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हामेदात

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हामेदात (अरबी: الحامدات) सूरह फ़ातेहा, सूरह अनआम, सूरह कहफ़, सूरह सबा और सूरह फ़ातिर को कहा जाता है, जो अल्हम्दुलिल्लाह शब्द से शुरू होते हैं।[] इन सूरों को "हाआत", "हम्द" और "मक़ासीर अल क़ुरआन"[नोट १] भी कहा जाता है।[] इन सूरों की सामान्य धुरी (विषय) इस्लाम के सिद्धांतों में से एकेश्वरवाद (तौहीद), नबूवत और पुनरुत्थान (क़यामत) है।[]सुयूती ने अपनी किताब 'अल-इतक़ान' में 'जमाल अल-क़ुर्रा' नामक किताब से यह बात उद्धृत की है कि क़ुरआन में निम्नलिखित समूह हैं: मयादीन (मैदान का बहुवचन), बसातीन (बुस्तान का बहुवचन, अरबी: बुस्तान, जिसका अर्थ है बगीचा), मक़ासीर, अराईस (उरूस (दुल्हन) का बहुवचन), दयाबीज (दीबाज का बहुवचन, जिसका अर्थ है रेशम, अरबी: दीबा), और रेयाज़ (रौज़ा का बहुवचन, जिसका अर्थ है बगीचा और पार्क), क़ुरआन के मयादीन सूरह ऐसे सूरह हैं जो "अलिफ़ लाम मीम" शुरू होते हैं। क़ुरआन के बसातीन सूरह वह हैं जो "अलिफ़ लाम रा" से शुरू होते हैं। क़ुरआन के मक़ासीर सूरह वह हामेदात हैं, और क़ुरआन के अराइस सूरह मुसब्बेहात हैं, और क़ुरआन के दयाबीज सूरह हामीमात हैं, और क़ुरआन के रेयाज़ सूरह मुफ़स्सलात सूरह हैं।[]

नोट

  1. मक़ासिर, मक़सूरह का बहुवचन है जिसका अर्थ है बरामदा (शबिस्तान), रवाक़ और ऐवान। (इस्लामी प्रचार विभाग, कुरआनिक विज्ञान का शब्दकोश। पृष्ठ 3442।

फ़ुटनोट

  1. मरकज़े फ़र्हंग व मआरिफ़े क़ुरआन, दाएरतुल मआरिफ़ कुरआन करीम, खंड 8, पृष्ठ 418
  2. हुज्जती, पवित्र कुरआन के इतिहास पर एक शोध, 1395, पृष्ठ 105।
  3. अकबरज़ादेह, तनासुबे सोवरे हामेदात।
  4. सुयूती, अल इतक़ान फ़ी उलूम अल क़ुरआन, 1394 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 201।

स्रोत

  • हुज्जती, सैय्यद मोहम्मद बाक़िर, पवित्र कुरआन के इतिहास पर एक शोध, इस्लामिक फरहंग पब्लिशिंग हाउस, 2015।
  • दफ़तरे तब्लीग़ाते इस्लामी, "फ़र्हंगनामे उलूमे क़ुरआन", बिना तारीख़।
  • मरकज़े फ़र्हंग व मआरिफ़े क़ुरआन, दाएरतुल मआरिफ़ क़ुरआने करीम, क़ुम, बूसताने किताब, तीसरा संस्करण, 1382 शम्सी।
  • अकबरज़ादेह, फातेमेा, तनासुबे सोवरे हामेदात, मास्टर की थीसिस, अल-ज़हरा विश्वविद्यालय, 2013।