सहीफ़ा सज्जादिया की सतरहवीं दुआ
विषय | शैतान की बुराइयों से ईश्वर की शरण लेना • शैतान के प्रभाव के तरीके • शैतान की बुराई से कैसे सुरक्षित रहें |
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प्रभावी/अप्रभावी | प्रभावी |
किस से नक़्ल हुई | इमाम सज्जाद (अ) |
कथावाचक | मुतावक्किल बिन हारुन |
शिया स्रोत | सहीफ़ा सज्जादिया |
सहीफ़ा सज्जादिया की सतरहवीं दुआ (अरबीःالدعاء السابع عشر من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओं में से एक है, जिसमे ख़ुदा से शैतान के शर्र से शरण मांगी गई है। इमाम सज्जाद (अ) ने इस दुआ मे शैतान की विभिन्न प्रकार की दुशमनीयो और उसके मक्र व फ़रेब का वर्णन करते हुए फ़रमाया है कि किस तरह शैतान को दिल मे प्रवेश करने से रोका जा सकता है। इस तरह इलाही इबादात से लापरवाही की बुनियाद पर इंसान को अपमानित होना और शैतानी वसवसे से बचने के लिइ मुख़लेसीन के साथ होने की दुआऐ और दूसरो का भला चाहना इस दुआ के विषय है।
सतरहवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।
शिक्षाएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की इस 17वीं दुआ के मुख्य विषय मज़लूमो के लिए दुआ करना और अत्याचारीयो के खिलाफ ईश्वर से मदद मांगना है। इस दुआ में, ईश्वर से लोगों को अन्याय से बचाने और उनके क्रोध और घृणा पर काबू पाने और नैतिक बुराइयों से खुद को शुद्ध करने को महत्व देने के लिए भी कहा गया है।[१] इमाम सज्जाद (अ) द्वारा 16 पद्धो[२] मे जारी की गई चौदहवीं दुआ की शिक्षाएँ इस प्रकार है:
- शत्रुओं की बुराई और शैतान की चालों से बचने के लिए परमेश्वर की शरण लेना
- शैतान के प्रलोभनों मे आकर इबादत ए इलाही से लापरवाही की स्थिति मे मनुष्य का अपमानित होना।
- बुरी चीज़ों को अच्छा दिखाना और अच्छी चीज़ों को बुरा दिखाना शैतान के प्रभाव के तरीकों में से एक है।
- शैतान के प्रलोभन से बचने के लिए मुखलेसीन के स्थान का अनुरोध
- सच्ची आराधना के माध्यम से शैतान के प्रभाव का मार्ग अवरुद्ध करना
- शैतान के लज्जित और अपमानित होने की दुआ
- शैतान के क्रोध और उसके विरोध में सफलता के लिए दुआ करना
- शैतान के साथ मित्रता का अंत और उसकी विलायत स्वीकार करना ईश्वरीय दंड है।
- मानव हृदय शैतान का निवास स्थान है
- निद्रा से जागने का अनुरोध
- ईश्वर से दुआ और सहायता शैतान के विरुद्ध मानवीय ढाल है।
- दूसरों के प्रति परोपकार (एकेश्वरवाद के लोगों को शैतान की बुराई से बचाने के लिए दुआ)।
- व्यक्ति और समाज की अच्छाई और भ्रष्टाचार के बीच का संबंध
- लोगों को भटकाने का शैतान का लालच
- शैतान के शत्रुओं के बीच रहने और उसके मित्रों से दूर रहने के लिए दुआ
- शैतान की योजनाओं को विफल करने के लिए परमेश्वर से दुआ करना
- शैतान की सेना की हार के लिए दुआ (जुनूद अक़्ल व जहल)[३]
व्याख्याएँ
सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी सतरहवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[४] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[५] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।
इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की सतरहवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[९] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१०] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[११] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१२]
