क़ुरआन के चमत्कार
क़ुरआन के चमत्कार (अरबीःالإعجاز القرآني) का अर्थ यह है कि कोई भी इंसान क़ुरआन जैसी किताब नहीं लिख सकता है, और यह इस बात का संकेत है कि क़ुरआन परमात्मा द्वारा अवतरित किया गया है। मुस्लिम विद्वान क़ुरआन को इस्लाम के पैग़म्बर (स) का सबसे बड़ा चमत्कार और उनकी पैगम्बरी का तर्क मानते हैं। क़ुरआन के चमत्कार का मुद्दा क़ुरआन विज्ञान और इस्लामी धर्मशास्त्र के विषयों में से एक है।
मुसलमान क़ुरआन को वलाग़त, इल्म और मारफ़त,अनदेखी खबरें देने और इसमें विरोधाभासों की अनुपस्थिति के मामले में एक चमत्कार मानते हैं। क़ुरआन ने स्वयं इस पुस्तक के चमत्कार होने की ओर इशारा किया है और इसे छह आयतो में चुनौती दी है, ऐसा कहा जा सकता है; अर्थात विरोधियों को आमंत्रित किया है कि अगर संभव हो तो वे कुछ इसके जैसा ही लेकर आएं।
मुस्लिम विद्वानों ने क़ुरआन के चमत्कारों के बारे में कई किताबें लिखी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं: ऐजाज़ क़ुरआन, अबू बक्र बाक़लानी (मृत्यु 403 हिजरी) द्वारा लिखित, ऐजाज़ अल क़ुरआन वल कलाम फ़ी वजुहेही, शेख़ मुफ़ीद (मृत्यु 413 हिजरी), अस सर्फ़ा फ़ी ऐजाज़ अल क़ुरआन, सय्यद मुर्तज़ा (मृत्यु 436 हिजरी) द्वारा लिखित, दलाइल अल-ऐजाज़, अब्दुल क़ाहिर जुरजानी (मृत्यु 471 हिजरी) द्वारा लिखित है।
क़ुरआन के चमत्कार का अर्थ और उसका महत्व
मुसलमान क़ुरआन को इस्लाम के पैग़म्बर (स) का चमत्कार मानते हैं।[१] चमत्कार होने का अर्थ है कि यह पुस्तक मानव शक्ति से परे है और ईश्वर की ओर से है और कोई भी इसके जैसा नहीं ला सकता है।[२] शेख़ तूसी ने क़ुरआन की अपनी तफसीर अल तिबयान मे इसे पैग़म्बर (स) के सबसे महान और सबसे प्रसिद्ध चमत्कारों में से एक माना है।[३]
सुन्नी विद्वान अबू बक्र बाक़लानी (मृत्यु 403 हिजरी) ने भी क़ुरआन के चमत्कारों पर ध्यान देने के महत्व के बारे में लिखा, हालांकि इस्लाम के पैग़म्बर (स) के पास अन्य चमत्कार थे, लेकिन इस्लाम के पैग़म्बर की नबूवत क़ुरआन के चमत्कार होने पर आधारित है; क्योंकि उनके अन्य चमत्कार निश्चित समय और परिस्थितियों में और कुछ ही लोगों के साथ घटित हुए; लेकिन क़ुरआन सबके सामने है और किसी ने भी इसके अस्तित्व से इनकार नहीं किया है।[४]
क़ुरआन की चुनौती
- मुख्य लेख: चुनौती
चुनौती, क़ुरआन विज्ञान[५] और इस्लामी धर्मशास्त्र में,[६] का अर्थ पैग़म्बरो की नबूवत को नकारने वाले लोगों को पैग़म्बरो का निमंत्रण है कि वह उनके चमात्कारो जैसा चमत्कार ले कर आए।[७] क़ुरआन ने छह आयतो में चुनौती दी है; अर्थात्, उन्होंने इसके चमत्कार होने से इनकार करने वालों से इसके लिए एक उदाहरण पेश करने के लिए कहा।[८] इन आयतो को चुनौती वाली आयतें (आयाते तहद्दी) कहा जाता है।[९]
