पैग़म्बर (स) की वफ़ात

wikishia से

पैग़म्बरे अकरम (स) की वफ़ात, (फ़ारसी: رحلت پیامبر(ص)) वर्ष 11 हिजरी की घटनाओं में से एक है, जिसके कारण मुसलमान विभाजन का शिकार हो गए और इस मुद्दे ने उनके भाग्य पर बहुत प्रभाव डाला। पैग़म्बर की वफ़ात या शहादत और उसके परिणामों की चर्चा भी इस्लामी इतिहास के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। शिया और सुन्नी हदीस स्रोतों में वर्णित हदीसों के अनुसार, पैग़म्बर (स) को एक यहूदी महिला ने ज़हर देकर शहीद कर दिया था; लेकिन कुछ लोगों का मानना ​​है कि पैग़म्बर की प्राकृतिक मौत हुई थी। इस्लामी इतिहास के विद्वान और शोधकर्ता जाफ़र मुर्तज़ा आमेली के अनुसार, ईश्वर के दूत की कई बार हत्या की कोशिश की गई और ज़हर देने के कारण उनकी वफ़ात हुई।

ऐतिहासिक स्रोतों में, पैग़म्बर (स) के जीवन के अंतिम दिनों की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया गया है; उनमें से कुछ यह हैं: ओसामा की सेना, दवात और क़लम का मामला, सक़लैन की हदीस को बयान करना और पैग़म्बर (स) के उत्तराधिकारी का निर्धारण करना।

ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, पैग़म्बर (स) की वफ़ात के बाद, मदीना के लोग, विशेषकर उनकी बेटी फ़ातेमा (अ) बहुत दुखी थे। उमर बिन ख़त्ताब ने ज़ोर देकर कहा कि पैग़म्बर के स्वर्गवास नही हुआ हैं और उन लोगों को मारने की धमकी दी जो मानते थे कि पैग़म्बर का निधन हो गया था, यहाँ तक कि अबू बक्र आए और सूरह आले-इमरान की आयत 144 पढ़कर उन्हें शांत किया। कुछ लोगों ने उमर की कार्रवाई को अबू बक्र को सत्ता में लाने की पूर्व नियोजित योजना माना है।

इतिहासकारों के अनुसार, फ़ज़्ल बिन अब्बास और ओसामा बिन ज़ैद जैसे लोगों की मदद से, इमाम अली (अ.स.) ने पैग़म्बर (स) को दफ़न करने के लिए सुसज्जित किया और उन्हें उनके घर में दफ़्न किया। पैग़म्बर के दफ़्न के समय, अंसार और मुहाजेरीन के कुछ नेता सकीफ़ा बनी साईदा में एकत्रित हुए और ईश्वर के दूत (स) के आदेश के विपरीत, अबू बक्र को पैग़म्बर का उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया।

पैग़म्बर (स) की वफ़ात या शहादत प्रसिद्ध शिया कथन के अनुसार सफ़र की 28 तारीख़ को और प्रसिद्ध सुन्नी परंपरा के अनुसार रबीउल अव्वल की 12 तारीख़ को हुई थी।

स्थिति

इमाम अली के रौज़ा में पैग़म्बर की वफ़ात पर शोक समारोह (सफ़र 28, 1445 हिजरी)

[१]

पवित्र पैग़म्बर (स) की वफ़ात वर्ष 11 हिजरी[२] और मदीना[३] में हुई थी। सोमवार के दिन पैग़म्बर के स्वर्गवास पर सभी इतिहासकार सहमत हैं।[४] [[शिया[शियों]] में शेख़ मुफ़ीद और शेख़ तूसी इसे सफ़र की 28 तारीख़ में मानते हैं।[५] और शेख़ अब्बास क़ोमी इसे अधिकांश शिया विद्वानो की राय मानते हैं।[६] शिया इतिहासकार रसूल जाफ़रियान के अनुसार, इस तारीख़ का वर्णन किसी भी हदीस में नहीं हुआ है[७] और शियों ने मुफ़ीद और तूसी की पैरवी करते हुए इस तारीख़ को स्वीकार कर लिया है।[८]

सुन्नियों ने रबी-उल-अव्वल महीने के पहले दिन,[९] दूसरे दिन[१०] और एक समूह ने इस महीने के बारहवें दिन[११] को पैग़म्बर की वफ़ात का उल्ल्ख किया है। और कुछ लोगों ने इसे सुन्नियों की प्रसिद्ध राय माना है।[१२] एक शिया विद्वान एरबेली ने कश्फ अल-ग़ुम्मा में, इमाम बाक़िर (अ.स.) ने एक हदीस का ज़िक्र किया है और पैग़म्बर (स) की वफ़ात का दिन रबी-उल-अव्वल का दूसरा दिन माना है,[१३] लेकिन शेख़ अब्बास क़ोमी ने इसकी व्याख्या तक़य्या के रूप में की है।[१४] जैसा कि दो अन्य शिया विद्वानों, शेख़ कुलैनी और मुहम्मद बिन जरीर अल-तबरी भी मानते हैं कि यह रबी अल-अव्वल की 12 तारीख़ को हुआ था।[१५]

इब्न हेशाम (मृत्यु 218 हिजरी) द्वारा लिखित किताब अल-सीरत अल-नबविया,[१६] मुहम्मद बिन साद (मृत्यु: 230 हिजरी) द्वारा लिखित तबक़ात अल-कुबरा,[१७] अहमद बिन अबी याक़ूब (मृत्यु: 284 हिजरी) द्वारा लिखित तारिख़ याकूबी,[१८] शेख़ मुफ़ीद (मृत्यु: 413 हिजरी) द्वारा लिखित अल-इरशाद[१९] और जाफ़र मुर्तज़ा आमेली (मृत्यु: 1441 हिजरी) द्वारा लिखित सही मिन सीरत अल-नबी अल-आज़म जैसे स्रोतो में पैग़म्बर (स) की वफ़ात से संबंधित विषय शामिल हैं।[२०]

पैग़म्बर की वफ़ात के परिणाम

इस घटना का मुसलमानों के भाग्य पर स्पष्ट और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।[२१] पैग़म्बर की वफ़ात के तुरंत बाद, मुहाजेरीन और अंसार के बुजुर्गों का एक समूह सक़ीफ़ा बनी साईदा में इकट्ठा हुआ और अबू बक्र को ख़लीफा के रूप में चुन लिया।[२२] इसके अलावा, ख़लीफा के समर्थकों ने अली (अ) से निष्ठा प्राप्त करने के लिए पैग़म्बर की बेटी फ़ातेमा (अ) के घर पर हमला किया।[२३] इस हमले में, फ़ातेमा घायल हो गईं,[२४] जो शियों के अनुसार, उनकी शहादत का कारण बना।[२५] शियों के अनुसार, पैग़म्बर की वफ़ात के बाद, इमाम अली (अ.स.) के उत्तराधिकार के संबंध में पैग़म्बर के आदेशों को लागू नहीं किया गया[२६] और उनके उत्तराधिकार को लेकर विवाद इस्लामी समाज में गहरे संघर्ष में बदल गया और दो प्रमुख धर्मों शिया और सुन्नी के निर्माण का आधार बना।[२७]

दुनिया के विभिन्न देशों में, ईश्वर के दूत (स) की वफ़ात की सालगिरह पर, एक शोक समारोह आयोजित किया जाता है।[२८] ईरान में, 28वीं सफ़र पैग़म्बर की वफ़ात के दिन के रूप में एक आधिकारिक अवकाश है, और इस अवसर पर शिया लोग इस दिन पैग़म्बर का शोक मनाते हैं।[२९]

पैग़म्बर को ज़हर देने की कहानी

इस बारे में दो प्रकार की रिपोर्टें हैं कि क्या पैग़म्बर (स) की वफ़ात सामान्य मृत्यु से हुई या ज़हर से हुई।[३०] कुछ लोगों का मानना ​​है कि ईश्वर के दूत की वफ़ात प्राकृतिक कारकों के कारण हुई थी,[३१] लेकिन अल-काफी किताब में इमाम सादिक़ (अ) से एक हदीस के अनुसार,[३२] बसायर अल-दरजात, एक शिया हदीस किताब में,[३३] और चंद्र कैलेंडर की तीसरी शताब्दी की एक ऐतिहासिक किताब, तबक़ात इब्न साद में, ऐसी रिपोर्टें हैं कि पैग़म्बर ने अपने जीवन के अंत में अपनी बीमारी का कारण ख़ैबर की विजय के बाद भेड़ का गोश्त खाने के कारण हुई विषाक्तता को बताया था जिसे एक यहूदी महिला पैग़म्बर और उनके साथियों के लिए लेकर आई थी।[३४]

शेख़ मुफ़ीद,[३५] शेख़ तूसी,[३६] अल्लामा हिल्ली[३७] और कुछ सुन्नी स्रोतों के लेखक जैसे सहिह बुखारी,[३८] सुनन दारमी[३९] और अल-मुस्तद्रक अला अल-सहिहैन[४०] ने लिखा है कि पैग़म्बर (स) की वफ़ात ज़हर के परिणामस्वरूप हुई है। शिया इतिहासकार जाफ़र मुर्तेज़ा आमेली ने पैग़म्बर (स) की हत्या के प्रयास के बारे में शिया और सुन्नी स्रोतों से रिपोर्टें एकत्रित कीं हैं[४१] और पैग़म्बर को ज़हर देने और उनकी शहादत पर विश्वास किया है।[४२] वह कुछ आंतरिक दुश्मनों को पैग़म्बर को ज़हर देने का कारण मानते हैं।[४३] जैसा कि तफ़सीरे अय्याशी में इमाम सादिक़ (अ.स.) से उल्लेख किया गया है कि पैग़म्बर की दो पत्नियां पैग़म्बर को ज़हर देने का कारण थीं।[४४]

हदीस लदूद

मुख्य लेख: हदीस लदूद

लदूद की कहानी, जिसे कुछ लोगों ने मनगढ़ंत[४५] और कुछ ने अंधविश्वास [४६] माना है, इस्लाम के पैग़म्बर (स) की बीमारी के दिनों की घटनाओं में से एक है। सहिह अल-बुख़ारी और तबक़ात इब्न साद में, आयशा से वर्णित है कि पैग़म्बर (स) के जीवन के आखिरी दिनों में, जब वह गंभीर बीमारी से बेहोश हो जा रहे थे, तो उन्होंने पैग़म्बर के मुंह में लदूद (सीने और पहलू के रोगियों के लिए एक कड़वी दवा) डाला, लेकिन पैग़म्बर ने उस हालत में संकेत दिया कि वह ऐसा न करें। जब पैग़म्बर को बेहतर महसूस हुआ, तो उन्होंने आदेश दिया कि दवा उनके चाचा अब्बास को छोड़कर सभा में मौजूद सभी लोगों के मुंह में डाली जाए।[४७] एक शिया शोधकर्ता नजमी ने संभावना व्यक्त की है कि इस हदीस की जालसाजी करने वाले दवात और क़लम के मामले में उमर बिन ख़त्ताब की कार्रवाई की पुष्टि के लिए करना चाह रहे थे जिन्होंने पैग़म्बर (स) पर भ्रम (हिज़यान) का आरोप लगाया था।[४८]

पैग़म्बर (स) का दफ़नाना

मदीना में पैग़म्बर (स) के रौज़े का हरा गुंबद

इब्न साद ने उल्लेख किया है कि ईश्वर के दूत (स) की वफ़ात के बाद, लोग बहुत दुखी थे[४९] उनकी बेटी फ़ातेमा (अ) लगातार रो रही थी और फ़रियाद कर रही थीं "या अबताह!" (ऐ मेरे बाबा) और पैग़म्बर की वफ़ात के बाद, किसी ने उन्हें मुस्कुराते हुए नहीं देखा।[५०] नहज अल-बलाग़ा में, इमाम अली (अ.स.) से वर्णित है कि ईश्वर के दूत (स) की वफ़ात के समय दर व दीवार और फ़रिश्ते उनके शोक में रो और तड़प रहे थे।[५१]

ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, पैग़म्बर (स) का निधन अली (अ) की बाहों में हुआ था[५२] और उन्होंने फ़ज़्ल बिन अब्बास, ओसामा बिन ज़ैद और अन्य लोगों की मदद से पैग़म्बर (स) को उनके लिबास के ऊपर से ग़ुस्ल दिया और कफ़न पहनाया।[५३] अली (अ) के सुझाव पर[५४] लोगों ने समूहों में पैग़म्बर के घर में प्रवेश किया और किसी इमाम का अनुसरण किए बिना पैग़म्बर की नमाज़े ज़नाज़ा पढ़ी, और यह सिलसिला अगले दिन तक जारी रहा।[५५] कुछ हदीसो में जो उल्लेख किया गया है उसके अनुसार, पैग़म्बर (स) के दफ़न स्थान के लिए कई सुझाव थे, लेकिन अली (अ) के इस बात पर ज़ोर दिया कि भगवान पैग़म्बरों के जीवन को सबसे शुद्ध स्थानों पर उनसे लेते हैं, सभी ने इसे स्वीकार कर लिया और पैग़म्बर के शरीर को उसी स्थान पर दफ़नाया गया जहा उनकी वफ़ात हुई थी (उनके घर में उस स्थान पर जहाँ आयशा रहती थी)[५६] क़ब्र अबू उबैदा जर्राह और ज़ैद बिन सहल द्वारा तैयार की गई थी[५७] और अली (अ.स.) ने फ़ज़्ल और ओसामा की मदद से पैग़म्बर के पार्थिव शरीर को दफ़न किया था।[५८]

उत्तराधिकार का मुद्दा

पैग़म्बर (स) के उत्तराधिकारी और उनकी वफ़ात के बाद मुस्लिम सरकार के नेतृत्व करने का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक और मुसलमानों के बीच विभाजन का मुख्य कारण रहा है।[५९] तदनुसार, इस्लाम के पैग़म्बर की वफ़ात से पहले और उसके तुरंत बाद, अत्यंत संवेदनशील तथा गोपनीयता एवं जटिलता की राजनीति से भरपूर घटनाओं का वर्णन किया गया है।[६०] शिया स्रोतों के विश्लेषण के अनुसार, पैग़म्बर (स) ने ग़दीर में घोषणा के बाद अली (अ) का उत्तराधिकार स्थापित करने के लिए ओसामा की सेना में अली की खिलाफ़त के संभावित विरोधियों को शामिल करके मदीना से दूर रखने की कोशिश की।[६१] और अपने बाद अपने बारे में एक वसीयत लिखने की कोशिश की,[६२] और उन्होंने सक़लैन की हदीस पर कई बार ज़ोर दिया[६३] उन्होंने अपने बाद एक उत्तराधिकारी को पेश किया,[६४] और उन्होने अबू बक्र को जमाअत की नमाज़ पढ़ाने से रोका।[६५]

ऐतिहासिक रिपोर्टों के अनुसार, पैग़म्बर के बाद उत्तराधिकार के मुद्दे पर सहाबा का दृष्टिकोण दो तरह से था: सहाबा के एक समूह ने कहा कि पैग़म्बर ने किसी को नियुक्त नहीं किया और सकीफ़ा बनी साईदा में इकट्ठा हुए और अबू बक्र को ख़लीफ़ा के रूप में चुना।[६६] और दूसरा समूह, जिनमें से अधिकांश बनी हाशिम से थे, का पैग़म्बर के हदीसों के आधार पर मानना ​​था कि पैग़म्बर ने अली को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था, और इसी कारण से, उन्होंने कुछ समय के लिए अबू बक्र के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा नहीं की।[६७] इन दोनों समूहों के बीच मतभेद के कारण मदीना में संघर्ष हुआ और अली के घर पर हमला हुआ।[६८] कुछ रिपोर्टों के अनुसार, अली ने फ़ातेमा की शहादत के बाद तक अबू बक्र के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा नहीं की।[६९] सुलैम बिन क़ैस की किताब और अन्य स्रोतों के अनुसार, कुछ लोगों ने पैग़म्बर के जीवनकाल के दौरान उनके उत्तराधिकार के कार्य को निर्धारित करने के लिए समझौता किया और इस घटना को उल्लिखित स्रोतों में एक शापित धर्मग्रंथ (सहीफ़ा मलऊना) कहा गया है।[७०]

मोनोग्राफ़ी

पैग़म्बर (स) की वफ़ात के विषय पर, कुछ स्वतंत्र रचनाएँ, जिनमें ज्यादातर सुन्नी लेखकों द्वारा लिखी गई हैं। उनमें से कुछ यह हैं:

  • अब्दुल वाहिद अल-मुज़फ्फर द्वारा लिखित किताब वफ़ात अल नबी (स)। इसमें वफ़ात के कारण, पैग़म्बर की बीमारी और उसकी अवधि और कारण, उनकी वफ़ात के समय की घटनाएं, जनाज़ा तैयार करना और दफ़न करना, और उनके लिए शोक मनाना, जैसे कार्यों के बारे में चर्चा की गई हैं।[७१]
  • शेख़ हुसैन अल-दराज़ी अल-बहरैनी द्वारा लिखित किताब वफ़ातो रसूलिल्लाह (स), जिसे बेरूत में बलाग़ इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित किया गया है।[७२]
  • नबील अल-हसनी द्वारा लिखित किताब, वफ़ातो रसूलिल्लाह व मौज़ओ क़बरेहि, इस कार्य में, उन्होंने उल्लेख किया है कि पैग़म्बर (स) की वफ़ात कैसे हुई, उन्हें कहाँ दफ़नाया गया, और इस संबंध में उनके साथियों के बीच क्या मतभेद पैदा हुए।[७३]
  • नज़ार अल-नअलवानी अल-असक़लानी द्वारा लिखित किताब, वज़लमतिल मदीना वा वफ़ात अल नबी, जिसे 1424 हिजरी में दार अल-मिन्हाज बेरूत द्वारा प्रकाशित किया गया है।[७४]
  • इब्न नासिर अल-दीन द्वारा लिखित और सालेह यूसुफ मअतूक़ द्वारा शोध की गई किताब, सलवतुल कय्येब फ़ी वफ़ात अल नबी। इस कार्य में वफ़ात के बाद की घटनाओं और स्वर्गदूतों द्वारा शोक, अली बिन अबी तालिब द्वारा पैग़म्बर के पार्थिव शरीर को ग़ुस्ल देने और पैग़म्बर के बच्चों और पत्नियों के बारे में जैसी सामग्रियो का उल्लेख किया गया है।[७५]

फ़ुटनोट

  1. "[तस्वीरें] 28वें सफ़र के अवसर पर इमाम अली (अ) के तीर्थ सेवकों का शोक", शफ़कना समाचार एजेंसी।
  2. शेख़ मुफीद, अल-इरशाद, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 182; तबरी, तारिख़ अल-तबरी, 1387 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 200।
  3. शेख़ मुफीद, अल-इरशाद, 1410 एएच, खंड 1, पृष्ठ 182; तबरी, तारिख़ अल-तबरी, 1387 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 195।
  4. जाफ़रियान, सिरते रसूल ख़ुदा (स), 2003, पृष्ठ 682।
  5. शेख़ मुफीद, अल-इरशाद, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 189; शेख तुसी, तहज़ीब अल-अहकाम, 1407 एएच, खंड 6, पृष्ठ 2।
  6. कोमी, मुन्तहा अल-आमाल, 1379, खंड 1, पृष्ठ 249।
  7. जाफ़रियान, सिरते रसूल ख़ुदा (स), 2003, पृष्ठ 682।
  8. जाफ़रियान, सिरते रसूल ख़ुदा (स), 2003, पृष्ठ 682।
  9. इब्न कसीर, अल-बिदाया वा अल-निहाया, 1407 एएच, खंड 5, पृष्ठ 254; सोहैली, अल-रौज़ अल-अनफ़, 1412 एएच, खंड 7, पृष्ठ 579।
  10. तबरी, तारिख अल-तबरी, 1387 एएच, खंड 3, पृष्ठ 200; सोहैली, अल-रौज़ अल-अनफ़, 1412 एएच, खंड 7, पृष्ठ 579
  11. इब्न कसीर, अल-बिदाया वा अल-निहाया, 1407 एएच, खंड 5, पृष्ठ 276; वाक़ेदी, अल-मगाज़ी लिलवाक़ेदी, 1409 एएच, खंड 3, पृष्ठ 1089; ख़लीफा बिन ख़यात, ख़लीफा बिन खयात का इतिहास 1415 एएच, पृ. 46; मसूदी, मोरुज अल-ज़हब, 1409 एएच, खंड 2, पृष्ठ 280।
  12. तारी जलील, "पैगंबर (स) की वफ़ात के इतिहास पर विचार", पृष्ठ 12।
  13. कोमी, मुन्तहा अल-आमाल, 1379, खंड 1, पृष्ठ 249।
  14. कोमी, मुन्तहा अल-आमाल, 1379, खंड 1, पृष्ठ 249।
  15. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1362, खंड 4, पृष्ठ 439; तबरी, अल-मुस्तरशिद, 1415 एएच, पृष्ठ 115।
  16. इब्न हिशाम, अल-सिराह अल-नबविया, दार अल-मारेफा, खंड 2, पीपी. 666-649।
  17. इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 एएच, खंड 2, पृष्ठ 129-253।
  18. याकूबी, तारिख याकूबी, दार सादिर, खंड 2, पृ. 113-115.
  19. शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृष्ठ 179-192।
  20. आमेली, सही मिन सिरह अल-नबी अल-आज़म, 1385, खंड 33, पृ. 125-355 और पृ. 230-5।
  21. देखें: शहिदी, इस्लाम का विश्लेषणात्मक इतिहास, 1390, पृष्ठ 106-107।
  22. तबरी, तारिख़ अल-उमम वा अल-मुलुक, 1387, खंड 3, पीपी 201-203।
  23. इब्न कुतैबा, अल-इमामा वा अल-सियासा, 1410 एएच, खंड 1, पृष्ठ 30-31।
  24. मसूदी, इसबात अल वसीया, 2004, पृष्ठ 146।
  25. नजफ़ी, वसीयत के प्रमाण का अनुवाद, 1362, पृष्ठ 262।
  26. महदी, अल-हुजूम, 1425 एएच, पीपी 221-356।
  27. देखें: शहिदी, इस्लाम का विश्लेषणात्मक इतिहास, 1390, पृष्ठ 106-107।
  28. तबातबाई, इस्लाम में शिया, 1378, पृष्ठ 28 देखें।
  29. मेहर समाचार एजेंसी, "विदेश में पवित्र पैग़म्बर (स) की पुण्य तिथि का समारोह"।
  30. उदाहरण के लिए, "बुशहर में पवित्र पैगंबर (स) की वफ़ात की सालगिरह पर शोक मनाने वाले समूहों का आंदोलन और सभा", तस्नीम समाचार एजेंसी को देखें।
  31. आमिली, सही मिन सीरत अल-नबी अल-आज़म, 2005, खंड 33, पीपी. 141-158।
  32. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 10, पृष्ठ 266।
  33. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 एएच, खंड 6, पृष्ठ 315, हदीस 3।
  34. सफ़्फ़ार, बसायर अल-दरजात, 1404 एएच, पृष्ठ 503।
  35. इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 एएच, खंड 2, पृष्ठ 156-155।
  36. शेख़ मुफ़ीद, अल-मुक़नेआ, 1413 एएच, पृष्ठ 456।
  37. तूसी, तहज़ीब अल-अहकाम, 1407 एएच, खंड 6, पृष्ठ 2।
  38. हिल्ली, मुंतहा अल-मतालिब, 1412 एएच, खंड 13, पृष्ठ 259।
  39. बुखारी, सहिह अल-बुखारी, 1422 एएच, खंड 6, पृष्ठ 9, हदीस 4428।
  40. अल-दारमी, सुनन अल-दारमी, 1412 एएच, खंड 1, पृष्ठ 207, एच. 68।
  41. हकीम नैशापूरी, अल-मुस्तद्रक, 1411 एएच, खंड 3, पृष्ठ 61, हदीस 4395।
  42. आमेली, सही मिन सीरत अल-नबी अल-आज़म, 2005, खंड 33, पीपी. 141-158।
  43. आमेली, सहिह मिन सीरत अल-नबी अल-आज़म, 2005, खंड 33, पृष्ठ 159।
  44. आमेली, सही मिन सीरत अल-नबी अल-आज़म, 2005, खंड 33, पीपी. 193-159।
  45. अयाशी, किताब अल-तफ़सीर, 1380, खंड 1, पृष्ठ 200।
  46. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 13, पृष्ठ 32; नजमी, "महान पैगंबर (स) के बारे में एक झूठी कहानी", पृष्ठ 120।
  47. आमेली, सही मिन सीरत अल-नबी अल-आज़म, 2005, खंड 32, पृष्ठ 130।
  48. बुखारी, सहीह अल-बुखारी, 1422 एएच, खंड 6, पृष्ठ 14, हदीस 4458 और खंड 7, पृष्ठ 127, हदीस 5712; इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 एएच, खंड 2, पृष्ठ 181।
  49. नजमी, "महान पैगंबर (स) के बारे में एक झूठी कहानी", पृष्ठ 120; नजमी, अली अल-सहीहैन की रौशनी, अल-मा'आरिफ़ अल-इस्लामिया स्था., पृष्ठ 264।
  50. इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 एएच, खंड 2, पृष्ठ 238
  51. इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 237-238।
  52. सैय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा (सुबही सालेह), 1414 एएच, पृष्ठ 311, 197 उपदेश; मकारेम शिराज़ी, नहज अल-बलाग़ा सहज फ़ारसी अनुवाद के साथ, 2004, पृष्ठ 485। .
  53. इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 201।
  54. इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 हिजरी, खंड 2, पृ. 212 और 214; इब्न हेशाम, अल-सिरा अल-नबविया, दारल अल-मारेफ़ा, खंड 2, पृष्ठ 263-662।
  55. शेख मोफिद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृष्ठ 188।
  56. इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 220; याकूबी, तारिख़ याकूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 114।
  57. इरबली, कश्फ़ अल-ग़ुम्मा, 1381 एएच, खंड 1, पृष्ठ 19।
  58. इब्न हेशाम, अल-सिराह अल-नबवियाह, दार अल-मारेफा, खंड 263।
  59. इब्न साद, तबक़ात अल-कुबरा, 1410 एएच, खंड 2, पृष्ठ 229।
  60. मैडलॉन्ग, हज़रत मुहम्मद (स) का उत्तराधिकार, 1377, पृष्ठ 13।
  61. ग़ुलामी, सूर्यास्त के बाद, 2008, पृ.21
  62. शेख मोफिद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृष्ठ 180।
  63. बुखारी, सहीह अल-बुखारी, 1422 एएच, खंड 6, पृष्ठ 9, हदीस 4432।
  64. शेख़ मोफ़िद, अमाली, 1413 एएच, पृष्ठ 135; इब्न हजर हैसमी, अल-सवाइक़ अल-मुहरक़ा, 1417 एएच, खंड 2, पृ. 438 और 440।
  65. शेख़ मुफीद, अल-इरशाद, 1413 एएच, खंड 1, पृष्ठ 185; ज़हबी, तारीख़ अल-इस्लाम, 1413 एएच, खंड 11, पृष्ठ 224; इब्न कसीर, अल-बिदाया वा अल-निहाया, 1407 एएच, खंड 7, पृष्ठ 359।
  66. जाफ़रियान, सिरते रसूले ख़ुदा, 2003, पृ.679
  67. सुलैम बिन क़ैस की पुस्तक, मोहम्मद बाक़िर अंसारी ज़ंजानी द्वारा शोध, पृष्ठ 420
  68. इब्न कुतैबा, इमामत और अल-सियासा, 1410 एएच, खंड 1, पृष्ठ 22; इब्न असीर, अल-कामिल फ़ि अल-तारिख़, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 327।
  69. याकूबी, तारिख़ अल-याकूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 124; अस्करी, सकीफ़ा: पैग़म्बर के बाद सरकार के गठन की जांच, 2007, पृष्ठ 99।
  70. याकूबी, तारिख़ अल-याकूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 124; अस्करी, सकीफ़ा: पैग़म्बर के बाद सरकार के गठन की जांच, 2007, पृष्ठ 99।
  71. अल-मुज़फ्फर, अब्दुल वाहिद, 2006, पृष्ठ 3.
  72. दाराज़ी, पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) की मृत्यु, 1428 एएच, पृष्ठ 2।
  73. "ईश्वर के दूत (स) की वफ़ात और कब्र की स्थिति", क़ायेमिया बुक बाज़ार।
  74. अल-नअलवानी, पैगंबर की वफ़ात (स), 1424 एएच, पृष्ठ 2।
  75. इब्न नासिर अल-दीन, सलवात अल-कईब, इस्लामिक अध्ययन के लिए दार अल-बुहूस, 2007, पृष्ठ 211।

स्रोत

  • इब्न अबी अल-हदीद, अब्द अल-हमीद बिन हिबतुल्लाह, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, विद्वान और सुधारक: इब्राहिम, मुहम्मद अबुल फ़ज़्ल, क़ुम, मकतबा आयतुल्लाह अल-मरअशी अल-नजफ़ी, पहला संस्करण, 1404 हिजरी।
  • इब्न असीर, अली इब्न मुहम्मद, अल-कामिल फ़ि अल-तारीख़, बेरूत, दार सादिर, बी ता।
  • इब्न हजर हैतमी, अहमद इब्न मुहम्मद, अल-सवाइक़ अल-मुहरक़ा अला अहल अल-रफ़ज़ वा अल-ज़लाल वा अल-ज़ंदाक़ा, बेरूत, अल-रिसाला फाउंडेशन, पहला संस्करण, 1417 हिजरी।
  • इब्न साद, मुहम्मद, तबक़ात अल-कुबरा, शोध: अता, मुहम्मद अब्दुल कादिर, बेरूत, दार अल-किताब अल-इल्मिया, पहला संस्करण, 1410 हिजरी।
  • इब्न कुतैबा, अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम, इमामत और राजनीति, शोधकर्ता: अली शिरी, बेरुत, दार अल-अज़वा, 1410 हिजरी।
  • इब्न कसीर दमिश्क़ी, इस्माइल इब्न उमर, अल-बिदाया वा अल-निहाया, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, 1407 हिजरी।
  • इब्न हिशाम, अब्द अल-मलिक, अल-सिरह अल-नबविया, शोध: मुस्तफा अल-सक्का, इब्राहिम अल-अबियारी, अब्द अल-हफीज शलबी, बेरूत, दार अल-मारेफ़ा, पहला संस्करण, बी ता।
  • इब्न नासिर अल-दीन, सलवा अल-कायिब बे वफ़ात अल-हबीब, अमीरात, इस्लामिक अध्ययन के लिए दार अल-बखू, बी ता।
  • इरबली, अली बिन ईसा, कश्फ़ अल-ग़ुम्मा, शोध: सैय्यद हाशिम रसूली महल्लाती, तबरैज़, बनी हाशेमी पब्लिशिंग हाउस, प्रिंट: 1, 1381 हिजरी।
  • बुख़ारी, मुहम्मद बिन इस्माइल, सहिह अल-बुखारी, विद्वान: अल-नासिर, मुहम्मद ज़ुहैर, दमिश्क़, दार तौक़ अल-नजात, पहला संस्करण, 1422 हिजरी।
  • तारी जलील, "पैगंबर (स) की वफ़ात की तारीख़ पर एक प्रतिबिंब", इस्लामिक इतिहास पत्रिका, संख्या 5, वसंत 2008 में।
  • जाफेरियान, रसूल, सिरत रसूले ख़ुदा (स), दलिल मा, क़ुम, 2003।
  • हकीम नैशापूरी, मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह, अल-मुस्तद्रक अला अल-साहिहैन, शोध: अब्द अल-क़ादिर मुस्तफा, बेरूत, दार अल-किताब अल-इल्मिया, पहला संस्करण, 1411 हिजरी।
  • "बुशहर में पवित्र पैग़म्बर (स) के निधन की सालगिरह पर शोक समूहों का आंदोलन और जमावड़ा", तस्नीम समाचार एजेंसी, पोस्टिंग की तारीख: 5 आबान, 1398 शम्सी, पहुंच की तारीख: 1 मुरदाद, 1403 शम्सी।
  • हिल्ली, हसन बिन यूसुफ़, मुंतहा अल-मतलब फ़ी तहक़ीक़े मज़हब, मशहद, मजमा अल-बहूस अल-इस्लामिया, 1412 हिजरी।
  • ख़लीफा बिन ख़य्यात, ख़लीफा बिन ख़य्यात का इतिहास, शोध: नजीब फवाज़, बेरूत, दार अल-कुतुब अल-इल्मिया, 1415 हिजरी।
  • दारमी, अब्दुल्लाह बिन अब्द अल-रहमान, सुनन अल-दारमी, शोध: हुसैन सलीम अल-दारानी, ​​सऊदी अरब, प्रकाशन और वितरण के लिए दार अल-मुग़नी, पहला संस्करण, 1412 हिजरी।
  • दराज़ी अल-बहरानी, ​​शेख हुसैन, वफ़ात नबी मुहम्मद (स), बेरूत, बलाग़ इंस्टीट्यूट, पहला संस्करण, 1428 हिजरी।
  • ज़हाबी, मुहम्मद बिन अहमद, तारिख़ अल-इस्लाम, शोध: उमर अब्द अल-सलाम, बेरूत, दार अल-किताब अल-अरबी, दूसरा संस्करण, 1413 हिजरी।
  • सोहैली, अब्द अल-रहमान, अल-रौज़ अल-अनफ फी शरह अल-सिराह अल-नबविया, बेरूत, दार इह्या अल-तुरास अल-अरबी, पहला संस्करण, 1412 हिजरी।
  • सैय्यद रज़ी, मुहम्मद बिन हुसैन, नहज अल-बलाग़ा, शोध: सुबही सालेह, क़ुम, हिजरत, पहला संस्करण, 1414 हिजरी।
  • शहिदी, सैय्यद जाफ़र, इस्लाम का विश्लेषणात्मक इतिहास, तेहरान, अकादमिक प्रकाशन केंद्र, 2013।
  • शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, तहज़ीब अल-अहकाम, संपादित: मुहम्मद आखुंदी, तेहरान, दारुल किताब अल-इस्लामिया, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी।
  • शेख़ मोफिद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अमाली, शोध: हुसैन उस्ताद वली, अली अकबर गफ़्फारी, क़ुम, शेख मोफिद कांग्रेस, पहला संस्करण, 1413 हिजरी।
  • शेख़ मोफिद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल-मुक़नेआ, क़ुम, शेख़ मोफिद की विश्व हजारा कांग्रेस, पहला संस्करण, 1413 हिजरी।
  • सफ़र, मुहम्मद बिन हसन, क़ुम, बसायर अल-दरजात, आयतुल्लाह मरअशी लाइब्रेरी, दूसरा संस्करण, 1404 हिजरी।
  • तबरी, मुहम्मद बिन जरीर, तबरी की तारीख़ (तारीख़ अल उम्म वा अल-मुलूक), शोध: इब्राहिम, मुहम्मद अबुल फ़ज़्ल, बेरूत, दार अल-तुरास, दूसरा संस्करण, 1387 एएच।
  • तबातबाई, सैय्यद मोहम्मद हुसैन, इस्लाम में शिया, क़ुम सेमिनरी टीचर्स सोसाइटी, इस्लामिक प्रकाशन कार्यालय, 1378 शम्सी।
  • तबरी, मुहम्मद बिन जरीर बिन रोस्तम, अल-मुस्तरशिद फ़ी इमामत अमीर अल-मुमिनीन अली बिन अबी तालिब (अ.स.), शोध: अहमद महमूदी, तेहरान, अल-सक़ाफ़ा अल-इस्लामिया संस्थान, लेकोशनपुर, 1415 एएच।
  • आमेली, सैय्यद जाफ़र मुर्तज़ा, सही मिन सिराह अल-नबी अल-आज़म, क़ुम, दार अल-हदीस, पहला संस्करण, 1385 शम्सी।
  • अस्करी, सैय्यद मोर्तेज़ा, सकीफ़ा: जांच करना कि पैगंबर की वफ़ात के बाद सरकार का गठन कैसे हुआ, मेहदी दश्ती द्वारा, उसुल अल-दीन संकाय, क़ुम, 2007।
  • अयाशी, मुहम्मद बिन मसूद, तफ़सीर अल-अयाशी, तेहरान, अल-मतबआ अल-इल्मिया, पहला संस्करण, 1380 एएच।
  • क़ोमी, शेख अब्बास, मुंतहा अल-आमाल, क़ुम, दलिल मा, पहला संस्करण, 1379 शम्सी।
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, शोधकर्ता और सुधारक: गफ़्फ़ारी, अली अकबर, आखुंदी, मुहम्मद, तेहरान, दार अल-किताब अल-इस्लामिया, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी।
  • "विदेश में पवित्र पैगंबर (स) की पुण्य तिथि का समारोह", मेहर समाचार एजेंसी, प्रकाशन तिथि: 22 आज़र 1394 शम्सी, पहुंच तिथि: 6 दैय 1402 शम्सी।
  • मैडलॉन्ग, विल्फ्रेड, पैगंबर मुहम्मद (स) का उत्तराधिकार: पहले खिलाफ़त के बारे में एक अध्ययन, अनुवादित: अहमद नुमाई और जवाद क़ासेमी, मोहम्मद जवाद महदवी और हैदर रेज़ा ज़ाबित, आसताने कुद्स इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन, मशहद, 1377 शम्सी।
  • मसूदी, अली बिन हुसैन, मुरुज अल-ज़हब वा मआदिन अल-जौहर, शोध: असअद दाग़िर युसुफ़, क़ुम, दार अल-हिजरा संस्थान, 1409 हिजरी।
  • अल-मुजफ्फ़र, अब्दुल-वाहिद, वफ़ात पैगंबर (स), क़ुम, अल-मकतब अल-हैदरीया प्रकाशन, पहला संस्करण, 1386 शम्सी।
  • महदी, अब्दुल ज़हरा, अल-हुजूम अला बैत अल फ़ातेमा, तेहरान, बरगे रिज़वान प्रकाशन, 1425 हिजरी।
  • नजमी, मोहम्मद सादिक़, "महान पैगंबर (स) के बारे में एक झूठी कहानी", मिकात हज क्वार्टरली, नंबर 58, विंटर 2005।
  • अल-नअलवानी अल-असक़लानी, नज़ार, वफ़ात पैगंबर (स) वा अज़लमत अल-मदीना, बेरूत, दार अल-मिन्हाज, 1434 एएच।
  • वाक़ेदी, मुहम्मद बिन उमर, अल-मग़ाजी लिल वाक़ेदी, मार्जडेन जोन्स, बेरूत, अल-अलामी प्रेस इंस्टीट्यूट, 1409 हिजरी।
  • "ईश्वर के दूत (स) की वफ़ात और क़ब्र की स्थिति", क़ायेमियह पुस्तक बाज़ार, देखने की तारीख़: 17 दिय 1402 शम्सी।
  • याकूबी, अहमद बिन अबी याकूब, तारिख़ अल-याकूबी, बेरूत, दार सादिर, पहला संस्करण, बी टा।
  • "[तस्वीरें] 28 सफ़र के अवसर पर इमाम अली (अ) के तीर्थ सेवकों का शोक", शफ़क़ना समाचार एजेंसी, पोस्टिंग की तारीख: 14 सितंबर, 2023, पहुंच की तारीख: 22 जून, 2024।