सहीफ़ा सज्जादिया की सत्ताईसवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की सत्ताईसवीं दुआ
शाबान 1102 में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित साहिफ़ा सज्जादिया की पांडुलिपि
शाबान 1102 में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित साहिफ़ा सज्जादिया की पांडुलिपि
अन्य नाममाफ़ी मांगने की दुआ
विषयइस्लामी सीमा रक्षकों, सीमा रक्षकों की शर्तो, इस्लाम की रक्षा में सभी लोगों की भागीदारी के लिए दुआ
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की सत्ताईसवीं दुआ (अरबीः الدعاء السابع والعشرون من أدعية الصحيفة السجادية ) मासूरा दुआओ मे से एक है। जो सीमाओ पर खड़े सिपाहीयो के संबंध मे है। इस दुआ मे हज़रत ज़ैनुल-आबेदीन (अ) ने मुस्लिम सीमाओं की स्थिरता के लिए दुआ की है । और ईश्वर से सीमा रक्षकों के लिए ज्ञान, धैर्य, इख़लास (ईमानदारी), विश्वास (ईमान), धर्मपरायणता (तक़वा) और उनकी प्रचुर संख्या के लिए दुआ की है। इसी तरह से इमाम सज्जाद (अ) इस दुआ मे मुजाहिदीन और सीमा रक्षकों को सहायता प्रदान करके और उनके परिवारों को संगठित करके इस्लाम की रक्षा में सभी लोगों की भागीदारी का भी अनुरोध किया। इमाम सज्जाद (अ) ने बहुदेववादियों के खिलाफ युद्ध में मुसलमानों की जीत में अलौकिक सहायता की भूमिका पर जोर दिया और काफिरों के विनाश को एकेश्वरवादी समाज की नींव माना।

जाफ़र मुर्तज़ा आमोली ने अपनी पुस्तक सियासतुल-हर्ब फ़ी दुआ अहलिस सग़ूर में सत्ताईसवीं दुआ का जिक्र करते हुए इस्लाम की सीमाओं की रक्षा की युद्ध रणनीति का वर्णन किया है। इस दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओं में किया गया है, जैसे फ़ारसी में हुसैन अंसारियन द्वारा दयारे आशेक़ान और हसन ममदूही किरमानशाही द्वारा शुहूद व शनाख्त, और अरबी में सय्यद अली खान मदनी द्वारा रियाज़ अल-सालेकीन मे किया गया है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की सत्ताईसवीं दुआ का विषय हर काल मे इस्लामी सीमाओ पर खड़े रक्षकों के लिए दुआ है, और उनके लिए ईश्वर से ज्ञान, धैर्य, प्रतिरोध (मुक़ावेमत), ईमानदारी (इखलास), पर्याप्त बजट, दया, सहानुभूति और उनकी प्रचुर सख्या चाही है। हसन ममदूही किरमानशाही के अनुसार, यह दुआ सर्वव्यापी और व्यापक है, युद्ध के दृश्य में सूक्ष्म एकेश्वरवाद के महीन नुकते बयान हुए है, इसी तरह युद्ध के मैदान मे एकेश्वरवाद के साथ-साथ नैतिक और रहस्यमय बिंदु से पूर्ण हैं। इमाम (अ) ने दुआ की भाषा मे युद्ध के नियमों और रीति-रिवाजों को सिखाया है।[१] शिया न्यायविद जाफ़र सुब्हानी का मानना है कि (اللَّهُمَّ وَ امْزُجْ مِیاهَهُمْ بِالْوَبَاءِ: अल्लाहुम्मा वमज़ुज मीयाहहुम बिल वबाए, हे परमात्मा ! शत्रुओं के पानी को हैजा से दूषित कर दे) इस दुआ के वैज्ञानिक चमत्कारों (इल्मी मोजज़ात) में से एक है; क्योंकि उस समय कोई नहीं जानता था कि हैजा पानी से फैलता है।[२] इस दुआ की शिक्षाओ का विवरण इस प्रकार है:

  • मुस्लिम सीमाओं की स्थिरता के लिए दुआ
  • मुस्लिम सीमाओ की सुरक्षा का महत्व (सीमा सुरक्षीयो के कर्तव्य की गंभीरता)
  • सीमा रक्षकों और उनके हथियारों की संख्या में वृद्धि के लिए दुआ
  • सीमा रक्षकों के बीच मित्रता की स्थापना के लिए दुआ
  • सीमा रक्षकों के ईमान, धैर्य, और तक़वा तथा परहेजगारी मे वृद्धि की दुआ
  • सीमा रक्षकों की जागरूकता और ज्ञान बढ़ाने के लिए दुआ
  • दुश्मन से मुंह न मोड़ने के लिए सीमा रक्षको के विचारों में परलोक की स्मृति को पुनर्जीवित करना
  • जब मुजाहिदीन दुश्मनों का सामना करें तो दुनिया को भूल जाने की दुआ
  • स्वर्ग को याद करने और युद्ध के मैदान में उसके नेमत पर ध्यान देने की दुआ
  • आख़िरत का आशीर्वाद कल्पना से परे है।
  • शत्रुओं की निर्बलता और युद्धक्षेत्र में निर्बलता के लिए दुआ
  • मुजाहिदीन के प्रयासों के बोझ और पूरी पृथ्वी पर एकेश्वरवादी शासन की दुआ
  • इस्लामी सीमाओं में दुश्मनों की हार के लिए दुआ
  • संपूर्ण पृथ्वी पर ईश्वर के शत्रुओं के विनाश और उन्मूलन के लिए दुआ
  • शत्रु पर विजय पाने में गुप्त सहायता की भूमिका
  • अविश्वासियों का विनाश एकेश्वरवादी समाज की नींव है
  • मुसलमानों की साधन संपन्नता को मजबूत करने की दुआ
  • स्वर्गदूतों के साथ इस्लाम की सेना को मजबूत करने की दुआ
  • बद्र की लड़ाई में फ़रिश्तों की सेना के साथ मुसलमानों को ईश्वर की मदद का जिक्र
  • बहुदेववादियों से मुश्रिकों की दुर्दशा के लिए दुआ
  • मुसलमानों का सामना करने में बहुदेववादियों के शरीर और दिमाग की असमर्थता के लिए दुआ
  • बद्र की लड़ाई जैसी अनदेखी सहायता से मुजाहिदीन को लाभ पहुंचाने के लिए दुआ करना
  • शत्रुओं की उपेक्षा के लिए दुआ करना
  • इस्लाम के योद्धाओं के लिए अच्छी दुआ
  • इस्लामी योद्धाओं की स्थिति समझाना (नाम की लालसा और पाखंड से बचे)
