सहीफ़ा सज्जादिया की तेरहवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की तेरहवी दुआ
शाबान 1102 हिजरी में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित, साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
शाबान 1102 हिजरी में अब्दुल्लाह यज़्दी द्वारा लिखित, साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
अन्य नामफी तलबे अल-हवाएजे इला अल्लाहे तआला
विषयईश्वर से जरूरतें मांगना • ईश्वर की बेनियाज़ी • लोगों की ईश्वर के प्रति आवश्यकता
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की तेरहवी दुआ (अरबीःالدعاء الثالث عشر من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की मशहूर दुआओ में से एक है, जिसमे इमाम सज्जाद (अ) ने मनुष्य को ईश्वर की आवश्यकता और ईश्वर की बेनियाज़ी के बारे है। इस दुआ में, हज़रत सज्जाद (अ) ने ईश्वर के असंख्य आशीर्वाद और इलाही हिकमत की अपरिवर्तनीयता का भी उल्लेख किया है। इस दुआ में निराशा और महरूमीयत को ईश्वर के अलावा दूसरो से अनुरोधों के परिणाम और पाप को ईश्वर के द्वार से दूरी का कारक माना जाता है। इमाम सज्जाद (अ) ने सज्दे मे दुआ करने और मुहम्मद और उनके परिवार पर सलवात भेजने को दुआओ की स्वीकृति का रहस्य बताया है।

तेरहवीं दुआ की विभिन्न शरहे दुनिया की कई भाषाओ मे लिखी गई है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की 13वीं दुआ का मुख्य विषय मनुष्य को ईश्वर की आवश्यकता है और उसे हर हालत मे ईश्वर के पास पलटकर जाना है। इस दुआ में इमाम सज्जाद (अ) ने प्राणियों की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थता को भी संबोधित किया, फिर उन्होंने ईश्वर से अपनी जरूरीयात की मांग की है[१] इमाम सज्जाद (अ) द्वारा 25 पद्धो[२] में जारी की गई तेरहवीं दुआ की शिक्षाएं इस प्रकार हैं:

  • ईश्वर दुआ करने वालो की अंतिम शरण है।
  • सभी प्राणि दिव्य शक्ति के आगे समर्पण करते है।
  • अपने बंदो के लिए परमेश्वर की अनगिनत और बेशुमार नेमतो का नुजूल।
  • ईश्वर का आशीर्वाद उसके बंदो के लिए निःशुल्क है
  • प्राणियों के लिए ईश्वर की आवश्यकता और ईश्वर की बेनियाज़ी
  • ईश्वर बे नियाज़ होना
  • भगवान का अथाह खजाना
  • ईश्वर सभी आंदोलनों का लक्ष्य और गंतव्य है।
  • इलाही हिकमत का अपरिवर्तनीय होना
  • अल्लाह कमाले मुतलक़ है
  • समस्याओं का समाधान केवल ईश्वर के हाथ में है।
  • ईश्वर को छोड़कर दूसरो से मांगने पर ही निराशा और अभाव की परिणति होती है।
  • केवल ईश्वर से दुआ करना, सहायता माँगना और उस पर अच्छा विश्वास रखना।
  • ईश्वर की तौफ़ीक़ और विधान ही फिसलने और भटकने से बचने का कारण है।
  • ईश्वर में विश्वास से आशा
  • लोगो को ईश्वर से दूर रखने का सबसे बड़ा कारक पाप है।
  • ईश्वरीय न्याय के स्थान पर ईश्वरीय कृपा की माँग करना
  • भगवान से एक पुकार
  • ईश्वर की कृपा और दया से वंचित न होने की दुआ करना
  • सब कुछ ईश्वर के हलावे कर देना
  • पैग़म्बर (स) और उनके परिवार पर सलवात भेजना जरूरतों को पूरा करने का कारक है।
  • दैवीय उपहारों के कारण मानव शांति
  • बंदो से मांगने का परिणाम अभाव और निराशा है।
  • बंदो से मांगना आत्म-मुग्धता और धोखे का परिणाम है।
  • परमेश्वर अपने बंदो की दुआओं से नहीं थकता
