कफ़्फ़ारा
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कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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कफ़्फ़ारा (अरबी: الكفارة) एक जुर्माना है जिसका कुछ वर्जित (हराम) कार्यों को करने या कुछ दायित्वों (वाजिब) को छोड़ने के बदले में भुगतान किया जाना चाहिए। एक ग़ुलाम को मुक्त करना, फ़क़ीर को भोजन देना या कपड़े देना, रोज़ा रखना और क़ुर्बानी कराना सबसे महत्वपूर्ण कफ़्फ़ारों में से हैं। कुछ कार्य जिसमें कफ़्फ़ारा देना चाहिए: इंसान की हत्या, रमज़ान के रोज़े को जानबूझकर न रखना, अहद और मन्नत (नज़्र) और क़सम तोड़ना, और कुछ कार्य जो एहराम की अवस्था में हराम हैं।
कफ़्फ़ारे का प्रकार, और उसे अंजाम देने का तरीक़ा किए गए कार्य के अनुसार अलग-अलग होता है: कुछ कार्यों के लिए, एक विशिष्ट प्रायश्चित (कफ़्फ़ारा) निर्धारित किया गया है; कुछ अन्य के लिए, कई कफ़्फ़ारे निर्धारित किए गए हैं, और मुकल्लफ़ (इंसान) मुख़्तार है उनमें से किसी एक के करने पर; कार्यों के लिए क्रमशः कई प्रायश्चित (कफ़्फ़ारे) निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें प्राथमिकता के अनुसार किया जाना चाहिए। कुछ कार्यों में सामूहिक प्रायश्चित (कफ़्फ़ार ए जम्अ) (ग़ुलाम को मुक्त करना, साठ रोज़े रखना, और साठ फ़क़ीर को खाना ख़िलाना) भी होता है; अर्थात्, उनके लिए कई कफ़्फ़ारे निर्दिष्ट किए गए हैं, जिनमें से सभी को किया जाना चाहिए।
परिभाषा
वित्तीय और शारीरिक जुर्माने जिसे कुछ पापों को करने के बदले में भुगतान किया जाना चाहिए, उन्हें कफ़्फ़ारा कहा जाता है।[१] कफ़्फ़ारा अक्सर आख़िरत में पाप की सज़ा के समाप्त होने या कमी का कारण बनता है।[२]
कफ़्फ़ारा, कफ़र शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ढकना।[३] इसे इसलिए कफ़्फ़ारा कहते हैं,[४] क्योंकि इससे पापों को ढका जाता है, अर्थात नज़रअंदाज किया जाता है।कभी-कभी, आम बातचीत में, कफ़्फ़ारे का उपयोग फ़िदये के अर्थ में किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक मुद भोजन (750 ग्राम गेहूं और इसी तरह की अन्य वस्तु) को रोज़े के कफ़्फ़ारे के रूप में वर्णित किया गया है;[५] जबकि यह वास्तव में रोज़े के लिए फ़िदया है; अर्थात्, यह इसका विकल्प है, और बीमारी या इसी तरह की अक्षमता के कारण रोज़ा न रखने के बदले में इसका भुगतान किया जाता है।[६]
कफ़्फ़ारे के प्रकार
न्यायशास्त्र पुस्तकों के अनुसार, कफ़्फ़ारे में शामिल हैं:
जिन पापों का कफ़्फ़ारा होता है
न्यायशास्त्र की पुस्तकों में, जिन कार्यों पर कफ़्फ़ारा होता है, ज़ेहार के खंड में उसकी चर्चा करेंगे;[१८] मगर, एहराम की अवस्था में किये गए कार्यों के कफ़्फ़ारे की चर्चा का उल्लेख हज के खंड में किया जाऐगा।[१९] कफ़्फ़ारे का प्रकार, और उसे अंजाम देने का तरीक़ा किए गए कार्य के अनुसार अलग-अलग होता है: कुछ कार्यों के लिए, एक विशिष्ट प्रायश्चित (कफ़्फ़ारा) (कफ़्फ़ारा ए मोअय्यना) निर्धारित किया गया है; कुछ अन्य के लिए, कई कफ़्फ़ारे निर्धारित किए गए हैं, मुकल्लफ़ (इंसान) उनमें से किसी एक को अंजाम दे सकता है (कफ़्फ़ारा ए मोख़य्यरा)। कार्यों के लिए क्रमशः कई प्रायश्चित (कफ़्फ़ारे) निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें प्राथमिकता के अनुसार किया जाना चाहिए; यानी अगर हम पहले वाले कफ़्फ़ारे को नहीं कर पाएं तो हमे अगले कफ़्फ़ारे की ओर जाना चाहिए (कफ्फारा मोरत्तबा)। कुछ कार्यों के लिए, कई कफ़्फ़ारे निर्धारित किए गए हैं, जिनमें से सभी को किया जाना चाहिए (कफ़्फ़ार ए जम्अ)।[२०]
