सहीफ़ा सज्जादिया की पच्चीसवीं दुआ

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सहीफ़ा सज्जादिया की पच्चीसवीं दुआ
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
1145 हिजरी में लिखी गई अहमद नयरेज़ी की लिपि में लिखी गई साहिफ़ा सज्जादियाह की पांडुलिपि
विषयबच्चो के लिए दुआ, शैतान के प्रलोभन के रास्ते
प्रभावी/अप्रभावीप्रभावी
किस से नक़्ल हुईइमाम सज्जाद (अ)
कथावाचकमुतावक्किल बिन हारुन
शिया स्रोतसहीफ़ा सज्जादिया


साहीफ़ा सज्जादिया की पच्चीसवीं दुआ (अरबीःالدعاء الخامس والعشرون من الصحيفة السجادية) इमाम सज्जाद (अ) की बच्चों के लिए मासूरा दुआओं में से एक है। इस दुआ में हज़रत सज्जाद (अ) ईश्वर से योग्य बच्चों की दुआ करते हैं और बच्चों की भलाई, लंबी उम्र और सम्मान का आग्ह करते हैं। साथ ही, वह शैतान के प्रलोभनों से ईश्वर की शरण लेते है और उसके प्रभाव के तरीके बताते है।

पच्चीसवीं दुआ का वर्णन सहीफ़ा सज्जादिया की व्याख्याओ मे किया गया है, जैसे कि फ़ारसी में हुसैन अंसारियान द्वारा दयारे आशेक़ान, हसन ममदूही किरमानशही की शुहूद व शनाख़्त और अरबी भाषा मे सय्यद अली खान मदनी द्वारा लिखित रियाज़ उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा सय्यदुस साजेदीन है।

शिक्षाएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की पच्चीसवीं दुआ, बच्चों के लिए दुआ है। इस दुआ मे इमाम सज्जाद (अ) ने माता-पिता और बच्चों के पारस्परिक अधिकारों के बारे में बात की, और इसमें उन्होंने बच्चों के लिए आध्यात्मिक और परलौकिक आशीर्वाद की कामना की है।[१] इस दुआ की शिक्षाएँ तेरह पद्धो में हैं।[२] निम्नानुसार हैं:

  • सपूत बच्चों की विनती
  • बच्चों की दीर्घायु और सम्मान के लिए दुआ
  • मुत्तक़ी और बा बसीरत होने के साथ साथ बच्चों के परोपकारी बनने के लिए दुआ
  • बच्चों की प्रचुर जीविका के लिए दुआ
  • शैतान का बच्चो पर काबू न होने की दुआ करना
  • इंसान को सीधे रास्ते से हटाने के लिए शैतान के वसवसे, अमल सालेह से, पाप करने साहस दिलाना, अकाइद मे संदेह करना, और लंबी तम्न्ना मे लगा देना
  • बच्चों के पालन-पोषण और उन्हें अनुशासित करने तथा उनके प्रति दयालु होने में ईश्वर से सहायता माँगना
  • बच्चों को शैतान के प्रभुत्व से बचाने के लिए दुआ
  • पालन-पोषण से बच्चों की प्रतिरक्षा के लिए दुआ
  • बच्चों की स्मृति जीवित रहने के लिए दुआ
  • ईश्वर की कृपा के बिना शैतान से छुटकारा पाना असंभव है
  • दैवीय शक्ति से शैतान को कैद करना और खूब दुआ करना
  • लोगों को गुमराह करने के शैतान के प्रलोभन: उन्हें धार्मिक कार्य करने से रोकना, उन्हें पाप करने के लिए प्रोत्साहित करना, उनके विश्वासों में संदेह पैदा करना, उन्हें दूर के सपनों से बहलाना।
  • सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए दुआ
  • इस दुनिया और उसके बाद के सभी मामलों के सुधार के लिए दुआ
  • ईश्वर से पूछकर सुधारकों की स्थिति तक पहुँचना
  • विश्वास ईश्वर के आशीर्वाद और उपकार से वंचित न रहने का तरीका है
  • सुधारकों की टोली में शामिल करने की दुआ
  • ईश्वर के साथ संचार और व्यापार का प्रचुर लाभ
  • ईश्वर की आज्ञाकारिता भलाई और विकास में सफल होने का तरीका है
  • इलाही तक़वा पापों, भूलों और गलतियों से मुक्त होने का तरीका है
  • इस दुनिया और उसके बाद सभी विश्वासियों और मुसलमानों के लिए सम्मान और गौरव और अन्य वांछनीय शुभकामनाएं
  • नरक की यातना से ईश्वर की शरण लेना
  • इस दुनिया और आख़िरत के लिए भलाई माँगना[३]

व्याख्याएँ

सहीफ़ा सज्जादिया की शरहो मे उसकी पच्चीसवीं दुआ का वर्णन किया गया है। हुसैन अंसारियान ने दयारे आशेक़ान[४] मे इस दुआ की पूर्ण व्याख्या की है। इसी तरह मुहम्मद हसन ममदूही किरमानशाही की किताब शुहूद व शनाख़त[५] सय्यद अहमद फ़रहि की किताब शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया[६] का फ़ारसी भाषा मे वर्णन किया गया है।

इसके अलावा सहीफ़ा सज्जादिया की पच्चीसवीं दुआ सय्यद अली ख़ान मदनी की किताब रियाज़ उस-सालेकीन,[७] मुहम्मद जवाद मुग़्निया की किताब फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया,[८] मुहम्मद बिन मुहम्मद दाराबी की किताब रियाज़ उल-आरेफ़ीन[९] सय्यद मुहम्मद हुसैन फ़ज़लुल्लाह[१०] की किताब आफ़ाक़ अल-रूह मे इस दुआ की अरबी भाषा मे व्याख्या लिखी गई है। इस दुआ के सार्वजनिक मफहूम और शब्दिक अर्थ को फ़ैज काशानी की किताब तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया[११] और इज़्ज़ुद्दीन जज़ाएरी की किताब शरह सहीफ़ा सज्जादिया मे विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।[१२]

