मल्का ए सबा

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मल्का ए सबा (अरबीः ملكة سبأ) क़ुरआन और अहदैन में वर्णित एकमात्र महिला शासक है। मल्का ए सबा का नाम बिल्क़ीस बताया जाता है। वह सबा क्षेत्र (वर्तमान यमन) के राज्य की रानी थी, मूल रूप से सूर्य उपासक थी; लेकिन हज़रत सुलैमान से मिलने के बाद ईमान लाकर एकेश्वरवादी बन गई। आज, कुछ शोधकर्ताओं ने मल्का ए सबा के प्रबंधन के लिए क़ुरआन के सकारात्मक दृष्टिकोण पर विचार करते हुए, समाज में महिलाओं की भूमिका और सक्रिय उपस्थिति के बारे में तर्क दिया है।

सबा के लोगों और उनकी रानी के बारे में हज़रत सुलैमान की जागरूकता की कहानी, पलक झपकने से कम समय मे मल्का ए सबा का सिंहासन हज़रत सुलैमान तक हस्तांतरित होना और मल्का ए सबा की उनके महल में उपस्थिति की कहानी क़ुरआन की कहानियों मे से एक है। क़ुरआन और अहदे अतीक़ में मल्का ए सबा और हज़रत सुलैमान की मुलाकात की रिपोर्ट कुछ मामलों में आम है; लेकिन मुस्लिम शोधकर्ताओं के अनुसार, इन दोनों रिपोर्टों के बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण यह है कि क़ुरआन रिपोर्ट में एक निर्देशित दृष्टिकोण है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि मल्का ए सबा की कहानी को इस्राईलीयात (मन गढ़त) पर भरोसा करते हुए इस्लामी स्रोतों में विस्तृत किया गया है।

अरबी और फ़ारसी साहित्य में मल्का ए सबा का अधिक उल्लेख मिलता है। कविताओं में मल्का ए सबा का उल्लेख ज्ञान, तर्क और धन के प्रतीक के रूप में किया गया है। मल्का ए सबा के विषय पर विभिन्न पुस्तकें लिखी गई हैं, उनमें अल-मल्का बिलक़ीस; अल-तारिख वल उस्तूरा व अल-रमज़ बिलक़ीस इब्राहीम अल-हजरानी द्वारा लिखित हैं।

महत्त्व

मल्का ए सबा सबा क्षेत्र की रानी थी, और पैगंबर सुलैमान के साथ उसकी मुलाकात की कहानी का उल्लेख क़ुरआन, सूर ए नमल[१] और किताबे मुक़द्दस में भी किया गया है।[२] मल्का ए सबा क़ुरआन में उल्लिखित विशेष योग्यताओं वाली एकमात्र महिला शासक है।[३] उन्हें सबसे बुद्धिमान महिलाओं में से एक माना जाता है।[४] क़ुरआन में मल्का ए सबा की कहानी के अनुसार, जांच के लिए लेख लिखे गए हैं महिलाओं के प्रबंधन के बारे में क़ुरआन का दृष्टिकोण और समाज में महिलाओं की भूमिका और सक्रिय उपस्थिति को साबित करना है।[५] ऐसा कहा जाता है कि ईरान के इस्लामी गणराज्य के संविधान के प्रारूपण के दौरान, कुछ सदस्यों ने क़ुरआन में महिलाओं की प्रबंधकीय स्थिति को व्यक्त करने के लिए मल्का ए सबा की कहानी पर तर्क दिया है।[६] शोध के अनुसार, मल्का ए सबा की कहानी को इस्लामी स्रोतों में विवरण और विस्तृत किया गया है और इसके कुछ बिंदु इस्राइलीयात से लिए गए हैं।[७]

नाम, वंश और शासनकाल

मल्का ए सबा का नाम क़ुरआन और अहदे अतीक़ [नोट १] में नहीं है;[८] लेकिन कई टिप्पणीकारों और इतिहासकारों के अनुसार, यह बिलक़ीस था।[९] इसी नाम का उल्लेख कई शिया हदीसों में भी किया गया है।[१०] कुछ स्रोतो मे मल्का ए सबा के लिए यल्मक़ा जैसे दूसरा नाम भी दर्ज हैं।[११] ऐसा कहा जाता है कि मल्का ए सबा का जन्म मारब में हुआ था।[१२] शरह[१३] और हद्दाद इब्न शराहील जैसे विभिन्न नामों का उल्लेख उनके पिता के लिए किया गया है।[१४] कुछ स्रोतों में, उसका उल्लेख किया गया है कि वह साम बिन नूह की वंशज है।[१५] यह भी कहा जाता है कि उसकी माँ जिन्न मे से थी;[१६] लेकिन ऐसी जानकारी का खंडन किया गया है।[१७]

बिलक़ीस को हिमयर जनजाति के रूप मे परिचित कराया गया था[१८] और ऐसा कहा जाता है कि सबा (वर्तमान यमन)[१९] की भूमि में उनकी एक शक्तिशाली और गौरवशाली सरकार थी,[२०] और उनकी सरकार की राजधानी मारब थी।[२१] छटी हिजरी शताब्दी के मुहद्दिस इब्ने असाकिर की रिपोर्ट के अनुसार हज़रत सुलैमान से मिलने से पहले उन्होंने यमन पर नौ साल तक और उसके बाद चार साल तक सुलैमान नबी की ओर से शासन किया।[२२] हालांकि उनके शासन की अवधि के लिए अन्य वर्षों का भी उल्लेख किया गया है।[२३] रौज़ा अल-जिनान के लेखक अबुल फ़ुतूह राज़ी की रिपोर्ट के अनुसार मल्का ए सबा कुर्द ने अरिम बांध का निर्माण किया था, जो बाद में अरमि की बाढ़ मे नष्ट हो गया था।[२४] इस बांध के निर्माण का श्रेय अन्य लोगों को भी दिया गया है।[२५]

कुछ लेखकों ने इस तथ्य पर विचार करते हुए कि मल्का ए सबा सुलैमान नबी की समकालीन थी, बिलक़ीस का शासन काल ईसा पूर्व 10वीं शताब्दी के मध्य का माना है।[२६] इसी के आधार पर मल्का ए सबा के अस्तित्व पर संदेह उत्पन्न होता है। यमन में मिले शिलालेखों में किसी महिला राजा का नाम न होने के कारण उन्होंने इसे गलत माना है; क्योंकि ये शिलालेख 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व से संबंधित हैं।[२७] कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, सनआ के पूर्व में 120 किलोमीटर की दूरी पर बिलक़ीस महल के स्तंभों के अवशेष हैं।[२८] 14वीं शताब्दी के इतिहासकार जवाद अली ने लिखा है कि हबाशी स्वयं को बिलक़ीस मल्का ए सबा के वंशजों के रूप में मानते है।[२९]

पैगंबर सुलैमान पर ईमान लाना और शादी करना

क़ुरआन की आयतों के अनुसार, मल्का ए सबा शुरुआत में सूर्य की पूजा करती थी;[३०] लेकिन सुलैमान से मिलने के बाद, वह ईश्वर में विश्वास करने लगीं।[३१] कुछ व्याख्यात्मक स्रोतों के अनुसार, उसने हज़रत सुलैमान से शादी की।[३२] फ़ारसी इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार कुछ यहूदी स्रोतों के हवाले से कहा कि '''बुख़्तोनस्सर''' सुलैमान और बिलक़ीस की शादी का फल (पुत्र) था;[३३] लेकिन कुछ के अनुसार, उन्होने सुलैमान के अलावा किसी और से शादी की थी[३४] और कुछ रिपोर्टों के अनुसार, उन्होने कभी शादी नहीं की।[३५]

सुलैमान और मल्का ए सबा की मुलाकात के बारे में क़ुरआन और अहदैन [नोट २] की रिपोर्ट

क़ुरआन में हज़रत सुलैमान और बिलक़ीस की मुलाकात का उल्लेख है।[३६] हज़रत सुलैमान को हुदहुद (उपुपा ईपोप्स) के माध्यम से एक महिला द्वारा शासित भूमि के बारे में पता चला, जो मिकनेट की मालिक थी, और अपनी प्रजा के साथ मिलकर सूर्य की पूजा करती थी।[३७] सुलैमान नबी ने मल्का ए सबा को एक पत्र लिख कर उसे अपना अनुसरण करने के लिए आमंत्रित किया[३८] पत्र के जवाब में, रानी ने भ्रष्टाचार और लोगों की हत्या को रोकने के लिए सुलैमान नबी को उपहार भेजा; लेकिन सुलैमान नबी ने उपहार स्वीकार नहीं किया।[३९] रानी सुलैमान नबी से बात करने के लिए उनके पास गई, और हज़रत सुलैमान ने रानी के आने से पहले आख झपकने से भी कम समय मे रानी का सिंहासन एक ऐसे व्यक्ति के माध्यम से जो "किताब के एक भाग का ज्ञान रखता था" पेश किया "[४०] रानी सुलैमान के दरबार में आई और ईश्वर में विश्वास करने लगी।[४१] कहा जाता है कि उसका सिंहासन बहुत भव्य और बड़ा था और उसमें कई रत्न जड़े हुए थे।[४२]

अहदे अतीक़ की रिपोर्ट के अनुसार, मल्का ए सबा जिसने सुलैमान नबी के बारे में बहुत कुछ सुना था, उनके पास आई और प्रश्न पूछे और सुलैमान नबी से उचित उत्तर सुने।[४३] इसके अलावा, सुंदर महल, शाही भोज, दरबारियों और अधिकारियों के समारोह, नौकरों और बटलरों की नियमित सेवा, और भगवान के घर में चढ़ाए जाने वाले बलिदानों ने उसे आश्चर्यचकित कर दिया।[४४] अंत में मल्का ए सबा ने सुलैमान और उनके भगवान की प्रशंसा की[४५] और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को बहुत कीमती उपहार दिए। और मल्का ए सबा अपनी भूमि पर लौट आई।[४६] मल्का ए सबा का उल्लेख अहदे जदीद [नोट ३] के कुछ हिस्सों में भी किया गया है।[४७]

शोध के अनुसार, क़ुरआन और अहदे अतीक़ की रिपोर्ट कुछ मामलों में आम हैं; लेकिन उनमें महत्वपूर्ण अंतर भी हैं।[४८] इन मतभेदों के बीच क़ुरआन की रिपोर्ट अहदे अतीक़ की रिपोर्ट की तुलना मे क़ुरआन के मार्गदर्शन का दृष्टिकोण विस्तृत है।[४९] इसी तरह क़ुरआन में भी सुलैमान और मल्का ए सबा के मिलन स्थल का उल्लेख नहीं किया गया है;[५०] लेकिन अहदे अतीक़ में यरूशलेम का उल्लेख मिलन स्थल के रूप मे किया गया है।[५१] हालाँकि, कुछ इस्लामी स्रोतों में जो कहा गया है, उसके अनुसार यह मुलाक़ात यरूशलेम के अलावा अन्य स्थान पर हज़रत सुलैमान की मक्का की यात्रा के दौरान हुई।[५२]

निधन और दफन स्थान

कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार सुलैमान नबी से मुलाकात के सात साल और कुछ महीने बाद बिलक़ीस का निधन हो गया और सीरिया के तदमूर शहर में दफनाया गया।[५३] वलीद बिन अब्दुल मलिक के शासनकाल तक मल्का ए सबा की कब्र के बारे में कोई नहीं जानता था। वलीद बिन अब्दुल मलिक के शासनकाल मे उनकी कब्र का पता चला और वलीद के आदेश से उस पर एक स्मारक बनाया गया।[५४]

साहित्य में मल्का ए सबा का प्रतिबिंब

मल्का ए सबा की कहानी के अरबी और फ़ारसी साहित्य में कई प्रतिबिंब हैं।[५५] कविता में, बिलक़ीस धन, ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है।[५६] कुछ कवियों ने इस क्षेत्र में कविताए लिखी हैं। सबसे महत्वपूर्ण गिलानी में से, 10वीं शताब्दी में हयाती गीलानी ने "सुलैमान और बिलक़ीस" शीर्षक से एक मसनवी लिखी।[५७] 12वीं शताब्दी में अहमद खान सूफी ने भी नेज़ामी द्वारा लिखित "खोसरो और शिरीन" का अनुसरण करते हुए "बिलक़ीस व सुलैमान" मसनवी लिखी।[५८]

मोनोग्राफ़ी

मल्का ए सबा के विषय पर विभिन्न पुस्तकें लिखी गई हैं, जिनमें से कुछ हैं:

  • अल मलका बिलक़ीस; अल-तारिख वल उस्तुरा व अल-रम्ज़, बिलक़ीस इब्राहीम अल-हज़रानी द्वारा लिखित। इस पुस्तक में यमन के धर्मों, इतिहास और साहित्य के संदर्भ में मल्का ए सबा की भूमिका की जांच की गई है।[५९] यह काम 1994 ईस्वी में काहिरा में एएम ग्राफिक पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित किया गया था।[६०]
  • बिलक़ीस; इमरा अल-अलग़ाज़ व शैतानातिल जिन्स, ज़ियाद मनी द्वारा लिखी गई। यह पुस्तक आठ अध्यायों और 347 पृष्ठों पर आधारित है। इसमें इतिहास, इस्लाम, ईसाई धर्म और यहूदी धर्म में मल्का ए सबा के चरित्र की जांच की गई है।[६१] यह काम 1998 ईस्वी मे बैरूत मे रियाज़ अल रईस प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था।[६२]

फ़ुटनोट

  1. सूर ए नम्ल, आयात न 20-44
  2. किताब मुकद्दस, किताब अव्वल पादशाहान, बाब 10
  3. करीमीयान व हूशंगी, बिलक़ीस, पेज 74
  4. इब्न हबीब अल बग़दादी, अल महबर, दार अल आफ़ाक़ अल जदीदा, पेज 367
  5. देखेः अक़ीली, बर रसी हाकमीयत ज़न अज़ निगाहे अहद कद़ीम व क़ुरआन करीम बा तकया बर दास्तान मल्का ए सबा, 1394 शम्सी; रूहानी मनिश, उलगूहाए मुदीरीयत ज़नान दर क़ुरआन, 1393 शम्सी; रआई, बिलक़ीस इशारती बर ज़न अज़ दीदगाह क़ुरआन, 1377 शम्सी; करीमी व दिगरान, कारआमदी ज़नान दर अरसेहाए सियासी-इज्तेमाई, 1400 शम्सी
  6. ज़ाकेरी, विलायत ज़नान, पेज 56
  7. अल हज़रानी, अल मलका बिलक़ीस, 1994 ईस्वी, पेज 144
  8. नाफ़ेअ, अस्रे मा कब्ल अल इस्लाम, 2018 ईस्वी, पेज 72
  9. जवाद अली, अल मुफ़स्सल फ़ी तारीख अल अरब, 1422 हिजरी, भाग 3, पेज 264
  10. देखेः सफ़्फ़ार, बसाइर अल दरजात, 1404 हिजरी, पेज 208,209-210; कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 230 शेख सदूक़, अल खिसाल, 1362 शम्सी, भाग 1, पेज 103; शेख मुफ़ीद, अल इख्तेसास, 1413 हिजरी, पेज 213
  11. ऊतबी सहारी, अल अंसाब, 1427 हिजरी, भाग 1, पेज 209
  12. शबिस्तरी, आलाम अल क़ुरआन, 1379 शम्सी, पेज 191
  13. क़ुमी, तफसीर कुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 128
  14. इस्फ़हानी, तारीख सुन्नी मुलूक अल अर्ज़, दार मकतब अल हयात, पेज 99
  15. खतीब उमरी, अल रौज़ा अल फ़ीहा, 1420 हिजरी, पेज 96
  16. ऊतबी सहारी, अल अंसाब, 1427 हिजरी, भाग 1, पेज 209
  17. नौवी, तहज़ीब अल अस्मा वल लुग़ात, 1430 हिजरी, पेज 481
  18. इब्न साइद अंदलूसी, अल तारीफ़ बेततबेकात अल उमम, 1376 शम्सी, पेज 204
  19. मसऊदी, मुरूज अल ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 161
  20. तबरसी, मजमा अल बयान, 1372 शम्सी, भाग 7, पेज 341
  21. शबिस्तरी, आलाम अल क़ुरआन, 1379 शम्सी, पेज 191
  22. इब्ने असाकिर, तारीख मदीना दमिश्क़, 1415 हिजरी, भाग 69, पेज 67
  23. इस्फ़हानी, तारीख सुन्नी मुलूक अल अर्ज़, दार मकतब अल हयात, पेज 99
  24. अबुल फ़ुतूह राज़ी, रौज़ अल जिनान, 1408 हिजरी, भाग 16, पेज 61
  25. मसऊदी, मुरूज अल ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 161
  26. नाफ़ेअ, अस्रे मा कब्ल अल इस्लाम, 2018 ईस्वी, पेज 72
  27. ख़ज़ाएली, आलाम क़ुरआन, 1371 शम्सी, पेज 376
  28. बी आज़ार शिराज़ी, बास्तान शनासी व जुग़राफ़याई तारीखी केसस क़ुरआन, 1382 शम्सी, पेज 322
  29. जवाद अली, अल मुफ़स्सल फ़ी तारीख अल अरब, 1422 हिजरी, भाग 1, पेज 237
  30. सूर ए नम्ल, आयत न 24
  31. सूर ए नम्ल, आयत न 44
  32. क़ुमी, तफसीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 128
  33. मुसाहिब व दिगरान, बिलक़ीस, पेज 527
  34. इब्ने कल्बी, नसब मअद वल यमन अल कबीर, 1425 हिजरी, भाग 2, पेज 546
  35. ऊतबी सहारी, अल अंसाब, 1427 हिजरी, भाग 1, पेज 210
  36. सूर ए नम्ल, आयात न 20-44
  37. सूर ए नम्ल, आयात न 23-24
  38. सूर ए नम्ल, आयात न 28-31
  39. सूर ए नम्ल, आयात न 35-36
  40. सूर ए नम्ल, आयात न 38-40
  41. सूर ए नम्ल, आयात न 42-44
  42. तबरसी, मजमा अल बयान, 1372 शम्सी, भाग 7, पेज 341
  43. किताब मुकद्दस, अव्वल पादशाहान, बाब 10, आयात 1-3
  44. किताब मुकद्दस, अव्वल पादशाहान, बाब 10, आयात 4-5
  45. किताब मुकद्दस, अव्वल पादशाहान, बाब 10, आयत न 9
  46. किताब मुकद्दस, अव्वल पादशाहान, बाब 10, आयात 10-13
  47. इंजील मत्ता, बाब 12, आयत न 42 इंजील लूक़ा, बाब 11, आयत 31
  48. हुसैनी बजदनी व दिगरान, बर रसी व तहलील तफसीरी दासतान सुलैमान (अ) व मल्का ए सबा दर निगाह क़ुरआन करीम व ततबीक़ बा अहदे क़दीम, पेज 222
  49. हुसैनी बजदनी व दिगरान, बर रसी व तहलील तफसीरी दासतान सुलैमान (अ) व मल्का ए सबा दर निगाह क़ुरआन करीम व ततबीक़ बा अहदे क़दीम, पेज 222-224
  50. सूर ए नम्ल, आयात न 20-44
  51. किताब मुकद्दस, किताब अव्वल पादशाहान, बाब 10, आयत न 2
  52. इब्ने हेशाम, अल तीजान फ़ी मुलूक हमीर, 1347 हिजरी, पेज 163-170; बैज़ावी, अनवार अल तंज़ील, 1418 हिजरी, भाग 4, पेज 158
  53. दयार बकरी, तारीख अल खमीस, दार सादिर, भाग 1, पेज 249
  54. दयार बकरी, तारीख अल खमीस, दार सादिर, भाग 1, पेज 249
  55. करीमीयान व हूशंगी, बिलक़ीस, पेज 75
  56. हमज़ा, नेसा हकमन अल-यमन, 1420 हिजरी, पेज 95
  57. इस्माईल ज़ादा, शोधः दर मस्नवी सुलैमान व बिलक़ीस हयाती गिलानी
  58. पुश्तदार व दिगरान, मोअर्ऱप़ी मस्नवी बिलक़ीस व सुलैमान अहमद खान सूफ़ी, पेज 29
  59. अल हजरानी, अल मलका बिलक़ीस अल तारीख वल उसतूरे वर रम्ज़, 1994 ईस्वी
  60. अल हजरानी, अल मलका बिलक़ीस अल तारीख वल उसतूरे वर रम्ज़, 1994 ईस्वी
  61. ज़ियाद मनी, बिलक़ीस इमरातुन अल अल-ग़ाज़ व शैताना अल जिन्स, 1998 ईस्वी
  62. ज़ियाद मनी, बिलक़ीस इमरातुन अल अल-ग़ाज़ व शैताना अल जिन्स, 1998 ईस्वी


नोट

  1. अहदे अतीकः ईसा मसीह के जन्म से 400 साल पूर्व तक की घटनाओ पर आधारित है। इसमे ईसा मसीह से पहले के पैगंबरो की (सहीफे) किताबे शामिल है।
  2. अहदैनः अहदैन का अर्थ है ईसाई और यहूदीयो की किताबे (तौरैत और इंजील अर्थात बाइबिल)
  3. अहदे जदीदः इसमे ईसा मसीह के रसल की ओर से लिखे गए पत्र और उन रसल की घटनाए शामिल है।

स्रोत

  • क़ुरआन
  • अबुल फ़ुतूह राज़ी, हुसैन बिन अली, रौज़ अल जिनान व रूह अल जिनान फ़ी तफसीर अल कुरआन, मशहद, बुनयाद पुज़ूहिश हाए इस्लामी, 1408 हिजरी
  • इब्न हबीब अल बग़दादी, मुहम्मद, अल महबर, शोध ईलज़ा लेखतन शतीतर, बैरूत, दार अल आफ़ाक़ अल जदीदा
  • इब्न साइद अंदलूसी, साइद बिन अहमद, अल तारीफ़ बेततबेक़ात अल उमम, संशोधनः गुलाम रज़ा जमशेद नेजाद, तेहरान, मरकज़ पुज़ूहिशी मीरास मकतूब, 1376 शम्सी
  • इब्न असाकिर, अली बिन हसन, तारीख मदीना दमिश्क़, बैरूत, दार अल फिक्र, 1415 हिजरी
  • इब्ने कलबी, हेशाम बिन मुहम्मद, नसब मअद वल यमन अल कबीर, शोधः नाजी हसन, लबनान, आलिम अल कुतुब, 1425 हिजरी
  • इब्ने हेशाम, अब्दुल मलिक, अल तीजान फ़ी मुलूक हमीर, सन्आ, मरकज़ अल देरासात वल अबहास अल यमनीया, 1347 हिजरी
  • इस्माईल ज़ादा, युसूफ़ व दिगरान, तहक़ीक़ दर मसनवी व बिलक़ीस हयाती गीलानी, दर मजल्ला पुज़ूहिश जबान व अदबयात फ़ारसी, क्रमांक 12, बहार 1388 शम्सी
  • इस्फ़हानी, हमजा बिन हसन, व तारीख़ सुन्नी मुलूक अल अर्ज़ वल अंबिया, बैरूत, दार मकतब अल हयात
  • अल हज़रानी, बिलक़ीस इब्राहीम, अल मलका बिलक़ीस अल तारीख वल उसतूरा वर रम्ज़, क़ाहिरा, ए एम गराफिक़, 1994 ईस्वी
  • बैज़ावी, अब्दुल्लाह बिन उमर, अनवार अल तंज़ील व इसरार अल तावील, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, पेज 1418 हिजरी
  • बी आज़ार शिराजी, अब्दुल करीम, बासतान शनासी व जुग़राफयाई तारीखी केसस क़ुरआन, तेहरान, दफ्तर नशर फ़रहंगी इस्लामी, 1382 शम्सी
  • पुश्तदार, अली मुहम्मद व दिगरान, मोअर्रफ़ी मसनवी बिलक़ीस व सुलैमान अहमद खान सूफ़ी, दर फ्स्लनामा मुतालेआत शिब्हे क़ाररा, साल 4, क्रमांक 12, पाईज 1391 शम्सी
  • जवाद अली, अल मुफस्सल फ़ी तारीख अल अरब, बैरूत, दार अल साक़ी, 1422 हिजरी
  • हुसैनी बजदनी, सय्यद हुसैन व दिगरान, बर रसी व तहलील तफसीरी दास्तान सुलैमान (अ) व मल्का ए सबा दर निगाह क़ुरआन करीम व ततबीक आन बा अहदे कदीम, दर मजल्ला पुजूहिश हाए तफसीर ततबीक़ी, क्रमांक 13, बहार व ताबिस्तान, 1400 शम्सी
  • हमज़ा, इफ़्फत वेसाल, नेसा हकमन अल यमन, बैरूत, दार इब्ने हज़्म, 1420 हिजरी
  • ख़ज़ाएली, मुहम्मद, आलाम क़ुरआन, तेहरान, अमीर कबीर, 1371 शम्सी
  • खतीब उमरी, यासीन, अल रौज़ा अल फ़ीहा फ़ी तवारीख अल नेसा, शोधः हेसाम रियाज़ अब्दुल हकीम, लबनान, मोअस्सेसा अल कुतुब अल सक़ाफ़ीया, 1420 हिजरी
  • दयार बकरी, हुसैन बिन मुहम्मद, तारीख अल खमीस फ़ी अहवाल अनफ़ुस अल नफ़ीस, बैरूत, दार सादिर
  • ज़ाकेरी, अली अकबर, विलायत ज़नान, दर मजल्ला हौज़ा, क्रमांक 163, 164 बहार व ताबिस्तान, 1391 शम्सी
  • रेआई, फहीमा व मरयम गुलाब बख्श, बिलक़ीसः इशारती बर ज़न अज़ दीदगाह क़ुरआन, दर मजल्ला हिकमत सीनवी, क्रमांक 4, उरदीबहिश्त, 1377 शम्सी
  • रूहानी मनिश, मासूमा, उलगूहाए मुदीरीयत ज़नान दर क़ुरआन, फसलनामा तहकीकात मुदीरीयत आमूज़िशी, पांचवा साल, क्रमांक 3, बहार 1393 शम्सी
  • ज़ियाद मनी, बिलक़ीस इमारा अल अलग़ाज़ व शैताना अल जिन्स, बैरूत, रियाज अल रईस, 1998 ईस्वी
  • शबिस्तरी, अबुदल हुसैन, आलाम अल क़ुरआन, क़ुम, दफतर तबलीग़ाते इस्लामी हौज़ा ए इल्मीया क़ुम, 1379 शम्सी
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल खिसाल, क़ुम, दफतर इंतेशारात इस्लामी, 1362 शम्सी
  • शेख सदूक, मुहम्मद बिन अली, ओयून अखबार अल रज़ा (अ), तेहरान, नशर जहान, 1378 हिजरी
  • शेख मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल इखतिसास, क़ुम, अल मोतमिर अल आलमी लेअलफ़िया अल शेख अल मुफ़ीद, 1413 हिजरी
  • सफ़्फ़ार, मुहम्मद बिन हसन, बसाइर अल दरजात फ़ी फ़ज़ाइल आले मुहम्मद (स), 1404 हिजरी
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  • अक़ीली, फातेमा, बर रसी हाकमीयत ज़न अज निगाह अहदे कदीम व कुरआन करीम बा तकया बर दास्तान मल्का ए सबा, दर मजल्ला हफ्त आसमान, क्रमांक 65-66, 1394 शम्सी
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