क़ुरआन याद करना

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क़ुरआन याद करना या क़ुरआन कंठस्थ करना (अरबीःحفظ القرآن) क़ुरआन की आयतों को याद करना है। इसके लिए हदीसों मे बहुत अधिक सवाब का वादा दिया गया है। एक हदीस मे पैग़म्बर (स) ने लोगो के बीच क़ुरआन के संरक्षक अर्थात हाफ़िज़े क़ुरआन की स्थिति को अन्य मनुष्यों पर अपनी स्थिति के रूप मे पेश किया है। ऐतिहासिक और हदीस के स्रोतों के अनुसार, क़ुरआन को सबसे पहले याद करने वाले पैग़म्बर मुहम्मद (स) थे। पैग़म्बर (स) के युग मे क़ुरआन याद करने वालों की संख्या ज्ञात नहीं है। हालाँकि, कुछ समाचार रिपोर्टों मे हिजरत के चौथे वर्ष में क़ुरआन याद करने वालों की संख्या 70 लोगों तक बताई गई है।

क़ुरआन को याद करने के कई तरीको से परिचित कराया गया है, जिनमे से सबसे अच्छा तरीक़ा तस्वीरी आयत याद करना है। ईरान, मलेशिया, मिस्र, जॉर्डन, लीबिया और सऊदी अरब जैसे इस्लामी देशो मे क़ुरआन याद करने के लिए वार्षिक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। 2013 मे इस्लामिक गणराज्य ईरान के सुप्रीम लीडर सय्यद अली ख़ामेनई ने इस देश के सांस्कृतिक अधिकारियो को 10 मिलियन क़ुरआन याद करने वालों को प्रशिक्षित करने का आदेश दिया।

परिभाषा

क़ुरआन याद करने का अर्थ है क़ुरआन की आयतों को कंठस्थ करना है।[१] कुछ शोधकर्ताओं ने ऐतिहासिक बयानों और रिवायतो का हवाला देते हुए कहा कि "क़ुरआन याद करना" शब्द दूसरी चंद्र शताब्दी के मध्य से उपयोग हो रहा है।[२] शिया विश्वकोश मे क़ुरआन याद करने पर लेख के लेखक के अनुसार, इस्लाम की शुरुआत मे, क़ुरआन याद करने वालों को "जमाअ अल-क़ुरआन", "क़ुर्रा अल-क़ुरआन", और "हमाला अल-क़ुरआन" जैसे वाक्यांशों के साथ याद किया जाता था।[३] अरबी भाषा में "मेमोराइजेशन" शब्द के दो अर्थ हैं रखना या संभालना और याद रखना अर्थ मे उपयोग किया गया है।[४]

क़ुरआन विज्ञान उलूम क़ुरआनी की दृष्टि से, जो व्यक्ति तजवीद, तरतील और अन्य नियमों के साथ क़ुरआन पढ़ता है उसे "हाफ़िज़" कहा जाता है; इसके अलावा, एक व्यक्ति जो पैग़म्बर (स) की सुन्नत और कथावाचकों की स्थिति अर्थात रावीयो के हालात और बुजुर्गों (मशाईख) के वर्गों से अवगत है, उसे भी "हाफ़िज़" कहा जाता है।[५]

स्थान

सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनईः

अल्लाह की क़सम, अक्सर ऐसा हुआ है कि मैने मन ही मन सोचा और कहा कि अगर यह संभव हुआ, तो मै अपना सब कुछ दे दूंगा और क़ुरआन याद कर लूंगा, लेकिन अफ़सोस ये संभव नही है। इस आयु मे अब मै क़ुरआन याद नही कर सकता हूं। लेकिन आप युवा है, आप लोग अभी छोटे है और क़ुरआन याद कर सकते है।[६]

कुछ शोधकर्ताओं ने सूर ए अलक़ की शुरुआती आयतों मे पहले संबोधन "इक़्रा; पढ़ें", को ध्यान मे रखते हुए क़ुरआन पढ़ना अर्थात क़राअत को पहले चरण और क़ुरआन लेखन को उसका दूसरे चरण के रूप मे पेश किया है।[७] इसके आधार पर रामयार अपनी पुस्तक तारीख़ क़ुरआन मे पैग़म्बर (स) को क़ुरआन का पहला "हाफ़िज़" मानते है।[८] क़ुरआन के समकालीन टिप्पणीकार अल्लामा तबातबाई ने सूर ए अहज़ाब की आयत न 34 मे ज़िक्र का अर्थ क़ुरअन याद करना माना है।[९] इसके अलावा तबरेसी ने सूर ए क़मर की आयत न 17 मे क़ुरआन को सरल बनाने के अर्थ को "क़ुरआन याद करना" के रूप में सूचीबद्ध किया है।[१०]

दानिशनामा जहान इस्लाम (इनसाइक्लोपीडिया ऑफ इस्लामिक वर्ल्ड) मे क़ुरआन याद करने पर लेख के लेखक के अनुसार, इस्लाम की शुरुआत मे क़ुरआन याद करना एक तरह की श्रेष्ठता और विशेषाधिकार माना जाता था। इस कारण से कभी-कभी किशोर हाफ़िज़े क़ुरआन को इमामते जमाअत मे दूसरों पर प्राथमिकता दी जाती थी, या ओहद की लड़ाई मे, क़ुरआन याद करने वाले शहीदों को पैग़म्बर (स) के चाचा हमज़ा के क़रीब दफ़नाया गया है।[११]

शहीद सानी (मृत्यु: 965 हिजरी) के अनुसार, अतीत के विद्वानों का मानना था कि "क़ुरआन याद करना" सभी विज्ञानों से आगे है। वे केवल उन्हीं लोगों को न्यायशास्त्र और हदीस पढ़ाते थे जिन्होंने क़ुरआन कंठस्थ कर लिया था।[१२]

लीबिया, जॉर्डन, मलेशिया, सऊदी अरब और ईरान सहित इस्लामी देश क़ुरआन याद करने वालो की वार्षिक प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं।[१३]

सय्यद अली ख़ामेनई ने 2013 मे देश के संबंधित अधिकारियो से 10 मिलियन क़ुरआन याद करने वालो को प्रशिक्षित करने का आदेश दिया।[१४] इस्लामिक गणराज्य में पवित्र क़ुरआन के संरक्षण अर्थात हिफ़्ज़े क़ुरआन के लिए राष्ट्रीय परियोजना के एक अधिकारि मेहदी क़ुर्राशेख्लू के अनुसार, ईरान मई 2021 मे, ईरान मे क़ुरआन याद करने वालों की संख्या का कोई सटीक आँकड़ा नहीं है[१५] हालाँकि, कुछ लोगों ने अनुमान लगाया है कि ईरान मे क़ुरआन याद करने वालों (हाफ़िज़े क़ुरआन) की संख्या लगभग 20 या 30 हजार है।[१६]

क़ुरआन याद करने के गुण

प्रसिद्ध शिया मोहद्दिस कुलैनी ने क़ुरआन को याद करने के गुण के बारे मे हदीसो को "बाबो फ़ज़्ले हामिल अल क़ुरआन" नामक एक स्वतंत्र अध्याय में एकत्र किया है[१७] कुछ हदीसो के अनुसार क़ुरआन याद करने वालो के लिए यह शोभा नही देता कि वह यह सोचे कि परमातमा ने जो चीज़ (अर्थात हिफ़्ज़े क़ुरआन) उसे प्रदान की है उससे अच्छी और बेहतर चीज किसी और को प्रदान की है।[१८] पैग़म्बर (स) ने क़ुरआन याद करने वालों को पैग़म्बरों और विद्वानों के बाद अपने राष्ट्र के नेताओं के रूप में पेश किया है।[१९] आप (स) के अनुसार क़ुरआन याद करने वालो की निंदा या अपमान करने वाले परमात्मा की धिक्कार का मुस्तहक़ होते है।[२०] पुनरुत्थान के दिन क़ुरआन याद करने वाले की शिफ़ाअत उनके परिवार के दस ऐसे सदस्यों के बारे मे स्वीकार की जाएगी जो नरक मे जाने वाले[२१] इसके अलावा क़ुरआन को याद करने के बाद उसे भूल जाने की निंदा की गई है।[२२]

कुलैनी के माध्यम से इमाम सादिक़ (अ) से उद्धृत हदीस के अनुसार क़ुरआन की कंठस्थ आयतो की सख्या के बराबर इंसान को स्वर्ग मे दरजात दिएं जाऐंगे, और पुनरुत्थान के दिन क़ुरआन याद करने वाले को कहा जाएगा क़ुरआन पढ़ो और प्रत्येक आयत का पाठ करते हुए एक वर्ग ऊपर जाओ। स्वर्ग का उच्चतम स्तर क़ुरआन याद करने वालो के लिए है।[२३] दार्शनिक और क़ुरआन के टिप्पणीकार जवादी आमोली के अनुसार, ऐसे स्तरों और गुणों तक पहुंचने के लिए केवल क़ुरआन को याद करना और उसका पाठ करना पर्याप्त नहीं है। बल्कि अन्य रिवायतों के अनुसार आयतो का पालन करना ही उसके कार्य को स्वीकार करने की मुख्य शर्त है। उनका मानना है कि न्याय के दिन एक व्यक्ति के पास केवल उन आयतो को पढ़ने की क्षमता होगी जिन पर उसने अमल किया है।[२४]

इन हदीसों के बावजूद इमाम सादिक़ (अ) ने क़ुरआन की आयतों को याद करने से बेहतर और अधिक सवाब का हकदार मुस्हफ़ मे देखकर पढ़ना माना है। उन्होंने इस अभिव्यक्ति का कारण क़ुरआन की आयतों को देखने से आंखों को होने वाला लाभ बताया है।[२५]

कंठस्थ आयतो का भूलना

कुछ न्यायविदों के अनुसार क़ुरआन को याद करना मुस्तहब है।[२६] हालांकि कुछ हदीसों में उन लोगों के लिए दर्दनाक परिणामों का उल्लेख किया गया है जो क़ुरआन या उसके किसी एक अध्याय (सूरह) को याद करते हैं और फिर भूल जाते हैं।[२७] इसलिए, इन हदीसो का हवाला देते हुए कुछ न्यायविदों ने इस काम को हराम[२८] या मकरूह या क़ुरआन को याद करने के बाद उसका पाठ जारी रखने को तब तक वाजिब बताया है जब तक उसके भूल जाने का खतरा समाप्त हो जाए।[२९] दूसरी ओर, कुछ न्यायविदो ने परस्पर विरोधी हदीसो का हवाला देते हुए रिवायतो के इस समूह में भूलने का अर्थ क़ुरआन के स्पष्ट शब्दों को भूलना नहीं माना; बल्कि, उन्होंने इसे अमल न करना और कुरान की मार्गदर्शक शिक्षाओं को त्यागने का संकेत माना है, इस तरह कि यह उदासीनता के कारण विस्मृति है और क़ुरआन को त्यागने का कारण बनता है।[३०]

क़ुरआन याद करने के विभिन्न तरीके

कुरान को याद करने के लिए विभिन्न तरीक़े प्रचलित है जिन मे सुनकर, आयतो का मफहूम याद करके और तस्वीर देखकर याद करना सामान्य विधियाँ हैं[३१] कुरान को याद करने की विधियों की संख्या 20 या उससे अधिक के रूप में सूचीबद्ध की गई है[३२] और याद करने की सबसे अच्छी विधि देखकर (अर्थात तस्वीरी) याद करना बताई गई है।[३३] इस पद्धति में, आयते पढ़ने के बाद, एक व्यक्ति पृष्ठ पर आयतों की भौगोलिक स्थिति, शब्दों और अक्षरों को लिखने के तरीके आदि को याद करने की कोशिश करता है।[३४]

क़ुरआन याद करने वालो की संख्या

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस्लाम की शुरुआत में क़ुरआन याद करने वालों की संख्या बहुत अधिक थी, लेकिन उनकी सही संख्या ज्ञात नहीं है।[३५] इस दावे की वैधता साबित करने के लिए, सियुति ने ओहोद की लड़ाई, बेरे मऊना और यमामा की लड़ाई के शोहदा का हवाला दिया है।[३६] उनके अनुसार ऐतिहासकारो का इस संबंध मे कहना है कि ओहोद की लड़ाई मे शोहदा की संख्या 74 थी जिनमे बहुत से हाफ़िज़ मौजूद थे। इसके अलावा, वर्ष 4 हिजरी के सफ़र के महीने मे बेर माओउना की घटना घटी, जिसमें चालीस या सत्तर क़ारी या हाफ़िज़ शहीद हुए। इसी तरह पैग़म्बर (स) के स्वर्गवास के बाद, "यमामा की लड़ाई" में 1,200 मुसलमान मारे गए, जिनमें से ऐसा कहा जाता है कि 450 या 700 हामिलाने क़ुरआन थे।[३७]

सुयुति ने इमाम अली (अ), उबैय बिन काब, अबुल दर्दा, मआज़ बिन जबल, ज़ैद बिन साबित, अब्दुल्लाह बिन मसऊद, आदि पुरुषों मे और हज़रत फातिमा (स), फ़िज़्ज़ा, आयशा और हफ़्सा को पैग़म्बर (स) के युग के प्रसिद्ध हाफ़िज़ाने क़ुरआन मे उल्लेख किया है।[३८]

कुछ सबूतों के आधार पर, कुछ लोगों ने हाफ़िज़ शिराज़ी को क़ुरआन के हाफ़िज़ के रूप में पेश किया है। उनका मानना है कि इसी कारण से उनका अंतिम नाम (तख़ल्लुस) "हाफ़िज़" था।[३९] यह भी कहा जाता है कि करबलाई काजिम सारूक़ी ईरान के शहर सारूक़ का एक बूढ़ा अशिक्षित किसान व्यक्ति था, जो ज़कात का भुगतान करने और हलाल जीविका मे अधिक चौकस होने के कारण चमत्कारिक रूप से कुरान का हाफिज बन गया था।[४०]

शिया विद्वान अबुल कासिम खज़ अली (मृत्यु: 2015), मुहम्मद तकी बहलोल (मृत्यु: 2005), मुहम्मदी रै शहरी और अली नमाज़ी शाहरूदी (मृत्यु: 1985)[४१] अन्य हाफ़िज़ाने क़ुरआन हैं।[४२]

मोनोग्राफ़ी

  • मोअज़म हुफ़्फ़ाज़ अल-क़ुरआन अब्र अल-तारीख, मुहम्मद सालिम मुहैसिन द्वारा लिखित: इस पुस्तक मे दर्जनों क़ुरआन याद करने वालों और पढ़ने वालो (हाफ़िज़ो और क़ारीयो) के जीवन का उल्लेख किया गया है।
  • मारफ़ा अल-क़ुर्रा अल-केबार अला अल-तबक़ात वा अल-आसार या तबक़ात अल-क़ुर्रा, शम्सुद्दीन मुहम्मद बिन अहमद बिन उस्मान ज़हबी द्वारा लिखित: इस पुस्तक के लेखक ने क़ुरआन के पढ़ने वालों और याद करने वालों (हाफ़िज़ो और क़ारीयो) का वर्गीकरण किया है।
  • उसूल व रविशहाए हिफ़्ज़ क़ुरआन, सय्यद अली मीरदामाद नजफाबादी द्वारा लिखित यह पुस्तक अल-मुस्तफा इंटरनेशनल सेंटर फॉर ट्रांसलेशन एंड पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित की गई है। इसके पहले अध्याय में संरक्षण शब्दावली के महत्व और आवश्यकता पर चर्चा की गई है, दूसरे अध्याय में संरक्षण के सिद्धांतों और पूर्वापेक्षाओं को बताया गया है, और तीसरे अध्याय में संरक्षण और पुनरावृत्ति और संरक्षण के समेकन के तरीकों पर चर्चा की गई है।

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. हुसैनी, हिफ़्ज क़ुरआन, पेज 385
  2. हुसैनी, हिफ़्ज क़ुरआन, पेज 385
  3. हुसैनी, हिफ़्ज क़ुरआन, पेज 385
  4. मक़री, मिस्बाह अल मुनीर, हिफ़्ज़ शब्द के अर्तगत, शरीफ़ हुसैन, अल इफ़्साह फ़ी फ़िक़्ह अल लुग़ा, अल हिफ़्ज़ शब्द के अंतर्गत
  5. हुसैनी, हिफ़्ज क़ुरआन, पेज 385
  6. निशाने रा बे खातिर बेसुपार, वेबगाह दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई
  7. रामयार, तारीख क़ुरआन, 1346, पेज 221
  8. रामयार, तारीख क़ुरआन, 1346, पेज 212 और 221
  9. तबातबाई, अल मीज़ान फ़ी तफ़सीर अल क़ुरआन, 1370 शम्सी, भाग 16, पेज 313
  10. तबरेसी, मजमा अल बयान, 1415 हिजरी, भाग 9, पेज 316
  11. ज़रनिगार, हिफ़्ज़ क़ुरआन, पेज 585
  12. शहीद सानी, मुनयातुल मुरीद, 1409 हिजरी, पेज 263
  13. निगाही बे मुसाबेक़ात बैनुल मिल्ली क़ुरआन दर जहान / जाएगाह ईरान कुजा अस्त? खबरगुज़ारी बैनुल मिल्ली क़ुरआन (ईकना)
  14. बयानात दर दीदार क़ारीयान व हाफ़ेज़ान व असातीद क़ुरआनी, वेबगाह दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई
  15. हीच आमार रस्मी अज़ तादाद हाफ़ेज़ान क़ुरआन आराए नशुदा अस्त, खबरगुज़ारी तकरीब
  16. तादाद हाफ़ेज़ान क़ुरआन, फासले बिस्यार अज़ सन्द चिश्मअंदाज, खबरगुज़ारी जमहूरी इस्लामी ईरान
  17. कुलैनी, अल काफी, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 603
  18. मोहद्दिस नूरी, मुस्तदरक अल वसाइल, मोअस्सेसा आले अल-बैत अलैहेमुस सलाम ले एहया अल तुरास, भाग 4, पेज 237
  19. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 89, पेज 18-019
  20. मुत्तक़ी अल हिंदी, कंज़ुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 1, पेज 523
  21. तबरेसी, मजमा अल बयान 1415 हिजरी, भाग 1, पेज 523
  22. मुत्तक़ी अल हिंदी, कंज़ुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 1, पेज 617
  23. कुलैनी, अल काफी, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 603
  24. इंसान दर क़यामत हर आय रा नमी तवानद बेख़ानद, खबरगुज़ारी फ़ारस
  25. कुलैनी, अल काफी, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 613 – 614
  26. जाएगाह हिफ़्ज़ क़ुरआन करीम दर रिवायात, पाएगाह इत्तेला रसानी रासेख़ून
  27. मुत्तक़ी अल हिंदी, कंज़ुल उम्माल, 1401 हिजरी, भाग 1, पेज 617
  28. हुर्रे आमोली, तफसील वसाइल अल शिया एला तहसील मसाइल अल शरीया, अल नाशिर मोअस्सेसा आले अल-बैत अलैहेमुस सलाम लेएहया अल तुरास, क़ुम, भाग 6, पेज 195 जाएगाह हिफ़्ज़ क़ुरआन करीम दर रिवायात, पाएगाह इत्तेला रसानी रासेखून
  29. इब्न फ़हद हिल्ली, इद्दत अल दाई व नेजाह अल साई, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 291
  30. फ़रामोश करदन क़ुरआन पस अज़ हिफ़्ज़ आन, वेबगाह हदीस नित; हुर्रे आमोली, वसाइल अल शिया, अल नाशिर मोअस्सेसा आले अल-बैत अलैहेमुस सलाम लेएहया अल तुरास, क़ुम, भाग 6, पेज 195
  31. मोअर्रफ़ी 7 ता अज़ रविशहाए हिफ़्ज़ क़ुरआन करीम + सरीअतरीन रविश हिफ़्ज़ क़ुरआन, वेबगाह मोअस्सेसा क़ुरआनी इल्लीईन
  32. मूहगी, 20 रविश हिफ़्ज़ क़ुरआन, पेज 3
  33. मोअर्रफ़ी 7 ता अज़ रविशहाए हिफ़्ज़ क़ुरआन करीम + सरीअतरीन रविश हिफ़्ज़ क़ुरआन, वेबगाह मोअस्सेसा क़ुरआनी इल्लीईन
  34. मोअर्रफ़ी 7 ता अज़ रविशहाए हिफ़्ज़ क़ुरआन करीम + सरीअतरीन रविश हिफ़्ज़ क़ुरआन, वेबगाह मोअस्सेसा क़ुरआनी इल्लीईन
  35. रामयार, हाफ़ेज़ान क़ुरआन दर ज़मान रसूले ख़ुदा (स), वेबगाह इत्तेला रसानी रासेख़ून
  36. सीवती, अल इत्क़ान, 1416 हिजरी, भाग 1, पेज 193
  37. सीवती, अल इत्क़ान, 1416 हिजरी, भाग 1, पेज 193
  38. सीवती, अल इत्क़ान, 1416 हिजरी, भाग 1, पेज 193
  39. सईदी, क़रात क़ुरआन दर चहारदे रिवायत व तज़मीन हाफ़िज़, पेज 172-173
  40. फआल इराकी, करबलाई काज़िम सारूक़ी, पेज 1868
  41. नमाज़ी, जिंदगीनामे आयतुल्लाह नमाज़ी शाहरूदी, 1391 शम्सी
  42. यादी अज़ मरहूम आयतुल्लाह ख़ज़अली, आलेमी के हाफ़िज़ क़ुरआन बूद, खबरगूज़ारी बैनुल मिल्ली क़ुरआन अब्द अल वहाबी, मुहम्मद तक़ी बहलोल गूनाबादी (शेख बहलोल या अल्लामा बहलोल), वेबगाह फ़रहीख़तेगान तमद्दुन शीई देखे https://www.reyshahri.ir/post/35702/

स्रोत

  • क़ुरआन करीम
  • इब्ने फ़हद हिल्ली, अहमद बिन शम्सुद्दीन मुहम्मद, इद्दत अल दाई व नजाह अल साई, बैरूत, दार अल किताब अल अरबी, 1407 हिजरी
  • इंसान दर क़यामत हर आय ई रा नमी तवानद बेखानद, खबरगुज़ारी फ़ारस, सम्मिलन की तारीख 15 शहरीवर, 1397 शम्सी, विजिट की तारीख 8 मेहर, 1402 शम्सी
  • बयानात दर दीदार क़ारीयान वा हाफ़ेज़ान व असातीद क़ुरआनी, वेबगाह दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाहिल उज्मा ख़ामेनई, सम्मिलन की तारीख 11 मुरदाद, 1390 शम्सी, विजिट की तारीख 8 मेहर, 1402 शम्सी
  • तेदाद हाफ़ेज़ान क़ुरआन फासला ए बिस्यार अज़ सनद चिश्म अंदाज, खबरगुज़ारी जमहूरी इस्लामी ईरान, सम्मिलन की तारीख 26 बहम, 1392 शम्सी, विजिट की तारीख 4 मेहर, 1402 शम्सी
  • हुर्रे आमोली, मुहम्मद बिन हसन, तफसील वसाइल अल शिया ऐला तहसील मसाइल अल शरीया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अलैहेमुस सलाम) लेएहया अल तुरास
  • हुसैनी, सय्यद मुहम्मद, हिफ़्ज़ क़ुरआन, दाएरातुल मआरिफ़ तशय्यो, भाग 6, नश्र शहीद सईद मोहिब्बी, 1380 शम्सी
  • रामयार, महमूद, तारीख क़ुरआन, तेहरान, इंतेशारात अमीर कबीर, 1369 शम्सी
  • रामयार, महमूद, हाफ़ेज़ान क़ुरआन दर ज़मान रसूले ख़ुदा (अ), पाएगाह इत्तेलारसानी रासेख़ून, सम्मिलन की तारीख 7 मेहर, 1395 शम्सी, विजिट की तारीख 8 मेहर, 1402 शम्सी
  • ज़रनिगार, अहमद, हिफ़्ज़ क़ुरआन, दर दानिशनामे जहान इस्लाम (भाग 13), तेहरान, बुनयाद दाएरातुल मआरिफ़ इस्लामी, 1388 शम्सी
  • सईदी, अली, क़राअत क़ुरआन दर चहारदे रिवायत व तज़मीन हाफ़िज़, उलूम इस्लामी, क्रमांक 13, 1387 शम्सी
  • सियूती, जलालुद्दीन, अल इत़्क़ान फ़ी उलूम अल क़ुरआन, लबनान, दार अल फ़िक्र, 1416 हिजरी
  • शरीफ़ हुसैन, मूसा व अब्दुल फ़त्ताह सईदी, अल इफ़्साह फ़ी फ़िक़्ह अल लुग़त, बैरूत, मकतब अल आलाम अल इस्लामी, 1410 हिजरी
  • शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, मुनयातुल मुरीद, क़ुम, मकतब अल आलाम अल इस्लामी, 1409 हिजरी
  • तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान फ़ी तफ़सीर अल क़ुरआन, क़ुम, इंतेशारात इस्माईलीयान, 1370 शम्सी
  • तबरेसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमा अल बयान फ़ी तफ़सीर अल क़ुरआन, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी लिल मतबूआत, 1415 हिजरी
