अम्बिया

wikishia से
(नबियों से अनुप्रेषित)
यह लेख अम्बिया की संख्या, चमत्कार, मक़ाम और शरीयत के बारे मे है जबकि नबूवत की अवधारण और अर्थ के लिए, नबूवत का अध्ययन करें। 

अम्बिया (अरबी: انبیاء) (भविष्यद्वक्ता) वे लोग होते हैं जिनके द्वारा परमेश्वर मनुष्य को अपनी ओर आमंत्रित करता है। ईश्वर, रहस्योद्घाटन (वहयी) के माध्यम से भविष्यवक्ताओं के साथ संपर्क और संवाद करता है।

मासूम होना, ग़ैब का ज्ञान रखना, चमत्कार और वहयी को अल्लाह से प्राप्त करना उनके गुणों मे से है। कुरआन ने हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए अग्नि के शांत होने, हज़रत मूसा (अ) के डंडे से अजगर मे परिवर्तित होने और हज़रत ईसा (अ) के हाथो मृतको के जीवित होने और पवित्र कुरआन जैसे चमत्कार को अम्बिया के चमत्कारों में उल्लेख किया है।

फ़ज़ीलत के हिसाब से अम्बिया के स्थान भिन्न है। कुछ अम्बिया नबूवत के साथ-साथ रिसालत और कुछ उसके साथ-साथ इमामत के पद पर नियुक्त थे। रिवायत की रौशनी मे ऊलुल अज़्म अम्बिया (नूह (अ), इब्राहीम (अ), मूसा (अ), ईसा (अ) और मुहम्मद (स)) दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है। इस प्रकार अम्बिया मे से हज़रत शीस (अ), हज़रत इद्रीस (अ), हज़रत मूसा (अ), हज़रत दाऊद (अ), हज़रत ईसा (अ) और अंतिम नबी हज़रत मुहम्मद (स) साहेब ए शरीयत है।

प्रसिद्ध कथन के अनुसार अम्बिया की कुल संख्या एक लाख चौबीस हज़ार (1,24,000) है और उनमे से 25 नबीयो का नाम क़ुरआन मे आया है। हज़रत आदम (अ) पहले और हज़रत मुहम्मद (स) अंतिम नबी है। शिया विद्वानो ने अम्बिया का इतिहास अपनी पुस्तको मे उल्लेख किया है जबकि अलग से उनके संबंध मे पुस्तके भी लिखी है। अल-नूरुल मुबीन फ़ी क़ेसासिल अम्बियाए वल मुरसलीन, लेखक सय्यद नेअमतुल्लाह जज़ाएरी, क़ेसस उल अम्बिया, लेखक रावंदी, तनज़ीह उल-अम्बिया, लेखक सय्यद मुरर्तज़ा और हयात उल-क़ुलूब, लेखक अल्लामा मजलिसी उन पुस्तको मे से है।

पैग़ंबर

मुख़्य लेखः पैग़ंबर

पैग़ंबर अथवा नबी बिनी किसी वास्ते के अल्लाह से ख़बर देता है[१] और वह अल्लाह और उसकी मख़लूक़ के बीच वास्ता होता है और वह अल्लाह की मख़लूक़ को अल्लाह की ओर बुलाता है।[२]

वही (रहस्योद्घाटन) लेकर उसे लोगो तक पहुंचाना, ग़ैब का इल्म[३] (अनदेखी का ज्ञान) रखना, मासूम होना[४] मुस्ताजाब उद दावा[५] (उसे कहते है जिसकी दुआ क़बूल होती है) होना नबीयो की विशेषताए है। अधिकांश धर्मशास्त्रियों का मानना है कि अम्बिया जीवन के सभी चरणों में पाप से निर्दोष हैं।[६] इसीलिए कुरान मे जहा अम्बिया के इस्तिग़फ़ार और अल्लाह की ओर से उनकी बख़्शिश का उल्लेख हुआ है[७] जैसे मिस्री व्यक्ति का हज़रत मूसा (अ) के हाथो क़त्ल,[८] हज़रत यूनूस (अ) का रिसालत को छोड़ना,[९] हज़रत आदम (अ) का निषिद्ध फल का खाना[१०] इत्यादि को तर्के औला से वर्णित किया गया है। इनके मुक़ाबले मे कुछ धर्मशास्त्रि अम्बिया को केवल नबूत से संबंधित मामलो मे मासूम समझते है। और जीवन के दूसरे चरणो मे वो नबीयो से भूल होने को स्वीकार करते है।[११]

नाम और संख्या

अम्बिया की संख्या से संबंधित रिवायतो मे मतभेद पाया जाता है। प्रसिद्ध रिवायत के अनुसार अल्लामा तबातबाई अम्बिया की संख्या एक लाख चौबीस हज़ार मानते है।[१२] इस रिवायत के अनुसार रसूलो की संख्या 313 है, बनी इस्राईल के 600 अम्बिया के अतिरिक्त दूसरे चार नबी (हूद (अ), सालेह (अ), शीस (अ) और मुहम्मद (स)) अरब है।[१३] जबकि दूसरी रिवायतो मे अम्बिया की संख्या 8 हज़ार,[१४] 3 लाख 20 हज़ार[१५] और 1 लाख 44 हज़ार[१६] का भी उल्लेख है। अल्लामा मजलिसी ने संभावना दी है कि 8 हजार की संख्या बुज़ुर्ग अम्बिया से संबंधित है[१७] पहले नबी आदम (अ)[१८] और आखिरी नबी मुहम्मद (स) हैं।[१९]

