इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ)

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इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ)
शियों के पाँचवें इमाम
बक़ीअ क़ब्रिस्तान
नाममोहम्मद बिन अली
उपाधिअबू जाफ़र
जन्मदिन1 रजब, वर्ष 57 हिजरी
इमामत की अवधि19 वर्ष, वर्ष 95 हिजरी से 114 हिजरी तक
शहादत7 ज़िल हिज्जा
दफ़्न स्थानबक़ीअ क़ब्रिस्तान, मदीना
जीवन स्थानमदीना
उपनामबाक़िर, शाकिर, हादी
पिताइमाम सज्जाद (अ)
माताफ़ातिमा
जीवन साथीउम्मे फ़र्वा, उम्मे हकीम
संतानजाफ़र, अब्दुल्लाह, इब्राहीम, उबैदुल्लाह, अली, ज़ैनब, उम्मे सलमा
आयु57 वर्ष
शियों के इमाम
अमीरुल मोमिनीन (उपनाम) . इमाम हसन मुज्तबा . इमाम हुसैन (अ) . इमाम सज्जाद . इमाम बाक़िर . इमाम सादिक़ . इमाम काज़िम . इमाम रज़ा . इमाम जवाद . इमाम हादी . इमाम हसन अस्करी . इमाम महदी


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मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब, (अरबी: الإمام محمد الباقر عليه السلام) इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) (57-114 हिजरी) के नाम से प्रसिद्ध, अपने पिता इमाम सज्जाद (अ) के बाद शियों के पांचवें इमाम हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध उपनाम बाक़िर है जिसका अर्थ है विभाजन करने वाला, जो उन्हें हदीसे लौह के अनुसार उनके जन्म से पहले पैगंबर (स) द्वारा दिया गया था। इमाम बाक़िर (अ) लगभग 19 वर्षों तक (95 हिजरी से 114 हिजरी तक) शियों के इमाम रहे, और आपकी इमामत के दौर में पांच उमय्या ख़लीफ़ा रहे: वलीद बिन अब्दुल मलिक, सुलेमान बिन अब्दुल मलिक, उमर बिन अब्दुल अज़ीज़, यज़ीद बिन अब्दुल मलिक और हेशाम बिन अब्दुल मलिक। इमाम 57 साल की आयु में 7 ज़िल हिज्जा 114 हिजरी को शहीद हुए। कुछ ने हेशाम बिन अब्दुल मलिक और अन्य ने इब्राहिम बिन वलीद को आपकी शहादत के कारण के रूप में माना है। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, इमाम बाक़िर (अ) कर्बला की घटना के समय बच्चे थे और इस घटना में मौजूद थे।

बाक़िरुल उलूम (अ) इल्म, ज़ोहद, अज़मत और फ़ज़ीलत में बनी हाशिम महान व्यक्तित्व में से थे, और आपसे विभिन्न विषयों जैसे न्यायशास्त्र (फ़िक़्ह), एकेश्वरवाद (तौहीद), सुन्नते नबवी, क़ुरआन और नैतिकता (अख़्लाक़) में बहुस सी हदीसें वर्णित हुई हैं, इस हद तक कि मुहम्मद बिन मुस्लिम ने 30 हज़ार हदीसें और जाबिर बिन यज़ीद जोअफ़ी ने इमाम बाक़िर (अ) से 70 हज़ार हदीसें उल्लेख की हैं। उन्होंने एक इल्मी क्रांति की बुनियाद रखी जो उनके बेटे इमाम सादिक़ (अ) की इमामत के दौर में अपने चरम पर पहुंच गई। उनके साथियों और छात्रों की संख्या 462 बताई गई है। इनके इमामत के दौर में नैतिकता, न्यायशास्त्र (फ़िकह), धर्मशास्त्र (कलाम) और व्याख्या (तफ़सीर) जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शिया मतों का संकलन शुरू हुआ।

इमाम बाक़िर (अ) के बारे में कई किताबें प्रकाशित हुई हैं, अज़ीज़ुल्लाह अतारदी द्वारा लिख़ी मुसनद अल-इमाम अल-बाक़िर (अ) उनमें से एक है।

जीवनी

इमाम बाक़िर (अ), इमाम सज्जाद (अ) और फ़ातेमा, इमाम हसन (अ) की पुत्री के पुत्र हैं। क्योंकि आपका वंश इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) दोनो से मिलता है इसलिए आपको, हाशमी बैना हाशमियैन, अलवी बैना अलवीयैन, फ़ातमी बैना फ़ातमीयैन के उपनाम दिए गए हैँ। [2]

जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी द्वारा सुनाई गई हदीसे लौह के अनुसार, इमाम बाक़िर (अ) के जन्म से पहले, पैगंबर (स) ने उनका नाम मुहम्मद और उपनाम बाक़िर रखा था। आपके उपनाम “बाक़िरुल उलूम”, “शाकिर” “हादी” और “अमीन” हैं; [4] लेकिन उनका सबसे प्रसिद्ध उपनाम "बाक़िर" है। [5] याकूबी लिखतें हैं: "उन्हें बाकिर कहा जाता था क्योंकि उन्होंने इल्म को विभाजित किया।" [6] शेख़ मुफ़ीद के अनुसार, इमाम बाक़िर (अ) इल्म, ज़ोहद, और उदारता में सभी भाईयों से बेहतर थे, और उनकी गरिमा और प्रतिष्ठा अधिक थी, और सभी ने उनकी महानता की प्रशंसा की है। [7]

उनकी प्रसिद्ध उपाधि "अबू जाफ़र" है[8] हदीसी स्रोतों में, उन्हें ज़्यादातर अबू जाफ़र प्रथम के रूप में संदर्भित किया जाता है, [9] ताकि अबू जाफ़र द्वितीय (इमाम मुहम्मद तक़ी (अ)) के साथ भ्रमित न हों। [10]

जन्म और शहादत

इमाम बाक़िर (अ) का जन्म मदीना में 1 रजब, वर्ष 57 हिजरी को हुआ। [11] कुछ अन्य का मानना है कि आपका जन्म 3 सफ़र वर्ष 57 हिजरी को हुआ। [12] आप कर्बला की घटना में मौजूद थे लेकिन आप बच्चे थें। [13]

इमाम बाक़िर (अ) की शहादत 57 [14] वर्ष की आयु में 7 ज़िल हिज्जा 114 हिजरी को हुई; हालांकि कुछ अन्य ने ज़िल हज्जा के बजाए रबीउल अव्वल या रबीउस सानी माना है। और इसी तरह शहादत के वर्ष में भी मतभेद पाए जाते जैसे वर्ष 115 हिजरी, वर्ष 116 हिजरी, या वर्ष 118 हिजरी [17]

इमाम बाक़िर (अ) की शहादत हेशाम बिन अब्दुल मलिक के खिलाफ़त के दौरान हुई: [18] क्योंकि हेशाम 105 से 125 हिजरी [19] तक खलीफ़ा था और दूसरे वर्षों में जिसका उल्लेख इतिहासकारों ने इमाम बाक़िर (अ) की शहादत में किया है 118 हिजरी था। [20] उसकी हत्या में शामिल व्यक्ति या व्यक्तियों के बारे में अलग-अलग रिपोर्टें हैं। कुछ स्रोतों ने हेशाम बिन अब्दुल मलिक को उनकी शहादत के कारण के रूप में माना है [21] और कुछ ने इब्राहिम बिन वलीद को उनको ज़हर देने के कारण के रूप में माना है। [22]

इमाम बाक़िर (अ) ने वसीयत की थी कि जिस कपड़े में उन्होंने नमाज़ पढ़ी है उसी कपड़े में उन्हें दफ़्नाया जाए। [23] उन्हें बक़ी कब्रिस्तान में उनके पिता इमाम सज्जाद (अ) और उनके पिता के चाचा इमाम हसन (अ) की क़ब्र के बग़ल में दफ़्नाया गया। [24] इमाम (अ) ने वसीयत की थी कि दस वर्षों तक हज के दौरान मेना में उनके लिए एक शोक समारोह आयोजित किया जाए। [25] [नोट 1]

पत्नियां और बच्चे

ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, इमाम बाक़िर (अ) की तीन पत्नियाँ और सात बच्चे थे:

पत्नियां वंश बच्चे
उम्मे फ़रवा क़ासिम बिन मुहम्मद बिन अबी बक्र की बेटी इमाम सादिक़ (अ) और अब्दुल्लाह
उम्मे हकीम असीद सक़फ़ी की बेटी अब्दुल्लाह और इब्राहीम
उम्मे वलद कनीज़ अली, ज़ैनब
उम्मे वलद कनीज़ उम्मे सलमा

इमामत का दौर

इमाम बाक़िर (अ) ने अपने पिता की शहादत के बाद 95 हिजरी में इमामत का पद संभाला [27] और अपनी शहादत (वर्ष 114 हिजरी) तक इमामत के प्रभारी थे। [28] पैग़म्बर (स) की हदीस, जिस में इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ) की इमामत के बाद आपकी इमामत की तरफ़ इशारा है आपकी इमामत की दलीलों में से एक माना जाता है। [29] इमाम सज्जाद (अ) भी उन्हें बहुत महत्व दिया करते थे और इमाम (अ) ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि “यह महत्व इस लिए है कि इमामत इनके बच्चों और वंश में है और एक दिन हमारा क़ायम (अ) क़याम करेगा और दुनिया को अदालत से भर देगा वह (इमाम बाक़िर (अ)) ख़ुद भी इमाम हैं और इमामों के पिता भी हैं” [30]

समकालीन ख़लीफ़ा

आपकी इमामत, बनी उम्मया के पाँच ख़लीफ़ा के समकालीन थी:

  1. वलीद बिन अब्दुल मलिक (86-96 हिजरी)
  2. सुलेमान बिन अब्दुल मलिक (96-99 हिजरी)
  3. उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ (99-101 हिजरी)
  4. यज़ीद बिन अब्दुल मलिक (101-105 हिजरी)
  5. हेशाम बिन अब्दुल मलिक (105-125 हिजरी) [31]