क़ुरआन के चमत्कारों के बारे में विभिन्न दृष्टिकोण
मुस्लिम विद्वानों ने विशेष रूप से कि क़ुरआन किस हिसाब से चमत्कार है विभिन्न दृष्टिकोण सामने रखे हैं। प्रसिद्ध सुन्नी विद्वान सिवति (मृत्यु 911 हिजरी) ने अल-इत्क़ान नामक किताब में अधिकांश क़ुरआन के साहित्यिक चमत्कार के बारे मे दृष्टिकोण पेश किए हैं। इनमें से प्रत्येक दृष्टिकोण ने साहित्यिक चमत्कार को एक परिप्रेक्ष्य से समझाया है।[१०]
लेकिन मुस्लिम विद्वानों का मानना है कि क़ुरआन अन्य क्षेत्रों में भी चमत्कार हैं। उदाहरण के लिए, क़ुरआन के टिप्पणीकार अल्लामा तबातबाई (मृत्यु 1360 शम्सी) ने कहा कि क़ुरआन बलाग़त (वाक्पटुता) के अलावा, इल्म और मारफ़त, पैग़म्बर (स) के उम्मी होने, अनदेखी खबरें देने और इसमें विरोधाभासों की अनुपस्थिति के मामले में भी चमत्कार हैं।[११]
अबू बक्र बाक़लानी ने क़ुरआन के साहित्यिक चमत्कार पर जोर देने के अलावा, अनदेखी खबरो के देने और पैग़म्बर (स) के उम्मी होने को क़ुरआन के चमत्कार मे शामिल किया है। क़ुरआन के विद्वान मुहम्मद हादी मारफ़त (मृत्यु 2005 ईस्वी) ने साहित्यिक चमत्कारों के अलावा वैज्ञानिक और विधायी (तशरीई) चमत्कारों का भी प्रस्ताव रखा है।[१२]
सर्फ़े का सिद्धांत
- मुख्य लेख : सर्फ़े का सिद्धांत
क़ुरआन के चमत्कारों के बारे में एक और सिद्धांत प्रस्तावित किया गया है, जिसे सर्फ़े का सिद्धांत कहा जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार, क़ुरआन के चमत्कार का अर्थ यह है कि यदि कोई इसका खंडन करने का इरादा रखता है, तो ईश्वर उसे इस जैसी किताब लाने से रोक देगा। इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य क़ुरआन जैसी किताब लिख सकते हैं; लेकिन ईश्वर उन्हें इस क्षमता से वंचित कर देगा।[१३]
सीवती के अनुसार, अल-इत्क़ान मे दूसरी और तीसरी चंद्र शताब्दी मे जीवन व्यापन करने वाले सुन्नी विद्वान इब्राहीम नज़म ने इस दृष्टिकोण को बयान किया है।[१४] शिया विद्वानों मे से सय्यद मुर्तज़ा और शेख मुफ़ीद ने भी इस दृषिटकोण को स्वीकार किया है।[१५] मुहम्मद हादी मारफ़त के अनुसार, मुस्लिम विद्वानों ने, अतीत और आज दोनों में, इस सिद्धांत का खंडन किया है।[१६]
क़ुरआन के चमत्कार होने के विभिन्न पहलू
मुस्लिम विद्वानों के अनुसार क़ुरआन के चमत्कारों के कुछ पहलू इस प्रकार हैं:
साहित्यिक चमत्कार
क़ुरआन के साहित्यिक चमत्कार का अर्थ है कि क़ुरआन के पाठ में ऐसी विशेषताएं हैं कि कोई भी इंसान इन विशेषताओं के साथ पाठ का निर्माण नहीं कर सकता है।[१७] इनमें से कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं: सटीक शब्दों का सटीक स्थान पर उपयोग किया गया है, विचित्र और अनूठी शैली -जो प्रचलित कविता की तरह भी नहीं है, और प्रचलित गद्य की तरह भी नहीं है- शब्दों मे सुंदरता, मिठास और सुखद है।[१८]
अदृश्य की अधिसूचना
मुस्लिम विद्वानों के अनुसार, क़ुरआन ने अतीत और भविष्य की उन चीजों की घोषणा की है जिनके बारे में कोई नहीं जानता था।[१९] उदाहरण के लिए, जो उसने मैरी (हज़रत मरयम), नूह और उनके तूफान की कहानी, जोसेफ (हज़रत यूसुफ़) और उनके भाईयो के बारे में बताया था कोई भी उस विवरण को नहीं जानता था।[२०]
इसके अलावा, 615 ईस्वी में ईरान द्वारा रोम की हार के बाद, क़ुरआन ने दृढ़ता से घोषणा की कि रोम दस साल से भी कम समय में ईरान को हरा देगा, और ऐसा ही हुआ।[२१] अबू लहब, अबू जहल जैसे कुछ लोगों के भाग्य के बारे में भविष्यवाणियां और मक्का की विजय की भविष्यवाणी क़ुरआन की अन्य गुप्त खबरों में से हैं, जो सभी सच साबित हुईं।[२२]
वैज्ञानिक चमत्कार
- मुख्य लेख: क़ुरआन के वैज्ञानिक चमत्कार
क़ुरआन के वैज्ञानिक चमत्कार का अर्थ यह है कि इस पुस्तक में उन प्रायोगिक विज्ञानों के बारे में बातें बताई गई हैं जो उस समय खोजे नहीं गए थे और जिनका कभी उल्लंघन नहीं किया गया।[२३] टिप्पणीकारों ने कुछ बातों का श्रेय क़ुरआन को दिया है। और इसे वैज्ञानिक चमत्कार माना जाता है। वे हैं: पृथ्वी की स्थितिगत और स्थानान्तरणीय गति, पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल, जानवरो सहित पौधों मे जोड़ो का अवधारणा, और गृहो का अपनी निर्धारित कक्षाओं में घूमना।[२४]
क़ुरआन विज्ञान के शोधकर्ता मुहम्मद हादी मारफ़त इस बात को ध्यान मे रखते हुए कि प्रयोगात्मक विज्ञान के निष्कर्षो से यह साबित हो चुका है कि पानी से ही प्रत्येक चीज़ मे जीवन पाया जाता है क़ुरआन की इस आयत "हमने पानी से हर जीवित चीज़ को बनाया"[२५] आयत का हवाला देते हुए उपरोक्त आयत को क़ुरआन का वैज्ञानिक चमत्कार मानते है।[२६]
अन्य पहलू
क़ुरआन का विधायी (तशरीई) चमत्कार[२७] और क़ुरआन का संख्यात्मक चमत्कार[२८] क़ुरआन के चमत्कार के अन्य पहलू हैं जिन्हें कुछ मुस्लिम विचारकों ने प्रस्तावित किया है।
पहले सिद्धांत के अनुसार, मानव कानूनों के विपरीत, इस्लाम ने मनुष्य के लिए जो नियम और कानून स्थापित किए हैं, उनमें मानव अस्तित्व के सभी आयाम शामिल हैं और वे मनुष्य के भौतिक आयाम और उसके आध्यात्मिक आयाम दोनों के अनुरूप हैं। यह उसे सांसारिक सुख-शांति प्रदान करता है तथा उसके स्वभाव के अनुकूल है। चूँकि किसी भी इंसान के पास ऐसा करने की शक्ति नहीं है, इसलिए क़ुरआन को ईश्वर द्वारा अवतरित माना जाना चाहिए।[२९]
क़ुरआन के संख्यात्मक चमत्कारों का सिद्धांत यह भी कहता है कि क़ुरआन के अक्षरों और शब्दों की संख्या में इतनी नियमितता है कि कोई भी लेखक ऐसी नियमितता पर विचार नहीं कर सकता है और यह नियमितता उसके चमत्कार का संकेत है।[३०] उदाहरण स्वरूप "साअत" शब्द का उपयोग 24 बार किया गया है। वर्ष के महीनों की संख्या के लिए "शहर" (माह) शब्द का प्रयोग 12 बार किया गया है। क़ुरआन में "सज्दा" शब्द का प्रयोग 34 बार किया गया है, जो वाजिब नमाज़ो में सज्दो की संख्या के बराबर है।[३१] इस सिद्धांत के विरोधीयो की संख्या अधिक हैं।[३२]
क़ुरआन के चमत्कारों की ग्रंथ सूची
क़ुरआन के चमत्कारों का सवाल अतीत से लेकर वर्तमान तक मुस्लिम विद्वानों के लेखन में सदियों से उठाया गया है।[३३] धर्मशास्त्रीय पुस्तकों में, इस्लाम के पैग़म्बर (स) की भविष्यवाणी को साबित करने के लिए इसका हवाला दिया गया है।[३४] इसके अलावा, क़ुरआन विज्ञान की पुस्तकों का हिस्सा इस विषय को सौंपा गया है।[३५] इसके अलावा, क़ुरआन के चमत्कार स्वतंत्र रूप से मुस्लिम विद्वानों द्वारा पुस्तकों का विषय रहे हैं। इस क्षेत्र में कुछ स्वतंत्र लेखन इस प्रकार हैं:
- ऐजाज़ अल क़ुरआन फ़ी नज़्मेही वा तालेफ़ेही, बग़दाद के प्रसिद्ध धर्मशास्त्री अबू अब्दिल्लाह मुहम्मद बिन ज़ैद वास्ती (मृत्यु 306 या 307 हिजरी) की रचना;[३६]
- ऐजाज़ अल क़ुरआन, बगदाद के मोअतज़ली अली इब्न ईसा रुम्मानी (मृत्यु 384 हिजरी) की रचना;[३७]
- बयान ऐजाज़ अल क़ुरआन, खुरासान के असहाबे हदीस के विद्वान अबू सुलेमान हम्द बिन मुहम्मद खत्ताबी (मृत्यु 388 हिजरी) की रचना। यह किताब और इससे पहली वाली किताब 1376 हिजरी में मजमूआ सलासो रसाइल फ़ी ऐजाज़ अल क़ुरआन मे मिस्र में प्रकाशित हुई थी।[३८]
- ऐजाज़ अल क़ुरआन, क़ाज़ी अबू बक्र बाक़लानी (मृत्यु 403 हिजरी), जो विभिन्न संस्करणों में प्रकाशित हुई है और यह किताब कुछ विद्वानों द्वारा शोध का विषय रहा है;[३९]
- ऐजाज़ अल क़ुरआन वा अल कलाम फी वजहेही, वरिष्ठ शिया न्यायविद्, धर्मशास्त्री और हदीस विद्वान शेख मुफ़ीद (मृत्यु 413 हिजरी) की रचना;[४०]
- अस सरफ़ा फ़ी ऐजाज अल क़ुरआन, प्रमुख शिया धर्मशास्त्री, न्यायविद् सय्यद मुर्तज़ा (मृत्यु 436 हिजरी) की रचना। इस किताब को अल मोवज़्ज़ेह अन वजहे ऐजाज़ क़ुरआन भी कहा जाता है;[४१]
- दलाई अल ऐजाज़, अब्दुल काहिर जुरजानी (मृत्यु 471 हिजरी)। अरबी बलाग़त पर पहले संकलनकर्ताओं में से एक थे। यह पुस्तक कई बार प्रकाशित हो चुकी है और इसके बारे में कई शोध भी किये जा चुके हैं;[४२]
- अर रेसालतुश शाफ़ीयतो फ़ी ऐजाज़ अल क़ुरआन, अब्दुल काहिर जुरजानी की रचना है जो मजमूआ सलासो रसाइल फ़ी ऐजाज़ अल क़ुरआन मे प्रकाशित हो चुकी है;[४३]
- नहायतुल ईजाज़ फ़ी दरायतिल ऐजाज़, फ़ख़्रुद्दीन राजी (मृत्यु 606 हिजरी) की रचना।[४४]
- ऐजाज़ क़ुरआन, सय्यद मुहम्मद हुसैन तबातबाई की रचना है। यह पुस्तक क़ुरआन के चमत्कारों के बारे में उनके कार्यों, विशेष रूप से अल-मिज़ान का रूपांतरण है।[४५]
इसके अलावा, क़ुरआन के चमत्कारों के बारे में कई किताबें, लेख और थीसिस लिखी गई हैं। एक लेख में इस क्षेत्र में 348 कार्यों का परिचय दिया गया है।[४६]
फ़ुटनोट
- ↑ देखेः मुताहरी, मजमूआ आसार, 1384 शम्सी, भाग 2, पेज 211; बाक़लानी, ऐजाज़ अल क़ुरआन, 1421 हिजरी, पेज 9
- ↑ मुताहरी, मजमूआ आसार, 1384 शम्सी, भाग 2, पेज 211
- ↑ तूसी, अल तिबयान, दार एहया अल तुरास अरबी, भाग 1, पेज 3
- ↑ बाक़लानी, ऐजाज़ अल क़ुरआन, 1421 हिजरी, पेज 9
- ↑ जवाहिरी, वाकावी मेलाक तहद्दी दर क़ुरआन व नक़्द मनतिक तनज़्ज़ुली, पेज 112
- ↑ जमई अज़ नवीसंदेगान, शरह अल मुस्तलेहात अल कलामीया, 1415 हिजरी, पेज 64
- ↑ मोअद्दब, ऐजाज़ क़ुरआन दर नज़र अहले बैत (अ), 1379 शम्सी, पेज 17
- ↑ ख़ुर्रमशाही, दानिश नामे क़ुरआन व क़ुरआन पुज़ूही, 1377, भगा 1, पेज 481
- ↑ ख़ुर्रमशाही, दानिश नामे क़ुरआन व क़ुरआन पुज़ूही, 1377, भगा 1, पेज 481
- ↑ सीवती, अल इत्क़ान, 1421 हिजरी, भगा 2, पेज 242
- ↑ तबातबाई, अल मीज़ान, 1390 हिजरी, भगा 1, पेज 62-68
- ↑ मारफ़त, अल तम्हीद, 1388 शम्सी, भाग 6, पेज 34
- ↑ सीवती, अल इत्क़ान, 1421 हिजरी, भगा 2, पेज 241; मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1388 शम्सी, भाग 4, पेज 137
- ↑ सीवती, अल इत्क़ान, 1421 हिजरी, भगा 2, पेज 241
- ↑ देखेः सय्यद मुर्तज़ा, रसाइल अल अशरीफ़ अल मुर्तज़ा, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 323-327; शेख़ मुफ़ीद, अवाइल अल मक़ालात, 1413 हिजरी, पेज 63
- ↑ मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1388 शम्सी, भाग 4, पेज 180
- ↑ मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1388 शम्सी, भाग 5, पेज 115; सुब्हानी, अल इलाहीयात, 1413 हिजरी, भाग 3, पेज 243
- ↑ मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1388 शम्सी, भाग 5, पेज 16-17
- ↑ देखेः मुताहरी, मजमूआ आसार, 1384 शम्सी, भाग 2, पेज 223; मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1388 शम्सी, भाग 6, पेज 186
- ↑ मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1388 शम्सी, भाग 6, पेज 186
- ↑ मुताहरी, मजमूआ आसार, 1384 शम्सी, भाग 2, पेज 223
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- ↑ मआरिफ़, जाएगाह ऐजाज़ इल्मी क़ुरआन दर तफसीर नवीन, पेज 87
- ↑ सूर ए अम्बिया, आयत न 30
- ↑ मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1388 शम्सी, भाग 6, पेज 35-39
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- ↑ यज़्दानी, ऐजाज़ अददी व नज़्म रियाज़ी क़ुरआन, पेज 62 अलवी मुक़द्दम, ऐजाज़ कुरआन (2), पेज 26
- ↑ यज़्दानी, ऐजाज़ अददी व नज़्म रियाज़ी क़ुरआन, पेज 65; नौरोज़ी, किताब शनासी ऐजाज़ अददी व रियाज़ी क़ुरआन, पेज 84 अलवी मुक़द्दम, ऐजाज़ कुरआन (2), पेज 27
- ↑ नौरोज़ी, किताब शनासी ऐजाज़ अददी व रियाज़ी क़ुरआन, पेज 83
- ↑ मारफ़त, अल तम्हीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, पेज 365
- ↑ देखेः मुताहरी, मजमूआ आसार, 1384 शम्सी, भाग 2, पेज 212-223; सुब्हानी, अल इलाहीयात, 1413 हिजरी, भाग 3, पेज 233-436
- ↑ देखेः मारफ़त, अल तमहीद, 1388 शम्सी, भाग 5 व 6
- ↑ मारफ़त, ऐजाज़ क़ुरआन, पेज 365
- ↑ मीर्ज़ा मुहम्मद, मुकद्दमा वीरास्तार, पेज 19-20
- ↑ मारफ़त, ऐजाज़ क़ुरआन, पेज 365
- ↑ मारफ़त, ऐज़ाज़ क़ुरआन, पेज 365
- ↑ मीर्ज़ा मुहम्मद, मुकद्दमा वीरास्तार, पेज 22-23
- ↑ मीर्ज़ा मुहम्मद, मुकद्दमा वीरास्तार, पेज 25
- ↑ मारफ़त, ऐज़ाज़ क़ुरआन, पेज 365
- ↑ मारफ़त, ऐज़ाज़ क़ुरआन, पेज 365
- ↑ मारफ़त, ऐज़ाज़ क़ुरआन, पेज 365
- ↑ मीर्ज़ा मुहम्मद, मुकद्दमा वीरास्तार, पेज 18
- ↑ रज़ाई, मनबा शनासी ऐजाज़ इल्मी क़ुरआन, पेज 198-218
स्रोत
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- तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी लिल मतबूआत, दूसरा संस्करण, 1390 हिजरी
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- मुताहरी, मुर्तज़ा, मजमूआ आसार, तेहरान, इंतेशारात सदरा, 1384 शम्सी
- मआरिफ़, मजीद, जाएगाह ऐजाज़ इल्मी क़ुरआन दर तफसीर नवीन, दर सहीफा मुबीन, क्रमांक 37, 1385 शम्सी
- मारफ़त, मुहम्मद हादी, ऐजाज़ अल क़ुरआन, दर दाएरातुल मआरिफ बुजुर्ग इस्लामी, भाग 9, तेहरान, मरकज़ दाएरातुल मआरिफ़ बुजुर्ग इस्लामी, पहला संस्करण, 1379 शम्सी
- मारफ़त, मुहम्मद हादी, अल तमहीद फ़ी उलूम अल क़ुरआन, कुम, मोअस्सेसा इस्लामी अल तमहीद, 1388 शम्सी
- मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अवाइल अल मक़ालात फ़ी अल मज़ाहिब व अल मुखतारात, क़ुम, अल मोतमर अल आलमी लिश शेख अल मुफ़ीद, 1413 हिजरी
- मोअद्दब, सय्यद रज़ा, ऐजाज़ क़ुरआन दर नज़र अहले बैत इस्मत व बीस्त नफ़र अज़ उलमा बुजुर्ग इस्लाम, क़ुम, अहसन अल हदीस, 1379 शम्सी
- मीर्ज़ा मुहम्मद, अली रज़ा, मुकद्दमा वीरास्तार, दर तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, ऐजाज क़ुरआन, तेहरान, मरकज नशर फ़रहंगी रजा, 1362 शम्सी
- नौरोज़ी, मुज्तबा, किताब शनासी ऐजाज़ अददी व रियाज़ी क़ुरआन, दर आईना पुज़ूहिश, क्रमांक 27, 1390 शम्सी
- यज़्दानी, अब्बास, ऐजाज़ अददी व नज़्म रियाज़ी क़ुरआन, दर कीहान अंदीशे, क्रमांक 67, पेज 1375 शम्सी