सहीफ़ा सज्जादिया की दूसरी दुआ

wikishia से
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि

सहीफ़ा सज्जादिया की दूसरी दुआ (अरबीःالدعاء الثاني من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की मशहूर दुआओ में से एक है, जिसमे इमाम सज्जाद (अ) दुआ और इस्लाम के पैग़म्बर (स) पर दुरूद और लोगों को सच्चाई की ओर बुलाने के अपने प्रयासों को व्यक्त किया है। इस दुआ में इमाम सज्जाद (अ) ने मुसलमानों के बीच ईश्वर के अंतिम दूत को भेजने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया और इस्लाम के प्रसार के प्रयासों के कारण ईश्वर से इस्लाम के पैग़म्बर (स) के लिए एक उच्च स्थान मांगा। इस दुआ में हज़रत मुहम्मद (स) का वर्णन भी किया गया है।

दूसरी दुआ की विभिन्न शरहे दुनिया की कई भाषाओ मे लिखी गई है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान और अरबी भाषा मे रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की दूसरी दुआ का मुख्य विषय इस्लाम के पैग़म्बर (स) पर दुरूद भेजना है, जो उनकी विशेषताओं को व्यक्त करता है और लोगों को सच्चाई और इस्लाम धर्म के लिए बुलाने के रास्ते में उनके प्रयासों और कठिनाइयों को सहन करने का भी जिक्र करता है। इस दुआ की कुछ शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • अल्लाह के अंतिम नबी की बेअसत के माध्यम से मुसलमानो पर अहसान करने पर अल्लाह की हम्द व सना
  • बड़े बड़े मामलो के अंजाम देने पर अल्लाह की कुदरत और उसकी चीज़ का उससे गुप्त न होना चाहे वह कितनी ही छोटी क्यो न हो।
  • इस्लाम के पैग़म्बर (स) का अंतिम नबी और धर्मो मे इस्लाम का अंतिम धर्म होना।
  • उम्मत के आमाल (कर्मो) पर इमाम का गवाह होना
  • हज़रत मुहम्मद (स) की विशेषता (वही का अमीन होना, सभी मानव जाति से अधिक महान होना, तमाम बंदो मे से चुना गया, दया का नेता होना, अच्छे कर्मों का नेता और बरकत की कुंजी होना इत्यादि)
  • लोगों को सच्चाई की ओर बुलाने और ईश्वर की आज्ञा का पालन करने और इस तरह से कठिनाइयों को सहन करने में पैग़म्बर (स) के प्रयास (अपने जीवन को खतरे में डालना, सच्चाई से इनकार करने के कारण अपने रिश्तेदारों और अपने कबीले के साथ संघर्ष करना, सबसे दूर के लोगों को करीब लाना) उसे धर्म स्वीकार कराने, प्रवास की भूमि पर प्रवास करने, ईश्वर के शत्रुओं से युद्ध करने आदि के कारण);
  • पैग़म्बर (स) के लिए स्वर्ग में एक उच्च स्थान का अनुरोध करना
  • अपने पवित्र परिवार और अपनी उम्मत के विश्वासियों के लिए पैग़म्बर (स) की शफ़ाअत स्वीकार करना
  • विश्वासियों से परमेश्वर के वादे की निश्चितता[१]
  • भगवान बुरी चीजों को अच्छी चीजों में बदल देता हैं।

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी दूसरी दुआ के विभिन्न भागो का भी वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है।[२] इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त,[३] मुहम्मद तक़ी ख़ल्जी की किताब असरार ख़ामोशान[४] और कुछ दूसरी किताबो मे इस दुआ की फ़ारसी भाषा मे व्याख्या की गई है।

