ताक़े किसरा
संस्थापक | अनुशीरवान |
---|---|
स्थापना | 550 ईस्वी, सासानी युग |
स्थान | मदाइन-इराक़ |
अन्य नाम | एयवान किसरा, एयवान मदाइन |
संबंधित घटनाएँ | इस्लाम के पैग़म्बर (स) के जन्म की रात इसके 14 कनगूरे गिर गए |
क्षेत्र | 30 मीटर ऊँचा |
ताक़े किसरा, एयवान किसरा या एयवान मदाइन, (अरबीःطاق كِسْرى) सासानी राजाओं द्वारा निर्मित सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक इमारत है, जिसके इस्लाम के पैग़म्बर (स) के जन्म की रात इसके 14 कनगूरे गिर गए। मदाइन की विजय के बाद, मुसलमानों ने मस्जिद के रूप में एवान किसरा का उपयोग करने शुरु किया। ऐतिहासिक रिवायतो से संकेत मिलता है कि इमाम अली (अ) ने इस स्थान पर नमाज अदी की थी। ताक़े किसरा इराक़ की राजधानी बगदाद से 37 किलोमीटर दक्षिण में "सलमान बाक" या "सलमान पाक" के छोटे से शहर के पास है, जहां सलमान फारसी का मज़ार भी है।
परिचय
ताक़े किसरा, एयवान किसरा या एयवान मदाइन, सासानी युग की सबसे प्रसिद्ध इमारत है, जो जदला नदी के पूर्वी तट पर बगदाद से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण में मदाइन शहर में स्थित है।[१] और इसका निर्माण 550 ईस्वी मे हुआ और इसके निर्माण का श्रेय अनुशेरवान को दिया जाता है।[२] यह इमारत ईंट और चूने से बनी है[३] और इसकी ऊचांई 30 मीटर है[४] वर्तमान समय मे "सलमान पाक" या "सलमान बाक" के छोटे शहर के पास स्थित है। जहां सलमान फ़ारसी का भी मज़ार है।[५] एयवान किसरा के पास हुजैफ़ा बिन यमान की कब्र भी स्थित है।[६]
146 हिजरी में बगदाद शहर के निर्माण में इसकी सामग्री का उपयोग करने के उद्देश्य से एयवान किसरा के आसपास की इमारतों का एक हिस्सा मंसूर अब्बासी के आदेश से नष्ट कर दिया गया था,[७] हालांकि सामग्री के परिवहन की उच्च लागत के कारण अब्बासी खलीफा को इस काम को जारी रखने पर शर्मिंदा हुआ।[८] कुछ स्रोतों के अनुसार, 1888 ई में बाढ़ के कारण ताक़े किसरा के आसपास की इमारतों के अन्य हिस्से नष्ट हो गए।[९] 1970 ई के दशक से ताक़े किसरा की उत्तरी इमारत के कुछ शेष बचे हिस्से को गिरने से रोकने के प्रयास किए गए, और 1980 ई के दशक से एयवान मदाइन के नष्ट हुए हिस्से को शिकागो विश्वविद्यालय के सहयोग से इसके उत्तरी हिस्से को पुनर्निर्मित किया गया।[१०]
पैग़म्बर (स) के जन्म की निशानीयां
इस्लामी स्रोतों के अनुसार इस्लाम के पैग़म्बर (स) के जन्म की रात एयवान किसरा के 14 कंगूरे टूट गई[११] यह घटना और इसी प्रकार की अन्य घटनाऐं जैसे कि फ़ार्स के फायर टेम्पल में हज़ार वर्ष पश्चात आग बुझना, सावा झील का सूखना और इसी रात सासानी राजा और उसके मुबिदान का अजीब सपना देखना,[१२] को पैग़म्बर (स) के जन्म की निशानीयो और चेतावनियों के रूप में जाना जाता है।[१३] इमाम ख़ुमैनी ने कंगूरो के पतन को ईरान की इस्लामी क्रांति की जीत से असंबंधित नहीं माना और इस बात की सम्भावना जताई कि एयवान किसरा के कंगूरो मे से 14 कंगूरो का पतन, जो कि उत्पीड़न का महल था इस बात का संकेत है कि शाही उत्पीड़न की इमारत 14वीं शताब्दी में या 14वीं शताब्दी के बाद नष्ट हो जाएगी, और सभी पत्थर की मूर्तियाँ और राष्ट्रों द्वारा नक्काशी की गई मूर्तियाँ और धीरे-धीरे मुर्ति पूजा नष्ट हो जाएँगी।[१४] ख़ाक़ानी शरवानी और अन्य फ़ारसी भाषा के कवियों ने "एयवान मदाइन" की महानता और उसके विनाश को अपनी कविताओं के आधार के रूप में इस्तेमाल किया है।[१५] इमारत की ऐतिहासिक महानता, विनाश के अंत के वर्णन के बावजूद, "क़सीदा एयवान मदाइन" में ख़ाक़ानी ने एक सबक के रूप में राजाओं की महानता और महिमा का परिचय दिया है।[१६] कुछ लोगों ने इस क़सीदे को सबसे शानदार फ़ारसी क़सीदों में से एक माना है।[१७] इस 41 पक्ति वाले क़सीदे की पहली पंक्ति यह है:
हान, एय दिले इबरतबीन अज़ दीदाए नज़र कुन हान | एयवान ए मदाइन रा आईना ए इबरत दान[१८] |
अनुवादः हे इबरत लेने वाला दिल इबरत की निगाह से देखो और एवान ए मदाइन को इबरत का आईना क़रार दो।
मस्जिद मे परिवर्तित होना
मदाइन की विजय के बाद, सअद बिन अबी वक्कास ने एयवान किसरा को मस्जिद मे पिरवर्तित करते हुए यहा नमाज़ पढ़ना शुरू किया।[१९] ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, इमाम अली (अ) ने भी ताक़े किसरा मे नमाज़ पढ़ी।[२०]
शेख अब्बास क़ुमी ने मफ़ातिहुल जिनान किताब मे सलमान फ़ारसी की ज़ियारत के आमाल मे दो रकअत नमाज़ ताक़े किसरा मे पढ़ने की सिफ़ारिश की है और इसकी दलील इमाम अली (अ) का इस स्थान पर नमाज़ पढ़ने को जाना है।[२१]
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ हुसैनी अश्कवरी, चकीदे मक़ालात अव्वलीन हुमाइश बैनुल मिल्ली मीरास मुश्तरक ईरान व इराक़, 1393 शम्सी, पेज 150
- ↑ पीरनिया, तारीख ईरान बास्तान, 1375 शम्सी, भाग 4, पेज 2931
- ↑ अवाद, अल-ज़ख़ाइर अल-शरक़ीया, 1999 ई, पेज 226
- ↑ मुक़द्देसी, राहनुमाइ अमाकिन ज़ियारती व सियाहती दर इराक़, 1388 शम्सी, पेज 348
- ↑ क़ुमी, अमाकिन ज़ियारती व सियाहती इराक़, 1377 शम्सी, पेज 62 फ़क़ीह बहरुल उलूम, ज़ियारत गाह इराक़, 1393 शम्सी, भाग 1, पेज 457
- ↑ क़ज्वीनी, अल-मज़ार, 1426 हिजरी, पेज 123 और 124
- ↑ तबरी, तारीख अल-उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 7, पेज 650-651; मरअशी, ग़ेरर अल-सैर, 1417 हिजरी, पेज 370
- ↑ तबरी, तारीख अल-उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 7, पेज 651; मरअशी, ग़ेरर अल-सैर, 1417 हिजरी, पेज 370
- ↑ जवादी, सद साले पीश दर सरज़ीने शीर व ख़ुर्शीद, साइट चश्मअंदाज़
- ↑ देखेः अमीन, सैरे तहव्वुल ताक़े किसरा, काख़े सासानी, अज़ दीरुज़ ता इमरूज़, तर्राही शहरी ईरानी
- ↑ अबू-नईम इस्फ़हानी, दलाइल उल-नबूवा, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 139 हदीस 82; बयहक़ी, दलाइल उल-नबूवता, 1405 हिजरी, भाग 1, पेज 126
- ↑ अबू-नईम इस्फ़हानी, दलाइल उल-नबूवा, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 139 हदीस 82; बयहक़ी, दलाइल उल-नबूवता, 1405 हिजरी, भाग 1, पेज 126 और 127
- ↑ रसूतील महल्लाती, दरस्हाए अज़ तारीख तहलीली इस्लाम, 1371 शम्सी, भाग 1, पेज 145 और 146
- ↑ बाज़ताब व तासीर विलादते हज़रत रसूल दर जहान, परताल इमाम ख़ुमैनी
- ↑ देखेः अस्कूई, इशारात व तलमीहात मरबूत बे आलाम ज़ुगराफ़ीयाई इराक, भाग 16, पेज 66-67
- ↑ देखेः अस्कूई, इशारात व तलमीहात मरबूत बे आलाम ज़ुगराफ़ीयाई इराक, भाग 16, पेज 67
- ↑ अनूशा, दानिशनामा अदब फ़ारसी, 1382 शम्सी, भाग 5, पेज 99
- ↑ क्रमांक 16 हंगामे उबूर अज़ मदाइन व दीदने ताके कसार, साइट गंजूर
- ↑ इब्न असीर, अल-कामिल फ़ित तारीख, 1385 हिजरी, भाग 2, पेज 514
- ↑ देखेः तबरी, तारीख अल उम्म वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 7, पेज 651; मरअशी, ग़ेरर अल सैर, 1417 हिजरी, पेज 370; जमख़शरी, रबीअ अल-अबरार व नुसूस अल अख़बार, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 268
- ↑ क़ुमी, मफ़ातिहुल जिनान, 1388 हिजरी, भाग 2, पेज 759 और 760
स्रोत
- इब्न असीर, अली इब्न मुहम्मद, अल कामिल फ़ित तारीख, बैरूत, दार सादिर, 1385 हिजरी
- अबू नईम इस्फ़हानी, अहमद बिन अब्दुल्लाह, दलाइल उल-नबूवा, शोधः मुहम्मद रव्वास कलअजी व अब्दुल बिर्र अब्बास, बैरूत, दार अल-नफ़ाइस, 1412 हिजरी
- अस्कूई, नरगिस, इशारात व तलमीहात मरबूत बे आलाम जुग़राफ़याई इराक़ दर अदबयात फ़ारसी, दर मजमूआ मक़ालात अव्वलीन हुमाइश बैनुल मिल्ली मुश्तरक ईरान व इराक़, तहय्या व तंज़ीम दबीरखाना अव्वलीन हुमाइश बैनुल मिल्ली मीरास मुश्तरक ईरान व इराक़, बे कोशिश सय्यद सादिक़ हुसैनी अशकवरी, क़ुम, मजमअ ज़खाइर इस्लामी व मोअस्सेसा आले अल-बैत ले एहया अल-तुरास, 1394 शम्सी
- अमीन, अली, सैरे तहव्वुल ताक़े किसरा, काख़े सासानी, अज़ दीरूज़ ता इमरूज़, दार साइट तर्राही शहरी ईरानी, प्रविष्ठ की तारीख 3 शहरीवर, 1396 शम्सी, विजिट की तारीख 29 आज़र 1396 शम्सी
- बयहक़ी, अहमद, बिन हुसैन, दलाइल अल-नबूवा व मारफ़त अहवाले साहिब अल शरीया, शोध व तालीक़ाः अब्दुल मोअता कलअजी, बैरू, दार अल कुतुब अल इल्मीया, 1405 हिजरी
- पीरनया, हसन, तारीख ईरान बास्तान, तेहरान, दुनिया ए किताब, 1375 शम्सी
- जवादी, अब्बास, सद साले पीश दर सर ज़मीने शीर व खुर्शीद, साइट चश्मअंदाज़
- देखेः अमीन, सैरे तहव्वुल ताक़े किसरा, काख़े सासानी, अज़ दीरूज ता इमरूज़, तर्राही शहरी इरानी, 29 अक्टूबर 2017 ई, वीजिट की तारीख 29 आज़र 1396 शम्सी
- हुसैनी अशकवरी, सादिक़, चकीदे मक़ालात अव्वलीन हुमाइश बैनुल मिल्ली मीरास मुश्तरक ईरान व इराक़, क़ुम, मजमा ज़खाइर इस्लामी, 1393 शम्सी
- रसूली महल्लाती, सय्यद हाशिम, दरसहाए अज़ तारीख़ तहलीली इसलाम, भाग 1, क़ुम, पासदाराने इस्लाम, 1371 शम्सी
- ज़मख़शरी, महमूद बिन उमर, रबीअ अल अबारा व नुसूस अल अखबार, शोधः अब्दुल अमीर महना, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी लिल मतबूआत, 1412 हिजरी
- शरीफ़ी, ऐवाने मदाइन, दर दानिशनामा अदब फ़ारसी, भाग 5, बे कोशिश सरपस्ती हसन अनूशा, तेहरान, वज़ारत फ़रहंग व इरशाद इस्लामी, 1382 शम्सी
- क्रमांक 168 हंगामे उबूर अज़ मदाइन व दीदने ताक़े किसरा, दर साइट गंजूर, वीजिट की तारीख 26 आज़र, 1396 शम्सी
- अवाद, कूरकिस, अल ज़खाइर अल शरक़ीया, जमआवरी जलील अल अतीया, बैरूत, दार अल ग़रब अल इस्लामी, 1999 ई
- फ़क़ीह बहरुल उलूम, मुहम्मद महदी, व अहमद ख़ामेयार, जियारतगाहाए इराक़ः मोअर्रफ़ी ज़ियारतगाहाए मशहूर दर किश्वर इरा, तेहरान, साज़माने हज व ज़ियारात, 1393 शम्सी
- क़ज़्वीनी, सय्यद महदी, अल मज़ार, शोधः जूदत अल कज़वीनी, बैरूत, दार अल राफ़ेदीन, 1426 हिजरी
- कुमी, शेख अब्बास, मफ़ातिहुल जिनान, तरजुमा, हुसैन अंसारीयान, क़ुम, दार अल इरफ़ान, 1388 शम्सी
- क़ुमी, मुहम्मद रज़ा, अमाकिन ज़ियारती व सयाहती इराक़, क़ुम, मशअर, 1377 शम्सी
- मरअशी, हुसैन बिन मुहम्मद, ग़ेररुस सैर, शोधः सुहैल जक्कार, बैरूत, दार अल फ़िक्र, 1417 हिजरी
- मुकद्दस, अहसान, राहनुमाई अमाकिन ज़ियारती व सयाहती दर इराक़, तेहरान, मशअर, 1388 शम्सी
- तबरी, मुहम्मद बिन जुरैर, तारीख अल उमम वल मुलूक, शोधः मुहम्मद अबुल फ़ज्ल इब्राहीम, बैरूत, दार अल तुरास, 1387 हिजरी