जबीरा वुज़ू

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जबीरा वुज़ू, (अरबी: وضوء الجبیرة)‌ वुज़ू के प्रकारों में से एक है। यदि शरीर के किसी ऐसे अंग में जो वुज़ू में धोया या उस पर मसह किया जाता है, ऐसा घाव या फ्रैक्चर हो जिसे धोया या उस पर मसह न किया जा सकता हो, तो वुज़ू सामान्य रूप से करते हुए, घायल या टूटे हुए हिस्से को धोने या उस पर मसह करने के बजाय, गीले हाथ को पट्टी के ऊपर फेर लिया जाता है। जबीरा, पट्टी, कपड़ा या घाव को बंद करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किसी भी चीज़ को कहा जाता है।

जबीरा की परिभाषा

जबीरा, कपड़ा या घाव को बंद करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किसी भी चीज़ को कहा जाता है।[१] यदि शरीर के किसी ऐसे अंग में जो वुज़ू में धोया या उस पर मसह किया जाता है, ऐसा घाव या फ्रैक्चर हो जिसे धोया या उस पर मसह न किया जा सकता हो, तो वुज़ू सामान्य रूप से करते हुए, घायल या टूटे हुए हिस्से को धोने या उस पर मसह करने के बजाय, गीले हाथ को पट्टी के ऊपर फेर लिया जाता है।[२] चूँकि वुज़ू करने वाला इस वुज़ू में ज़बीरा के ऊपर गीला हाथ फेरता है इसी वजह से इस वुज़ू को जबीरा वुज़ू कहते हैं।

अहकाम व आदेश

यदि शरीर के किसी ऐसे अंग में जो वुज़ू में धोया या उस पर मसह किया जाता है, ऐसा घाव या फ्रैक्चर हो जिसे धोया या उस पर मसह न किया जा सकता हो, तो वुज़ू सामान्य रूप से करते हुए, घायल या टूटे हुए हिस्से को धोने या उस पर मसह करने के बजाय, गीले हाथ को पट्टी के ऊपर फेर लिया जाता है।[३] जबीरा वुज़ू की अनुमति केवल तभी दी जाती है जब उस ज़ख़्मी या टूटे हुए हिस्से को खोलना मुश्किल या हानिकारक हो, या यदि घाव या फ्रैक्चर पर सीधे पानी डालना संभव न हो।[४]

कुछ जगहों पर, जबीरा वुज़ू के बजाय तयम्मुम करना अनिवार्य (वाजिब) है; उदाहरण के लिए, यदि प्रार्थना का समय इतना कम है कि वुज़ू करने से नमाज़ का पूरा या कुछ भाग समय के बाद पढ़ा जाता है।[५] इसी तरह से, जिन जगहों पर पानी उपलब्ध नहीं है या पानी शरीर के लिए हानिकारक है, वहां तयम्मुम वुज़ू की जगह ले लेता है।[६] जनाबत का ग़ुस्ल करने वाले को नमाज़ के लिए वुज़ू नहीं करना चाहिए और जनाबत का ग़ुस्ल ही वुज़ू की जगह पर्याप्त है।[७]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. फ़ल्लाहज़ादे, दर्सनाम ए अहकामे मुबतला बेहे हु्ज्जाज, 2009, पृष्ठ 37।
  2. फ़ल्लाहज़ादे, दर्सनाम ए अहकामे मुबतला बेहे हु्ज्जाज, 1389 हिजरी, पीपी. 37 और 38.
  3. फ़ल्लाहज़ादे, दर्सनाम ए अहकामे मुबतला बेहे हु्ज्जाज, 1389 हिजरी, पीपी. 37 और 38.
  4. फ़ल्लाहज़ादे, अहकामे दीन, 2006, पृ. 47-48.
  5. फ़ल्लाहज़ादे, अहकामे दीन, 2006, पृष्ठ 46।
  6. इब्ने इदरीस हिल्ली, अल-सराएर, 1410 हिजरी, खंड 1, पृ.135।
  7. फ़ल्लाहज़ादे, अहकामे दीन, 2006, पृष्ठ 57।

स्रोत

  • इब्ने इदरीस हिल्ली, मुहम्मद बिन अहमद, अल-सराएर, क़ुम, अल-नशर अल-इस्लामी फ़ाउंडेशन ऑफ़ द जमात अल-मुदर्रसीन, दूसरा संस्करण, 1410 हिजरी।
  • फ़ल्लाह ज़ादे, मुहम्मद हुसैन, अहकामे दीन, तेहरान, मशअर, 2013।
  • फ़ल्लाहज़ादे, मुहम्मद हुसैन, दर्सनाम ए अहकामे मुबतला बेहे हु्ज्जाज, तेहरान, मशअर, 2009।