पाठ और अनुवाद

सहीफ़ा सज्जादिया की पच्चीसवीं दुआ
दुआ का हिंदी उच्चारण अनुवाद दुआ का अरबी उच्चारण
व काना मिन दुआएहि अलैहिस सलामो लेवुलदेहि अलैहेमुस सलामो बच्चो के लिए इमाम सज्जाद (अ) की दुआ وَ کانَ مِنْ دُعَائِهِ علیه‌السلام لِوُلْدِهِ عَلَیهِمُ السَّلَامُ
अल्लाहुम्मा व मुन्ना अला बेबक़ाए वुलदी व बेइस्लाहेहिम ली व बेइमताई बेहिम हे मेरे पालन हार! मेरी संतान के जीवित रहने और सुधार करने तथा उनकी समृद्धि के साधन प्रदान करके अहसान कर اللَّهُمَّ وَ مُنَّ عَلَی بِبَقَاءِ وُلْدِی وَ بِإِصْلَاحِهِمْ لِی و بِإِمْتَاعِی بِهِمْ
इलाही उमदुद ली फ़ी आअमरेहिम, व जिद ली फ़ी आजालेहिम, व रब्बे ली सग़ीरहुम, व क़व्वेली ज़ईफ़हुम, व असेह्ह ली अब्दानहुम व अदयानहुम व अख़लाक़हुम, व आफ़ेहिम फ़ी अंफ़ोसेहिम व फ़ी जवारेहिम व फ़ी कुल्ले मा ओनीतो बेहि मिन अम्रेहिम, व अदरिर ली व अला यदी अरज़ाक़हुम मेरे सहारे के लिए, उनकी आयु मे बरकत और जीवन को लम्बा कर, और उनमे से युवाओ का पालन-पोषण कर, और कमज़ोरो को ताक़त दे और उनकी शारीरिक, धार्मिक और नैतिक स्थिति, और उनके शरीर और आत्मा और उनके अन्य मामलों को ठीक कर मैं उन लोगों को समृद्धि प्रदान करता हूं जिनकी मुझे व्यवस्था करनी है, और मेरे लिए और मेरे माध्यम से प्रचुर जीविका प्रदान कर إِلَهِی امْدُدْ لِی فِی أَعْمَارِهِمْ، وَ زِدْ لِی فِی آجَالِهِمْ، وَ رَبِّ لِی صَغِیرَهُمْ، وَ قَوِّ لِی ضَعِیفَهُمْ، وَ أَصِحَّ لِی أَبْدَانَهُمْ وَ أَدْیانَهُمْ وَ أَخْلَاقَهُمْ، وَ عَافِهِمْ فِی أَنْفُسِهِمْ وَ فِی جَوَارِحِهِمْ وَ فِی کلِّ مَا عُنِیتُ بِهِ مِنْ أَمْرِهِمْ، وَ أَدْرِرْ لِی وَ عَلَی یدِی أَرْزَاقَهُمْ
वजअलहुम अब्रारन अतकेया बोसराआ सामेईना मुतीईना लका, व लेओलेयाएका मोहिब्बीना मुनासेहीना, व लेजमीए आअदाएका मुआनेदीना व मुबग़ेज़ीना, आमीन उन्हें सदाचारी, पवित्र, प्रबुद्ध, सच्चा और अपने प्रति आज्ञाकारी, अपने मित्रों का मित्र और शुभचिंतक तथा अपने सभी शत्रुओं का शत्रु और अहितचिंतक बना। आमीन وَ اجْعَلْهُمْ أَبْرَاراً أَتْقِیاءَ بُصَرَاءَ سَامِعِینَ مُطِیعِینَ لَک، وَ لِأَوْلِیائِک مُحِبِّینَ مُنَاصِحِینَ، وَ لِجَمِیعِ أَعْدَائِک مُعَانِدِینَ وَ مُبْغِضِینَ، آمِینَ
अल्लाहुम्मश दुद बेहिम अज़ोदी, व अक़िम बेहिम अवदी, व कस्सिर बेहिम अददी, व ज़ैयनबेहिम महज़रि, व अहया बेहिम ज़िक्री, वकफ़ेनी बेहिम फ़ी गैयबती, व आइन्नी बेहिम अला हाजती, वजअलहुम ली मोहिब्बीना, व अला हदेबीना मुक़बेलीना मुस्तक़ेमीना ली, मुतीईना, ग़ैरा आसीना वला आक़्क़ीना व ला मुख़ालेफ़ीना वला ख़ातेईना हे परमेश्वर! उनके द्वारा मेरी भुजाओं को बलवन्त कर, और मेरे संकट को दूर कर, और उनके कारण मेरी जमईयत बढ़ा, और मेरी सभा की शोभा दुगुनी कर, और उनके कारण मेरा नाम जीवित रख, और मेरी अनुपस्थिति में उन्हें मेरा नायब बना, और वे मेरी आवश्यकताओं में मेरी सहायता करें। मित्र, दयालु, सर्व-आकर्षक, दृढ़ और मेरे प्रति आज्ञाकारी उन्हें अवज्ञाकारी, हठी, विरोधी और उल्लंघनकर्ता न बना اللَّهُمَّ اشْدُدْ بِهِمْ عَضُدِی، وَ أَقِمْ بِهِمْ أَوَدِی، وَ کثِّرْ بِهِمْ عَدَدِی، وَ زَینْ بِهِمْ مَحْضَرِی، وَ أَحْی بِهِمْ ذِکرِی، وَ اکفِنِی بِهِمْ فِی غَیبَتِی، وَ أَعِنِّی بِهِمْ عَلَی حَاجَتِی، وَ اجْعَلْهُمْ لِی مُحِبِّینَ، وَ عَلَی حَدِبِینَ مُقْبِلِینَ مُسْتَقِیمِینَ لِی، مُطِیعِینَ، غَیرَ عَاصِینَ وَ لَا عَاقِّینَ وَ لَا مُخَالِفِینَ وَ لَا خَاطِئِینَ.
व आइन्नी अला तरबेयतेहिम व तादीबेहिम, व बिर्रेहिम , वहब ली मिन लदुन्का मआहुम औलादन ज़ोकूरा, वज अल ज़ालेका ख़ैरन ली, वजअलहुम ली औनन अला मा सालका और उन्हें प्रशिक्षित करने, अनुशासित करने और उनके साथ अच्छा व्यवहार करने में मेरी मदद कर। और उनके अलावा मुझे अपनी कृपा से नर संतान प्रदान कर और जो कुछ मैं चाहता हूँ उसमें उन्हें मेरा सहायक बना। وَ أَعِنِّی عَلَی تَرْبِیتِهِمْ وَ تَأْدِیبِهِمْ، وَ بِرِّهِمْ، وَ هَبْ لِی مِنْ لَدُنْک مَعَهُمْ أَوْلَاداً ذُکوراً، وَ اجْعَلْ ذَلِک خَیراً لِی، وَ اجْعَلْهُمْ لِی عَوْناً عَلَی مَا سَأَلْتُک
व आईदिनी व ज़ुर्रीयति मिनश शैतानिर रजीमे, फ़इन्नका ख़लक़्तना व अमरतना व नहयतना व रग़्ग़बतना फ़ी सवाबे मा अमरतना व रह्हबतना ऐकाबहू, व जअलता लना अदुव्वन यकीदोना, सल्लत्ततहू मिन्ना अला मा लन तोसल्लितना अलैहे मिन्हो, असकतहू सोदूरोना, व अजरयतहू मजारी देमाएना, ला तग़फ़ोलो इन गफ़लना, वला यनसा इन नसीना, यूमेनोना ऐकाबका, व यख़व्वेफ़ोना बेग़ैरेका और मुझे और मेरी सन्तान को शैतान से बचा। क्योंकि तू ने हमें पैदा किया, और हमें आज्ञा दी, और जो कुछ तू ने दिया उसके प्रतिफल की ओर हमें मार्ग दिखाया, और हमें उसके दण्ड से सचेत किया। और हमें ऐसा शत्रु बना दिया, जो हम से विमुख हो गया, और हमें अपनी किसी वस्तु पर उतना अधिक अधिकार नहीं दिया, जितना उस ने उसे हमारी वस्तुओं पर अधिकार दिया है। इस तरह कि यह हमारे स्तनों में रहता है और हमारी नसों में दौड़ता है। हम भले ही बेपरवाह हों, पर वो बेपरवाह नहीं। हम भूल सकते हैं लेकिन वह नहीं भूलता। वह हमें तेरे अज़ाब से तृप्त करता है और तेरे सिवा हमें दूसरों से डराता है। وَ أَعِذْنِی وَ ذُرِّیتِی مِنَ الشَّیطَانِ الرَّجِیمِ، فَإِنَّک خَلَقْتَنَا وَ أَمَرْتَنَا وَ نَهَیتَنَا وَ رَغَّبْتَنَا فِی ثَوَابِ مَا أَمَرْتَنَا وَ رَهَّبْتَنَا عِقَابَهُ، وَ جَعَلْتَ لَنَا عَدُوّاً یکیدُنَا، سَلَّطْتَهُ مِنَّا عَلَی مَا لَمْ تُسَلِّطْنَا عَلَیهِ مِنْهُ، أَسْکنْتَهُ صُدُورَنَا، وَ أَجْرَیتَهُ مَجَارِی دِمَائِنَا، لَا یغْفُلُ إِنْ غَفَلْنَا، وَ لَا ینْسَی إِنْ نَسِینَا، یؤْمِنُنَا عِقَابَک، وَ یخَوِّفُنَا بِغَیرِک
इन हममना बेफ़ाहेशतिन शज्जअना अलैहा, व इन हममना बेअमेलिन सालेहिन सब्बतना अन्हो, बेतअर्रज़ो लना बिश्शहवाते, व यन्सेबो लना बिश्शुबहाते, इन वअदना कज़बना, व इन मन्नना अख़लफ़ना, व इल्ला तसरिफ़ अन्ना कैदहू यज़िल्लना, व इल्ला तक़ेना खबालहू यस्तज़िल्ला यदि हम कुछ बुरा करने का इरादा रखते हैं, तो वह हमें रोकता है और यदि हम कुछ अच्छा करने का इरादा रखते हैं, तो वह हमें ऐसा करने से रोकता है और हमें पाप करने के लिए आमंत्रित करता है और हमारे सामने संदेह खड़ा करता है। यदि वह वादा करता है, तो झूठा है, और यदि वह आशा देता है, तो उसे तोड़ देता है। और यदि हम उसे उसके प्रलोभनों से नहीं बचाएं, तो वह हमें लड़खड़ा देगा। إِنْ هَمَمْنَا بِفَاحِشَةٍ شَجَّعَنَا عَلَیهَا، وَ إِنْ هَمَمْنَا بِعَمَلٍ صَالِحٍ ثَبَّطَنَا عَنْهُ، یتَعَرَّضُ لَنَا بِالشَّهَوَاتِ، وَ ینْصِبُ لَنَا بِالشُّبُهَاتِ، إِنْ وَعَدَنَا کذَبَنَا، وَ إِنْ مَنَّانَا أَخْلَفَنَا، وَ إِلَّا تَصْرِفْ عَنَّا کیدَهُ یضِلَّنَا، وَ إِلَّا تَقِنَا خَبَالَهُ یسْتَزِلَّنَا
अल्लाहुम्मा फ़क़्हर सुलतानहू अन्ना बेसुलतानेका हत्ता तहबेसहू अन्ना बेकसरतिद दुआए लका फनुस्बेहा मिन कैयदेहि फ़िल मासूमीना बेका ईश्वर! अपने बल और सामर्थ्य से उसके प्रभुत्व को हम से दूर कर दे, ताकि प्रचुर दुआओं के द्वारा वह हमारे मार्ग से हट जाए, और हम उसकी युक्तियों से सुरक्षित रहें। اللَّهُمَّ فَاقْهَرْ سُلْطَانَهُ عَنَّا بِسُلْطَانِک حَتَّی تَحْبِسَهُ عَنَّا بِکثْرَةِ الدُّعَاءِ لَک فَنُصْبِحَ مِنْ کیدِهِ فِی الْمَعْصُومِینَ بِک
अल्लाहुम्मा आअतेनी कुल्ला सूली, वक़्ज़े ली हवाऐजी, वला तमतग़निल इजाबता व क़द ज़मिनतहा ली, वला तहजुब दुआई अन्का व क़द अमरतनी बेहि, वमनुन अला बेकुल्ले मा यस्लेहोनी फ़ी दुनिया व आख़ेरतेनी मा ज़करतो मिन्हो व मा नसयतो, ओ अज़हरतो ओ अख़फ़यतो ओ आअलनतो ओ असररतो हे परमात्मा! मेरी हर विनती स्वीकार कर और मेरी ज़रूरतें पूरी कर और जब दुआ का जवाब देने की ज़िम्मेदारी तूने ले ली है, तो मेरी दुआ को अस्वीकार मत कर और जब तूने मुझे दुआ करने का आदेश दिया है, तो मेरी दुआ को अपनी उपस्थिति से मत रोक। और मुझे उन चीज़ों की पूर्ति में मदद कर जिनसे मेरे धार्मिक और सांसारिक हित जुड़े हुए हैं। मुझे क्या याद है और क्या भूल गया हूँ, प्रकट कर दिया है, या छिपा रहने दिया है। चाहे वह सार्वजनिक हो या छिपा हुआ اللَّهُمَّ أَعْطِنِی کلَّ سُؤْلِی، وَ اقْضِ لِی حَوَائِجِی، وَ لَا تَمْنَعْنِی الْإِجَابَةَ وَ قَدْ ضَمِنْتَهَا لِی، وَ لَا تَحْجُبْ دُعَائِی عَنْک وَ قَدْ أَمَرْتَنِی بِهِ، وَ امْنُنْ عَلَی بِکلِّ مَا یصْلِحُنِی فِی دُنْیای وَ آخِرَتِی مَا ذَکرْتُ مِنْهُ وَ مَا نَسِیتُ، أَوْ أَظْهَرْتُ أَوْ أَخْفَیتُ أَوْ أَعْلَنْتُ أَوْ أَسْرَرْتُ
वजअलनी फ़ी जमीए ज़ालेका मिनल मुस्लेहीना बेसुआली इय्याका, अल मुनजेहीना बित्तलबे इलैका ग़ैरिल ममनूईना बित्तवक्कुले अलैका इन सभी मामलों में, जो कुछ तुझसे मांगा गया है उसके कारण, उन लोगों के बीच जो सही (इरादे और कर्म) करते हैं, और जो कुछ तुझसे मांगा गया है उसके कारण, उन लोगों के बीच जो सफल होते हैं, और उन लोगों के बीच जो तुझ पर भरोसा करते हैं से अस्वीकृत नहीं وَ اجْعَلْنِی فِی جَمِیعِ ذَلِک مِنَ الْمُصْلِحِینَ بِسُؤَالِی إِیاک، الْمُنْجِحِینَ بِالطَّلَبِ إِلَیک غَیرِ الْمَمْنُوعِینَ بِالتَّوَکلِ عَلَیک
अलमोअव्वेदीना बित्तअव्वोज़े बेका, अर राबेहीना फ़ित तेजारते अलैका, अल मुजारीना बेइज़्ज़ेका, अल मोवस्सेए अलैहेमुर रिज़्क़ुल हलालो मिन फ़ज़्लेका, अल वासेऐ बेजूदेका व करमेका, अल मोअज़्ज़ीना मिनज जुल्ले बेका, वल मुजारीना मिनज जुल्मे बेअदलेक, वल मुआफ़ीना मिनल बलाए बेरहमतेका, वल मुग़नैना मिनल फ़क़रे बेग़ेनाएका, वल मअसूमीना मिनज़ ज़ोनूबे वज़्ज़लले वल ख़ताए बेतक़वाका, वल मोवफ़्फ़ेकीना लिल खैरे वररुश्दे वस्सवाबे बेताअतेका, वल मुहाले बैयनहुम व बैनज ज़ोनूबे बेक़ुदरतेका, अत्तारेकीना लेकुल्ले मअसीयतेका, अस्साकेनीना फ़ी जवारेका और (उन लोगों में गिनती कर) जो लोग तेरे चरणों में शरण लेते हैं, वे जो व्यापार में तुझसे लाभान्वित होते हैं और जो तेरे सम्मान के चरणों में शरण लेते हैं, जिन्होंने तेरी सर्वव्यापी कृपा और दया से वैध जीविका में प्रचुरता प्राप्त की है आप में से, वे अपमान से उठकर सम्मान की ओर बढ़ गए हैं, और तेरे न्याय के चरणों में उत्पीड़न से शरण ली है, और तेरी दया से विपत्ति और विपत्ति से सुरक्षित हैं, और तेरी उदारता के कारण, वे गरीब से अमीर बन गए हैं , और तेरे धर्मपरायणता के कारण, फिसल जाता है और वे पापों से निर्दोष हैं और तेरी आज्ञाकारिता के कारण, उन्हें समृद्धि और धार्मिकता का आशीर्वाद मिला है, और तेरी शक्ति से उनके और पापों के बीच पर्दा है, और जो सभी पापों को त्याग देते हैं और तेरी दया में रहते हैं। الْمُعَوَّدِینَ بِالتَّعَوُّذِ بِک، الرَّابِحِینَ فِی التِّجَارَةِ عَلَیک، الْمُجَارِینَ بِعِزِّک، الْمُوَسَّعِ عَلَیهِمُ الرِّزْقُ الْحَلَالُ مِنْ فَضْلِک، الْوَاسِعِ بِجُودِک وَ کرَمِک، الْمُعَزِّینَ مِنَ الذُّلِّ بِک، وَ الْمُجَارِینَ مِنَ الظُّلْمِ بِعَدْلِک، وَ الْمُعَافَینَ مِنَ الْبَلَاءِ بِرَحْمَتِک، وَ الْمُغْنَینَ مِنَ الْفَقْرِ بِغِنَاک، وَ الْمَعْصُومِینَ مِنَ الذُّنُوبِ وَ الزَّلَلِ وَ الْخَطَاءِ بِتَقْوَاک، وَ الْمُوَفَّقِینَ لِلْخَیرِ وَ الرُّشْدِ وَ الصَّوَابِ بِطَاعَتِک، وَ الْمُحَالِ بَینَهُمْ وَ بَینَ الذُّنُوبِ بِقُدْرَتِک، التَّارِکینَ لِکلِّ مَعْصِیتِک، السَّاکنِینَ فِی جِوَارِک.
अल्लहुम्मा आअतेना जमीअ ज़ालेका बेतौफ़ीक़ेका व रहमतेका, व आइज़ना मिन अज़ाबिस सईरे, व आअते जमीअल मुस्लेमीना वल मुसलेमाते वल मोमेनीना वल मोमेनाते मिस्लल लज़ी सअलतोका लेनफ़्सी व लेवुलदी फ़ी आजेलिद दुनिया व आजेलिल आख़ेरते, इन्नका क़रीबुन मुजीबुन समीउन अलीमुन ग़फ़ूरुर रऊफ़ुन रहीम हे पालनहार! अपनी दया से हमें ये सब वस्तुएँ प्रदान कर। और मुझे नरक की आग की यातना से और उन चीज़ों से शरण दे जो मैंने अपने लिए और अपने बच्चों के लिए मांगी हैं, और इस दुनिया और उसके बाद सभी मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं और विश्वास करने वाले पुरुषों और महिलाओं पर दया कर। क्योंकि तू निकट है और दुआ स्वीकार करने वाला है, सुनने वाला है और जानने वाला है, क्षमा करने वाला है और क्षमा करने वाला है और दयालु है। اللَّهُمَّ أَعْطِنَا جَمِیعَ ذَلِک بِتَوْفِیقِک وَ رَحْمَتِک، وَ أَعِذْنَا مِنْ عَذَابِ السَّعِیرِ، وَ أَعْطِ جَمِیعَ الْمُسْلِمِینَ وَ الْمُسْلِمَاتِ وَ الْمُؤْمِنِینَ وَ الْمُؤْمِنَاتِ مِثْلَ الَّذِی سَأَلْتُک لِنَفْسِی وَ لِوُلْدِی فِی عَاجِلِ الدُّنْیا وَ آجِلِ الْآخِرَةِ، إِنَّک قَرِیبٌ مُجِیبٌ سَمِیعٌ عَلِیمٌ عَفُوٌّ غَفُورٌ رَءُوفٌ رَحِیمٌ
व आतेना फ़िद दुनिया हसनतन, व फ़िल आख़ेरते हसनतन व क़ेना अज़ाबन नारे हमें इस दुनिया में अच्छाई (तौफीक इबादत) और इसके बाद (बहिश्त जावेद) में अच्छाई प्रदान कर, और हमें नरक की आग की सजा से बचा। وَ «آتِنا فِی الدُّنْیا حَسَنَةً، وَ فِی الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَ قِنا عَذابَ النَّارِ».

फ़ुटनोट

  1. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 415
  2. तरजुमा व शरह दुआ ए बीस्तो पंजुम सहीफ़ा सज्जादिया, साइट इरफ़ान
  3. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 509-543; ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 415-445
  4. अंसारियान, दयारे आशेक़ान, 1373 शम्सी, भाग 6, पेज 509-543
  5. ममदूही, शुहूद व शनाख़त, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 415- 445
  6. फ़हरि, शरह व तफसीर सहीफ़ा सज्जादिया, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 419-429
  7. मदनी शिराज़ी, रियाज़ उस सालेकीन, 1435 हिजरी, भाग 4, पेज 93-148
  8. मुग़्निया, फ़ी ज़िलाल अल सहीफ़ा, 1428 हिजरी , पेज 327-336
  9. दाराबी, रियाज़ उल आरेफ़ीन, 1379 शम्सी, पेज 323-336
  10. फ़ज़्लुल्लाह, आफ़ाक़ अल रूह, 1420 शम्सी, भाग 1, पेज 639-657
  11. फ़ैज़ काशानी, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1407 हिजरी, पेज 59-60
  12. जज़ाएरी, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, 1402 हिजरी, पेज 141-144

स्रोत

  • अंसारियान, हुसैन, दयारे आशेकान, तफसीर जामेअ सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, पयाम आज़ादी, 1372 शम्सी
  • जज़ाएरी, इज़्ज़ुद्दीन, शरह अल-सहीफ़ा अल-सज्जादिया, बैरूत, दार उत तआरुफ लिलमतबूआत, 1402 हिजरी
  • दाराबी, मुहम्मद बिन मुहम्मद, रियाज़ अल आरेफ़ीन फ़ी शरह अल सहीफ़ा सज्जादिया, शोधः हुसैन दरगाही, तेहरान, नशर उस्वा, 1379 शम्सी
  • फ़ज़्लुल्लाह, सय्यद मुहम्मद हुसैन, आफ़ाक़ अल-रूह, बैरूत, दार उल मालिक, 1420 हिजरी
  • फ़हरि, सय्यद अहमद, शरह व तरजुमा सहीफ़ा सज्जादिया, तेहरान, उस्वा, 1388 शम्सी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन मुर्तज़ा, तालीक़ात अलस सहीफ़ा अल-सज्जादिया, तेहरान, मोअस्सेसा अल बुहूस वत तहक़ीक़ात अल सक़ाफ़ीया, 1407 हिजरी
  • मदनी शिराज़ी, सय्यद अली ख़ान, रियाज उस-सालेकीन फ़ी शरह सहीफ़ा तुस साजेदीन, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र उल-इस्लामी, 1435 हिजरी
  • मुग़्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल अल-सहीफ़ा सज्जादिया, क़ुम, दार उल किताब उल इस्लामी, 1428 हिजरी
  • ममदूही किरमानशाही, हसन, शुहूद व शनाख़्त, तरजुमा व शरह सहीफ़ा सज्जादिया, मुकद्मा आयतुल्लाह जवादी आमोली, क़ुम, बूस्तान किताब, 1388 शम्सी