अरिम की बाढ़

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अरिम की बाढ़ (अरबीःسیل العَرِم) एक बड़ी बाढ़ थी जो यमन में सबा के लोगों पर दैवीय दंड (अज़ाबे इलाही) के रूप में आई थी। सूर ए सबा की आयत न 16 इस कहानी को संदर्भित करती है, जिसके अनुसार, जब ईश्वर ने मारिब, वर्तमान सन्आ में लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए पैग़म्बर भेजे, और लोगों ने पैगंबरों को ठुकरा दिया, तो अरिम बांध टूट गया और पानी ने शहर को चारो ओर से घेर लिया बाढ़ के कारण शहर के पूर्व और पश्चिम में दो अबाद बाग़ नमक के दलदल में बदल गए।

यमन के मारिब शहर में अरिम बाढ़ का प्रभाव।

प्राच्यविदों और पुरातत्वविदों के शोध के अनुसार, अरिम बाढ़ यमन में वर्तमान सन्आ के उत्तर-पूर्व में हुई थी। उल्लिखित घटना का समय 532 ई. है।

अरिम की बाढ़ की दास्तान

अरिम की बाढ़, एक बड़ी बाढ़ जो यमन के मारिब शहर में बांध के टूटने के कारण आई, और जिसके कारण शहर, बाग और खेत नष्ट हो गए।[१] तीसरी शताब्दी हिजरी के इतिहासकारों इब्न कुतैबा दैनूरी और अली इब्न हुसैन मसऊदी का मानना है कि सबा कौम के लोग इस शहर में रहते थे।[२] मसऊदी के अनुसार, सबा की धरती में सुंदर बगीचे और बस्तियां थीं और कई नेमते थी और ये नेमते बांध के पानी के उपयोग के कारण थी।[३]

कुछ शोधों और ऐतिहासिक रिपोर्टों के अनुसार, अरिम की बाढ़ 447 से 450 ई में, या इस्लाम के आगमन से 400 साल पहले, या छठी शताब्दी ई में हुई थी।[४] इसके अलावा, कुछ ऐतिहासिक स्रोतों ने कहा है कि शहर के लोग बाढ़ से पहले तितर-बितर हो गए और इराक, सीरिया और यस्रब की ओर चले गए।[५]

जैसा कि मसउदी ने मुरूज उज़-ज़हब में कहा, अरिम बांध का क्षेत्रफल लगभग 22 वर्ग किलोमीटर था।[६] उपरोक्त बांध को मारिब या अरिम बांध के नाम से जाना जाता था।[७] इस बांध के निर्माण का श्रेय मसऊदी ने लुकमान बिन आद बिन आद को दिया है[८], लेकिन अबुल फ़ुतूह राज़ी द्वारा सुनाई गई रिपोर्ट के अनुसार, इसे सबा की रानी ने बनवाया था।[९]

अरिम शब्द के अर्थ के बारे में विभिन्न संभावनाएँ व्यक्त की गई हैं; उदाहरण के लिए, अरिम उस बाढ़ का नाम था जिसने शहर को नष्ट कर दिया था,[१०] या भारी बारिश के कारण बाढ़ आई थी,[११] या सबा के लोगों द्वारा बनाए गए बांध का नाम था[१२] इसके अलावा, अरिम एक चूहे का नाम है जिसने विनाश किया था।[१३] एक अन्य संभावना में, अरिम उस लाल पानी का नाम है जो सबा के लोगों के लिए एक दैवीय दंड (अज़ाबे इलाही) के रूप में आया था।[१४]

क़ुरआन का इशारा

पवित्र क़ुरआन में सूर ए सबा की आयत न 16 में अरिम की बाढ़ का उल्लेख है। आयत का पाठ इस प्रकार है:

अनुवादः सबा के लोगों के लिए, उनके निवास स्थान में [भगवान की शक्ति और दया का] एक संकेत था: दाईं ओर और बाईं ओर दो बगीचे। [हमने उनसे कहा:] "अपने रब की जीविका में से खाओ और उसके प्रति आभारी रहो।" एक शुद्ध शहर और एक क्षमाशील भगवान।" (15) तो वे (परमेश्वर से) विमुख हो गये। और हमने उन पर अरिम की बाढ़ भेजी, और हमने उनके दो बागों को दो बागों में बदल दिया, जिनमें कड़वे फल और कुछ बेरी के पेड़ लगे। (16) मुस्लिम टिप्पणीकारों ने सूर ए सबा की आयत न 16 की व्याख्या में अरिम की बाढ़ की कहानी की व्याख्या और वर्णन किया है,[१५] छठी शताब्दी हिजरी में शिया टिप्पणीकार अबुल फ़ुतूह राज़ी की व्याख्या के अनुसार सबा के लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए 13 नबियों को भेजा और लोगों ने उनके पैग़म्बरो को अस्वीकार कर दिया और उन्होंने शहर की समृद्धि और आशीर्वाद को अपनी श्रेष्ठता का परिणाम माना[१६] अरिम की बाढ़ का कारण लोगों का आशीर्वाद और कृतघ्नता में अविश्वास था।[१७] अबुल फुतूह राज़ी और मकारिम शिराज़ी ने अरिम बांध को नष्ट करने के लिए एक चूहे को भगवान का एजेंट माना है[१८] तदनुसार, बाढ़ के कारण वे दो बाग़ जो उस समय तक शहर के दोनों किनारों पर स्थित थे, दो बर्बाद उद्यान और नमक की दलदल बन गए।[१९] काफ़ी और मीरात उल-उक़ूल जैसी हदीसी पुस्तकों में, अरिम की बाढ़ की कहानी और उसका कारण बताया गया है।[२०]

पुरातत्वविदों का शोध

19वीं शताब्दी में कुछ प्राच्यविदों और पुरातत्वविदों के शोध के अनुसार, अरिम बाढ़ सन्आ के वर्तमान शहर के उत्तर-पूर्व में हुई थी, जो मारिब के समान थी।[२१] उल्लिखित शोधकर्ताओं के अनुसार, अरिम बांध समुद्र से 1160 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया था और अपने समय की सबसे उन्नत इंजीनियरिंग तकनीकों के आधार पर 447 से 450 ई तक इस पर बाढ़ का हमला हुआ था और लोगों ने इसे बहाल करने की कोशिश की थी। लेकिन अंततः इसे 532 ई. में नष्ट कर दिया गया।[२२] बांध स्थल के पास, सबा के लोगों के इतिहास और अरिम की बाढ़ के बारे में कई शिलालेख, रूपांकन और रेखाएं खोजी गई हैं।[२३] सय्यद सद्रुद्दीन बलाग़ी ने अपनी पुस्तक क़िसस क़ुरआन मे अरिम की बाढ़ के स्थान पर प्राच्यविदों और पुरातत्वविदों की उपस्थिति का विवरण प्रस्तुत किया है।[२४]

फ़ुटनोट

  1. दैनूरी, अखबारुत तुवाल, 1368 शम्सी, पेज 17 मस्ऊदी, मुरूज उज ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 161
  2. दैनूरी, अखबारुत तुवाल, 1368 शम्सी, पेज 17 मस्ऊदी, मुरूज उज ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 161
  3. मस्ऊदी, मुरूज उज ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 162
  4. जाफ़रयान, नुफ़ूज इस्लाम दर यस्रब, पेज 95; बीआज़ार शिराज़ी, बास्तान शनासी व जुगराफ़याई तारीखी केसस क़ुरआन, 1380 शम्सी, पेज 333
  5. मिन्हाज सिराज, तबक़ाते नासेरी, 1363 शम्सी, भाग 1, पेज 182
  6. मस्ऊदी, मुरूज उज ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 161
  7. अबुल फ़ुतूह राजी, रौज़ उल-जिनान, 1408 हिजरी, भाग 16, पेज 60; तबरेसी, मज्मा उल-बयान, 1406 हिजरी, भाग 8, पेज 606
  8. मस्ऊदी, मुरूज उज ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 161
  9. अबुल फ़ुतूह राजी, रौज़ उल-जिनान, 1408 हिजरी, भाग 16, पेज 61
  10. अबुल फ़ुतूह राजी, रौज़ उल-जिनान, 1408 हिजरी, भाग 17, पेज 60
  11. अबुल फ़ुतूह राजी, रौज़ उल-जिनान, 1408 हिजरी, भाग 16, पेज 60
  12. अबुल फ़ुतूह राजी, रौज़ उल-जिनान, 1408 हिजरी, भाग 16, पेज 60
  13. अबुल फ़ुतूह राजी, रौज़ उल-जिनान, 1408 हिजरी, भाग 16, पेज 60
  14. बलाग़ी, हुज्जतुत तफासीर, 1386 शम्सी, भाग 1, पेज 146
  15. तबरेसी, जामे उल-बयान, 1412 हिजरी, भाग 2, पेज 53-59; सीवती, अल दुर्र उल-मंसूर, 1404 हिजरी, भाग 5, पेज 331-333; तबातबाई, अल-मीज़ान, 1390 हिजरी, भाग 16, पेज 262-368
  16. अबुल फ़ुतूह राजी, रौज़ उल-जिनान, 1408 हिजरी, भाग 16, पेज 60
  17. तबातबाई, अल-मीज़ान, 1390 हिजरी, भाग 16, पेज 362-368; मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 18, पेज 68
  18. अबुल फ़ुतूह राजी, रौज़ उल-जिनान, 1408 हिजरी, भाग 16, पेज 60; मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 18, पेज 68
  19. मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 18, पेज 68
  20. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 274; मजलिसी, मिरात उल-उकूल, 1404 हिजरी, भाग 9, पेज 422-424
  21. मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 18, पेज 69; बीआज़ार शिराज़ी, बास्तान शनासी व जुग़राफ़याई तारीखी क़िसस क़ुरआन, 1380 शम्सी, पेज 331-333; बलाग़ी, केसस कुरआन, 1381 शम्सी, पेज 379
  22. बीआज़ार शिराज़ी, बास्तान शनासी व जुग़राफ़याई तारीखी क़िसस क़ुरआन, 1380 शम्सी, पेज 331-333
  23. बीआज़ार शिराज़ी, बास्तान शनासी व जुग़राफ़याई तारीखी क़िसस क़ुरआन, 1380 शम्सी, पेज 331-333 मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 18, पेज 69
  24. बलाग़ी, किसस क़ुरआन, 1381 शम्सी, पेज 379


स्रोत

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  • अबुल फ़ुतूह राज़ी, हुसैन बिन अली, रौज़ उल-जिनान व रूहुल जिनान फ़ी तफसीर अल-क़ुरआन, मशहद, आसताने कुद्स रज़वी, पहला संस्करण 1408 हिजरी
  • बलागी, अब्दुल हुज्जत, हुज्जतुत तफासीर व बलागिल अकसीर, क़ुम, हिकमत, पहला संस्करण 1386 शम्सी
  • बलागी, सद्रुद्दीन, क़िसस क़ुरआन, तेहरान, अमीर कबीर, 1381 शम्सी
  • बीआज़ार शिराज़ी, अब्दुल करीम, बास्तान शनासी व जुग़राफ़राई तारीख किसस क़ुरआन, तेहरान, दफतर नशर फ़रहंग इस्लामी, तीसरा संस्करण 1380 शम्सी
  • जाफ़रयान, रसूल, नुफ़ूद इस्लाम दर यस्रब, मजल्ले मीक़ात हज, नुमायंदगी वली फ़क़ीह दर उमूर हज व ज़ियारात, ज़मिस्तान 1372 शम्सी
  • दैनूरी, अबू हनीफ़ा, अल अखबार अल तुवाल, क़ुम, मंशूरात अल रज़ी, 1368 शम्सी
  • सीवती, अब्दुर रहमान, अल दुर्र उल मंसूर फ़ी अल-तफसीर बिल मासूर, क़ुम, किताब खाना मरअशी नजफ़ी, 1404 हिजरी
  • तबातबाई, मुहम्द हुसैन, अल-मीज़ान फ़ी तफसीर अल-कुरआन, बैरूत, मोअस्सेसा अल-आलमी लिल मतबूआत, दूसरा संस्करण, 1390 शम्सी
  • तबरेसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मज्मा उल बयान फ़ी तफसीर अल-क़ुरआन, संशोधन व शोधः सय्यद हाशिम रसूली महल्लाती व सय्यद फ़ज्लुल्लाह यज़्दी तबातबाई, बैरूत, दार अल-मारफ़ा, 1406 हिजरी
  • तबरि, मुहम्मद बिन जुरैर, जामे उल-बयान फ़ी तफसीर अल-क़ुरआन, बैरूत, दार अल-फिक्र, 1412 हिजरी
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, तेहरान, दार उल-कुतुब अल-इस्लामीया, 1407 हिजरी
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, तफसीर नमूना, तेहरान, दार उल-कुतुब अल-इस्लामीया, दसवां संस्करण, 1371 शम्सी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, मिरात उल-उक़ूल फ़ी शरह अखबार आले रसूल, तेहरान, दार उल-कुतुब अल-इस्लामीया, 1404 हिजरी
  • मसऊदी, अली बिन हुसैन, मुरूज उज़-ज़हब, क़ुम, दार उल-हिजरा, दूसरा संस्करण 1409 हिजरी
  • मिन्हाज सिराज, अबू उमर, तबक़ाते नासेरी, शोधः अब्दुल हई हबीबी, तेहरान, दुनिया किताब, 1363 शम्सी