अब्दुल्लाह बिन रसूले ख़ुदा (स)
अब्दुल्लाह बिन रसूल ए ख़ुदा (स) | |
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नाम | अब्दुल्लाह बिन रसूल ए ख़ुदा (स) |
मृत्यु | हिजरत से पहले |
दफ़्न स्थान | कब्रिस्तान मुअल्ला |
निवास स्थान | मक्का |
पिता | हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम |
माता | ख़दीजा |
अब्दुल्लाह बिन रसूल ए ख़ुदा (स), ईश्वर के दूत (स) और ख़दीजा के पुत्र थे, जिनकी बचपन में ही मृत्यु हो गई थी। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, उनकी मृत्यु के बाद, आस बिन वाएल ने पैगंबर (स) को अबतर कहा, और उसकी इस बात के जवाब में, सूरह कौसर नाज़िल हुआ।
अधिकांश ऐतिहासिक स्रोतों का मानना है कि उनका जन्म पैग़म्बर की बेअसत (नबी बन जाने) के बाद हुआ था। [१] बेशक, एक अन्य कथन में पैग़म्बर की बेसत से पहले उनके जन्म का उल्लेख है। [२] उनका उपनाम तय्यब और ताहिर रखा गया था; [३] क्यों कि उनका जन्म वहई नाज़िल होने और इस्लाम के दौर में हुआ था। [४] [नोट 1]
अब्दुल्लाह की बचपन में ही मक्का में मृत्यु हो गई। [५] अंसाब अल-अशराफ़ में अहमद बिन यहया बलाज़री के अनुसार, उनकी मृत्यु के बाद, आस बिन वाएल ने पैगंबर (स) को अबतर (निःसंतान, निःसंतान) का ताना दिया क्यों कि उनका कोई बेटा जीवित नहीं रहता था। इसलिए, सूरह कौसर और यह आयत «إِنَّ شانِئَکَ هُوَ الْأَبْتَر؛ "इन्ना शानेअका हुवा अल-अबतर" निश्चय ही, आपका शत्रु वंश और नस्ल से रहित है।"[६] उसके शब्दों के जवाब में प्रकट हुआ। [७]
अल-काफी में शेख़ कुलैनी द्वारा वर्णित हदीस के अनुसार, अब्दुल्लाह की मृत्यु के बाद, ख़दीजा रो रही थी, तो पैगंबर (स) ने उनसे कहा:
"क्या आप उसे (अब्दुल्लाह) को स्वर्ग के दरवाज़े पर खड़ा देखकर प्रसन्न नहीं होंगी, और जब वह आपको देखेगा, तो वह आपका हाथ पकड़ लेगा और स्वर्ग के सर्वोत्तम स्थान में प्रवेश करेगा ... अल्लाह किसी बंदे के हृदय का फल (औलाद) लेने से श्रेष्ठ और महान है, और अगर वह बंदा ईश्वर के लिए धैर्य रखता है और उसका धन्यवाद करता है, तो ईश्वर उसे दण्ड नही देगा।" [८]
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ उदाहरण के लिए, देखें: इब्न हजर असक्लानी, अल-इसाबा, 1415 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 445; मोक़रिज़ी, अमता अल-अस्मा, 1420 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 333।
- ↑ उदाहरण के लिए, देखें: इब्न हजर असक्लानी, अल-इसाबा, 1415 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 445; मोक़रिज़ी, अमता अल-अस्मा, 1420 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 333।
- ↑ इब्न इसहाक़, सीरते इब्न इसहाक़, 1410 हिजरी, पृष्ठ 82।
- ↑ इब्न हजर असक्लानी, अल-इसाबा, 1415 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 445; मोक़रिज़ी, अमता अल-अस्मा, 1420 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 333।
- ↑ अमीन, आयान अल-शिया, 1406 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 223।
- ↑ सूरह कौसर, आयत 3।।
- ↑ बलाज़री, अंसाब अल-अशराफ़, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 138-139।
- ↑ कुलैनी, अल-काफ़ी, 1362, खंड 3, पृष्ठ 219।
नोट
- फ़ज़्ल बिन हसन तबरसी के अनुसार, कुछ लोगों ने ग़लती से तय्यब और ताहिर को पैगंबर (स) के दो बेटों के नाम मान लिये हैं। (तबरसी, आलाम अल वरा, 1417 हिजरी, खंड 1 पेज 275)
स्रोत
- इब्न इसहाक़, मुहम्मद बिन इसहाक़, सीरते इब्ने इसहाक़, क़ुम, इस्लामी इतिहास और शिक्षा अध्ययन विभाग, पहला संस्करण, 1410 हिजरी।
- इब्न हजर असक्लानी, अहमद बिन अली, अल-इसाबा फ़ी तमयीज़ अल सहाबा, बेरूत, दारुल-कुतुब अल-इल्मिया, 1415 हिजरी।
- अमीन, मोहसिन, आयान अल-शिया, बेरुत, दार अल तआरुफ लिल-मतबूआत, 1406 हिजरी।
- बलाज़ारी, अहमद बिन यहया, अंसाब अल-अशराफ़, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, पहला संस्करण, 1417 हिजरी।
- तबरसी, फ़ज़्ल बिन हसन, आलाम अल-वरा, क़ुम, आल-अल-बैत, पहला संस्करण, 1417 हिजरी।
- कुलैनी, मोहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, तेहरान, इस्लामिया, दूसरा संस्करण, 1362।
- मोक़रिज़ी, अहमद बिन अली, इम्ता अल-इस्मा बेमा लिन'नबी मिन अल-अहवाल वल-अमवाल वल-हफ़दा वल-मुता'अ, बेरूत, दार अल-कुतुब अल-इल्मिया, पहला संस्करण, 1420 हिजरी।