सहीफ़ा सज्जादिया की चौथी दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की चौथी दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयपैगंबरों के अनुयायियों को शुभकामनाएं दीं और पैग़म्बर (स) के साथियों की विशेषताओं के साथ-साथ उनके प्रभावों को बंदेगाने खुदा पर व्यक्त करना
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


सहीफ़ा सज्जादिया की चौथी दुआ (अरबीःالدعاء الرابع من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की प्रसिद्ध दुआओ में से एक है, जिसमे उन्होने पैगंबरों के अनुयायियों को शुभकामनाएं दीं और पैग़म्बर (स) के साथियों की विशेषताओं के साथ-साथ उनके प्रभावों को बंदेगाने खुदा पर व्यक्त किया। इस दुआ मे इमाम सज्जाद (अ) ने पैगम्बरों द्वारा पवित्र लोगों के नेतृत्व, विश्वासियों के तर्क के अधीन होने, पैगम्बरों के भेजने के विरुद्ध मनुष्यों की स्थिति और प्रलोभनों के विरुद्ध विश्वासियों की सुरक्षा का भी उल्लेख किया है।

चौथी दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओं में किया गया है, जैसे फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान और सय्यद अली खान मदनी द्वारा रियाज़ उस-सालेकीन अरबी भाषा में है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की चौथी दुआ का मुख्य विषय पैगम्बरों के अनुयायियों पर दुरूद व सलाम और पैग़म्बर (स) के साथियों की विशेषताओं और दुरूद व सलाम के अल्लाह के बंदो पर प्रभाव को व्यक्त करना है। इस प्रार्थना की शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • पैग़म्बरो के अनुयायियों और उनकी पुष्टि करने वालों और दुनिया में ग़ैब पर विश्वास करने वालों पर दुरूद और सलाम।
  • पैगम्बर, मार्गदर्शक नेता और साहेबाने तकवा हैं।
  • पैगम्बरों की बेअसत के प्रति लोगों की हटधर्मी।
  • प्रमाण के समक्ष विश्वासियों का समर्पण।
  • ईश्वर की प्रसन्नता विश्वासियों के लिए प्रतिफल (हक़ के मार्ग पर पेश आने वाले कष्ट सहने का प्रतिफल) है।
  • पापो की क्षमा और पैग़म्बर (स) के साथियों के लिए सर्वोत्तम ईश्वरीय पुरस्कार
  • मृतक विश्वासियों के लिए दुआ
  • जो पैग़म्बर (स) का अनुसरण करें उनपर उनकी पत्नियों और बच्चों पर दुरुद व सलाम
  • सुरक्षा का पद साहेबान तकवा के लिए है।
  • विश्वासी प्रलोभनों से सुरक्षित हैं।
  • पैग़म्बरे इस्लाम (स) के साथियों की विशेषताए: मुहम्मद (स) के साथ रहने की शर्त रखना, उनकी दावत पर ईमान लाने मे तेज़ी दिखाना, कलमा ए हक़ की बुलंदी के लिए अपनी पत्नियों और बच्चों दूरी की कठिनाईयो को सहन करना, अपने बाप दादा और अपनी ही बच्चों से इस्लाम की विजय के लिए युद्ध करना, अल्लाह पर ईमान के मार्ग मे उनके लिए यह बड़ा लाभदायक व्यापार था। ईमान के मार्ग मे अकेला पड़ जाना और ईमान के मार्गो मे महरूमियतो को सहन करना।
  • विश्वासियों के लिए दुरूद के प्रभाव: लोगों को पाप करने से रोकना, शैतान के धोके से बचाना, अच्छे कार्यों और विश्वास में सफलता, साथ ही विश्वासियों से मृत्यु की कठिनाई को दूर करना और इसके बाद और शाश्वत जीवन पर ध्यान देना यह सब दुरूद के असर व बरकत मे से है।[१]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी दूसरी दुआ के विभिन्न भागो का भी वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है।[२] इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त,[३] मुहम्मद तक़ी ख़ल्जी की किताब असरार ख़ामोशान[४] और सय्यद अहमद फ़हरी[५] की शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया का फ़ारसी भाषा मे की गई है।

सहीफ़ा सज्जादिया की तीसरी दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी कि किताब रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ातुस साजेदीन[६] मुहम्मद जवाद मुग़निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया[७] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[८] और कुछ दूसरी किताबो जैसे सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह की किताब आफ़ाक़ अल-रूह[९] मे अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[१०] मे विस्तार से वर्णन किया गया है।

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की चौथी दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआऐहि अलैहिस सलामो फ़िस सलाते अला अत्बाइर रोसुल व मुसद्देक़ीहिम पैग़म्बरो के अनुयायीयो और उनपर ईमान लाने वालो के हक़ मे हज़रत की दुआ وَ كَانَ مِنْ دُعَائِهِ عَلَيْهِ السَّلَامُ فِي الصَّلَاةِ عَلَي أَتْبَاعِ الرُّسُلِ وَ مُصَدِّقِيهِمْ
अल्लाहुम्मा वतबाउर रोसुल व मुसद्देक़ूहुम मिन अहलिल अर्ज़े बिल ग़ैबे इन्दा मोआरज़तिल मोआनेदीना लहुम बित्तकज़ीबे वल इश्तियाक़े ऐलल मुरसलीना बे हक़ाएक़िल ईमाने हे परमेश्वर! तू ज़मीन वालो मे से पैगंम्बरो के अनुसरण करने वालो और उन विश्वासियो की अपनी क्षमा और प्रसन्नता के साथ याद कर जो ग़ैब की रु से उन ईमान लाए उस समय जब दुश्मन उनको झुठलाने वाला था और उस समय जब वो ईमान की सच्चाईयो की प्रकाश मे उनके (ज़ोहूर के) तमन्ना कर रहे है। हर उस दौर और उस समय मे जिसमे तूने कोई रसूल भेजा। اللَّهُمَّ وَ أَتْبَاعُ الرُّسُلِ وَ مُصَدِّقُوهُمْ مِنْ أَهْلِ الْأَرْضِ بِالْغَيْبِ عِنْدَ مُعَارَضَةِ الْمُعَانِدِينَ لَهُمْ بِالتَّكْذِيبِ وَ الِاشْتِيَاقِ إِلَى الْمُرْسَلِينَ بِحَقَائِقِ الْايمَانِ
फ़ी कुल्ले दहरिन व ज़मानिन अरसलता फ़ीहे रसूलन व अक़मता लेअहलेहि दलीलन मिन लदुन आदामा ऐला मुहम्मद सल लल्लाहो अलैहे व आलेहि मिन आइम्मतिल हुदा, व क़ादतिन अहलित तोक़ा, अला जमीएहेमुस सलामो, फ़ज़्कुरहुम मिन्का बेमग़फ़ेरतिव व रिजवानिन और उस समय के लोगों के लिए एक नेता नियुक्त किया। हज़रत आदम के समय से लेकर हज़रत मुहम्मद (स) के समय तक, जो मार्गदर्शन के नेता और साहेबाने तक़वा के नेता थे (उन सभी पर सलाम हो) فِي كُلِّ دَهْرٍ وَ زَمَانٍ أَرْسَلْتَ فِيهِ رَسُولًا وَ أَقَمْتَ لِأَهْلِهِ دَلِيلًا مِنْ لَدُنْ آدَمَ إِلَى مُحَمَّدٍ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ آلِهِ مِنْ أَئِمَّةِ الْهُدَى، وَ قَادَةِ أَهْلِ التُّقَى، عَلَى جَمِيعِهِمُ السَّلَامُ، فَاذْكُرْهُمْ مِنْكَ بِمَغْفِرَةٍ وَ رِضْوَانٍ.
अल्लाहुम्मा व असहाबो मुहम्मदिन ख़ास्सतन अल्लज़ीना अहसनुस सहाबता वल लज़ीना अब्लोवल बलाअल हसना फ़ी नसरेहि, व कानफ़ूहो, व असरऊ ऐला वफ़ादतेहि, व साबक़ू ऐला दावतेहि, व इस्तजाबू लहू हैयसो असमेअहुम हुज्जता रेसालातेहि हे परमात्मा! विशेष रूप से मुहम्मद (स) के साथियों में वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने पैगंम्बर (स) का पूरा समर्थन किया। और उनके समर्थन में पूरी बहादुरी दिखाई और उनकी मदद पर भरोसा किया और उन पर विश्वास करने में जल्दबाजी की और उनके निमंत्रण की ओर आगे बढ़े। और जब पैग़म्बर (स) ने उन्हें अपनी पैग़म्बरी के तर्क समझाये तो उन्होंने लब्बैक कहा। أَللَّهُمَّ وَ أَصْحَابُ مُحَمَّدٍ خَاصَّةً الَّذِينَ احسنوا الصَّحَابَةَ وَ الَّذِينَ أَبْلَوُا الْبَلَاءَ الْحَسَنَ فِي نَصْرِهِ، وَ كَانَفُوهُ، وَ أَسْرَعُوا إِلَى وِفَادَتِهِ، وَ سَابَقُوا إِلَى دَعْوَتِهِ، وَ اسْتَجَابُوا لَهُ حَيْثُ أَسْمَعَهُمْ حُجَّةَ رِسَالَاتِهِ.
व फ़ारक़ुल अज़वाजा वल औलादा फ़ी इज़्हारे कलेमतेहि, व क़ातलुल आबाआ वल अबनाआ फ़ी तसबीते नुबूव्वतेहि, वन तसरूहो बेहि और उन्होंने अपने वचन पर कायम रहने के लिए अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़ दिया और पैगंबर की स्थिरता के लिए पिता और पुत्रों से युद्ध लड़े और पैगंबर के अस्तित्व के आशीर्वाद से सफलता हासिल की। وَ فَارَقُوا الْأَزْوَاجَ وَ الْأَوْلَادَ فِي إِظْهَارِ كَلِمَتِهِ، وَ قَاتَلُوا الآْبَاءَ وَ الْأَبْنَاءَ فِي تَثْبِيتِ نُبُوَّتِهِ، وَ انْتَصَرُوا بِهِ
वमन कानू मुनतवीना अला महब्बतेहि (यरजूना तेजारतन लन तबूरा) फ़ी मवद्दतेहि इस हालत में कि उनका प्यार दिल की रग-रग में समा गया था और उनके प्यार और दोस्ती में ऐसे फायदे का सौदा अपेक्षित था जिसमें कभी घाटा न हो। وَ مَنْ كَانُوا مُنْطَوِينَ عَلَى مَحَبَّتِهِ «يَرْجُونَ تِجَارَةً لَنْ تَبُورَ» فِي مَوَدَّتِهِ.
वल लज़ीना हजरतहुम अल अशाएरो इज़ तअल्लक़ू बे उरवतेहि, वन तफ़त मिनहोमुल क़राबातो इज़ सकनू फ़ि ज़िल्ले क़राबतेहि और जब वे उनके धर्म के बंधन में बंधे, तो उनके क़ौम और कबीले ने उन्हें छोड़ दिया। और जब उनकी परछाई मंजिल तक पहुंची तो अपने पराये हो गये। وَ الَّذِينَ هَجَرَتْهُمْ الْعَشَائِرُ إِذْ تَعَلَّقُوا بِعُرْوَتِهِ، وَ انْتَفَتْ مِنْهُمُ الْقَرَابَاتُ إِذْ سَكَنُوا فِي ظِلِّ قَرَابَتِهِ.
फ़ला तन्सा लहोमुल लाहुम्मा मा तरकू लका व फ़ीका, व अर्ज़ेहिम मिन रिज़वानका, व बेमा हाशुल ख़ल्क़ा अलैका, व कानू मआ रसूलेका दोआदन लका इलैका तो हे भगवान! उन्होने तेरे लिए और तेरे रास्ते में सब कुछ छोड़ दिया, उन्हें (सजा के अवसर पर) और उनके बलिदान और भगवान की रचना को अपने धर्म में इकट्ठा करना और अल्लाह के दूत के साथ इकट्ठा करना मत भूलना, भगवान उन्हें आशीर्वाद दें और उन्हें शांति प्रदान करें सत्य के दावेदार के रूप में खड़े होने के पुरस्कार के रूप में, उन्हें अपनी खुशी से खुश कर। فَلَا تَنْسَ لَهُمُ اللَّهُمَّ مَا تَرَكُوا لَكَ وَ فِيكَ، وَ أَرْضِهِمْ مِنْ رِضْوَانِكَ، وَ بِمَا حَاشُوا الْخَلْقَ عَلَيْكَ، وَ كَانُوا مَعَ رَسُولِكَ دُعَاةً لَكَ إِلَيْكَ.
व अशकुरहुम अला हजरेहिम फ़ीका देयारा कौमेहिम, व ख़ुरूजेहिम मिन सअतिल मआशे ऐला ज़ीक़ेहि, व मन कस्सरता फ़ी एज़ाज़े दीनेका मिन मज़लूमेहिम और उन्हें इस बात का भी इनाम दे कि वे तेरी खातिर अपने लोगों और क़बीलों के शहरों से चले गए, और अमीर जीवन से संकीर्ण जीवन में चले गए, और इसी तरह उन मज़लूमों की ख़ुशी का प्रबंध कर, जिनकी संख्या को तूने अपने धर्म को गलबा देने के लिए बढ़ाया وَ اشْكُرْهُمْ عَلَى هَجْرِهِمْ فِيكَ دِيَارَ قَوْمِهِمْ، وَ خُرُوجِهِمْ مِنْ سَعَةِ الْمَعَاشِ إِلَى ضِيقِهِ، وَ مَنْ كَثَّرْتَ فِي إِعْزَازِ دِينِكَ مِنْ مَظْلُومِهِمْ.
अल्लाहुम्मा व औसिल ऐलत ताबेईना लहुम बेअहसानिन, अल लज़ीना यक़ूलूना (रब्बना इगफ़िर लना व लेइखवानेनल लज़ीना सबकूना बिल ईमाने) खैरा जज़ाएका हे परमेश्वर ! उन लोगों को सबसे अच्छा इनाम दो जिन्होंने रसूल के साथियों का अच्छे तरीके से अनुसरण किया, जो हमेशा दुआ करते रहे: हे पालहनहार! तू हमें और हमारे भाइयों को, जो हमसे पहले ईमान लाए, क्षमा कर दे। اللَّهُمَّ وَ أَوْصِلْ إِلَى التَّابِعِينَ لَهُمْ بِإِحْسَانٍ، الَّذِينَ يَقُولُونَ «رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَ لِإِخْوَانِنَا الَّذِينَ سَبَقُونَا بِالْإِيمَانِ» خَيْرَ جَزَائِكَ.
अल्लज़ीना कसदू समतहुम, व तहर्ररू वजहतहुम, व मजऔ अला शाकेलतेहिम और वे लोग जिनका एकमात्र दृष्टिकोण साथियों का मार्ग था और वे उनके मार्ग पर चले और उन्ही की रविश पर बाकी रहे। الَّذِينَ قَصَدُوا سَمْتَهُمْ، وَ تَحَرَّوْا وِجْهَتَهُمْ، وَ مَضَوْا عَلَى شَاكِلَتِهِمْ.
लम यस्नेहिम रैबुन फ़ी बसीरतेहिम, व लम यखतलिजहुम शक्कुन फ़ी क़फ़्वे आसारेहिम, वल ऐतमामे बेहिदायते मनारेहिम उनकी अंतर्दृष्टि में कभी संदेह नहीं रहा कि वे शंकाओं से परेशान नहीं रहे لَمْ يَثْنِهِمْ رَيْبٌ فِي بَصِيرَتِهِمْ، وَ لَمْ يَخْتَلِجْهُمْ شَكٌّ فِي قَفْوِ آثَارِهِمْ،، وَ الْاِئْتَِمامِ بِهِدَايَةِ مَنَارِهِمْ.
मुकानेफ़ीना व मुवाज़ेरीना लहुम, यदीनूना बेदीनेहिम, व यहतदूना बेहदीहिम, यत्तफ़ेक़ूना अलैहिम, वला यत्तहमूनहुम फ़ीमा अद्दौ इलैहिम वे पैगम्बर के साथियों और धर्म में उनके अनुयायियों के सहायक और मार्गदर्शक थे और उनसे शिष्टाचार और नैतिकता सीखते थे और हमेशा उनके साथी रहते थे और उनके द्वारा दिए गए आदेशों में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया। مُكَانِفِينَ وَ مُوَازِرِينَ لَهُمْ، يَدِينُونَ بِدِينِهِمْ، وَ يَهْتَدُونَ بِهَدْيِهِمْ، يَتَّفِقُونَ عَلَيْهِمْ، وَ لَا يَتَّهِمُونَهُمْ فِيما أَدَّوْا إِلَيْهِمْ.
अल्लाहुम्मा व सल्ले अलत ताबेईना मिन यौमेना हाज़ा ऐला यौमिद दीने व अला अज़वाजेहिम व अला ज़ुर्रियातेहिम व अला मन अताअका मिनहुम है परमेश्वर! उन अनुयायीयो और उनकी पत्नियों और उनके सभी बच्चों और उन लोगों पर जो आज से लेकर पुनरुत्थान के दिन तक तेरे आज्ञाकारी हैं दुरूदे रहमत भेज اللَّهُمَّ وَ صَلِّ عَلَى التَّابِعِينَ مِنْ يَوْمِنَا هَذَا إِلَى يَوْمِ الدِّينِ وَ عَلَى أَزْوَاجِهِمْ وَ عَلَى ذُرِّيَّاتِهِمْ وَ عَلَى مَنْ أَطَاعَكَ مِنْهُمْ.
सलातन तअसेमोहुम बेहा मिन मअसियतेका, व तफ़सहो लहुम फ़ी रियाज़े जन्नतेका, व तमनओहुम बेहा मिन कैदिश शैताने, व तोईनोहुम बेहा अला मस तआनूका अलैहे मि बिर्रे, व तक़ीहुम तवारक़ल लैले वन नहारे इल्ला तारक़तन यत्तरोको बेखैरिन ऐसी दया जिसके द्वारा तू उन्हें पाप से बचा ले, और उन्हें स्वर्ग के बगीचों में बहुतायत दे। उन्हें शैतान की बुराई से बचाएं और उन लोगों की मदद करें जो अच्छे काम करने में तेरी मदद चाहते हैं और किसी भी शुभ संकेत को छोड़कर दिन और रात की घटनाओं से उनकी देखभाल करें। صَلَاةً تَعْصِمُهُمْ بِهَا مِنْ مَعْصِيَتِكَ، وَ تَفْسَحُ لَهُمْ فِي رِيَاضِ جَنَّتِكَ، وَ تَمْنَعُهُمْ بِهَا مِنْ كَيْدِ الشَّيْطَانِ، وَ تُعِينُهُمْ بِهَا عَلَى مَا اسْتَعَانُوكَ عَلَيْهِ مِنْ بِرٍّ، وَ تَقِيهِمْ طَوَارِقَ اللَّيْلِ وَ النَّهَارِ إِلَّا طَارِقاً يَطْرُقُ بِخَيْرٍ.
व तबअसोहुम बेहा अला ऐतेक़ादे हुसनिर रजाए लका, वत तमआ फ़ीमा इंदका व तरकित तहमते फ़ीमा तहवीहे ऐयदिल ऐबादे और उन्हें इस बात पर तैयार करें कि वे तुझ पर विश्वास रखें और तेरी नेमतो की खाहिश करे। और बंदो के हाथो में नेमते देख कर तुझ पर (अन्याय का) आरोप न लगाऐं وَ تَبْعَثُهُمْ بِهَا عَلَى اعْتِقَادِ حُسْنِ الرَّجَاءِ لَكَ، وَ الطَّمَعِ فِيما عِنْدَكَ وَ تَرْكِ التُّهَمَةِ فِيما تَحْوِيهِ أَيْدِي الْعِبَادِ
लेतरुद्दोहुम ऐलर रग़बते इलैका वर रहबते मिन्का, व तोज़ह्हदहुम फ़ी सआतिल आजेले, व तोहब्बबा इलैहेमुल अमला लिल अज्ले, वल इस्तीदादा लेमा बादल मौते ताकि तू उनका मुंह अपनी आशा और भय की ओर मोड़ दें और उन्हें दुनिया की विशालता और उदारता से असंबद्ध कर दें और उनकी आंखों में इसे खुश कर दें ताकि वे परलोक और मृत्यु के बाद की मंजिल के लिए एक संरचना प्रदान कर सकें। لِتَرُدَّهُمْ إِلَى الرَّغْبَةِ إِلَيْكَ وَ الرَّهْبَةِ مِنْكَ، وَ تُزَهِّدَهُمْ فِي سَعَةِ الْعَاجِلِ، وَ تُحَبِّبَ إِلَيْهِمُ الْعَمَلَ لِلآْجِلِ، وَ الِاسْتِعْدَادَ لِمَا بَعْدَ الْمَوْتِ
व तोहन्नौना अलैहिम कुल्ला करबिन यहुल्लो बेहिम यौमा ख़ुरूजल अन्फुस मिन अब्दानेहा और आत्माओ के शरीरो से अलग होने के दिन, उन पर आने वाले हर दुःख और दर्द को कम कर दे وَ تُهَوِّنَ عَلَيْهِمْ كُلَّ كَرْبٍ يَحُلُّ بِهِمْ يَوْمَ خُرُوجِ الْأَنْفُسِ مِنْ أَبْدَانِهَا
व तोआफ़ीयाहुम मिम्मा तक़ओ बेहिल फ़ित्नतो मिन महज़ूरातेहा, व कब्बतिन नारे वत्तौलिल ख़ुलूदे फ़ीहा और फ़ित्ना एवं परीक्षा से उत्पन्न होने वाले खतरो और नरक की तेज़ी और उसमे हमेशा पड़े रहने से बचा ले وَ تُعَافِيَهُمْ مِمَّا تَقَعُ بِهِ الْفِتْنَةُ مِنْ مَحْذُورَاتِهَا، وَ كَبَّةِ النَّارِ وَ طُولِ الْخُلُودِ فِيهَا
व तोसय्यरहुम एला अमने मिन मक़ीलिल मुत्तक़ीन और उन्हें शांति के निवास में स्थानांतरित करें, जो पवित्र लोगों का विश्राम स्थान है। وَ تُصَيِّرَهُمْ إِلَى أَمْنٍ مِنْ مَقِيلِ الْمُتَّقِينَ.

फ़ुटनोट

  1. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 3, पेज 151-346 खल़्जी, असरार खामोशान, 1385 शम्सी, भाग 2, पेज 235-298
  2. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 3, पेज 151-346
  3. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 319-336
  4. खल़्जी, असरार खामोशान, 1383 शम्सी, भाग 1, पेज 235-298
  5. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादि., 1388 शम्सी, भगा 1, पेज 257-276
  6. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 2, पेज 81-136
  7. मुग़निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 , पेज 95-106
  8. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 83-95
  9. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 97-114
  10. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 27-29


स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1373 शम्सी
  • ख़ल्जी, मुहम्मद तक़ी, असरार ख़ामोशान, क़ुम, परतो ख़ुरशीद, 1383 शम्सी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल रूह, बैरूत, दार अल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तअलीक़ात अलल सहीफ़ा अल सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बोहूस वल तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज़ उस सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल नश्र अल इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़नीया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़ेलाल अल सहीफ़ा अल सज्जादिया, क़ुम, दार अल कुतुब अल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शहूद व शनाख्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्दमा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी