मुब्तेलाते रोज़ा
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कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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मुब्तेलातो रोज़ा अथवा मुफ़्तेरात (अरबीःمُبطِلات الصوم أو المُفطِرات) ऐसे कार्य जो रोज़े को बातिल करते हैं। यह कार्य इस प्रकार हैं: खाना-पीना, संभोग, हस्तमैथुन, उल्टी करना, पूरे सिर को पानी में डुबाना, हलक़ में धूल का जाना, तरल पदार्थ से एनीमा लेना, जनाबत, हैज़ (मासिक धर्म) और नेफास की हालत मे सुबह की आज़ान तक रहना। अल्लाह और पैगंबर (स) और इमामों पर झूठ का आरोप लगाना।
जानबूझ कर रोज़ा तोड़ने के कृत्य को फ़ुक़्हा हराम और कफ़्फ़ारा वाजिब होने का कारण मानते हैं।
परिभाषा
मुब्तेलाते रोज़ा ऐसे कार्य हैं जो रोज़े को बातिल करते हैं। फ़िक़्ही किताबो में मुब्तेलाते रोज़े को "मुफ़्तेरात" के नाम से भी जाना जाता है।[१]
जानबूझ कर रोज़ा तोड़ने के कृत्य को फ़ुक़्हा हराम[२] और कफ़्फ़ारा वाजिब होने का कारण मानते हैं।[३] लेकिन यदि ये मुब्तेलात भूलने या मजबूरी से किए गए हैं, तो रोज़ा बातिल नहीं है।[४]
रोज़े को बातिल करने वाले कार्य निम्लिखित हैं:
- खाना और पीना
- संभोग
- हस्तमैथुन
- अल्लाह, पैगंबर (स) और इमामों पर झूठ का आरोप लगाना
- हलक मे गलीज़ धूल का पहुंचना
- पूरे सिर को पानी में डुबाना (अधिकांश फ़ुक़्हा के अनुसार)।[५]
- जनाबत, हैज़ (मासिक धर्म) और नेफ़ास पर सुबह की आज़ान तक बाकी रहना। जो व्यक्ति मुजनिब (स्वपन दोष हुआ हो या संभोग किया हो) हुआ हो या कोई महिला मासिक धर्म और नेफ़ास से पाक हो जाए तो उसे सुबह की नमाज़ से पहले ग़ुस्ल करना चाहिए, और यदि वह सुबह की नमाज़ से पहले ग़ुस्ल नहीं करता है, तो उस दिन का उसका रोज़ा बातिल है।
- तरल पदार्थों से एनीमा लेना।
- उल्टी करना[६]
- रोज़ा तोड़ने का इरादा या रोज़ा बातिल करने वाले कामो मे से किसी एक का अंजाम देना।[७]
रोज़े के दौरान यात्रा करना हराम नहीं है,[८] लेकिन अगर यात्री दोपहर से पहले अपने वतन या उस स्थान पर नहीं पहुँचता जहाँ वह दस दिनों तक रहने का इरादा रखता है, तो उसका रोज़ा बातिल हो जाएगा।[९]
खाना और पीना
फ़ुक़्हा के फ़तवे के अनुसार जानबूझकर खाने-पीने से रोज़ा बातिल हो जाता है और यदि कोई व्यक्ति यह भूल जाए कि उसने रोज़ा रखा है तो उसका रोज़ा सही है।[१०] इमाम ख़ुमैनी, मकारिम शीराज़ी, मुहम्मद तक़ी बहजत और शुबैरी ज़ंजानी जैसे कुछ मरजा ए तक़लीद खाने की जगह ताकत बढ़ाने वाले ड्रिप और इंजक्शन इस्तेमाल करने की एहतयाते वाजिब की बिना पर जायज नही मानते। लेकिन आयतुल्लाह ख़ूई, सीस्तानी, मिर्ज़ा जवाद तबरीज़ी और साफ़ी गुलपाएगानी जैसे दूसरे फ़ुक़्हा का कहना है कि ड्रिप और इंजक्शन को इंजेक्ट करने में कोई मुशकिल नहीं है, चाहे वे ताक़त के हो या उसके अलावा दूसरे हो।[११]
अधिक प्यास
अधिकांश शिया न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार, यदि रोज़ादार व्यक्ति को असहनीय प्यास का अनुभव हो, तो वह अपनी प्यास बुझाने के लिए जितना आवश्यक हो उतना पानी पी सकता है।[१२] पानी पीने के बाद रोज़ा दार व्यक्ति के कर्तव्य के बारे में दो फ़तवे हैं: कुछ लोग कहते हैं कि हालांकि पानी पीना जायज़ है, लेकिन रोज़ा बातिल हो जाएगा और फिर भी रोज़ेदार को मग़रिब की नमाज़ तक रोज़ा तोड़ने से बचना चाहिए और उस दिन के रोज़े की क़ज़ा भी करनी चाहिए।[१३] इसके विपरीत फ़ुक़्हा का एक दूसरा समूह पानी पीने के बावजूद रोज़े को सही मानता है और इसके परिणामस्वरूप उनका कहना है कि इसके लिए क़ज़ा की कोई आवश्यकता नहीं है।[१४]
यौन व्यवहार
रोज़े को बातिल करने वाले यौन व्यवहार निम्नलिखित हैं:
संभोग
जेमाअ या संभोग, भले ही इससे स्खलन न हो, रोज़ा बातिल हो जाता है। संभोग आगे या पीछे (सामने या पीछे) से कोई अंतर नहीं है और इस हुक्म में पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई अंतर नहीं है।[१५]
हस्तमैथुन
फ़ुक़्हा हस्तमैथुन (जानबूझकर वीर्य का उत्सर्जन) को भी मुब्तेलाते रोज़ा मानते हैं;[१६] हालांकि उनके फतवे के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति स्खलन (वीर्य स्खलन) करने का इरादा नहीं रखता है, लेकिन उसके कार्य से स्खलन होता है, तो उसका रोज़ा सही है।[१७]
पत्नी के साथ छेड़खानी करने से इत्तेफ़ाक़ी वीर्यपात हो जाए तो रोज़ा बातिल नहीं होता; हालाँकि यदि कोई स्खलन के उद्देश्य से छेड़खानी करता है या इस तरह से छेड़खानी करता है जिससे आमतौर पर स्खलन होता है, और स्खलन हो जाए तो उसका रोज़ा बातिल है।[१८]
ऐहतलाम (स्वपन दोष)
ऐहतलाम (नींद में वीर्य का स्खलन) रोज़े को बातिल करने वाले कामो में से नहीं है; लेकिन अगर किसी व्यक्ति को सुबह की आज़ान से पहले स्वपन दोष हो जाए तो सुबह की आज़ान से पहले उस पर जनाबत का ग़ुस्ल करना वाजिब है।[१९] दिन में किसी समय भी स्वपन दोष होने से रोज़ा सही रहता है।[२०]
धूल और धुआं
अधिकांश न्यायविदों के अनुसार अगर धूल या मिट्टी अथवा धुआं हलक तक पहुंचे तो रोज़ा बातिल हो जाता है।[२१] इसी के आधार पर सिगरेट और हुक्का वगैरह पीना रोज़ा बातिल करने वाले कामो मे शुमार करते है।[२२] हालांकि कुछ न्यायविद धूल-मिट्टी के हलक तक पहुचंने को मुब्तेलाते रोज़ा शुमार नही करते।[२३] हालांकि, उनका मानना है कि एहतियाते मुस्तहब के तौर पर धूल रोज़े को बातिल कर देती है, और रमज़ान के महीने में धूम्रपान स्पष्ट रूप से स्वीकार्य नहीं है।[२४]
झूठ बोलना
झूठ बोलना और अन्य पाप जैसे गाना सुनना, ना महरम को देखना और ईर्ष्या करना इत्यादि हालांकि हराम हैं और रमज़ान के महीने में उनके पाप मे अधिक वृद्धि होती है,[२५] लेकिन इनमे लिप्त होना रोज़ा को बातिल नहीं करता हैं।[२६] फ़ुक़्हा के फतवे के अनुसार केवल अल्लाह, पैगंबर (स) और शियो के इमामो पर झूठ का आरोप लगाना रोज़े को बातिल कर देता है।[२७] कुछ फ़ुक़्हा ने हज़रत ज़हरा (स) और अन्य पैगंबरों और उनके उत्तराधिकारियों पर झूठ का आरोप लगाने को मुब्तेलात रोज़ा मे शुमार किया है।[२८] मुहम्मद हुसैन काशिफ अल ग़ेता अल्लाह, पैगंबर (स) और इमामो पर झ़ूठ का आरोप लगाने को मुब्तेलाते रोज़ा नही मानते बल्कि उनका मानना है कि यह काम गुनाहाने कबीरा में से है, इसी तरह दूसरे गुनाह भी रमज़ान के महीने के दौरान इसकी हुरमत और भी बढ़ जाती है।[२९]
पूरे सिर को पानी में डुबाना
कुछ न्यायविदों ने पूरे सिर को पानी में डुबाना, रोज़े बातिल करने वाले कारकों में से जाना है।[३०] इस फ़तवे के अनुसार, रमज़ान के महीने के दौरान रोज़े दार का गुस्ले इरतेमासी करना सही नहीं है और रोज़ा बातिल होने का कारक है।[३१] इस फतवे के अनुसार, न्यायविदों के अनुसार, यदि सिर का एक हिस्सा पानी से बाहर है, तो रोज़ा सही है।[३२]
फ़ुक़्हा का एक दूसरा समूह पूरे सिर को पानी मे डुबाना हराम मानता है; लेकिन वो इसे रोज़ा बातिल होने का कारण नहीं मानते।[३३]
फ़ुटनोट
- ↑ देखेः हिल्ली, अल जामे लिल शराए, 1405 हिजरी, पेज 155; काशिफ अल ग़ेता, अनवार अल फ़ुक़ाहा, 1422 हिजरी, पेज 12
- ↑ शेख बहाई, जामे अब्बासी, 1429 हिजरी, पेज 270
- ↑ नजफी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 16, पेज 226; खूई, मोसूआ अल इमाम अल खूई, 1418 हिजरी, भाग 21, पेज 305
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 541-576
- ↑ देखेः यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 555; तालीक़ाते काशिफ अल ग़ेता, इस्फहानी, आले यासीन व जवाहेरी, नीज शुबैरी ज़ंजानी, रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, पेज 305, मस्अला 1617
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 541-576
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 539
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 624
- ↑ बनी हाशमी खुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल सीज्देह मरजाअ, 1424 हिजरी, भाग 1, पेज 954, मस्अला 1722 और 1723
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 541-576
- ↑ बनी हाशमी खुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल सीज्देह मरजाअ, 1424 हिजरीस द 892-893
- ↑ हकीम, मस्तदरक अल उरवा अल वुस्क़ा, 1374 शम्सी, भाग 8, पेज 324; आमोली, मिस्बाह अल हुदा, 1380 हिजरी, भाग 8, पेज 140; खुमैनी, इस्तिफतेआत, दफ्तर नशर इस्लामी, भाग 1, पेज 321
- ↑ देखेः आमली, मिस्बाह अल हुदा, 1380 हिजरी, भाग 8, पेज 140; हकीम, मुस्तदरक अल उरवा अल वुस्क़ा, 1374 शम्सी, भाग 8, पेज 324; सब्जावारी, मोहज्जब अल अहकाम, 1413 हिजरी, भाग 10, पेज 132
- ↑ देखेः शहीद अव्वल, अल दुरूस अल शरीया, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 276; हिल्ली, मुन्तहा अल मतलब, 1412 हिजरी, भाग 9, पेज 139; शेख बहाई, अल तालीका अला अल रेसाला अल सौमीया, 1427 हिजरी, पेज 49-50; अर्दबेली, मजमा अल फ़ाएदा, 1403 हिजरी, भाग 5, पेज 325-326; हकीम, मिस्बाह अल मनाहिज, 1425 हिजरी, पेज 161; सुब्हानी, रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, मोअस्सेसा इमाम सादिक, मस्अला 1256
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 543
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 546
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 548
- ↑ बहजत, इस्तिफतेआत, 1428 हिजरी, भाग 2, पेज 350; खुमैनी, इस्तिफतेआत, 1422 हिजरी, भाग 1, पेज 307
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 547
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, मरकज़ फिक्ह आइम्मा अल अत्हार, भाग 2, पेज 23
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 553-554; बनी हाशमी ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल सीजदेह मरजाअ, 1424 हिजरी, भाग 1, पेज 902-903
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 554
- ↑ देखेः शुबैरी, रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, 1430 हिजरी, पेज 329, मस्अला 1581
- ↑ देखेः शुबैरी, रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, 1430 हिजरी, पेज 334, मस्अला 1612 और 1614
- ↑ काशिफ अल ग़ेता, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 549
- ↑ इब्ने इद्रीस, सराइर, 1410 हिजरी, भाग 1, पेज 373-374
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 549
- ↑ देखेः यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 550
- ↑ काशिफ अल ग़ेता, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 549
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 555; बनी हाशमी ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल सीजदेह मरजाअ, 1424 हिजरी, भाग 1, पेज 904
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 559, मस्अला 43
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 559, मस्अला 33
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1419 हिजरी, भाग 3, पेज 555; तालीकाते काशिफ अल ग़ेता, इस्फहानी, आले यासीन और जवाहेरी, शुबैरी ज़ंजानी, रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, पेज 305, मस्अला 1617
स्रोत
- आमोली, मुहम्मद तकी, मिस्बाह अल हुदा फी शरह अल उरवा अल वुस्का, तेहरान, नशर मोअल्लिफ, 1380 हिजरी
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- इमाम खुमैनी, सय्यद रूहुल्लाह, तौज़ीह अल मसाइल, शोधक और संशोधकः मुस्लिम कुलीपुर गीलानी, क़ुम, मोअस्सेसा तंज़ीम वा नशर आसारे इमाम ख़ुमैनी, पहला संस्करण 1426 हिजरी
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- बहजत, मुहम्मद तक़ी, इस्तिफतेआत, क़ुम, दफतर हजरत आयतुल्लाह बहजत, पहला संस्करण, 1428 हिजरी
- हकीम, सय्यद मोहसिन, मुस्तमसिक अल अरवा अल वुस्का, क़ुम, मोअस्सेसा दार अल तफसीर, 1374 शम्सी
- हकीम, सय्यद मुहम्मद सईद, मिस्बाह अल मनाहिज किताब अल सौम, क़ुम, दार अल हेलाल, 1425 हिजरी
- हिल्ली, हसन बिन युसूफ, मुनतहा अल मतलब फ़ी तहक़ीक़ अल मज़हब, मशहद, मजमा अल बुहूस अल इस्लामीया, 1412 हिजरी
- हिल्ली, याह्या बिन सईद, अल जामे लिल शराए, संशोधन जमई अज मोहक़्क़ेक़ीन तहते अशराफ शेख जाफर सुबहानी, कुम, मोअस्सेसा सय्यद अल शोहदा अल इलमीया, 1405 हिजरी
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- खुई, सय्यद अबुल कासिम, अल उरवा अल वुस्क़ा मा तालीक़ात, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1418 हिजरी
- सुबहानी, जाफर, तौज़ीह अल मसाइल, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक़ (अ)
- सब्जावारी, सय्यद अबुल आला, मोहज्जब अल अहकाम, कुम, मोअस्सेसा अल मनार, 1413 हिजरी
- सीस्तानी, सय्यद अली, तौज़ीह अल मसाइल, मशहद, नशर इरसलान, 1386 शम्सी
- शुबैरी ज़नजानी, सय्यद मूसा, रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, क़ुम
- शुबैरी ज़नजानी, सय्यद मूसा, रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, क़ुम, सलसबील, 1430 हिजरी
- शहीद अव्वल, मुहम्मद बिन मक्की, अल दुरूस अल शरीया फ़ी फ़िक़्ह अल इमामीया, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1417 हिजरी
- शेख बहाई, निज़ाम बिन हुसैन, जामेअ अब्बासी वा तकमील आन, दफतर इंतेशारात इस्लामी, क़ुम, पहला संस्करण, 1429 हिजरी
- शेख बहाई, मुहम्मद बिन हुसैन, अल तालीका अला अल रेसाला अल सौमीया, क़ुम, मोअस्सेसा आशूरा, 1427 हिजरी
- फ़ाज़िल लंकरानी, तौज़ीह अल मसाइल (फारसी), क़ुम, मेहर, 1374 शम्सी
- काशिफ अल ग़ेता, हसन, अनवार अल फुक़ाहा, नजफ, मोअस्सेसा काशिफ अल ग़ेता, पहला संस्करण, 1422 हिजरी
- काशिफ अल ग़ेता, मुहम्मद हुसैन, अल उरवा अल वुस्क़ा मा तालीकात, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1419 हिजरी
- मकारिम शिराज़ी, नासिर, तौज़ीह अल मसाइल, क़ुम, मदरसा अल इमाम अली बिन अबी तालिब, 1378 शम्सी
- नजफी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल कलाम फ़ी शरह शराए अल इस्लाम, संशोधनः अब्बास क़ूचानी, अली आख़ूंदी, बैरूत दार एहया अल तुरास अल अरबी, सातवा संस्करण 1404 हिजरी
- यज्दी, सय्यद मुहम्मद काज़िम, अल उरवा उल वुस्क़ा मा तालीक़ात, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1419 हिजरी
- यज़्दी, सय्यद मुहम्मद काज़िम, अल उरवा अल वुस्क़ा, तालीक़ात मुहम्मद फ़ाज़िल मुवाहेदी लंकरानी, क़ुम, मरकज़ फ़िक़्ह अल आइम्मा अल अत्हार (अलैहेमुस सलाम)