हलाल
कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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हलाल (अरबी: حلال) हराम के मुक़ाबले है और इसका मतलब है कि शरिया और बुद्धि के अनुसार मान्य और जायज़ है। कुछ न्यायशास्त्रीय स्रोतों (फ़िक्ही किताबों) में "हलाल" शब्द को मुबाह का मुतारादिफ़ (पर्यायवाची) माना जाता है, लेकिन दोनों के बीच के अंतर में कहा जाता है कि हलाल उन अहकाम में से एक है जिनका संबंध सीधे उपकृतों (मुकल्लेफ़ीन) के कर्मो से नहीं है, और मुबाह का दायरा इससे बड़ा है; क्योंकि हर मुबाह हलाल है, लेकिन हर हलाल मुबाह नहीं है। धर्मशास्त्रीयो (फ़ुक़्हा) के अनुसार, यदि किसी चीज़ के हलाल या हराम होने मे कोई संदेह हो, तो उसे हलाल के नियम (क़ाएदा ए हिल्लियत) के अनुसार उस चीज़ के हलाल होने का हुक्म लगाया जाता है। हदीसों में हलाल और हराम के नियमों को सीखने और हलाल आजीविका कमाने का आदेश दिया गया है।
2007 में हलाल संस्कृति के प्रसार के लिए वैश्विक हलाल संस्थान की स्थापना की गई थी। साथ ही 17वें रमजान को विश्व हलाल दिवस के रूप में नामित किया गया है।
श्ब्दार्थ
हलाल हराम के मुक़ाबले है और इसका मतलब है कि शरिया और बुद्धि के अनुसार मान्य और जायज़ है।[१] दूसरे शब्दों में, जिससे हुरमत (अवैधता) को उठा लिया गया हो और इसे करने और छोड़ने से सजा नहीं होती है।[२] शब्दकोष मे हलाल शब्द का अर्थ है "गाँठ खोलना"।[३] अली अकबर क़रश के अनुसार, हिल का अर्थ हलाल है।[४]
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि धर्मशास्त्रीयो (फ़ुक़्हा) के दृष्टिकोण से "यजूज़ो" शब्द का उपयोग कभी-कभी "चीज़ के सही होने मे" और कभी-कभी "चीज़ के हलाल होने मे" होता है। और उन मामलो मे होता है जो शरीयत के अनुसार निषिद्ध नही है।[५]
इमाम सादिक (अ) से वर्णित एक रिवायत में एक सच्चे व्यक्ति से हलाल और हराम के बारे में हदीस सीखना दुनिया और सोने-चांदी से बेहतर माना गया है।[६]
मुबाह और हलाल मे अंतर
कुछ लोग "हलाल" शब्द को "मुबाह" का पर्यायवाची जानते है;[७] कुछ दूसरे लोगो ने इन दो शब्दों के बीच अंतर किया है[८] और उनके लिए निम्नलिखित मतभेदों का उल्लेख किया है:
• धर्मशास्त्र (फ़िक़्ह) में हलाल हराम के मुक़ाबिल उपयोग किया जाता है और इसमें गैर-हराम चीजें जैसे वाजिब, मुस्तहब, मकरूह और मुबाह शामिल होती हैं।[९] इसलिए हलाल का दायरा मुबाह से अधिक सामान्य है; इसका मतलब है कि हर मुबाह हलाल है, लेकिन हर हलाल मुबाह नही है। जैसे: मकरूह जोकि हलाल है लेकिन मुबाह नहीं है।[१०]
• मुबाह अहकाम ए तकलीफ़ी मे से है। अहकाम ए तकलीफ़ी उन अहकाम को कहा जाता है जिसका संबंध सीधे मुकल्लफ के अफ़आल से होता है;[११] लेकिन हलाल अहकाम ए वज़ई मे से है। (अहकाम ए वज़ई उन अहकाम को कहा जाता है जिसका संबंध सीधे मुकल्लफ़ के अफ़आल से नही होता।[१२]
• हलाल का अर्थ है प्रतिबंधों की गाँठ खोलना और प्रतिबंध को हटाना; जबकि मुबाह का अर्थ है काम को करने या ना करने के हिसाब से उसमे विकास करना।[१३]
क़ाएदा ए हिल्लियत
एक धर्मशास्त्री नियम (फ़िक़्ही काएदा) जो उन चीजों के जायज़ होने की अनुमति को इंगित करता है जिनके बात पर संदेह होता हैं कि वह चीज़ हलाल हैं या हराम।[१४] इस नियम एवंम क़ाएदा के अनुसार, जब किसी चीज़ के हराम या हलाल होने मे शंका है, तो उस चीज़ के हलाल होने पर हुक्म लगाया जाता है।[१५] इस नियम को साबित करने के लिए, सूर ए बक़रह की आयत 29 को देखें, ("वह वही है जिसने तुम्हारे लिए पृथ्वी पर सब कुछ बनाया)।[१६] और हदीस "आपके लिए सब कुछ हलाल है जब तक कि आप यह नहीं जानते कि यह हराम है"[१७] से साबित है।
हलाल आजीविका
हलाल आजीविका एक ऐसी आय है जो शरिया कानूनों के ढांचे के भीतर अर्जित की जाती है और जिसमें ख़ुदा के हुक़ूक़ जैसेः खुम्स और ज़कात का पालन किया जाता है, और इसी प्रकार लोगो हुक़ूक़ (अधिकारो) भी होते है।[१८] हदीसों में हलाल आजीविका कमाने के महत्व का उल्लेख किया गया है।[१९] उदाहरण स्वरूप, इमाम सादिक (अ.स.) की एक हदीस में, एक व्यक्ति जो हलाल आजीविका अर्जित करने का प्रयास करता है, उसकी तुलना उस व्यक्ति से की जाती है जो अल्लाह की राह मे जिहाद करता है।[२०] इसी प्रकार पैग़ंबर (स) की एक हदीस मे है कि इबादत के 70 भाग है और उसका उच्चतम भाग हलाल आजीविका कमाना है।[२१][२२]
वैश्विक हलाल संस्था
हलाल संस्कृति को फैलाने के लिए 2007 में वैश्विक हलाल संस्था (ग्लोबल हलाल इंस्टीट्यूट) की स्थापना हुई। यह इंस्टीट्यूट उद्योगों और भोजन, दवा और सौंदर्य प्रसाधन (कास्मेटिक), रेस्तरां और होटल, पर्यटन, खेल और हलाल वाणिज्य के क्षेत्र में काम करता है।[२३] 17वें रमजान को विश्व हलाल दिवस के रूप में नामित किया गया।[२४] 17वें रमज़ान को नाज़िल होने वाली आयत "يَا أَيُّهَا النَّاسُ كُلُواْ مِمَّا فِي الأَرْضِ حَلاَلًا طَيِّبًا؛"[२५] "या अय्योहन नासो कुलू मिम्मा फ़िल अर्ज़े हलालन तय्येबा" (अनुवादः हे लोगो पृथ्वी मे जो चीज़ हलाल और पाक है उसे खाओ) के कारण इस दिन वैश्विक हलाल दिवस का नाम दिया गया है।[२६] हर साल इस दिन विश्व हलाल दिवस मनाने के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया जाता है और हलाल उद्योग की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं पर चर्चा की जाती है।[२७] इस सम्मेलन का पहला सत्र ईरान में 15 तीर 1393 (15 जुलाई 2014) को तेहरान में मीलाद टॉवर सम्मेलन केंद्र में आयोजित किया गया था।[२८]
फ़ुटनोट
- ↑ मिश्कीनी, मुस्तलेहात उल फ़िक़्ह, 1419 हिजरी, पेज 216
- ↑ अब्दुल मुनइम, मोअजम उल-मुस्तलेहात वल अलफ़ाज़ उल-फ़िक़्हिया, दार उल-फ़ज़ीला, भाग 1, पेज 585
- ↑ राग़िब इस्फ़हानी, अल-मुफ़रेदात (हिल) शब्द के अंतर्गत
- ↑ क़रशी, क़ामूसे क़ुरान, (हिल) शब्द के अंतर्गत
- ↑ हफ़नावी, गंजीना ए इस्तेलाहात ए फ़िक़्ही वा उसूली, 1395 शम्सी, पेज 89
- ↑ बरक़ी, अल-महासिन, दार उल-कुतुब उल-इस्लामीया, भाग 1, पेज 229
- ↑ मोअस्सेसा ए दाएरत उल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, मोसूआ तुल फ़िक़्ह उल-इस्लामी, 1424 हिजरी, भाग 2, पेज 83
- ↑ मोअस्सेसा ए दाएरत उल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, मोसूआ तुल फ़िक़्ह उल-इस्लामी, 1424 हिजरी, भाग 2, पेज 84
- ↑ साअदी, अल-क़ामूस उल फ़ुक़्हा लुग़ातन वा इस्तेलाहन, 1408 हिजरी, पेज 99
- ↑ साअदी, अल-क़ामूस उल फ़ुक़्हा लुग़ातन वा इस्तेलाहन, 1408 हिजरी, पेज 99
- ↑ सद्र, दुरूस फ़ी इल्मिल उसूल, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 83, मोअस्सेसा ए दाएरत उल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, फ़रहंगे फ़िक़्ह फ़ारसी, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 18
- ↑ मरकज़ ए इत्तेलात वा मनाबे इस्लामी, फ़रहंग नामे उसूल ए फ़िक़्ह, 1389 शम्सी, भाग 1, पेज 106
- ↑ मोअस्सेसा ए दाएरत उल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, मोसूआ तुल फ़िक़्ह उल-इस्लामी, 1424 हिजरी, भाग 2, पेज 84
- ↑ देखेः विलाई, फ़रहंगे तश्रीही इस्तेलाहात ए उसूल, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 85
- ↑ मोअस्सेसा ए दाएरतुल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, अल-मोसूअतुल फ़िक़्हिया, 1423 हिजरी, भाग 13, पेज 320
- ↑ फ़ाज़िल, तूनी, अल-वाफ़िया, 1412 हिजरी, पेज 85
- ↑ कुलैनी, अल-काफ़ी, 1430 हिजरी, भाग 10, पेज 542 फ़ाज़िल, लंकरानी, तफ़सील उश-शरिया, 1426 हिजरी, पेज 193
- ↑ ईसा ज़ादे, नक़्शे रिज़्क़े हलाल दर सलामते माअ-नवी ए इंसान अज़ दीदगाहे आयात वा रिवायात, पेज 3
- ↑ नूरी, मुस्तदरक उल-वसाइल, 1408 हिजरी, भाग 13, पेज 12
- ↑ क़ाज़ी नौमान मग़रबी, दआ-ए मुल इस्लाम, 1385 हिजरी, भाग 2, पेज 15
- ↑ नूरी, मुस्तदरक उल-वसाइल, 1408 हिजरी, भाग 13, पेज 12
- ↑ मोअस्सेसा ए जहानी हलाल, साइट मोअस्सेसा ए जहानी हलाल
- ↑ मोअस्सेसा ए जहानी हलाल, साइट मोअस्सेसा ए जहानी हलाल
- ↑ दोव्वोमीन हिमाइश “रोज़े जहानी हलाल” माहे रमज़ान बरगुज़ार मी शवद, खबर गुज़ारी इकना
- ↑ सूरा ए बक़रा, आयत 168
- ↑ दोव्वोमीन हिमाइश “रोज़े जहानी हलाल” माहे रमज़ान बरगुज़ार मी शवद, खबर गुज़ारी इकना
- ↑ बुज़ुर्ग दाश्त रोज़े जहानी हलाल, मोअस्सेसा ए बैनुल मिलाली हलाल
- ↑ बुज़ुर्ग दाश्त रोज़े जहानी हलाल, मोअस्सेसा ए बैनुल मिलाली हलाल
स्रोत
- अकबरी, महमूद, हलाल व हराम, इंतेशारात ए फ़ितयान, 1391 शम्सी
- बरक़ी, अहमद बिन मुहम्मद, अल-महासिन, क़ुम, दार उल कुतुब उल-इल्सामीया
- बुज़ुर्ग दाश्त रोज़े जहानी हलाल, मोअस्सेसा ए बैनुल मिलाली हलाल, विज़िट 3 मुरदाद, 1401 शम्सी
- हफ़नावी, मुहम्मद इब्राहीम, गंजीना ए इस्तेलाहात ए फ़िक़्ही वा उसूली, अनुवादः फ़ैज़ मुहम्मद बुलूच, तुरबत ए जाम, इंतेशारात ए ख्वाजा अब्दुल्लाह अंसारी, 1395 शम्सी
- दोव्वोमीन हिमाइश “रोज़े जहानी हलाल” माहे रमज़ान बरगुज़ार मी शवद, खबर गुज़ारी इकना, दरज ए मतलब 27 मेहर 1393 शम्सी, विज़िट 3 मुरदाद 1401 शम्सी
- राग़िब, इस्फ़हानी, हुसैन बिन मुहम्मद, अल-मुफ़रेदात फ़ी ग़रीब इल क़ुरान, दमिश्क़, दार उल क़लम, 1412 हिजरी
- सद्र, मुहम्मद बाक़िर, दुरूस फ़ी इल्मिल उसूल, बैरूत, दार उल-कुतुब उल-बनानी, 1406 हिजरी
- अब्दुल मुनइम, महमूद अब्दुर्रहमान, मोअजम उल-मुस्तलेहात वल अलफ़ाज़ उल-फ़िक़्हिया, क़ाहेरा, दार उल-फ़ज़ीला
- ईसा ज़ादे, ईसा वा नेकज़ाद ईसा ज़ादे, नक़्शे रिज़्क़े हलाल दर सलामते माअ-नवी ए इंसान अज़ दीदगाहे आयात वा रिवायात, वीज़ेह नामे उलूम ए इंसानी सलामत, शुमारा, पाईज़ 1398 शम्सी
- फ़ाज़िल तूनी, अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद, अल-वाफ़िया फ़ी उसूल ए फ़िक्हिया, क़ुम, मजमा अल-फ़िक्र उल-इस्लामी, पहला प्रकाशन, 1412 हिजरी
- फ़ाज़िल लंकरानी, मुहम्मद, तफ़सील उश-शरिया फ़ी शरह तहरीर उल-वसीला (अल-इज्तेहाद वल तक़लीद), क़ुम, मरकज़े फ़िक़्ही आइम्मा ए अत्हार, 1426 हिजरी
- क़रशी, सय्यद अली अकबर, क़ामूस ए क़ुरान, तेहरान, दार उल-कुतुब उल-इस्लामीया, छटा प्रकाशन, 1371 शम्सी
- कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, क़ुम, इंतेशारात दार उल-हदीस, पहला प्रकाशन, 1430 हिजरी
- नूरी, मिर्ज़ा हुसैन, मुस्तदरक उल-वसाइल, क़ुम, मोअस्सेसा ए आले अल-बैत अलैहेमुस्सलाम, 1408 हिजरी
- मरकज़े इत्तेलात वा मनाबे इस्लामी, फ़रहंग नामे उसूल ए फ़िक़्ह, क़ुम, पुज़ोहिशगाह उलूम वा फ़रहंगे इस्लामी, 1389 शम्सी
- मिश्कीनी, अली, मुस्तलेहात उल-फ़िक़्ह, क़ुम, नशर उल-हादी, 1419 हिजरी
- मोअस्सेसा ए दाएरातुल मआरिफ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, मोसूआतुल फ़िक़्ह उल-इस्लामी, क़ुम, मोअस्सेसा ए दाएरातुल मआरिफ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, 1424 हिजरी
- मोअस्सेसा ए दाएरातुल मआरिफ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, फ़रहंग नामे फ़ारसी, क़ुम, मोअस्सेसा ए दाएरातुल मआरिफ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, 1387 शम्सी
- क़ुम, मोअस्सेसा ए दाएरातुल मआरिफ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, मोसूआतुल फ़िक़्हिया, क़ुम, मोअस्सेसा ए दाएरातुल मआरिफ अल-फ़िक़्ह उल-इस्लामी, 1423 हिजरी
- मोअस्सेसा ए जहानी हलाल, साइट मोअस्सेसा ए जहानी हलाल, विज़िट 3 मुरदाद, 1401 शम्सी
- विलाई, ईसा, फ़रहंगे तशरीही इस्तेलाहात ए उसूल, तेहरान, नशरे नी, 1387 शम्सी