जिन कार्यों का कफ़्फ़ारा है | कफ़्फ़ारे का प्रकार | कफ़्फ़ारा |
---|---|---|
कफ़्फ़ार ए मुरत्तबा | ||
क)
ख) अध्याय हज |
कफ़्फ़ार ए मोख़य्यरा | क) इस कार्यों में इख़्तियार है
ख) अध्याय हज 1 और 2, कार्यों में इख़्तियार है क़ुर्बानी, छह या दस मिस्कीनों को भोजन देना और तीन दिनों तक रोज़ा रखना[३३] |
कफ़्फ़ारा ए मोख़य्यरा और कफ़्फ़ारा ए मुरत्तबा | क) इस कार्यों में इख़्तियार है
ख) असंभव होने की परिस्थिति में तीन दिन रोज़ा रखना
| |
कफ़्फ़ार ए जम्अ | तोड़ना निम्नलिखित कार्यों को एक साथ अंजाम देना
| |
एहराम के अवस्था में
पत्नी के साथ ऐसे कार्य जिससे स्खलन होता है पत्नी की ओर एक कामुक दृष्टि जिससे स्खलन हो जाए वासना के कारण अपनी पत्नी को चूमना[४२] सिर के लिए छायांकन करना (केवल पुरुष)[४५] हाथ और पौर के नाखूनों को काटना[४६] ऐसे कपड़े का पहनना और ऐसे भोजन का खाना जो मोहरिम के लिए हराम है[४७] बिना वासना के पत्नी को चूमना, पत्नी का कामुक स्पर्श जिससे स्खलन न हो[४८] |
कफ़्फ़ारा ए मोअय्या |
मध्यम आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति के लिए गाय की क़ुर्बानी किसी ऐसे व्यक्ति के लिए भेड़ की कुर्बानी, जिसकी आर्थिक स्थिति औसत से कम हो।[५५] |
अहकाम
- भोजन और कपड़े का कफ़्फ़ारा, अनिवार्य है कि मुस्लिम फ़क़ीर को दिया जाए।[५६]
- अगर कफ़्फ़ारा किसी वाजिब ए तअब्बुदी का है तो इसके भुगतान करने में क़स्दे क़ुर्बत शर्त है।[५७]
- यदि कफ़्फ़ारे के कुछ मामले, जैसे कि ग़ुलाम को मुक्त करना संभव नहीं हो, तो वह मामला कफ़्फ़ार ए जम्अ में अमान्य है, और दूसरे कफ़्फ़ारों में जैसे मोख़य्यरा और मुरत्तबा में अन्य मामलों को अंजाम देना चाहिए।[५८]
- कहा गया है कि जिन कार्यों में रोज़े को कफ़्फ़ारे के रूप में निर्धारित किया गया है, रोज़ा एक के बाद एक रखना चाहिए।[५९] हांलाकि, साठ दिनों के रोज़े में, इकतीस दिन लगातार होने चाहिए।[६०]
- यदि एहराम की अवस्था में कफ़्फ़ारे के कारण अलग-अलग हों, तो प्रत्येक के लिए अलग-अलग कफ़्फ़ारा दिया जाना चाहिए।[६१]
सम्बंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ मिशकिनी, मुस्तलेहात अल-फ़िक़ह, 1419 हिजरी, पृष्ठ 438।
- ↑ मिशकिनी मुस्तलेहात अल-फ़िक़ह, 1419 हिजरी, पृष्ठ 438; शाहिद सानी, मसालिक अल-अफ़हाम, 1413 हिजरी, खंड 10, पृष्ठ 5।
- ↑ इब्ने मंज़ूर, लेसान अल-अरब, 1414 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 148।
- ↑ इब्न मंज़ूर, लेसान अल-अरब, 1414 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 148; शाहिद सानी, मसालिक अल-अफ़हाम, 1413 हिजरी, खंड 10, पृष्ठ 5।
- ↑ उदाहरण के लिए देखें, ख़ामेनेई, अजवबातुल इस्तिफ़ताआत, 1420 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 138, पृष्ठ 802।
- ↑ सद्र, मावरा अल-फ़िक़ह, 1420 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 120।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50।
- ↑ नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 175।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पीपी 273-69।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पीपी 273-69।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पीपी 273-69।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पीपी 273-69।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पीपी 273-69।
- ↑ शहीदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 463।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50 नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 167।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पीपी. 271-68।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50; मिशकिनी, मुस्तलेहात अल-फ़िक़ह, 1419 हिजरी, पृष्ठ 439।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 169-170।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50: नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 172।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 170।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 172।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50।
- ↑ शहीदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 463; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 183।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वातुल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 593।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 271; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1374, खंड 2, पृष्ठ 44।
- ↑ तूसी, अल-तिबयान, दारुल अहया अल तोरास अल-अरबी, खंड 4, पृष्ठ 26।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 175।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 271; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1374 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 44; तूसी, अल-तिबयान, दारुल अहया अल तोरास अल-अरबी, खंड 4, पृष्ठ 26।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50; शाहिदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 457-458; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 178।
- ↑ शहीदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 463; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 186।
- ↑ शहीदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 463; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 186।
- ↑ शहीदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 463; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 186।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 178; शहीदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 463।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 50; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 178।
- ↑ शहीदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 458-459।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 51; शहीदे अव्वल, ग़ायतुल मुराद, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 458-459; नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 33, पृष्ठ 178।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पीपी 269-270।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 272।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 270।
- ↑ ख़ामेनेई, मनासिक अल-हज, 1426 हिजरी, पृष्ठ 74, म 162।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 271।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 273।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 270।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 271।
- ↑ नजफ़ी, जवाहिरुल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 20, पृष्ठ 385।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 269।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 272।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पीपी 273-270।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 271।
- ↑ नजफ़ी, जवाहेर अल-कलाम, 1404 एएच, खंड 20, पृष्ठ 385।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 273।
- ↑ मिशकिनी, मुस्तलेहात अल-फ़िक़ह, 1419 हिजरी, पृष्ठ 439।
- ↑ मिशकिनी, मुस्तलेहात अल-फ़िक़ह, 1419 हिजरी, पृष्ठ 439।
- ↑ मिशकिनी, मुस्तलेहात अल-फ़िक़ह, 1419 हिजरी, पृष्ठ 439।
- ↑ इमाम खुमैनी,तौज़ीहुल मसाएल, 1426 हिजरी, पृष्ठ 347।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 272।
स्रोत
- पवित्र कुरान।
- इब्ने मंज़ूर, मुहम्मद बिन मुकर्रम, लेसान अल-अरब, अहमद फारिस द्वारा संपादित, क़ुम, दारुल फ़िक्र, 1414 हिजरी।
- इमाम खुमैनी, सैय्यद रुहुल्लाह, तौज़ीहुल मसाएल, शोधकर्ता और सुधारक: मुस्लिम कुलीपुर गीलानी, क़ुम, इमाम खुमैनी का संपादन और प्रकाशन संस्थान, पहला संस्करण, 1426 हिजरी।
- ख़ामेनेई, सय्यद अली, अजवबातुल इस्तिफ़ताआत, बैरूत, अल-दार अल-इस्लामिया, 1420 हिजरी।
- ख़ामेनेई, सय्यद अली, मनासिक अल-हज, क़ुम, मशअर, 1426 हिजरी।
- शहीदे अव्वल, मुहम्मद बिन मक्की, ग़ायतुल मुराद फ़ी शरहे नुकते अल-इरशाद, रज़ा मुख्तारी द्वारा सुधारा गया, क़ुम, क़ुम सेमिनरी के इस्लामी प्रचार कार्यालय का प्रकाशन, 1414 हिजरी।
- शाहिद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, मसालक अल-अफ़हीम अल-तंकीह शराए अल-इस्लाम, क़ुम, इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया फ़ाउंडेशन, 1413 हिजरी।
- सद्र, मुहम्मद, मावरा अल-फ़िक़, बैरूत, दार अल-अज़वा, 1420 हिजरी/1999 ईस्वी।
- सदूक़, मुहम्मद बिन अली, उयून अख़बार अल-रज़ा (अ), मेहदी लाजवर्दी द्वारा सुधारा गया, तेहरान, नशरे जहान, 1378 हिजरी।
- तबातबाई यज़्दी, सय्यद मुहम्मद काज़िम, अल-उर्वातुल वुस्क़ा फ़िमा ताउम्मो बेहिल बलवा (अल-मोहश्शी), अहमद मोहसेनी सबज़ेवारी द्वारा संपादित, क़ुम, इस्लामिक प्रकाशन कार्यालय, जो क़ुम सेमिनरी सोसाइटी ऑफ़ टीचर्स से संबद्ध है, 1419 हिजरी।
- तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-कुरान, अहमद कैसर आमोली द्वारा शोध, बैरूत, दारुल अहया अल तोरास अल-अरबी, बि ता।
- अब्दुल मुनइम, महमूद बिन अब्दुर्रहमान, मोजम अल मुस्तलेहात व अल अल्फ़ाज़ अल फ़िक़्हीया, क़ाहिरा, दार अल-फ़ज़ाला, बी ता।
- अल्लामा हिल्ली, हसन बिन यूसुफ, क़वाएद अल अहकाम फ़ी मारेफ़त अल हेलाल व अल हराम, क़ुम, इस्लामी प्रकाशन कार्यालय, क़ुम सेमिनरी सोसाइटी ऑफ़ टीचर्स से जुड़ा हुआ है, 1413 हिजरी।
- कुतुब रावंदी, सईद बिन हेबतुल्लाह, फ़िक़्ह अल-क़ुरान फ़ी शरहे आयत अल-अहकाम, क़ुम, मर्शी नजफ़ी लाइब्रेरी, 1405 हिजरी।
- मोहक़्क़िक़ हिल्ली, जाफ़र बिन हसन, शराए अल-इस्लाम फ़ी मसाएल अल-हलाल व अल हराम, अब्दुल हुसैन मुहम्मद अली बक़्क़ाल द्वारा संशोधित, इस्माइलियान संस्थान, 1408 हिजरी।
- मिशकिनी, अली, मुस्तलेहात अल फ़िक्ह व मोअज़्ज़म अनाविनेह अल मौज़ूईयेह, क़ुम, अल-हादी, 1377 शम्सी/1419 हिजरी।
- मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुफ़ीद, अल-अमाली, हुसैन वली और अली अकबर ग़फ़्फ़ारी द्वारा संपादित, शेख़ मुफ़ीद की कांग्रेस, 1413 हिजरी।
- मकारिम शिराज़ी, नासिर, तफ़सीरे नमूना, तेहरान, दारुल किताब अल-इस्लामिया, 1374 शम्सी।
- नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल-कलाम फ़ी शरहे अल-इस्लाम, अब्बास कुचानी और अली अखुंदी द्वारा संशोधित, बैरूत, दारुल अहया अल तोरास अल-अरबी, 1404 हिजरी।