रमज़ान की शबे इक्कीस
रमज़ान की शबे इक्कीस (फ़ारसी: شب بیست و یکم رمضان) इमाम अली (अ) की शहादत की रात और शिया कैलेंडर की घटनाओं में से एक है।
ऐतिहासिक रिपोर्टों के अनुसार, इमाम अली (अ) को रमज़ान की शबे उन्नीस को इब्ने मुल्जम मुरादी ने ज़ख़्मी किया था, और शबे इक्कीस को उनकी शहादत हो गई थी।[१] इस अवसर पर शिया लोग इस रात उनका शोक मनाते हैं।[२] इसके अलावा, ईरान के कुछ क्षेत्रों में, शबे इक्कीस को, ताज़िया क़म्बर और हज़रत अली (अ) नामक ताज़िया का प्रदर्शन किया जाता है।[३]
शिया स्रोतों द्वारा वर्णित हदीसों के अनुसार, शबे इक्कीस, शबे उन्नीस और शबे तेईस के साथ, उन रातों में से एक है जिसके शबे क़द्र होने की संभावना है।[४] इसलिए, शिया इस रात को अपने घरों, मस्जिदों, हुसैनिया और अन्य धार्मिक स्थानों में बिताते हैं, पूरी रात जागते हैं और शबे क़द्र के आमाल करते हैं।[५] मफ़ातीहुल जिनान में शेख़ अब्बास क़ुमी के अनुसार, शबे इक्कीस की फ़ज़ीलत रमज़ान की शबे उन्नीस से अधिक है। कुछ आमाल जो इस रात में अनुशंसित हैं; इस प्रकार हैं:
- रात में जागना
- ग़ुस्ल ए शबे क़द्र
- शबे क़द्र की नमाज़ पढ़ना
- सौ रकअत नमाज़ पढ़ना
- क़ुरआन सिर पर रखना
- चौदह मासूमों से तवस्सुल करना[६]
कुछ शिया शबे इक्कीस को प्रसाद (नज़्र), इफ़तार और सहरी बांटते हैं।[७] ईरान के लोरिस्तान में इस रात को एक विशेष प्रसाद (नज़्र) पकाया जाता है, जिसे 21वीं का हलवा कहा जाता है।[८]
फ़ुटनोट
- ↑ मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 9।
- ↑ मजीदी ख़ामेने, "शबहाए क़द्र दर ईरान", पृष्ठ 19।
- ↑ मजीदी ख़ामेने, "शबहाए क़द्र दर ईरान", पृष्ठ 20।
- ↑ मजलिसी, मिरआत अल उक़ूल, 1404 हिजरी, खंड 16, पृष्ठ 381।
- ↑ मजीदी ख़ामेने, "शबहाए क़द्र दर ईरान", पृष्ठ 20।
- ↑ क़ुमी, मफ़ातीहुल जिनान, आमाले शबे क़द्र, शबे इक्कीस के विशेष आमाल।
- ↑ मजीदी ख़ामेने, "शबहाए क़द्र दर ईरान", पृष्ठ 21।
- ↑ "प्रांतों में रमज़ान की रसम - इमाम अली की शहादत के 36 रीति-रिवाज; 21वीं रमज़ान में हलवे की खुशबू से घर महकते हैं", मेहर न्यूज़ एजेंसी।
स्रोत
- क़ुमी, शेख़ अब्बास, मफ़ातीहुल जिनान, क़ुम, उसवा, बी ता।
- मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर बिन मुहम्मद तक़ी, मिरआत अल उक़ूल फ़ी शरहे अख़्बार आल अल रसूल, दार अल-किताब अल-इस्लामिया, अल-मुतबआ मर्वी, 1404 हिजरी।
- मजीदी खामेने, फ़रीदा, "शबहाए क़द्र दर ईरान", गुलिस्तान कुरआन पत्रिका में, संख्या 37, आज़र 1379 शम्सी।
- मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल इरशाद फ़ी मारेफ़त होज्जुल्लाह अला अल एबाद, मोअस्सास ए आल-अल-बैत द्वारा सुधार, क़ुम, शेख़ मुफ़ीद कांग्रेस, पहला संस्करण, 1413 हिजरी।
- "प्रांतों में रमज़ान की रसम - इमाम अली की शहादत के 36 रीति-रिवाज; 21वीं रमज़ान के हलवे की खुशबू से घर महक उठती है", मेहर समाचार एजेंसी, प्रवेश की तारीख: 6 तीर, 1395 शम्सी, देखने की तारीख़: 22 इस्फंद, 1402 शम्सी।