मुताहेरात
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मुताहेरात (अरबीःالمطهرات) पाक करने वाली चीज़े, फ़िक्ही इस्तेलाह है जोकि उन चीज़ो के लिए इस्तेमाल होती है जो नजिस चीज़ो को पाक करती है। मुताहेरात कई प्रकार के है और प्रत्येक की अपनी विशेष शर्ते है जिनको फ़िक्ही किताबो मे बयान किया गया है जोकि नजिस चीज़ो के पाक होने का कारण होते है।
मुताहेरात में से कुछ इस प्रकार हैं: पानी, ज़मीन, सूरज, इस्तेहाला (नजिस चीजों की प्रकृति मे परिवर्तन), इंक़ेलाब (शराब का सिरके में बदलना), इंतेक़ाल, इस्लाम लाना, तबइय्यत और इज़ाल ए ऐने नेजासत।
मुताहेरात की न्यायशास्त्रीय परिभाषा
मुताहेरात उन चीज़ो को कहा जाता है जो नेजासत के खत्म होने का कारण बनती है।[१] मुताहेरात कई प्रकार के है कहा जाता है कि फ़ुक़्हा ने मुताहेरात की सख्या 20 तक बताई है।[२]
मुताहेरात के प्रकार
मुजतहेदीन ने तौज़ीह अल मसाइल मे मुताहेरात के निम्नलिखित प्रकार बयान किए है: पानी, ज़मीन, सूरज, इस्तेहाला, इंक़ेलाब, इंतेक़ाल, इस्लाम लाना, तबइय्यत और नेजासत का खत्म होना, मुसलमान का ग़ायब होना, अंगूर के जूस का दो तिहाई कम होना, शरई रूप से ज़िब्हा होने वाले जानवर के शरीर से सामान्य रूप से खून का निकलना, नेजासत खाने वाले जानवर का इस्तिबरा।[३]
मुताहेरात के अहकाम
मुताहेरात मे से प्रत्येक के विशेष अहकाम और शर्ते है और उन शर्तो के साथ नजिस चीज़ो को पाक करती है। मुताहेरात के कुछ अहकाम निम्नलिखित है:
पानी
- मुख्य लेख: पानी
पानी हर नजिस चीज को पाक कर देता है;[४] शर्त यह है कि पानी पाक हो मुज़ाफ (पानी मे कोई चीज़ मिलाई गई ना हो) न हो, धोने के बाद उस चीज़ से नेजासत दूर हो जाए।[५] पानी के विभिन्न प्रकार है जैसे जारी पानी, कुर पानी और क़लील पानी जोकि कुछ अहकाम मे एक दूसरे से अलग है।[६]
ज़मीन
यदि ज़मीन पाक और सूखी हो, तो वह पैरों और जूतों के नजिस तलवों को पाक करती है; बशर्ते कि उल्लिखित वस्तुओं से नेजासत चलने, रगड़ने आदि से दूर हो जाए।[७]
सूरज
सूरज छह शर्तों के साथ ज़मीन, इमारत और इमारत में इस्तेमाल होने वाले दरवाजे और खिड़की जैसी चीजों को पाक करती हैं।[८]
इस्तेहाला और इंक़ेलाब
इस्तेहाला का अर्थ है किसी नजिस चीज़ की प्रकृति को किसी और चीज़ में बदलना; जैसे लकड़ी राख या धुएं में बदल जाती है।[९] न्यायशास्त्र में इंक़ेलाब का भी यही अर्थ है इससे मुराद शराब का सिरके में बदलना है।[१०] कुछ न्यायशास्त्रियों ने इंक़ेलाब को एक प्रकार का इस्तेहाला माना है।[११]
अंगूर के जूस का दो तिहाई कम होना
फ़ुक़्हा के अनुसार उबले हुए अंगूर का पानी पीना हराम हैं। उनमें से कुछ इसको नजिस भी मानते है।[१२] अगर अंगूर के रस को आग पर रख कर उबाला जाए कि उसका दो तिहाई हिस्सा कम हो जाए तो बाकी बचा हुआ एक तिहाई हिस्सा पाक होगा और पीना भी जायज़ है इस शर्त के साथ कि मस्त करने वाला न हो।[१३]
इंतेक़ाल
इंतेक़ाल का अर्थ है कि किसी इंसान या ख़ूने जहिंदा (उछलकर निकलने वाला खूना) रखने वाले जानवर का खून किसी ऐसे जानवर के शरीर में प्रवेश कर जाए जिसका खून नजिस ना हो; जैसे मच्छर इत्यादि यहा तक कि यह खून अब इस जानवर का खून कहलाए तो उस सूरत मे यह खून पाक है।[१४]
इस्लाम
इस्लाम स्वीकार करने के बाद काफिर पाक हो जाता है।[१५]
तबइय्यत
तबइय्यत अर्थात किसी चीज़ के पाक होने पर दूसरी नजिस चीज़ भी पाक हो जाए। जैसे अगर कोई काफ़िर मुसलमान हो जाए तो उसकी नाबालिग संतान भी पाक होगी। इसी तरह अगर शराब सिरके परिवर्तित हो जाए तो वह बर्तन भी पाक होगा जिसमे शराब थी।[१६]
नेजासत का खत्म हो जाना
- मुख्य लेख: इज़ाल ए नेजासत
इज़ाल ए नेजासत अर्थात किसी चीज़ से नेजासत का दूर होना, कभी कभी उस चीज़ के पाक होने का कारण बनता है। जैसे यदि किसी जानवर का शरीर नजिस हो जाए, तो उसके शरीर से नेजासत के दूर होने से उसका शरीर पाक हो जाएगा। मनुष्य की नाक, कान, आंख और मुहं इत्यादि का भीतरी हिस्सा अगर नजिस हो जाए तो नेजासत के दूर होने से यह चीज़े पाक होगी उसके बाद उनको धूने की आवशयकता नही होती।[१७]
नेजासत खाने वाले जानवर का इस्तिबरा
मनुष्य का मल खाने की आदत वाले हलाल गोश्त वाले जानवर का मूत्र और मल नजिस है। ऐसे जानवर के पाक होने के लिए उसका इस्तिबरा अर्थात एक निर्धारित समय तक नेजासत खाने से दूर रखना आवश्यक है और यह समय जानवरो के हिसाब से अलग अलग होता है।[१८]
मुस्लमान का गायब होना
यदि किसी मुसलमान का शरीर या कपड़ा या उसके पास मौजूद कोई भी चीज नजिस हो जाए और उपरोक्त व्यक्ति कुछ समय तक गायब रहे जिसमे उपरोक्त चीजो के पाक किए जाने की संभावना दी जा सके तो ऐसी स्थिति मे यह चीज़े पाक है।[१९]
जिब्हा शुदा जानवर से मुताआरफ़ खून का निकलना
हलाल गोश्त जानवर को शरई रूप से ज़िब्हा करने के बाद और उसके शरीर से सामान्य रूप से खून निकलने के बाद उसके शरीर मे बचा हुआ खून पाक होगा।[२०]
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ मिशकीनी, मुस्तलेहात अल फ़िक्ह, 1392 शम्सी, पेज 528
- ↑ मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक्ह इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1387 शम्सी, भाग 5, पेज 239
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 99
- ↑ ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला, 1392 शम्सी, भाग 1, पेज 132
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 99
- ↑ ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला, 1392 शम्सी, भाग 1, पेज 132-133
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 114
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 99
- ↑ मिशकीनी, मुस्तलेहात अल फ़िक्ह, 1392 शम्सी, पेज 70
- ↑ मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक्ह इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 742
- ↑ मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक्ह इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 742
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 122
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 122
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 125
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 126
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 127
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 129
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 131
- ↑ बनी हाशिम ख़ुमैनी, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, 1381, भाग 1, पेज 132
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 146
स्रोत
- बनी हाशिम ख़ुमैनी, सय्यद मुहम्मद हसन, तौज़ीह अल मसाइल मराजे, क़ुम, दफ्तर इंतेशारात इस्लामी जामे मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मीया क़ुम, 1381 शम्सी
- ख़ुमैनी, सय्यद रूहुल्लाह, तहरीर अल वसीला, तेहरान, मोअस्सेसा तंज़ीम वा नश्र आसारे इमाम ख़ुमैनी, 1392 शम्सी
- मिशकीनी अर्दबेली, अली, मुस्तलेहात अल फ़िक़्ह, क़ुम, दार अल हदीस, 1392 शम्सी
- मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ फ़िक़्ह इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह मुताबिक बा मज़हब अहले बैत (अ), क़ुम मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक़्ह इस्लामी बर मज़हब अहले बैत (अ), 1387 शम्सी
- यज्दी, सय्यद मुहम्मद काज़िम, अल उरवा अर वुस्क़ा, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी लिल मतबूआत, दूसरा संस्करण, 1409 हिजरी