एतेकाफ़

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तेहरान युनिवर्सिटी की मस्जिद में एतेकाफ़

एतेकाफ़ (अरबी: الاعتكاف) रोज़े के साथ एक निश्चित अवधि (कम से कम तीन दिन) के लिए मस्जिद में रहने को कहते है। एतेकाफ़ का कोई निश्चित समय नहीं है, लेकिन हदीसों में रमज़ान के तीसरे दशक का सबसे अच्छा समय माना गया है। एतेकाफ़ में मस्जिद में रहने और छोड़ने के तरीक़े के नियम और शिष्टाचार होते हैं। ईरान में, अधिकांश शहरों की बड़ी मस्जिदों में रजब महीने 13, 14 और 15 तारीख़ में एतेकाफ़ समारोह आयोजित किया जाता है।

हदीसों के अनुसार, एतेकाफ़ हज और उमरा के समान है और पापों की क्षमा और नर्क की आग से मुक्ति की ओर ले जाता है।

महत्व और गुण

एतेकाफ़ एक मुस्तहब है जिसे मासूमीन (अ) की हदीसों में हज और उमरा के बराबर माना जाता है।[१] इस्लामिक देशों में एतेकाफ़ को सुन्नत के रूप में आयोजित किया जाता है।

परिभाषा

न्यायशास्त्र मे क़ुरबत के इरादे से और विशेष क्रियाओं और शर्तों के साथ तीन दिन या उससे अधिक समय तक मस्जिद में रहने को 'एतेकाफ़' कहा जाता है, और जो व्यक्ति एतेकाफ़ करता है उसे 'मोतकिफ़' कहा जाता है।[२] एतेकाफ़ का शाब्दिक अर्थ है किसी चीज़ की ओर मुड़ना और उसका सम्मान करना।[३] इसके प्रकार क़ुरआन मे आकिफ़[४] का अर्थ निवासी है, और "मअकूफ़"[५] निषिद्ध और हिरासत में लिया हुआ के अर्थ मे है।

रहस्यवादीयो की नजर से एतेकाफ़

रहस्यवादीयो की भाषा में, एतेकाफ़ सांसारिक व्यवसायों से दिल को मुक्त और खाली करना और आत्मा को मालिक को सौंपने को एतेकाफ़ कहते है।[६] अल्लामा मजलिसी के अनुसार एतेकाफ़ की हक़ीक़त ईश्वर की आज्ञाकारिता की ओर झुकाव और अपनी हवस को कंट्रोल मे रखना है।[७] इसी तरह आप इंसान के अपने दिल, बुद्धि और शरीर के अंगों को धार्मिक कार्यों को करने मे लगाना और लापरवाही से बचना, और ईश्वर की आज्ञाओं को पूरा करने के लिए खुद को बाध्य करना तथा अपने अस्तित्व से अल्लाह के आलावा दूसरे को दूर रखने को एतेकाफ़ का उच्च स्तर एंवम स्थान मानते है।[८]

शिष्टाचार और नियम

समय

हैम्बर्ग के इस्लामिक सेंटर मे एतेकाफ़

हैम्बर्ग के इस्लामिक सेंटर में एतेकाफ़

एतेकाफ़ का कोई निश्चित समय नहीं है, लेकिन कुछ रिवायतो के अनुसार, अल्लाह के रसूल (स) रमज़ान के महीने में एतेकाफ़ करते थे।[९] इसलिए एतेकाफ़ का सर्वोत्तम समय रमजान का महीना है, विशेष रूप से रमज़ान का तीसरा दशक माना जाता है।[१०] वर्तमान समय मे ईरान में एतेकाफ़ समारोह रजब महीने की 13, 14 और 15 तारीख में प्रचलित है।[११] और कुछ अन्य देशों में भी इसी समय में एतेकाफ़ आयोजित किया जाता है।[१२]

अवधि

शिया न्यायविदों के अनुसार एतेकाफ़ की अवधि कम से कम तीन दिन है, और दूसरे दिन की समाप्ति के बाद, तीसरे दिन एतेकाफ़ वाजिब हो जाता है।[१३] एतेकाफ़ का समय पहले दिन की सुबह से तीसरे दिन के सूर्यास्त तक है।[१४] हालांकि सुन्नी विचार धारा के चार स्कूलो के नेताओ मे से मलिक बिन अनस[१५] और शाफ़ई[१६] के अनुसार एतेकाफ़ करने वाले व्यक्ति को सूर्यास्त से पहले एतेकाफ़ के स्थान पर उपस्थित होना चाहिए।[१७]

स्थान

कुछ हदीसों मे मस्जिद अल-हराम, मस्जिद अल-नबी, मस्जिद कुफा और मस्जिद बसरा को विशिष्ट माना जाता है, लेकिन कुछ रिवायतो ऐसी हैं जिनमें जामा मस्जिद या ऐसी मस्जिद जिसका पेश इमाम आदिल हो और नमाज़े जुमा या नमाज़े जमाअत होती हो तो एतेकाफ़ करना वैध माना जाता है।[१८] इसलिए, अधिकांश प्राचीन न्यायविदो (मुताकद्दिम फुक्हा) का मानना है कि एतेकाफ़ इन चार मस्जिदों के लिए आरक्षित है,[१९] लेकिन शहीदे अव्वल और शहीदे सानी ने कहा: एतेकाफ़ को केवल चार मस्जिदो तक सीमित करना वाला कथन ज़ईफ़ (कमज़ोर) है।[२०] चौदहवीं शताब्दी के अधिकांश न्यायविदों ने भी शहरों की जामे मस्जिदों में एतिकाफ करना सही माना है[२१] और कुछ ने चार मस्जिदो के आलावा (जामेअ और ग़ैर जामेअ) मे रजा और सवाब हासिल करने के इरादे से इनमे एतेकाफ़ करना जायज़ माना है।[२२]

एतेकाफ़ मे रोज़े की शर्त

शिया न्यायविदो के अनुसार रोज़ा एतेकाफ़ की शर्तो मे से है,[२३] इसलिए जो रोज़ा नही रख सकता जैसे मुसाफ़िर, बीमार, हाइज़ (मासिक धर्म वाली महिला) का एतेकाफ़ सही नहीं है।[२४] एतेकाफ़ में क़ज़ा रोज़े और नज़र के रोज़े की नियत करना जायज़ है।[२५] अहेल सुन्नत के चार संप्रदाओ के नेताओ मे से मुहम्मद इब्न इदरीस शाफ़ेई और अहमद इब्न हनबल के अनुसार एतेकाफ़ मे रोज़ा वाजिब नही है[२६] लेकिन मालेकी न्यायशास्त्र और हनफी न्यायशास्त्र में प्रसिद्ध कथन के अनुसार रोज़े के बिना एतेकाफ़ नही होता।[२७]

मस्जिद से ख़ारिज न होना

एतेकाफ़ के दौरान, आवश्यक उद्देश्यों के लिए मस्जिद छोड़ना; जैसे कि आवश्यक खाद्य सामग्री की ख़रीदारी, शौचालय के लिए जाना या दूसरे काम जैसे जुमा की नमाज़, शव यात्रा, गवाही देना, मरीज़ की अयादत के लिए जाना इत्यादि जायज है। हालाकि इनमे भी मोतकिफ़ स्वयं को आवश्यकता तक ही सीमित रखे और कहीं भी न बैठे और जितना हो सके छाया में न चले।[२८] उरवातुल वुस्क़ा मे सय्यद काज़िम तबातबाई के अनुसार उरफ़ी और शरई ज़रूरतों के लिए और उन लोगों के लिए एतेकाफ़ की जगह छोड़ना जायज़ माना है, जिनमे हित हो (चाहे एतेकाफ़ करने वाले का हित हो या किसी और का)।[२९] इसके अलावा बिहार उल अनवार मे उद्दतुत दाई से नक़्ल होने वाली रिवायत के अनुसार, इमाम हसन मुज्तबा (अ) ने अपने एक शिया की हाजत पूरी करने के लिए काबा की परिक्रमा करना बंद कर दिया और उसके साथ हो गए ताकि उसकी हाजत रवाई करें।[३०] [नोट १]