  • दैवीय नियति की छाया में दुआ की तौफ़ीक
  • सज्दे मे दुआ करना[३]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी तेरहवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[४] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[५] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की तेरहवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[९] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१०] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया मे विस्तार से वर्णन किया गया है।[११]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की तेरहवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
वकाना मिन दुआऐही अलैहिस सलामो फ़ी तलबिल हवाएज़े एलल्लाहे तआला ज़रूरत के सिलसिले में हज़रत की दुआ وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي طَلَبِ الْحَوَائِجِ إِلَي اللَّهِ تَعَالَي
अल्लाहुम्मा या मुन्तहा मतलबिल हाजाते हे पालनहार! ऐ वो जो ज़रूरतों की मंजिल खोजता है। اللَّهُمَّ يَا مُنْتَهَى مَطْلَبِ الْحَاجَاتِ
वया मन इंदहू नैलुत्तलियाते हे वह जिसकी यहां इच्छाओं तक पहुंच है وَ يَا مَنْ عِنْدَهُ نَيْلُ الطَّلِبَاتِ
वया मन ला यबीओ नेअमहू बिलअस्माने हे वह जो अपने आशीर्वाद किसी कीमत पर नहीं बेचता وَ يَا مَنْ لَا يَبِيعُ نِعَمَهُ بِالْأَثْمَانِ
वया मन ला योकद्देरो अतायाहो बिलइमतेनाने और वह अपने दान का बदला उपकार के रूप में नहीं देता وَ يَا مَنْ لَا يُكَدِّرُ عَطَايَاهُ بِالِامْتِنَانِ
वया मन युस्तग़्नी बेहि वला युस्तग़ना अन्हो हे वह जिसके माध्यम से बेनियाज़ी प्राप्त होती है और जिससे बेनियाज नहीं रहा जा सकता। وَ يَا مَنْ يُسْتَغْنَى بِهِ وَ لَا يُسْتَغْنَى عَنْهُ
वया मन युरग़बो इलैहे वला युरग़बो अन्हो हे वह जो वांछित है और जिसे दूर नहीं किया जा सकता। وَ يَا مَنْ يُرْغَبُ إِلَيْهِ وَ لَا يُرْغَبُ عَنْهُ
वया मन ला तुफ़नी ख़ज़ाएनहुल मसाएलो हे वह जिसके खजाने मांग और तलब से समाप्त नहीं होते وَ يَا مَنْ لَا تُفْنِي خَزَائِنَهُ الْمَسَائِلُ
वया मन ला तोबद्देलो हिकमतहुल वसाएलो और जिनकी हिकमत और मसलहत को संसाधनों से नहीं बदला जा सकता وَ يَا مَنْ لَا تُبَدِّلُ حِكْمَتَهُ الْوَسَائِلُ
वया मन ला तनक़तेओ अन्हो हवाएजुल मोहताजीना हे वह जिससे मोहताज का नाता नहीं टूटता وَ يَا مَنْ لَا تَنْقَطِعُ عَنْهُ حَوَائِجُ الْمُحْتَاجيِنَ
वया मन ला योअन्नीहे दुआउद दाईना और जिसे पुकारने वालों की आवाज खस्ता और मुलू नहीं करती وَ يَا مَنْ لَا يُعَنِّيهِ دُعَاءُ الدَّاعِينَ
तमद्दहतो बिलग़नाए अन ख़लक़ेका व अन्ता अहलुल ग़ेना अन्हुम तूने सृष्टि से बेनियाज़ होने का गुण दिखाया है और तू निश्चित रूप से उनसे बेनियाज़ हैं تَمَدَّحْتَ بِالْغَنَاءِ عَنْ خَلْقِكَ وَ أَنْتَ أَهْلُ الْغِنَى عَنْهُمْ
व नसबतहुम एलल फ़क़्रे व हुम अहलुल फ़क़्रे इलैका और तूने उनके ओर गरीबी और ज़रूरत को जिम्मेदार ठहराया है, और वे वास्तव में तेरे मोहताज हैं। وَ نَسَبْتَهُمْ إِلَى الْفَقْرِ وَ هُمْ أَهْلُ الْفَقْرِ إِلَيْكَ
फ़मन हावला सद्दा खल्लतेहि मिन इनदेका, व रामा सरेफ़ल फ़क़्रे अन नफ़सेहि बेका फ़क़द तलबा हाजताहू फ़ी मज़ान्नेहा, व अता तलेबताहू मिन वज्हेहा अतः जिसने तुझसे अपनी गरीबी और अपनी ज़रूरत दूर करने का तेरा इरादा किया था, उसने अपनी ज़रूरत को उसकी जगह से ढूंढ लिया और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सही रास्ता अपनाया। فَمَنْ حَاوَلَ سَدَّ خَلَّتِهِ مِنْ عِنْدِكَ ، وَ رَامَ صَرْفَ الْفَقْرِ عَنْ نَفْسِهِ بِكَ فَقَدْ طَلَبَ حَاجَتَهُ فِي مَظَانِّهَا ، وَ أَتَى طَلِبَتَهُ مِنْ وَجْهِهَا
व मन तवज्जहा बेहाजतेहि ऐला अहदिन मिन ख़लक़ेका ओ जाअलहू सबबा नुजहेहा दूनका फ़क़द तअर्रज़ा लिलहिरमाने, वस्तहक्क़ा मिन इंदेका फ़ौतल अहसाने और जो कोई अपनी आवश्यकताओं के लिए प्राणियों में से किसी एक की ओर मुड़ता है या अपनी आवश्यकताओं के स्रोत के रूप में तेरे अलावा किसी और को चुनता है, वह दुर्भाग्य से पीड़ित है और तेरे अनुग्रह से वंचित होने का पात्र है। وَ مَنْ تَوَجَّهَ بِحَاجَتِهِ إِلَى أَحَدٍ مِنْ خَلْقِكَ أَوْ جَعَلَهُ سَبَبَ نُجْحِهَا دُونَكَ فَقَدْ تَعَرَّضَ لِلْحِرْمَانِ ، وَ اسْتَحَقَّ مِنْ عِنْدِكَ فَوْتَ الْاِحْسَانِ
अल्लाहुम्मा व लेयल इलैका हाजतन ख़द क़स्सरा अन्हा जोहदि, व तक़त्तअत दूनहा हीली, व सव्वलत ली नफ्सी रफ़ेअहा एला मन यरफ़ओ हवाएजहू इलैका, वला यसतघनी फ़ी तलेबातेहि अन्का, व हेया जल्लतुन मिन ज़लोलिल ख़ातेईना, व असरतुन मिन असरातिल मुज़नेबीना हे परमेश्वर! मेरी तुझसे एक ज़रूरत है, जिसे पूरा करने से मेरी ताकत ने जवाब दे दिया है और मेरी रणनीतियाँ विफल हो गई हैं, और मेरे नफ्स ने मुझे यह सुखद तरीके से दिखाया है कि मुझे करीम के सामने अपनी ज़रूरत पेश करूं जो खुदा अपनी जरूरतो को तेरे सामने प्रस्तुत करता है और अपनी ज़रूरतो मे तुझ से बेनियाज़ नहीं है यह पूर्ण रूप से गलतिकरने वालो की गलतीयो मे से एक गलती और पापीयो की लतियों में से एक गलती थी। اللَّهُمَّ وَ لِي إِلَيْكَ حَاجَةٌ قَدْ قَصَّرَ عَنْهَا جُهْدِي ، وَ تَقَطَّعَتْ دُونَهَا حِيَلِي ، وَ سَوَّلَتْ لِي نَفْسِي رَفْعَهَا إِلَى مَنْ يَرْفَعُ حَوَائِجَهُ إِلَيْكَ ، وَ لَا يَسْتَغْنِي فِي طَلِبَاتِهِ عَنْكَ ، وَ هِيَ زَلَّةٌ مِنْ زَلَلِ الْخَاطِئِينَ ، وَ عَثْرَةٌ مِنْ عَثَرَاتِ الْمُذْنِبِينَ
सुम्मन तबहतो बेतज़कीरेका लेया मिन गफ़लति, व नहज़्तो बेतौफ़ीक़ेका मिन ज़ल्लती, व रजअतो व नकस्तो बेतसदीदेका अन असरती लेकिन तेरे याद दिलाने से मै अपनी लापरवाही के सावधान हुआ और तेरी कृपा ने सहारा दिया तो ठोकर खाने से सभल गया और तेरे मार्गदर्शन की बदौलत मैं इस गलत कदम से बच गया और वापस लौट आया। ثُمَّ انْتَبَهْتُ بِتَذْكِيرِكَ لِي مِنْ غَفْلَتِي ، وَ نَهَضْتُ بِتَوْفِيقِكَ مِنْ زَلَّتِي ، وَ رَجَعْتُ وَ نَكَصْتُ بِتَسْدِيدِكَ عَنْ عَثْرَتِي
व क़ुल्तो सुब्हाना रब्बी कैफ़ा यसअलो मोहताजुन मोहताजन व अन्ना यरगबो मोअदेमिन एला मोअदेमिन और मैंने कहा सुब्हाल्लाह! एक जरूरतमंद दूसरे जरूरतमंद से कैसे सवाल कर सकता है? और जहां एक दिवालिया दूसरे दिवालिया के पास जा सकता है (जब यह तथ्य स्पष्ट हो) وَ قُلْتُ سُبْحَانَ رَبِّي كَيْفَ يَسْأَلُ مُحْتَاجٌ مُحْتَاجاً وَ أَنَّى يَرْغَبُ مُعْدِمٍ اِلَي مُعْدِمٍ
फ़क़सदतोका, या इलाही, बिर रग़बते, व ओफ़दतो अलैका रजाई बिस्सेक़ते बेका तो मैंने कहा, सुब्हानल्लाह! मैंने तुझे पूरे दिल से चाहा है और तुझ पर भरोसा करते हुए अपनी उम्मीदें तेरे पास लाया हूँ فَقَصَدْتُكَ ، يَا إِلَهِي ، بِالرَّغْبَةِ ، وَ أَوْفَدْتُ عَلَيْكَ رَجَائِي بِالثِّقَةِ بِكَ
व अलिमतो अन कसीरा मा अस्अलोका यसीरुन फ़ी वुजदेका, व अन खतीरी मा अस तौहेबोका हक़ीरुन फ़ी वुस्ऐका, व अन्ना करमका ला यज़ीक़ो अन सुआले अहदिन, व अन्ना यदका बिल अताया आला मिन कुल्ले यदिन और मैं जान गया हूं कि मेरी अनेक आवश्यकताएं तेरी दया के सामने छोटी हैं और मेरी बड़ी-बड़ी इच्छाएं तेरी विशाल दया के सामने छोटी हैं। तेरी कृपा की सीमा किसी के प्रश्न पूछने से कम नहीं होती और कृपा और क्षमा प्रदान करने में तेरा हाथ हर हाथ से ऊपर है। وَ عَلِمْتُ أَنَّ كَثِيرَ مَا أَسْأَلُكَ يَسِيرٌ فِي وُجْدِكَ ، وَ أَنَّ خَطِيرَ مَا أَسْتَوْهِبُكَ حَقِيرٌ فِي وُسْعِكَ ، وَ أَنَّ كَرَمَكَ لَا يَضِيقُ عَنْ سُؤَالِ أَحَدٍ ، وَ أَنَّ يَدَكَ بِالْعَطَايَا أَعْلَى مِنْ كُلِّ يَدٍ
अल्लाहुम्मा फ़सल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहि, व एहमिलनी बेकरमेका अलत तफज़ज़ले, वला तहमिलनी बेअदलेका अलल इस्तेहक़ाक़े, फ़मा अना बेअव्वले राग़ेबिन रग़बा इलैका फ़आतयतहू व होवा यसतहिक़्कल मन्ऐ, वला बेअव्वले साएले सअलाका फअफ़ज़लता अलैहे व होवा यसतौजेबुल हिरमाना हे परमेश्वर! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाजिल कर, और अपनी कृपा से मुझ पर दया कर, और अपने न्याय के से काम लेते हुए मेरी योग्यताओं के आधार पर न्याय मत कर, क्योंकि मैं पहला जरूरतमंद व्यक्ति नहीं हूं जो तूने दिया है हालांकि वह इनकार किए जाने के योग्य हो, फिर भी वह उस पर निर्भर है, और वह तुझसे मांगने वाला पहला व्यक्ति नहीं है, और तुने उस पर अनुग्रह किया है, हालांकि वह वंचित होने का हकदार है। اللَّهُمَّ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ احْمِلْنِي بِكَرَمِكَ عَلَى التَّفَضُّلِ ، وَ لَا تَحْمِلْنِي بِعَدْلِكَ عَلَى الِاسْتِحْقَاقِ ، فَمَا أَنَا بِأَوَّلِ رَاغِبٍ رَغِبَ إِلَيْكَ فَأَعْطَيْتَهُ وَ هُوَ يَسْتَحِقُّ الْمَنْعَ ، وَ لَا بِأَوَّلِ سَائِلٍ سَأَلَكَ فَأَفْضَلْتَ عَلَيْهِ وَ هُوَ يَسْتَوْجِبُ الْحِرْمَانَ
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव वआलेहि वकुन लेदुआई मोजीबन, व मिन नेदाई क़रीबन, व लेतज़र्रोई राहेमन, व लेसौती सामेअन हे अल्लाह! मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर और मेरी प्रार्थना को स्वीकार करने वाला मेरी पुरकार पर जवाब देने वाला मेरी असहायता पर दया करने वाला और मेरी आवाज सुनने वाला साबित हो, اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، وَ كُنْ لِدُعَائِي مُجِيباً ، وَ مِنْ نِدَائِي قَرِيباً ، وَ لِتَضَرُّعِي رَاحِماً ، وَ لِصَوْتِي سَامِعاً
वला तक़तओ रजाई अन्का, वला तबुत्ता सबबी मिन्का, वला तोवज्जेहनी फ़ी हाजति हाजेहि व गैरहा एला सेवाका और मेरी जो आशा तुझ से बंधी है उसे मत तोड़, और मेरा साधन तुझ से अलग न कर। और इस प्रयोजन में मुझे अपने अतिरिक्त किसी और की ओर मत जाने दे وَ لَا تَقْطَعْ رَجَائِي عَنْكَ ، وَ لَا تَبُتَّ سَبَبِي مِنْكَ ، وَ لَا تُوَجِّهْنِي فِي حَاجَتِي هَذِهِ وَ غَيْرِهَا إِلَى سِوَاكَ
व वल्लेनी बेनज्हे तलेबती व क़ज़ाए हाजति व नैले सुआली क़ब्ला ज़वाली अन मौक़ेफ़ी हाज़ा बेतैयसीरेका लिल असीरा व हुस्ना तक़दीरेका ली फ़ी जमीइल ओमूरे और इस जगह से अलग होने से पहले, मेरी कठिनाइयों को कम करने और सभी मामलों में अच्छे भाग्य के काम से, मेरे उद्देश्य को पूरा करने, मेरी ज़रूरत को पूरा करने और मेरे प्रश्न को पूरा करने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ले। وَ تَوَلَّنِي بِنُجْحِ طَلِبَتِي وَ قَضَاءِ حَاجَتِي وَ نَيْلِ سُؤْلِي قَبْلَ زَوَالِي عَنْ مَوْقِفِي هَذَا بِتَيْسِيرِكَ لِيَ الْعَسِيرَ وَ حُسْنِ تَقْدِيرِكَ لِي فِي جَمِيعِ الْأُمُورِ
व सल्ले अला मुहम्मदिव वा आलेहि सलातन दाऐमतन नामियतन लनक़ेताआ लेअबदेहा वला मुन्तहा लेअमदेहा, वजअल ज़ालेका औनन लेया व सबबन लेनजाहा तलबती, इन्नका वासेउन करीम और मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत नाज़िल कर। ऐसी रहमत जो सदैव बढ़ती रहती है। जिसका समय अनिश्चित है और जिसकी अवधि अनंत है, और इसे मेरे लिए दृढ़ संकल्प और उद्देश्य का साधन घोषित कर। वास्तव में, वह व्यापक दया और दयालुता के गुण का स्वामी है وَ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ صَلَاةً دَائِمَةً نَامِيَةً لَا انْقِطَاعَ لِأَبَدِهَا وَ لَا مُنْتَهَى لِأَمَدِهَا ، وَ اجْعَلْ ذَلِكَ عَوْناً لِي وَ سَبَباً لِنَجَاحِ طَلِبَتِي ، اِنَّكَ وَاسِعٌ كَرِيمٌ
वमिन हाजती या रब्बे कज़ा व कज़ा (तजकोरो हाजतेका सुम्मा तस्जोदो व तक़ूलो फ़ी सुजूदेका) फ़ज़्लका आनसनी, व एहसानोका दल्लेनी, फ़अस्अलोका बेका व बेमुहम्मदिव वाआलेही, सलावातोका व अलैहिम अन ला तरुद्दनी ख़ाएबा हे मेरे परमेश्वर! यहां मेरी कुछ ज़रूरतें हैं (इस बिंदु पर अपनी ज़रूरतें बयान करें। फिर सज्दा करो और सज्दे की हालत मे यह कहो) तेरी कृपा और दया ने मेरे दिल को इकट्ठा कर लिया है और तेरी दयालुता ने मेरा मार्गदर्शन किया है। इस कारण से, मैं तुझसे तेरी ही माध्यम से मुहम्मद (स) और मुहम्मद के परिवार से दुआ करता हूं, कि मुझे अपने द्वार से नाकाम और ना मुराद न पलटा। وَ مِنْ حَاجَتِي يَا رَبِّ كَذَا وَ كَذَا . (تَذْكُرُ حَاجَتَكَ ثُمَّ تَسْجُدُ وَ تَقُولُ فِي سُجُودِكَ) فَضْلُكَ آنَسَنِي ، وَ إِحْسَانُكَ دَلَّنِي ، فَأَسْأَلُكَ بِكَ وَ بِمُحَمَّدٍ وَ آلِهِ ، صَلَوَاتُكَ وَ عَلَيْهِمْ أَن لَا تَرُدَّنُِي خَائِباً

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 562
  2. तरजुमा व शरह दुआ ए सीज़दहुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1372 शम्सी, भाग 5, पेज 165-218 ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 562-608
  4. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1371 शम्सी, भाग 5, पेज 165-218
  5. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 562-608
  6. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 69-92
  7. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 3, पेज 3-41
  8. मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 , पेज 183-190
  9. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 159-169
  10. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 317-332
  11. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 37-38

स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्दमे आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी