सरिय्या

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यह लेख पैग़म्बर के उन युद्धों के बारे में है जिनमें वह मौजूद नहीं थे। पैग़म्बर के सभी युद्धों के बारे में जानने के लिए, पैग़म्बर (स) के युद्धों की प्रविष्टि देखें।

सरिय्या या बअस, (अरबीः السرية) पवित्र पैग़म्बर (स) के जीवनकाल के दौरान हुए उन युद्धो को कहा जाता है जिसमे व्यक्तिगत रूप से पैगंबर (स) ने भाग नही लिया बल्कि इस्लामी सेना का नेतृत्व सहाबा मे से किसी एक के हवाले किया गया था। इन युद्धो का मुख्य उद्देश्य मुसलमानों की तत्परता और ताकत की घोषणा और इस्लाम धर्म का प्रचार और प्रतिरक्षा है जबकि दुश्मन से जानकारी इकट्ठा करने को इन युद्धो के जानिबी उद्देश्य मे गणना की जाती है।

इमाम हादी (अ) की एक रिवायत में पैग़म्बर (स) से बयान की गई एक हदीस के अनुसार इन सरय्यो की संख्या 55 बताई गई है। हालाँकि, ऐतिहासिक पुस्तकों में 35, 48 और 66 तक उल्लेखित है। आयतुल्लाह जाफ़र सुब्हानी के अनुसार, कुछ सरय्यो में लोगों की संख्या कम होने की वजह से उनकी गिनती नहीं हो पाई और इसी वजह से उनकी गणना में मतभेद पाया जाता है।

हमजा बिन अब्दुल मुत्तलिब की सरिय्या मे 'ऐस' क्षेत्र में लाल सागर के तट पर, उबैदा बिन हारिस की सरिय्या राबिग़ के रेगिस्तान और खरार नामक क्षेत्र मे सअद बिन अबी वक़्क़ास की सरिय्या को सबसे पहली सरय्यो मे गणना की जाती है। इन सरय्यो मे इस्लामी सेना की संख्या दुश्मन सेना की ताकत और सिपाहीयो की संख्या के अनुसार और मिशन को ध्यान मे रखते हुए भिन्न होती थी, और कभी-कभी कुछ सरय्यो मे 1000 या उससे अधिक सैनिक भेजे जाते थे।

परिभाषा एवं नामकरण का तर्क

इस्लामी इतिहास की किताबों में, पैगंबर (स) के युद्धों को दो श्रेणियों ग़ज़वा और सरिय्या में विभाजित किया गया है।[१] वे युद्ध जिनमें पैग़म्बर (स) ने भाग लिया और उन्हें सीधे आदेश दिया, उन्हें "ग़ज़वा" कहा जाता है और वे युद्ध जिनमें पैग़म्बर (स) ने भाग नहीं लिया, बल्कि एक कमांडर की नियुक्ति के साथ एक क्षेत्र में एक समूह भेजा, उन्हें "सरिय्या" या "बअस" कहा जाता है।[२] हालाँकि, कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि ग़ज़वा और सरिय्या की उल्लिखित परिभाषा सटीक नहीं है; बल्कि, ग़ज़वा का तात्पर्य पैग़म्बर (स) के उन युद्धों से है, जो खुले तौर पर, कई योद्धाओं और संगठन के साथ किये गये थे; लेकिन पैग़म्बर (स) के वे युद्ध जो गुप्त रूप से, कम और असंगठित योद्धाओं के साथ किये जाते थे, सरिय्या कहलाते हैं।[३] ग़ज़वा और सरिय्या के मामले में ये दो परिभाषाएँ भिन्न नहीं हैं; क्योंकि आखरी परिभाषा के अनुसार, पैग़म्बर (स) ने उन अभियानो में भाग नहीं लिया जो कम संख्या में लोगों के साथ किए गए थे और जिनका उद्देश्य नुकसान पहुंचाना या पहचान करना था।[४] अल-निहाया फ़ी ग़रीब अल-हदीस वल-असर के लेखक इब्न असीर के अनुसार, यह मानते हुए कि केवल चुने हुए लोग ही इन युद्धों में गए थे, इन युद्धों को सरिय्या कहा गया है; क्योंकि सरई शब्द का अर्थ उत्तम है।[५]