  • अब्दुल वहाबी, मुर्तज़ा, मुहम्मद तक़ी बहलौल गूनाबादी (शेख बहलौल या अल्लामा बहलौल), वेबगाह फ़रहीखतेगान तमद्दुन शीई, सम्मिलन की तारीख 12 मेहर 1394 शम्सी, विजिट की तारीख 30 आबान, 1402 शम्सी
  • फ़आल इराक़ी, हुसैन, करबलाई काज़िम सारूक़ी, दर दानिशनामा क़ुरआन व क़ुरआन पुज़ूही, तेहरान, दोस्तान-नाहीद, 1377 शम्सी
  • क़ुमी, शेख अब्बास, नफ़स अल महमूम, अनुवाद कमरेई, तेहरान, चाप इस्लामीया, 1376 शम्सी
  • कुलैनी, महुम्मद बिन याक़ूब, अल काफ़ी, क़ुम, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1407 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अलैहेमुस सलाम) ले एहया अल तुरास, 1403 हिजरी
  • मोहद्दिस नूरी, हुसैन, मुस्तदरक अल वसाइल, क़ुम, , मोअस्सेसा आले अल-बैत (अलैहेमुस सलाम) ले एहया अल तुरास
  • मुत्तक़ी हिंदी, अली बिन हसाम, कंज़ अल अम्माल फ़ी सुनन अल अक़वाल व अल अफ़आल, बैरूत, मोअस्सेसा अल रेसालत, 1401 हजरी
  • मुक़री, मुहम्मद बिन अहमद, मिस्बाह अल मुनीर फ़ी शरह ग़रीब अल कबीर लिलराफ़ेई, क़ुम, इंतेशारात दार अल हिजरा, 1397 शम्सी
  • मूगही, अब्दुर रहीम, 20 रविश हिफ़्ज़ क़ुरआन, दर मजल्ले शमीमे यास, क्रमांक 20, आबान 1383 शम्सी
  • फ़रामोश करदन क़ुरआन पस अज़ हिफ़्ज़े आन, वेबगाह हदीस नेट, विज़िट की तारीख 8 मेहर 1402 शम्सी
  • मोअर्रफ़ी 7 ता रविशहाए हिफ़्ज़ क़ुरआन करीम + सरीअतरीन रविश हिफ़्ज़ क़ुरआन, वेबगाह मोअस्सेसा क़ुरआनी इल्लीईन, विज़िट की तारीख 8 मेहर 1402 शम्सी
  • नेगाही बे मुसाबेक़ात बैनुल मिल्ली क़ुरआन दर जहान / जाएगाह ईरान कुजा अस्त?, खबरगुज़ारी बैनुल मिल्ली क़ुरआन (ईक़ना), सम्मिलन की तारीख 4 ख़ुरदाद 1393 शम्सी, विज़िट की तारीख 8 मेहर 1402 शम्सी
  • यादी अज़ मरहूम आयतुल्लाह ख़ज़ अली, आलेमी के हाफ़िज़ क़ुरआन बूद, खबरगूज़ारी बैनुल मिल्ली क़ुरआन, विज़िट की तारीख 10 मेहर 1402 शम्सी
  • हीच आमार रस्मी अज़ तेदाद हाफ़ेज़ान क़ुरआन अराए नशुदे अस्त, खबरगुज़ारी तक़रीब, सम्मिलन की तारीख 5 उरदीबहिश्त 1400 शम्सी, विज़िट की तारीख 7 मेहर 1402 शम्सी
  • नेशाने रा बे खातिर बेसेपार, वेबगाह दफ्तर हिफ़्ज़ व नश्र आसार आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई, सम्मिलन की तारीख 4 मेहर 1387 शम्सी, विज़िट की तारीख 30 आबान 1402 शम्सी