इस दुआ के अलावा मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[५] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[६] और कुछ दूसरी किताबो जैसे सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[७] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह और सय्यद अली ख़ान मदनी कि किताब रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ातुस साजेदीन[८] मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया मे विस्तार से वर्णन किया गया है।[९]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की दूसरी दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
वकाना मिन दुआएही अलैहिस सलामो बअदा हाज़त तमहीदे फ़िस सलाते अला रसूलिल्लाहे सल लल्लाहो अलैहे व आलेहिः तहमीद और प्रशंसा के बाद, पैग़म्बर (स) पर दुरूद और सलाम के संबंध मे आपकी दुआः وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ بَعْدَ هَذَا التَّحْمِيدِ فِي الصَّلَاةِ عَلَى رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ آلِهِ:
वल हम्दो लिल्लाहिल लज़ी मन्ना अलैना बेमुहम्मदिन नबीयेहि सल लल्लाहो व आलेहि दूनल उमामिल माज़ियते वल क़ुरूनिस सालेफ़ते, बेक़ुदरतेहिल लती ला तअजेज़ो अन शैइन व इन अज़मा, वला यफ़ूतोहा शैउन व इन लतोफ़ा सारी प्रशंसाएं अल्लाह के लिए हैं, जिसने अपने पैग़म्बर मुहम्मद (स) को भेजकर हमें वह उपकार प्रदान किया जो निहत्थे उम्मतो पर किया और न ही पहले लोगो पर। अपनी शक्ति के प्रयोग से, जो किसी भी चीज़ से नीचा नहीं होता, चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, और कोई भी चीज़ उसकी पकड़ से बच नहीं पाती, चाहे वह कितनी ही सूक्ष्म और नाजुक क्यों न हो। وَ الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي مَنَّ عَلَيْنَا بِمُحَمَّدٍ نَبِيِّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ آلِهِ دُونَ الْأُمَمِ الْمَاضِيَةِ وَ الْقُرُونِ السَّالِفَةِ، بِقُدْرَتِهِ الَّتِي لَا تَعْجِزُ عَنْ شَيْ‌ءٍ وَ إِنْ عَظُمَ، وَ لَا يَفُوتُهَا شَيْ‌ءٌ وَ إِنْ لَطُفَ
फ़ख़तमा बेना अला जमीए मन ज़रा, व जअलना शोहादाआ अला मन जहदा, व कस्सरना बेमन्नेहि अला मन क़ल्ला उसने हमें अपनी रचनाओं में अंतिम जाति घोषित किया और हमें काफ़िरों के विरुद्ध गवाह बनाया। और उस ने अपनी कृपा से हमें उन लोगों की तुलना में जो गिनती में कम थे, बहुतायत दी। فَخَتَمَ بِنَا عَلَى جَمِيعِ مَنْ ذَرَأَ، وَ جَعَلَنَا شُهَدَاءَ عَلَى مَنْ جَحَدَ، وَ كَثَّرَنَا بِمَنِّهِ عَلَى مَنْ قَلَّ.
अल्लाहुम्मा फ़सल्ले अला मुहम्मदिन अमीनेका अला वहयेका, व नजीबेका मि खलक़ेका, व सफ़ीय्येका मिन इबादेका, इमामिर रहमते, व क़ाएदिल ख़ैरे, व मिफ़्ताहिल बरकते ओ अल्लाह! इसलिए मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर, जिन पर तेरा रहस्योद्घाटन का भरोसा था, सभी रचनाओं में तेरा चुना हुआ, तेरे सेवकों में पसंदीदा, दया का नेता, अच्छाई और खुशी का अग्रदूत और आशीर्वाद का स्रोत है। اللَّهُمَّ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ أَمِينِكَ عَلَى وَحْيِكَ، وَ نَجِيبِكَ مِنْ خَلْقِكَ، وَ صَفِيِّكَ مِنْ عِبَادِكَ، إِمَامِ الرَّحْمَةِ، وَ قَائِدِ الْخَيْرِ، وَ مِفْتَاحِ الْبَرَكَةِ.
कमा नसबा लेअमरेका नफसहू जिस प्रकार उन्होने तेरी शरीयत के लिए अपने को मज़बूती से जमाया। كَمَا نَصَبَ لِأَمْرِكَ نَفْسَهُ
व अर्रज़ा फ़ीका लिमकरूहे बदनहू और तेरे मार्ग मे अपने शरीर को हर प्रकार की कठिनाई का निशाना बनाया وَ عَرَّضَ فِيكَ لِلْمَكْرُوهِ بَدَنَهُ
व काशफ़ा फ़िद दुआए इलैका हाम्मतहू और तेरी ओर आमंत्रित करने के संबंध मे अपने प्रियो जनो से दुश्मनी का इज़हार किया।

