इरतेमासी वुज़ू
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कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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इरतेमासी वुज़ू, (अरबी: الوضوء الإرتماسي) वुज़ू के तरीकों में से एक है, जिसमें नीयत के बाद,[१] चेहरे और फिर हाथों को वुज़ू के उद्देश्य से पानी में डुबो दिया जाता है।[२] वुज़ू करने वाले के लिए यह भी जायज़ है कि वह आज़ा ए वुज़ू को पानी में डुबो दे, फिर वुज़ू करे और फिर आज़ा ए वुज़ू को पानी से बाहर निकाल ले।[३] इरतेमासी वुज़ू में चेहरे और हाथों को पानी में डुबोकर सिर और पैरों का मसहा किया जाता है।[४]
इरतेमास एक न्यायशास्त्रीय (फ़िक़ही) शब्द है जिसका अर्थ है पानी में सिर या अन्य भागों को डुबो देना है।[५] इरतेमासी वुज़ू में भी क्रम (तरतीब), तरतीबी वुज़ू के समान है, जिस में पहले चेहरा धोया जाता है, फिर दाहिना हाथ, और फिर बायां हाथ।
इरतेमासी वुज़ू में चेहरा और हाथ ऊपर की ओर से नीचे तक धोए जाते हैं। चेहरा माथे से और हाथों को कोहनी से पानी में डूबोया जाता है। यदि वह जल से हाथों और चेहरे को निकालते समय वुज़ू की नीयत करे, तो उसे अपना चेहरा माथे की तरफ़ से और अपने हाथों को कोहनियों की तरफ़ से निकालना चाहिए।[६]
इमाम ख़ुमैनी के फ़तवे के अनुसार, कोई भी व्यक्ति हाथ और चेहरे को केवल दो बार पानी में डुबो सकता है। पहली बार डुबोना अनिवार्य है, और दूसरी बार अनुमेय (जायज़) है, और इससे अधिक की अनुमति नहीं है।[७] कुछ अंगों को इरतेमासी तरीक़े से और अन्य को तरतीबी तरीक़े से धोना जायज़ माना गया है।[८]
कुछ न्यायविदों (फ़ोक़हा) के अनुसार इरतेमासी वुज़ू में सिर और पैरों के मसहा में प्रयोग होने वाला पानी वुज़ू का होना चाहिये, उसके उन्होने कुछ शर्तें निर्धारित की हैं, जिसके अभाव में इरतेमासी वुज़ू मान्य नहीं है:
- इमाम ख़ुमैनी का मानना था कि सिर और पैरों का मसहा वुज़ू के पानी से हो, इसके लिये इरतेमासी वुज़ू केवल उस समय हो सकता है जब उसका हाथ पानी में हो और वह वुज़ू की नीयत करे और उसके बाद हाथों को पानी से बाहर निकाले।[९]
- सय्यद अबुल क़ासिम ख़ूई और मिर्ज़ा जवाद तबरेज़ी का मानना था कि बाएँ हाथ को इरतेमासी वुज़ू के तरीक़े से धोना संभव नही है।[१०]
- सय्यद अली सीस्तानी के अनुसार इरतेमासी वुज़ू में धोये गये हाथ की नमी से मसहा करने में कोई समस्या नही है, लेकिन वह ऐसा करने को ऐहतेयात के खिलाफ़ मानते हैं।[११]
- नासिर मकारिम शिराज़ी का मानना है कि इरतेमासी वुज़ू करने वाले को चाहिये कि वह दांया और बांया हाथ धोते समय नीयत करे कि उनके पानी से निकालने के बाद जब तक वह पानी से तर हैं वह वुज़ू का हिस्सा हैं।[१२]
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ मिर्ज़ा ए कुम्मी, जामे अल-शेतात, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 32.
- ↑ बहजत, रिसाल ए तौज़ीहुल मसायल, 1428 हिजरी, पृष्ठ 53।
- ↑ इमाम खुमैनी, तौज़ीह अल-मसायल, 1426 हिजरी, पृष्ठ 61।
- ↑ ख़ामेनेई, अजवेबा अल-इस्तिफ्तात, 1424 हिजरी, पृष्ठ 21।
- ↑ मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़े फ़िक़हे इस्लामी, 1426 हिजरी, खंड 1, पृ.346।
- ↑ मकारेिम शिराज़ी, रिसालअ तौज़ीह अल-मसायल, 1429 हिजरी, पृ.60।
- ↑ इमाम खुमैनी, तौज़ीहुल अल-मसायल (मोहश्शी), 1424 हिजरी, खंड 1, पृ.199।
- ↑ मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़े फ़िक़हे इस्लामी, फरहांग फ़िक़ह, 1426 हिजरी, खंड 1, पृ.347।
- ↑ इमाम खुमैनी, रिसालए निजात अल-इबाद, 2005, पृ.20.
- ↑ इमाम खुमैनी, तौज़ीहुल अल-मसायल (मोहश्शी), 1424 हिजरी, खंड 1, पृ.160।
- ↑ इमाम खुमैनी, तौज़ीहुल अल-मसायल (मोहश्शी), 1424 हिजरी, खंड 1, पृ.160।
- ↑ इमाम खुमैनी, तौज़ीहुल अल-मसायल (मोहश्शी), 1424 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 161।
स्रोत
- इमाम खुमैनी, सैय्यद रूहुल्लाह, तौज़ीहुल मसायल (मोहश्शी), (महान न्यायविदों के फतवे के साथ), क़ोम, जामिया मद्रासिन, 1424 हिजरी।
- इमाम खुमैनी, सैय्यद रूहुल्लाह, तौज़ीहुल मसायल, मोहक़्क़िक़, मुस्लिम कुलीपुर गीलानी, बी जा, बी ना, 1426 हिजरी।
- इमाम खुमैनी, सैय्यद रूहुल्लाह, रिसाला निजत अल-इबाद, तेहरान, इमाम खुमैनी संपादन और प्रकाशन संस्थान, दूसरा संस्करण, 1385।
- बहजत, मुहम्मद तक़ी, रिसाल ए तौज़ीहुल मसायल, क़ुम, शफ़क प्रकाशन, 1428 हिजरी।
- ख़ामेनेई, अली, सवालों के जवाब, क़ुम, आयतुल्ला ख़ामेनेई प्रकाशन केंद्र, 1424 हिजरी।
- मकारिम शिराज़ी, नासिर, रिसाल ए तौज़ीहुल मसायल, क़ुम, इमाम अली इब्न अबी तालिब स्कूल प्रकाशन, 1429 हिजरी।
- मिर्जा ए कुम्मी, अबू अल-कासिम बिन मुहम्मद हसन, जामी अल-शेतात फ़ी अजवेबा अल-अस सवालात, तेहरान, काहान, 1413 हिजरी।
- मोअस्सा दायरतुल मआरिफ़े फ़िक़हे इस्लामी, अहल अल-बेत स्कूलों के अनुसार न्यायशास्त्र, की देखरेख में: महमूद हाशमी शाहरूदी, क़ुम, इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया संस्थान, 1426 हिजरी।