वीर्य
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कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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वीर्य (अरबीः المني) सफेद रंग का गाढ़ा द्रव होता है जिसके शरीर से बाहर निकलना जनाबत का कारण होता है। शिया न्यायविदों और कुछ सुन्नी न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार वीर्य अशुद्ध (मनी नजिस) है। स्वेच्छा से वीर्य का शरीर से बाहर निकलना रोज़े को अमान्य (बातिल) कर देता है। और जिस शख़्स का वीर्य निकल चुका हो उसे नमाज़ से पहले ग़ुस्ल करना चाहिए।
संदेह की स्थिति में वीर्य के कुछ लक्षण है जिनके द्वारा पहचाना जा सकता हैं: उच्च यौन सुख, उछल कर निकला और शरीर में शिथिलता (शरीर का सुस्त पड़ जाना)।
शुक्राणु के बारे में ऐसे नियम (अहकाम) हैं जिन्हें आविष्कृत मुद्दों अर्थात मसाइल ए मुस्तहदेसा (जदीद मसाइल) के रूप में माना जाता है। शिया न्यायविदों के अनुसार, गैर-पति के शुक्राणु को महिला के गर्भ में इंजेक्ट करना हराम है। पति की मृत्यु के बाद पत्नी के गर्भ में पुरुष से रखे गए शुक्राणु को इंजेक्ट करने के संबंध मे मतभेद हैं। मतभेद इस आधार पर पाया जाता है कि क्या पति और पत्नी में से किसी एक की मृत्यु से विवाह समाप्त हो जाता है? इसके अलावा, शुक्राणु खरीदने और बेचने के बारे में भी मतभेद है, जो इसके वित्तीय मूल्य (माली अरज़िश) की ओर पलटता है।
परिभाषा
वीर्य (मनी) अपेक्षाकृत गाढ़ा और कुछ हद तक सफेद तरल द्रव[१] है जो आमतौर पर यौन सुख के दौरान जननांग अंग से निकलता है।[२]
न्यायशास्रीय नियम अर्थात फ़िक़्ही अहकाम
शिया न्यायविदों (फ़ुक़्हा) के फ़तवे के अनुसार, मानव वीर्य अशुद्धियों (नेजासात) में से है।[३] वे शरीर से वीर्य के बाहर निकलने को स्खलन (इंज़ाल) कहते हैं।[४] न्यायशास्त्र (फ़िक़्ह) में, स्खलन जनाबत के कारणों में से एक है।[५] शिया न्यायविद मुहम्मद हसन नजफी जिन जानवरों का खून उछल कर निकलता है उनके वीर्य को भी अपवित्र (नजिस) मानते है।[६]
जिस वयक्ति का स्खलन हो जाए उसको उन गतिविधियों के लिए ग़ुस्ल करना चाहिए जिसमें शुद्धि (तहारत) की आवश्यकता होती है, जैसे कि नमाज़ के लिए गुस्ल करे।[७] शरीर से जानबूझकर वीर्य का निकालना (चाहे संभोग या हस्तमैथुन के माध्यम से) रोज़े को बातिल कर देता है।[८]
सुन्नीयो का दृष्टिकोण
वीर्य की अशुद्धता या शुद्धता के बारे में सुन्नी न्यायविदों की एक जैसी राय नहीं है। अबू हनीफा और मालिक बिन अनस वीर्य को अपवित्र (नजिस) मानते हैं,[९] इस अंतर के साथ कि अबू हनीफा का मानना है कि यदि वीर्य सूखा है, तो इसे घिसकर पाक किया जाता है और इसे धोने की आवश्यकता नहीं है।[१०] शाफ़ेई[११] और हंबली मनुष्य के वीर्य को शुद्ध (पाक) मानते हैं।[१२]
वीर्य के लक्षण
न्यायशास्त्र में वीर्य के कुछ लक्षण संकेत हैं जिनका उपयोग संदेह के मामले में कि डिस्चार्ज हो गया है या नहीं इस स्थिति मे वीर्य को अलग करने के लिए किया जाता है। अधिकांश शिया न्यायविदों के अनुसार, पुरुषों में स्खलन यौन सुख, उछल कर निकला और शरीर में शिथिलता (स्खलन के बाद शरीर का सुस्त पड़ जाना) तीन विशेषताऐं है।[१३] बेशक, एक रोगी मे उछलकर निकलना शर्त नहीं है, और वासना और शरीर के सुस्त पड़जाने के साथ पानी निकलना वीर्य का हुक्म रखता है।[१४]
कुछ न्यायविदों ने कहा है: यदि शरीर से यौन सुख और उछल कर या उछल कर निकले और शरीर के सुस्त पड़ जाने से द्रव निकलता है तो यह वीर्य है।[१५]
