हाजरा

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हाजरा, (अरबी: هاجَر) या हाजर, इब्राहीम (अ) की पत्नी और इस्माईल (अ) की माता। हाजरा मिस्र के राजा की दासी (कनीज़) थीं जो इब्राहीम (अ) की पत्नी सारा को उपहार में दी गई थीं और सारा ने उन्हें इब्राहीम (अ) को बेच दिया और कुछ समय बाद इस्माईल को जन्म दिया।

इस्माईल के जन्म के बाद, हाजरा के संतान होने के कारण, सारा स्वयं के संतानहीन होने के कारण अप्रसन्नता थी, इब्राहीम (अ), ने ईश्वर की आज्ञा से, हाजरा और उनके बच्चे को सीरिया से मक्का ले गए, जो उस समय एक सूखा रेगिस्तान और निर्जन था और वहा कोई थी निवासी नही था। तौरेत के अनुसार, इस्लामी स्रोतों के विपरीत, हाजरा का प्रवास इस्हाक़ के जन्म के बाद और इब्राहीम (अ) के बिना था। हाजरा का मक़बरा हिज्रे इस्माईल के स्थान पर स्थित है।

परिवार

एक कथा के अनुसार, हाजरा मिस्र के राजा की पुत्री थी, जिन्हें ऐनुश शम्स के लोगों के एक समूह द्वारा मिस्र के राजा के खिलाफ़ विद्रोह करने के बाद दासी (कनीज़) बनाया गया था और मिस्र के नए राजा को बेच दिया गया था।[१] एक ऐतिहासिक रवायत के अनुसार, इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (स) ने अपने साथियों से कहा कि मिस्र के लोगों के साथ नर्मी से व्यावहार करें क्योंकि हाजरा इनहीं में से एक थीं।[२]

हाजरा, सारा को मिस्र के राजा का उपहार

हिज्रे इस्माईल और हाजरा के दफ़्न स्थान का चित्र

इब्ने असीर की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत इब्राहीम (अ) जब वह लगभग 70 वर्ष के थे तो उन्हें बाबुल से प्रवास करने के लिए नियुक्त किया था।[३] इसलिए, अपनी पत्नी सारा, अपने भतीजे हज़रत लूत और कुछ अन्य अनुयायियों के साथ, वे मिस्र गए। मिस्र के राजा ने सारा को बुरी नज़र से देखा और इब्राहीम ने तक़य्या (वास्तव को छिपाते हुए) करते हुए ख़ुद को सारा के भाई के रूप में पेश किया। इब्ने असीर के अनुसार, हर बार जब राजा का सारा के प्रति बुरा इरादा होता, तो उसका हाथ सूख जाता। यह घटना तीन बार दोहराई गई यहाँ तक कि राजा ने सारा से दुआ (प्राथना) करने को कहा कि उसका हाथ पहले जैसा हो जाए। सारा की प्रार्थना के बाद उसका हाथ अपनी पिछली अवस्था में लौट आया, राजा ने उसे मुक्त कर दिया और हाजरा जो एक क़िब्ती दासी (कनीज़) थी सारा को उपहार के रूप में दिया।[४] अल्लामा तबातबाई के अनुसार, इब्राहीम ने सारा को अपनी बहन के रूप में पेश किया हो, भविष्यवक्ता की स्थिति (मक़ामे नबूवत) के साथ संगत नहीं है। और यह वर्तमान तौरेत की आवश्यकताओं (तनाक़ुज़ात) में से एक है जिसे सुन्नियों के ऐतिहासिक और हदीसी स्रोतों में शामिल किया गया है।[५] इसके अलावा, अल्लामा तबातबाई द्वारा अल-काफ़ी से नक़्ल की गई हदीस के आधार पर, इब्राहीम (अ) ने इस घटना में सारा को अपनी पत्नी के रूप में पेश किया है और हर बार राजा का हाथ सूख जाता था, यह इब्राहीम की प्रार्थना (दुआ) के कारण था कि उसका हाथ अपनी पिछली अवस्था में लौट आया।[६]

सीरिया से मक्का की, प्रवास की कहानी

हाजरा ने इब्राहीम को संबोधित किया:

"क्या आप हमें ऐसी भूमि में छोड़ रहे हैं जहां कोई मदद करने वाला नहीं है, पानी और खाना नहीं है?" इब्राहीम ने उनसे कहा: "जिस ईश्वर ने मुझे ऐसा करने का आदेश दिया है वही तुम्हारे लिए पर्याप्त (तुम्हारी सहायता करेगा) होगा।"

क़ुम्मी, तफ़सीर अल क़़ुम्मी, 1404 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 60।

इब्राहीम (अ) को सारा से संतान न हो सकी, इसलिये सारा ने हाजरा को इब्राहीम हाथ बेच डाला, कि इब्राहीम से एक सन्तान उत्पन्न हो।[७] कुछ समय के बाद जब हाजरा ने इस्माईल को जन्म दिया,[८] तो सारा उदास हो गई; क्योंकि उन्हें स्वयं कोई सन्तान नहीं थी।[९] इस्माईल के जन्म के बाद, हाजरा के संतान होने के कारण, सारा स्वयं के संतानहीन होने के कारण अप्रसन्नता थी, ईश्वर ने इब्राहीम (अ), को आदेश दिया कि इस्माईस और उनकी माता को सीरिया से मक्का ले जाए।[१०] इब्राहीम (अ) उन दोनों को मक्का ले गए जो उस समय एक सूखा रेगिस्तान और निर्जन था और वहा कोई थी निवासी नही था और जिस स्थान पर ईश्वर के घर का पुनर्निर्माण किया गया था और जहां वर्तमान ज़मज़म का कुआँ है,[११] दोनो को वहां रखा। हाजरा का नाम क़ुरआन में नहीं आया है, लेकिन सूर ए इब्राहीम में, उनके सीरिया से मक्का की प्रवासन की कहानी का उल्लेख है।[१२]

इमाम सादिक़ (अ) वर्णित एक हदीस के अनुसार, जब इब्राहीम (अ) ने हाजरा और इस्माईल को मक्का की भूमि में छोड़ दिया और वापस लौट आऐ, तो इस्माईल प्यासे हो गये और हाजरा ने पानी खोजने के लिए सात बार सफ़ा और मरवा के पहाड़ों के बीच आगे-पीछे (गईं और वापस आईं) चली, लेकिन वहाँ उन्हें पानी नहीं मिला। जब हाजिरा इस्माईल के पास आई तो उन्होंने देखा कि इस्माईल प्यास के मारे ज़मीन पर ऐड़ी रगड़ रहे हैं और उनके पैरों के नीचे से पानी निकलने लगा है, जिसे ज़मज़म का कुआं कहा जाता है। इस घटना को सफ़ा और मरवा के बीच सई के दायित्व (वजूब) के कारण के रूप में हज के कार्यों में से एक माना गया है।[१३]

इस्लामिक सूत्रों के अनुसार, हाजरा का प्रवास इसहाक़ के जन्म से पहले था और इस प्रवास का कारण सारा की नाराज़गी थी क्योंकि हाजरा के यहां संतान थी लेकिन सारा के यहां संतान नहीं थी।[१४] तौरेत की रिपोर्ट के अनुसार, इसहाक़ के जन्म के बाद हाजरा ने प्रवास किया था[१५] तौरेत में, इब्राहीम (अ) को सीरिया से मक्का तक हाजरा और इस्माईल को स्थानांतरित करने के लिए ईश्वर के आदेश का कारण, सारा ने, इस्माईल को, इसहाक़ को परेशान करते हुए देखने के रूप में वर्णित किया गया है। और इब्राहीम (अ) से कहा, इस कनीज़ (हाजरा) का पुत्र, मेरे पुत्र इस्हाक़ के होते हुए आपका उत्तराधिकारी (वारिस) नहीं बन सकता है। उसे (हाजरा) और उसके बच्चे (इस्माईल) को घर से बाहर निकाल दो।[१६] इसके अलावा, तौरेत की रिपोर्ट के अनुसार, और इस्लामी रवायतों के विपरीत[१७] इब्राहीम (अ) इस प्रवास में हाजरा और इस्माईल के साथ नहीं गऐ थे।[१८]

मृत्यु

एक रिवायत के अनुसार हाजरा की मृत्यु 90 वर्ष की आयु में हुई[१९] इमाम सादिक़ (अ) की एक हदीस के अनुसार, इस्माईल ने हाजरा को हिज्रे इस्माईल के स्थान पर दफ़्न किया और उनकी क़ब्र ऊंची कर दी और उसके ऊपर एक दीवार बना दी ताकि लोग उसके ऊपर से न चलें।[२०]

कुछ रिवायतों के अनुसार, उनकी क़ब्र के सम्मान के कारण मुस्लमान काबा की परिक्रमा करते समय हिज्र के चारों ओर घूमते हैं और उसमें प्रवेश नहीं करना चाहिए ताकि हाजरा की क़ब्र पर क़दम न रखा जा सके।[२१]

सम्बंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. बलअमी, तारीखनामे तबरी, 1373, खंड 3, पृष्ठ 503।
  2. इब्ने असीर, अल-कामिल, 1385 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 101।
  3. इब्ने असीर, अल-कामिल, 1385 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 101।
  4. इब्ने असीर, अल-कामिल, 1385 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 101।
  5. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 226-229।
  6. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 231-232।
  7. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 231।
  8. इब्ने असीर, अल-कामिल, 1385 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 101।
  9. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 288।
  10. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 288।
  11. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 288।
  12. सूर ए इब्राहीम, आयत 37।
  13. शेख़ सदूक़, एललुश शराया, 1385, खंड 2, पृष्ठ 432।
  14. अल्लामा तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 288।
  15. किताबे मुक़द्दस, तकवीन, 21:9-12।
  16. किताबे मुक़द्दस, तकवीन, 21:9-12।
  17. शेख़ सदूक़, एललुश शराया, 1385, खंड 2, पृष्ठ 432; क़ुम्मी, तफसीर अल-क़ुम्मी, 1404 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 60।
  18. किताबे मुक़द्दस, तकवीन, 21:9-12।
  19. इब्ने साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 44।
  20. शेख़ सदूक़, एललुश शराया, 1385, खंड 1, पृष्ठ 37।
  21. शेख़ सदूक़, मन ला यहज़राहुल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 193।

स्रोत

  • क़ुरआन
  • पवित्र किताब।
  • इब्ने असीर, अल-कमिल फ़ी अल-तारीख़, बेरूत, दार सदिर - दार बेरूत, 1385 हिजरी।
  • इब्ने साद, तबक़ात अल-कुबरा, मुहम्मद अब्द अल-कादिर अट्टा द्वारा अनुसंधान, बेरूत, दार अल-कुतुब अल-इल्मिया, पहला संस्करण, 1410 हिजरी/1990 ईसवी।
  • बलअमी, तारीख़े तबरी, मुहम्मद रोशन द्वारा शोधित, तेहरान, अल्बोर्ज़ प्रकाशन, 1373 शम्सी।
  • शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, एललुश शराया, क़ुम, दावरी बुक स्टोर, 1385 शम्सी/1966 ई.
  • शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, मन ला यहज़राहुल फ़क़ीह, अली अकबर ग़फ़्फ़ारी द्वारा सुधारा, क़ुम, क़ोम मदरसा के शिक्षकों के समुदाय से संबद्ध इस्लामी प्रकाशन कार्यालय, 1413 हिजरी।
  • अल्लामा तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल-मीज़ान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन, क़ुम, अल-नशर अल-इस्लामी स्कूल, पांचवां संस्करण, 1417 हिजरी।
  • क़ुम्मी, अली इब्ने अब्राहिम, तफ़सीर अल-क़ुम्मी, तय्यब मूसवी अल-जज़ायरी द्वारा सुधारा गया, क़ुम, दार अल-किताब, 1404 हिजरी।
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, तेहरान, इस्लामिया, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी।