंत्रण का परिणाम है।
  • वास्तविक पश्चातापकर्ता की स्थिति: (ईश्वर के समक्ष समर्पण, आसूंओ से भरी आँखें, ख़ुलूस से पुकारना और बीते हुए जीवन पर पछतावा)
  • बड़े पापों की क्षमा ईश्वर के हाथ में है।
  • परमेश्वर ने अपने बंदो को इस्तेजाबते दुआ का वचन दिया है।
  • अल्लाह अपने बंदो को पापों का दंड देने में जल्दबाजी नहीं करता।
  • पापों से छुटकारा पाने के तरीके (आज्ञाकारिता और इबादत में मनुष्य की स्थिरता, पापों की फिसलन भरी ढलानों से बचना, दोषों को ढंकने वाले भगवान की शरण लेना और पाप की गंदगी से दिल को धोना)
  • पश्चाताप करने वालों के लिए भगवान का प्यार
  • सच्चे पश्चाताप की शर्तें (बाहरी और भीतरी पापों से पश्चाताप, अतीत और वर्तमान की भूलों से पश्चाताप, दुबारा पाप न करने का ईश्वर से वचन करना, पाप के दाग से हृदय की शुद्धि और पाप के लिए पश्चाताप)
  • सच्चा पश्चाताप, शर्म और आशा के साथ ईश्वर की ओर मुड़ना।
  • सच्चा पश्चाताप, ईश्वरीय कृपा के प्रति विश्वास और लालच के साथ।
  • सच्चा पश्चाताप, ईश्वर के अलावा किसी अन्य के प्रति लालच को त्यागकर और ईश्वर के अलावा किसी दूसरे से न डरना।
  • अल्लाह के महबूब कामो को करने में सफलता मांगना।
  • अल्लाह की मुहब्बत पाप से छुटकारा पाने का एक मजबूत किला है।
  • सेवा के इरादे पर अटल रहने का अनुरोध।
  • ईश्वर से दुबारा पाप मे पड़ने से शरण मांगना
  • ऐसी चीजें न करने की गारंटी देना जिनकी ईश्वर ने निंदा की है
  • सभी पापों से बचने के लिए ईश्वर के साथ वाचा बांधना
  • पश्चाताप केवल ईश्वर की देखभाल और सुरक्षा के प्रकाश में ही रहता है
  • पश्चाताप के लिए पूछना जो पिछले पापों को साफ़ करता है और भविष्य के पापों से बचाता है
  • इलाही अज़ाब से छुटकारे की मांग करते हुए पश्चाताप
  • ऐसी किसी भी चीज़ के लिए पश्चाताप करना जो ईश्वर की इच्छा और प्रेम के विरुद्ध है।
  • विनम्र सेवक की दुआओ पर ईश्वर से सम्मानजनक व्यवहार का अनुरोध करना
  • पछतावे की स्वीकारोक्ति और पाप का परित्याग और पश्चाताप सिद्ध करने के लिए क्षमा
  • लोगों के भूले हुए अधिकारों की भरपाई के लिए दुआ
  • पाप की ओर लौटने से ईश्वर की शरण लेना
  • अज्ञानता के लिए ईश्वर से क्षमा याचना
  • उन कार्यों से पश्चाताप जो लोगों को ईश्वर के प्रेम से दूर करते हैं।
  • शिफ़ाअत पाने के योग्य न होते हुए भी शिफ़ाअत माँगना
  • ईश्वर की कृपा और उदारता के माध्यम से मध्यस्थता का अनुरोध
  • दैवीय दण्ड का समर्थक न होना
  • स्वर्ग और पृथ्वी पश्चाताप की गवाही देते हैं
  • मुहम्मद और उनके परिवार द्वारा लोगों को अज्ञानता और गुमराही से मुक्ति[३]

व्याख्याएँ

सय्यद मुहम्मद ज़ियाबादी की पुस्तक "इत्रे मारफ़त: गुले वाज़ेग़ानी अज़ गुलिस्ताने मारफ़ते तौबा" इस दुआ का फ़ारसी वर्णन है। जिसे तेहरान से अल-ज़हरा चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा 2014 में इस पुस्तक को प्रकाशित किया।[४]

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे हुसैन अंसारियान की दयारे आशेक़ान[५] मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[६] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[७] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसी तरह सहीफ़ा सज्जादिया की इकत्तीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[८] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[९] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[१०] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[११] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१२] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१३]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की इकत्तीसवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो फ़ी ज़िक्रित्तौबते व तलबेहा तौबा की दुआ وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي ذِكْرِ التَّوْبَةِ وَ طَلَبِهَا
अल्लाहुम्मा या मन ला यसेफ़ोहू नअतुल वासेफ़ीना हे परमेश्वर! हे वह जिसका वर्णन करने में शब्द असमर्थ हैं। اللَّهُمَّ يَا مَنْ لَا يَصِفُهُ نَعْتُ الْوَاصِفِينَ
व या मन ला योज़ावेज़ोहू रजाउर राजेबीना हे परमेश्वर! हे वह जो आशावायीदो की उम्मीदवारो का केंद्र है। وَ يَا مَنْ لَا يُجَاوِزُهُ رَجَاءُ الرَّاجِينَ
व या मन ला यज़ीओ लदयहे अजरुल मोहसेनीना हे वह जिस के यहां नेकूकारो का अज्र व्र्थ नही होता। وَ يَا مَنْ لَا يَضِيعُ لَدَيْهِ أَجْرُ الُْمحْسِنِينَ
व या मन होवा मुन्तहा ख़ौफ़िल आबेदीना हे वह जो इबादतक करने वालो के भय की इंतेहा है। وَ يَا مَنْ هُوَ مُنْتَهَى خَوْفِ الْعَابِدِينَ.