  • सुखद अंत के लिए दुआ
  • जीत के बाद शहादत की कामयाबी के लिए दुआ
  • सीमा रक्षकों के बचे लोगों के मामलों के आयोजकों के लिए इनाम का अनुरोध
  • इस्लाम के प्रति चिंता का मूल्य और दुश्मनों के खिलाफ जिहाद का इरादा
  • बचे हुए लोगों और माफ किए गए लोगों के लिए जिहाद के इनाम का अनुरोध करना
  • जीवित बचे लोगों और माफ किये गये लोगों के नाम शहीदों, धर्मात्माओं और धर्मपरायणों की श्रेणी में दर्ज करने की दुआ
  • मुहम्मद (स) और अली (अ) पर दुरूद और सलाम की दुआ
  • सीमा पर खड़े सिपाहीयो की सीमा के अंदर रहने वालो की मदद का लाभ और उसके महत्वः इस्लाम की रक्षा में सभी लोगों की भागीदारी, लड़ाकों का प्रोत्साहन और मजबूत भावना का उदय और भविष्य के लिए आशा, लोगों की मानसिक तैयारी मुस्लिम समुदाय में रक्षा, एकता और एकजुटता का होना।[३]

युद्धों में दुआ पढ़ना

कुछ शिया लोग इस दुआ को तब पढ़ते हैं जब इस्लाम के दुश्मन इस्लामी देशों या मुसलमानों पर हमला करते हैं। उदाहरण के लिए, ग़ज़्ज़ा पट्टी के लोगों के खिलाफ इजरायल के युद्ध के दौरान, ईरानी लोगों के समूहों ने फिलिस्तीनी लोगों की मुक्ति के लिए सामूहिक रूप से यह दुआ पढ़ी थी।[४] साथ ही, ग़ज़्ज़ा और लेबनान के लोगों के खिलाफ इजरायल के युद्ध के दौरान भी 2023 और 2024 में, इंटरनेट पर इस दुआ की खोज बढ़ी।

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की सत्ताईसवीं दुआ के विवरण में किताबें लिखी गई हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • जाफ़र मुर्तज़ा आमोली की पुस्तक सियासतुल-हर्ब फ़ी दुआ अहलिस सग़ूर में चौदह अध्यायों में इस्लाम की सीमाओं की रक्षा की युद्ध रणनीति का वर्णन किया गया है।[५] यह पुस्तक इस्लामिक सेंटर फॉर स्टडीज़ द्वारा 1428 हिजरी में प्रकाशित की गई थी। साथ ही, इसका फ़ारसी अनुवाद 2014 में मआरिफ पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित किया गया था।
  • मरज़दारान दर दुआ ए इमाम सज्जाद (अ) बैतुल्लाह बयात ज़ंजानी ने 42 अध्यायो पर आधारित 2009 में मेहर अमीरुल मोमिनीन पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित किया गया था।[६]

इसी तरह सहीफ़ा सज्जादिया की सत्ताईसवीं दुआ दूसरी दुआओ की तरह सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसका वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[७] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[८] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[९] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की सत्ताईसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[१०] मुहम्मद जवाद मुग़्निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया[११] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[१२] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१३] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१४] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१५]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की सत्ताईसवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो लेअहलिस सोग़ूरे सीमाओ की रक्षा करने वालो के लिए हज़रत की दुआ وَ کانَ مِنْ دُعَائِهِ علیه‌السلام لِأَهْلِ الثُّغُورِ
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व हस्सिन सोग़ूरल मुस्लेमीना बेइज़्ज़तेका, व अय्यिद होमातहा बेक़ुव्वतेका, व अस्बिग़ अतायाहुम मिन जेदतेका हे पालन हार! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और अपनी शक्ति और अधिकार से मुसलमानों की सीमाओं की रक्षा कर, और जो लोग उनकी रक्षा करते हैं उन्हें अपनी ताकत और ऊर्जा से मजबूत कर और उन्हें अपने धन से अंतहीन रूप से समृद्ध कर। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ حَصِّنْ ثُغُورَ الْمُسْلِمِینَ بِعِزَّتِک، وَ أَیدْ حُمَاتَهَا بِقُوَّتِک، وَ أَسْبِغْ عَطَایاهُمْ مِنْ جِدَتِک
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन वा आलेहि व कस्सिर इद्दतहुम, वश्हज़ अस्लेहतहुम, वहरुस हौज़तहुम, वमनअ हौमतहुम, व अल्लिफ़ जमअहुम, व दब्बिर अमरहुम, व वातिर बैना मीरेहिम, व तवह्हद बेकिफ़ायते मोअनेहिम, वअज़ुदहुम बिन्नस्रे, व आइनहुम बिस्सबरे, वलतुफ लहुम फ़ील मकरे हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और उनकी संख्या बढ़ा दे। उनके हथियार तेज कर। अपनी सीमाओं और परिवेश तथा केंद्रीय स्थानों की सुरक्षा और देखभाल करके उनके समुदाय में सद्भाव और एकजुटता पैदा कर, उनके मामलों को ठीक कर और आपूर्ति के साधनों को बनाए रख। उनकी समस्याओं के समाधान की जिम्मेदारी ले। उनकी भुजाओं को मजबूत कर। धैर्य के साथ उनकी मदद कर। और उन्हें दुश्मन की छिपी हुई योजनाओं की सूक्ष्म जानकारी प्रदान कर। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ کثِّرْ عِدَّتَهُمْ، وَ اشْحَذْ أَسْلِحَتَهُمْ، وَ احْرُسْ حَوْزَتَهُمْ، وَ امْنَعْ حَوْمَتَهُمْ، وَ أَلِّفْ جَمْعَهُمْ، وَ دَبِّرْ أَمْرَهُمْ، وَ وَاتِرْ بَینَ مِیرِهِمْ، وَ تَوَحَّدْ بِکفَایةِ مُؤَنِهِمْ، وَ اعْضُدْهُمْ بِالنَّصْرِ، وَ أَعِنْهُمْ بِالصَّبْرِ، وَ الْطُفْ لَهُمْ فِی الْمَکرِ
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्दिव वा आलेहि व अर्रिफ़हुम मा यजहलूना, व अल्लिमहुम मा ला यअलामूना, व बस्सिरहुम मा ला युबसेरूना हे परमात्मा! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और जिस चीज़ जो वो नहीं पहचानते उन्हें पहचनवा दे। और जिस चीज़ का उन्हें ज्ञान नहीं है, वह उन्हे बता दे। और जिस चीज़ की बसीरत नही है वह उन्हे सुझा दे। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ عَرِّفْهُمْ مَا یجْهَلُونَ، وَ عَلِّمْهُمْ مَا لَا یعْلَمُونَ، وَ بَصِّرْهُمْ مَا لَا یُبْصِرُونَ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व आलेहि, व अनसेहिम इंदा लेकाएहेमुल अदुव्वो ज़िकरा दुनयाहोमुल खद्दाअतिल ग़रूरे, वमहो अन क़ोलूबेहिम खतरातिल मालिल फ़तूने, वज अललिल जन्नता नुसबा आअयनेहिम, व लव्वेह मिन्हा लेअबसारेहिम मा आअददता फ़ीहा मिन मसाकेनिल ख़ुल्दे व मनाज़ेलिल करामते वल हूरिल हेसाने वल अन्हारिल मुत्तरेदते बिल अन्वाइल अशरेबते वल अशजारिल मुतदल्लीते बे सूनूफ़िस समरे हत्ता ला यहुम्मा अहदुन मिनहुम बिलइदबारे, वला यहद्देसा नफ़सहू अन क़िरनेहि बेफ़रारिन हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और दुश्मन का सामना करते समय उनके दिमाग से विश्वासघाती और धोखेबाज दुनिया की याद मिटा दें। और उनके दिलों से गुमराह करने वाली दौलत का ख़ौफ़ दूर कर दे और उनकी आँखों के सामने जन्नत और हमेशा रहने वाले ठिकाने, इज़्ज़त और इज़्ज़त की जगहें और पानी, दूध, शराब की बहती धाराएँ और नाना प्रकार के फ़लो से लदे हुए पेड़ वहा प्रंबंध किया है, उन्हे दिखा दे ताकि उनमे से कोई पीठ फिराने का इरादा और अपने प्रतिद्वंद्वी के सामने पीछे मुड़कर भागने के बारे में न सोचे। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ، وَ أَنْسِهِمْ عِنْدَ لِقَائِهِمُ الْعَدُوَّ ذِکرَ دُنْیاهُمُ الْخَدَّاعَةِ الْغَرُورِ، وَ امْحُ عَنْ قُلُوبِهِمْ خَطَرَاتِ الْمَالِ الْفَتُونِ، وَ اجْعَلِ الْجَنَّةَ نُصْبَ أَعْینِهِمْ، وَ لَوِّحْ مِنْهَا لِأَبْصَارِهِمْ مَا أَعْدَدْتَ فِیهَا مِنْ مَسَاکنِ الْخُلْدِ وَ مَنَازِلِ الْکرَامَةِ وَ الْحُورِ الْحِسَانِ وَ الْأَنْهَارِ الْمُطَّرِدَةِ بِأَنْوَاعِ الْأَشْرِبَةِ وَ الْأَشْجَارِ الْمُتَدَلِّیةِ بِصُنُوفِ الثَّمَرِ حَتَّی لَا یَهُمَّ أَحَدٌ مِنْهُمْ بِالْإِدْبَارِ، وَ لَا یحَدِّثَ نَفْسَهُ عَنْ قِرْنِهِ بِفِرَارٍ.
अल्लाहुम्मफ़ लुल बेज़ालेका अदुव्वोहुम, वकलिम अन्हुम अज़फारहुम, व फ़र्रिक़ बैनाहुम व बैना असलेहतेहिम, वखलअ वसाऐक़ा अफ़ऐदतेहिम, व बाइद बैनाहुम व बैना अज़वेदतेहिम, व हैयरहुम फ़ी सोबोलेहिम, व ज़ल्लिलहुम अन वजहेहिम, वक़्तअ अनहोमुल मददा, वनक़ुस मिनहोमुल अददा, वमलाओ अफ़ऐदतहोमुर रोअबा, वक़बिज़ ऐयदीहुम अनिल बस्ते, वख़ज़िम अलसेनतहुम अनिन नुत्क़े, व शर्रिद बेहिम मन ख़लफ़हुम व नक्किल बेहिम मन वराअहुम, वक़्तअ बेखिज़ीहिम अतमाअ मन बअदहुम हे परमात्मा! इस तरीक़े से उनके दुश्मनों की चालों को ख़त्म कर दे और उन्हें असहाय बना दे और उन्हें और उनके हथियारों को बाँट दे, (अर्थात उनके हथियार छोड़ दे और भाग जाएं) और उनकी रगों और दिलों के बीच और उनके बीच की डोरियाँ तोड़ दे और उनकी जीविका में दूरी बना दे और उन्हें उनके मार्ग में भटकने के लिए छोड़ दे। और उन्हें उनके उद्देश्य से भटका दे। उनके सुदृढीकरण की श्रृंखला को काट दे और उनकी संख्या कम कर दे। उनके दिलों को आतंक से भर दे। उनकी लंबी भुजाओं को छोटा कर दे और उनकी जीभ को बांध दे ताकि वे बोल न सकें, और उन्हें दंडित कर और उन्हें और उनके पीछे वाले लोगों को तितर-बितर कर दे, और जो पीछे हैं उन्हें हरा दे ताकि उनके पीछे वाले लोगों को सबक मिले और उनका मनोबल टूटे उनके पीछे जो लोग हैं उनकी शर्मिंदगी और अपमान के साथ उनका साहस और मनोबल तोड़ दे। اللَّهُمَّ افْلُلْ بِذَلِک عَدُوَّهُمْ، وَ اقْلِمْ عَنْهُمْ أَظْفَارَهُمْ، وَ فَرِّقْ بَینَهُمْ وَ بَینَ أَسْلِحَتِهِمْ، وَ اخْلَعْ وَثَائِقَ أَفْئِدَتِهِمْ، وَ بَاعِدْ بَینَهُمْ وَ بَینَ أَزْوِدَتِهِمْ، وَ حَیرْهُمْ فِی سُبُلِهِمْ، وَ ضَلِّلْهُمْ عَنْ وَجْهِهِمْ، وَ اقْطَعْ عَنْهُمُ الْمَدَدَ، وَ انْقُصْ مِنْهُمُ الْعَدَدَ، وَ امْلَأْ أَفْئِدَتَهُمُ الرُّعْبَ، وَ اقْبِضْ أَیدِیهُمْ عَنِ الْبَسْطِ، وَ اخْزِمْ أَلْسِنَتَهُمْ عَنِ النُّطْقِ، وَ شَرِّدْ بِهِمْ مَنْ خَلْفَهُمْ وَ نَکّلْ بِهِمْ مَنْ وَرَاءَهُمْ، وَ اقْطَعْ بِخِزْیهِمْ أَطْمَاعَ مَنْ بَعْدَهُمْ.
अल्लाहुम्मा अक़्क़िम अरहामा नेसाएहिम, व यब्बिस असलाबा रेजालेहिम, वक़्तअ नसला दवाब्बेहिम व अन्आमेहिम, ला तअज़न लेसमाऐहिम फ़ी कतरिन, वला लेअर्ज़ेहिम फ़ी नबातिन हे पालन हार! उनकी स्त्रियों के पेट बंजर कर दे, उनके पुरूषों की हड्डियाँ सुखा दे, और उनके घोड़े, ऊँट, गायें, और बकरे की नस्ल काट डाल, और उनके आकाश को बरसने और पृय्वी को उगाने की अनुमति न दे। اللَّهُمَّ عَقِّمْ أَرْحَامَ نِسَائِهِمْ، وَ یبِّسْ أَصْلَابَ رِجَالِهِمْ، وَ اقْطَعْ نَسْلَ دَوَابِّهِمْ وَ أَنْعَامِهِمْ، لَا تَأْذَنْ لِسَمَائِهِمْ فِی قَطْرٍ، وَ لَا لِأَرْضِهِمْ فِی نَبَاتٍ.
अल्लाहुम्मा व क़व्वे बेज़ालेका मेहाला अहलिल इस्लामे, व हस्सिन बेहि देयारहुम, व सम्मिर बेहि अमवालहुम, व फ़र्रिग़हुम अन मुहारबतेहिम लेएबादतेका, व अन मुनाबज़तेहिम लिल खलवते बेका हत्ता ला यअबदा फ़ी बेक़ाइल अर्ज़े ग़ैरोका, व ला तोअफ़्फ़रा लेअहदिन मिन्हुम जबहतुन दूनका हे पालन हार! इस माध्यम से इस्लाम के लोगों की योजनाओं को मजबूत कर, उनके शहरों की रक्षा कर और उनकी संपत्ति में वृद्धि कर, और उन्हें इबादत और एकांत के लिए लड़ाई-झगड़े से मुक्त कर। ताकि तेरे सिवा पृथ्वी पर किसी की इबादत न हो, और तेरे सिवा किसी के साम्हने भूमि पर माथा न टेका जाए। اللَّهُمَّ وَ قَوِّ بِذَلِک مِحَالَ أَهْلِ الْإِسْلَامِ، وَ حَصِّنْ بِهِ دِیارَهُمْ، وَ ثَمِّرْ بِهِ أَمْوَالَهُمْ، وَ فَرِّغْهُمْ عَنْ مُحَارَبَتِهِمْ لِعِبَادَتِک، وَ عَنْ مُنَابَذَتِهِمْ لِلْخَلْوَةِ بِک حَتَّی لَا یعْبَدَ فِی بِقَاعِ الْأَرْضِ غَیرُک، وَ لَا تُعَفَّرَ لِأَحَدٍ مِنْهُمْ جَبْهَةٌ دُونَک.
अल्लाहुम्मगजो बेकुल्ले नाहीयतिन मिनल मुसलेमीना अला मन बेएज़ाएहिम मिनल मुशलेकीना, व अमदिदहुम बेमलाएकतिन मिन इनदका मुरदेफ़ीना हत्ता यकशेफ़ूहुम एला मुनकतइत तुराबे क़त्लन फ़ी अर्ज़ेका व असरन, ओ योक़िर्रू बेअन्नका अन्तल्लाहुल लज़ी ला इलाहा इल्ला अन्ता वहदका ला शरीका लका हे परमात्मा! अतः मुसलमानों को उन बहुदेववादियों पर हक़ दे जो उनके प्रत्येक क्षेत्र में लड़ रहे हैं और फ़रिश्तों की कतारों के माध्यम से उनकी सहायता कर। ताकि पृथ्वी के इस क्षेत्र में उन्हें मार डाला जाए और इसकी आखिरी सीमा तक वापस भेज दिया जाए, या वे कबूल कर लें कि वह ईश्वर है, जिसके अलावा कोई पालनहार नहीं है, और कोई साथी नहीं है। اللَّهُمَّ اغْزُ بِکلِّ نَاحِیةٍ مِنَ الْمُسْلِمِینَ عَلَی مَنْ بِإِزَائِهِمْ مِنَ الْمُشْرِکینَ، وَ أَمْدِدْهُمْ بِمَلَائِکةٍ مِنْ عِنْدِک مُرْدِفِینَ حَتَّی یکشِفُوهُمْ إِلَی مُنْقَطَعِ التُّرَابِ قَتْلًا فِی أَرْضِک وَ أَسْراً، أَوْ یُقِرُّوا بِأَنَّک أَنْتَ اللَّهُ الَّذِی لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ وَحْدَک لَا شَرِیک لَک.
अल्लाहुम्मा वअमुम बेज़ालेका आअदाअका फ़ी अक़्तारिल बिलादे मिनल हिंदे वर रूमे वत तुर्के वल ख़ज़रे वल हश्बे वन नूबते वज जनजे वस सक़ालेबते वद दयालेमते व साएरे उममिश शिर्के, अल लज़ीना तख़फ़ा अस्माओहुम व सिफातोहुम, व क़द अहसयतहुम बेमअरेफ़तेका, व अशरफ़ता अलैहिम बेक़ुदरतेका ईश्वर इस संहार और विध्वंस में चारों ओर से धर्म के शत्रुओं का सफाया कर। चाहे वे हिन्दी हों या रोमन, तुर्की हों या खज़री, हब्शी हों या न्युबियन, रंगी हों या सकलबी और दैलमी, साथ ही वे बहुदेववादी दल जिनके नाम और गुण हम नहीं जानते, और आप उन्हें अपने ज्ञान से घेर लेते हैं और अपनी शक्ति से उन्हें नियंत्रित करता हैं। अपनी श्कित से उनसे परिचित है। اللَّهُمَّ وَ اعْمُمْ بِذَلِک أَعْدَاءَک فِی أَقْطَارِ الْبِلَادِ مِنَ الْهِنْدِ وَ الرُّومِ وَ التُّرْک وَ الْخَزَرِ وَ الْحَبَشِ وَ النُّوبَةِ وَ الزَّنْجِ وَ السَّقَالِبَةِ وَ الدَّیالِمَةِ وَ سَائِرِ أُمَمِ الشِّرْک، الَّذِینَ تَخْفَی أَسْمَاؤُهُمْ وَ صِفَاتُهُمْ، وَ قَدْ أَحْصَیتَهُمْ بِمَعْرِفَتِک، وَ أَشْرَفْتَ عَلَیهِمْ بِقُدْرَتِک.
अल्लाहुम्मश ग़लिल मुशरेकीना बिल मुशरेकीना अन तनावोले अतराफ़िल मुस्लेमीना, व ख़ुजहुम बिन नक़्से अन तनक़्क़ोसेहिम, व सब्बितहुम बिफ़ुरक़ते अनुल एहतेशाते अलैहिम हे पालन हार! बहुदेववादियों को बहुदेववादियों के साथ भ्रमित करके उन्हें मुस्लिम राज्य की सीमाओं पर अतिक्रमण करने से रोक और उन्हें कम करके मुसलमानों को कम करने से रोक और उनमें फूट डालकर उन्हें इस्लाम के लोगों के विरुद्ध पंक्ति हटा दे। اللَّهُمَّ اشْغَلِ الْمُشْرِکینَ بِالْمُشْرِکینَ عَنْ تَنَاوُلِ أَطْرَافِ الْمُسْلِمِینَ، وَ خُذْهُمْ بِالنَّقْصِ عَنْ تَنَقُّصِهِمْ، وَ ثَبِّطْهُمْ بِالْفُرْقَةِ عَنِ الاحْتِشَادِ عَلَیهِمْ.
अल्लाहुम्मा अखले क़ोलूबहुम मिनल अमनते, व अबदानहुम मिनल क़ुव्वते, व अज़हिल क़ोलोबहुम अनिल एहतीयाले, व ओहिन अरकानहुम अन मुनाज़लतिर रेजाले, व जन्निबहुम अन मुक़ारअतिल अबताले, वबअस अलैहिम जुन्दन मिन मलाएकतेका बेबासिन मिन बासेका कफ़ेअलेका यौमा बदरिन, तक़्तओ बेहि दाबेरहुम व तहसोदो बेहि शौकतहुम, व तोफ़र्रिक़ो बेहि अददहुम हे परमेश्वर! उनके हृदयों को संतोष और निर्भयता से भर दें और उनके शरीरों को शक्ति और ऊर्जा से खाली कर दें। उनके विचारों को विवेक के प्रति लापरवाह बना दे, और पुरुषों के युद्ध के सामने उनके हाथों और भुजाओं को कमजोर कर दे, और उन्हें साहसी इस्लाम का सामना करने के लिए कायर बना दे, और उन पर अपनी सजाओं में से एक के साथ स्वर्गदूतों की एक सेना भेज दे। जैसा तूने बद्र के दिन किया था। इसी तरह उनकी जड़ें भी काट दें। उनके वैभव को नष्ट कर दे और उनकी सभा को नष्ट कर दे। اللَّهُمَّ أَخْلِ قُلُوبَهُمْ مِنَ الْأَمَنَةِ، وَ أَبْدَانَهُمْ مِنَ الْقُوَّةِ، وَ أَذْهِلْ قُلُوبَهُمْ عَنِ الِاحْتِیالِ، وَ أَوْهِنْ أَرْکانَهُمْ عَنْ مُنَازَلَةِ الرِّجَالِ، وَ جَبِّنْهُمْ عَنْ مُقَارَعَةِ الْأَبْطَالِ، وَ ابْعَثْ عَلَیهِمْ جُنْداً مِنْ مَلَائِکتِک بِبَأْسٍ مِنْ بَأْسِک کفِعْلِک یوْمَ بَدْرٍ، تَقْطَعُ بِهِ دَابِرَهُمْ وَ تَحْصُدُ بِهِ شَوْکتَهُمْ، وَ تُفَرِّقُ بِهِ عَدَدَهُمْ.
अल्लहुम्मा वमज़ुज मियाहहुम बिलवबाए, व अतऐमतहुम बिल अदवाए, वरमे बेलादहुम बिल ख़ुसूफे, व अलेह्हा अलैहा बिलक़ुज़ूफ़े, वफ़ रअहा बिल मोहूले, वजअल मीरहुम फ़ी अहस्से अर्ज़ेका व अबअदेहा अनहुम, वमनअ हुसूनहा मिनहुम, असिबहुम बिल जूईल मुक़ीमे वस सुक़्मिल अलीमे हे परमेश्वर! उनके पानी में रोग और उनके भोजन में रोग मिला दे। उनके नगरों को मिट्टी में मिला दे, उन पर सदा के लिये पथराव कर, और उन पर अकाल डाल दे। उनकी जीविका ऐसी भूमि में करो जो बंजर हो और उनसे दूर हो। पृथ्वी के सुरक्षित किलों को उनके लिये बन्द कर दे। और उन्हें लगातार भूख और दर्दनाक बीमारियों से पीड़ित कर। اللَّهُمَّ وَ امْزُجْ مِیاهَهُمْ بِالْوَبَاءِ، وَ أَطْعِمَتَهُمْ بِالْأَدْوَاءِ، وَ ارْمِ بِلَادَهُمْ بِالْخُسُوفِ، وَ أَلِحَّ عَلَیهَا بِالْقُذُوفِ، وَ افْرَعْهَا بِالْمُحُولِ، وَ اجْعَلْ مِیرَهُمْ فِی أَحَصِّ أَرْضِک وَ أَبْعَدِهَا عَنْهُمْ، وَ امْنَعْ حُصُونَهَا مِنْهُمْ، أَصِبْهُمْ بِالْجُوعِ الْمُقِیمِ وَ السُّقْمِ الْأَلِیمِ.
अल्लाहुम्मा व अय्यमा ग़ाज़िन ग़ज़ाहुम मिन अहले मिल्लतेका, औ मुजाहेदिन जाहदहुम मिन अतबाए सुन्नतेका लेयकूना दीनोकल आअला व हिज़्बोकल अक़्वा व हज़्ज़ोकल ओफ़ा फ़लक़्क़ेहिल यसीरा, व हैउन लहूल अमरा, व तवल्लहू बिन्नजहे, व तख़य्यर लहुल असहाबा, वस तक़वेलहू, अज़्ज़हर, व असबिग़ अलैहे फ़िन नफ़क़ते, व मत्तेअहो बिन नेशाते, व अतिफ़ अन्हो हरारतश शौके, व अजिरहो मिन ग़म्मिल वहशते, व अनसेहि ज़िकरल अहले वलदे हे परम परमेश्वर! अपने दीन और क़ौम के लोगों में से जो कोई उनके ख़िलाफ़ लड़ने को तैयार हो, या तेरे रास्ते पर चलने वालों में से जो तेरे धर्म को ऊँचा, तेरे समूह को मजबूत और तेरे हिस्से और तकदीर को ऊँचा करने के उद्देश्य से जिहाद की नियत से मुजाहेदत करता हो अधिक उत्तम, फिर उसका इसे आसान बना। पूरक उपकरण प्रदान कर। इसकी सफलता की जिम्मेदारी लें। इसके लिए सर्वोत्तम संगत चुन। एक मजबूत सवारी की व्यवस्था कर। जरूरतों को पूरा करने के लिए उदार बना। उत्साह और उमंग के साथ इसका आनंद उठायें। उसकी देश के प्रति चाहत की लालसा को ठंडा कर दे, उसे अकेलेपन का गम महसूस न होने दे। वह अपनी पत्नी और बच्चों की याद भूल जाये। اللَّهُمَّ وَ أَیّمَا غَازٍ غَزَاهُمْ مِنْ أَهْلِ مِلَّتِک، أَوْ مُجَاهِدٍ جَاهَدَهُمْ مِنْ أَتْبَاعِ سُنَّتِک لِیکونَ دِینُک الْأَعْلَی وَ حِزْبُک الْأَقْوَی وَ حَظُّک الْأَوْفَی فَلَقِّهِ الْیسْرَ، وَ هَیئْ لَهُ الْأَمْرَ، وَ تَوَلَّهُ بِالنُّجْحِ، وَ تَخَیرْ لَهُ الْأَصْحَابَ، وَ اسْتَقْوِ لَهُ، الظَّهْرَ، وَ أَسْبِغْ عَلَیهِ فِی النَّفَقَةِ، وَ مَتِّعْهُ بِالنَّشَاطِ، وَ أَطْفِ عَنْهُ حَرَارَةَ الشَّوْقِ، وَ أَجِرْهُ مِنْ غَمِّ الْوَحْشَةِ، وَ أَنْسِهِ ذِکرَ الْأَهْلِ وَ الْوَلَدِ.
वासुर लहू हुसनन नियते, व तवल्लहू बिल आफ़ीयते, व असहिबहुस सलामता, व आअफ़ेहि मिनल जुब्ने, व अलहिमहुल जुरअता, वरज़ुक़हुश शिद्दता, व अय्यिदहो बिन नुसरते, व अल्लिहुस सैरा वस सुनाने, व सद्दिहो फ़ील हुक्मे, वअज़िल अन्हुर रेयाआ, व ख़ल्लिसहो मिनस सुमअते, वजअल फ़िरहू व ज़िक़रहू व ज़अनहू व इक़ामतहू फ़ीका व लका मुझे अच्छे इरादों की ओर मार्गदर्शन कर। उसकी भलाई की जिम्मेदारी ल। सुरक्षा को अपना साथी बनाए।. कायरता को उस पर हावी न होने दे। उसके दिल में साहस पैदा कर। उसे शक्ति दे। अपनी मदद से इसे ऊर्जावान बना। रास्ता (जिहाद) सिखा और काम करने का सही तरीका सिखा। पाखंड को उससे दूर रख। उसमें वासना, यश का कोई संदेह न रहे। उसका उल्लेख और विचार घोषित कर ओर यात्रा करें और अपने रास्ते पर रहे। وَ أْثُرْ لَهُ حُسْنَ النِّیةِ، وَ تَوَلَّهُ بِالْعَافِیةِ، وَ أَصْحِبْهُ السَّلَامَةَ، وَ أَعْفِهِ مِنَ الْجُبْنِ، وَ أَلْهِمْهُ الْجُرْأَةَ، وَ ارْزُقْهُ الشِّدَّةَ، وَ أَیدْهُ بِالنُّصْرَةِ، وَ عَلِّمْهُ السِّیرَ وَ السُّنَنَ، وَ سَدِّدْهُ فِی الْحُکمِ، وَ اعْزِلْ عَنْهُ الرِّیاءَ، وَ خَلِّصْهُ مِنَ السُّمْعَةِ، وَ اجْعَلْ فِکرَهُ وَ ذِکرَهُ وَ ظَعْنَهُ وَ إِقَامَتَهُ، فِیک وَ لَک.
फ़इज़ा साफ़्फ़ा अदुव्वेका व अदुव्वहू फ़क़ल्लिलहुम फ़ी ऐनेहि, व सग़्ग़िर शानहुम फ़ी क़लबेहि, व अदिल लहू मिनहुम, वला तोदिलहुम मिन्हो, फ़इन ख़तम्ता लहू बिस्सआदते, व क़ज़यता लहू बिश्शहादते फ़बअदा अन यजताहा अदुव्वेका बिल क़त्ले, व बादा अन यजहदा बेहेमुल असरो, व बाद अन मना अतराफ़ुल मुसलेमीना, व बादा अय यवल्ला अदुव्वेका मुदबेरीना और जब उसका सामना तेरे शत्रुओं और उसके शत्रुओं से हो तो उनकी संख्या उसकी दृष्टि में छोटी कर दे और उसके दिल में उनका दर्जा कम कर दे, उसे उन पर प्रभुत्व दे दे और उन्हें अपने ऊपर हावी न होने दे। यदि तूने इस मुजाहिद आदमी को मार कर शहीद करने का निश्चय कर लिया है तो यह शहादत तब होनी चाहिए जब वह तेरे शत्रुओं को मार कर अविश्वास की स्थिति में ला दे। अथवा बन्दी उन्हें असहाय बना देंगे और मुसलमानों के क्षेत्र में शान्ति कायम रहेगी और शत्रु मुँह फेर लेंगे। فَإِذَا صَافَّ عَدُوَّک وَ عَدُوَّهُ فَقَلِّلْهُمْ فِی عَینِهِ، وَ صَغِّرْ شَأْنَهُمْ فِی قَلْبِهِ، وَ أَدِلْ لَهُ مِنْهُمْ، وَ لَا تُدِلْهُمْ مِنْهُ، فَإِنْ خَتَمْتَ لَهُ بِالسَّعَادَةِ، وَ قَضَیتَ لَهُ بِالشَّهَادَةِ فَبَعْدَ أَنْ یجْتَاحَ عَدُوَّک بِالْقَتْلِ، وَ بَعْدَ أَنْ یجْهَدَ بِهِمُ الْأَسْرُ، وَ بَعْدَ أَنْ تَأْمَنَ أَطْرَافُ الْمُسْلِمِینَ، وَ بَعْدَ أَنْ یوَلِّی عَدُوُّک مُدْبِرِینَ.
अल्लाहुम्मा व अय्यमा मुसलेमिन खलफ़ा ग़ाज़ेयन ओ मुराबेतन फ़ी दारेहि, ओ तअह्हदा ख़ालेफ़ीहे फ़ी ग़ैबतेहि, ओ अआनहू बेताएफ़तिन मिन मालेहि, ओ अमद्दहू बेएतादिन, ओ शहज़हू अला जेहादिन, ओ अतबअहू फ़ी वजहेहि दअवतन, ओ रआ लहू मिन वराएहि हुरमतन, फ़आजिर लहू मिस्ला अजरेहि वज़नन बेवज़निन व मिस्लन बेमिस्लिन, व अव्विज़हो मिन फ़ेअलेहि ऐवज़न हाज़ेरन यतअज्जलो बेहि नफ़आ मा क़द्दमा व सोरूरा मा अता बेहि, एला अन यनतहा बेहिल वक़्तो ऐला मा अजरयता लहू मिन फ़ज़लेका, व आअददता लहू मिन करामतेका हे पालन हार! एक मुसलमान जो सीमा पर किसी मुजाहिद के घर की रखवाली करता है या उसके परिवार को सूचित करता है या थोड़ी आर्थिक सहायता देता है या युद्ध उपकरणों से मदद करता है। यदि वह जिहाद को प्रोत्साहित करता है या अपने उद्देश्य के लिए दुआ करता है, या अपनी पीठ पीछे अपने सम्मान की परवाह करता है, तो उसे भी उसके इनाम के बराबर इनाम मिलेगा, और उसके कर्मों का बदला उसे दिया जाएगा ताकि वह तुरंत लाभ प्राप्त कर सके उसके कार्यों की और दुनिया में उसके द्वारा किए गए कार्यों की खुशी। जब तक कि जीवन के घंटे उसे तेरी कृपा और दया का आशीर्वाद न दे दें जो तूने उसके लिए जारी किया है और वह सम्मान और प्रतिष्ठा जो तूने उसे प्रदान की है। اللَّهُمَّ وَ أَیّمَا مُسْلِمٍ خَلَفَ غَازِیاً أَوْ مُرَابِطاً فِی دَارِهِ، أَوْ تَعَهَّدَ خَالِفِیهِ فِی غَیبَتِهِ، أَوْ أَعَانَهُ بِطَائِفَةٍ مِنْ مَالِهِ، أَوْ أَمَدَّهُ بِعِتَادٍ، أَوْ شَحَذَهُ عَلَی جِهَادٍ، أَوْ أَتْبَعَهُ فِی وَجْهِهِ دَعْوَةً، أَوْ رَعَی لَهُ مِنْ وَرَائِهِ حُرْمَةً، فَآجِرْ لَهُ مِثْلَ أَجْرِهِ وَزْناً بِوَزْنٍ وَ مِثْلًا بِمِثْلٍ، وَ عَوِّضْهُ مِنْ فِعْلِهِ عِوَضاً حَاضِراً یتَعَجَّلُ بِهِ نَفْعَ مَا قَدَّمَ وَ سُرُورَ مَا أَتَی بِهِ، إِلَی أَنْ ینْتَهِی بِهِ الْوَقْتُ إِلَی مَا أَجْرَیتَ لَهُ مِنْ فَضْلِک، وَ أَعْدَدْتَ لَهُ مِنْ کرَامَتِک.