पाठ और अनुवाद
दुआ का हिंदी उच्चारण | अनुवाद | दुआ का अरबी उच्चारण |
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वकाना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो इज़ा ज़ुकेरश शैतानो फ़स्तआज़ा मिन्हो व मिन अदावतेहि व कैयदेहि | शैतान को दूर करने के लिए इमाम सज्जाद (अ) की दुआ | وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ إِذَا ذُكِرَ الشَّيْطَانُ فَاسْتَعَاذَ مِنْهُ وَ مِنْ عَدَاوَتِهِ وَ كَيْدِهِ |
अल्लाहुम्मा इन्ना नऊज़ो बेका मिन नज़ग़ातिश शैतानिर रजीमे व कैयदेहि व मकाईदेहि, व मिनस सेक़ते बेअमानिय्येही व मवाईदेहि व ग़ुरूरेहि व मसाईदेहि | हे अल्लाह! हम शैतान की फुसफुसाहटों, चालाकियों और चालों से, और उसकी झूठी बचकानी सांत्वनाओं और उसकी चालों पर भरोसा करने से तेरी शरण चाहते हैं। | اللَّهُمَّ إِنَّا نَعُوذُ بِكَ مِنْ نَزَغَاتِ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ وَ كَيْدِهِ وَ مَكَايِدِهِ، وَ مِنَ الثِّقَةِ بِأَمَانِيِّهِ وَ مَوَاعِيدِهِ وَ غُرُورِهِ وَ مَصَايِدِهِ. |
व इन युत्मेआ नफ़सहू फ़ी इज़लालेना अन ताअतेका, वम तेहानेना बेमअसीयतेका, ओ इन यहसोना इनंदना मा हस्ससा लना ओ अन यतक़ोला अलैयना मा कर्रहा इलैना | और इस बात से कि उसके दिल में यह इच्छा पैदा होती है कि हम तेरी आज्ञा मानने से धोखा करें और तेरी अवज्ञा से हमें अपमानित करें, या जो कुछ वह रंगों से सजाता है वह हमारी दृष्टि में खप जाए या जिस चीज़ को बुरा बनाकर ज़ाहिर करता है वो हमे सख्त गुजरे | وَ أَنْ يُطْمِعَ نَفْسَهُ فِي إِضْلَالِنَا عَنْ طَاعَتِكَ، وَ امْتِهَانِنَا بِمَعْصِيَتِكَ، أَوْ أَنْ يَحْسُنَ عِنْدَنَا مَا حَسَّنَ لَنَا، أَوْ أَنْ يَثْقُلَ عَلَيْنَا مَا كَرَّهَ إِلَيْنَا. |
अल्लहुम्मा इख्साहो अन्ना बेइबादतेका वक बतहू बेदूवूबेना फ़ी महब्बतेका, वजअल बैयनना ब बैयनहू सितरन ला यहतेकहू, व रदमन मुस्मेतन ला यफ़तोक़ोहू | हे अल्लाह! इसलिए अपनी इबादत के ज़रिए उसे हमसे दूर कर दे और अपनी मेहनत और अपने प्यार में समर्पण के कारण उसे अस्वीकार कर ले और हमारे और उसके बीच एक परदा डाल दे जिसे वह भेद नहीं सके और एक ठोस दीवार जिसे वह तोड़ नहीं सके | اللَّهُمَّ اخْسَأْهُ عَنَّا بِعِبَادَتِكَ، وَ اكْبِتْهُ بِدُؤُوبِنَا فِي مَحَبَّتِكَ، وَ اجْعَلْ بَيْنَنَا وَ بَيْنَهُ سِتْراً لَا يَهْتِكُهُ، وَ رَدْماً مُصْمِتاً لَا يَفْتُقُهُ. |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेही वशग़ल्हो अन्ना, बेबअज़े आदाएका, वअसिम्ना मिन्हो बेहुस्ने रेआयतेका, वकफ़ेना ख़तरहू, व वल्लेना ज़हरहू, व अक़्तअ अन्ना इस्रहू | हे परमात्मा, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और उसे हमारे बजाय अपने दुश्मनों में से एक को बहकाने में लगा, और अपनी अच्छी देखभाल से हमें उससे बचा। हमें उसकी चालाकी और धोखे से बचा और उसे हमसे दूर कर दें और हमारे रास्ते से उसके पदचिह्न मिटा दें। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اشْغَلْهُ عَنَّا بِبَعْضِ أَعْدَائِكَ، وَ اعْصِمْنَا مِنْهُ بِحُسْنِ رِعَايَتِكَ، وَ اكْفِنَا خَتْرَهُ، وَ وَلِّنَا ظَهْرَهُ، وَ اقْطَعْ عَنَّا إِثْرَهُ. |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव आलेही, व अमतेना मिनल हुदा बेमिस्ले ज़लालतेहि, व ज़व्वदना मिनत तक़वा ज़िद्दा गवायतेहि, वस्लु बेना मिनत तुक़ा ख़लाफ़ा सबीलेहि मिनर रदा | हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और हमें वैसी ही (सुरक्षित) मार्गदर्शन से प्रदान कर जैसी उसकी गुमराही (मज़बूत) है और हमे उसकी गुमराही के मुकाबले मे तक़वा, परहेज़गारी का ज़ादे राह दे और सकी हलाकत आफरीन राह के विरुद्ध रुश्द और तकवे के मार्ग पर ले चल | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَمْتِعْنَا مِنَ الْهُدَى بِمِثْلِ ضَلَالَتِهِ، وَ زَوِّدْنَا مِنَ الْتَّقْوَى ضِدَّ غَوَايَتِهِ، وَ اسْلُكْ بِنَا مِنَ التُّقَى خِلَافَ سَبِيلِهِ مِنَ الرَّدَى. |
अल्लाहुम्मा ला जतअल लहू फ़ी क़लूबना मदखलन व ला तूतिनन्ना लहू फ़ीमा लदयना मनज़ेलन | ऐ परमेश्वर, उसे हमारे दिलों में आने का मौका मत देना और हमारे पास जो कुछ है उसमें उसके लिए जगह मत देना। | اللَّهُمَّ لَا تَجْعَلْ لَهُ فِي قُلُوبِنَا مَدْخَلًا وَ لَا تُوطِنَنَّ لَهُ فِيما لَدَيْنَا مَنْزِلاً. |
अल्लाहुम्मा वमा सव्विल लना मिन बातेले फअर्रफ़नाहो, व इजा अर्ऱफ़तनाहो फ़केनाहो, व बस्सिरना मा तोकायदहू बेहि, व अलहिम्ना मा नोएद्दोहू लू, व अयक़ज़ना अन सेनतिल ग़फ़लते बिर रुकूने इलैहे, व अहसिन बेतौफ़ीक़ेका औनना अलैहे | हे अल्लाह वह जिस बेहूदा बात को अच्छा बनाकर हमे दिखाए वह हमे पहचनवा दे और जब पहचनवा दे तो उससे हमारी हिफाजत भी कर और हमे फ़रेब दैने के ढंग और तरीको मे बसीरत और उस के मुक़ाबले मे सर व सामान की तय्यारी की शिक्षा दे और उस लापरवाही से जो उसकी ओर झुकाव का कारण हो होशियार कर दे और अपनी तौफ़ीक़ से उस के मुकाबले मे कामिल सहायत प्रदान कर | اللَّهُمَّ وَ مَا سَوَّلَ لَنَا مِنْ بَاطِلٍ فَعَرِّفْنَاهُ، وَ إِذَا عَرَّفْتَنَاهُ فَقِنَاهُ، وَ بَصِّرْنَا مَا نُكَايِدُهُ بِهِ، وَ أَلْهِمْنَا مَا نُعِدُّهُ لَهُ، وَ أَيْقِظْنَا عَنْ سِنَةِ الْغَفْلَةِ بِالرُّكُونِ إِلَيْهِ، وَ أَحْسِنْ بِتَوْفِيقِكَ عَوْنَنَا عَلَيْهِ. |
अल्लाहुम्मा वअशिरब क़ोलूबना इनकारा अमेलेहि, वलतफ़ लना फी नक़ज़े हेयलेहि | हे परमेश्वर! हमारे दिलों को उसके कार्यों के प्रति अस्वीकृति से भर दें और हमें उसकी चालों को तोड़ने की तौफ़ीक़ प्रदान करें। | اللَّهُمَّ وَ أَشْرِبْ قُلُوبَنَا إِنْكَارَ عَمَلِهِ، وَ الْطُفْ لَنَا فِي نَقْضِ حِيَلِهِ. |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेही, व हव्विल सुलताना अन्ना, वकतअ रजाओहू मिन्ना, वदराहो अन वोलूए बेना | हे परमात्मा, मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर, और हमसे शैतान का प्रभुत्व हटा दे, और हमसे उसकी आशाएँ तोड़ दे, और उसे हमें गुमराह करने की उसकी इच्छा से दूर कर दे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ حَوِّلْ سُلْطَانَهُ عَنَّا، وَ اقْطَعْ رَجَاءَهُ مِنَّا، وَ ادْرَأْهُ عَنِ الْوُلُوعِ بِنَا. |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, वजअल आबाअना व उम्महातेना व औलादना व अहालेयना व ज़ौ अरहामेना व क़राबतेना व जीरानना मिनल मोमेनीना वल मोमेनाते मिन्हो फ़ी हिरज़े हारिज़, व हेसन हाफ़ेज़िन, व कहफ़िन मानेइन, व अलबस्हुम मिन्हो जोननन वाक़ेयतन, व आअतेहि अलैहे अस्लेहतन माज़ियतन | हे परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और हमारे पिताओं, हमारी माताओं, हमारे बच्चों, हमारे प्रियजनों, रिश्तेदारों और पड़ोस में रहने वाले ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली महिलाओं को उसकी उपस्थिति से एक मजबूत किला और बाधा बना उन्हें आश्रय दे और उन्हें सुरक्षा कवच पहना और इसके विरुद्ध उन्हें धारदार हथियार दे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ اجْعَلْ آبَاءَنَا وَ أُمَّهَاتِنَا وَ أَوْلَادَنَا وَ أَهَالِيَنَا وَ ذَوِي أَرْحَامِنَا وَ قَرَابَاتِنَا وَ جِيرَانَنَا مِنَ الْمُؤْمِنِينَ وَ الْمُؤْمِنَاتِ مِنْهُ فِي حِرْزٍ حَارِزٍ، وَ حِصْنٍ حَافِظٍ، وَ كَهْفٍ مَانِعٍ، وَ أَلْبِسْهُمْ مِنْهُ جُنَناً وَاقِيَةً، وَ أَعْطِهِِمْ عَلَيْهِ أَسْلِحَةً مَاضِيَةً |
अल्लाहुम्मा वअमुम बेज़ालेका मन शहेदा लका बिर रुबूबियते, व अखलस लका बिलवहदानीयते, व आदाहो लका बेहक़ीक़तिल उबूदीयते, वस्तज़हरा बेका अलैहे फ़ी मअरेफ़तिल उलूमिल रब्बानीयते | हे ईश्वर! इस दुआ में उन लोगों को शामिल कर जो तेरे आधिपत्य की गवाही देते हैं और तेरे द्वैत की अवधारणा के बिना एक मानते हैं और सच्ची इबादत के प्रकाश में उसे तेरे लिए दुश्मन के रूप में रखते हैं और दिव्य विज्ञान सीखने में उसके खिलाफ आपकी मदद मांगते हैं। | اللَّهُمَّ وَ اعْمُمْ بِذَلِكَ مَنْ شَهِدَ لَكَ بِالرُّبُوبِيَّةِ، وَ أَخْلَصَ لَكَ بِالْوَحْدَانِيَّةِ، وَ عَادَاهُ لَكَ بِحَقِيقَةِ الْعُبُودِيَّةِ، وَ اسْتَظْهَرَ بِكَ عَلَيْهِ فِي مَعْرِفَةِ الْعُلُومِ الرَّبَّانِيَّةِ |
अल्लाहुम्मा अहलुल मा अक़दा, वफ़तुक़ मा रतक़ा, वफ्सख मा दब्बरा, व सब्बितहो इज़ा अजमा, वनक़ुज़ मा अबरमा | हे अल्लाह! वह जो गाँठ बाँधता है उसे खोल दे, जो गाँठ बाँधता है उसे तोड़ दे, और जो योजना बनाता है उसे निराश कर दे, और जब वह चाहता है तो उसे रोकता है, और जो देता है उसे बाधित करता है। | اللَّهُمَّ احْلُلْ مَا عَقَدَ، وَ افْتُقْ مَا رَتَقَ، وَ افْسَخْ مَا دَبَّرَ، وَ ثَبِّطْهُ إِذَا عَزَمَ، وَ انْقُضْ مَا أَبْرَمَ. |
अल्लाहुम्मा वहज़म जुन्दहू, वअबतलि कयदहू वहदिम कहफ़हू, व अरग़िम अनफ़हू | हे ईश्वर! उसकी सेना को हरा दे, उसके छल को नष्ट कर, उसके आश्रय को ध्वस्त कर, उसकी नाक रगड़ दे। | اللَّهُمَّ وَ اهْزِمْ جُنْدَهُ، وَ أَبْطِلْ كَيْدَهُ وَ اهْدِمْ كَهْفَهُ، وَ أَرْغِمْ أَنْفَهُ |
अल्लाहुम्मज अलना फ़ी नज़मे आदाऐहि, वअज़लना अन एदादे औलेयाऐहि, ला नोतीओ लहू इजस तहवाना, वला नस्तजीबो लहू इज़ा दआना, नामोरो बेमुनावातेहि, मन अताआ अमरना, व नइज़ अन मुताबअतेहि मत तबअ ज़जरना | हे परमेश्वर! हमें उसके शत्रुओं में से बना दे और हमें उसके मित्रों में गिने जाने से अलग कर दे, ताकि यदि वह हमें भरमाए, तो हम उसकी बात न मानें। और जब वह हमें पुकारे, तो उसकी आवाज का उत्तर न दे, और जो कोई हमारी आज्ञा का पालन करेगा, हम उसे आज्ञा देते हैं, कि हम उस से शत्रुता करें, और जो कोई हमें रोकने से इन्कार करे, तो हम उसे अपने पीछे चलने से मना करे। | اللَّهُمَّ اجْعَلْنَا فِي نَظْمِ أَعْدَائِهِ، وَ اعْزِلْنَا عَنْ عِدَادِ أَوْلِيَائِهِ، لَا نُطِيعُ لَهُ إِذَا اسْتَهْوَانَا، وَ لَا نَسْتَجِيبُ لَهُ إِذَا دَعَانَا، نَأْمُرُ بِمُنَاوَاتِهِ، مَنْ أَطَاعَ أَمْرَنَا، وَ نَعِظُ عَنْ مُتَابَعَتِهِ مَنِ اتَّبَعَ زَجْرَنَا |