व या मन होवा ग़ायतो खश्यतिल मुत्तक़ीना हे वह जो परहेज़गारो के हताशा की आखरी सीमा है। وَ يَا مَنْ هُوَ غَايَةُ خَشْيَةِ الْمُتَّقِينَ
हाज़ा मक़ामो मन तदावलतहो आयदिज़ ज़ोनूबे, व क़ादतहो अज़िम्मतुल ख़ताया, वस्तहवज़ा अलैहिश शैतानो, फ़क़स्सरा अम्मा अमरता बेहि तफ़रीतन, व तआता मा नहयता अन्हो तग़रीरन यह उस व्यक्ति की स्थिति है जो पापों के हाथों में खेलता है और पापों की लताओं द्वारा खींचा जाता है और जिस पर शैतान ने विजय पा ली है। इसलिये तेरी हुक्म से ला परवाही करते हुए उसने (कर्तव्य की) उपेक्षा की और धोखे के कारण तेरी मनहीयात मे लिप्त होता है। هَذَا مَقَامُ مَنْ تَدَاوَلَتْهُ أَيْدِي الذُّنُوبِ، وَ قَادَتْهُ أَزِمَّةُ الْخَطَايَا، وَ اسْتَحْوَذَ عَلَيْهِ الشَّيْطَانُ، فَقَصَّرَ عَمَّا أَمَرْتَ بِهِ تَفْرِيطاً، وَ تَعَاطَى مَا نَهَيْتَ عَنْهُ تَغْرِيراً
कलजाहेले बेक़ुदरतेका अलैहे, ओ कल मुन्करे फ़ज़्ला एहसानेका इलैहे हत्ता इज़न फ़तह लहू बसरुल हुदा, व तकश्शअत अन्हो सहाएबुल अमा, अहसा मा ज़लमा बेहि नफ़सहू, व फ़क्कर फ़ीमा खालफ़ा बेहि रब्बहू, फराअ कबीर एसयानेहि कबीरा व जलील मुखालेफतेहि जलीला यह ऐसा है मानो वह स्वयं को तेरी शक्ति में नहीं मानता है और तेरी कृपा और दयालुता पर विश्वास नहीं करता है जो तूने उसे दिखाया है। लेकिन जब उसकी आंखें साफ हो गईं और उसके चेहरे से इस अंधी और अंधी दृष्टि के बादल छट गए, तो उसने तेरे साथ किए गए अन्यायों की जांच की और उन मामलों पर नजर डाली, जिन पर उसने अपने परमात्मा का विरोध किया था (वास्तव में)। महान और उसका महान विरोध (वास्तव में) महान पाया। كَالْجَاهِلِ بِقُدْرَتِكَ عَلَيْهِ، أَوْ كَالْمُنْكِرِ فَضْلَ إِحْسَانِكَ إِلَيْهِ حَتَّى إِذَا انْفَتَحَ لَهُ بَصَرُ الْهُدَى، وَ تَقَشَّعَتْ عَنْهُ سَحَائِبُ الْعَمَى، أَحْصَى مَا ظَلَمَ بِهِ نَفْسَهُ، وَ فَكَّرَ فِيما خَالَفَ بِهِ رَبَّهُ، فَرَأَى كَبِيرَ عِصْيَانِهِ كَبِيراً وَ جَلِيلَ مُخَالَفَتِهِ جَلِيلًا
फ़अकबला नहवका मोअम्मेलन लका मुस्तहयेयन मिन्का, व वज्जहा रग़बतहू इलैका सेक़तन बेका, इखलासन, क़द खला तमअहू मिन कुल्ले मतमूइन फ़ीहे गैरेका, व अफ़रखा रोओहू मिन कुल्ले महज़ूरिन मिन्हो सेवाका तो वह उस उम्मीदवार होने और तुझसे शर्मीदा होने की इस स्थिति में, तेरी ओर मुड़ गया और तुझ पर भरोसा करते हुए, वह तेरी ओर आकर्षित हो गया, और आत्मविश्वास और संतुष्टि के साथ उसने अपनी इच्छा और लालसा के साथ तेरे लिए इरादा किया और (अपने दिल में) तुझसे डरकर उसने सच्चे दिल से इस हालत में तुझसे मिलने का इरादा किया था कि उसे तेरे अलावा किसी में कोई दिलचस्पी नहीं थी और उसे तेरे अलावा किसी से कोई डर नहीं था। فَأَقْبَلَ نَحْوَكَ مُؤَمِّلًا لَكَ مُسْتَحْيِياً مِنْكَ، وَ وَجَّهَ رَغْبَتَهُ إِلَيْكَ ثِقَةً بِكَ، فَأَمَّكَ بِطَمَعِهِ يَقِيناً، وَ قَصَدَكَ بِخَوْفِهِ إِخْلَاصاً، قَدْ خَلَا طَمَعُهُ مِنْ كُلِّ مَطْمُوعٍ فِيهِ غَيْرِكَ، وَ أَفْرَخَ رَوْعُهُ مِنْ كُلِّ مَحْذُورٍ مِنْهُ سِوَاكَ
फमसला बैना यदयका मुतज़र्रेअन, व ग़म्मज़ा बसरहू एलल अर्ज़े मुतख़श्शेअन, व तअतआ रासहू लेएज़्ज़तेका मुतज़ल्लेलन, व अबत्तका मिन सिर्रेहि मा अन्ता आलमो बेहि मिन्हो ख़ोसूअन, वस तग़ासा बेका मिन अज़ीमे मा वक़आ बेहि फ़ी इल्मेका व क़बीहिन मा फ़ज़हहू फ़ी हुक्मेका मिन ज़ोनूबिन अदबरत लज़्ज़ातोहा फ़ज़हबत, व अक़ामत तबेहातोहा फ़लेज़ेमत तो वह तेरे सामने नम्र भाव से खड़ा हो गया और नम्रतापूर्वक अपनी आँखें भूमि में गड़ा दी और अपमान और अवज्ञा में तेरे ऐश्वर्य के सामने अपना सिर झुका दिया और अपने गुप्त रहस्यों को तेरे सामने प्रकट कर दिया जिन्हें तू उससे बेहतर जानते हैं और नम्रतापूर्वक उसके पापों का, जिन्हें तू उस से अधिक समझते हो, एक एक करके गिना, और उन बड़े पापों का, जो तेरी जानकारी में उसके लिये घातक हैं, और उन बुरे कामों का, जो तेरे निर्णय के अनुसार उसके लिये हैं। वह रोता है, वे अपमानजनक हैं। वे पाप जिनका सुख चला गया और दुःख सदा बना रहा। فَمَثَلَ بَيْنَ يَدَيْكَ مُتَضَرِّعاً، وَ غَمَّضَ بَصَرَهُ إِلَى الْأَرْضِ مُتَخَشِّعاً، وَ طَأْطَأَ رَأْسَهُ لِعِزَّتِكَ مُتَذَلِّلا، وَ أَبَثَّكَ مِنْ سِرِّهِ مَا أَنْتَ أَعْلَمُ بِهِ مِنْهُ خُضُوعاً، وَ عَدَّدَ مِنْ ذُنُوبِهِ مَا أَنْتَ أَحْصَى لَهَا خُشُوعاً، وَ اسْتَغَاثَ بِكَ مِنْ عَظِيمِ مَا وَقَعَ بِهِ فِي عِلْمِكَ وَ قَبِيحِ مَا فَضَحَهُ فِي حُكْمِكَ مِنْ ذُنُوبٍ أَدْبَرَتْ لَذَّاتُهَا فََذَهَبَتْ، وَ أَقَامَتْ تَبِعَاتُهَا فَلَزِمَتْ
ला युन्केरो या इलाही अदलका इन आक़बतहू, व ला यस्तअज़ो अफ़वका इन अफ़ौता अन्हो व रहिमतहू, लेइन्नकर रब्बिल करीमुल लज़ी ला यतआज़मोहू गुफ़रानुज़ ज़म्बिल अज़ीमे हे मेरे पालहार! यदि तू उसे दण्ड देंगा तो वह तेरे न्याय से इनकार नहीं करेगा। और यदि वह उसे क्षमा कर दे और उस पर दया करे तो वह तेरी क्षमा को कोई दोष या कोई बड़ी बात नहीं समझेगा। क्योंकि तू ही प्रभु है। जिनके लिए बड़े से बड़ा पाप भी माफ कर देना कोई बड़ी बात नहीं है। لَا يُنْكِرُ يَا إِلَهِي عَدْلَكَ إِنْ عَاقَبْتَهُ، وَ لَا يَسْتَعْظِمُ عَفْوَكَ إِنْ عَفَوْتَ عَنْهُ وَ رَحِمْتَهُ، لِأَنَّكَ الرَّبُّ الْكَرِيمُ الَّذِي لَا يَتَعَاظَمُهُ غُفْرَانُ الذَّنْبِ الْعَظِيمِ
अल्लाहुम्मा फ़हा अना ज़ा क़द जेअतोका मुतीअन लेअम्रेका फ़ीमा अमरता बेहि मिनद दुआए, मुतनज्जेज़न वअदका फ़ीमा वअदता बेहि मिनल इजाबते इज़ तक़ूलो (उदऊनी असत्जिब लकुम) अच्छा, तो हे मेरे पालनहार! मैं तेरी उपस्थिति में उपस्थित हूं। तेरे हुक्म दुआ की इताअत करते हुए और तेरे वादा का ईफ़ा चाहते हुए जो कुबूलियत दुआ के संबंध मे तूने अपने इरशाद मे क्. है। मुझ से दुआ मांगो तो मै तुम्हारी दुआ स्वीकार करगां। اللَّهُمَّ فَهَا أَنَا ذَا قَدْ جِئْتُكَ مُطِيعاً لِأَمْرِكَ فِيما أَمَرْتَ بِهِ مِنَ الدُّعَاءِ، مُتَنَجِّزاً وَعْدَكَ فِيما وَعَدْتَ بِهِ مِنَ الْإِجَابَةِ، إِذْ تَقُولُ ﴿ادْعُونِي أَسْتَجِبْ لَكُمْ﴾.
अल्लाहुम्मा फ़सल्ले अला मुहम्मदिन वा आलेहि, वलक़नी बेमग़फ़ेरतेका कमा लक़ीतोका बेइक़रारी, वरफ़अनी अन मसारेइज़ ज़ोनोबे कमा वज़अतो लका नफ़सी, वस तुरनी बेसितरेका कमा तअन्नैयतनी अनिल इंतेक़ाम मिन्नी परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और मुझे अपनी क्षमा प्रदान कर क्योंकि मैंने (अपने पापों को) स्वीकार करने के लिए तुम्हारी ओर रुख किया है और मुझे उन स्थानों से उठा जहां मैं पापों से उबर चुका हूं, क्योंकि मैंने अपनी आत्मा तेरे सामने रख दी है। और जिस प्रकार तू ने मुझ से पलटा लेने में धीरज और नम्रता बरती है, उसी प्रकार अपनी करूणा से मुझे ढक ले। اللَّهُمَّ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ الْقَنِي بِمَغْفِرَتِكَ كَمَا لَقِيتُكَ بِإِقْرَارِي، وَ ارْفَعْنِي عَنْ مَصَارِعِ الذُّنُوبِ كَمَا وَضَعْتُ لَكَ نَفْسِي، وَ اسْتُرْنِي بِسِتْرِكَ كَمَا تَأَنَّيْتَنِي عَنِ الِانْتِقَامِ مِنِّي.
अल्लहुम्मा व सब्बित फ़ी ताअतेका निय्यती, व अहकामे फ़ी एबादतेका बसीरती, व वफ़्फ़िक़नी मिनल आमाले लेमा तगसेलो बेहि दनसल ख़ताया अन्नी, व तवफ़्फ़ेनी अला मिल्लतेका व मिल्लते नबिय्येका मुहम्मदिन अलैहिस सलामो इज़ा तवफ़्फ़यतनी हे परमेश्वर! तेरी आज्ञा का पालन करने में मेरे इरादे को मजबूत बना और तेरी इबादत करने में मेरी अंतर्दृष्टि को मजबूत बना और मुझे उन कार्यों को करने में सक्षम बना जिनके द्वारा तू मेरे पापों के निशान धो देता हैं। और जब उन्होंने मुझे दुनिया से उठाया, तो उन्होंने मुझे अपने धर्म और अपने पैगंबर मुहम्मद (स) के आईन पर उठा। اللَّهُمَّ وَ ثَبِّتْ فِي طَاعَتِكَ نِيَّتِي، وَ أَحْكِمْ فِي عِبَادَتِكَ بَصِيرَتِي، وَ وَفِّقْنِي مِنَ الْأَعْمَالِ لِمَا تَغْسِلُ بِهِ دَنَسَ الْخَطَايَا عَنِّي، وَ تَوَفَّنِي عَلَى مِلَّتِكَ وَ مِلَّةِ نَبِيِّكَ مُحَمَّدٍ عَلَيْهِ السَّلَامُ إِذَا تَوَفَّيْتَنِي.
अल्लाहुम्मा इन्नी अतूबो इलैका फ़ी मक़ामी हाज़ा मिन कबाएरिज़ ज़ोनूबी व सग़ाएरेहा, व वेवातेने सय्येआती व जवाहेरेहा, व सवालेफ़े ज़ल्लाती व हवादेसेहा, तौबता मन ला योहद्देसो नफ़्सहू बेमअसेयतिन, वला युज़मेरो अन यऊदा फ़ी खतिअतिन हे मेरे परमात्मा! इस स्थान पर मैं अपने बड़े और छोटे पापों, छिपे और खुले पापों और अतीत और वर्तमान की गलतियों पर पश्चाताप करता हूं, उस व्यक्ति का पश्चाताप जो अपने दिल में पाप के बारे में सोचता भी नहीं है और पाप की ओर लौटने की कल्पना भी नहीं करता है। اللَّهُمَّ إِنِّي أَتُوبُ إِلَيْكَ فِي مَقَامِي هَذَا مِنْ كَبَائِرِ ذُنُوبِي وَ صَغَائِرِهَا، وَ بَوَاطِنِ سَيِّئَاتِي وَ ظَوَاهِرِهَا، وَ سَوَالِفِ زَلَّاتِي وَ حَوَادِثِهَا، تَوْبَةَ مَنْ لَا يُحَدِّثُ نَفْسَهُ بِمَعْصِيَةٍ، وَ لَا يُضْمِرُ أَنْ يَعُودَ فِي خَطِيئَةٍ
व क़द क़ुल्ता या इलाही फ़ी मोहकमे किताबेका इन्नका तक़बलुत तौबता अन एबदेका, व तअफ़ू आनिस सय्येआते, व तोहिब्बुत तव्वाबीना, फ़क़्बल तौबति कमा वअदता, वअफ़ो अन सय्येआती कमा ज़मिनता, व ओजिब ली महब्बतेका कमा शरत्ता पालनहार! तू अपनी प्रामाणिक पुस्तक में कहा है कि तू अपने सेवकों की पश्चाताप स्वीकार करता हैं और पापों को क्षमा करता हैं और पश्चाताप करने वालों से प्यार करता हैं। इसलिए, जैसा कि तूने वादा किया है, मेरे पश्चाताप को स्वीकार करें और मेरे पापों को क्षमा कर क्योंकि तूने जिम्मेदारी ली है, और संकल्प के अनुसार मेरे लिए अपने प्यार को आवश्यक बना। وَ قَدْ قُلْتَ يَا إِلَهِي فِي مُحْكَمِ كِتَابِكَ إِنَّكَ تَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِكَ، وَ تَعْفُو عَنِ السَّيِّئَاتِ، وَ تُحِبُّ التَّوَّابِينَ، فَاقْبَلْ تَوْبَتِي كَمَا وَعَدْتَ، وَ اعْفُ عَنْ سَيِّئَاتِي كَمَا ضَمِنْتَ، وَ أَوْجِبْ لِي مَحَبَّتَكَ كَمَا شَرَطْتَ
वलका या रब्बे शरती अल्ला अऊदा फ़ी मकरूहेका, व जमानी अन ला अरजेआ फ़ी मज़मूमेका, व अहदी अन अहजोर जमीअ मआसीका और मैं तुझसे पूछता हूं, मेरे परमेश्वर! मैं घोषणा करता हूं कि मैं उन चीजों की ओर नहीं जाऊंगा जो तुझे नापसंद हैं और मैं घोषणा करता हूं कि मैं उन चीजों की ओर नहीं जाऊंगा जो निंदनीय हैं। और मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं तेरी सारी अवज्ञाएं एक तरफ से छोड़ दूंगा। وَ لَكَ يَا رَبِّ شَرْطِي أَلَّا أَعُودَ فِي مَكْرُوهِكَ، وَ ضَمَانِي أَنْ لَا أَرْجِعَ فِي مَذْمُومِكَ، وَ عَهْدِي أَنْ أَهْجُرَ جَمِيعَ مَعَاصِيكَ.
अल्लाहुम्मा इन्नका आलमो बेमा अमिलतो फ़ग्फ़िर ली मा अलिमता, वस रिफ़नी बेकुदरतेका इला मा अहबबता हे पालन हार! इसलिए वह मेरे कार्यों और चरित्र से भली-भांति परिचित है। अब जिसे तू जानता है उसे क्षमा कर दे, और अपनी सिद्ध शक्ति से मुझे उन वस्तुओं की ओर मोड़ दे जो मुझे प्रिय हैं। اللَّهُمَّ إِنَّكَ أَعْلَمُ بِمَا عَمِلْتُ فَاغْفِرْ لِي مَا عَلِمْتَ، وَ اصْرِفْنِي بِقُدْرَتِكَ إِلَى مَا أَحْبَبْتَ.
अल्लाहुम्मा व अलय्या तबेत क़द हफ़िजतोहुन्ना, तबेआतुन क़द नसीतोहुन्ना, व कुल्लोहुन्ना बेऐनेकल लती ला तनामो, व इलमेकल लज़ी ला यनसा, फ़अव्विज़ मिन्हा अहलहा, वहतुत अन्नी विज़रहा, ख़फ़्फ़िफ़ अन्नी सिक़लहा, वअसिमनी मिन अन ओक़ारेफ़ा मिस्लहा हे पालनहार! मेरे जिम्मे कितने अधिकार हैं जो मुझे याद हैं? और कितने मज़लूम हैं जिन पर गुमनामी का पर्दा पड़ा है। लेकिन वे सब तेरी आंखों के सामने हैं। ऐसी आँखें जो उनींदा न हों, और तेरे ज्ञान में वह ज्ञान है जो टलता नहीं। इसलिए जो मुझ पर अधिकार रखते हैं, उन्हें मुआवजा दो, उनका बोझ मुझ पर से उतार दे और उनका बोझ हल्का कर दे और मुझे दोबारा पाप करने से बचा ले। اللَّهُمَّ وَ عَلَيَّ تَبِعَاتٌ قَدْ حَفِظْتُهُنَّ، وَ تَبِعَاتٌ قَدْ نَسِيتُهُنَّ، وَ كُلُّهُنَّ بِعَيْنِكَ الَّتِي لَا تَنَامُ، وَ عِلْمِكَ الَّذِي لَا يَنْسَى، فَعَوِّضْ مِنْهَا أَهْلَهَا، وَ احْطُطْ عَنِّي وِزْرَهَا، وَ خَفِّفْ عَنِّي ثِقْلَهَا، وَ اعْصِمْنِي مِنْ أَنْ أُقَارِفَ مِثْلَهَا.
अल्लाहुम्मा व इन्नहू ला वफ़ाअ ली बित्तौबते इल्ला बेइस्मतेका, वला इस्तिमसाका बी अनिल खताया इल्ला अन क़ुव्वतेका, फ़कव्वेनी बेक़ुव्वतिन काफ़ीयतिन, व तवल्लनी बेइस्मतिन मानेअतिन हे पालहार! मैं तेरी देखरेख के बिना पश्चाताप में कायम नहीं रह सकता, और मैं तेरी ताकत और ऊर्जा के बिना पापों से बच नहीं सकता। इसलिए, मुझे अजेयता की शक्ति से मजबूत कर। और (पापों से) निवारक निगरानी का कार्यभार संभालें। اللَّهُمَّ وَ إِنَّهُ لَا وَفَاءَ لِي بِالتَّوْبَةِ إِلَّا بِعِصْمَتِكَ، وَ لَا اسْتِمْسَاكَ بِي عَنِ الْخَطَايَا إِلَّا عَنْ قُوَّتِكَ، فَقَوِّنِي بِقُوَّةٍ كَافِيَةٍ، وَ تَوَلَّنِي بِعِصْمَةٍ مَانِعَةٍ.
अल्लाहुम्मा अय्योमा अब्दिन ताबा इलैका व होवा फ़ी इल्मिल ग़ैबे इन्दाक फ़ासेखुन लेतौबतेहि, व आएदुन फ़ी ज़म्बेहि व ख़तीअतेहि, फ़इन्नी अऊज़ो बेका अन अकूना कज़ालेका, फ़ज्अल तौबती हाजेही तौबतन ला अहताजो बअदहा इला तोबतिन तौबतन मूजेबतन लमेहवे मा सलफ़ा, वस् सलामते फ़ीमा बक़ेया हे परमेश्वर! जो बन्दा तुझ पर और तेरे परोक्ष ज्ञान से तौबा कर ले, वह तौबा न करनेवालों और गुनाहों और अवज्ञा की ओर फिरने वाला हो, तो मैं तेरी शरण चाहता हूँ, कि मैं भी उसके समान हो जाऊँ। मेरी तौबा को ऐसी तौबा बना दे कि इसके बाद फिर तौबा करने की जरूरत न पड़े, जिससे पिछले गुनाह मिट जाएंगे और जिंदगी के बाकी दिनों में (पापों से) सुरक्षा रहेगी। اللَّهُمَّ أَيُّمَا عَبْدٍ تَابَ إِلَيْكَ وَ هُوَ فِي عِلْمِ الْغَيْبِ عِنْدَكَ فَاسِخٌ لِتَوْبَتِهِ، وَ عَائِدٌ فِي ذَنْبِهِ وَ خَطِيئَتِهِ، فَإِنِّي أَعُوذُ بِكَ أَنْ أَكُونَ كَذَلِكَ، فَاجْعَلْ تَوْبَتِي هَذِهِ تَوْبَةً لَا أَحْتَاجُ بَعْدَهَا إِلَى تَوْبَةٍ. تَوْبَةً مُوجِبَةً لَِمحْوِ مَا سَلَفَ، وَ السَّلَامَةِ فِيمَا بَقِيَ.
अल्लाहुम्मा इन्नी आतज़ेरो इलैका मिन जहली, व असतौहेबोका सूआ फ़ेअली, फ़ज़्मुमनी इला कनफ़े रहमतेका ततव्वोलन, वसतुरनी बेसितरे आफ़ीयतेका तफज़्ज़ोलन हे परमात्मा! मैं अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा चाहता हूं और अपने गलत कार्यों के लिए क्षमा चाहता हूं। अत: तू अपनी कृपा और कृपा से मुझे दया के आश्रय में स्थान प्रदान कर और अपनी कृपा के पर्दे में छिपा लें। اللَّهُمَّ إِنِّي أَعْتَذِرُ إِلَيْكَ مِنْ جَهْلِي، وَ أَسْتَوْهِبُكَ سُوءَ فِعْلِي، فَاضْمُمْنِي إِلَى كَنَفِ رَحْمَتِكَ تَطَوُّلًا، وَ اسْتُرْنِي بِسِتْرِ عَافِيَتِكَ تَفَضُّلًا.
अल्लाहुम्मा व इन्नी अतूबो इलैका मिन कुल्ले मा ख़ालफ़ा इलादतेका, ओ ज़ाला अन महब्बतेका मिन खतराते क़ल्बी, व लहजाते ऐनी, व हिकायाते लेसानी, तौबतन तसलमो बेहा कुल्लो जारेहतिन अला हेयालेहा मिन तबेआतेका, व तअमनो मिम्मा यख़ाफ़ुल मोअतदूना मिन आलीमे सतवातेका हे परमात्मा! मैं तेरे सामने उन विचारों के लिए पश्चाताप करता हूं जो मेरे दिल से गुजरते हैं, मेरी आंखों के इशारों और मेरी जीभ के शब्दों के लिए, हर उस चीज के लिए जो आपकी इच्छा और खुशी के खिलाफ है और तेरे प्यार की सीमा से परे है। पश्चाताप जिसके द्वारा मेरा प्रत्येक अंग अपने उचित स्थान पर तेरे दंडों से बच जाएगा, और उन दर्दनाक पीड़ाओं से सुरक्षित हो जाएगा जिनसे अवज्ञाकारी डरते हैं। اللَّهُمَّ وَ إِنِّي أَتُوبُ إِلَيْكَ مِنْ كُلِّ مَا خَالَفَ إِرَادَتَكَ، أَوْ زَالَ عَنْ مَحَبَّتِكَ مِنْ خَطَرَاتِ قَلْبِي، وَ لَحَظَاتِ عَيْنِي، وَ حِكَايَاتِ لِسَانِي، تَوْبَةً تَسْلَمُ بِهَا كُلُّ جَارِحَةٍ عَلَى حِيَالِهَا مِنْ تَبِعَاتِكَ، وَ تَأْمَنُ مِمَا يَخَافُ الْمُعْتَدُونَ مِنْ أَلِيمِ سَطَوَاتِكَ.
अल्लाहुम्मा फ़रहम वहदति बैना यदयका, व वजीबा क़्लबी मिन खश्यतेका, वज़तेराबा अरकानी मिन हयबतेका, फ़क़द अक़ामतनी या रब्बे ज़ोनूबी मक़ामल खिज्ये बेफ़ेनाएका, फ़इन सकत्तो लम यनतिक अन्नी अहदुन, व इन शफअतो फ़लस्तो बेअहलिश शफ़ाअते हे परमेश्वर! यह तेरे सामने मेरा अकेलापन है, मेरा दिल तेरे डर से धड़कता है, मेरे अंग तेरे खौफ से कांपते हैं। इन हालातों पर रहम कर। परमात्मा! मेरे पापों ने मुझे तेरी उपस्थिति में अपमानित होने की स्थिति तक पहुँचा दिया है। अब यदि मैं चुप रहूँ, तो मेरी ओर से बोलने वाला कोई नहीं, और यदि कोई साधन लाऊँ, तो मध्यस्थता के योग्य नहीं। اللَّهُمَّ فَارْحَمْ وَحْدَتِي بَيْنَ يَدَيْكَ، وَ وَجِيبَ قَلْبِي مِنْ خَشْيَتِكَ، وَ اضْطِرَابَ أَرْكَانِي مِنْ هَيْبَتِكَ، فَقَدْ أَقَامَتْنِي يَا رَبِّ ذُنُوبِي مَقَامَ الْخِزْيِ بِفِنَائِكَ، فَإِنْ سَكَتُّ لَمْ يَنْطِقْ عَنِّي أَحَدٌ، وَ إِنْ شَفَعْتُ فَلَسْتُ بِأَهْلِ الشَّفَاعَةِ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, व शफ़्फ़ेअ फ़ी खतायाया करमका, व उद अला सय्येआती बेअफ़वेका, व ला तजज़ेनी जज़ाई मिन उक़ूबतेका, वबसुत अलय्या तौलका, व जल्लिलनी बेसितरेका, वफ़अल बी फ़ेअला अज़ीज़िन तज़र्रअ इलैहे अब्दुन ज़लीलुन फ़रहेमहू, ओ ग़न्नी तअर्रज़ा लहू अब्दुन फ़क़ीरुन फ़नअशहू हे परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और मेरे पापों के लिए अपनी दया और क्षमा की घोषणा कर और अपनी कृपा से मेरे पापों को क्षमा कर और मुझे उसके योग्य दंड मत दे और मुझ पर अपनी दया फैला और मुझे अपनी क्षमा के पर्दे से ढक दे और दया कर, और मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर जैसे कोई शक्तिशाली व्यक्ति हो जिसके सामने कोई दीन व्यक्ति गिर पड़े, तो वह उस पर दया करता है, या एक धनी व्यक्ति के समान जो किसी जरूरतमंद को सहारा देता है। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ شَفِّعْ فِي خَطَايَايَ كَرَمَكَ، وَ عُدْ عَلَى سَيِّئَاتِي بِعَفْوِكَ، وَ لَا تَجْزِنِي جَزَائِي مِنْ عُقُوبَتِكَ، وَ ابْسُطْ عَلَيَّ طَوْلَكَ، وَ جَلِّلْنِي بِسِتْرِكَ، وَ افْعَلْ بِي فِعْلَ عَزِيزٍ تَضَرَّعَ إِلَيْهِ عَبْدٌ ذَلِيلٌ فَرَحِمَهُ، أَوْ غَنِيٍّ تَعَرَّضَ لَهُ عَبْدٌ فَقِيرٌ فَنَعَشَهُ.
अल्लाहुम्मा ला ख़फ़ीर ली मिन्का फ़लयखफ़ुरनी इज़्ज़ोका, वला शफ़ीआ ली इलैका फ़लयशफ़अ ली फ़ज़्लोका, व क़द ओजलतनी खताया फ़लयूमिन्नी अफवोका हे पालन हार! मुझे तुझसे (सज़ा) कोई शरण नहीं है। अब अपनी शक्ति और ऊर्जा को आश्रय दें। और यहाँ मेरी सिफ़ारिश करने वाला कोई नहीं है। अब यदि तेरी कृपा ही इसकी सिफ़ारिश करती है तो कर। और मेरे पापों ने मुझे सताया है। अब यदि तेरी क्षमा और दया से ही मुझे सन्तोष होगा तो ऐसा कर। اللَّهُمَّ لَا خَفِيرَ لِي مِنْكَ فَلْيَخْفُرْنِي عِزُّكَ، وَ لَا شَفِيعَ لِي إِلَيْكَ فَلْيَشْفَعْ لِي فَضْلُكَ، وَ قَدْ أَوْجَلَتْنِي خَطَايَايَ فَلْيُؤْمِنِّي عَفْوُكَ
फमा कुल्लो मा नतक़तो बेहि अन जहलिन मिन्नी बेसूए असरी, वला निसयानिन लेमा सबका मिन ज़मीमे फ़ेअली, लकिन लेतसमओ समाओका व मन फ़ीहा व अरज़ोका व मन अलैहा मा अज़हरतो लका मिनन नदमे, व लजातो इलैका फ़ीहे मिनत तौबते मैं जो कह रहा हूं वह इसलिए नहीं कह रहा हूं कि मैं अपने बुरे कर्मों से अनभिज्ञ हूं और अपने पिछले दुष्कर्मों को भूल गया हूं, बल्कि इसलिए कह रहा हूं कि तेरा स्वर्ग और उसमें रहने वाले और तेरी पृथ्वी और उसमें रहने वाले लोग। मेरा पश्चाताप सुने जो मैंने तुझसे व्यक्त किया है, और मेरा पश्चाताप भी सुने जिसके द्वारा मैंने तेरी शरण ली है। فَمَا كُلُّ مَا نَطَقْتُ بِهِ عَنْ جَهْلٍ مِنِّي بِسُوءِ أَثَرِي، وَ لَا نِسْيَانٍ لِمَا سَبَقَ مِنْ ذَمِيمِ فِعْلِي، لَكِنْ لِتَسْمَعَ سَمَاؤُكَ وَ مَنْ فِيهَا وَ أَرْضُكَ وَ مَنْ عَلَيْهَا مَا أَظْهَرْتُ لَكَ مِنَ النَّدَمِ، وَ لَجَأْتُ إِلَيْكَ فِيهِ مِنَ التَّوْبَةِ.
फ़लअल्ला बअज़हुम बेरहमतेका यरहमोनी लेसूए मौक़ेफ़ी, ओ तुदरेकोहुर रक़्क़तो अलय्या लेसूए हाली फ़ यनालनी मिन्हो बेदअवतिन हेया अस्मओ लदयका मिन दुआई, ओ शफ़ाअतिन ओकदो इन्दका मिन शफ़ाअती तकूनो बेहा नजाती मिन ग़ज़बेका व फ़ौजती बेरेज़ाका ताकि तेरी दया से किसी को मेरी दुर्दशा पर दुःख हो, या मेरी विपत्ति से उसका हृदय टूट जाए, तो वह मेरे लिये प्रार्थना करे, जो मेरी दुआ से अधिक तुझे सुनाई दे। या कुछ सिफ़ारिश प्राप्त करें जो तुझ से मेरे अनुरोध से अधिक प्रभावी होगी और इस प्रकार तेरे क्रोध से मुक्ति का एक दस्तावेज़ और तेरी खुशी के लिए एक लाइसेंस प्राप्त होगा। فَلَعَلَّ بَعْضَهُمْ بِرَحْمَتِكَ يَرْحَمُنِي لِسُوءِ مَوْقِفِي، أَوْ تُدْرِكُهُ الرِّقَّةُ عَلَيَّ لِسُوءِ حَالِي فَيَنَالَنِي مِنْهُ بِدَعْوَةٍ هِيَ أَسْمَعُ لَدَيْكَ مِنْ دُعَائِي، أَوْ شَفَاعَةٍ أَوْكَدُ عِنْدَكَ مِنْ شَفَاعَتِي تَكُونُ بِهَا نَجَاتِي مِنْ غَضَبِكَ وَ فَوْزَتِي بِرِضَاكَ.