महिलाओं में वीर्य के लक्षण अलग-अलग होते हैं। अधिकांश शिया न्यायविदों के अनुसार, एक महिला के जननांगों से निकलने वाले स्राव, अगर यौन सुख के साथ हो तो वीर्य का हुक्म रखता है। उछलकर निकलना और शरीर का शिथिल (सुस्त होना) करना महिलाओं में वीर्य के लक्षण नहीं मानते।[१६]
मज़ी, वज़ी और वदी के साथ वीर्य का अंतर
न्यायविद वीर्य और मानव यौन अंग से निकलने वाले अन्य तरल पदार्थों के बीच अंतर करते हैं। वीर्य के अलावा, वे तीन अन्य तरल पदार्थों का उल्लेख करते हैं:
- "मज़ी": यह एक पतला तरल पदार्थ है जो कमजोर यौन सुख या दुलार के परिणामस्वरूप व्यक्ति से निकलता है।[१७] यह तरल चिपचिपा होता है, लेकिन इसमें वीर्य के लक्षण नहीं होते हैं, और यह महिलाओं की तुलना में पुरूषो मे अधिक होता है।[१८]
- वज़ी: यह एक तरल द्रव है जो कभी-कभी वीर्य निकलने के बाद व्यक्ति के शरीर से बाहर निकलता है।[१९]
- वदी: यह भी एक तरल द्रव है जो कभी-कभी व्यक्ति के पेशाब करने के बाद निकलता है।[२०]
- शिया न्यायविदों के दृष्टिकोण से, मज़ी, वज़ी और वदी अशुद्ध (नजिस) नहीं हैं[२१] और वुज़ू को बातिल नहीं करते हैं।[२२]
फ़ुटनोट
- ↑ तफ़ावुत तआरीफ़ तिब्बी वा फ़िक़्ही दर मोरिदे माए मनी, साइट तिबयान
- ↑ अब्दुर रहमान, मोअजम अलमुस्तलेहात वल अलफ़ाज़ अल-फ़िक़्हीया, भाग 3, पेज 369
- ↑ सय्यद मुर्तज़ा, अल-इंतेसार, 1415 हिजरी, पेज 96-97
- ↑ नजफी, जावहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 3, पेज 3
- ↑ नजफी, जावहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 3, पेज 3; सय्यद मुर्तज़ा, अल-इंतेसार, 1415 हिजरी, पेज 95
- ↑ नजफी, जावहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 5, पेज 290
- ↑ ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, नाशिरः मोअस्सेसा तंज़ीम वा नशर आसार इमाम ख़ुमैनी (र), भाग 1, पेज 39
- ↑ देखेः बहरानी, अल-हदाइक़ अल-नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 19, पेज 129-130
- ↑ जज़ीरी, अल-फ़िक़्ह अला अल-मज़ाहिब अल-अरबा, 1424 हिजरी, भाग 1, पेज 15; सय्यद मुर्तज़ा, अल-इंतेसार, 1415 हिजरी, पेज 96
- ↑ सय्यद मुर्तज़ा, अल-इंतेसार, 1415 हिजरी, पेज 96
- ↑ शाफ़ेई, अहकाम अल-क़ुरआन, दार अल-कुतुब अल-इल्मीया, पेज 81-82
- ↑ जज़ीरी, अल-फ़िक़्ह अला अल-मज़ाहिब अल-अरबा, 1424 हिजरी, भाग 1, पेज 15, फ़ुटनोट 3; सय्यद मुर्तज़ा, अल-इंतेसार, 1415 हिजरी, पेज 96
- ↑ नजफी, जावहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 3, पेज 8
- ↑ नजफी, जावहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 3, पेज 12
- ↑ बनी हाश्मी, ख़ुमैनी, 1392, भाग 1, पेज 265
- ↑ नजफी, जावहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 3, पेज 13; देखेः बनी हाश्मी, ख़ुमैनी, 1392, भाग 1, पेज 265-266
- ↑ नजफी, जावहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 1, पेज 411
- ↑ आमली, अल-इस्तेलाहात अल-फ़िक़्हीया, 1413 हिजरी, पेज 196
- ↑ आमली, अल-इस्तेलाहात अल-फ़िक़्हीया, 1413 हिजरी, पेज 229; नजफी, जावहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 3, पेज 415
- ↑ आमली, अल-इस्तेलाहात अल-फ़िक़्हीया, 1413 हिजरी, पेज 229
- ↑ देखेः मकारिम शिराज़ी, रेसाला तौज़ीह अल-मसाइल, 1429 हिजरी, पेज 31
- ↑ देखेः सय्यद मुर्तज़ा, अल-इन्तेसार, 1415 हिजरी, पेज 119; नजफ़ी, जवाहिर अल-कलाम, 1404 हिजरी, भाग 1, पेज 414
स्रोत
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- नजफी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल-कलाम फ़ी शरह शरा ए अल-इस्लामा, तस्हीह अब्बास क़ूचानी वा अली आख़ंदी, बैरुत, दार एहया अल अरबी, 1404 हिजरी