हदसे अकबर
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कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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हदसे अकबर कुछ ऐसी बातें है जो ग़ुस्ल के वाजिब होने का कारण बनती है। जैसे जनाबत, मासिक धर्म (हैज़) और मय्यत को मस करना।[१] इसी तरह से यह एक ऐसी स्थिति भी कही जाती है जो किसी व्यक्ति में इन कारणों से उत्पन्न होती है और उन कार्यों को करने को रोकती है जिनके लिए तहारत (वुज़ू, ग़ुस्ल, और तयम्मुम) की आवश्यकता होती है।[२]
न्यायविद हदस को दो प्रकार में विभाजित करते हैं। हदसे अकबर (बड़ा हदस) और हदसे असग़र (छोटा हदस)[३] हदसे अकबर (बड़ा हदस) से उनका मतलब कुछ ऐसा है जो ग़ुस्ल का कारण बनता है।[४] शिया न्यायविद जनाबत, संभोग, मासिक धर्म, प्रसव, इस्तेहाज़ा मध्यवर्ती और इस्तेहाज़ा व्यापक और मृतकों के साथ संपर्क को हदसे अकबर के उदाहरण के रूप में मानते हैं। [५]
हदसे अकबर एक ऐसी चीज़ है जो शुद्धता (तहारत) के अंत का कारण बनता है। [६] इसके अलावा, यह एक ऐसी स्थिति भी कही जाती है जो किसी व्यक्ति में मूत्र, संभोग, मासिक धर्म और मस्से मय्यत जैसे कारणों के आधार पर पैदा होती है और उसे उन कार्यों से रोकती है। जिन कार्यों के लिए पवित्रता की आवश्यकता होती है।[७] न्यायविदों ने व्यावहारिक ग्रंथों (तौज़ीहुल मसायल) और अन्य न्यायशास्त्रीय पुस्तकों की शुद्धता (तहारत) के अध्याय में हदस के बारे में बात की है।[८] जिस व्यक्ति में हदस पैदा होता है उसे मोहदिस कहा जाता है।[९]
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी, फ़ंरहंगे फ़िक़्ह, 2007, खंड 3, पेज 246-248।
- ↑ मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी, फ़ंरहंगे फ़िक़्ह, 2007, खंड 3, पेज 246-248।
- ↑ मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी, फ़ंरहंगे फ़िक़्ह, 2007, खंड 3, पेज 246-248।
- ↑ मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी, फ़ंरहंगे फ़िक़्ह, 2007, खंड 3, पेज 246-248।
- ↑ फ़ैज़ कशानी, रसायल, 1429 हिजरी, पृष्ठ 22।
- ↑ फ़ैज़ कशानी, रसायल, 1429 हिजरी, पृष्ठ 22।
- ↑ नजफी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 63।
- ↑ शेख अंसारी, किताब अल-तहारा, 1415 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 43।
- ↑ मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी, फ़ंरहंगे फ़िक़्ह, 2007, खंड 3, पृष्ठ 246।
स्रोत
- शेख़ अंसारी, मुर्तज़ा, किताब अल-तहारा, क़ुम, शेख़ आज़म अंसारी की सम्मान की विश्व कांग्रेस, क़ुम, 1415 हिजरी।
- फ़ैज़ काशानी, मोहम्मद मोहसिन, रसायले फ़ैज़ काशानी, शोध: बेहज़ाद जाफ़री, तेहरान, शाहिद मोतह्हरी हाई स्कूल, 1429 हिजरी।
- मोअस्सेसा दायरतुल मआरिफ़ फ़िक़्हे इस्लामी, फ़ंरहंगे फ़िक़्ह: मुताबिक़े मज़हबे अहल अल-बैत (अ), क़ुम, इस्लामी न्यायशास्त्र विश्वकोश फाउंडेशन अहल अल-बेत के मज़हब पर, 1426 हिजरी।
- नजफी, मोहम्मद हसन, जवाहेर अल-कलाम फ़ी शरहे शरायेअ अल-इस्लाम, अब्बास कूचानी और अली अखुंदी द्वारा शोध:, बेरूत, दार एहया अल-तुरास अल-अरबी, 1404 हिजरी।