बाइबिल
बाइबिल (अंग्रेजी: Gospel गॉस्पेल, अरबीः الإنجيل) इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार हज़रत ईसा (अ) की आसमानी किताब का नाम इंजील है जोकि अल्लाह की ओर से उन पर उतारी गई है। क़ुरआन की आयतों में, बाइबिल के वहयी और आसमानी होने, पैग़म्बर मुहम्मद (स) की बेसत के सुसमाचार (बशारत) और यीशु अर्थात हज़रत ईसा (अ) की नबूवत के बारे में बाइबिल की अच्छी खबर पर जोर देते हुए, ट्रिनिटी और हज़रत ईसा (अ) की दिव्यता का खंडन किया गया है। आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी के अनुसार, यीशु (हज़रत ईसा) की आसमानी किताब के कुछ हिस्से को छोड़कर अपनी असली हालत पर बाक़ी नही है उसमे अंधविश्वासों के मिश्रित कर दिया गया है।
आयतुल्लाह मारेफ़त जैसे कुछ शोधकर्ता, बाइबिल के ज्ञान को को आसमानी किताब और हजरत ईसा (अ) पर अवतरित नही मानते बल्कि उनका कहना है कि जो कुछ हज़रत ईसा (अ) को बताया गया था वह सब मौखिक शिक्षाएं और बशारत थी जो हजरत ईसा (अ) के प्रेरितों (हवारीयो) के माध्यम से अगली (बाद मे आने वाली) पीढ़ी तक स्थानांतरित की गई थी जिन्हे बाद मे मौजूदा बाइबिल (इंजील) मे एकत्रित किया गया है।
ईसाइयों के अनुसार ईसा मसीह (अ) की बाइबिल नामक कोई पुस्तक नहीं थी। उनके दृष्टिकोण से हजरत ईसा (अ) स्वंय दिव्य रहस्योद्घाटन और संदेश के अवतार और प्रतीक हैं, न कि संदेश लाने वाले। ईसाई संस्कृति और परंपरा में बाइबिल ईसाईयो की पवित्र किताब का एक हिस्सा है, जिसमें मत्ता की गॉस्पेल, मरकुस की गॉस्पेल, लूक़ा की गॉस्पेल और यूहन्ना की गॉस्पेल शामिल हैं। ये चार गॉस्पेल (इंजील) जो अहदे जदीद की पहली चार पुस्तकें है, हज़रत ईसा (अ) के शिष्यों या शिष्यों के शिष्यों द्वारा हज़रत ईसा (अ) के जीवन और शब्दों के बारे में लिखी गई थीं।
ईसाई विभिन्न इंजीलो मे से केवल इन चार को ही आधिकारिक और कानूनी मानते हैं। मत्ता, मरक़ुस और लूक़ा के तीन इंजीलो को उनकी कई समानताओं के कारण समान कहा जाता है। हज़रत ईसा (अ) की दिव्यता और अल्लाह का पुत्र होना केवल यूहन्ना की इंजील मे बताया गया है। बरना की इंजील अनौपचारिक इंजीलो मे से एक है जिस पर मुसलमानों का ध्यान गया है; लेकिन ईसाई इसे नक़ली मानते हैं। इस बाइबिल मे हज़रत ईसा (स) की दिव्यता और अल्लाह के पुत्र तथा उनके सूली पर चढ़ने को अस्वीकार करते हुए हज़रत मुहम्मद (स) के मसीह होने का सुसमाचार दिया गया हैं।
मौजूदा बाइबिल पर कुछ आपत्तिया जताई गई हैं, जिनमें बाइबिल के लेखक विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि वे गलतियों और पापों से प्रतिरक्षित नहीं हैं, बाइबिल में विरोधाभासों, गलतियों और अंधविश्वास शामिल है।
हज़रत ईसा की आसमानी किताब
क़ुरआन की आयतो[१] और इस्लामी हदीसों के अनुसार,[२] हज़रत ईसा (अ) की स्वर्गीय पुस्तक का नाम इंजील (बाइबिल) है, जो ईश्वर की ओर से उन पर अवतरित की गई थी।[३] कुछ लोगों का मानना है कि इसके बारे में इतनी सारी हदीसें हैं कि मनुष्य बाइबिल नामक एक स्वर्गीय पुस्तक के अस्तित्व के बारे में निश्चित है।[४] शिया टिप्पणीकार आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी के अनुसार हज़रत ईसा (अ) की स्वर्गीय पुस्तक नष्ट हो गई है और ईसा (अ) के शिष्यो ने इसके केवल कुछ हिस्सों को अपनी बाइबिल में बयान किया है। जो कि अंधविश्वास के साथ मिश्रित है।[५]
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मुहम्मद हादी मारफ़त सहित क़ुरआन विज्ञान के कुछ विद्वानों की राय के अनुसार, बाइबिल के बारे में आम मुस्लिम धारणा के विपरीत, बाइबिल एक लिखित पुस्तक नहीं है जो हज़रत ईसा (अ) पर नाजिल की गई थी।[६] आयतुल्लाह मारफ़त के अनुसार हजरत ईसा (अ) पर जो चीज़ अवतरित की गई थी वह मौखिक शिक्षाएँ और ख़बरें थीं जो उन्होंने अपनी नबूवत के दौरान लोगों और प्रेरितों (हव्वारीयो) को दी थीं, और प्रेरितों ने इन शिक्षाओं को सुरक्षित करते अगली पीढ़ी तक पहुँचाया जिन्हे बाद मे मौजूदा बाइबिल मे एकत्रित किया गया।[७]
इन शोधकर्ताओं के अनुसार क़ुरआन की आयतों के आधार पर हज़रत ईसा (अ) को दी गई किताब को रहस्योद्घाटन और कानूनी फैसलों के रूप में माना है।[८] और उनका मानना है कि क़ुरआन किसी भी आयत मे बाइबिल को हजरत ईसा (अ) की किताब के रूप में परिचित नही करता। बल्कि, उनका मानना है कि बाइबिल में उनके सामने प्रकट रहस्योद्घाटन शामिल है।[९] उन्होंने यह भी कहा कि क़ुरआन ने जेदाल अहसन के रूप मे हज़रत ईसा (अ) पर नाजिल होने वाली मौखिक शिक्षाओ का नाम बाइबिल (इंजील) चुना है।[१०]
क़ुरआन और हदीसों में बाइबिल की विशेषताएं