और तेरी मरज़ी के लिए अपनी क़ौम से युद्ध किया।

وَ كَاشَفَ فِي الدُّعَاءِ إِلَيْكَ حَامَّتَهُ
व हारबा फ़ि रेज़ाका असतरतहू और तेरे दीन को जिंदा करने के लिए सब रिश्ते नाते तोड़ दिए। وَ حَارَبَ فِي رِضَاكَ أُسْرَتَهُ
व कतआ फ़ी एहयाए दीनेका रहमहू नज़दीक के संबंधीयो को इंकार के कारण दूर कर दिया। وَ قَطَعَ فِي إِحْيَاءِ دِينِكَ رَحِمَهُ
व अक़्सल अदनैना अला जूहूदेहिम और दूर वालो को इक़रार के कारण करीब किया। وَ أَقْصَى الْأَدْنَيْنَ عَلَى جُحُودِهِمْ
व कर्रबल अक़्सैना अला इस्तेजाबतेहिम लका और तेरे कारण दूर वालो से मित्रता की। وَ قَرَّبَ الْأَقْصَيْنَ عَلَى اسْتِجَابَتِهِمْ لَكَ.
व वाली फ़ीकल अबअदीना और नज़दीक वालो से शत्रुता की। وَ وَالَى فِيكَ الْأَبْعَدِينَ
व आदा फ़ीकल अक़रबीना और तेरा संदेश पहुंचाने के लिए कठिनाईयाँ उठाई। وَ عَادَى فِيكَ الْأَقْرَبِينَ
व आदाबा नफ़सहू फ़ी तबलीगे रेसालतिका और धर्म की ओर निमंत्रण के संबंध मे कठिनाईयाँ सहन की। و أَدْأَبَ نَفْسَهُ فِي تَبْلِيغِ رِسَالَتِكَ
व अत्अबहा विद्दुआए इला मिल्लतेका और अपने अस्तित्व की खातिर, उन्होने लोगो को इबादत करने के लिए बुलाने का कष्ट उठाया। وَ أَتْعَبَهَا بِالدُّعَاءِ إِلَى مِلَّتِكَ
व शग़लहा बित्तुस्हे लेअहले दअवतेका और अपने नफ़्स को इन लोगो की पंद व नसीहत करने मे व्यस्त रखा जिन्होने तेरे निमंत्रण को स्वीकार किया। وَ شَغَلَهَا بِالنُّصْحِ لِأَهْلِ دَعْوَتِكَ
व हाजरा इला बेलादिल ग़ुरबते, व महल्लन नाए अन मौतिन रहलते, व मौज़ेए रिजलेहि, व मसकते रासेहि, व मनसा नफ़्सेहि, इरादतन मिन्हो लेअज़ाजे दीनका, वस्तनसारन अला अहलिल कुफ्रे बेका और अपने निवास स्थान और जन्म स्थान और वतन से परदेस की भूमि और दूर दराज़ क्षेत्र की ओर केवल इस उद्देश्य से प्रवास किया की तेरे धर्म को मजबूत करे और तुझ से कुफ्र इख्तियार करने वाले पर ग़ालिब आए। وَ هَاجَرَ إِلَى بِلَادِ الْغُربَةِ، وَ مَحَلِّ النَّأْيِ عَنْ مَوْطِنِ رَحْلِهِ، وَ مَوْضِعِ رِجْلِهِ، وَ مَسْقَطِ رَأْسِهِ، وَ مَأْنَسِ نَفْسِهِ، إِرَادَةً مِنْهُ لِإِعْزَازِ دِينِكَ، وَ اسْتِنْصَاراً عَلَى أَهْلِ الْكُفْرِ بِكَ.
हत्ता इस्ततब्बा लहू मा हावला फ़ी आदाएका यहा तक कि तेरे शत्रुओ मे जो उन्होने चाहा था वह पुर्ण हो गया। حَتَّى اسْتَتَبَّ لَهُ مَا حَاوَلَ فِي أَعْدَائِكَ
वसततम्मा लहू मा दब्बरा फ़ी औलियाएका और तेरे दोस्तो (को युद्ध व जिहाद पर तैयार करने) की योजना पूरी हो गई। وَ اسْتَتَمَّ لَهُ مَا دَبَّرَ فِي أَوْلِيَائِكَ.
फ़नहदा इलैहिम मुस्तफ़तेहन बेऔनेका, व मुतफ़व्वेअन अला ज़ाअफ़ेहि बेनसरेका तो वह तेरी सहायता से सफलता चाहते हुए अपनी कमजोरी के बावजूद तो वह तेरी सहायता चाहते हुए अपनी कमजोरी के बावजूद। فَنَهَدَ إِلَيْهِمْ مُسْتَفْتِحاً بِعَوْنِكَ، وَ مُتَقَوِّياً عَلَى ضَعْفِهِ بِنَصْرِكَ
फ़गज़ाहुम फ़ी उक़्रे देयारेहिम शत्रुओं के साथ अभियान करने की जल्दबाजी के कारण बर्खास्त कर दिया गया; परिणामस्वरूप, उसने भूमि के मध्य में उनसे युद्ध किया। فَغَزَاهُمْ فِي عُقْرِ دِيَارِهِمْ.
व हजमा अलैहिम फ़ी बोहबूहते क़रारेहिम और उस ने उनके निवास के मध्य में उन पर आक्रमण किया। وَ هَجَمَ عَلَيْهِمْ فِي بُحْبُوحَةِ قَرَارِهِمْ
हत्ता ज़हर अरोका, व अलत कलेमतोका (वलो करेहल मुशरेकूना) जब तक आज्ञा प्रकट न हो और धर्म प्रबल न हो जाए; हालाँकि बहुदेववादी खुश नहीं थे। حَتَّى ظَهَرَ أَمْرُكَ، وَ عَلَتْ كَلِمَتُكَ، «وَ لَوْ كَرِهَ الْمُشْرِكُونَ».
अल्लाहुम्मा फ़रफ़हू बेमा कदह फ़ीका एलद दरतजिल उल्या मिन जन्नतेका ईश्वर! तेरे रास्ते में जो कठिनाइयाँ और मुशकिले झेलनी पड़ीं, उनके कारण तेरी स्थिति स्वर्ग के उच्चतम स्तर तक बढ़ जाएगी। اللَّهُمَّ فَارْفَعْهُ بِمَا كَدَحَ فِيكَ إِلَى الدَّرَجَةِ الْعُلْيَا مِنْ جَنَّتِكَ
हत्ता ला योसावा फ़ी मन्ज़ेलतिन, वला योकाफ़न फ़ी मरतबतिन, वला योवाज़ेयहू लदैयका मलकुम मुक़र्रबु, वला नबीयुन मुरसल इस हद तक कि हज़रत की उपस्थिति में कोई भी करीबी फ़रिश्ता और दूत, मूल्य, स्थिति, पद और स्थिति के मामले में एक समान और समानांतर नहीं होगा। حَتَّى لَا يُسَاوَى فِي مَنْزِلَةٍ، وَ لَا يُكَافَأَ فِي مَرْتَبَةٍ، وَ لَا يُوَازِيَهُ لَدَيْكَ مَلَكٌ مُقَرَّبٌ، وَ لَا نَبِيٌّ مُرْسَلٌ
व अर्रफ़हू फ़ी अहलित ताहेरीना व उम्मतेहिल मोमेनीना मिन हुसनिश शफ़ाअते अजल्ला मा वअदतहू और शफ़ाअत की भलाई और शफ़ाअत की क़ुबूलियत के बारे में और ईमानवालों की अहले-बैत और उम्मत के बारे में, जो कुछ तूने उससे वादा किया है उससे अधिक उसे बताइये। وَ عَرِّفْهُ فِي أَهْلِهِ الطَّاهِرِينَ وَ أُمَّتِهِ الْمُؤْمِنِينَ مِنْ حُسْنِ الشَّفَاعَةِ أَجَلَّ مَا وَعَدْتَهُ
या नाफ़ेजल एदते, या वाफेयल क़ौले, या मुबद्देलस सय्येआते बेअज़आफ़ेहा मिनल हसनाते इन्नका ज़ुल फ़ज़्लिल अज़ीमे निष्ठा! ओह, कौन बदीहा रा, आप कई समान चीजों को अच्छी चीजों में बदल देंगे! हिमाना, सर, बड़ी दयालुता और क्षमा يَا نَافِذَ الْعِدَةِ، يَا وَافِيَ الْقَوْلِ، يَا مُبَدِّلَ السَّيِّئَاتِ بِأَضْعَافِهَا مِنَ الْحَسَنَاتِ إِنَّكَ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ

फ़ुटनोट

  1. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 2, पेज 17-356, खल़्जी, असरार खामोशान, 1383 शम्सी, भाग 2, पेज 16-131
  2. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 2, पेज 356
  3. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 267-278
  4. खल़्जी, असरार खामोशान, 1383 शम्सी, भाग 2, पेज 16-131
  5. मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 , पेज 73-82
  6. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 49-64
  7. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 55-67
  8. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 1, पेज 415-505
  9. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 20-22


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1374 शम्सी
  • हुसैनी मदनी, सय्यद अली ख़ान, रियाज़ उस सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल नश्र अल इस्लामी, 1409 हिजरी
  • ख़ल्जी, मुहम्मद तक़ी, असरार ख़ामोशान, क़ुम, परतो ख़ुरशीद, 1383 शम्सी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • सुलतान मुरादी, मुहम्मद, सीमा ए पयाम्बर आज़म दर सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, इंतेशारात सिब्तुन नबी, 1385 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल रूह, बैरूत, दार अल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तअलीक़ात अलल सहीफ़ा अल सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बोहूस वल तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मुग़नीया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़ेलाल अल सहीफ़ा अल सज्जादिया, क़ुम, दार अल कुतुब अल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शहूद व शनाख्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्दमा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1385 शम्सी
  • हाशमी निजाद, सय्यद जवाद, मुहम्मद राज़े आफ़रीनिश, क़ुम, इंतेशारात आयात बय्येनात, 1385 शम्सी