बलग़ल उला बेकमालेहि

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ग़ुलाम हुसैन अमीरखानी द्वारा नस्तालिक सुलेख

बलग़ल उला बेकमालेहि (अरबीःبَلَغَ العُلیٰ بِکَمالِه) सअदी शिराज़ी की एक कविता है जो इस्लाम के पैग़म्बर (स) की प्रशंसा मे कही है। यह कविता गुलिस्तान सअदी की प्रस्तावना में अरबी भाषा में दो पंक्ति (दो बैत) या तकबैत (एक पंक्ति) के रूप में है। पहली बैत मे सअदी ने हज़रत मुहम्मद (स) को पूर्णता (कमाल) का उच्चतम स्तर माना, कि उन्होंने अपनी रोशनी से अंधकार को दूर कर दिया है, और दूसरी बैत में, उन्होंने पैग़म्बर (स) के सभी गुणों (फ़ज़ाइलो) को अच्छा बताया और उन पर और उनके परिवार पर दरूद (सलवात) भेजी।

बलग़ल उला की कविता सअदी की सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक माना गया है और यह पैगंबर मुहम्मद (स) के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है। साथ ही इस कविता और सअदी की अन्य कविताओं में पैग़म्बर (स) के परिवार का उल्लेख उनकी शिया प्रवृत्ति का संकेत माना गया है।

बलग़ल उला की कविता उनके बाद गद्य और कविता के कार्यों में दिखाई दी, और कुछ ने अपनी पुस्तक का शीर्षक बलग़ल उला बेकमालेहि घोषित किया है। इस कविता का प्रयोग चित्रकारी, सुलेख और बैनर पर चित्रकारी में भी किया गया है। सअदी की कही गई कविता लोगों की भाषा में लोकप्रिय हो गई और मुसलमानों द्वारा विभिन्न समारोहों में इसका पाठ किया जाता है।

परिचय

बलग़ल उला बेकमालेहि कश्फ़द दोजा बेजमालेहि
हसोनत जमीओ ख़ेसालेहि सल्लू अलैहे वा आलेहि[१]

इस्लाम के पैग़म्बर (स) कमाल के उच्चतम स्तर पर हैं। अंधकार को अपनी सुंदरता के प्रकाश से दूर किया है।आप के अंदर सभी अच्छे गुण हैं। आप और आप के परिवार पर ईश्वर का दूरूद और सलाम हो।[२]

बलग़ल उला कविता सअदी शिराज़ी द्वारा लिखी गई है और गुलिस्तान पुस्तक की प्रस्तावना में है।[३] गुलिस्तान के कुछ संस्करणों में, यह कविता तकबैती (एक पक्ति) के रूप में इस प्रकार है कि पहली बैत पहला छंद हो और दूसरी बैत दूसरे छंद के रूप मे दर्ज है।[४]

हालाँकि यह कविता अरबी में है; लेकिन सरल अरबी कविता को पढ़ना दूसरी भाषा विशेष कर फ़ारसी भाषा वालो के लिए एक प्रचलित बात है।[५] शब्दकोश मे दोज़ा शब्द का अर्थ अंधकार[६] और अंधेरो[७] है। दहख़ुदा ने दूसरे छंद (मिसरेअ) की व्याख्या हजरत मुहम्मद (स) की सुंदरता द्वारा अंधकार को दूर करने के रूप में की है।[८] हालांकि कुछ दूसरो लोगों ने दोजा का अर्थ पर्दा लिया है और इस वाक्यांश की व्याख्या इस प्रकार की है कि पैगंबर मुहम्मद (स) की सुंदरता के कारण सुंदरता का पर्दा डाला गया है।[९]

कवि

मुख्य लेख: सअदी

बलग़ल उला कविता सअदी की सबसे प्रमुख कविताओं में से एक है[१०] और यह पैगंबर मुहम्मद (स) के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है।[११] इतना कि कुछ लोगों ने इन दो छंदों को हज़रत मुहम्मद (स) की प्रशंसा में दुनिया की सबसे अनोखी कविताओ के छंदो में से एक माना है।[१२] आयतो और रिवायतो के बयान से संबंधित कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इस कविता में, सअदी ने इस्लाम के पैग़म्बर (स) को सबसे अच्छे और सबसे छोटे रूप में प्रशंसा की है।[१३] इस कविता के अंत मे सअदी हज़रत मुहम्मद (स) के अहले-बैत (अ) का नाम लेते है जो उनकी दूसरी कविताओ मे भी देखा जा सकता है।[१४] कुछ लोग इस मुद्दे को शिया प्रवृत्ति का संकेत मानते हैं। कुछ लोग इस मुद्दे को सअदी को शिया मज़हब की ओर आकर्षित होने का संकेत मानते है।[१५]