क़ुरआन मे कुछ अम्बिया के नामों का उल्लेख हुआ है।[२०] आदम (अ), नूह (अ), इदरीस (अ), हूद (अ), सालेह (अ), इब्राहीम (अ), लूत (अ), इस्माईल (अ), अलयसा (अ), ज़ुलक़िफ़्ल (अ), इल्यास (अ), युनूस (अ), इस्हाक़ (अ), याक़ूब (अ), युसुफ़ (अ), शुऐब (अ), मूसा (अ), हारून (अ), दाऊद (अ), सुलेमान (अ), अय्यूब (अ), ज़करिया (अ), यहया (अ), ईसा (अ) और मुहम्मद (स) उन नामो मे से है जो क़ुरआन मे आए है।[२१] कुछ टिप्पणीकारों (मुफ़स्सेरीन) का मानना है कि इस्माईल बिन हज़क़ील [नोट 1] का भी कुरान में उल्लेख किया गया है।[२२]

कहा गया है कि क़ुरआन मजीद मे कुछ अम्बिया के नामो के स्थान पर उनकी सिफ़तो जैसे उज़ैर, अरमिया और शमूईल का उल्लेख किया है।[२३] कुरान के एक सूरा का नाम अम्बिया है और कुछ दूसरे सूरो के नाम अम्बिया के नाम पर है जैसे युनूस, हूद, युसुफ़, इब्राहीम, मुहम्मद और नूह।

रिवायतो मे शीस,[२४] हज़क़ील,[२५] हबक़ूक़,[२६] दानीयाल,[२७] जिजीस,[२८] उज़ैर,[२९] हंज़ला[३०] और अरमिया[३१] अम्बिया के नामो का उल्लेख हुआ है। हज़रत ख़िज़्र,[३२] ख़ालिद बिन सनान[३३] और ज़िल क़र्नैन[३४] के नबी होने मे मतभेद है। अल्लामा तबातबाई के अनुसार हज़रत उज़ैर का नबी होना स्पष्ट नही है।[३५] क़ुरआनी आयात के आधार पर एक समय मे एक से अधिक नबी भी रहे है उदाहरण स्वरूप मूसा और हारून,[३६] इब्राहीम और लूत[३७] एक ही समय मे रहे है।

क़ुरान मे अम्बिया के नाम
व्यक्ति का नाम तकरार अहदैन मे नबी रसूल ऊलुल अज़्म इमाम किताब क़ौम दफ़न का स्थान साहिबे शरियत
आदम 17 Adam नजफ़ अमीरुल मोमिनीन (अ) की क़ब्र मे
इद्रीस 2 Enoch नबी[३८] हां आसमान पर[३९]
नूह 43 Noah नबी[४०] रसूल[४१] بله नजफ़ अमीरूल मोमिनीन(अ) की क़ब्र मे हां[४२]
हूद 7[४३] Eber रसूल[४४] आद[४५] नजफ़/ वादी उस-सलाम
सालेह 9 रसूल[४६] समूद[४७] नजफ़/ वादी उस-सलाम
इब्राहीम 69 Abraham नबी[४८] रसूल[४९] हां[५०] इमाम [५१] सोहोफ़ हां हां अल-ख़लील(फ़िलिस्तीन हां[४२]
लूत 27 Lot नबी[४०] रसूल[५२] फ़ फ़िलिस्तीन/अल-ख़लील
इस्माईल 11 Ishmael नबी[५३] मस्जिद उल-हराम/ हजरे इस्माईल माता की बगल मे हाजिर
उज़ैर 1 [५४] बनी इस्राईल फ़िलिस्तीन
इस्हाक़ 17 Isaac नबी[५५] इमाम[५६] अल-ख़लील (फ़िलिस्तीन)
याक़ूब 16 Jacob नबी[५५] इमाम[५६] जामेअ अल-ख़लील (फ़िलिस्तीन)
यूसुफ़ 27 Joseph नबी[४०] बनी इस्राईल जामेअ अल-ख़लील (फ़िलिस्तीन)
अय्यूब 4 Job नबी[४०] हौरान
शुऐब 11 Jethro, Reuel, Hobab रसूल[५७] मदयन[५८] बैतुल मुक़द्दस
मूसा 136 Moses नबी[५९] रसूल[५९] तौरात[६०] फ़िरऔनियान[६१] और बनि इस्राईल[६२] बैतुल मुक़द्दस के आस-पास हां[४२]
हारून 19 Aaron नबी[६३] रसूल[६४] फ़िरऔनियान[६५] और बनि इस्राईल[६६] ا सीना पर्वत के आस-पास
ज़ुल-क़िफ़्ल 2 Ezekiel कूफ़ा और हिल्ला के बीच
दाऊद 16 David नबी[४०] ज़बूर[६७] बैतुल मुक़द्दस
सुलेमान 17 Solomon नबी[४०] बैतुल मुक़द्दस
इल्यास 2 Elijah (Elias) नबी[४०] रसूल[६८] आसमान पर
अल-यसाअ 2 Elisha नबी[४०] दमिश्क़
यूनुस 4 Jonah नबी[४०] रसूल[६९] कूफ़ा
ज़करया 7 Zechariah नबी[४०] बैतुल मुक़द्दस
याह्या 5 John the Baptist नबी[७०] मस्जिदे अमावी، दमिश्क़
ईसा 25 Jesus नबी[७१] रसूल[७२] इंजील[७३] बनी इस्राईल[७४] आसमान पर हां[४२]
मुहम्मद 4 नबी[७५] रसूल[७६] क़ुरान[७७] पूर्ण जनता[७८] मदीना हां[४२]

स्थान और मंज़िलत

आयत (وَلَقَدْ فَضَّلْنَا بَعْضَ النَّبِيِّينَ عَلَىٰ بَعْضٍ) "वलाक़द फ़ज़्ज़लना बाज़न्न नबीय्यीना अला बाज़िन" "अनुवादः हमने कुछ नबियों को दूसरों से श्रेष्ठ बनाया",[७९] सभी अम्बिया की रैंक और स्थिति समान नहीं है और उनमें से कुछ दूसरों से श्रेष्ठ हैं। हदीसों में, पवित्र पैगंबर (स) की स्थिति को अन्य नबियों से श्रेष्ठ माना गया है।[८०] यहूदियों के अनुसार, बनी इस्राईल के अम्बिया को अन्य नबियों से श्रेष्ठ हैं, और उनमें से मूसा (अ) दूसरो से श्रेष्ठ हैं।[८१]

ऊलुल अज़्म

अल्लामा तबातबाई के अनुसार सूर ए अहकाफ़ की 35वीं आयत मे अज़्म का अर्थ शरियत है और ऊलुल अज़्म का अर्थ साहेब ए शरियत नबी है। इनकी दृष्टि से पांच नबी (नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद) ऊलुल अज़्म नबी है।[८२] कुछ का कहना है कि ऊलुल अज़्म साहेबाने शरियत अम्बिया मे निर्भर नही है।[८३] रिवायत के आधार पर ऊलुल अज़्म पैगंबर दूसरे अम्बिया पर फ़ज़ीलत रखते है।[८४]

रिसालत

प्रसिद्ध कथन के अनुसार नबी का अर्थ रसूल से अधिक विस्तृत है इस आधार पर प्रत्येक रसूल नबी है कितुं कुछ अम्बिया रसूल नही है।[८५] एक हदीस के आधार पर अम्बिया मे से 313 रसूल है।[८६]

रसूल और नबी के बीच अंतर

  • रसूल सोते और जागते वही हासिल करता है लेकिन नबी केवल सोते हुए वही हासिल करता है।[८७]
  • रसूल पर वही जिब्राईल के माध्यम से पहुचंती है जबकि नबी दूसरे फ़रिश्तो के माध्यम से अथवा दिल की प्रेरणा या एक सच्चे सपने की स्थिति मे स्वीकार करता है।[८८]
  • रसूल नबूवत के साथ-साथ इतमामे हुज्जत का भी हामिल होता है।[८९]
  • रसूल साहेब ए शरियत होता है और अहकाम वज़्अ करता है किंतु नबी शरियत के रक्षक के कर्तव्यों का पालन करता है। तबरसी ने इस कथन का श्रेय जाहिज़ को दिया है।[९०] हालांकि, तबरसी जैसे कुछ मुफ़स्सिरीन नबी और दूत को पर्यायवाची मानते हैं।[९१]

इमामत

आयत ए इब्लिता इब्राहीम के आधार पर कुछ नबी इमामत का पद भी रखते है।[९२] कुछ रिवायतो मे इमामत के पद को नबूवत के पद पर प्राथमिकता दी गई है क्योकि यह पद हज़रत इब्राहीम को नबूवत प्रदान करने के पश्चात जीवन के अंतिम पड़ाव मे प्रदान की गई।[९३] सूरा ए अम्बिया मे हज़रत इब्राहीम (अ), इस्हाक़ (अ), याक़ूब (अ) और लूत (अ) को इमाम कहा गया है।[९४] इमाम सादिक़ (अ) से नक़्ल एक हदीस के अनुसार सभी ऊलुल अज़्म अम्बिया इमामत के पद पर भी नियुक्त थे।[९५]

फ़रिश़्तो (स्वर्गदूतो) पर श्रेष्ठता

शेख़ मुफ़ीद, इमामिया और अहले सुन्नत मे से अहले हदीस अम्बिया के पद को फ़रिश्तो से श्रेष्ठ समझते है लेकिन अधिकांश मोतज़ेला फ़रिश्तो को अम्बिया से श्रेष्ठ समझते है।[९६] कुच हदीसे पैगंबर अकरम (स) और शियो के बारह इमामो को फरिश्तो पर फ़ज़ीलत देती है।[९७]

किताब और शरीयत

नबीयो मे से कुछ साहेब ए किताब (किताब वाले नबी) थे। कुरआन की आयात के अनुसार ज़बूर हज़रत दाऊद, (अ)[९८] तौरैत हज़रत मूसा (अ) [नोट 3], इंजील हज़रत ईसा (अ)[९९] और क़ुरान हज़रत मुहम्मद (स)[१००] की किताब है। क़ुरआन ने हज़रत इब्राहीम अलैहिस सलाम के लिए किताब का नाम नही लिया लेकिन उनके लिए "सोहोफ़" शब्द का प्रयोग किय है।[१०१] इसी प्रकार एक हदीस के अनुसार खुदावंद ने 50 सहीफ़े हज़रत शीस (अ), 30 सहीफ़े हज़रत इद्रीस (अ) और 20 सहीफ़े हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए भेजे।[१०२]

टीकाकारो ने सूर ए शूरा की आयत न 13 [नोट 4] को ध्यान मे रखते हुए हज़रत नूह (अ), इब्राहीम (अ), मूसा (अ), ईसा (अ) और मुहम्मद (स) को साहेबाने शरियात अम्बिया कहा है।[१०३] कुछ रिवायतो मे अम्बिया के ऊलुल अज़्म होने का कारण साहेब ए शरियत बताया है।[१०४]

अल्लामा तबातबाई का कहना है कि ऊलुल अज़्म नबीयो मे से प्रत्येक साहेब शरियत नबी था।[१०५] उन्होने इस बात को भी कहा है कि हजरत दाऊद (अ),[१०६] शीस (अ) और इद्रीस (अ)[१०७] इत्यादि का ऊलुल अज़्म नबी न होने के बावजूद साहेब ए किताब होना ऊलुल अज़्म अम्बिया के साहेब शरियत होने के साथ किसी प्रकार का कोई मतभेद नही है क्योकि जो अम्बिया ऊलुल अज़्म नही है लेकिन उनपर नाजिल होने वाले किताबे अहकाम और शरियत पर आधारित नही थी।[१०८]

मोअजेज़ा (चमत्कार)

चमत्कार के माध्यम से नबूवत के सच्चे दावेदारो को नबूवत के झूठे दावेदारो से अलग किया जाता है। मोअज़ेज़ा एक असाधारण कार्य है जो ईश्वर की ओर से एक नबी के हाथों प्रकट होता है और यह नबूवत के दावे और तहद्दी के साथ होता है।[१०९] क़ुरान ने अम्बिया के कुछ मोअजेज़ात का उल्लेख किया है जैसे हज़रत सालेह (अ) की ऊँटनी,[११०] हज़रत इब्राहीम (अ) के लिए अग्नि का ठंडा हो जाना,[१११] हज़रत इब्राहीम (अ) के हाथो चार पक्षीयो का जीवित होना,[११२] हज़रत मूसा (अ) के 9 मोजेज़े जिनमे डंडे का अजगर मे परिवर्तित होना,[११३] फ़रज़ंदाने बनी इस्राईल के लिए 12 चश्मो का जारी होना,[११४] बनी इस्राईल की निजात के लिए दरिया मे मार्ग बनना,[११५] यदे बैज़ा,[११६] हज़रत ईसा (अ) के चमत्कार जैसे रोगीयो को स्वस्थ करना, मृतको को जीवित करना, गीली मिट्टी का पक्षी मे परिवर्तित होना,[११७] और पैगंबर अकरम (स) के मोज्ज़ात जैसे क़ुरान करीम,[११८] शक़्क़ुल क़मर (चंद्रमा के दो भाग होना)[११९] अम्बिया के प्रसिद्ध चमत्कारो मे से है जिनकी ओर कुरान ने इशारा किया है। सुन्नी टीकाकार इब्ने जौज़ी के अनुसार इस्लामी स्रोतो मे पैगंबर अकरम (स) के एक हज़ार मोअजेज़ात का उल्लेख है।[१२०]

अलग-अलग समय में लोगों की अलग-अलग जरूरतों और उनके ज्ञान के कारण चमत्कारों में भी अंतर पाया जाता है। हिकमते इलाही नबी के मुख़ातेबीन की आवश्यकता और उसके उपयुक्त मोजेज़े को निर्धारित करती है। उदाहरण के तौर पर, हज़रत मूसा (अ) के समय में जादू-टोना किया जाता था, इसलिए परमेश्वर ने मूसा का मोज्ज़ा असा (डंडा) क़रार दिया ताकि जादूगर उस जैसा न कर सकें और दूसरो पर खुदा की हुज्जत तमाम हो जाए।[१२१]

इरहासात

धर्मशास्त्रियो की दृष्टी मे अम्बिया की बेसत से पहले घटने वाली असाधारण घटनाओ को इरहासात कहा जाता है।[१२२] इनके प्रकट होने का कारण यह है कि अम्बिया की बेसत पश्चात लोग इनके जैसी घटनाओ के घटने की स्थिति मे स्वीकार करने की किसी प्रकार का सोच विचार न करें अर्थात इरहासात लोगो को असाधारण कार्यो को स्वीकार करने की तैयारी के उद्देश्य से होते थे। नील नदी से हजरत मूसा (अ) का निजात पाना, हजरत ईसा (अ) का पालने मे बात करना,[१२३] ईरान मे सावा नदी का सूख जाना, महल्लाते कसरा का लरज़ना, फ़ारस के आतिश्कदे का बुझ जाना, और रसूल अल्लाह के जन्म के समय घटने वाली घटनाओ[१२४] को पैगंबरो के इरहासात मे गणना की जाती है।

किताबो का परिचय

मोहद्देसीन, मुफ़स्सेरीन और इस्लामी धर्मशास्त्रियो ने अपनी रचनाओ मे अम्बिया से संबंधित बातो का उल्लेख किया है। अल्लामा मजलिसी ने किताब बिहार उल-अनवार के चार खंड अम्बिया से संबंधित रिवायत[१२५] और बिहार उल-अनवार के 9 खंड को पैगंबर अकरम (अ) के इतिहास से मख़सूस किया है।[१२६] इसी प्रकार अम्बिया से संबंधित अलग-अलग किताबे भी लिखी गई है। अधिकांश क़ेससे अम्बिया के शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुई है। उनमे से अधिकांश अम्बिया की जीवनी और उनसे संबंधित अकाइद की चर्चा की गई है। उनमे से कुछ के नाम निम्नलिखित हैः

  • अल-नूर उल-मुबीन फ़ी क़ेसस इल अम्बिया-ए वल मुरसलीन: इस किताब को नेअमतुल्लाह जज़ाएरी (1050-1112 हिजरी) ने लिखा। यह किताब शिया रिवायतो मे उल्लेखित होने वाली अम्बिया की जीवनी पर आधारित है। लेखक ने किताब की भूमीका मे अम्बिया की संख्या, उनमे पाई जानी वाली समानता, ऊलुल अज़्म अम्बिया, और नबी तथा इमाम के बीच पाए जाने वाले अंतर पर चर्चा की है। अस्ल किताब अरबी भाषा मे है जबकि इसका अनुवाद फ़ारसी भाषा मे भी प्रकाशित हो चुका है।
  • तनज़ीह उल-अम्बिया वल-आइम्मा: सैयद मुर्तजा (355-436 हिजरी) ने पैगंबरों की इस्मत की पुष्टि करने के लिए इसे अरबी में संकलित किया। इस पुस्तक में लेखक ने अम्बिया को सभी प्रकार की गलतियों, छोटे और बड़े पापों से निर्दोष माना है।
  • वक़ाए अल-सेनीन वल-आवाम: सैयद अब्दुल हुसैन खातूनाबादी (मृत्यु 1105 हिजरी) द्वारा संकलित है। किताब तीन भाग पर आधारित हैं। पहला भाग अम्बिया के इतिहास से संबंधित है। इस भाग में, लेखक ने अम्बिया के नाम, जीवन काल और कुछ अम्बिया की कहानियों का उल्लेख किया है, जबकि अन्य दो भागों में, अल्लाह के रसूल के समय में हुई घटनाओं का वर्णन किया गया है इसका फारसी भाषा में अनुवाद किया गया है।
  • लताइफ़ ए केसस उल-अम्बिया अलैहेमुस सलाम: सहल बिन अब्दुल्लाह तुस्तरी (मृत्यु 238 हिजरी) की रचान है। इस पुस्तक में, नबियों के जीवन से संबंधित बिंदुओं को आयतो और रिवायतो के प्रकाश में वर्णित किया गया है।
  • हयात उल-क़ुलूब: अल्लामा मजलिसी (मृत्यु 1110 हिजरी) का संकलन है। इसमें नबियों और उनके उत्तराधिकारियों की जीवन स्थितियों का वर्णन है। इस पुस्तक में, मजलिसी ने सार्वजनिक नबूवत, ख़िलाफ़ते इमाम अली (अ), वजूबे वुजूदे इमाम (इमाम के अस्तित्व की आवश्यकता), इमाम के नियुक्त होने और इस्मत की बहसो पर चर्चा की है।

इसी तरह, सुन्नी विद्वानों मे से क़ेसस उल-अम्बिया अल-मुसम्मा अराएस इल-मजालिस लेखक अहमद बिन मुहम्मद सालबी, केसस उल-अम्बिया, इब्ने कसीर और अबू इस्हाक नैशापूरी की केसस उल-अम्बिया भी उल्लेखनीय है।

फ़ुटनोट

  1. तुरैही, मज्मा उल-बहरैन, भाग 1, पेज 375
  2. मुस्तफ़वी, अल-तहक़ीक़ फ़ी कलमातिल कुरान अल-करीम, भाग 12, पेज 55
  3. तूसी, अल-तिबयान, दार ए एहया अल-तुरास अल-अरबी, भाग 2, पेज 459
  4. मुफ़ीद, अदमे सहवुन नबी, पेज 29-30; सय्यद मुर्तुज़ा, तनज़ीह उल-अम्बिया, पेज 34
  5. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 72, पेज 116
  6. मुफ़ीद, अदमे सहवुन नबी, पेज 29-30; सय्यद मुर्तुज़ा, तनज़ीह उल-अम्बिया, पेज 34
  7. देखेः सूरा ए क़िसस, आयत न 16, अम्बिया, आयत 87; सूरा ए ताहा, आयत न 121
  8. मकारिम शीराज़ी, तफ़सीरे नमूना, भाग 16, पेज 42-43
  9. ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 14, पेज 315
  10. तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 56; मकारिम शीराज़ी, तफ़सीरे नमूना, भाग 13, पेज 323
  11. सुदूक़, मन ला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, भाग 1, पेज 360
  12. ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 144
  13. रिवायत देखेः सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524; सुदूक़, मआनी उल-अख़बार, पेज 333; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32 भाग 74, पेज 71
  14. तूसी, अल-अमाली, पेज 397; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 31
  15. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 60
  16. मुफ़ीद, अलइख्तेसास, पेज 263; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 6, पेज 352
  17. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 31
  18. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32
  19. सूर ए अहज़ाब, आयत 40
  20. सूर ए निसा, आयत 164
  21. ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
  22. ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 14, पेज 63
  23. तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 313
  24. सदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524
  25. क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 241-242
  26. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 163
  27. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 13, पेज 448
  28. क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 238
  29. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 13, पेज 448
  30. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 156
  31. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 373; क़ुत्बे रावंदी, क़िसस उल-अम्बिया, पेज 224
  32. देखेः तूसी, अल-तिबयान, दार ए एहया अल-तुरास अल-अरबी, भाग 7, पेज 82
  33. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 14, पेज 448-451
  34. फ़ख्रे राज़ी, मफ़ातीह उल-ग़ैब, भाग 21, पेज 495
  35. ताबतबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
  36. सूरा ए मरियम, आयत न 53
  37. सूरा ए हूद, आयत न 74
  38. सूरा ए मरयम, आयत न.56(وَاذْكُرْ فِی الْكِتَابِ إِدْرِیسَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صِدِّیقًا نَّبِیا)
  39. सूरा ए मरयम, आयत न.57(وَ رَفَعْناهُ مَكاناً عَلِيًّا) के अंतर्गत रिवायात
  40. ४०.० ४०.१ ४०.२ ४०.३ ४०.४ ४०.५ ४०.६ ४०.७ ४०.८ ४०.९ सूरा ए अनाम, आयत न.89(أُولَـٰئِكَ الَّذِینَ آتَینَاهُمُ الْكِتَابَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ)
  41. सूरा ए शोअरा, आयत न.107(إِنِّی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِینٌ.)
  42. ४२.० ४२.१ ४२.२ ४२.३ ४२.४ सूरा ए शूरा, आयत न.13(شَرَعَ لَكُم مِّنَ الدِّینِ مَا وَصَّیٰ بِهِ نُوحًا وَالَّذِی أَوْحَینَا إِلَیكَ وَمَا وَصَّینَا بِهِ إِبْرَاهِیمَ وَمُوسَیٰ وَعِیسَیٰ.)
  43. सूरा ए आराफ, आयत न.65, सूरा ए हूद, आयात न. 50, 53, 58, 60, 89; सूरा ए शोअरा, आयत न. 124; अल-नज्जार، क़िसस उल-अम्बिया، पेज49,1406हिजरी
  44. सूरा ए शोअरा, आयत न.125(إِنِّی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِینٌ.)
  45. सूरा ए आराफ़, आयत न.65(وَإِلَیٰ عَادٍ أَخَاهُمْ هُودًا.)
  46. सूरा ए शोअरा, आयत न.143(إِنِّی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِینٌ.)
  47. क़ुरान7:73
  48. सूरा ए मरयम, आयत न.41(وَاذْكُرْ فِی الْكِتَابِ إِبْرَاهِیمَ ۚ إِنَّهُ كَانَ صِدِّیقًا نَّبِیا.)
  49. सूरा ए तोबा, आयत न.70 (أَتَتْهُمْ رُسُلُهُم بِالْبَینَاتِ.)
  50. सूरा ए बकरा, आयत न.124(وَإِذِ ابْتَلَیٰ إِبْرَاهِیمَ رَبُّهُ بِكَلِمَاتٍ فَأَتَمَّهُنَّ ۖ قَالَ إِنِّی جَاعِلُكَ لِلنَّاسِ إِمَامًا ۖ قَالَ وَمِن ذُرِّیتِی ۖ قَالَ لاینَالُ عَهْدِی الظَّالِمِینَ.)
  51. सूरा ए आला, आयत न.19(صُحُفِ إِبْرَاهِیمَ وَمُوسَیٰ.)
  52. सूरा ए शोअरा, आयत न.162(إِنِّی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِینٌ.)
  53. सूरा ए अनाम, आयत न.89(أُولَـٰئِكَ الَّذِینَ آتَینَاهُمُ الْكِتَابَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ.)
  54. सूरा ए तोबा, आयत न.30(وَ قالَتِ الْيَهُودُ عُزَيْرٌ ابْنُ اللَّهِ وَ قالَتِ النَّصارى‏ الْمَسيحُ ابْنُ اللَّه.)
  55. ५५.० ५५.१ सूरा ए मरयम, आयत न.49(فَلَمَّا اعْتزََلهَُمْ وَ مَا یعْبُدُونَ مِن دُونِ اللَّهِ وَهَبْنَا لَهُ إِسْحَاقَ وَ یعْقُوبَ وَ كلاًُّ جَعَلْنَا نَبِیا.)
  56. ५६.० ५६.१ सूरा ए अम्बिया, आयत न.73(وَ جَعَلْنَاهُمْ أَئمَّةً یهْدُونَ بِأَمْرِنَا.)
  57. सूरा ए शोअरा, आयत न.178(إِنی لَكُمْ رَسُولٌ أَمِین.)
  58. सूरा ए आराफ़, आयत न.85(وَ إِلی مَدْینَ أَخَاهُمْ شُعَیبًا.)
  59. ५९.० ५९.१ सूरा ए मरयम, आयत न.51(وَ اذْكُرْ فی الْكِتَابِ مُوسی إِنَّهُ كاَنَ مخُْلَصًا وَ كاَنَ رَسُولًا نَّبِیا.)
  60. सूरा ए मायदा, आयत न.44(إِنَّا أَنْزَلْنَا التَّوْراةَ فیها هُدی وَ نُورٌ.)
  61. सूरा ए यूनुस, आयत न.75(ثُمَّ بَعَثْنَا مِن بَعْدِهِم مُّوسَیٰ وَهَارُونَ إِلَیٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ بِآیاتِنَا فَاسْتَكْبَرُوا وَكَانُوا قَوْمًا مُّجْرِمِینَ.)
  62. सूरा ए इब्राहीम, आयत न.5(وَ لَقَدْ أَرْسَلْنا مُوسی بِآیاتِنا أَنْ أَخْرِجْ قَوْمَكَ مِنَ الظُّلُماتِ إِلَی النُّورِ وَ ذَكِّرْهُمْ بِأَیامِ اللَّه.)
  63. सूरा ए मरयम, आयत न.53(وَ وَهَبْنا لَهُ مِنْ رَحْمَتِنا أَخاهُ هارُونَ نَبِيًّا.)
  64. सूरा ए मोमेनून, आयत न.45(عرثُمَّ أَرْسَلْنا مُوسی وَ أَخاهُ هارُونَ بِآیاتِنا وَ سُلْطانٍ مُبین.)
  65. सूरा ए यूनुस, आयत न.75(ثُمَّ بَعَثْنَا مِن بَعْدِهِم مُّوسَیٰ وَهَارُونَ إِلَیٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ بِآیاتِنَا فَاسْتَكْبَرُوا وَكَانُوا قَوْمًا مُّجْرِمِینَ.)
  66. सूरा ए ताहा, आयत न.90(وَ لَقَدْ قالَ لَهُمْ هارُونُ مِنْ قَبْلُ یا قَوْمِ إِنَّما فُتِنْتُمْ بِهِ وَ إِنَّ رَبَّكُمُ الرَّحْمنُ فَاتَّبِعُونی وَ أَطیعُوا أَمْری.)
  67. सूरा ए इस्रा, आयत न.55(وَ ءَاتَینَا دَاوُدَ زَبُورًا.)
  68. सूरा ए साफ़्फ़ात, आयत न.123(وَ إِنَّ إِلْیاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِین.)
  69. सूरा ए साफ़्फ़ात, आयत न.139(وَ إِنَّ یونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِین.)
  70. सूरा ए आले-इमरान, आयत न.39(فَنَادَتْهُ الْمَلَئكَةُ وَ هُوَ قَائمٌ یصَلی فی الْمِحْرَابِ أَنَّ اللَّهَ یبَشِّرُكَ بِیحْیی مُصَدِّقَا بِكلَِمَةٍ مِّنَ اللَّهِ وَ سَیدًا وَ حَصُورًا وَ نَبِیا مِّنَ الصَّلِحِین.)
  71. सूरा ए मरयम, आयत न.30(قَالَ إِنی عَبْدُ اللَّهِ ءَاتَئنی الْكِتَابَ وَ جَعَلَنی نَبِیا.)
  72. सूरा ए निसा, आयत न.171(إِنَّمَا الْمَسِیحُ عِیسی ابْنُ مَرْیمَ رَسُولُ اللَّهِ وَ كَلِمَتُهُ أَلْقَئهَا إِلی مَرْیم.)
  73. सूरा ए हदीद, आयत न.27(وَ قَفَّینَا بِعِیسی ابْنِ مَرْیمَ وَ ءَاتَینَهُ الْانجِیلَ.)
  74. सूरा ए सफ़्फ, आयत न.6(وَإِذْ قَالَ عِیسَی ابْنُ مَرْیمَ یا بَنِی إِسْرَائِیلَ إِنِّی رَسُولُ اللَّـهِ إِلَیكُم مُّصَدِّقًا لِّمَا بَینَ یدَی مِنَ التَّوْرَاةِ وَمُبَشِّرًا بِرَسُولٍ یأْتِی مِن بَعْدِی اسْمُهُ أَحْمَدُ.)
  75. सूरा ए अहज़ाब, आयत न.44(ما كاَنَ محُمَّدٌ أَبَا أَحَدٍ مِّن رِّجَالِكُمْ وَ لَكِن رَّسُولَ اللَّهِ وَ خَاتَمَ النَّبِینَ.)
  76. सूरा ए अहज़ाब, आयत न.40(ما كاَنَ محَمَّدٌ أَبَا أَحَدٍ مِّن رِّجَالِكُمْ وَ لَكِن رَّسُولَ اللَّهِ وَ خَاتَمَ النَّبِینَ.)
  77. सूरा ए शूरा, आयत न.7(وَ كَذَالِكَ أَوْحَینَا إِلَیكَ قُرْءَانًا عَرَبِیا لِّتُنذِرَ أُمَّ الْقُرَی وَ مَنْ حَوْلهَا.)
  78. सूरा ए सबा, आयत न.28(وَ ما أَرْسَلْناكَ إِلاَّ كَافَّةً لِلنَّاسِ بَشیراً وَ نَذیراً.)
  79. सूरा ए इस्रा, आयत न 55
  80. सुदूक़, कमालुद्दीन, भाग 1, पेज 254
  81. ताहेरी आकरदी, यहूदीयत, पेज 173
  82. तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
  83. मिस्बाह यज़्दी, राह वा राहनुमा शनासी, पेज 404
  84. तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 145
  85. मुफ़ीद, अवाए लुल मक़ालात, पेज 45
  86. सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 32 भाग 74, पेज 71
  87. कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177
  88. कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 176-177
  89. मिस्बाह यज़्दी, राह वा राहनुमा शनासी, पेज 55
  90. तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144
  91. तबरसी, मजमा उल-बयान, भाग 7, पेज 144-145
  92. सूर ए बक़रा, आयत न 124
  93. बहरानी, अल-बुरहान, भाग 1, पेज 323
  94. सूरा ए अम्बिया, आयात न 69 से 73 तक
  95. कुलैनी, अल-काफ़ी, भाग 1, पेज 175
  96. मुफ़ीद, अवाए लुल मक़ालात, पेज 49-50
  97. सदूक़, कमालुद्दीन, भाग 1, पेज 254
  98. सूरा ए इस्रा, आयत न 55
  99. सूरा ए हदीद, आयत न 27
  100. सूरा ए शूरा, आयत न 7
  101. सूरा ए आला, आयत न 19
  102. तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 524
  103. सुदूक़, ओयून अल अखबार अल-रज़ा, भाग 2, पेज 80
  104. तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
  105. सूरा ए निसा, आयत न 163
  106. सुदूक़, अल-ख़िसाल, भाग 2, पेज 524
  107. तबातबाई, अल-मीज़ान, भाग 2, पेज 141
  108. मुफ़ीद, अल-नुकातिल एतेक़ादिया, पेज 35
  109. सूरा ए आराफ़, आयत न 73
  110. सूरा ए अम्बिया, आयत न 69
  111. सूरा ए बक़रा, आयत न 260
  112. सूरा ए शोअरा, आयत न 32
  113. सूरा ए बक़रा, आयत न 60
  114. सूरा ए शोअरा, आयत न 63
  115. सूरा ए आराफ़, आयत न 108; सूरा ए ताहा, आयत न 22; सूरा ए शोअरा, आयत न 33; सूरा ए नमल, आयत न 12; सूरा ए क़िसस, आयत न 32
  116. सूरा ए इमरान, आयत न 49; सूरा ए मायदा, आयत न 110
  117. सूरा ए तूर, आयत न 34
  118. सूरा ए क़मर, आयत न 1
  119. इब्ने जौज़ी, अल-मुनतज़म, भाग 15, पेज 129
  120. तय्यब, अतयब उल-बयान, भाग 1, पेज 42
  121. थानवी, मोअस्सेसा ए कश्शाफ़ इस्तेलाहात, मकतबा लबनान, भाग 1, पेज 141
  122. जाफ़री, तफ़सीरे कौसर, भाग 3, पेज 300
  123. इब्ने कसीर, अल-बिदाया वल-निहाया, भाग 2, पेज 268; याक़ूबी, तारीख़े अल-याक़ूबीत, दार ए सादिर, भाग 2, पेज 8
  124. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 11, पेज 15
  125. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, भाग 15, पेज 24
  126. सय्यद मुर्तज़ा, तनजीह उल-अम्बिया, पेज 34

स्रोत

  • इब्ने जौज़ी, अब्दुर्रहमान बिन अली, अल-मुंजज़िम फ़ी तारीखिल उमम वल मुलूक, शोधः मुहम्मद अब्दुल क़ादिर अता और मुस्तफ़ा अब्दुल क़ादिर अता, बैरूत, दार उल कुतुब उल-इल्मिया, 1412 हिजरी, 1992 ई
  • बहरानी, सय्यद हाशिम, अल-बुरहान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरान, तेहरान, बुनयादे बेसत, 1416 हिजरी
  • थानवी, मुहम्मद अली बिन अलवी, मोसूआ कश्शाफ़ इस्तेलाहाते फ़ुनून वल उलूम, शोधः अली फ़रीद दहरूज, बैरूत, मकतबे लबनान नाशेरून,
  • जाफ़री, याकूब, तफ़सीरे कौसर, क़ुम, हिजरत, 1377 शम्सी
  • सय्यद मुर्तुज़ा अला-मुल-हुदा, तनज़ीह उल-अम्बिया वल आईम्मा, शोधः फ़ारस हसून करीम, क़ुम, बूस्ताने किताब, 1380 शम्सी, 1422 हिजरी
  • सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, कमालुद्दीन वा तमाम उन-नेमा, तस्हीहः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, तेहरान, इस्लामीया, 1395 हिजरी
  • सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल-ख़िसाल, तस्हीहः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, जामे उल-मुदर्रेसीन, 1362 शम्सी
  • सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, ओयून अख़बार अल-रज़ा, तस्हीहः महदी लाजवरदी, तेहरान, नश्रे जहान, 1378 हिजरी
  • सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, मआनी उल-अख़बार, तस्हीहः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, क़ुम, दफ्तरे इंतेशारात ए इस्लामी वाबस्ते बे जामे मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1403 हिजरी
  • सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, मनला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, तस्हीहः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, क़ुम, दफ्तरे इंतेशारात ए इस्लामी वाबस्ते बे जामे मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1413 हिजरी
  • ताहेरी आकुर्दी, मुहम्मद हुसैन, यहूदीयत, मरकज़े बैनुल मिलल तरजुमा वा नश्रे अल-मुस्तफ़ा 1390 शम्सी, 1432 हिजरी