क़ुरआन की आयतों में बाइबिल शब्द का प्रयोग 12 बार[११] एकवचन में किया गया है।[१२] और कई बाइबिल के अस्तित्व को नकारा गया है।[१३] इन आयतों में बाइबिल का रहस्योद्घाटन, इसके द्वारा तौरात की सच्चाई की गवाही, हज़रत मुहम्मद (अ) की बेसत का सुसमाचार (बशारत) देने और हजरत ईसा (अ) के आम निमंत्रण की ओर संकेत मिलता है।[१४] सूर ए माएदा की आयत न 46 के अनुसार, बाइबिल में धर्मपरायण का चयन करने वाले लोगों के लिए मार्गदर्शन", "प्रकाश" और "उपदेश" शामिल है।[१५] इसके अलावा सूर ए नेसा की आयत न 171 मे हजरत ईसा (अ) के मानव और पैग़म्बर होने पर जोर देते हुए ट्रिनिटी और हज़रत ईसा (अ) की दिव्यता का खंडन किया गया है।[१६]
इमाम सादिक़ (अ) की एक हदीस के अनुसार, इंजील रमज़ान की 12 वीं[१७] या 13वीं रात[१८] को हजऱरत ईसा (अ) पर उतारी गई। ऐसा कहा जाता है कि इंजील एक ही बार में उतारी गई। कई रिवायतो के आधार पर, बाइबिल और अन्य दिव्य पुस्तकें शियो के इमामों के पास मौजूद हैं।[१९]
मुस्लिम विद्वानों का मत
मुस्लिम विद्वानों ने मौजूदा बाइबिल के बारे में दो संभावनाएँ दी हैं:
- पहली संभावना: मूल (असली) बाइबिल के कई हिस्सों को बाद की बाइबिलो के लेखकों ने हटा दिया है और इसमें कई अंधविश्वास जोड़ दिए गए है;
- दूसरी संभावना: मूल बाइबिल को पूरी तरह से भुला दिया गया और त्याग दिया गया, और उसके स्थान पर अन्य पुस्तकें लिखी गईं है।[२०]
कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि बाइबिल की सामग्री के बारे में शिया रिवायतो में जो कहा गया है, वह चार गॉस्पेल (मत्ता, मरक़ुस, लूक़ा और यूहन्ना) की सामग्री के बहुत कुछ समान है, जो इस बात का संकेत है कि मौजूदा बाइबिल और आइम्मा मासूमीन (अ) या उनके साथीयो ने जो बाइबिल लिखी है, उसमें समानता है।[२१] इन समानताओ मे से कुछ समानताएं इस प्रकार बताई गई हैं: दोष-खोज पर रोक, पाखंडी की निंदा, झूठ से बचना, हक़्क़ुन्नास को हक़्क़ुल्लाह पर प्राथमिकता देना, न्याय के दिन जवाबदेही अर्थात क़यामत के दिन हिसाब किताब लिया जाना और रवादारी की सिफारिश इत्यादि।[२२]
ईसाइयों के यहा बाइबिल की हक़ीक़त
ईसाई धर्म में, बाइबल अहदे जदीद की पहली चार पुस्तकों में से प्रत्येक को संदर्भित करती है [नोट १], जो कि मत्ता, मरक़ुस, लूक़ा और यूहन्ना[२४] की है। धर्मों के इतिहास की पुस्तकों में, विशेष रूप से ईसाई धर्म, बाइबिल पुस्तकों को संदर्भित करता है यह संभव है कि वे ईसाई धर्म की पहली शताब्दियों में हज़रत ईसा (अ) के कथनो और व्यवहार को रिकॉर्ड करने के लिए लिखी गई हो।[२५]
ईसाइयों के अनुसार ईसा मसीह बाइबिल नामक पुस्तक नहीं लाए। उनके दृष्टिकोण से, क़ुरआन और पैग़म्बर (स) के बारे में मुसलमान जो मानते हैं, इस प्रकार की वही लाने का ईसाई धर्म में कोई स्थान नहीं है। ईसाई हज़रत ईसा (अ) को अवतार और दिव्य रहस्योद्घाटन और संदेश मानते हैं, न कि इसे लाने वाला।[२६] ईसाइयों का मानना है कि चार बाइबिल केवल हज़रत ईसा (अ) की जीवनी और कथनो की रिपोर्ट करते हैं, और तौरैत के विपरीत किसी भी शिक्षा को सीधे दैवीय संदेश नहीं मानते हैं।[२७]
ईसाई केवल मत्ता, मरक़ुस, लूक़ू और यूहन्ना की चार बाइबिल पर विश्वास करते हैं और उन्हें सही मानते हैं; क्योंकि ईसाई पहले इन्हें परमात्मा की ओर से आया हुआ जानते थे।[२८] ईसाई पादरी और धर्मशास्त्री थॉमस मिशेल (जन्म 1941 ईस्वी) के अनुसार मौजूदा बाइबिलो मे किसी भी प्रकार का कोई विरोधाभास नहीं है, और उनकी राय मे सभी चारो बाइबिल वैधता और महत्व के हिसाब से समान है।[२९] उनके अनुसार, इन चारो बाइबिल मे से किसी को भी छोड़ना विश्वास की कमी हो जाएगी।[३०] अहदे जदीद की प्रस्तावना मे यह कहा गया है कि ईसाई लगभग 150 ई.पू. से चर्च में रविवार की सभाओं में चारो बाइबिल के कुछ हिस्सों को पढ़ते हैं और उन्हें रसूलो के कार्य बताते हुए उनको पवित्र बाइबिल के समान आधिकारिक माना जाता है।[३१]
मौजूदा बाइबलो मे हज़रत ईसा (अ) के जीवन, चमत्कारों, शिक्षाओं, जीवनी और कथनो का उल्लेख है।[३२]
परिभाषा
यह न समझो कि मै किसी नबी की शरीयत या पुस्तकों को मंसूख़ करने आया हूं; मंसूख़ करने नहीं आया बल्कि उन्हे पूरा करने आया हूँ।
इंजील एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है अच्छी खबर और खुशखबरी;[३३] स्वर्ग के दूत या नई वाचा के आने की खुशखबरी।[३४] क्योंकि बाइबिल स्वर्ग के दूत या नई वाचा की खुशखबरी पर आधारित है।[३५] ऐसा कहा गया है कि सुसमाचार का उपयोग हज़रत ईसा (अ) की उपस्थिति की शुरुआत में क्षमा की अच्छी खबर और स्वर्ग के दूत की उपस्थिति के लिए किया गया था; लेकिन प्रेरितों (हज़रत ईसा के शिष्यों) के युग में, जब बाइबिल लिखी गई थी, तो इसका अर्थ ईश्वर के पुत्र का अगमन और पुनरुत्थान की खुशखबरी के लिए किया जाता था।[३६]
चारो बाइबिल के संकलन और आधिकारिकीकरण का क्रम
बाइबिल लेखन 60 के दशक के मध्य में शुरू हुआ। सबसे पहले, मरक़ुस की बाइबिल, फिर मत्ता और लूक़ू की बाइबिल का लेखन किया गया, और पहली शताब्दी के अंत मे यूहन्ना की बाईबिल भी लिखी गई।[३७] ईसाइयों के अनुसार, 30 ईस्वी मे हज़रत ईसा (अ) के स्वर्गारोहण के बाद,[३८] उनसे संबंधित कथनो और घटनाओं को मौखिक रूप से सुनाया जाता था।[३९] यह विचार लिखने की इस मौखिक परंपरा ने ईसाइयों के बीच ताकत हासिल की और कुछ ने हज़रत ईसा (अ) की जीवनी और कथन लिखना शुरू कर दिया।[४०]