सरिय्यो का उद्देश्य

ऐसा कहा जाता है कि सरिय्या में पैग़म्बर (स) का मुख्य लक्ष्य मुसलमानों की तत्परता और ताकत दिखाना था।[६] अल-सहीह मिन सीरातिन नबी अल-आज़म किताब के लेखक सय्यद जाफ़र मुर्तज़ा आमोली के अनुसार केवल दो कारणों से पैगम्बर (स) की सरिय्या प्रदर्शित की गई: 1. इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार; 2. मुसलमानों पर हमला करने की चाहत रखने वाले देशद्रोहियों के जमावड़े को परेशान करना।[७] हालांकि, कुछ शोधकर्ताओं ने पैगम्बर (स) की सरिय्यो को चार श्रेणियों में विभाजित किया है:[८]

  1. प्रचारिक सरिय्या, जैसे रजीअ की सरिय्या[९], जो परिस्थितियों और वातावरण के अनुसार गुप्त रूप से या खुले तौर पर की जाती थी;[१०]
  2. रक्षात्मक सरिय्या जो मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए या कुछ दुश्मन के हमलों का मुकाबला करने के लिए की गई थी;[११]
  3. आक्रामक सरिय्या, जैसे कि हम्ज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब की सरिय्या[१२], जो दुश्मन की कार्रवाई से पहले और आमतौर पर दूर देशों में हुई थी;[१३]
  4. सूचनात्मक सरिय्या, जैसे अब्दुल्लाह बिन जहश की सरिय्या[१४], जो गुप्त रूप से और दुश्मन के व्यक्तियों या पदों से जानकारी एकत्र करने के उद्देश्य से की गई थी।[१५]

पैग़म्बर (स) ने आदेश दिया था कि सभी सरिय्यो में, यदि मुसलमान विजयी होते हैं, तो उन्हें कभी भी दुश्मन का पीछा नहीं करना चाहिए[१६] निर्णय लेने की प्रक्रिया और सरिय्या को कैसे आगे बढ़ाया जाए, यह पैग़म्बर (स) या उनके करीबी साथी की देखरेख में किया जाता था।[१७] सरिय्या के कमांडर के चयन में पैग़म्बर (स) साहस और सैन्य तकनीकों से परिचित होने जैसे गुणों को महत्व देते थे।[१८]

संख्या

मुख्य लेख पैग़म्बर (स) के युद्धों की सूची

तज़केरतुल खवास किताब में इमाम हादी (अ) से जो रिवायत की गई है, उसके अनुसार पैग़म्बर (स) के सरिय्यो की कुल संख्या 55 युद्ध है[१९] इतिहासकारों ने सरिय्यो की संख्या अलग-अलग तरीके से उद्धृत की है : तारीख पयाम्बर इस्लाम पुस्तक में मुहम्मद इब्राहीम आयती ने 82 सरिय्यो का उल्लेख किया है।[२०] मसऊदी ने मुरूज अल-ज़हब किताब मे कुछ इतिहासकारों से 35 सरिय्या, मुहम्मद बिन जुरैर तबरी से 48 सरिय्यो, और दूसरो से 66 सरिय्यो को उद्धृत किया हैं।[२१] फ़ज़्ल बिन हसन तबरेसी ने अल-आलम उल-वरा में 36 सरिय्यो का उल्लेख किया है।[२२] फ़ुरूग़े अब्दियत किताब के लेखक जाफ़र सुब्हानी के अनुसार, कुछ सरिय्यो को लोगों की कम संख्या के कारण नहीं गिना गया, और इस कारण से उनकी संख्या में मतभेद पाया गया है।[२३] दूसरी शताब्दी के इतिहासकार मुहम्मद बिन उमर वाक़ेदी के अनुसार, हम्ज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब, उबैदा बिन हारिस और सअद बिन अबी वक़्कास की सरिय्या पहली है जो वर्ष 1 हिजरी मे हुई थी।[२४]

सरिय्या में इस्लामी सेनाओं की संख्या दुश्मन सेना की ताकत और संख्या के अनुसार और मिशन के प्रकार के अनुसार भिन्न होती थी, और कभी-कभी कुछ सरिय्यो के लिए कुछ लोगों को भेजा जाता था और अन्य के लिए, तीन हजार सैनिक (उदाहरण के लिए, ओसामा बिन ज़ैद की सरिय्या में) भेजे जाते थे।[२५] फ़न्नुल हर्बिल इस्लामी फ़ी अहदिर रसूल (स) पुस्तक के लेखक वतर के अनुसार, पैग़म्बर (स) के युद्धों की सरिय्यो में इस्लामी सेना को जो क्षति हुई, वह अन्य युद्धो की तुलना मे अधिक थी।[२६] इसका कारण कुछ कमांडरों की लापरवाही, शत्रु की श्रेष्ठता और यह माना गया है कि लापरवाही के सिद्धांत को समझने मे विफलता पर विचार किया गया है।[२७] इसके अलावा, कुछ में इस्लामी निमंत्रण के उद्देश्य से जो सिरय्यो की योजना बनाई गईं, उनमें लापरवाही के कारण क्षति बहुत अधिक हुई; इस तरह कि उनमें से कुछ में इस्लामिक सेना के सभी सदस्य मारे गए।[२८] वर्ष 1 हिजरी की अधिकांश सरिय्या मदीना के पास की गईं।[२९] कुछ सरिय्या इस प्रकार हैं:

क्रमांक सरिय्या का नाम इस्लामी सेना उद्देश्य शत्रु की सेना घटना स्थल घटना का समय परिणाम
1 हम्ज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब का सरिय्या हम्ज़ा बिन अब्दुल मुत्तलिब के नेतृत्व में मुहाजेरीन के 30 लोग शत्रु पर आर्थिक प्रहार अबु जहल के नेतृत्व मे 300 घुड़सवार ईस (लाल सागर का तट) रमज़ान, वर्ष 1 हिजरी संघर्ष के बिना युद्ध का अंत[३०]
2 उबैदा बिन हारिस बिन मुत्तलिब का सरिय्या उबैदा बिन हारिस के नेतृत्व मे मुहाजेरीन के 60 लोग गश्त करना और संभावित खतरों से बचना अबु सुफ़यान के नेतृत्व मे 200 लोग राबिग़ रेगिस्तान शव्वाल, वर्ष 1 हिजरी शत्रु का पलायन[३१]
3 सअद बिन अबि वक़्कास का सरिय्या सअद बिन अबि वक़्क़ास के नेतृत्व मे मुजाजेरीन के 8 या 20 लोग शत्रु पर आर्थिक प्रहार कुरैश का वाणिज्यिक कारवां ख़र्रार ज़िल-क़दा, वर्ष 1 हिजरी मुसलमानो का क़ुरैश के व्यापारिक कारवां तक ना पहुंचना[३२]
4 अब्दुल्लाह बिन जहश का सरिय्या अब्दुल्लाह बिन जहश के नेतृत्व मे मुहाजेरीन के 8 या 20 लोग जानकारी की पहचान एवं संग्रहण अम्र बिन अल-ख़ज़्रमी के नेतृत्व मे 4 या 39 लोग नख़्ला (मक्का और ताइफ़ के बीच) रजब, वर्ष 2 हिजरी मुसलमानो को पहली बार माले ग़नीमत मिलना[३३]
5 ज़ैद बिन हारेसा का सरिय्या (सरिय्या क़रदा) ज़ैद बिन हारेसा के नेतृत्व मे 100 लोग बहुदेववादियों पर आर्थिक प्रहार और इराक से सीरिया तक कुरैश के व्यापारी मार्ग को असुरक्षित बनाना सफवान बिन उमैय्या के नेतृत्व मे कुरैश का व्यापारी कारवां क़रदा (मदीना से 150 किलोमीटर दूर) जमादी अल-सानी, वर्ष 3 हिजरी एक लाख दरहम माले ग़नीमत[३४]
6 अबि सलमा का सरिय्या अबु सल्मा के नेतृत्व मे 150 घुड़सवार और पैदल शत्रु की सैन्य साजिश को घटित होने से पहले ही नष्ट कर देना तल्हा के नेतृत्व मे बनी असद क़तन (मदीना से 230 किलोमीटर की दूरी) मुहर्रम, वर्ष 4 हिजरी बनी असद का फ़रार होना और मुस्लमानो की अत्यधिक माले ग़नीमत के साथ मदीना वापसी[३५]
7 बेरे मऊना का सरिय्या क़ुरआन के 40 शिक्षक नज्द में इस्लाम का प्रचार आमिर बिन तुफ़ैल के नेतृत्व मे नज्द के निवासी बेरे मऊना सफ़र, वर्ष 4 हिजरी एक को छोड़कर सभी शिक्षकों की शहादत[३६]
8 रजीअ का सरिय्या मुरसिद बिन अबि मुरसिद ग़न्वी के नेतृत्व मे क़ुरआन के 6 शिक्षक अज़्ल और क़ार्रा जनजाति मे इस्लाम का प्रचार अज़्ल और क़ार्रा का एक समूह रजीअ (मदीना से 280 किलोमीटर दूर) सफ़र, वर्ष 4 हिजरी क़ुरआन के शिक्षको मे से 4 की शहादत और 2 की गिरफ़्तारी[३७]
9 अबू उबैदा जर्राह का सरिय्या इब्न उबैदी के नेतृत्व मे 40 लोग मदीना पर हमला करने की योजना बनाने वाले बनु सअलेबा, बनु मुहारेबा और बनु अनमार जनजातियों को चेतावनी बनी सअलेबा, बनि मुहारिब और बनि अनमार जनजाति ज़ुल-क़िस्सा रबीअ अल-सानी वर्ष 6 हिजरी शत्रु का पहाड़ो की ओर फ़रार और कुछ भेड़ो का ग़नीमत मिलना[३८]
10 अब्दुर रहमान बिन औफ़ का सरिय्या अब्दुर रहमान बिन औफ़ के नेतृत्व मे 700 लोगो बनी कल्ब जनजाति को इस्लाम का निमंत्रण बनी कल्ब दौमतुल जन्दल शाबान, वर्ष 6 हिजरी रक्तपात के बिना बनी कल्ब जनजाति का इस्लाम स्वीकार करना[३९]
11 अब्दुल्लाह बिन रवाहा का सरिय्या अब्दुल्लाह बिन रवाहा के नेतृत्व मे 30 लोग शत्रु की जानकारी एकत्रित करना असीर बिन ज़ारम के नेतृत्व मे ग़त्फ़ान जनजाति के 30 लोगो वादी अल-क़ुरा शव्वाल, वर्ष 6 हिजरी पैग़म्बर (स) की सेवा मे रिपोर्ट पेश करना[४०]
12 मौता की लड़ाई जाफ़र बिन अबि तालिब तत्पश्चात ज़ैद बिन हारेसा फ़िर अब्दुल्लाह बिन रवाहा के नेतृत्व मे 3 हज़ार की सेना मौता के शासक को चेतावनी रोम की एक लाख से अधिक सेना मौता जमादी अल-अव्वल, वर्ष 8 हिजरी मुसलमानो का पीछे हटना[४१]
13 अली बिन अबि तालिब का सरिय्या अली बिन अबि तालिब के नेतृत्व मे 150 लोग बहुदेववादियों के मूर्ति भवन का विध्वंस तइई जनजाति हातिम ताई के परिवार का क्षेत्र रबीअ अल-सानी, वर्ष 9 हिजरी फ़ुल्स मुर्ति का विनाश और मुसलमानो को अत्यधिक माले ग़नीमत मिलना[४२]
14 यमन मे इमाम अली का सरिय्या इमाम अली के नेतृत्व मे 300 लोग यमन मे इस्लाम का प्रसार यमन की जनता यमन रमज़ान, वर्ष 10 हिजरी हमुदान और मज़हिज जनजाति का इस्लाम स्वीकार करना[४३]

फ़ुटनोट

  1. सुब्हानी, फ़राज़हाए अज़ तारीख पयामरे इस्लाम, 1386 शम्सी, पेज 216
  2. सुब्हानी, फ़राज़हाए अज़ तारीख पयामरे इस्लाम, 1386 शम्सी, पेज 216
  3. क़ाएदान, साज़मानदही जंगी दर ग़ज़्वाते अस्रे पयाम्बर, पेज 79-80
  4. क़ाएदान, साज़मानदही जंगी दर ग़ज़्वाते अस्रे पयाम्बर, पेज 80
  5. इब्न असीर, अल निहाया, 1399 हिजरी, भाग 2, पेज 363
  6. वतर, फ़न अल-हरब अल-इस्लामी फ़ी अहदिर रसूल (स), दार अल फ़िक्र, पेज 187
  7. आमोली, अल-सहीह मिन सीरतिन नबीइल आज़म (स), 1426 हिजरी, भाग 26, पेज 192
  8. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 24
  9. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 34
  10. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 24
  11. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 24
  12. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 29
  13. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 24
  14. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 25
  15. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 24
  16. वतर, फ़न अल-हरब अल-इस्लामी फ़ी अहदिर रसूल (स), दार अल फ़िक्र, पेज 80
  17. रज़ाई व दिगरान, तबईन व तहलील रुईकर्दे पयाम्बर (स) दर इंतेखाब फ़रमानदेहान सरय्येहाए अस्रे नबवी, पेज 60
  18. रज़ाई व दिगरान, तबईन व तहलील रुईकर्दे पयाम्बर (स) दर इंतेखाब फ़रमानदेहान सरय्येहाए अस्रे नबवी, पेज 60
  19. इब्न जौज़ी, तज़केरतुल ख़वास, 1418 हिजरी, पेज 322
  20. आयती, तारीख पयाम्बरे इस्लाम, 1369 शम्सी, पेज 240-247
  21. मस्ऊदी, मुरूज़ अल ज़हब, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 282
  22. तबरेसी, आलाम अल वरा, 1399 हिजरी, पेज 69-70
  23. सुब्हानी, फ़ुरोगे अब्दीयत, 1385 शम्सी, पेज 460
  24. वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 2
  25. वतर, फ़न अल-हरब अल-इस्लामी फ़ी अहदिर रसूल (स), दार अल फ़िक्र, पेज 237
  26. वतर, फ़न अल-हरब अल-इस्लामी फ़ी अहदिर रसूल (स), दार अल फ़िक्र, पेज296
  27. वतर, फ़न अल-हरब अल-इस्लामी फ़ी अहदिर रसूल (स), दार अल फ़िक्र, पेज 296
  28. वतर, फ़न अल-हरब अल-इस्लामी फ़ी अहदिर रसूल (स), दार अल फ़िक्र, पेज 296
  29. रज़ाई व दिगरान, गूने शनासी सरय्येहाए दौरे पयाम्बर (स) ता साले पंजुमे हिजरी, पेज 23
  30. देखेः वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 9 इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 3-4
  31. देखेः वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 10-11 इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 4
  32. देखेः वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 10-11 इब्न हिशाम, अल सीरतुन नबवीया, दार अल माऱफ़ा, भाग 1, पेज 591-592
  33. देखेः इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 7 इब्न हिशाम, अल सीरतुन नबवीया, दार अल माऱफ़ा, भाग 1, पेज 60-604
  34. देखेः वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 197-198 इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 27
  35. देखेः वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 340-343 इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 38-39
  36. देखेः वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 346-349 इब्न हिशाम, अल सीरतुन नबवीया, दार अल माऱफ़ा, भाग 1, पेज 183-185
  37. देखेः इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 42-43 तबरी, तारीख तबरी, 1387 हिजरी, भाग 2, पेज 538
  38. देखेः वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 552 इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 66
  39. वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 560-562
  40. वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 566-568
  41. इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 97-99
  42. देखेः वाक़ेदी, अल मग़ाज़ी, 1409 हिजरी, भाग 3, पेज 984 इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 124
  43. देखेः इब्न सअद, अल तबकात अल कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 128-129 तबरी, तारीख तबरी, 1387 हिजरी, भाग 3, पेज 131-132

स्रोत

  • आयती, मुहम्मद इब्राहीम, तारीख़ पयाम्बरे इस्लाम, तेहरान, दानिशगाह तेहरान, 1369 श्म्सी
  • इब्ने असीर, मुबारक बिन मुहम्मद, अल निहाया फ़ी ग़रीब अल हदीस व अल असर, बैरूत, अल मकतब अल इल्मीया, 1399 हिजरी
  • इब्न जौज़ी, युसूफ बिन क़जावग़ली, तज़केरतुल ख़वास मिनल उम्मते फ़ी ज़िक्रे ख़साइस अल आइम्मा, क़ुम, मंशूराते अल शरीफ़ अल रज़ी, 1418 हिजरी
  • इब्न सअद, मुहम्मद बिन सअद, अल तबक़ात अल कुबरा, ताइफ़, मकतब अल सिद्दीक़, 1414 हिजरी
  • इब्न हिशाम, अब्दुल मलिक, अल सीरा अल नबवीया, बैरूत, दार अल मारफ़ा
  • रज़ाई, मीना व दीगरान, तबईन व तहलील रूईकर्द प्याम्बर (स) दर इंतेखाब फ़रमानदेहान सरय्येहाए अस्रे नबवी, दर मजल्ले मुतालेआत तारीखी जंग, क्रमांक 12, ताबिस्तान, 1399 शम्सी
  • रज़ाई, मीना व दिगरान, गूनेशनासी सरय्येहाए दौरे प्याम्बर (स) ता साले पंजुम हिजरी, दर मजल्ले तारीख ईरान इस्लामी, क्रमांक 6, बहार व ताबिस्तान, 1398 शम्सी
  • सुब्हानी, जाफर, फ़ुरूग़े अब्दीयत, क़ुम, बुस्तान किताब, 1385 शम्सी
  • सुब्हानी, जाफ़र, फ़राजहाए अज़ तारीख़ पयाम्बरे इस्लाम, तेहरान, मशअर, 1386 शम्सी
  • तबरेसी, फ़ज़्ल बिन हसन, आलाम उल वरा बेआलम उल हुदा, शोधः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, बैरूत, दार अल मारफ़ा, 1399 हिजरी
  • तबरी, मुहम्मद बिन जुरैर, तारीख तबरी, बैरूत, दार अल तुरास, 1387 हिजरी
  • क़ाएदान, असग़र, साज़मानदही जंगी दर ग़ज़वात पयाम्बर (स), दर मजल्ले मुतालेआत तारीखी जंग, क्रमांक 3, बहार 1397 शम्सी
  • मसऊदी, अली बिन हुसैन, मुरूज अल ज़हब व मआदिन अल जौहर, क़ुम, दार अल हिजरा, 1409 हिजरी
  • वाक़ेदी, मुहम्मद बिन उमर, अल मग़ाज़ी, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी लिलमतबूआत, 1409 हिजरी
  • वतर, मुहम्मद जाहिर, फ़न अल हरब अल इस्लामी फ़ी अहिर रसूल (स), दमिश्क़, दार अल फ़िक्र