तलअल बदरो अलैना

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तलअल बदरो अलैना (अरबीःطَلَعَ الْبَدْرُ عَلَیْنا) (इसका अर्थ है चंद्रमा हमारे ऊपर उदय किया) कविता का प्रारम्भ है[१] जिसे इस्लाम के पैग़म्बर (स) के मदीना में प्रवेश करने पर एक समूह के रूप में पढ़ा गया था।[२] पैग़म्बर के मदीना में प्रवेश के समय इस कविता का पाठ प्रसिद्ध परंपराओं में से एक माना जाता है, जो आम लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गया है।[३] विभिन्न पाठकों और गायकों ने इस कविता को विभिन्न शैलियों में पढ़ा है।[४]

चौदहवी शताब्दी के विद्वान एंव लेखक राग़िब इस्फ़हानी ने मदीना की महिलाओ को इस कविता के पाठको के रूप मे नामित किया है।[५] पांचवी शतब्दी के इतिहसकार बैहक़ी[६] और छठी शताब्दी के शिया विद्वान तबरेसी[७] ने कहा कि यह कविता बच्चों और महिलाओं द्वारा पढ़ी गई है। कुछ लोगों ने बच्चों को इस कविता के पाठको के रूप मे नामित किया है।[८] कई स्रोतों ने इस कविता को दफ़ली के साथ पढ़े जाने पर विचार किया है[९] और कुछ अन्य ने दफ़ली का उल्लेख नहीं किया है।[१०]

कुछ किताबों के अनुसार यह कविता तब पढ़ी गई जब इस्लाम के पैग़म्बर (स) तबूक से लौटे[११] और कुछ अन्य ने कहा कि यह कविता मक्का की महिलाओं द्ववारा पढ़ी गई जब उन्होंने मक्का की विजय (फत्ह मक्का) पर इस्लाम के पैग़म्बर (स) का स्वागत किया था।[१२]

तलअल बदरो अलैना मिन सनिय्यातिल विदाअ
वजबश शुक्रो अलैना मा दई लिल्लाहे दाअ
अय्योहल मबऊसो फ़ीना जेअता बिल अम्रिल मुताअ[१३]
जेता शर्रफ़तल मदीना मरहबा या ख़ैरा दाअ[१४]

चाँद ने हमारे ऊपर उदय किया है। सनिय्यात से जो विदाई का स्थान है। भगवान का शुक्रिया अदा करना हमारे लिए अनिवार्य है। जब तक मनुष्य भगवान को पुकारता है। हे तुम जो हमारे पास भेजे गए हो। अप एक आदेश लेकर आये और हमने उसे स्वीकार कर लिया। आपने आकार मदीना को सम्मानित किया। आपका स्वागत है, हे सर्वश्रेष्ठ आमंत्रितकर्ता।

"सनिय्यातिल विदाअ" मदीना के सम्माननीय स्थान का नाम है, जहाँ से मक्का के यात्री मदीना छोड़ते थे।[१५] कुछ लोग मदीना में इस स्थान को सीरिया की ओर कहते हैं[१६] और कुछ लोग इसे दो क्षेत्रों का नाम देते हैं; एक मक्का के रास्ते में है और दूसरा सीरिया के रास्ते में है।[१७]

पांचवी शताब्दी के सुन्नी बुद्धिजीवी मुहम्मद ग़ज़ाली का मानना हैं कि कोई भी अवसर जिसमें खुशी का सिद्धांत अनुमेय है, खुशी मनाना वैध है। उन्होंने इसका कारण पैग़म्बर (स) के स्वागत में महिलाओं द्वारा दफ़ली बजाना और तलअल बदरो अलैना कविता पढ़ना माना है।[१८]

कुछ शिया विद्वानों ने महिलाओ द्वारा पैग़म्बर (स) के लिए कविता पढ़ने पर आपत्ति जताते हुए उसे पैग़म्बर (स) की गरिमा के लिए अनुचित माना,[१९] कुछ लोगो ने कहा उस समय हराम का हुक्म नही आया था अतः उस समय महिलाओ द्वारा पैग़म्बर (स) के लिए कविता पढ़ने मे कोई आपत्ति नही है।[२०]] कुछ सुन्नी विद्वानो ने भी इस घटना के पाठ और दस्तावेज़ मे समस्या बताते हुए इसे ज़ईफ़ (कमजोर) माना है।[२१]

फ़ुटनोट

  1. शोएब, मिरात अल औलिया, 1379 शम्सी, पेज 81
  2. मक़रीज़ी, इम्ताअ अल अस्माअ, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 117
  3. अल अंदनूसी, देरासा फ़ी हदीस (तलअल बदरो अलैना), देरासा हदीसीया लिलखबर वल नशीद, पेज 72
  4. तवाशीह अरबी तलअल बदरो अलैना, पाएगाह ज़ियाउस सालेहीन
  5. राग़िब इस्फ़हानी, मुहाज़ेरात अल उदबा व मुहावेरात अल शोअरा वल बुलग़ा, 1999 ई, भाग 1, पेज 487
  6. बैहक़ी, दलाइल अल नबूवा, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 506-507
  7. तबरेसी, ऐलाम अल वरा बेआलाम अल हुदा, 1390 हिजरी, पेज 65
  8. मक़रीज़ी, इम्ताअ अल अस्माअ, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 117
  9. मक़रीज़ी, इम्ताअ अल अस्माअ, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 117; शोएब, मिरात अल औलिया, 1379 शम्सी, पेज 81
  10. तूसी, अल मबसूत फ़ी फ़िक़्ह अल इमामिया, 1387 हिजरी, भाग 8, पेज 226; बैहक़ी, दलाइल अल नबूवा, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 507
  11. मक़रीज़ी, इम्ताअ अल अस्माअ, 1420 हिजरी, भाग 8, पेज 394
  12. जाहिज़, अल बयान वल तबईन, 2002 ई, भाग 3, पेज 282; इब्न मंज़ूर, लेसान अल अरब, 1414 हिजरी, भाग 8, पेज 387
  13. मक़रीज़ी, इम्ताअ अल अस्माअ, 1420 हिजरी, भाग 8, पेज 394
  14. जाफ़रयान, आसार इस्लामी मक्का व मदीना, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 309
  15. याक़ूत हमवी, मोअजम अल बुलदान, 1995 ई, भाग 2, पेज 86
  16. मक़रीज़ी, इम्ताअ अल अस्माअ, 1420 हिजरी, भाग 8, पेज 394
  17. ख़लीली, मोसूआ अल अतबात अल मुक़द्देसा, 1987 ई, भाग 3, पेज 110
  18. ग़ज़ाली, एहया उलूम अल दीन, बैरूत, भाग 6, पेज 151
  19. फ़ैज़ काशानी, अल वाफ़ी, 1406 हिजरी, भाग 17, फ़ुटनोट 213
  20. इब्न अबि जम्हूर, अवाली अल लयाली अल अज़ीज़ा फ़िल अहादीस अल दीनीया, 1420 हिजरी, भाग 1, फ़ुटनोट 261
  21. अल अंदनूसी, देरासा फ़ी हदीस (तलअल बदरो अलैना) देरासा हदीसीया लिल खबर वन नशीद, पेज 88


स्रोत

  • इब्न अबि जम्हूर, मुहम्मद बिन ज़ैनुद्दीन, अवाली अल लयाली अल अज़ीज़ा फ़िल अहादीस अल दीनीया, शोधकर्ता और संशोधकः मुज्तबा इराकी, क़ुम, दार सय्यद अल शोहदा, पहला संस्करण, 1405 हिजरी
  • इब्न मंज़ूर, मुहम्मद बिन मुकर्रम, लेसान अल अरब, बैरूत, दार सादिर, तीसरा संस्करण, 1414 हिजरी
  • अल अंदनूसी, अनस बिन अहमद, देरासा फ़ी हदीस (तलअल बदरो अलैना) देरासा हदीसीया लिल खबर वन नशीद, अल मदीना अल मुनव्वरा, क्रमांक 12, मुहर्रम-रबीअ अव्वाल, 1426 हिजरी
  • बैहक़ी, अहमद बिन हुसैन, दलाइल अल नबूवा व मारफ़त अहवाले साहिब अल शरीया, शोधः अब्दुल मोअता कलअजी, बैरूत, दार अल कुतुब अल इल्मीया, पहला संस्करण, 1405 हिजरी
  • तवाशीह अरबी तलअल बदरो अलैना, पाएगाह ज़ियाउस सालेहीन, विजिट की तारीख 11 ख़ुरदाद 1402 शम्सी
  • जाहिज़, अम्र बिन बहर, अल बयान वल तबईन, बैरूत, दार व मकतब अल हिलाल, 2002 ई
  • जाफ़रयान, रसूल, आसार इस्लामी मक्का व मदीना, तेहरान, मशअर, 1387 शम्सी
  • ख़लीली, जाफ़र, मोसूआ अल अतबात अल मुक़द्देसा, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी, 1987 ई
  • राग़िब इस्फ़हानी, हुसैन बिन मुहम्मद, मुहाज़ेरात अल उदबा व मुहावेरात अल शोअरा वल बुलग़ा, बैरूत, दार अल अरक़म बिन अबि अल अरक़म, 1999 ई
  • शोएब, मुहम्मद, मिरात अल औलिया, इस्लामाबाद, मरकज़ तहक़ीक़ात फ़ारसी ईरान व पाकिस्तान, 1379 शम्सी
  • तबरेसी, फ़ज़्ल बिन हसन, एलाम अव वला बेआलाम अल हुदा, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, तीसरा संस्करण, 1390 शम्सी
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल मबसूत फ़ी फ़िक़्ह अल इमामीया, शोधकर्ता एंव संशोधकः सय्यद मुहम्मद तक़ी कशफ़ी, तेहरान, अल मकतब अल मुर्तज़वीया ले एहया अल आसार अल जाफ़रीया, तीसरा संस्करण 1387 शम्सी
  • ग़ज़ाली, मुहम्मद बिन मुहम्मद, एहया उलूम अल दीन, बैरूत, दार अल कुतुब अर अरबी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद मोहसिन, अल वाफ़ी, इस्फ़हान, किताब खाना इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ), 1406 हिजरी
  • कूरानी, आमिल, अली, अल सीरातुन नबवीया इंद अहले-अलबैत, बैरूत, दार अल मुर्तज़ा, 2009 ई
  • मक़रीज़ी, तक़ीउद्दीन, इम्ताअ अल अस्माअ, शोधः मुहम्मद अब्दुल हमीद नमीसी, बैरूत, दार अल कुतुब अल इल्मीया, 1420 हिजरी
  • याक़ूत हमवी, शहाबुद्दीन, मोअजम अल बुलदान, बैरूत, दार सादिर, दूसरा संस्करण, 1995 ई