बाइबिल का लेखन पोलुस द्वारा ईसाई धर्म के प्रचार और कई चर्चों के गठन के साथ मेल खाता था। इसलिए, अलग-अलग लोगों ने एक विशेष शैली और लेखन के साथ हज़रत ईसा (अ) से संबंधित जीवनियां और घटनाएं लिखीं, और कई बाइबिल बनाई गईं।[४१] थॉमस मिशेल के अनुसार, पहले ईसाइयों ने रूह अल-क़ुदुस की मदद से चार बाइबिल लिखी और 23 दूसरी पुस्तक को पवित्र पुस्तक (किताबे मुक़द्दस) के रूप में स्वीकार किया।[४२]
चारो बाइबिल के आधिकारिक होने के संबंध मे अलग-अलग राय हैं: एक राय यह है कि वर्ष 397 ईस्वी में "कारताज़" की आध्यात्मिक परिषद में, चारो बाइबिलो को छोड़कर सभी बाइबिलो को खारिज कर दिया गया था और पांचवीं शताब्दी की शुरुआत मे चारो बाइबिल को अहदे जदीद मे आधिकारिक और कानूनी मान्यता देकर पंजीकरण किया गया।[४३] कुछ लोगों का मानना है कि चार बाइबिल को 150 ईस्वी के आसपास प्रेरितों के कार्य के रूप में माना जाता था और उन्हे आधिकारिक माना जाता था, और वे 170 ई. के आसपास कानूनी एवं सरकारी कार्यों में स्थान प्राप्त किया। लेकिन इस बात का उल्लेख नही किया गया।[४४] तीसरी शताब्दी ईस्वी की शुरुआत में पीरूज़ सय्यार के अनुवाद के अहदे जदीद की प्रस्तावना मे चारो बाइबिल को मान्यता दी गई थी और उसके बाद उनके बारे में कोई विवाद नहीं हुआ।[४५]
चारो बाइबिल की विशेषताएँ
चारो बाइबिल के लेखकों के बारे में संदेह हैं, और उनका श्रेय निश्चित नहीं है।[४६] हुसैन तौफ़ीक़ी ने अपनी पुस्तक, "आशनाई बा अदयान बुज़ुर्ग" में लिखा है कि ईसाइयों का मानना है कि चारो बाइबिल प्रेरितों या प्रेरितो को शिष्यों द्वारा हज़रत ईसा (अ) के वर्षों बाद लिखी गई थी।[४७] थॉमस मिशेल के अनुसार, ईसाई अहदे जदीद के लेखकों को पैग़म्बर नहीं मानते हैं; बल्कि, उनका मानना है कि वे हज़रत ईसा (अ) के अनुयायियों में से थे और उन्होंने दिव्य प्रेरणा से उन पुस्तकों को लिखा था।[४८] उनका कहना है कि चारो बाइबिल की भाषा मूल रूप से ग्रीक थी।[४९]
बाइबिलो मे सामंजस्य
मत्ता, मरक़ुस और लूक़ू की तीन बाइबिल को लेखन और सामग्री की भाषा में समानता और सामंजस्य के कारण समान बाइबिल कहा जाता है।[५०] यूहन्ना की बाइबिल को अन्य बाइबिलो से अलग बनाने वाली विशेषताएं इस प्रकार व्यक्त की गई हैं: इसमें ऐसे चमत्कारो का वर्णन हैं जिनका वर्णन दूसरी बाइबिलो मे नहीं हैं; जैसे काना में पानी को शराब में बदलने का चमत्कार या लआज़र नाम के व्यक्ति का जीवित हो जाना; इसमें लंबे भाषणों की उपस्थिति; इस बाइबिल का विशेष ईसाई धर्म,जिसमें हज़रत ईसा (अ) की दिव्यता पर बल दिया गया है।[५१] समान बाइबिलो को यहूदी साहित्य से प्रभावित माना गया है, और यूहन्ना की बाइबिल को यूनानी दर्शन से प्रभावित माना गया है।[५२]
मत्ता
मत्ता की बाइबिल अहदे जदीद की पुस्तकों में से पहली पुस्तक है।[५३] थॉमस मिशेल के अनुसार, बाइबिल के विद्वानों का मानना है कि मत्ता की बाइबिल कुछ यहूदी बुजुर्गों के साथ बातचीत और तर्क के उद्देश्य से लिखी गई थी।[५४] इस बाइबिल को लिखने के समय और स्थान के बारे में मतभेद है। वर्ष 38 ईस्वी, वर्ष 50 ईस्वी और 60 ईस्वी के बीच[५५] और वर्ष 70 ईस्वी[५६] इसके लेखन के समय के बारे मे विचार हैं, और फ़िलिस्तीन और सीरिया में अन्ताकिया[५७] इसका लेखन स्थान बताया जाता हैं।
यह पुस्तक हज़रत ईसा (अ) को यहूदी धर्म के पूर्णकर्ता, महान शिक्षक, मूसा ए जदीद और अहदे जदीद के साहिबे शरीयत के रूप मे परिचित कराती है।[५८] इस बाइबिल की सामग्री का वर्णन इस प्रकार किया गया है: हज़रत ईसा (अ) की वंशावली, उनके जन्म का तरीका, शैतान के हाथ से परीक्षण, लोगों और उनके शिष्यों को नैतिक आदेश, हज़रत ईसा (अ) के चमत्कार, बारह रसूलो का चयन, मूसा (अ) और इलयास (अ) की उपस्थिति, हज़रत ईसा (अ) को मारने की साजिश और उनका कब्र से बाहर निकलना इत्यादि।[५९]
इस बाइबिल के लेखक मत्ता हज़रत ईशा (अ) के प्रेरितों में से एक थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि वह हज़रत ईसा (अ) में विश्वास करने से पहले एक कर संग्रहकर्ता थे।[६०] अतीत में, मत्ता की बाइबिल को पहली और सबसे पुरानी बाइबिल माना जाता था; लेकिन शोधकर्ता आज मरक़ुस की बाइबिल को सबसे पुरानी बाइबिल मानते हैं।[६१]
मरक़ुस
मरक़ुस की बाइबिल को सबसे छोटा और सबसे पुरानी बाइबिल माना गया है।[६२] इस बाइबिल के लेखक, मरक़ुस प्रेरितों में से नहीं थे; बल्कि, वह पितरुस के और अनुयायियों और शिष्यों में से एक थे, [नोट २][६३] जिन्होंने अपनी बाइबिल वर्ष 60 ईस्वी,[६४] 61[६५] या 70 ईस्वी[६६] के आसपास इटली या रोम में लिखी थी।[६७] इस बाइबिल मे हजरत ईसा (अ) के मानवीय पहलुओं और उनके कष्टों पर जोर दिया गया है।[६८] मरक़ुस की बाइबिल दो भागों में विभाजित है: पहले भाग मे हज़रत ईसा (अ) कौन हैं और उनके राज्य, और दूसरे में भाग मे उनकी मृत्यु से संबोधित किया गया है।[६९] मरक़ुस ने हज़रत ईसा (अ) के कार्यों के बारे में अधिक बताया है और राक्षसों से निपटने और उन्हें मानसिक रोगियों से दूर करने, पापियों को क्षमा करने और उनके चमत्कारों के बारे में बताया है।[७०] यह बाइबिल हज़रत ईसा (अ) ने यहया (अ) द्वारा अपने बपतिस्मा और अपने नबूवत की शुरुआत का परिचय दिया है, अपनी वंशावली और जन्म का परिचय नहीं दिया है।[७१] मरक़ुस की बाइबिल का पहला वाक्य इस प्रकार है: " ईश्वर के पुत्र, हजरत ईसा का सुसमाचार"।[७२]
लूक़ा
लूक़ा की बाइबिल, जिसे सबसे लंबी बाइबिल माना जाता है,[७३] जो 70 ईस्वी और 90 ईस्वी के बीच बुतपरस्तों[७४] को संबोधित करते हुए रोम[७५] में लिखी गई थी। हज़रत ईसा (अ) के जन्म और बचपन का वर्णन इस बाइबिल की विशेष विशेषताओं के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।[७६] हज़रत याह्या (अ) का जन्म, हज़रत ईसा (अ) के कई चमत्कार, प्रेरितों को असाधारण शक्ति प्रदान करना, उपदेश देने के लिए प्रेरितों के अलावा सत्तर लोगों का चयन, क्रूस पर चढ़ जाना और कब्र से उठना इस बाइबिल की अन्य सामग्री हैं।[७७] इस बाइबिल मे प्रेरितों ने हज़रत ईसा (अ) को भगवान शब्द से पुकारा।[७८] उन्होंने यह भी कहा कि इस बाइबिल मे हज़रत ईसा (को) इंसाने कामिल कहा गया हैं।[७९]
लूक़ा पोलूस प्रेरित के गैर-यहूदी छात्रों में से एक था। इसलिए, उन्हें हज़रत ईशा (अ) के प्रेरितों में से नहीं माना जाता है।[८०] लूक़ा को अहदे जदीद (न्यू टेस्टामेंट) का एकमात्र लेखक माना गया है जो यहूदी नहीं था।[८१]
यूहन्ना
हज़रत ईसा ने उससे कहा: मैं पुनर्जीवित हो गया हूँ। जो मुझ पर विश्वास करता है, यदि वह मर भी जाए, तो भी जीवित रहेगा, और जो जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा। क्या आप इस पर विश्वास करते हैं? उसने उससे कहा: हाँ, प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ कि आप मसीहा, परमेश्वर के पुत्र हैं; जो दुनिया में आए है।
यूहन्ना की बाइबिल को हज़रत ईसा (अ) की जीवनी और कथनों की नवीनतम पुस्तक माना जाता है, जो हज़रत ईसा (अ) की अलौकिकता पर जोर देती है।[८२] यूहन्ना हज़रत ईसा (अ) के बारह प्रेरितों में से एक है।[८३] इसके लेखन के साल के संबंध मे मतभेद है।[८४] जिसे दो विचारों में वर्गीकृत किया गया है: पारंपरिक दृष्टिकोण, जिसके अनुसार लेखन का वर्ष पहली शताब्दी ईस्वी के अंत से 85 ईस्वी तक जाता है, और दूसरा दृष्टिकोण, जिसके अनुसार लेखन की तिथि 50 से 70 ईस्वी के बीच मानी जाती है।[८५] कुछ लोगों ने वर्ष 65 ई. को प्राथमिकता दी है।[८६] इस बाइबिल मे हज़रत ईसा (ए) के जीवन के विवरण की तुलना में उनके कथनो पर अधिक ध्यान दिया गया है। जटिल और रहस्यमय विचारों वाले लंबे उपदेशों के रूप में प्रस्तुत किया गया।[८७] इस बाइबिल मे लेखक ने इसे लिखने का उद्देश्य इस प्रकार बताया: "ये बातें इसलिए लिखी गईं ताकि आप विश्वास कर सके कि हज़रत ईसा, मसीहा और ईश्वर के पुत्र है, और उनके नाम पर विश्वास करके आप जीवन पा सकते हैं"।[८८]
यूहन्ना की बाइबिल मे हज़रत ईसा (अ) ईश्वर के पुत्र है।[८९] कथन[९०] और वह जो अनंत काल से है।[९१] कुछ मामलों में[९२] ईश्वर की उपाधि भी दी गई है।[९३] यह भी उल्लेख किया गया है कि केवल इस बाइबिल में वादा किए गए फ़ारक़लीत (सांत्वना देने वाले के अर्थ में) के बारे में बात की गई है और कहा गया है कि वह हज़रत ईसा (अ) के बाद आएगा और सब कुछ सिखाएगा और दुनिया का न्याय करेगा।[९४]
पिरूज़ सय्यार द्वारा अनुवादित अहदे जदीद (न्यू टेस्टामेंट) की पुस्तक में यूहन्ना की बाइबिल के परिचय में कहा गया है कि लेखक के बारे में यह बाइबिल मे विरोधाभासों और अस्पष्टताओं के अस्तित्व के कारण संदिग्ध है। इस बात की संभावना है कि इसकी कुछ सामग्री यूहन्ना के शिष्यों द्वारा उनकी मृत्यु के बाद जोड़ी गई थी। यह भी माना जाता है कि यह बाइबिल क्रमिक चरणों में बनी और लिखी गई। प्रस्तावना के लेखक के अनुसार इस बाइबिल का अंतिम संस्करण लिखने वाले व्यक्ति का नाम अज्ञात है।[९५]
अनौपचारिक बाइबिले
चार बाइबिल के अलावा दूसरी बाइबिल भी हैं, जिन्हें कुछ अन्य अनौपचारिक पुस्तकों के साथ, "एपोक्रिफा" या अहदे जदीद (न्यू टेस्टामेंट) की नकली पुस्तकों के रूप में जाना जाता है, और चर्च उन्हें मान्यता नहीं देता है।[९६] इब्रानी बाइबिल, मिस्री बाइबिल, पितरुस की बाइबिल, तूमा की बाइबिल, फिलूपियुस की बाइबिल और बचपने की बाइबिल का अनौपचारिक बाइबिलो मे शुमार होता है।[९७]
बरनाबा की बाइबिल
वास्तव मे परमेश्वर के दूत को छोड़कर –जो मेरे बाद आएंगा- सभी अम्बिया आ गए है, क्योकि परमेश्वर चाहता है कि मै उसके आने का मार्ग तैयार करूं।
बरनाबा की बाइबिल अनौपचारिक बाइबिलो मे से एक है जिस पर मुसलमानों का ध्यान गया है; लेकिन ईसाई इसे नकली मानते हैं।[९८] उनका कहना है कि इस बाइबिल को अनौपचारिक घोषित कर दिया गया था और वर्ष 325 ईस्वी मे निकिया परिषद (प्रथम विश्व चर्च परिषद) में तीन सौ अन्य बाइबिल के साथ नष्ट कर दिया गया था।[९९] उसके बाद पोप ने इसे निषिद्ध पुस्तकों में घोषित कर दिया।[१००] इस बाइबिल के प्रतिबंध और अनौपचारिकता का कारण चर्च की आधिकारिक मान्यताओं के साथ इसकी सामग्री की असंगति है। साथ ही इस पुस्तक में प्रेरित पोलुस और उनकी मान्यताओं पर भी आपत्तियां हैं।[१०१]
बरनाबा की बाइबिल कई मायनों में चार बाइबिलो से भिन्न है:
- इसमे बरनाबा ने हज़रत ईसा (अ) की दिव्यता और ईश्वर के पुत्र को अस्वीकार कर दिया।[१०२]
- बरनाबा की बाइबिल मे कई बार हज़रत ईसा (अ) की ज़बान से घोषणा की है कि मुहम्मद (स) मसीहा हैं।[१०३]
- इस बाइबिल के अनुसार, हज़रत ईसा (अ) के बजाय, उनके एक प्रेरित यहूदा इस्करियोती, जो हज़रत ईसा (अ) की तरह था, को क्रूस पर चढ़ाया गया था।[१०४]
बरनाबा की बाइबिल का क़ुरआन और मुस्लिम मान्यताओं से भी टकराव है। इसके अनुसार, मनुष्य ईश्वर की संतान हैं और स्वभाव से पापी हैं, पैग़म्बर हज़रत ईसा (अ) को छोड़कर, जैसे हज़रत इब्राहीम, हज़रत हारून और हज़रत अय्यूब (अ) इत्यादि भी पाप और बहुदेववादी प्रेम मे लिप्त हुए थे।[१०५]
ईसाई शोधकर्ताओं का मानना है कि यह बाइबिल हज़रत ईसा (अ) के युग के अलावा किसी अन्य समय में और फ़िलिस्तीन के अलावा किसी अन्य स्थान पर लिखी गई थी;[१०६] ईसाई थॉमस मिशेल ने कहा कि वैज्ञानिकों ने ऐतिहासिक और मौखिक साक्ष्य के आधार पर लेखन का समय निर्धारित किया है यह बाइबिल 16वीं शताब्दी के अंत की है।[१०७] दूसरी ओर, कुछ मुस्लिम विद्वानों ने इस बाइबिल को असली बाइबिल माना है।[१०८]
इस बाइबिल के लेखक के संबंध में भी मतभेद है। कुछ लोगों ने बरनाबा का उपनाम दिया है जो कि एक ईसाई उपदेशक था और युसूफ़ नाम था और क़बरस का निवासी यहूदी परिवार और हज़रत याक़ूब नबी के बेटे लावी के वंश से था[१०९], जो ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अधिक प्रयास करने के कारण उसे बरनामा अर्थात शक्तिशाली उपदेशक की उपाधी से प्रसिद्ध हुआ है।[११०] उन पर प्रेरितों का भरोसा था[१११] और अहदे जदीद (न्यू टेस्टामेंट) के अनुसार, वह एक धर्मी और वफादार व्यक्ति था।[११२] दूसरी ओर, कुछ ईसाई धर्मशास्त्री इस बाइबिल के लेखक को सोलहवीं शताब्दी का एक स्पेनिश ईसाई मानते है, जिसने बाद मे इस्लाम अपना लिया था।[११३]
बाइबिल पर आपत्तीयाँ
आलोचकों ने सामान्यतः चार बाइबिल और अहदे जदीद (न्यू टेस्टामेंट) की आलोचना की है:
- लेखकों की विश्वसनीयता की कमी: कहा जाता है कि सभी ईसाइयों के अनुसार, बाइबिल के लेखक पैग़म्बर नहीं थे और गलतियों और पापों से मुक्त नहीं थे; बल्कि, वे सामान्य लोग थे जो हज़रत ईसा (अ) में विश्वास करते थे। बाइबिल में, अविश्वास, ईसा मसीह और उनके शब्दों का खंडन, और एक दूसरे के साथ असंगति को स्पष्ट रूप से हज़रत ईसा (अ) के कुछ प्रेरितों और शिष्यों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसलिए, इन पुस्तकों पर हज़रत ईसा (अ) की शिक्षाओं के मुख्य स्रोत के रूप में भरोसा नहीं किया जा सकता है।[११४] थॉमस मिशेल, जो एक ईसाई धर्मशास्त्री हैं, ने कहा है कि कई ईसाई बाइबिल की शाब्दिक अचूकता को स्वीकार नहीं करते हैं। सभी ईसाई मानते हैं कि मूल संदेश ईश्वर की ओर से है; लेकिन इसका आकार और संरचना मानवीय पक्ष की है, जो अन्य लोगों की तरह त्रुटि का विषय है। इसलिए, यह संभव है कि इन पुस्तकों और संदेशों के मानव लेखक ने उन पुस्तकों में अपने गलत विचार शामिल किए हों।[११५]
- बाइबिलो का एक दूसरे के साथ विरोधाभास: बाइबिल में कुछ विरोधाभास और विसंगतियों को उनकी अप्रामाणिकता का कारण माना गया है।[११६] उदाहरण के लिए, हज़रत ईसा (अ) की वंशावली में मत्ता, लूक़ा और मरक़ुस की बाइबिल के बीच एक मजबूत विसंगति है। मत्ता[११७] की बाइबिल और लूक़ा[११८] की बाइबिल मे हज़रत ईशा (अ) को हज़रत दाऊद (अ) के वंशज के रूप में पेश किया गया है; परन्तु मरकुस[११९] की बाइबिल में कहा गया है कि दाऊद हज़रत ईसा (अ) को अपना परमेश्वर मानते थे। तो ईसा उसका पुत्र कैसे हो सकता है? इसी प्रकार दूसरी विसंगतियों में हज़रत ईसा (अ) को गिरफ्तार करने का तरीका, हज़रत ईसा (अ) के गद्दार शिष्य (यहूदा इस्करियोती) की निशानी, हज़रत ईसा (अ) के पुनरुत्थान की कहानी और कब्र से उनके उठने की कहानी शामिल है।[१२०]
- गलतियाँ और अंधविश्वास: त्रिमूर्ति का सिद्धांत, बलिदान का सिद्धांत हज़रत ईसा (अ) ने मानव जाति को बचाया और खुद का बलिदान देकर पापों को माफ कर दिया, चर्च के पादरी द्वारा पापों की क्षमा, बाइबिल के अंधविश्वासों मे से हैं।[१२१] गलतियों के लिए भी बाइबिल को जिम्मेदार ठहराया गया है।[१२२]
मोनोग्राफ़ी
बाइबिल के बारे में फ़ारसी और अरबी में कई किताबें लिखी गई हैं, जिनमें से कुछ हैं:
- अल-तौज़ीह फ़ी बयान मा होवा अल इंजील वा मन होवा अल मसीह, नजफ़ के शिया फ़क़ीह मुहम्मद हुसैन काशिफ अल-ग़िता (1256-1333 हिजरी) द्वारा लिखित। इस पुस्तक में लेखक ने बाइबिल का हवाला देकर बाइबिल की मूल बातें और ईसाई मान्यताओं को समझाया है। इस पुस्तक का फ़ारसी में अनुवाद सय्यद हादी खुसरोशाही द्वारा "पुज़ूहिशी दरबार ए इंजील व मसीह" शीर्षक के तहत किया गया था और बुस्ताने किताब पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित की गई है।
- इंजील युहन्ना फ़ि अल-मीज़ान, मुहम्मद अली ज़ोहरान द्वारा अरबी भाषा मे लिखित किताब है, इसमे बाइबिल का इतिहास और लेखक के व्यक्तित्व पर चर्चा की गई है। यह पुस्तक दार अल-अरकम द्वारा प्रकाशित की गई है।
- सैरे तारीख़ी इंजील बरनाबा, हुसैन तौक़ीफ़ी द्वारा लिखित है। इस संक्षिप्त किताब मे बरनाबा की बाइबिल के ऐतिहासिक पाठ्यक्रम, और इसकी सामग्री का सारांश और इसके बारे में कुछ संदेहों के उत्तर के बारे है। पुस्तक मोअस्सेसा दर राहे हक़ द्वारा वर्ष 1361 में लिखी और प्रकाशित की गई है।[१२३]
- ततव्वुरे इंजील अल मसीह इब्नुल्लाह अम मलेकुन मिन नस्ले दाऊद? देरासतुन नकदीयतुन व तरजुमतुन जदीदतुन ले अक़्दामे अल अनाजील तकशेफ़ो मफ़ाहीम मुसीरा, यह असली पुस्तक अंग्रेजी भाषा मे है और इनोक पॉवेल द्वारा लिखी गई है, जिसका अरबी में अनुवाद अहमद इबाश ने किया है। इस किताब को सबसे पहले बेरूत के क़तीबा पब्लिशिंग हाउस ने प्रकाशित किया था।
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ सूर ए आले इमरान, आयत न 3 और 4; सूर ए माएदा, आयत न 46 और 47; सूर ए मरयम, आयत न 30; सूर ए हदीद, आयत न 27
- ↑ देखेः कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज 157; शेख सदूक़, मन ला यहज़ुर अल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 159
- ↑ मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 2, पेज 423; ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसेई, 1389 शम्सी, पेज 155-156; रज़वी, इंजील, पेज 77 और 83
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसेई, 1389 शम्सी, पेज 156 और 157
- ↑ मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 2, पेज 425
- ↑ देखेः मारफ़त, सयानतुल क़ुरआन मिन अल तहरीफ़, 1428 हिजरी, पेज 129; नक़वी, तदवीन तौरात व इंजील अज़ दीदगाह आयात क़ुरआन, पेज 19-23; मोअद्दब व ख़बाजीयान, बर रसी फ़रहंगी तारीख़ी कारबुर्द इंजील दर क़ुरआन, पेज 110
- ↑ मारफ़त, सयानतुल क़ुरआन मिन अल तहरीफ़, 1428 हिजरी, पेज 129
- ↑ देखेः नक़वी, तदवीन तौरात व इंजील अज़ दीदगाह आयात क़ुरआन, पेज 21; मोअद्दब व ख़बाजीयान, बर रसी फ़रहंगी तारीख़ी कारबुर्द इंजील दर क़ुरआन, पेज 110
- ↑ मोअद्दब व ख़बाजीयान, बर रसी फ़रहंगी तारीख़ी कारबुर्द इंजील दर क़ुरआन, पेज 112
- ↑ मोअद्दब व ख़बाजीयान, बर रसी फ़रहंगी तारीख़ी कारबुर्द इंजील दर क़ुरआन, पेज 110
- ↑ देखेः सूर ए आले इमरान, आयत न 3, 48 और 65; सूर ए माएदा, आयत न 46, 47, 66, 68 और 110; सूर ए आराफ़, आयत न 157
- ↑ देखेः मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 23, पेज 291
- ↑ असदी, इंजील क़ुरआन, पेज 31
- ↑ रज़वी, इंजील, पेज 83 असदी, इंजील क़ुरआन, पेज 31-37
- ↑ मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 4, पेज 396
- ↑ मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 23, पेज 221-224
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज 157; शेख सदूक़, मन ला यहज़ुर अल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 159
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज 629
- ↑ देखेः कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज; 225, 227 सफ़्फ़ार, बसाइर अल दरजात, 1404 हिजरी, पेज 132-141
- ↑ रज़वी, इंजील, पेज 84-85
- ↑ हैदरी व ख़ुसरवी, दुरून माए इंजील दर रिवायात शीई, पेज 122
- ↑ देखेः हैदरी व ख़ुसरवी, दुरून माए इंजील दर रिवायात शीई, पेज 108-116
- ↑ क़दीमी तरीन इंजील जहान दर तबरेज़, मरकज़ दाएरातुल मआरिफ बुज़ुर्ग इस्लामी
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 43
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- ↑ तौफ़ीक़ी, आशनाई बा अदयान बुजुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 176
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज44
- ↑ तौफ़ीक़ी, आशनाई बा अदयान बुजुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 176
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, दर आमदी बर अहदे जदीद, पेज 58
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- ↑ देखेः अहदे जदीद, 1394 शम्सी, पेज 85; मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 43
- ↑ तौफ़ीक़ी, आशनाई बा अदयान बुजुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 169
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 139
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- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 43
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 43, 44 और 50
- ↑ रज़वी, इंजील, पेज 78
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- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 51
- ↑ रज़वी, इंजील, पेज 79-80
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, दर आमदी बर अहदे जदीद, पेज 59
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, दर आमदी बर अहदे जदीद, पेज 60
- ↑ सुलैमानी अरदिस्तानी, सैरी दर अदयान ज़िंदा जहान, 1387 शम्सी, पेज 218-219
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- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 43
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, दर आमदी बर अहदे जदीद, पेज 64; मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 42
- ↑ देखेः अहदे जदीद, 1394 शम्सी, दर आमदी बर अहदे जदीद, पेज 85; मुहम्मदयान, दाएरातुल मआरिफ़ किताब मुक़द्दस, 1381 शम्सी, पेज 259; तौफ़ीक़ी, आशनाई बा अदयान बुजुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 170
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- ↑ मुहम्मदयान, दाएरातुल मआरिफ़ किताब मुक़द्दस, 1381 शम्सी, पेज 261
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- ↑ नीकज़ाद, नक़द व बर रसी किताब मुक़द्दस, 1380 शम्सी, पेज 42
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 46; तौफ़ीक़ी, आशनाई बा अदयान बुजुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 171; ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 146
- ↑ नीकज़ाद, नक़द व बर रसी किताब मुक़द्दस, 1380 शम्सी, पेज 43
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 44 नीकज़ाद, नक़द व बर रसी किताब मुक़द्दस, 1380 शम्सी, पेज 102
- ↑ नीकज़ाद, नक़द व बर रसी किताब मुक़द्दस, 1380 शम्सी, पेज 44
- ↑ सुलैमानी अरदिस्तानी, सैरी दर अदयान ज़िंदा जहान, 1387 शम्सी, पेज 217 रज़वी, इंजील, पेज 80
- ↑ मुहम्मदयान, दाएरातुल मआरिफ़ किताब मुक़द्दस, 1381 शम्सी, पेज 264
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 46
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, मुकद्देमा इंजील हाए नज़ीर, पेज 103 और 104
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 46
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 140
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, इंजील मरक़ुस, पेज 259
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 140
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 148 रज़वी, इंजील, पेज 80-81
- ↑ मुहम्मदयान, दाएरातुल मआरिफ़ किताब मुक़द्दस, 1381 शम्सी, पेज 268
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 140
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 140
- ↑ देखेः इंजील लूक़ा, अध्याय 11, आयत 1
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 141
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 46
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 140
- ↑ तौक़ीफ़ी, आशनाई बा अदयान बुज़ुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 171
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 141 नीकज़ाद, नक़द व बर रसी किताब मुक़द्दस, 1380 शम्सी, पेज 45
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, मुक़द्दमा इंजील व रेसालेहाए यूहन्ना, पेज 463-465
- ↑ मुहम्मदयान, दाएरातुल मआरिफ़ किताब मुक़द्दस, 1381 शम्सी, पेज 270-271
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 48
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 49
- ↑ इंजील यूहन्ना, अध्याय 29, आयत 31
- ↑ देखेः इंजील यूहन्ना, अध्याय 1, आयत 49 और अध्याय 5, आयत 19-27
- ↑ देखेः इंजील यूहन्ना, अध्याय 1, आयत 1-3
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 141
- ↑ इंजील यूहन्ना, अध्याय 1, आयत 1 और अध्याय 20, आयत 28
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, मुक़द्देमा इंजील व रेसालेहाए यूहन्ना, पेज 460
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 141
- ↑ देखेः अहदे जदीद, 1394 शम्सी, मुक़द्देमा इंजील व रेसालेहाए यूहन्ना, पेज 459-462
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 51
- ↑ अहदे जदीद, 1394 शम्सी, दर आमदी बर अहदे जदीद, पेज 63 मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 51-52
- ↑ तौक़ीफ़ी, आशनाई बा अदयान बुज़ुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 170
- ↑ इल्हामी व नादेरी, बरनाबा, पेज 213
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 162 और 163
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 164
- ↑ इंजील बरनाबा, अध्याय 52, आयत 12-15 और अध्याय 53, आयत 35
- ↑ देखेः इंजील बरनाबा, अध्याय 43, आयत 30 और अध्याय 82, आयत 9-19
- ↑ मोअतमेदी, बरनाबा, पेज 19 इल्हामी व नादेरी, बरनाबा, पेज 214
- ↑ देखेः हैदरी व दिगरान, इंजील बरनाबा दर तआरुज़ बा क़ुरआन करीम, पेज 7-28
- ↑ मोअतमेदी, बरनाबा, पेज 19
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 53
- ↑ देखेः इंजील बरनाबा, मुकद्दमा सरदार काबुली, पेज 297-313
- ↑ मोअतमेदी, बरनाबा, पेज 17
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 161
- ↑ ज़ीबाई नेज़ाद, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, 1389 शम्सी, पेज 161
- ↑ अहदे जदीद, आमाल रसूलान, अध्याय 11, आयत 22-25
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 53
- ↑ नेकज़ाद, नक़द व बररसी किताब मुकद्दस, 1380 शम्सी, पेज 103-109
- ↑ मीशल, कलाम मसीही, 1381 शम्सी, पेज 27
- ↑ नेकज़ाद, नक़द व बररसी किताब मुकद्दस, 1380 शम्सी, पेज 119
- ↑ इंजील मत्ता, अध्याय 1, आयत 1 और अध्याय 20, आयत 30
- ↑ इंजील लूक़ा, अध्याय 1, आयत 27 और अध्याय 3, पेज 31
- ↑ इंजील मरक़ुस, अध्याय 12, आयत 36 और 37
- ↑ देखेः नेकज़ाद, नक़द व बररसी किताब मुकद्दस, 1380 शम्सी, पेज 119-140
- ↑ नेकज़ाद, नक़द व बररसी किताब मुकद्दस, 1380 शम्सी, पेज 140-149
- ↑ नेकज़ाद, नक़द व बररसी किताब मुकद्दस, 1380 शम्सी, पेज 149-160
- ↑ तौक़ीफ़ी, सैरे तारीखी इंजील बरनाबा, 1361 शम्सी, पेज 5
नोट
- ↑ अहदे जदीद सभी ईसाइयों द्वारा स्वीकृत कुल 27 पुस्तकों का संग्रह है और इसे चार भागों में विभाजित किया गया है: बाइबिल, रसूलो के कार्य, रसूलो के पत्र और रहस्योद्घाटन। अहदे जदीद अहदे अतीक़ (ओल्ड टेस्टामेंट) के विपरीत है। अहदे अतीक़ (ओल्ड टेस्टामेंट) यहूदियों की पवित्र पुस्तक है, जिसका ईसाई भी सम्मान करते हैं (तौक़ीकी, आशनाई बा अदयान बुज़ुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 168-170)
- ↑ पितरुस को हज़रत ईसा (अ) का सबसे महान प्रेरित (रसूल) और शिष्य माना जाता है, जिसका नाम शमऊन था और हज़रत ईसा (अ) ने उसे पितरुस (अर्थात् चट्टान) कहा और उसे ईसाई चर्च और समुदाय की आधारशिला बनाया। (तौफ़ीकी, आशनाई बा अदयान बुज़ुर्ग, 1389 शम्सी, पेज 148)
स्रोत
- क़ुरआन
- इब्न शैबा हर्रानी, हसन बिन अली, तोहफ़ अल उक़ूल, क़ुम, जामे मुदर्रेसीन, 1404 हिजरी
- सुलैमानी, अरदिस्तानी, अब्दुर रहीम, सैरी दर अदयान ज़िंदा जहान (ग़ैर अज़ इस्लाम), क़ुम, आयतुल्लाह इश्क, दूसरा संस्करण, 1387 शम्सी
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- इलहामी, दाऊद न निगार नादेरी, बरनाबा, दर दानिशनामा जहान इस्लाम (भाग 3), ज़ेर नज़र गुलाम अली हदाद आदिल, तेहरान, बुनयाद दाएरातुल मआरिफ़ इस्लामी, दूसरा संस्करण, 1378 शम्सी
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- हैदरी, हुसैन व रिज़वान हुसरूई, दुरून माये इंजील दर रिवायात शीई, दो फ़स्लनामा हदीस पुज़ूही, क्रमांक 17, बहार व ताबिस्तान, 1396 शम्सी
- हैदरी, हुसैन व दिगरान, इंजील बरनाबा दर तआरुज़ बा क़ुरआन करीम, मारफ़त अदयान, क्रमांक 21, ज़मिस्तान, 1393 शम्सी
- रज़वी, रसूल, इंजील, दर फस्लनामा कलाम इस्लामी, क्रमांक 49, बहार 1383 शम्सी
- ज़ीबाई नेज़ाद, मुहम्मद रज़ा, मसीहीयत शनासी मुकाएसई, तेहरान, सरोश, तीसरा संस्करण, 1389 शम्सी
- शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली बिन बाबवैह, मन ला याहज़ुर अल फ़क़ीह, क़ुम, दफ्तर इंतेशारात इस्लामी वा बस्ता बे जामे मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मीया क़ुम, दूसरा संस्करण 1413 हिजरी
- सफ़्फ़ार, मुहम्मद बिन हसन, बसाइर अल दरजात फ़ी फ़ज़ाइल आले मुहम्मद (स), क़ुम, मकतब आयतुल्लाह अल मरअशी अल नजफ़ी, दूसरा संस्करण, 1404 हिजरी
- अहदे जदीद, अनुवाद, पीरूज़ सय्यार, तेहरान, नशर नय, 1394 शम्सी
- क़दीमी तरीन इंजील जहान दर तबरेज़, मरकज दाएरातुल मआरिफ़ बुज़ुर्ग इस्लामी, प्रविष्ठ की तारीख 10 इस्फ़ंद 1394 शम्सी, वीजिट की तारीख 20 इस्फंद 1401 शम्सी
- क़ुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल काफ़ी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी
- लाजवरदी, फ़ातेमा, इंजील, दर दाएरातुल मआरिफ़ बुजुर्ग इस्लामी, भाग 10, तेहरान, मरकज़ दाएरातुल मआरिफ़ बुजुर्ग इस्लामी, 1380 शम्सी
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- मुहम्मदयान, बहराम, दाएरातुल मआरिफ़ किताब मुकद्दस, तेहरान, सरखुदा, 1381 शम्सी
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