अल्लाहुम्मा इन यकोनिन नदमो तौबतन इलैका फ़अना अन्दुन नादेमीना, व इन यकोनित तरको लेमअसेयतेका इनाबतन फ़अना अव्वलुल मुनीबीना, व इन यकोनिल इस्तिग़फ़ारो हित्ततन लेज़ोनूबे फ़इन्नी लका मिनल मुस्तग़फेरीना हे पालन हार! यदि तेरी उपस्थिति में पछतावा और पछतावा ही पश्चाताप है, तो मैं सबसे अधिक पश्चाताप करने वाला हूं। और यदि पाप से फिरना ही तौबा और क्षमा है, तो मैं तौबा करनेवालों में सब से पहले हूं। और यदि क्षमा मांगना पापों को दूर करने का कारण है, तो मैं क्षमा करने वालों में से हूं। اللَّهُمَّ إِنْ يَكُنِ النَّدَمُ تَوْبَةً إِلَيْكَ فَأَنَا أَنْدَمُ النَّادِمِينَ، وَ إِنْ يَكُنِ التَّرْكُ لِمَعْصِيَتِكَ إِنَابَةً فَأَنَا أَوَّلُ الْمُنِيبِينَ، وَ إِنْ يَكُنِ الِاسْتِغْفَارُ حِطَّةً لِلذُّنُوبِ فَإِنِّي لَكَ مِنَ الْمُسْتَغْفِرِينَ.
अल्लाहुम्मा फ़कमा अमरतो बित्तौबते, व ज़मिन्तल क़बूला, व हसस्ता अलद दुआए, व वअदतल इजाबता, फ़सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, वक़बल तौबती, वला तरजेअनी मरजेअल खैयबते मिन रहमतेका, इन्नका अन्तत तव्वाबो अलल मुज़्नेबीना, वर रहीमो लिल खातेईननल मुनीबीना हे परमात्मा, चूँकि तूने पश्चाताप की आज्ञा दी है और इसे स्वीकार कर लिया है, और दुआ को प्रोत्साहित किया है और स्वीकृति का वादा किया है, तो मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और मेरी पश्चाताप स्वीकार कर और मुझे अपनी दया प्रदान कर, क्योंकि तू पापियों को स्वीकार कर रहा हैं और पश्चाताप करने वाले पापियों पर दया करता है। اللَّهُمَّ فَكَمَا أَمَرْتَ بِالتَّوْبَةِ، وَ ضَمِنْتَ الْقَبُولَ، وَ حَثَثْتَ عَلَى الدُّعَاءِ، وَ وَعَدْتَ الْإِجَابَةَ، فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اقْبَلْ تَوْبَتِي، وَ لَا تَرْجِعْنِي مَرْجِعَ الْخَيْبَةِ مِنْ رَحْمَتِكَ، إِنَّكَ أَنْتَ التَّوَّابُ عَلَى الْمُذْنِبِينَ، وَ الرَّحِيمُ لِلْخَاطِئِينَ الْمُنِيبِينَ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन वा आलेहि, कमा हदयतना बेहि, व सल्ले अला मुहम्मदिन वा आलेहि, कमस तनक़ज़तना बेहि, व सल्ले अला मुहम्मदिन वा आलेहि, सलातन तशफ़ओ लना यौमल कयामते व यौमल फ़ाकते इलैका, इन्नका अला कुल्ले शैइन कदीरुन, व होवा अलैका यसीर हे परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर क्योंकि तूने उनके माध्यम से हमारा मार्गदर्शन किया है। इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर। जैसे उसने हमें (गुमराह के बवण्डर से) निकाला है। इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर, ऐसी दया जो न्याय के दिन और हमारी ज़रूरत के दिन हमारे लिए मध्यस्थता करे, क्योंकि तू हर चीज़ पर शक्ति रखता है और यह मामला तेरे लिए आसान है। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، كَمَا هَدَيْتَنَا بِهِ، وَ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، كَمَا اسْتَنْقَذْتَنَا بِهِ، وَ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، صَلَاةً تَشْفَعُ لَنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَ يَوْمَ الْفَاقَةِ إِلَيْكَ، إِنَّكَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ، وَ هُوَ عَلَيْكَ يَسيِرٌ.

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 35
  2. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 35
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 125-196; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 35-75
  4. वफ़ाई, तारीख हदीस शिया अज़ आग़ाज़ सदे चहारदहुम हिजरी, ता इमरूज़, 1390 शम्सी, पेज 232
  5. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 115-196
  6. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 3, पेज 29-75
  7. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 535-583
  8. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 373-479
  9. मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 383-400
  10. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 393-415
  11. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 123-160
  12. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 67-68
  13. जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 161-169


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी
  • वफ़ाई, मुर्तज़ा, तारीख हदीस शिया अज़ आग़ाज़ सदे चहारदहुम हिजरी ता इमरूज़, क़ुम, मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल हदीस, साज़मान चाप व नशर, 1390 शम्सी