अल्लाहुम्मा व अय्यामन मुस्लेमिन अहम्महू अमरुल इस्लामे, व अहज़नहू तहज़्ज़ोबो अहलिश शिर्के अलैहिम फ़नवा ग़ज़वन, ओ हम्मा बेजहादिन फ़क़अदा बेहि ज़अफ़ुन, ओ अबतअत बेहि फ़ाक़तुन, ओ अख़्ख़रहू अन्हो हादेसुन, ओ अरज़ा लहू दूना इरादतेहि मानेउन फ़कतोबिस महू फील आबेदीना, व ओजिब लहू सवाबल मुजाहेदीना, वजअलहो फ़ी नेज़ामिश शोहदाए वस सालेहीना हे परमेश्वर! जो मुसलमान इस्लाम की चिंता करता है और मुसलमानों के विरुद्ध बहुदेववादियों के जमावड़े से इस हद तक दुखी होता है कि वह लड़ने और जिहाद करने का इरादा रखता है, लेकिन कमजोरी उसे कदम उठाने से रोकती है, या कोई दुर्घटना उसे इस उद्देश्य के लिए कदम उठाने की अनुमति नहीं देती है। अगर वह इसमें देर करे या कोई रुकावट उसकी मंशा में रुकावट बने तो उसका नाम नमाजियों में लिख दे और उसे मुजाहिदीन का सवाब दे और उसे शहीदों और नेक लोगों में शुमार कर। اللَّهُمَّ وَ أَیّمَا مُسْلِمٍ أَهَمَّهُ أَمْرُ الْإِسْلَامِ، وَ أَحْزَنَهُ تَحَزُّبُ أَهْلِ الشِّرْک عَلَیهِمْ فَنَوَی غَزْواً، أَوْ هَمَّ بِجِهَادٍ فَقَعَدَ بِهِ ضَعْفٌ، أَوْ أَبْطَأَتْ بِهِ فَاقَةٌ، أَوْ أَخَّرَهُ عَنْهُ حَادِثٌ، أَوْ عَرَضَ لَهُ دُونَ إِرَادَتِهِ مَانِعٌ فَاکتُبِ اسْمَهُ فِی الْعَابِدِینَ، وَ أَوْجِبْ لَهُ ثَوَابَ الْمُجَاهِدِینَ، وَ اجْعَلْهُ فِی نِظَامِ الشُّهَدَاءِ وَ الصَّالِحِینَ.
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिन अब्देका व रसूलेका व आले मुहम्मदिन, सलातन आलीयतन अलस सलावाते, मुशरेफ़तन फ़ौक़त तहय्याते, सलातन ला यनतही अमदोहा, व ला यनक़तेओ अददोहा कअतम्मे मा मज़ा मिन सलावातेका अला अहदिन मिन औलेयाएका, इन्नकल मन्नानुल हमीदुल मुबदेउल मोईदुल फ़अआले लेमा तोरीद हे परमेश्वर! मुहम्मद जो तेरे विशेष बेदं और रसूल है, और उसके वंशजों पर एक ऐसी दया भेजिए जो सम्मान और पद में सभी दयालुताओं और सभी आशीर्वादों से अधिक है। एक दया जिसकी अवधि समाप्त नहीं होती, जिसकी गिनती का सिलसिला कहीं भी बाधित नहीं होता। ऐसी संपूर्ण दया जो तेरे एक मित्र पर प्रकट हुई है, क्योंकि तू सर्व क्षमा करने वाले, सर्व प्रशंसनीय, प्रथम-प्रवर्तक, और पुनर्जीवित करने वाले और जो कुछ भी चाहता हैं, करने वाला हैं। اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ عَبْدِک وَ رَسُولِک وَ آلِ مُحَمَّدٍ، صَلَاةً عَالِیةً عَلَی الصَّلَوَاتِ، مُشْرِفَةً فَوْقَ التَّحِیاتِ، صَلَاةً لَا ینْتَهِی أَمَدُهَا، وَ لَا ینْقَطِعُ عَدَدُهَا کأَتَمِّ مَا مَضَی مِنْ صَلَوَاتِک عَلَی أَحَدٍ مِنْ أَوْلِیائِک، إِنَّک الْمَنَّانُ الْحَمِیدُ الْمُبْدِئُ الْمُعِیدُ الْفَعَّالُ لِمَا تُرِیدُ.

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 449
  2. सुब्हानी, फ़रहंग अकाइद व मज़हब इस्लामी, 1395 शम्सी, भाग 6, पेज 407
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 25-76; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 469-509
  4. क़राअत दुआ ए अहले सग़ूर, बे नियत रेहाई मरदुम ग़ज़्ज़ा बा सदाए मीसम मुतीई, खबर गुज़ारी तसनीम
  5. सियासा अल हर्ब फ़ी दुआ अहलिस सग़ूर, साइट किताब पीडिया
  6. शरही बर दुआ बीसतो हफ़्तुम, साइट गेसूम
  7. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 7, पेज 25-76
  8. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 469- 509
  9. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 453-473
  10. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 177-280
  11. मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 347-368
  12. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 343-372
  13. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 2, पेज 39-78
  14. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 61-65
  15. जज़ाएरी, शरह अल सहीफ़ा अल सज्जदिया, 1402 हिजरी, पेज 147-155


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • सुब्हानी, जाफ़र, फ़रहंग अक़ाइद व मज़ाहिब इस्लामी, क़ुम, तौहीद, 1395 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • क़राअत दुआ ए अहले सग़ूर बे नियत रेहाई मरदुम ग़ज़्ज़ा बा सदा ए मीसम मुतीई, खबर गुज़ारी तसनीम, प्रविष्ट की तारीख 18 मुरदाद 1393 शम्सी, वीजिट की तारीख 11 मेहर, 1403 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • क़राअत दुआ (अहले सुगूर) बे नियात रिहाई मरदुम ग़ज्ज़ा बा सदाए मीसम मुतीई, खबर गुज़ारी तसनीम, प्रविष्ट की तारीख 18 मुरदाद 1393 शम्सी, वीजिट की तारीख 11 मेहेर 1403 शम्सी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी