आज़र

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आज़र
निवास स्थानसवाद में कूसी गाँव (कूफ़ा)
धर्ममूर्तिपूजक (बुतपरस्त)
प्रसिद्धि(इब्राहीम (अ) के पिता या अभिभावक) लेकिन हक़िक़त मे आज़र, नमरूद का ज्योतिषी था


आज़र (अरबी: آزر) ऐसा नाम, पवित्र क़ुरआन में जिसका उल्लेख इब्राहीम (अ) के पिता या अभिभावक (सरपरस्त) के रुप में किया गया है। कुरआन ने इस मामले में "अब" शब्द का उपयोग किया है। शिया टिप्पणीकारों और विद्वानों का मानना है कि चूंकि पैग़म्बर (स) की एक हदीस के अनुसार, पैग़म्बर के पूर्वजों में से कोई भी हज़रत आदम तक, बहुदेववादी नहीं होना चाहिए, तो आज़र, जो एक बहुदेववादी था, पैग़म्बर इब्राहीम का पिता नहीं हो सकता है, और इसीलिए आयत में "अब" का अर्थ पिता के अलावा कुछ और जैसे चाचा या नाना है।

इमाम सादिक़ (अ) की हदीस के अनुसार, आज़र, नमरूद का ज्योतिषी था और उसने भविष्यवाणी की थी कि एक बच्चा पैदा होगा जो लोगों को दूसरे धर्म की ओर बुलाएगा। तदनुसार, नमरूद ने पुरुषों और महिलाओं को एक दूसरे से अलग करने और बच्चों की हत्या करने का आदेश दिया। आज़र का नमरूद के चचेरे भाई के रूप में भी परिचय दिया गया है।

चरित्र पहचान

आज़र, सवाद (वर्तमान कूफ़ा) के कूसी गाँव का निवासी था।[१] और नमरूद का चचेरा भाई था।[२] इमाम सादिक़ (अ) की एक हदीस के अनुसार, आज़र नमरूद का ज्योतिषी था[३] और पैग़म्बर इब्राहीम (अ) के जन्म से पहले (अ) भविष्यवाणी की थी कि एक व्यक्ति का जन्म होगा जो लोगों को दूसरे धर्म की ओर बुलाएगा; तदनुसार, नमरूद ने पुरुषों और महिलाओं को एक दूसरे से अलग करने और बच्चों की हत्या करने का आदेश दिया।[४] आज़र को मूर्तिपूजक भी माना गया है।[५]

इब्राहीम के पिता या चाचा

सूर ए अन्आम की आयत 74 में कहा गया है: وَإِذْ قَالَ إِبْرَاهِيمُ لِأَبِيهِ آزَرَ أَتَتَّخِذُ أَصْنَامًا آلِهَةً إِنِّي أَرَاكَ وَقَوْمَكَ فِي ضَلَالٍ مُّبِينٍ और इब्राहीम ने अपने पिता आज़र से कहा, क्या तुम अपनी मूर्ति को परमेश्वर समझते हो? मैं तुम्हें और तुम्हारे लोगों को स्पष्ट रूप से गुमराही में देखता हूँ।

फ़ख़्रे राज़ी सहित क़ुरआन के कुछ टिप्पणीकारों ने इस आयत के आधार पर आज़र को इब्राहीम का पिता माना है।[६] हालाँकि, नासिर मकारिम शिराज़ी द्वारा लिखित तफ़सीरे नमूना के अनुसार, सभी शिया टिप्पणीकार और विद्वान मानते हैं कि आज़र इब्राहीम का पिता नहीं था।[७]