मोहर्रेमात

न्यायविदों के अनुसार एतेकाफ़ में इत्र का उपयोग करना और सूंघना, सांसारिक मामलों के बारे में बहस करना और लड़ना, आवश्यतका के अलावा खरीदना और बेचना, हस्तमैथुन और संभोग (चुंबन की सीमा तक भी) हराम है और एतेकाफ को बातिल कर देता है।[३१] इसके अलावा जो चीज़े रोज़े को बातिल करती है वो एतेकाफ़ को भी बातिल कर देती है।[३२]

दर्शनशास्त्र और प्रभाव

हदीसों के अनुसार एतेकाफ करने से पापों की क्षमा[३३] और नरक की आग से बचाव का कारण है।[३४] साथ ही एतेकाफ़ एकांत मे अल्लाह से राज़ो नियाज़ करने और सोचने के लिए एक फ़ुरसत है पश्चाताप के लिए वातावरण प्रदान करना एतेकाफ़ का सबसे अहम फ़लसफ़ा और हिकमत माना जाता है।[३५]

एतेकाफ़ मे बैठने वालो के लिए तक़रीर

इतिहास

मुसलमानों ने एतेकाफ़ का तरीका पैगंबर (स) की सुन्नत से सीखा।[३६] एक रिवायत के अनुसार, एतेकाफ़ इस्लाम से पहले भी मौजूद था।[३७]

पैगंबर (स) के जीवन मे मिलता है कि आपने हिजरत पश्चात मदीना मे पवित्र रमज़ान के महीने मे एतेकाफ किया। जिसके लिए मस्जिद अल-नबी में एक तम्बू बनाया गया था।[३८] आज मस्जिद अल-नबी में, पश्चाताप के स्तंभ (स्तूने तौबा) के पूर्व की ओर "सरीर" नामक एक चबूतरा है। जिसके बारे मे कहा जाता है कि पैगंबर (स) एतेकाफ़ के दिनों में इसके बगल में अपना बिस्तर लगाते थे।[३९]

बद्र की लड़ाई के कारण पैगंबर (स) हिजरत के तीसरे वर्ष के रमज़ान में एतेकाफ़ नहीं कर सके। इसलिए अगले वर्ष आप (स) ने रमज़ान के बीस दिन एतेकाफ़ किया; उसी वर्ष के दस दिन और पिछले वर्ष के दस दिन की क़ज़ा।[४०] हदीसी स्रोतों में शियो के इमाम, इमाम हसन मुज्तबा (अ)[४१] और इमाम सादिक़ (अ)[४२] की जीवनी मे भी एतेकाफ़ की खबरें हैं।

एतेकाफ़ से संबंधित किताबें

एतेकाफ़ से संबंधित अरबी और भाषा मे कई किताबो की रचना हुई है उनमे से कुछ निम्नलिखि हैः

  • अल-एतेकाफ़ीयाः मोईनुद्दीन सालिम बिन बदरान बसरी द्वारा लिखित [४३]
  • अल-एतेकाफ़ीया या माइल हयाहो वा साफ़िल फ़ुरातः शेख लुत्फ़ुल्लाह मीसी इस्फ़हानी (मृत्यु 1033 हिजरी) द्वारा लिखित जोकि रसूल जाफ़रयान की देख-रेख मे “मज्माआ ए मीरास इस्लामी” के पहले खंड के अंतर्गत कुम अल मुकद्देसा से प्रकाशित हुई।
  • अल-एतेकाफ़ फ़ी मसाइल अल-एतेकाफ़ः मुहम्मद जाफर उस्तराबादी (मृत्यु 1263 हिजरी) द्वारा लिखित जिसकी एक लिपी क़ुम के आयतुल्लाह मरअशी नज़फ़ी के पुस्तकालय मे सुरक्षित है।[४४]
  • अल-एतेकाफ़ीयाः सय्यद मुहम्मद अली शहरिस्तानी (मृत्यु 1290 हिजरी) की रचना है जिसके बारे मे आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी का कहना है कि इस किताब के कुछ लिपी कुच निजी संग्रहो और पुस्तकालयो मे मौजूद है।[४५]

इनके अलावा किताब अल एतेकाफ़ नाम के शीर्षक से मुहम्मद बिन इद्रीस शाफ़ेई, दाऊद इस्फ़हानी[४६], शेख़ सदूक़ और अबुल फज़्ल साबूनी ने भी लिखी है।[४७]

हाल के वर्षों में, एतेकाफ़ के विस्तार के साथ इस विषय पर दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।[४८]

नोट

  1. इब्ने अब्बास का कथन है कि इमाम हसन (अ) मस्जिद अल हराम मे एतेकाफ़ मे बैठे थे और काबा की परिक्रमा (तवाफ) कर रहे थे इतने मे उनके चाहने वालो मे से एक व्यक्ति ने आपसे माली मदद चाही। उस समय इमाम (अ) ने तवाफ छोड़ कर उस व्यक्ति के साछ चलने लगे, मैने इमाम से पूछा आप एतेकाफ़ मे बैठे हुए है कही उसे भूल तो नही गए? इमाम (अ) ने उत्तर दिया नही ऐसा नही है। लेकिन मैने अपने पिता श्री से सुना है कि रसूले खुदा (स) ने फ़रमायाः जो व्यक्ति अपने मोमिन भाई की हाजत पूरी करना का प्रयास करता है तो उस व्यक्ति का सवाब उसके समान है जिसने 9 हजार वर्ष रोज़ा और शब जिदांदारी के साथ खुदा की इबादत की हो। (من قضى أخاه المؤمن حاجةً كان كَمَن عَبَد الله تسعة آلاف سنة صائماً نهاره قائماً ليله मन क़ज़ा अख़ाहुल मोमिने हाजातन काना कमन अबादल्लाहे तिस्अतो आलाफ़े सनातन साएमन नहारेह क़ाएमन लैलेह) मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 94, पेज 129

फ़ुटनोट

  1. शेख सुदूक, मन ला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 188; इब्ने ताऊस, इक़बाल अल-आमाल, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 195
  2. मोसूआ दाएरातुल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह अल-इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह फ़ारसी, 1382 शम्सी, भाग 1, पेज 598
  3. राग़िब, मुफ़रेदात, 1392 हिजरी, पेज 355
  4. सूर ए हज, आयत न 25
  5. सूर ए फ़त्ह, आयत न 25
  6. जुर्जानी, अल-ताअरीफ़ात, 1357 हिजरी, पेज 25
  7. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 98, पेज 4
  8. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 98, पेज 150
  9. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1401 हिजरी, पेज 175
  10. देखेः शहीद सानी, अल-रौज़ा अल-बहया, 1403 हिजरी, भाग 2, पेज 149; जज़ीरी, अल-फ़िक़्ह अला अल-मजाहिबे अल-अरबा, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 582
  11. तारीखचे एतेकाफ़, खबरगुज़ारी तसनीम
  12. मरासिम ए एतेकाफ़ दर किशवरहाए जहान, खबरगुज़ारी ईरना; इस्तिक़बाल चश्मगीर जवानान, शिया न्यूज़
  13. मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1389 हिजरी, भाग 1, पेज 216
  14. तबातबाई, अल-उरवातुल वुस्क़ा, 1420 हिजरी, भाग 3, पेज 671
  15. मालिक, अल-मौता, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 314
  16. शाफ़ई, अल-अम, दार उल मारफ़ा, भाग 2, पेज 105
  17. इब्ने रश्द, बिदातुल मज्तहिद, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 314
  18. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1401 हिजरी, भाग 4, पेज 176; मुफ़ीद, अल-मुक़्नेआ, 1410 हिजरी, पेज 363
  19. देखेः सुदूक़, अल-मुक़्नेअ, 1404 हिजरी, पेज 18; देखेः सय्यद मुर्तज़ा, अल-इंतेसार, 1391 हिजरी, पेज 72; तूसी, अल-ख़िलाफ़, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 272
  20. शहीद सानी, अल-रौज़ा अल-बहया, 1403 हिजरी, भाग 2, पेज 150
  21. ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, दार उल इल्म, भाग 1, पेज 305; गुलपाएगानी, मज्मा अल-मसाइल, 1409 हिजरी, भाग 4, पेज 175; साफ़ी गुलपाएगानी, जामे अल-अहकाम, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 144; बहजत, इस्तिफ़तेआत, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 242
  22. मकाने एतेकाफ़, पाएगाह इत्तेला रसानी हौज़ा
  23. मालिक, अल-मौता, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 315; मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1389 हिजरी, भाग 1, पेज 215
  24. नराक़ी, मुस्तनद अल-शिया, 1415 हिजरी, भाग 10, पेज 546
  25. नराक़ी, मुस्तनद अल-शिया, 1415 हिजरी, भाग 10, पेज 545
  26. देखेः शाफ़ई, अल-अम, दार उल मारफ़ा, भाग 2, पेज 107; इब्ने हुबैरा, अल-इफ़्साह, 1366 हिजरी, भाग 1, पेज 170; देखेः मुरूज़ी, इख़तिलाफ अल-उलामा, 1406 हिजरी, पेज 75
  27. देखेः समरक़ंदी, तोहफ़ा अल-फ़ुक़्हा, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 372; शेख निज़ामुद्दीन, अल-फ़तावा अल-हिंदीया, 1323 हिजरी, भाग 1, पेज 211
  28. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1401 हिजरी, भाग 4, पेज 178; इब्ने रश्द, बिदाया अल-मुज्तहिद, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 317; मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1389 हिजरी, भाग 1, पेज 217
  29. तबातबाई, अल-उरवातुल वुस्क़ा, 1420 हिजरी, भाग 3, पेज 686
  30. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 94, पेज 129
  31. इब्ने हुबैरा, अल-इफ़्साह, 1366 हिजरी, भाग 1, पेज 171; मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल-इस्लाम, 1389 हिजरी, भाग 1, पेज 219-220; जज़ीरी, अल-फ़िक़्ह अला अल-मज़ाहिब अल-अरबा, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 585-587
  32. ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, दार अल-इल्म, भाग 1, पेज 305
  33. सीवती, जामे अल-सग़ीर, 1401 हिजरी, भाग 2, पेज 575
  34. अल-तिबरानी, अल-मोजम अल-औसत, 1415 हिजरी, भाग 7, पेज 121
  35. एतेकाफ़ वा फ़लसफ़ ए आन, वेबगाह रासेख़ून
  36. मालिक, अल-मौता, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 314
  37. बुख़ारी, सहीह बुख़ारी, इदारा अल-तबाआ अल-मुनीरीया, भाग 3, पेज 105-110; इब्ने माजा, सुनन इब्ने माजा, 1952-1953 ई, भाग 1, पेज 563
  38. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1401 हिजरी, भाग 4, पेज 175
  39. जाफ़रयान, आसारे इस्लामी मक्का वा मदीना, 1381 शम्सी, पेज 226; अल-मुनक़री, वफ़ा अल-वफ़ा बा अखबारे दारे अल-मुस्तफ़ा, अल-नाशिरः मकतबा आयतुल्लाह अल-मरअशी अल-नजफ़ी, भाग 2, पेज 46
  40. शेख सुदूक़, मन ला याहजेरोहुल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 184
  41. शेख सुदूक़, मन ला याहजेरोहुल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 190
  42. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 47, पेज 60
  43. देखेः आक़ा बुज़ुर्ग, अल-ज़रीया, दार उल अज़्वा, भाग 2, पेज 230
  44. देखेः आक़ा बुज़ुर्ग, अल-ज़रीया, दार उल अज़्वा, भाग 2, पेज 229; मुदर्रेसी तबातबाई, मुकद्दमा बर फ़िक़्ह शिया, 1368 शम्सी, पेज 238
  45. आक़ा बुज़ुर्ग, अल-ज़रीया, दार उल अज़्वा, भाग 2, पेज 229-230
  46. देखेः इब्ने नदीम, अल-फ़हरिस, 1350 शम्सी, पेज 246-271
  47. देखेः नज्जाशी, रेजाल, 1407 हिजरी, पेज 375-389
  48. लिस्त किताबहा

स्रोत

  • क़ुरआन करीम
  • आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, मुहम्मद मोहसिन, अल-ज़रीआ इला तसानीफ अल-शिया, बैरूत, दार अल-अज़्वा
  • इब्ने रश्द, मुहम्मद बिन अहमद, बिदायातुल मुज्तहिद व निहायातुल मुक़तसिद, बैरूत, 1406 हिजरी
  • इब्ने ताऊस, अली बिन मूसा, इक़ाब अल-आमाल, तेहरान, दार अल-कुतुब अल-इस्लामीया, दूसरा संस्करण, 1409 हिजरी
  • इब्ने माजा, मुहम्मद, सुनन इब्ने माजा, बे कोशिश मुहम्मद फ़ुआद अब्दुल बाक़ी, क़ाहिरा, 1952 ई.
  • इब्ने नदीम, मुहम्मद, अल-फ़हरिसत, बे कोशिश रज़ा तजद्दुद, तेहरान, 1350 शम्सी
  • इब्ने बुहैरा, याह्या, अल-अफसाह अन मआनिस सिहाह, बे कोशिश मुहम्मद राग़िब तब्बाख़, हलब, 1366 हिजरी
  • इस्तिक़बाल चश्मगीर जवानान, शिया न्यूज़ तारीख नश्र, 27 फरवरदीन 1396 शम्सी, तारीखे वीजीट 16 बहमन 1401 शम्सी
  • एतेकाफ़ बे फलसफसा आन, वेबगाह रासेखून, तारीख नश्र 27 ख़ुरदाद 1389 शम्सी, तारीख वीजीट 16 बहमन 1401 शम्सी
  • इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, क़ुम, मोअस्सेसा मतबूआत दार अल-इल्म, पहला संस्करण
  • बुख़ारी, मुहम्मद बिन इस्माईल, सहीह बुख़ारी, क़ाहिरा, इदारा अल-तबाअत अल-मुनीरीया
  • बल्ख़ी, शेख निज़ामुद्दीन, अल-फतावा अल-हिंदीया (अल-फ़तावा अल-अलकीरीया), क़ाहिरा, 1323 हिजरी
  • बहजत, मुहम्मद तक़ी, इस्तिफ़तिआत, दफ्तरे हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा बहजत, क़ुम, पहला संस्करण, 1428 हिजरी
  • तारीखचा ए एतेकाफ़, खबरगुज़ारी तसनीम, तारीख वीजीट 15 बहमन 1401 शम्सी
  • जुर्जानी, अली बिन मुहम्मद, अल-तारीफ़ात, काहिरा, 1357 हिजरी
  • जज़ीरी, अब्दुर रहमान, अल-फ़िक़्ह अला अल-मज़ाहिब अल-अरबा, बैरूत, 1406 हिजरी
  • राग़िब इस्फ़हानी, हुसैन, मुफ़रेदात अलफ़ाज़ अल-क़ुरआन, बे कोशिश नदीम मरअशली, क़ाहिरा, 1392 हिजरी
  • समरक़ंदी, अलाउद्दीन, तोहफा अल-फ़ुक़्हा, बैरुत, 1405 हिजरी
  • सय्यद मुर्तज़ा, अली, अल-इंतेसार, बे कोशिश मुहम्मद रज़ा ख़ुरसान, नजफ, 1391 हिजरी
  • सीवती, जलालुद्दीन, जामे अल-सग़ीर, बैरूत, दार अल-फ़िक्र, पहला संस्करण, 1401 हिजरी
  • शाफ़ई, मुहम्मद, अल-अम, बे कोशिश मुहम्मद जहरी नज्जार, बैरुत, दार अल-मारफ़ा
  • शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन, अल-रोज़ा अल-बहीया, बे कोशिश मुहम्मद कलांतर, बैरूत, दार एहयाए अल-तुरास अल-अरबी, 1403 हिजरी
  • शेख सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल-जवामे अल-फ़क़ीह (अल-मुक़्नेअ), क़ुम, 1404 हिजरी
  • शेख सुदूकड, मुहम्मद बिन अली, मन ला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, क़ुम, दफ्तरे इंतेशारात इस्लामी, दूसरा संस्करण, 1413 हिजरी
  • शेख तूसी, अबू जाफ़र मुहम्मद बिन हसन, अल-ख़िलाफ़, शोधकर्ता व संशोधकः ख़ुरासानी, अली, शहरिस्तानी, सय्यद जवाद, ताहा नजफ़, महदी, इराक़ी, मुज्तबा, क़ुम, दफ्तरे इंतेशारात इस्लामी, पहला संस्करण, 1407 हिजरी
  • साफ़ी गुलपाएगानी, लुतफ़ुल्लाह, जामे अल-अहकाम, इंतेशारत हज़रत मासूमा (स), क़ुम, चौथा संस्करण, 1417 हिजरी
  • अल-तिबरानी, सुलैमान बिन अहमद, अल-मोजम अल-औसत, शोधः अबू मआज़, तारिक़ बिन एवज़ुल्लाह, क़ाहिरा, दार अल-हरमैन, 1415 हिजरी
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन युसूफ, तज़केरा अल-फ़ुक़्हा, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ), पहला संस्करण, 1414 हिजरी
  • कुलैनी, मुहम्मद, अल-काफ़ी, बे कोशिश अली अकबर गफ़्फ़ारी, बैरूत, 1401 हिजरी
  • गुलपाएगानी, सय्यद मुहम्मद रज़ा, मज्मा अल-मसाइल, दार अल-क़ुरआन अल-करीम, क़ुम, दूसरा संस्करण 1409 हिजरी
  • मालिक बिन अनस, अल-मौता, बे कोशिश मुहम्मद फ़ुआद अब्दुल बाक़ी, बैरूत, 1406 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार, बैरूत, दार एहया ए अल-तुरास अल-अरबी, दूसरा संस्करण, 1403 हिजरी
  • मोहक़्क़िक़ हिल्ली, जाफर बिन हसन, शराए अल-इस्लाम, बे कोशिश अब्दुल हुसैन मुहम्मद अली, नजफ, 1389 हिजरी
  • मुदर्रेसी तबातबाई, हुसैन, मुकद्दमा ए बर फ़िक़्ह शिया, अनुवादः मुहम्मद आसिफ फ़िकरत, मशहद, 1368 शम्सी
  • मरासिम एतेकाफ़ क़्बल अज़ इंक़ेलाब, पाएगाह इत्तेला रसानी दफ़्तर आयतुल्लाह ख़ामेनई, तारीख नश्र 25 उर्दिबहिश्त 1392 शम्सी, तारीख वीज़ीट 16 बहमन 1401 शम्सी
  • मरासिमे एतेकाफ़ दर किशवरहाए जहान, खबरगुज़ारी ईर्ना, तारीख नश्र 18 फ़रवरदीन 1395 शम्सी, तारीख वीजीज 16 बहमन 1401 शम्सी
  • मरूज़ी, मुहम्मद बिन नस्र, इख्तिलाफ़ अल-उलामा, बे कोशिश सुब्ही सामराई, बैरूत, 1406 हिजरी
  • मुफ़ीद, मुहम्ममद बिन मुहम्मद नोमान, अल-मुक़नेआ, क़ुम, मोअस्सेसा नश्र इस्लामी, 1410 हिजरी
  • मकाने एतेकाफ़, पाएगाह इत्तेला रसानी हौज़ा, तारीख नश्र 30 फरवरदीन 1395 शम्सी, तारीख वीजीट 15 बहमन 1401 शम्सी
  • नज्जाशी, अहमद बिन अली, रेजाल अल-नज्जाशी, बे कोशिश मूसा शुबैरी ज़जानी, क़ुम, जमाअतुल मुदर्रेसीन फ़ी अल-हौज़ा अल-इल्मीया, 1407 हिजरी
  • नराक़ी, मौला अहमद बिन मुहम्मद महदी, मुस्तनद अल-शिया फ़ी अहकाम अल-शरीया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ), पहला संस्करण 1415 हिजरी
  • निगाही बे अहमीयत व फ़ज़ीलत एतेकाफ़, वेबगाह आईने रहमत, तारीख वीजीट 15 बहमन 1401 शम्सी