स्थान और प्रतिबिंब

हबीबुल्लाह फ़ज़ाइली द्वारा नस्तालीक़ सुलेख

बलग़ल उला की कविता को दूसरों के कार्यों में अत्यधिक महत्व दिया गया है और इसका प्रभाव ग्रंथों, कला के कार्यों और सार्वजनिक साहित्य की तीन श्रेणियों में देखा जा सकता है:

लेखन मे

इस कविता का उपयोग ईरानी कवियों और लेखकों की कुछ कविताओं में कई बार किया गया है जैसे रेहानुल्लाह नखई गुलपाएगानी (1318-1412 हिजरी) की कविताएँ[१६] और मुहम्मद तकी किरमानी उपनाम मुजफ्फर या मौलवी किरमानी (मृत्यु 1215 हिजरी) के क़सीदे और कविताएं।[१७] ज़फ़र अली खान (1873-1956 ई.) जैसे कुछ विदेशी लेखकों ने भी इस कविता का उपयोग अपनी कविताओं में किया है।[१८] दूसरे लोगों ने सअदी की काव्य शैली का उपयोग करते हुए अल्लाह के रसूल (स) की प्रशंसा का वर्णन करते हुए समान कविताएँ लिखीं।[१९] और उन्होने बलग़ल उला कविता की तुलना करते हुए उसको बेनज़ीर कहा[२०] इस कविता का उपयोग गद्य ग्रंथों के साथ-साथ इस्लाम के पैग़म्बर (स)[२१] और इमामों की प्रशंसा का वर्णन करने में भी किया गया है।[२२] कुछ लेखकों ने अपने कार्य को "बलग़ल उला बेकमालेहि" नाम दिया है।[२३]

कला कार्यों में

बलग़ल उला की कविता कला के कार्यों में भी दिखाई दी है, जिससे चित्रकारों और सुलेखकों ने एक ही कविता के साथ कार्यों को पुन: पेश करना शुरू कर दिया है, और वर्ष 1298 हिजरी[२४] के मिर्ज़ा मुहम्मद रज़ा कल्हार और इस्माइल जलायर[२५] द्वारा बलग़ल उला की सुलेख की ओर इशारा किया जा सकता है; चूँकि यह कविता कभी-कभी कालीनों पर नस्तालीक़ सुलेख के रूप में बुनी जाती है और 15वीं चंद्र शताब्दी की शुरुआत के अनुसार साहित्यिक प्रतियोगिताओं में प्रस्तुत की गई है।[२६] इसी तरह बलग़ल उला कविता कुछ ऐतिहासिक स्मारको की दीवार पर उकेरी गई है।[२७]

सार्वजनिक साहित्य में

बलग़ल उला कविता को सार्वजनिक साहित्य में भी शामिल किया गया है;[२८] यह कविता रसूले ख़ुदा (स)[२९] के जन्म के दिनों में और यहां तक कि मुहर्रम के नौहो के दौरान भी पढ़ी जाती है[३०] लोगो के अलावा दरवेश भी इसको एक विशेष प्रकार से इस कविता के छंदो को बहुत अधिक प्रयोग करते है।[३१] उपरोक्त कविता का प्रभाव ईरानी क्षेत्र से आगे बढ़कर उस बिंदु तक पहुंच गया है जहां कहा गया है कि बलग़ल उला कविता कश्मीर के लोगों की सबसे प्रसिद्ध कविता है और मस्जिदों में जोर-शोर से पढ़ी जाती है।[३२]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. सअदी, गुलिस्तान सअदी, 1374 शम्सी, पेज 9
  2. गिरदहेमाई दोस्तदारान माहनामे हाफ़िज़, पेज 118
  3. सअदी, गुलिस्तान सअदी, 1374 शम्सी, पेज 9
  4. जलाली, सअदी दर ज़ंजीरा ए शाएराने उरूज़ी, पेज 190
  5. इब्न फ़ूती, मज्मा अल आदाब, शोधः मुहम्मद काज़िम, 1374 शम्सी, भाग 5, पेज 248, फ़ुटनोट क्रमांक 1
  6. जोहरी, अल सेहाह, 1956 ई, भाग 6, पेज 2334
  7. फ़राहीदी, अल ऐन, 1410 हिजरी, भाग 6, पेज 168 तहज़ीब अल लुगत, 1421 हिजरी, भाग 11, पेज 111
  8. दहख़ुदा, लुग़तनामा दहखुदा, 1377, कश्फ शब्द के अंतर्गत, भाग 12, पेज 18365
  9. गिरदहेमाई दोस्तदारान माहनामे हाफ़िज़, पेज 118
  10. हुसैनी फसाई, फारसनामा नासेरि, 1382 शम्सी, पेज 1169-1170
  11. बलख़ारी, निस्बत मियान अक़्ल व इश्क़ अज़ मंज़र साउदी, पेज 35
  12. बलख़ारी, निस्बत मियान अक़्ल व इश्क़ अज़ मंज़र साउदी, पेज 35
  13. यज़्दान परस्त, शमीम अलवी दर गुलिस्तान सअदी, पेज 42
  14. सअदी, बोस्तान सअदी, 1372 शम्सी, पेज 209 हमू, कुल्लीयात, 1385 शम्सी, पेज 1071
  15. वाएज़ी मुनफ़रिद, पैवंदहाए तशय्यो व अदबयात फ़ारसी दर कर्न हफ्तुम व हश्तुमः बररसी नक़्क़ादाने नेशानेहाए तशय्यो दर आसार सअदी व हाफ़िज़, पेज 129-130
  16. शरीफ़ राज़ी, गंजीनाए दानिशमंदान, 1352 शम्सी, पेज 583-585
  17. हिदायत, मजमा अल फ़ुस्हा, 1382 शम्सी, भाग 2, पेज 1367-1374
  18. मुरादाबादी, मौलाना ज़फ़र अली ख़ान, पेज 72-73
  19. अरशी पाकिस्तानी, हकीम तुग़राई, पेज 494
  20. खलीली जहान तेग़ व दिगरान, तहलीली पारवदी दर ख़ारिस्तान अदीब क़ासिमी किरमानी, पेज 68-69
  21. नसीरि, दस्तूरे शहरेयारान, 1373 शम्सी, पेज 297 मीर ख़ान्द, रौज़ा अल सफ़ा, 1270 हिजरी, पेज 229
  22. मुराग़ेई, सियाहतनामा इब्राहीम बेग, 1385 हिजरी, भाग 12, पेज 327-328
  23. आक़ा बुजुर्ग तेहरानी, तबक़ात आलाम अल शिया, 1430 हिजरी, भाग 12, पेज 327-328
  24. बख्तियार, आसार ख़ुशनवीसी दर गंजीना ए किताबखाना मरकज़ी, पेज 66
  25. हुसैनी, बुनयान हाए मुदर्निस्म दर ईरान, पेज 23-24 मईरुल मुमालिक, रेजाल अस्रे नासेरि, पेज 172
  26. यग़माई, आगाज़ पांजदहुमीन क़र्ने बेसत, पेज 420-421
  27. जाफ़र नेजाद, नक़श आईकोनोग्राफ़ी दर तकाया व सक़्क़ानफ़ार (सक़्क़ा खाना) माज़ंदरान, पेज 94
  28. साफ़ी, मक़ाम सअदी दर सनद, पेज 230-231
  29. साफ़ी, मक़ाम सअदी दर सनद, पेज 230-231
  30. अहमदी रैय शहरी व शंबे ज़ादा, मूसीक़ी बूशहर दर मरासिम नौहा ख़ानी व सीना ज़नी, पेज 20
  31. अल सराफ, अल दरवेश, पेज 90
  32. नियाज़मंद, नुफ़ूज़ ज़बान फ़ारसी दर ज़बान कश्मीरी, पेज 845

स्रोत

  • आक़ा बुजुर्ग तेहरानी, मुहम्मद मोहसिन, तबक़ात आलाम अल शिया, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1430 हिजरी
  • इब्न फ़ूती, अब्दुर रज़्ज़ाक़ बिन अहमद, मजमा अल आदाब फ़ी मोअजम अल अलक़ाब, शोधः मुहम्मद काज़िम, तेहरान, वज़ारत फ़रहंग व इरशाद इस्लामी, 1374 शम्सी
  • अहमदी रैय शहरी, अब्दुल हुसैन व सईद शंबे जादा, मूसीक़ी बूशहर दर मरासिम नौहा खानी व सीना ज़नी, दर मजल्ले मक़ाम मूसीक़ाई, क्रमांक 20, बहार 1382 शम्सी
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  • बख्तियार, मुज़फ़्फ़र, आसार ख़ुशनवीसी दर गंजीना ए किताब खाना मरकज़ी, दर मजल्ले तहक़ीक़ात किताबदारी व इत्तेलाअ रसानी दानिशगाही, क्रमांक 11, इस्फ़ंद 1366 शम्सी
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  • जाफ़र नेजाद, सय्यद रज़ा व सय्यद हुसैन जाफ़र नेजाद, नक़श आईकोनोग्राफ़ी दर तकाया व सक़्क़ानफ़ार (सक़्क़ाखाना) माज़ंदरान, दर मजल्ले तहक़ीक़ात जदीद दर उलूम इंसानी, वर्ष तीसरा, क्रमांक 25, ताबिस्तान 1396 शम्सी
  • जलाली, मुहम्मद अमीर, सअदी दर जंजीरा ए शाएराने उरूज़ी, बर रसी इंतेक़ादी औज़ान कुल्लीयात सअदी बर मबना ए मुतूने चापी व नुस्ख खत्ती बे हमराह बहसी दर बारए शाएरान उरूज़ी तारीख़ शेर पारसी, दर मजल्ले मुतालेआत ज़बानी व बलाग़ी, वर्ष 10, क्रमांक 20, पाईज व ज़मिस्तान 1398 शम्सी
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  • हुसैन फ़साई, हसन, फ़ारसनामा नासेरी, तेहरान, अमीर कबीर, तीसरा संस्करण, 1382 शम्सी
  • हुसैनी, महदी, बुनयान हाए मुदुरनीसम दर ईरान, दर मजल्ले माह हुनुर, क्रमांक 89-90, बहमन व इस्फंद 1384 शम्सी
  • खलीली जहान तेग़, मरयम व मुहम्मद रज़ा हैदरी व मुहम्मद बारानी, तहलील पारवदी दर ख़ारिस्तान अदीब क़ासेमी किरमानी, दर मजल्ले मुतालेआत ज़बानी व बलाग़ी, क्रमांक 21, बहार व ताबिस्तान 1399 शम्सी
  • दहखुदा, अली अकबर, लुगतनामा दहखुदा, तेहरान, मोअस्सेसा इंतेशारात व चाप दानिशगाह तेहरान, दूसरा संस्करण 1377 शम्सी
  • राज़ी, मुहम्मद शरीफ़, गंजीना ए दानिशमंदान, तेहरान, किताब फरोशी इस्लामीया, 1352 शम्सी
  • सअदी, मुस्लेहुद्दीन, बूस्तान सअदी, तेहरान, क़क़्नूस, चौथा संस्करण, 1372 शम्सी
  • सअदी, मुस्लेहुद्दीन, कुल्लियात सअदी, तेहरान, हरमुस, 1385 शम्सी
  • सअदी, मुस्लेहुद्दीन, गुलिस्तान सअदी, तेहरान, मोअस्सेसा फ़रहंगी ज़ैनुल आबेदीन मोहिब्बी, 1374 शम्सी
  • सईदी, सय्यद ग़ुलाम रज़ा, बुज़ुर्गतरीन मर्दे जहान, दर मजल्ले मकतब तशय्यो, क्रमांक 1, 1338 शम्सी
  • साफ़ी, क़ासिम, मक़ाम सअदी दर सनद, दर मजल्ले आईना ए मीरास, छठा साल, क्रमांक 40, बहार 1387 शम्सी
  • अल सराफ, अहमद हामिद, अल दरवैश, दर मजल्ले लुगत अल-अरब, छठा साल, क्रमांक 2, सफर 1347 हिजरी
  • ताहिर, रहीम, बर रसी नज़ीरेगूई व इस्तिक़बाल ख़ल्लाक़ाने शहरेयार अज़ ग़ज़लहाए हाफ़िज़, दर मजल्ले मुतालेआत शहरेयार पुजूहि, तीसरा साल, क्रमांक 12, बहार 1396 शम्सी
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  • नसीरी, मुहम्मद इब्राहीम, दस्तूर शहरेयारान, तेहरान, बुनयाद मौक़ूफ़ात डॉ. महमूद अफसार, 1373 शम्सी
  • नियाज़मंद, मुहम्मद सिद्दीक़, नुफ़ूज ज़बान फ़ारसी दर ज़बान कश्मीरीःलुग़त व तरकीबात फ़ारसी राइज दर ज़बान कश्मीरी, दर मजल्ले ईरान शनासी, साल 11, क्रमांक 4, ज़मिस्तान 1378 शम्सी
  • हिदायत, रज़ा क़ुमी, मजमा अल फ़ुस्हा, तेहरान, अमीर कबीर, दूसरा संस्करण, 1382 शम्सी
  • यज़दान परस्त, हमीद, शमीम अलवी दर गुलिस्तान सअदी, दर मजल्ले इत्तेलाअत हिकमत व मारफ़त, छठा साल, क्रमांक 6, मेहेर 1390 शम्सी
  • यग़माई, हबीब, आग़ाज़ पांजदहूमीन कर्ने बेअसत, दर मजल्ले यग़मा, क्रमांक 242, आबान 1374 शम्सी