शेख़ तूसी (मृत्यु 460 हिजरी) ने आज़र को इब्राहीम (अ) का चाचा या नाना माना है और अबू इस्हाक़ ज़ोजाज से वर्णन करते हैं कि वंशावली विशेषज्ञ का मानना है कि इब्राहीम के पिता का नाम तारुख़ था और इस बात में मतभेद नहीं है।[८] उन्होंने पैग़म्बर (स) द्वारा वर्णित एक हदीस का भी उल्लेख किया है जिसके अनुसार पैग़म्बर के पूर्वजों में से कोई भी हज़रत आदम तक बहुदेववादी नहीं था।[९] जबकि आज़र एक मूर्तिपूजक था और इसलिए यह संभव नहीं है कि वह पैग़म्बर इब्राहीम (अ) का पिता हो।[१०]

समकालीन दार्शनिक और टिप्पणीकार, अल्लामा तबातबाई, साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए मानते हैं कि अरबी में, "अब" का अर्थ ऐसा व्यक्ति है जो किसी व्यक्ति के मामलों का प्रभारी है; इसीलिए, पिता, चाचा, दादा, नाना, ससुर और यहां तक कि जनजाति के मुखिया और बुज़ुर्ग को "अब" कहा जाता है।[११] यहूदियों की पवित्र पुस्तक तौरेत में, पैग़म्बर इब्राहीम (अ) के पिता का नाम तारुख़ बताया गया है।[१२] नीतिशास्त्र के कुछ विद्वानों ने एक हदीस को मक़्तूअ हदीस (ऐसी हदीस जिसके कुछ वर्णनकर्ता अज्ञात हों या मासूम से उनका संबंध ज्ञात न हो) के रूप में भी वर्णित किया है, जिसकी सामग्री यह है कि पिता तीन प्रकार के होते हैं। पिता जो किसी व्यक्ति के जन्म का कारण बनता है, और पिता जो एक व्यक्ति को पत्नी देता है (पत्नी का पिता) और एक पिता जो उसकी शिक्षा के लिए ज़िम्मेदार होता है (शिक्षक)।[१३]

इसके अलावा, अल्लामा तबातबाई और मकारिम शिराज़ी सहित कुछ टिप्पणीकारों ने सूर ए तौबा की आयत 114 में अपने "अब" के लिए इस्तिग़फ़ार से इनकार कर देना[१४] और दूसरी ओर, सूर ए इब्राहीम[१५] की आयत 41 में अपने "वालिद" के लिए पापों की क्षमा का अनुरोध करना, से यह निष्कर्ष निकाला है कि इब्राहीम के पिता आज़र के अलावा कोई और थे और उल्लिखित आयत में "अब" का अर्थ चाचा या नाना है।[१६]

इब्राहीम की आज़र के लिए क्षमा याचना

सूर ए मरियम[१७] की आयत 48 के अनुसार, पैग़म्बर इब्राहीम (अ) ने आज़र के लिए पापों की क्षमा मांगी;[१८] लेकिन सूर ए तौबा की आयत 113[१९] मुसलमानों को बहुदेववादियों के लिए इस्तिग़फ़ार करने के खिलाफ़ चेतावनी देती है। इस मामले में होने वाले मानसिक संघर्ष को हल करने के लिए, कुरआन सूरह की अगली आयत में कहता है:

इब्राहीम का अपने पिता के लिए क्षमा माँगना केवल उस वादे के कारण था जो उन्होंने उससे किया था, और जब उन्हें यह स्पष्ट हो गया कि वह ईश्वर का दुश्मन है, तो वह उससे अलग हो गए।[२०]

फ़ुटनोट

  1. तबरी, जामेअ अल-बयान, 1412 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 159।
  2. बलअमी, तारीखनामे तबरी, 1378 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 882।
  3. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 8, पृ. 366 और 367; क़ुमी, तफ़सीर अल-क़ुमी, 1367 शम्सी, खंड 1, पृ. 206 और 207।
  4. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 8, पृ. 366 और 367; क़ुमी, तफ़सीर अल-क़ुमी, 1367 शम्सी, खंड 1, पृ. 206 और 207।
  5. शेख़ तूसी, अल-तिबयान, बेरूत, खंड 4, पृष्ठ 175; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1374 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 303-307।
  6. मुस्तफ़वी, अल तहक़ीक फ़ी कलेमात अल-कुरआन अल-करीम, 1360 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 76; फ़ख़्रे राज़ी, मफ़ातीह अल-ग़ैब, 1420 हिजरी, खंड 13, पृष्ठ 31।
  7. मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1374 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 303।
  8. शेख़ तूसी, अल-तिबयान, बेरूत, खंड 4, पृष्ठ 175-176।
  9. शेख़ तूसी, अल-तिबयान, बेरूत, खंड 4, पृष्ठ 175।
  10. शेख तूसी, अल-तिबयान, बेरूत, खंड 4, पृष्ठ 175: यह भी देखें: मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1374 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 303-307।
  11. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 164-165।
  12. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 162; तौरेत, सेफ़र अफ़रीनिश, 11:26।
  13. नराक़ी, मुल्लामहदी, जामेअ अल सआदात, खंड 37, पृष्ठ 141।
  14. وَمَا كَانَ اسْتِغْفَارُ إِبْرَاهِيمَ لِأَبِيهِ إِلَّا عَن مَّوْعِدَةٍ وَعَدَهَا إِيَّاهُ فَلَمَّا تَبَيَّنَ لَهُ أَنَّهُ عَدُوٌّ لِّلَّـهِ تَبَرَّأَ مِنْهُ ۚ إِنَّ إِبْرَاهِيمَ لَأَوَّاهٌ حَلِيمٌ "इब्राहीम का अपने पिता के लिए इस्तिग़फ़ार करना केवल उनके द्वारा किये गए वादे के कारण था। और जब उन्हें यह मालूम हो गया कि उनका पिता परमेश्वर का दुश्मन है, तब वह उससे अलग हो गए। क्योंकि इब्राहीम बहुत ईश्वरवादी और सहनशील थे।"
  15. رَبَّنَا اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ الْحِسَابُ हे परमेश्वर, क़यामत के दिन मुझे और मेरे माता-पिता और सभी विश्वासियों को माफ़ कर दे।
  16. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृ. 164-165; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1374 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 304-305।
  17. قَالَ سَلَامٌ عَلَيْكَ ۖ سَأَسْتَغْفِرُ لَكَ رَبِّي ۖ إِنَّهُ كَانَ بِي حَفِيًّا उन्होंने कहा: सलाम अलैकुम. मैं अपने प्रभु से तुम्हारे लिए क्षमा माँगूँगा। क्योंकि वह मुझ पर दयालु है।”
  18. मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1374 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 304।
  19. مَا كَانَ لِلنَّبِيِّ وَالَّذِينَ آمَنُوا أَن يَسْتَغْفِرُوا لِلْمُشْرِكِينَ وَلَوْ كَانُوا أُولِي قُرْبَىٰ مِن بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمْ أَنَّهُمْ أَصْحَابُ الْجَحِيمِ पैग़म्बर और जो लोग ईमान लाए हैं उन्हें बहुदेववादियों के लिए माफ़ी नहीं मांगनी चाहिए, भले ही वे रिश्तेदार ही क्यों न हों, यह जानते हुए कि वे नरक में जाएंगे।
  20. सूर ए तौबा, आयत 114।


स्रोत

  • अंसारी, ख्वाजा अब्दुल्लाह, मुनाजातनामे, मोहम्मद हमासियान द्वारा सुधार, किरमान, इंतेशारात ख़िदमाते फ़र्हंगी किरमान, 1382 शम्सी।
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  • तबातबाई, सय्यद मोहम्मद हुसैन, अल-मीज़ान फ़ी तफ़सीर अल-कुरआन, क़ुम, दफ़्तरे नशरे इस्लामी जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ ए इल्मिया क़ुम से सम्बंधित, , पाँचवाँ संस्करण, 1417 हिजरी।
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