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव ख़ातेमिन नबीयीना व सय्यदिल मुरसलीन व अला अहले बैतेहित तय्येबीनत ताहेरीना, व आइज़ना व अहालेयना व इख़वानना व जमीअल मोमेनीन वल मोमेनाते मिम्मस तअज़ना मिन्हो, व अज़िरना मिम्मस तजरना बेका मिन खौफ़ेहि | हे परमात्मा! मुहम्मद पर, जो सभी पैगम्बरों के खातम और सभी रसूलो का ताज है, और उनके परिवार पर, जो अच्छे और पवित्र हैं, और हमारे प्रियजनों, भाइयों और सभी ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली महिलाओं पर, जो इससे डरते हैं, दया कर। वह तुझ से शांति चाहते है उससे अमान दे। | اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ خَاتِمِ النَّبِيِّينَ وَ سَيِّدِ الْمُرْسَلِينَ وَ عَلَى أَهْلِ بَيْتِهِ الطَّيِّبِينَ الطَّاهِرِينَ، وَ أَعِذْنَا وَ أَهَالِيَنَا وَ إِخْوَانَنَا وَ جَمِيعَ الْمُؤْمِنِينَ وَ الْمُؤْمِنَاتِ مِمَّا اسْتَعَذْنَا مِنْهُ، وَ أَجِرْنَا مِمَّا اسْتَجَرْنَا بِكَ مِنْ خَوْفِهِ |
वस्मअ लना मा दऔना बेहि, व आअतेना मा अग़फ़लनाहो, वहप़ज लना मा नसीनाहो, सय्यरना बेज़ालेका फ़ी दरजातिस सालेहीना व मारतेबिल मोमेनीना, आमीन रब्बल आलामीन | और जो कुछ हमने माँगा है वह हमें प्रदान कर, और जो कुछ हमने माँगने में उपेक्षा की है उस पर दया कर, और जो कुछ हम भूल गए हैं उसे हमारे लिए सुरक्षित रख, और इस प्रकार हमें धर्मियों की श्रेणी में और ईमानवालों की श्रेणी में पहुँच। हमारी दुआ स्वीकार कर, हे सारी दुनिया के परमात्मा! | وَ اسْمَعْ لَنَا مَا دَعَوْنَا بِهِ، وَ أَعْطِنَا مَا أَغْفَلْنَاهُ، وَ احْفَظْ لَنَا مَا نَسِينَاهُ، وَ صَيِّرْنَا بِذَلِكَ فِي دَرَجَاتِ الصَّالِحِينَ وَ مَرَاتِبِ الْمُؤْمِنِينَ. آمِينَ رَبَّ الْعَالَمِينَ |
फ़ुटनोट
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 120
- ↑ तरजुमा व शरह दुआ ए चहारदहुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 21-98; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 120-164
- ↑ अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 21-98
- ↑ ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 120-164
- ↑ फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 161-185
- ↑ मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 3, पेज 171-218
- ↑ मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 , पेज 227-238
- ↑ दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 213-223
- ↑ फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 389-412
- ↑ फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 43-45
- ↑ जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 103-106
स्रोत
- अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
- जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
- दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
- फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
- फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
- मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
- मुग़निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
- ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी