इज़ाल ए नेजासत

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इज़ाल ए नेजासत (अरबी: إزالة النجاسة) इज़ाल ए नेजासत का अर्थ है अशुद्धता को दूर करना। नेजासत को दूर करना शरीर और नमाज़ पढ़ने वाले के कपड़े से, और काबा का तवाफ़ करने वाले से, सज्दे की जगह, मस्जिद, क़ुरआन, इमामों के हरम (अ), मुर्दे का शरीर और कफ़्न, और वुज़ू के अंगों को, अनिवार्य (वाजिब) है। लेकिन क़ुर्बत की नीयत की शर्त नहीं है।

प्रसिद्ध शिया न्यायविदों के अनुसार, जानवर के शरीर की नेजासत को दूर करना, मुतह्हेरात में से एक है और जहां जानवर का शरीर नेजासत से दूषित होता है, नेजासत को दूर करने से जानवर का शरीर पाक हो जाता है।

परिभाषा और महत्व

इज़ाल ए नेजासत का अर्थ है किसी ऐसी चीज़ से अपवित्रता (नेजासत) को दूर करना जो दस नेजासात (रक्त, मूत्र, मल, वीर्य, मुर्दा, कुत्ता, सुअर, काफ़िर, शराब और जौ से बनी शराब) में से एक के संपर्क में आती है या किसी मुतानज्जिस (वह वस्तु जो नेजासत के संपर्क में आने के कारण नजिस हुई है) वस्तु के संपर्क में आने के कारण नजिस हुई है।[१]

इज़ाल ए नेजासत की अधिक चर्चा शुद्धिकरण (मुतह्हेरात) और नमाज़ के अध्यायों में की गई है।[२] और इसे करने में, क़सदे क़ुर्बत की नीयत की शर्त नहीं है।[३]

इज़ाल ए नेजासत, जल, ज़मीन और सूर्य जैसे शुद्धिकरणों (मुतह्हेरात) में से एक के साथ की जाती है।[४] इसके अलावा, शिया न्यायविदों के प्रसिद्ध मत के अनुसार, जानवर का शरीर जो नेजासत या मुतानज्जिस (वह वस्तु जो नेजासत के संपर्क में आने के कारण नजिस हुई है) वस्तु के संपर्क में आने से नजिस हुई है, उसके शरीर से नेजासत को दूर करने से उसका शरीर पवित्र हो जाता है।[५]

अहकाम

इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज़ से अपवित्रता (नेजासत) को दूर करना ज़रूरी है[६] और यह कुछ मामलों में अनिवार्य (वाजिब) भी है जैसे:

मस्जिद: मस्जिद से अपवित्रता (नेजासत) तुरंत दूर करना अनिवार्य है[७] और इसमें देरी करना जायज़ नहीं है[८] इसलिए, नियमित नमाज़ जैसे अन्य दायित्वों (वाजेबात) के साथ संघर्ष की स्थिति में, यह उन पर वरीयता (मुक़द्दम) लेता है।[९] शिया न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार, मस्जिद से नेजासत को हटाना मूल अनिवार्य (वाजिबे केफ़ाई) है[१०] और यह उस व्यक्ति के लिए आरक्षित नहीं है जिसने मस्जिद को अपवित्र किया है; बल्कि, यह सभी के लिए अनिवार्य है।[११] अल्लाह की मस्जिदों से नेजासत को दूर करने के अनिवार्य होने के बारे में कुछ न्यायविदों का दस्तावेज़ यह आयत है "बहुदेववादी (मुश्रेकान) नजिस हैं, इसलिए उन्हें मस्जिदे हराम के पास नहीं जाना चाहिए।"[१२] उन्होंने कहा है कि इस फैसले (हुक्म) में मस्जिद अल-हराम और अन्य मस्जिदों के बीच कोई अंतर नहीं है।[१३]

सज्दे का स्थान: प्रसिद्ध राय के अनुसार, सज्दे के स्थान (जहां नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति अपना माथा रखता है) से नेजासत को दूर करना, नमाज़ के सही होने की शर्तों में से एक है।[१४] अबू सलाह हलबी शिया न्यायविद, उन सज्दे के सात स्थान से (आज़ा ए सज्दा, शरीर का वह अंग जो सज्दा करते वक़्त ज़मीन पर रखना अनिवार्य है) नेजासत के दूर करने को अनिवार्य (वाजिब) मानते हैं।[१५]

नमाज़: नमाज़ के लिए, शरीर से, यहाँ तक कि नाखून, बाल और कपड़े से भी, नेजासत को दूर करना अनिवार्य (वाजिब) है, और यह नमाज़ के सही होने की शर्तों में से एक है।[१६] और इसी तरह नमाज़े एहतेयात, तशहुद की क़ज़ा, और सज्दे के स्थान, और सज्दा ए सह्व के लिए भी, शरीर और कपडे से नेजासत का दूर करना अनिवार्य (वाजिब) है।[१७]

तवाफ: नजिस कपड़े और शरीर के साथ तवाफ़ जायज़ नहीं है, इसलिए मोहरिम (जिस ने एहराम बांधा हो, हज या उमरे के लिए गया हो) पर नेजासत का दूर करना अनिवार्य (वाजिब) है।[१८] यूसुफ़ बहरानी, इब्ने हमज़ा, शिया न्यायविदों में से एक के अनुसार, नजिस कपड़े और शरीर में तवाफ़ करने को मकरूह माना है।[१९]

क़ुरआन और इमामों के हरम: क़ुरआन और इमामों के हरम और हर वह चीज़ जिसकी इस्लाम धर्म में ताज़ीम (इज़्ज़त) की जाती हो और उसके अपमान से मना किया गया हो, इन सब से नेजासत का दूर करना अनिवार्य (वाजिब) है।[२०]

मुर्दे का शरीर और कफ़्न: मय्यत के शरीर और कफ़्न से नेजासत दूर करना अनिवार्य (वाजिब) है, भले ही उसे क़ब्र में रख दिया गया हो।[२१] साहिब जवाहिर और मोहक़्क़िक़ अर्दबेली के अनुसार, मृतक के दफ़्नाने से पहले मृतक के शरीर को नेजासत से पाक करने को अनिवार्य (वाजिब) माना है।[२२]

वुज़ू और ग़ुस्ल के अंग: वुज़ू और ग़ुस्ल के अंगों से नेजासत को दूर करना अनिवार्य (वाजिब) है।[२३] इसलिए कि वुज़ू और ग़ुस्ल के अंगों का पवित्र होना वुज़ू और ग़ुस्ल के सही होने की शर्तों में से एक है।[२४]

सम्बंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. देखें, दाएरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी संस्थान, मौसूआ अल फ़िक़्ह अल इस्लामी तब्क़न लिल मज़हबे अहलुलबैत (अ), 1387 शम्सी, खंड 10, पृष्ठ 289।
  2. दाएरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी संस्थान, फ़र्हंगे फ़िक़्हे इस्लामी, खंड 1, पृष्ठ 388।
  3. नजफ़ी, जवाहेरुल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 93।
  4. दाएरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी संस्थान, फ़र्हंगे फ़िक़्हे इस्लामी, 1387 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 389।
  5. तबातबाई यज़दी, अल-उर्वतुल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 287; ग़र्वी, अल-तंक़ीह फ़ी शरहे उर्वतुल वुस्क़ा, 1407 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 216।
  6. देखें, दाएरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी संस्थान, मौसूआ अल फ़िक़्ह अल इस्लामी तब्क़न लिल मज़हबे अहलुलबैत (अ), 1387 शम्सी, खंड 10, पृष्ठ 289।
  7. मुक़द्दस अर्दबेली, मजमा उल फ़ाएदा वल बयान, 1403 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 325; फक़ीह हमदानी, मिस्बाहुल -फक़ीह, 1376 शम्सी, खंड 8, पृष्ठ 56।
  8. मुज़फ्फ़र, उसूलुल फ़िक़्ह, 1370, खंड 1, पृष्ठ 97।
  9. मुज़फ्फ़र, उसूलुल फ़िक़्ह, 1370, खंड 2, पृष्ठ 197।
  10. मुज़फ्फ़र, उसूलुल फ़िक़्ह, 1370, खंड 1, पृष्ठ 86।
  11. तबातबाई यज़दी, अल-उर्वतुल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 179।
  12. सूर ए तौबा, आयत 28.
  13. हकीम, मुस्तम्सिकुल उर्वा, 1391 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 493।
  14. शाहिदे अव्वल, अल-ज़िक्रा, 1377, खंड 1, पृष्ठ 14; तबातबाई यज़दी, अल-उर्वतुल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 177; हकीम, मुस्तम्सिकुल उर्वा, 1391 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 491।
  15. हलबी, अल-काफ़ी फ़िल फिक़्ह, 1403 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 140।
  16. तबातबाई यज़दी, अल-उर्वतुल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 176।
  17. तबातबाई यज़दी, अल-उर्वतुल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 176।
  18. बहरानी, अल हदाएक़ुन नाज़ेरा, अल-नशर अल-इस्लामी पब्लिशिंग हाउस, खंड 16, पृष्ठ 86।
  19. बहरानी, अल हदाएक़ुन नाज़ेरा, अल-नशर अल-इस्लामी पब्लिशिंग हाउस, खंड 16, पृष्ठ 87।
  20. नजफ़ी, जवाहेरुल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 6, पृष्ठ 99।
  21. नजफ़ी, जवाहेरुल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 251।
  22. नजफ़ी, जवाहेरुल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 4, पृष्ठ 251।
  23. नजफ़ी, जवाहेरुल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 101।
  24. तबातबाई यज़दी, अल-उर्वतुल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 399।


स्रोत

  • इमाम खुमैनी, सय्यद रुहुल्लाह, तहरीर अल-वसीला, क़ुम, इमाम खुमैनी के कार्यों का संपादन और प्रकाशन संस्थान, पहला संस्करण, 1434 हिजरी।
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