सहीफ़ा सज्जादिया की आठवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की आठवीं दुआ
साहिफ़ा सज्जादिया की पांडुलिपि, अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित, शाबान 1102 में लिखी गई
साहिफ़ा सज्जादिया की पांडुलिपि, अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित, शाबान 1102 में लिखी गई
विषयबुरे कर्मों और बुरे आचरणों से ईश्वर की शरण लेना
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की आठवीं दुआ (अरबीःالدعاء الثامن من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओं में से एक है, जिसमें उन्होंने लालच, क्रोध, अनावश्यक पूर्वाग्रह, पाप पर जोर देने और लोगों को धोखा देने जैसे बुरे कामों और नैतिक दुर्भाग्य से ईश्वर की शरण मांगी, जो मनुष्य के विनाश का कारण है।

आठवीं दुआ की विभिन्न शरहे दुनिया की कई भाषाओ मे लिखी गई है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान और अरबी में सय्यद अली खान मदनी द्वारा रियाज़ अल-सालेकीन है।

शिक्षाएँ

आठवीं दुआ में, हज़रत इमाम सज्जाद (अ) दर्दनाक चीजों, बुरे आचरण और बुरे कार्यों से ईश्वर की शरण मांगते हैं। इस दुआ में 44 मुद्दों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से प्रत्येक मनुष्य के विनाश और हलाकत का कारण है[१] इस दुआ की शिक्षाएँ 10 स्थान[२] पर इस प्रकार हैं:

  • लालच का प्रकोप
  • क्रोध की तीव्रता
  • ईर्ष्या की प्रबलता
  • धैर्य की कमी (अधीरता)
  • संतुष्टि (क़नाअत) की कमी
  • बुरा आचरण
  • अत्यधिक वासना
  • अकारण घबराहट
  • वासना का पालन
  • मार्गदर्शन का विरोध
  • गहन निंद्रा (ख़्वाबे ग़फ़लत)
  • स्वंय को कठिनाई मे डालना
  • झूठ को चुनना और उसे सत्य पर प्राथमिकता देना
  • पाप पर अड़े रहना
  • आज्ञाकारिता के विरुद्ध पाप और अहंकार को तुच्छ समझना
  • अमीरों का गौरव और गरीबों का अपमान
  • अधीनस्थों के अधिकारो मे लापरवाही
  • दूसरों की अच्छाइयों के प्रति कृतज्ञता छोड़ना
  • अत्याचारी की सहायता करना और उत्पीड़ित को छोड़ना
  • किसी ऐसी चीज़ की मांग करना जो मानव अधिकार नहीं है
  • अज्ञानता की बुनयाद पर बात करना
  • लोगों को धोखा देना
  • व्यवहार और कार्यों में अहंकार
  • तूलानी आरज़ू करना
  • आंतरिक कुरूपता (बातिन का बुरा होना)
  • गुनाह सग़ीरा को कम समझना
  • शैतान का प्रभुत्व
  • समय को महत्व न देना
  • राजा का अत्याचार
  • फ़िज़ूलख़र्ची से दूषित होना और परेशानी मे जीवन व्यापन करना
  • दुश्मनों को दोष देना
  • अपने जैसे मनुष्यों की आवश्यकता
  • गरीबी का अभिशाप और कठिनाइयों में जीवन
  • तक़वा और धार्मिक कार्यों के बिना अचानक मृत्यु
  • बड़ी पीड़ा और बड़ी हसरतें
  • दुर्भाग्य और असफलता
  • सवाब से वंचित होना और यातना में उतरना[३]
  • भगवान की दया की रोशनी में इन सभी बुरी चीजों से मुक्ति मांगना

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की जो शरहे लिखी गई है उनमे इस आठवीं दुआ की भी शरह की गई है। इस दुआ की शरह फ़ारसी भाषा में हुसैन अंसारियान द्वारा लिखित दयारे आशेक़ान,[४] मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही द्वारा लिखित किताब शहूद और शनाख़्त[५] और सय्यद अहमद फहरी द्वारा लिखित किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] में किया गया है।

इसी प्रकार यह दुआ दूसरी कुछ किताबो मे जैसे, सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ अल-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़नीया द्वारा लिखित फ़ी ज़ेलाल अल-साहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी द्वारा लिखित रियाज़ अल-आरेफ़ीन[९] और सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुलुलाह द्वारा लिखित किताब आफ़ाक अल-रूह[१०] मे इसका वर्णन अरबी भाषा में किया गया है। इसके अलावा इस दुआ को फ़ैज़ काशानी द्वारा लिखित किताब तअलीक़त अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया मे शाब्दिक विवरण में भी समझाया गया है।[११]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की आठवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआएहि अलैहिस्सलामो फ़िल इस्तेआज़ते मिनल मकारेहि व सय्येयल अख़लाक़े व मज़ाम्मिल अफ़आले सख्तियो और अवांछनीय व्यवहार से अल्लाह की शरण लेने की दुआ وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي الاِسْتِعَاذَةِ مِنَ الْمَكَارِهِ وَ سَيِّيَ الْأَخْلَاقِ وَ مَذَامِّ الْأَفْعَالِ
अल्लहुम्मा इन्नी अऊज़ो बेका मिन हयाजानिल जिरसे, व सूरतिल ग़ज़बे, व ग़लबतिल हसदे, व ज़ाअफ़िस सब्रे, व क़िल्लतिल क़नाअते, व शकासतिल ख़ुल्क़े, वल हाहिश शहवते, व मलकतिल हमय्यते हे अल्लाह! मैं लालच की प्रबलता, क्रोध की तीव्रता, ईर्ष्या की प्रबलता, धैर्य की कमी, संतोष की कमी, नैतिकता की विकृति, इच्छा की प्रचुरता, शून्यवाद की प्रबलता से तेरी शरण लेता हूं। اللَّهُمَّ إِنيِّ أَعُوذُ بِكَ مِنْ هَيَجَانِ الْحِرْصِ، وَ سَوْرَةِ الْغَضَبِ، وَ غَلَبَةِ الْحَسَدِ، وَ ضَعْفِ الصَّبْرِ، وَ قِلَّةِ الْقَنَاعَةِ، وَ شَكَاسَةِ الْخُلْقِ، وَ إِلْحَاحِ الشَّهْوَةِ، وَ مَلَكَةِ الْحَمِيَّةِ
व मुतबअतिल हवा, व मुख़ालफ़तिल हुदा, व सीनतिल ग़फ़लते, व तआतिल कुलफ़ते, व इसारिल बातेले अलल हक़्क़े, वल इसरारे अलल मासमे, व इस्तिस्ग़ारिल माअसियते, वस तिकबारित ताअते सनक और इच्छाओं का पालन करना, मार्गदर्शन की अवज्ञा करना, ख्वाबे गफ़लत की उपेक्षा करना और झुंझलाहट, साथ ही सत्य के बजाय झूठ को प्राथमिकता देना, पापों पर जोर देना, पाप से घृणा करना और आज्ञाकारिता को महान मानना। وَ مُتَابَعَةِ الْهَوَى، وَ مُخَالَفَةِ الْهُدَى، وَ سِنَةِ الْغَفْلَةِ، وَ تَعَاطِي الْكُلْفَةِ، وَ إِيثَارِ الْبَاطِلِ عَلَى الْحَقِّ، وَ الْإِصْرَارِ عَلَى الْمَأْثَمِ، وَ اسْتِصْغَارِ الْمَعْصِيَةِ، وَ اسْتِكْبَارِ الطَّاعَةِ
व मुबाहातिल मुकसेरीना, वल इज़्राए बिलमोक़िल्लीना, व सूइल विलायते लेमन तहता एयदीना, व तरकिश शुक्रे लेमनस तनअल आरेफ़ता इनदना अमीरों का घमंड, जरूरतमंदों का तिरस्कार, और अपने अधीन लोगों के साथ दुर्व्यवहार, और उन लोगों के प्रति कृतघ्नता जो हमारा भला करते हैं। وَ مُبَاهَاةِ الْمُكْثِرِينَ، وَ الْإِزْرَاءِ بِالْمُقِلِّينَ، وَ سُوءِ الْوِلَايَةِ لِمَنْ تَحْتَ أَيْدِينَا، وَ تَرْكِ الشُّكْرِ لِمَنِ اصْطَنَعَ الْعَارِفَةَ عِنْدَنَا
व इन नअज़ोदा ज़ालेमन, ओ नख़ज़ोला मलहूफ़न, ओ नरूमा मा लैसा लना बेहक़्क़े, ओ नक़ूला फ़िल इल्मे बेग़ैरे इल्मिन और इस से कि हम किसी उत्पीड़क की मदद करे और पीड़ितों की उपेक्षा करें, या किसी ऐसी चीज़ को लक्ष्य बनाऐं जिसका हमें कोई अधिकार नहीं है, या जानबूझकर धर्म में हस्तक्षेप करें। أَوْ أَنْ نَعْضُدَ ظَالِماً، أَوْ نَخْذُلَ مَلْهُوفاً، أَوْ نَرُومَ مَا لَيْسَ لَنَا بِحَقٍّ، أَوْ نَقُولَ فِي الْعِلْمِ بِغَيْرِ عِلْمٍ
व नऊज़ो बेका अन तंतवेया अला ग़िश्शिन अहद, व अन नोअजेबा वेआमालेना, व नमुद्दा फ़ी आमालेना और हम तेरी शरण लेते है इस बात से कि किसी को धोखा देने के इरादे से या अपने कार्यों से अनजान होने और अपनी आशाओं को फैलाने से। وَ نَعُوذُ بِكَ أَنْ نَنْطَوِيَ عَلَى غِشِّ أَحَدٍ، وَ أَنْ نُعْجِبَ بِأَعْمَالِنَا، وَ نَمُدَّ فِي آمَالِنَا
व नऊज़ो बेका मिन सूइस सरीरते, वहतेक़ारिस सग़ीरते, व अन यसतहवेज़ा अलैनश शैतानो, ओ यनकोबोनज़ ज़मानो, ओ यतहज़्ज़मनस सुलतानो और हम भीतर की बुराइयों और छोटे-छोटे पापों का तिरस्कार करने से, और हम पर हावी होने वाले शैतान से, या हमें कष्ट देने वाले समयों से, या हम पर अत्याचार करने वाले हाकिमों से, तेरी शरण लेते हैं। وَ نَعُوذُ بِكَ مِنْ سُوءِ السَّرِيرَةِ، وَ احْتِقَارِ الصَّغِيرَةِ، وَ أَنْ يَسْتَحْوِذَ عَلَيْنَا الشَّيْطَانُ، أَوْ يَنْكُبَنَا الزَّمَانُ، أَوْ يَتَهَضَّمَنَا السُّلْطَانُ
व नऊज़ो बेका मिन तनावोलिल इसराफ़े, व मिन फ़िक़दानिल कफ़ाफ़े और हम तेरी शरण लेते हैं फिजूलखर्ची में पड़ने से और आवश्यकता के अनुसार जीविका न मिलने से। وَ نَعُوذُ بِكَ مِنْ تَنَاوُلِ الْإِسْرَافِ، وَ مِنْ فِقْدَانِ الْكَفَافِ
व नऊज़ो बेका मिन शमाततिल आदाए, व मिनल फ़क़्रे एलल अकफाए, व मिन मईशतिन फ़ी शिद्दतिन, व मीततिन अला ग़ैरे उद्दितन और हम दुश्मनों के अत्याचार से, झरनों की ज़रूरत से, कठिनाई में जीने से और आख़िरत के आश्वासन के बिना मरने से तेरी शरण चाहते हैं। وَ نَعُوذُ بِكَ مِنْ شَمَاتَةِ الْأَعْدَاءِ، وَ مِنَ الْفَقْرِ إِلَى الْأَكْفَاءِ، وَ مِنْ مَعِيشَةٍ فِي شِدَّةٍ، وَ مِيتَةٍ عَلَى غَيْرِ عُدَّةٍ
व नऊज़ो बेका मिनल हसरतिल उज़्मा, वल मुसीबतिल कुबरा, व अशकश शक़ाए, व सूइल मआबे, व जिरमानिस सवाबे, व हुलूलि एकाबे और वे बड़े दुःख, बड़ी मुसीबत, सबसे बुरी विपत्ति, बुरे अंत, सवाब से वंचित होने और यातना मे पड़ने से तेरी शरण लेते हैं। وَ نَعُوذُ بِكَ مِنَ الْحَسْرَةِ الْعُظْمَى، وَ الْمُصِيبَةِ الْكُبْرَى، وَ أَشْقَى الشَّقَاءِ، وَ سُوءِ الْمَآبِ، وَ حِرْمَانِ الثَّوَابِ، وَ حُلُولِ الْعِقَابِ
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन वा आलेहि, व आइज़नी मिन कुल्ले ज़ालेका बेरहमतेका व जमीअल मोमेनीना वल मोमेनाते, या अरहमर्राहेमीना हे अल्लाह! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर और अपनी रहमत के सदके में मुझे और सभी ईमानवालों को इन सभी बुराइयों से बचा। हे परम दयालु! اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَعِذْنِي مِنْ كُلِّ ذَلِكَ بِرَحْمَتِكَ وَ جَمِيعَ الْمُؤْمِنِينَ وَ الْمُؤْمِنَاتِ، يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ

फ़ुटनोट

  1. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1371 शम्सी, भाग 4, पेज 225
  2. तरजुमा व शरह दुआ ए हश्तुम सहीफ़ा सज्जादीया, साइट इरफ़ान
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1371 शम्सी, भाग 4, पेज 225-419; ममदूही, शहूद व शनाख़्त, 1385 शम्सी, भाग 1, पेज 435-450
  4. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1371 शम्सी, भाग 4, पेज 225-419
  5. ममदूही, किताब शहूद व शनाख़्त, 1385 शम्सी, भाग 1, पेज 435-450
  6. फ़हरी, शरह व तफ़सीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 415-495
  7. मदनी शिराज़ी, रियाज अल सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 2, पेज 325-400
  8. मुग़नीया, फ़ी ज़ेलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी, पेज 141-153
  9. दाराबी, रियाज अल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 127-132
  10. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रुह, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 199-259
  11. फ़ैज़ काशानी, तअलीक़ात अलल सहीफ़ा अल सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 33-34


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1371 शम्सी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल रूह, बैरूत, दार अल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तअलीक़ात अलल सहीफ़ा अल सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बोहूस वल तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज़ अल सालेकीन फ़ी शरहे सहीफ़ातुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़नीया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़ेलाल अल सहीफ़ा अल सज्जादिया, क़ुम, दार अल कुतुब अल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शहूद व शनाख्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्दमा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी