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फ़ातिमा इमाम हुसैन (अ) की बेटी

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फ़ातिमा इमाम हुसैन (अ) की बेटी
बाबुल सग़ीर क़ब्रिस्तान में फ़ातिमा बिन्ते हुसैन (अ) के नाम से मंसूब मक़बरा
नामफ़ातिमा बिन्ते हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब (अ)
भूमिकाकर्बला की घटना में उपस्थिति, इमामत की अमानत की अमीन, कूफ़ा में फ़ातिमा सुग़रा का उपदेश, कथावाचक
जन्मदिनवर्ष 51 हिजरी
मृत्युवर्ष 117 हिजरी, मदीना में
दफ़्न स्थानबाबुल सग़ीर क़ब्रिस्तान
पिताइमाम हुसैन (अ)
माताउम्मे इस्हाक़ तलहा बिन्ते उबैदुल्लाह की बेटी
जीवनसाथीहसन मुसन्ना
बच्चेअब्दुल्लाह बिन हसन मुसन्ना

फ़ातिमा बिन्ते हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब (अ) (अरबी: فاطمة بنت الحسين (ع)) इमाम हुसैन (अ) की बेटी हैं। उनकी मां, उम्मे इस्हाक़ तल्हा बिन उबैदुल्लाह की बेटी हैं। फ़ातिमा कर्बला की घटना में मौजूद थीं और उन्हें भी बंदी बनाया गया था। उन्होंने कूफ़ा में उपदेश दिया और कूफ़ियों की निंदा की। इमाम बाक़िर (अ) की हदीस के अनुसार, इमाम हुसैन (अ) ने अपनी शहादत से पहले, इमामत की अमानतें और लिखित वसीयत उन्हें सौंपी थी, और उन्होंने बाद में उसे इमाम सज्जाद (अ) को दे दिया। उन्होंने अपने पिता और अपने भाई इमाम सज्जाद (अ) से हदीसें वर्णित की हैं।

परिचय

फ़ातिमा, उम्मे इस्हाक़ और इमाम हुसैन (अ) की बेटी हैं।[] उनके जन्म की सही तारीख ज्ञात नहीं है; लेकिन क्योंकि उनकी मां पहले इमाम हसन (अ) की पत्नी थीं और इमाम हसन (अ) की शहादत (49 या 50 हिजरी) के बाद, वह इमाम हुसैन (अ) की पत्नी बन गईं, उनका जन्म 50 हिजरी के बाद हुआ था, इसलिए कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि उनका जन्म वर्ष 51 हिजरी में हुआ था।[] फ़ातिमा को इमाम हुसैन (अ) की सबसे बड़ी बेटी माना जाता है।[] यह बताया गया है कि इमाम हुसैन (अ) अपनी दो बेटियों (फ़ातिमा और सकीना) में से फ़ातिमा को फ़ातिमा बिन्ते रसूलुल्लाह के समान कहते थे। यह तब था जब इमाम हसन (अ) के बेटे हसन मुसन्ना ने इमाम हुसैन (अ) के सामने फ़ातिमा के साथ विवाह का प्रस्ताव रखा था।[] उन्होंने कर्बला की घटना से पहले हसन मुसन्ना से विवाह किया था।[]


कुछ स्रोतों में उन्हें फ़ातिमा सुग़रा के नाम से उल्लेखित किया गया है।[] कुछ शोधकर्ताओं ने यह संभावना व्यक्त की है कि शायद "सुग़रा" (छोटी) की क़ैद इसलिए लगाई गई क्योंकि फ़ातिमा बिन्ते अली (अ) कर्बला और बंदियों के समूह में मौजूद थीं, न कि इसलिए कि इमाम हुसैन (अ) की फ़ातिमा नाम की दो बेटियाँ थीं - एक सुगरा और दूसरी कुबरा।[स्रोत आवश्यक] अन्दलीब हमदानी, जो किताब "सारुल्लाह" के लेखक हैं, इस मत पर हैं कि इमाम हुसैन (अ) की फातिमा नाम की दो बेटियाँ थीं और जो कर्बला में मौजूद थीं वह फातिमा कुबरा हैं, और यह वही हैं जिन्होंने कूफ़ा में ख़ुतबा पढ़ा और वह रावियों (हदीस वर्णन करने वालों) में से हैं, और उनकी एक दूसरी बेटी फातिमा के नाम से थीं जो कर्बला में नहीं थीं और वह फातिमा सुगरा हैं।[]

कर्बला में उपस्थिति और क़ैद

आशूरा की घटना में फ़ातिमा और उनके पति हसन मुसन्ना मौजूद थे।[] हसन ने आशूरा के दिन इमाम हुसैन (अ) के साथ लड़ाई की और घायल हो गए और बंदी बना लिए गए। उनके मामू अस्मा बिन ख़ारेजा फ़ज़ारी ने उन्हें बचाया। कूफ़ा में उनका इलाज किया गया और ठीक होने के बाद वे मदीना लौट आए।[] इमाम हुसैन (अ) के परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उन्हें भी कूफ़ा और सीरिया बंदी बनाकर ले जाया गया।[१०] तंबुओं (ख़ैमों) पर हमले और कर्बला के बंदियों की क़ैद की कुछ बातें उनसे वर्णित की गई हैं।[११]

आपके और यज़ीद के बीच सीरिया के दरबार में शब्दों का आदान-प्रदान हुआ।[१२] अहमद बिन अली तबरसी उनकी और कूफ़ा के लोगों के साथ उनकी बहसों का उल्लेख किया है।[१३] कुछ उल्लेखों के अनुसार, एक शामी (सीरियाई) व्यक्ति ने यज़ीद से अनुरोध किया कि इमाम हुसैन की बेटी फ़ातिमा को उसे दासी के रूप में दे दिया जाए। लेकिन इस अनुरोध पर हज़रत ज़ैनब (अ) के तीखे प्रतिक्रिया के सामने आने के बाद, यज़ीद ने उस शामी व्यक्ति को चुप करा दिया।[१४] कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना इमाम अली की बेटी फातिमा के संबंध में घटित हुई है।[१५]

मुहर्रम का शोक
تابلوی عصر عاشورا
अस्रे आशूर की पेंटिंग, महमूद फ़र्शचियान की पेंटिंग में से एक
घटनाएँ
कुफ़ियों द्वारा इमाम हुसैन (अ) को लिखे गए पत्रबसरा के नामी लोगों को इमाम हुसैन (अ) का पत्रआशूरा का दिनकर्बला की घटनाइमाम हुसैन (अ) का आंदोलनआशूरा की घटना का कैलेंडरकर्बला के क़ैदी
लोग
इमाम हुसैन (अ)अली अकबरअली असग़रअब्बास बिन अलीहज़रत ज़ैनब (स)सकीना बिन्ते हुसैन (अ)फ़ातिमा बिन्ते इमाम हुसैनमुस्लिम बिन अक़ीलकर्बला के शहीदकर्बला के क़ैदी
स्थान
इमाम हुसैन (अ) का रौज़ाहज़रत अब्बास (अ) का रौज़ाक़त्लगाहबैनुल हरमैनअलक़मा नदी
अवसर
ताऊसआशूरादस मोहर्रमअरबईनसफ़र के महीने का अंतिम दशक
समारोह
मर्सिया (शोक-गीत)नौहाताज़ियारौज़ाज़ंजीर ज़नीसीना ज़नीसक़्क़ा ख़ानासिन्ज और दमामअज़ादारी के जुलूसशामे गरीबातशत गुज़ारीताड़-प्रहारक़मा ज़नीअरबाईन वॉकताबूत उठानाताबूत


स्थिति

इमामत की अमानत का स्थानांतरण

इमाम बाक़िर (अ) की हदीस के अनुसार, इमाम हुसैन (अ) ने अपनी शहादत से पहले, अपनी इमामत की अमानत और लिखित वसीयत फ़ातिमा को सौंपी थी, और बाद में उन्होंने उसे इमाम सज्जाद (अ) को सौंप दिया था।[१६]

हदीस का वर्णन

फ़ातिमा हदीस बयान करने वालों की चौथी श्रेणी में आती हैं और विश्वसनीय ताबेईन (अनुयायियों) में गिनी जाती हैं।[१७] उन्होंने अपने पिता, इमाम हुसैन (अ), अब्दुल्लाह बिन अब्बास और अस्मा बिन्ते उमैस से हदीसें वर्णित की हैं।[१८] ऐसा उल्लेख हुआ है कि उन्होंने मुरसल के रूप में हज़रत फ़ातिमा (स) से रिवायत वर्णित की है। उन्होंने अपने पिता हुसैन बिन अली (अ), अपनी फूफी हज़रत ज़ैनब (स), अपने भाई इमाम सज्जाद (अ), अब्दुल्लाह बिन अब्बास, आयशा, अस्मा बिन्ते उमैस और बिलाल से भी मुरसल के रूप में हदीस वर्णित की है।[१९]

कूफ़ा में उपदेश

मुख्य लेख: फ़ातिमा सुग़रा का कूफ़ा में उपदेश

फ़ातिमा ने कूफ़ा में क़ैद के दौरान भाषण दिया। इस भाषण में, उन्होंने उन विपत्तियों (मुसीबतों) का उल्लेख किया है जो इमाम हुसैन के अहले बैत पर कूफ़ियों की ओर से आई थीं। उपदेश की सामग्री इस प्रकार है:

हसन मुसन्ना के शोक में

ऐसा कहा जाता है कि हसन मुसन्ना की मृत्यु के बाद, फ़ातिमा एक साल तक उनकी क़ब्र पर शोक में बैठी रहीं और दिन में उपवास (रोज़ा) करती थी और रात में इबादत करती थीं।[२१]

हसन मुसन्ना की मृत्यु के बाद, फ़ातिमा ने अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन उस्मान बिन अफ़्फ़ान से विवाह किया।[२२] अब्दुल्लाह की मृत्यु के बाद, मदीना के गवर्नर अब्दुर्रहमान बिन ज़हाक ने फ़ातिमा को विवाह का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया।[२३]

फ़ातिमा के हसन मुसन्ना से, अब्दुल्लाह, इब्राहीम, हसन और ज़ैनब नाम के चार बच्चे थे।[२४] और चूंकि सादात तबातबाई इब्राहीम पुत्र फ़ातिमा और हसन मुसन्ना की संतान हैं, इसलिए उन्हें सय्यद हसनी और हुसैनी कहा जाता है। और अपने दूसरे पति अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन उस्मान से उनके तीन बच्चे हुए, जिनका नाम मुहम्मद दीबाज, क़ासिम और रुक़य्या था।[२५] आपके अधिकांश बच्चे और पोते-पोतियां बनी अब्बास के ख़लीफाओं के विरुद्ध लड़ाई में शहीद हो गए या क़ैद कर लिए गए।[२६]

मृत्यु

तज़केरातुल ख़्वास में इब्ने जौज़ी के अनुसार, इमाम हुसैन (अ) की बेटी फ़ातिमा की मृत्यु 117 हिजरी के आसपास मदीना में हुई थी।[२७] लेकिन शम्सुद्दीन ज़हबी ने उनकी मृत्यु का वर्ष 110 हिजरी बताया है।[२८] इसके अलावा , कुछ इतिहासकारों ने उनकी मृत्यु की तारीख़ का उल्लेख नहीं किया है, ऐसा कहा गया है कि उनकी मृत्यु के समय उनकी आयु 90 वर्ष थी।[२९] अन्य स्रोतों में, यह कहा गया है कि उनकी मृत्यु हेशाम बिन अब्दुल मलिक के शासन (शासनकाल:105-125 हिजरी) के दौरान हुई थी।[३०] बाबुल सग़ीर क़ब्रिस्तान में एक क़ब्र इनके नाम से मंसूब है।[३१]

फ़ातिमा बिन्ते अल-हुसैन (अ) की मुसनद

  • मुसनदो फ़ातिमा बिन्ते अल हुसैन (अ), सय्यद अली रज़ा सय्यद कोबारी क़ुम द्वारा लिखित, ज़ाएर प्रकाशन, 1376 शम्सी।

फ़ुटनोट

  1. शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 491; इब्ने साद, तबक़ातुल कुबरा, 1405 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 214।
  2. मोहम्मदी रय शहरी, दानिश नामे इमाम हुसैन (अ), 1388 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 351।
  3. तबरी, तारीख़ अल-तबरी, 1967 ईस्वी, खंड 5, पृष्ठ 464।
  4. शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 25 देखें; इस्फ़ाहानी, मक़ातिल अल-तालेबेईन, 1385 हिजरी, पृष्ठ 122।
  5. इब्ने असाकर, तारीख़े दमिश्क़, 1421 हिजरी, खंड 70, पृष्ठ 17; इब्ने क़ुतैबा, अल-मआरिफ़, 1390 हिजरी, पृष्ठ 213; इब्ने साद, तबक़ातुल कुबरा, 1405 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 473।
  6. मजलिसी, बिहार अल अनवार, 1403 हिजरी, खंड 45, पृष्ठ 110।
  7. अन्दलीब हमदानी, सारुल्लाह, नशरे ख़ैमा, 1389 शम्सी, पृष्ठ 388।
  8. शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 25 और 121।
  9. शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 25; इब्ने ताऊस, लोहोफ़, 1378 शम्सी, पृष्ठ 63।
  10. इब्ने असीर, अल-कामिल फ़ी अल-तारीख़, 1385 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 86; शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 121।
  11. सदूक़, अल-अमाली, 1376 शम्सी, पृष्ठ 164 देखें; शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 121।
  12. तबरी, तारीख़े अल-उम्म व अल-मुलूक, 1967 ईस्वी, खंड 5, पृष्ठ 464।
  13. तबरसी, अल-इहतेजाज, 1416 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 2729।
  14. शेख़ मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 121।
  15. देखें, इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 133।
  16. सफ़्फ़ार क़ुमी, बसाएर अल-दराजात, 1404 हिजरी, पृष्ठ 185; कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 303।
  17. असक्लानी, तक़रीब अल-तहज़ीब, 1412 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 657।
  18. इब्ने असाकर, तारीख़ दमिश्क़, 1421 हिजरी, खंड 70, पृष्ठ 10; मज़्ज़ी, तहज़ीब अल-कमाल, 1405 हिजरी, खंड 35, पृष्ठ 254-255।
  19. इब्ने असाकर, तारीख़ दमिश्क़, 1421 हिजरी, खंड 70, पृष्ठ 10; मज़्ज़ी, तहज़ीब अल-कमाल, 1405 हिजरी, खंड 35, पृष्ठ 254;
  20. तबरसी, अल-इहतेजाज, 1416 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 104-108।
  21. बोख़ारी, सहीह अल-बोखारी, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 446; मुफ़ीद, अल-इरशाद 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 26।
  22. मज़्ज़ी, तहज़ीब अल-कमाल, 1405 हिजरी, खंड 35, पृष्ठ 256; इस्फ़ाहानी, मक़ातिल अल-तालेबेईन, 1385 हिजरी, पृष्ठ 167।
  23. इब्ने साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1405 हिजरी, खंड 8, पृष्ठ 474।
  24. मज़्ज़ी, तहज़ीब अल-कमाल, 1405 हिजरी, खंड 35, पृष्ठ 256; बैहक़ी, लोबाब अल-अंसाब, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 385;
  25. मज़्ज़ी, तहज़ीब अल-कमाल, 1405 हिजरी, खंड 35, पृष्ठ 256; इब्ने क़ुतैबा, अल-मआरिफ़, 1390 हिजरी, पृष्ठ 199।
  26. तबरी, तारीख़ अल-उम्म व अल-मुलूक, 1967 ईस्वी, खंड 7, पृष्ठ 536।
  27. सिब्ते इब्ने जौज़ी, तज़केरतुल ख़्वास, 1418 हिजरी, पृष्ठ 251।
  28. ज़हबी, तारीख़ अल-इस्लाम, 1413 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 442।
  29. इब्ने हिब्बान, सहीह, 1414 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 301।
  30. इब्ने असाकर, तारीख़े दमिश्क़, 1421 हिजरी, खंड 70, पृष्ठ 17।
  31. सीरिया में अहले बेत और इमामों के साथियों के ज़ियारतगाह, अहमद ख़ामेयार द्वारा लिखित, वक्फ़ क्वार्टरली ऑफ लिगेसी, नंबर 76, विंटर 2010, पृष्ठ 126-87।

स्रोत

  • इब्ने असीर, अल-कामिल फ़ी अल-तारीख़, बैरूत, दार सादिर, 1385 हिजरी।
  • इब्ने हिब्बान, मुहम्मद इब्ने अहमद, सहीह इब्ने हिब्बान, बैरूत, रेसाला संस्थान, 1414 हिजरी।
  • इब्ने साद, मुहम्मद इब्ने साद, तबक़ात अल-कुबरा, बैरुत, दार बैरूत, 1405 हिजरी।
  • इब्ने असाकर, तारीख़ मदीना दमिश्क, अली शिरी द्वारा प्रकाशित, बैरूत, 1421 हिजरी।
  • इब्ने क़ुतैबा, अल-मआरिफ़, मुहम्मद इस्माइल अब्दुल्लाह सावी द्वारा प्रकाशित, बैरूत, 1390 हिजरी।
  • अबुल फ़रज इस्फ़ाहानी, मक़ातिल अल-तालेबेईन, काज़िम अल-मुज़फ्फ़र द्वारा शोध, नजफ़ अशरफ, अल-मकतबा अल-हैदरिया, 1385 हिजरी।
  • ज़हबी, शम्सुद्दीन, शोध: उमर अब्दुस्सलाम, तारीख़े इस्लाम, बैरूत, दार अल-किताब अल-अरबी, दूसरा संस्करण, 1413 हिजरी।
  • सिब्ते बिन जौज़ी, तज़किरतुल ख्वास, क़ुम, अल-शरीफ़ अल-रज़ी, पहला संस्करण, 1418 हिजरी।
  • सय्यद इब्ने ताऊस, लोहोफ़, अब्दुर्रहीम अक़ीक़ी बख्शाएशी द्वारा अनुवादित, क़ुम, नवेद इस्लाम, 1378 शम्सी।
  • शेख़ सदूक़, मोहम्मद बिन अली, अल-अमाली, तेहरान, किताबाची पब्लिशिंग हाउस, 1376 शम्सी।
  • शेख़ मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल-इरशाद फ़ी मारेफ़त होज्जुल्लाह अलल एबाद, क़ुम, आले-अल-बैत (अ) इंस्टीट्यूट, 1413 हिजरी।
  • सफ़्फ़ार क़ुमी, मुहम्मद बिन हसन, बसाएर अल-दराजात फ़ी फ़ज़ाएल आले-मुहम्मद (अ), मोहसिन कुचेबाग़ी द्वारा सुधार, क़ुम, नजफ़ी स्कूल, 1404 हिजरी।
  • तबरसी, अहमद बिन अली, अल-एहतेजाज अला अहले अल-लोजाज, इब्राहीम बहादुरी द्वारा शोध, क़ुम, उस्वा प्रकाशन, 1416 हिजरी।
  • तबरी, मुहम्मद बिन जरीर, तारीख़ अल उम्म व अल-मुलूक (तारीख अल-तबरी), मुहम्मद अबुल फ़ज़ल इब्राहीम द्वारा शोध, बैरूत, दार अल-तोरास, 1967।
  • अल्लामा मजलिसी, मोहम्मद बाक़िर, बिहारुल अनवार, बैरूत, वफ़ा संस्थान, 1403 हिजरी।
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, अली अकबर गफ़्फ़ारी और मुहम्मद आखुंदी द्वारा शोध और सुधार, तेहरान, दार अल-किताब अल-इस्लामिया, 1407 हिजरी।
  • मोहम्मदी रय शहरी, दानिश नामे इमाम हुसैन (अ): कुरान और हदीस पर आधारित, क़ुम, दारुल हदीस, 1388 शम्सी।
  • मज़्ज़ी, यूसुफ़ बिन अब्दुल रहमान, तहज़ीब अल-कमाल फ़ी अस्मा अल-रेजाल, बशार अव्वाद मारूफ़ द्वारा प्रकाशित, बैरूत, 1405 हिजरी।
  • बोख़ारी, मुहम्मद बिन इस्माईल, सहीह अल-बोख़ारी, बैरुत दार इब्ने कसीर, 1410 हिजरी।
  • बैहक़ी, अली बिन ज़ैद, लोबाब अल-अंसाब व अल अल्क़ाब व अल एक़ाब, क़ुम, मर्शी स्कूल, 1410 हिजरी।
  • इब्ने हजर असक्लानी, तक़रीब अल तहज़ीब, दमिश्क़, दार अल-रशीद, 1412 हिजरी।