हज़रत अय्यूब अलैहिस सलाम

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(हज़रत अय्यूब (अ) से अनुप्रेषित)
अय्यूब
पैगंबर की जानकारी
क़ुरआन में नामअय्यूब
बाइबल में नामJob
निवास स्थानबतनिया
प्रसिद्ध रिश्तेदारहज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम
धर्मएकेश्वरवाद
उम्र200
कु़रान में नाम का दोहरावचार बार
महत्वपूर्ण घटनाएँअय्यूब का धैर्य


अय्यूब, ईश्वर के पैग़म्बरों में से एक हैं जिनकी ईश्वर ने उनकी संपत्ति और बच्चों की हानि और एक बीमारी से पीड़ित होने के बाद परीक्षा ली थी। वह दैवीय परीक्षाओं के सामने धैर्यवान रहे और उन्होने परमेश्वर की आराधना और उसका धन्यवाद करना नहीं छोड़ा; इसी वजह से क़ुरआन में उनका ज़िक्र नेकी के साथ किया गया है।

क़ुरआन में अय्यूब की बीमारी का विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और कुछ इस्लामी हदीसों में इसके बारे में कहानियों का उल्लेख हुआ हैं, जिनके अनुसार अय्यूब की बीमारी के कारण लोग उससे दूर रहने लगे। निःसंदेह, मुसलमानों के अक़ीदे अनुसार, पैग़म्बरों में ऐसी कोई चीज़ नही पाई जाती जिसके कारण लोग उनसे नफ़रत करें। पुराने ग्रंथों और कुछ इस्लामी हदीसों में, दैवीय परीक्षा के सामने अय्यूब की बेसब्री और नाशुक्री के बारे में कहानियाँ आई हैं; लेकिन क़ुरआन ने उनका परिचय एक धैर्यवान व्यक्ति के रूप में कराया है।

कुछ लोगों ने इस आयत «واذْکُرْ عَبْدَنَا أَیُّوبَ إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُ أَنِّی مَسَّنِیَ الشَّیْطَانُ بِنُصْبٍ وَعَذَابٍ» (वज़कुर अबदना अय्यूब इज़ नादा रब्बहू अन्नी मस्सनीया अल शैतानो बेनुसुब व अज़ाब) का हवाला देते हुए अय्यूब पर शैतान के प्रभाव के बारे में बात की है और उसकी अचूकता पर संदेह किया है। लेकिन दूसरी ओर, इस आयत के अनुसार, यह कहा गया है कि शैतान का प्रभाव अय्यूब के शरीर पर था, न कि उनकी आत्मा पर ताकि उनके मासूम होने में कोई संदेह पैदा न हो। इसके अलावा, क़ुरआन की आयतों के अनुसार, शैतान भगवान के सेवकों की आत्मा और रूह पर हावी नहीं होता है, और अय्यूब को क़ुरआन में भगवान के सेवक के रूप में पेश किया गया है।

टिप्पणीकारों के अनुसार, अय्यूब ने अपनी पत्नी की ग़लती के कारण उन्हे सौ कोड़े मारने की क़सम खाई थी; लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया। उनके ऐसा न करने के बाद, उन्होने जो शपथ ली थी उसके कारण, भगवान ने उन पर वहयी नाज़िल की और उन्हे आदेश दिया गया कि वह अपनी पत्नी को नाज़ुक छड़ियों से मारें और अपनी शपथ न तोड़ें। अय्यूब की शपथ की वजह को लेकर टिप्पणीकारों में मतभेद है।

अय्यूब के दफ़्न स्थान के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं है; हालाँकि, विभिन्न देशों में क़ब्रों का श्रेय उन्हीं को दिया जाता है; इनमें एक क़ब्र इराक़ के हिल्ला से दस किलोमीटर दक्षिण में अल-राजिंयाह इलाक़े में है।

वंश और परिवार

हज़रत अय्यूब ईश्वर के पैगंबरों में से एक हैं [१] और पैग़म्बर इब्राहीम (अ) के वंशज है। [२] अपने पिता की ओर से उसका वंश चार [३] या पांच [४] मध्यस्थों के माध्यम से पैगंबर इब्राहीम (अ) तक पहुंचता है। इसी तरह से वह अपनी मां की ओर से पैग़म्बर लूत (अ) के वंशज भी हैं। [५] उनकी पत्नी को लेकर विवाद है। अल्लामा मजलिसी के अनुसार, मशहूर के मुताबिक़ लोग उन्हें हज़रत यूसुफ़ का नवासा मानते हैं। यानी यूसुफ़ (अ) की बेटी मिशा की बेटे। [६] बेशक, कुछ रिवायतों में यूसुफ़ (अ) की बेटी [७] और कुछ में याक़ूब (अ) की बेटी [८] के बेटे के तौर पर उनका परिचय दिया गया है। कुछ लोगों ने हज़रत ज़ुल-किफ़्ल को हज़रत अय्यूब का बेटा और पैगंबरों में से एक माना है। [९]

दिव्य परीक्षण

मुख्य लेख: अय्यूब का धैर्य

क़ुरआन की आयतों के अनुसार, अपने बच्चों को खोने और बीमारी के कारण ईश्वर ने अय्यूब की परीक्षा ली थी, और वह ईश्वर की परीक्षाओं के सामने सब्र करते रहे। [१०] उसके बाद, उनके बच्चे और स्वास्थ्य उन्हे वापस मिल गए। [११] इसके अलावा, हदीसों के अनुसार, उनके पास बहुत सारी संपत्तियां थीं, उन्होंने ईश्वरीय परीक्षण में उन सभी को खो दिया। [१२] क़ुरआन में उनका उल्लेख 'अब्दना (हमारे सेवक), नेएम अल-अब्द (अच्छे बंदे), कृपाण (साबिर) और अव्वाब (ईश्वर की ओर लौटने वाला) [१३] की उपाधियों के साथ किया गया है। [१४]

हज़रत अय्यूब से संबंधित प्रार्थना

«اللَّهُمَّ إِنِّی أَعُوذُ بِکَ الْیَوْمَ فَأَعِذْنِی وَ أَسْتَجِیرُ بِکَ الْیَوْمَ مِنْ جَهْدِ الْبَلَاءِ فَأَجِرْنِی وَ أَسْتَغِیثُ بِکَ الْیَوْمَ فَأَغِثْنِی وَ أَسْتَصْرِخُک الْیَوْمَ عَلَى عَدُوِّکَ وَ عَدُوِّی فَاصْرُخْنِی وَ أَسْتَنْصِرُکَ الْیَوْمَ فَانْصُرْنِی وَ أَسْتَعِینُ بِکَ الْیَوْمَ عَلَى أَمْرِی فَأَعِنِّی وَ أَتَوَکَّلُ عَلَیْکَ فَاکْفِنِی وَ أَعْتَصِمُ‏ بِکَ فَاعْصِمْنِی وَ آمَنُ بِکَ فَآمِنِّی وَ أَسْأَلُکَ فَأَعْطِنِی وَ أَسْتَرْزِقُکَ فَارْزُقْنِی وَ أَسْتَغْفِرُکَ فَاغْفِرْ لِی وَ أَدْعُوکَ فَاذْکُرْنِی وَ أَسْتَرْحِمُکَ فَارْحَمْنِی.

[१५]

परीक्षा की कहानी

इमाम सादिक़ (अ.स.) से सुनाई गई हदीस के आधार पर, ईश्वर ने अय्यूब को एक आशीर्वाद (नेमत) दिया और वह इसके लिए हमेशा उसका आभार व्यक्त (शुक्र अदा) करते थे। यहां कर कि एक दिन तक शैतान ने अय्यूब की कृतज्ञता को देखा और उससे ईर्ष्या की और कहा: भगवान, यदि आप अय्यूब से दुनिया छीन लेंगे, तो वह फिर आपका धन्यवाद नहीं करेंगें। इसलिए, परमेश्वर ने उसे अय्यूब की संपत्ति और बच्चों पर प्रभुत्व स्थापित कर दिया। कुछ ही समय में अय्यूब की संपत्ति और बच्चों को छिन लिया गया; परन्तु अय्यूब की कृतज्ञता (शुक्र) बढ़ती गई। फिर उनकी फसलें नष्ट हो गईं और भेड़ें मर गईं, फिर से उनका शुक्र बढ़ गया। फिर इबलीस ने अय्यूब के शरीर पर फूंका और उनके शरीर में बहुत से घाव हो गये और उनमें कीड़े पड़ गये। उनकी दुर्गन्ध के कारण उन्हे गाँव से निकाल दिया गया; परन्तु अय्यूब फिर भी परमेश्वर को धन्यवाद करते रहे। तब शैतान अय्यूब के कुछ साथियों समेत उनके पास गया और उनसे कहा, हमें संहेद हैं, कि जो विपत्ति आपने उठाई है, वह उस पाप के कारण है जो आपने किया है? अय्यूब ने शपथ खाई कि उन्होने कोई खाना नहीं खाया, मगर यह कि उनके कोई अनाथ या कमज़ोर व्यक्ति अवश्य रहा, और उन्होने कोई भी दो रास्ते नहीं चुने जो दोनों ईश्वर की आज्ञाकारिता वाले थे, मगर यह कि उन्होने वह रास्ता नहीं चुना जिसमें ईश्वर की आज्ञाकारिता अधिक कठिन थी। ... तब परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत भेजा जिसने अपना पैर ज़मीन पर मारा और पानी बह निकला और उसने उसमें अय्यूब को नहलाया और उसके घाव ठीक हो गए। [१६]

अल्लामा तबताबाई इस हदीस को अहले-बैत (अ) से वर्णित कुछ अन्य कथनों के साथ असंगत मानते हैं; [१७] इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) से रिवायत है कि अय्यूब के शरीर में कोई संक्रमण, कीड़े या चेहरे में बदसूरती पैदा नहीं हुई थी। बल्कि, लोगों द्वारा अय्यूब से दूरी पैदा करने का कारण उसके पास पैसे की कमी और शरीर की स्पष्ट कमजोरी थी; क्योंकि लोगों को परमेश्वर के साथ उनकी स्थिति के बारे में पता नहीं था, और वे नहीं जानते थे कि वह जल्द ही ठीक हो जाएगें। [१८] इसी तरह से, उल्लिखित कथन उन कथनों का खंडन करता है जिनके अनुसार अय्यूब और अन्य भविष्यवक्ता अचूक (मासूम) हैं; [१९] क्योंकि यह अचूकता की डिग्री में से एक है कि भविष्यवक्ताओं में ऐसा कुछ भी नहीं होता जो लोगों को उनसे दूर रहने का कारण बनता है; क्योंकि पैगंबरों से बचना उनके मिशन के उद्देश्य (लोगों तक पैग़म्बर ईश्वर का संदेश पहुंचाना) के खिलाफ़ है। [२०]

बाइबिल की रिपोर्ट

अय्यूब की पुस्तक प्राचीन ग्रंथों (अहदे अतीक़) की 39 पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक में, अय्यूब को ईश्वर का आशीर्वाद (नेमतों), [२१] उनके परीक्षण की कहानी, उनके जीवन और संपत्ति पर शैतान का नियंत्रण [२२] और इसी तरह से अय्यूब को ग़लती करने के लिए मनाने के लिए कई युवाओं के प्रयासों का भी उल्लेख किया गया है। [२३] कहा गया है कि अय्यूब के बारे में अहदे अतीक़ में जो उल्लेख किया गया है, वह क़ुरआन के विपरीत है, जो उन्हे धैर्यवान (साबिर) के रूप में पेश करता है, उसमें पीड़ाओं और कृतघ्नता के सामने उनकी अधीरता के बारे में बताया गया है। [२४] इसी तरह से, बाइबल में उनकी शपथ की कहानी का उल्लेख नहीं है। [२५]

अय्यूब की परीक्षा का दर्शन

अय्यूब की बीमारी और उनके बच्चों की हानि परमेश्वर की ओर से एक परीक्षा थी। सुन्नी टिप्पणीकारों में से एक, क़ुर्तुबी के अनुसार, अय्यूब की स्थिति परीक्षण से पहले, परीक्षण के दौरान और उसके बाद एक जैसी थी, और वह सभी स्थितियों में भगवान का आभार व्यक्त करते रहे। [२६] इसके अलावा, अल्लामा तबताबाई द्वारा उल्लेख की गई हदीसों के अनुसार, अय्यूब की यह दुर्दशा इसलिए हुई ताकि लोग उनके बारे में भगवान होने का दावा न कर दें और भगवान ने उन्हे जो आशीर्वाद दिया है, उसे देखकर लोग उन्हे भगवान न कहने लगें। साथ ही, उनकी इस स्थिति से सीख (इबरत) हासिल करें और कमज़ोरी, ग़रीबी और बीमारी के कारण कमज़ोरों, ग़रीबों और बीमारों का तिरस्कार नहीं करना चाहिये; क्योंकि परमेश्वर के लिये यह सम्भव है कि वह निर्बलों को बलवान, ग़रीबों को धनी, और बीमारों को चंगा कर दे; और वे यह भी जान लें कि परमेश्वर ही है, जिसे चाहता है, बीमार कर देता है, यद्यपि वह भविष्यद्वक्ता ही क्यों न हो, और जिसे चाहता है, चंगा कर देता है। [२७]

अय्यूब की शपथ

अपनी बीमारी के दौरान, अय्यूब ने क़सम खाई कि जब वह ठीक हो जाएगें, तो अपनी पत्नी को सौ कोड़े मारेगे; [२८] हालांकि, ठीक होने के बाद, उन्होने उसकी वफादारी और सेवाओं के कारण उसे माफ़ करने का फैसला किया, लेकिन उनकी शपथ एक बाधा बन गई। [२९] इसलिए, उन पर रहस्योद्घाटन (वहयी) हुआ कि वह पतली लकड़ियों का एक गुच्छा लें और उससे अपनी पत्नी को मारें और अपनी शपथ न तोड़ें। [३०]

अय्यूब की शपथ के कारण के बारे में टिप्पणीकारों में मतभेद है: पहली शताब्दी के टिप्पणीकार इब्न अब्बास से वर्णित है कि शैतान ने अय्यूब की पत्नी को दर्शन दिया और उससे कहा: मैं तुम्हारे पति को इस शर्त पर ठीक कर दूंगा कि ठीक होने के बाद वह कहें कि केवल मैं (शैतान) ही उनके ठीक होने का एकमात्र कारण था। अय्यूब की बीमारी से तंग हो चुकीं अय्यूब की पत्नी ने शैतान का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसलिए, अय्यूब ने उसे कोड़े मारने की शपथ खाई। [३१] दूसरों ने कहा है कि अय्यूब ने अपनी पत्नी को कुछ करने के लिए भेजा था और उसे देर हो गई थी। बीमारी से पीड़ित अय्यूब ने परेशान होकर ऐसी शपथ ली। [३२] ऐसी शपथ के कारण के बारे में कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि अय्यूब और उसकी पत्नी के बीच कोई समस्या हो गई थी [३३] और उसने अय्यूब को अपनी बात से नाराज़ कर दिया था। [३४]

एक हदीस के अनुसार, अय्यूब की शपथ की कहानी उनके ठीक होने के बाद से संबंधित है: जब अय्यूब बीमार थे और गांव से बाहर थे, तो उनकी पत्नी रोटी बनाने के लिए गांव गई थीं और रोटी के बदले में उन्होंने अपने बाल बेच दिए थे। जब वह अय्यूब के पास लौटी, तो वह अपनी बीमारी से उबर चुके थे और उन्होने देखा कि उनकी पत्नी के बाल कटे हुए हैं। इस कारण उन्होने उसे सौ कोड़े मारने की शपथ खाई; लेकिन जब उन्हें इसका कारण पता चला, तो उन्हें अपने फैसले पर पछतावा हुआ। [३५] बेशक, इस हदीस की वैधता पैग़म्बरों की अचूकता के बारे में शिया मान्यताओं के साथ विरोधाभास के कारण, [३६] अन्य हदीसों के साथ विरोधाभास के कारण, [३७] अय्यूब के पूर्वाग्रह (अपनी पत्नी पर संदेह करना)। और उनसे पूछने से पहले उनके लिए सज़ा का निर्धारण करना) और इस हदीस के एक कथावाचक की अज्ञातता (मजहूल होने) पर भी इसमें संदेह किया गया है। [३८]

कुछ सुन्नी टिप्पणीकारों ने अय्यूब की शपथ की कहानी से यह निष्कर्ष निकाला है कि एक आदमी अनुशासन के लिए अपनी पत्नी को पीट सकता है। [३९]

इस्मत

कुछ लोगों ने "واذْکُرْ عَبْدَنَا أَیُّوبَ إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُ أَنِّی مَسَّنِیَ الشَّیْطَانُ بِنُصْبٍ وَعَذَابٍ" आयत [४०] का हवाला देकर अय्यूब के अस्तित्व में शैतान के प्रभाव की ओर इशारा किया है और उनकी अचूकता (इस्मत) पर संदेह किया है। उनकी दलील यह है कि उल्लिखित श्लोक के अनुसार, अय्यूब शैतान के छूने से पीड़ित और अज़ाब का शिकार हो गये थे, और शैतान का प्रभाव अचूकता के साथ संगत नहीं है। [४१] उत्तर में, यह कहा गया है कि शैतान अय्यूब की आत्मा पर हावी नही हुआ था जिससे उनकी अचूकता पर कोई प्रभाव पड़ता बल्कि उसने उनके शरीर, संपत्ति और बच्चों पर असर डाला था; [४२] क्योंकि इस आयत के अनुसार, إِنَّ عِبَادِی لَیْسَ لَکَ عَلَیْهِمْ سُلْطَانٌ वास्तव में, तुम (शैतान) मेरे सेवकों पर हावी नहीं होते, [४३] शैतान भगवान के सेवकों पर हावी नहीं होता, और सूरह साद की आयत 41 के अनुसार, अय्यूब भगवान के सेवक थे। [४४]

तंज़ीह अल-अंबिया पुस्तक में, जो भविष्यवक्ताओं की अचूकता के बारे में लिखी गई है, उसमें अय्यूब की अचूकता पर भी चर्चा की गई है। [४५]

दफ़्न स्थान

बुखारा, उज़बेकिस्तान में अय्यूब (अ) का एक कथित दफ़न स्थल

हज़रत अय्यूब मृत सागर के दक्षिण-पश्चिम में और अक़बा की खाड़ी के उत्तर में ऊस क्षेत्र में या दमिश्क़ और अज़रेआत के बीच के क्षेत्र बसनिया में रहते थे। [४६] तुर्की के ओर्फ़ा में भी एक गुफा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि अय्यूब अपनी बीमारी के दौरान वहीं रहते थे। [४७]

कहा गया है कि हज़रत अय्यूब 200 वर्षों तक जीवित रहे [४८] प्राचीन ग्रंथ (अहदे अतीक़) के अनुसार, उनमें से 140 वर्ष उनकी बीमारी से ठीक होने के बाद के थे। [४९] इसके अलावा, हदीसों के आधार पर, वह सात [५०] या अठारह वर्षों तक पीड़ित रहे [५१] और उन्हें झरने के बगल में दफनाया गया जहां वह ठीक हुए थे। [५२] उनके दफ़्न स्थान के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है ; हालाँकि, इराक़, लेबनान, फ़िलिस्तीन और ओमान जैसे विभिन्न देशों में क़ब्रों का श्रेय उन्हें दिया जाता है। [५३] उनमें से, इराक़ में हिल्ला से दस किलोमीटर दक्षिण में अल-रांजिया क्षेत्र में एक क़ब्र है, जिसके बारे में कहा जाता है अय्यूब के निवास स्थान के निकट होने के कारण यह अधिक प्रसिद्ध है। [५४]

सलालह के बंदरगाह से सात किलोमीटर दूर, ओमान में माउंट एटिन की चोटी पर, ईरान में बुजनूर्द के पास गर्माब गांव में और उज्बेकिस्तान के बुख़ारा में भी उनकी क़ब्रें मौजूद हैं। [५५] बेशक, यह संभावना दी गई है कि बुख़ारा में जिस क़ब्र का श्रेय उन्हें दिया जाता है वह तैमूरी शासन और तैमुर लंग के कार्यों में से एक है। [५६]

कलाकृति

मुख्य लेख: पैग़म्बर अय्यूब (फिल्म)

हज़रत अय्यूब की कहानी कला के कार्यों में परिलक्षित की गई है। फ़रजुल्लाह सलहशूर द्वारा निर्देशित फिल्म अय्यूब पैग़म्बर, जो 1372 शम्सी में निर्मित हुई थी और ईरानी टीवी पर प्रसारित हुई थी, अय्यूब के जीवन और उनकी बीमारी के बारे में है। [५७]

फ़ुटनोट

  1. सूरह निसा, आयत 163.
  2. सूरह अनआम, आयत 84.
  3. इब्न हबीब, अल-मुहब्बर, दार आफाक़ अल-जदीदह, पृष्ठ 5।
  4. मजलेसी, हयात अल-क़ुलूब, 2004, खंड 1, पृष्ठ 555; सालबी, अल-कश्फ़ वल-बयान, 1422 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 287।
  5. मजलेसी, हयात अल-क़ुलूब, 2004, खंड 1, पृष्ठ 555; सालबी, अल-कश्फ़ वल-बयान, 1422 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 287।
  6. तबताबाई, अल-मिज़ान, इस्माइलियान प्रकाशन, खंड 17, पृष्ठ 214; मजलिसी, हयात अल-क़ुलूब, 2004, खंड 1, पृष्ठ 555
  7. क़ुम्मी, तफ़सीर अल-क़ुम्मी, 1404 एएच, खंड 2, पृ. 242-239
  8. मजलिसी, हयात अल-क़ुलूब, 2004, खंड 1, पृष्ठ 555।
  9. तबरी, तारिख़ अल-उम्म और अल-मुलूक, 1387 एएच, खंड 1, पृष्ठ 325।
  10. सूरह साद, आयत 44.
  11. सूरह अंबिया, आयत 84
  12. उदाहरण के लिए, कोमी, तफ़सीर अल-क़ुम्मी, 1404 एएच, खंड 2, पृ. 242-239 देखें।
  13. जज़ायेरी, क़सस अल अंबिया, 1404 एएच, पृष्ठ 198।
  14. सूरह साद, आयत 41-44; तबताबाई, अल-मिज़ान, 1417 एएच, खंड 17, पृ. 210-211।
  15. कफ़अमी, अल-मस्बाह (जन्नाह अल अमान अल-वाक़ियह), 1405 एएच, पेज 296-297।
  16. क़ुम्मी, तफ़सीर अल-क़ुम्मी, 1404 एएच, खंड 2, पृष्ठ 242-239; मजलिसी, हयात अल-क़ुलूब, 2004, खंड 1, पृ. 559-565।
  17. तबताबाई, अल-मिज़ान, 1417 एएच, खंड 17, पृष्ठ 214-217।
  18. सदूक़, अल-ख़ेसाल, 1362, खंड 2, पृ. 399-400।
  19. तबताबाई, अल-मिज़ान, 1417 एएच, खंड 17, पृष्ठ 214-217।
  20. अबुल-फ़ुतूह रज़ी, रौज़ अल-जेनान, 1408 एएच, खंड 13, पृष्ठ 213; सुबहानी, मंशूरे अक़ायदे इमामिया, इमाम अल-सादिक़ फाउंडेशन, पृष्ठ 114।
  21. बाइबिल, अय्यूब, 1:1-6
  22. बाइबिल, अय्यूब, 1-2.
  23. बाइबिल, अय्यूब, 3-27
  24. कलबासी, "सूरह साद की आयत 44 की व्याख्या और अय्यूब द्वारा अपनी पत्नी को कोड़े मारने पर टिप्पणीकारों की राय की आलोचना", पृष्ठ 120।
  25. कलबासी, "सूरह साद की आयत 44 की व्याख्या और अय्यूब द्वारा अपनी पत्नी को कोड़े मारने पर टिप्पणीकारों की राय की आलोचना", पृष्ठ 120।
  26. क़ुरतुबी, अल-जामे लहकम अल-कुरान, 1364, खंड 16, पृष्ठ 216।
  27. तबताबाई, अल-मिज़ान, 1417 एएच, खंड 17, पृष्ठ 214-217।
  28. तबताबाई, अल-मिज़ान, 1417 एएच, खंड 17, पृष्ठ 210।
  29. मकारिम, तफ़सीर नमूना, 1374, खंड 19, पृष्ठ 299।
  30. सूरह साद, आयत 44; तबताबाई, अल-मिज़ान, 1417 एएच, खंड 17, पृष्ठ 210।
  31. मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर अल-नमूना, 1374, खंड 19, पृष्ठ 299; जज़ायेरी, क़सस अल-अंबिया, 1404 एएच, पृष्ठ 198।
  32. मकारेम शिराज़ी, तफ़सीर अल-नमूना, 1374, खंड 19, पृष्ठ 299 को देखें।
  33. मुग़नीया, तफ़सीर अल-काशिफ़, 1424 एएच, खंड 6, पृष्ठ 382।
  34. तबरसी, मजमा अल-बयान, 1372, खंड 8, पृष्ठ 746।
  35. क़ुम्मी, तफ़सीर अल-क़ुम्मी, 1404 एएच, खंड 2, पृ. 242-239; मजलेसी, हयात अल-क़ुलूब, 2004, खंड 1, पृ. 5565-559।
  36. अबुल-फतुह राज़ी, रौज़ अल-जेनान, 1408 एएच, खंड 13, पृष्ठ 213; सुबहानी, मंशूरे अक़ायदे इमामीया, इमाम अल-सादिक़ फाउंडेशन, पृष्ठ 114।
  37. तबताबाई, अल-मिज़ान, 1417 एएच, खंड 17, पृष्ठ 214-217।
  38. कलबासी, "सूरह साद की आयत 44 की व्याख्या और अय्यूब द्वारा अपनी पत्नी को कोड़े मारने पर टिप्पणीकारों की राय की आलोचना", पृष्ठ 117।
  39. जसास, अहकाम अल-कुरान, 1405 एएच, खंड 5, पृष्ठ 260।
  40. सूरह साद, आयत 41.
  41. देखें नासरी, मबानी ए रिसालते अंबिया दर क़ुरआन 2008, पृष्ठ 261-260।
  42. तबताबाई, अल-मिज़ान, खंड 17, पृष्ठ 209।
  43. सूरह इसरा, आयत 65.
  44. नासरी, मबानी ए रिसालते अंबिया दर क़ुरआन 2008, पृष्ठ 261-260।
  45. सैयद मोर्तेज़ा, तन्ज़िह अल-अंबिया, 1250 एएच, पेज 59-64।
  46. शौक़ी, क़ुरआन एटलस, 2008, पृष्ठ 109।
  47. बी आज़ार शिराज़ी, क़ुरआन की कहानियों का पुरातत्व और ऐतिहासिक भूगोल, 2006, पृष्ठ 350।
  48. इब्न हबीब, अल-मुहब्बर, दार आफाक़ अल-जदीदह, पृष्ठ 5।
  49. बाइबिल, अय्यूब 1:42.
  50. जज़ायेरी, क़सस अल अंबिया, 1404 एएच, पृष्ठ 198 और 200।
  51. बहरानी, ​​अल-बुरहान, 1416 एएच, खंड 4, पृष्ठ 672; जज़ायेरी, क़सस अल अंबिया, 1404 एएच, पृष्ठ 207।
  52. बहरानी, ​​अल-बुरहान, 1416 एएच, खंड 4, पृष्ठ 675।
  53. नबीउल्लाह अय्यूब (अ) का तीर्थस्थल, हिल्ला हेरिटेज सेंटर।
  54. रामिन नेजाद, मज़ारे पैगंबरान, 2007, पृष्ठ 59-63।
  55. रामिन नेजाद, मज़ारे पैगंबरान, 2007, पृष्ठ 59-63।
  56. रामिन नेजाद, मज़ारे पैगंबरान, 2007, पृष्ठ 59-63।
  57. ख़ुलासा दास्तान फिल्म अय्यूब पैग़म्बर, ईरानी सिनेमा का व्यापक सूचना बैंक।

नोट

  • अल्लामा तबताबाई ने ज़ुर्रियतहु की ज़मीर (सर्वनाम) नूह की तरफ़ में लौटाई है। निःसंदेह, यह कथन इस तथ्य का खंडन नहीं करता है कि अय्यूब इब्राहीम (अ) के वंशज हों (तबताबाई, अल-मिज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 242)।

स्रोत

  • पवित्र क़ुरआन।
  • पवित्र किताब।
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